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राष्ट्रीय सिन्धी भाषा संवर्धन परिषद

सूची राष्ट्रीय सिन्धी भाषा संवर्धन परिषद

राष्ट्रीय सिन्धी भाषा संवद्धन परिषद (एनसीपीएसएल) मानव संसाधन विकास मंत्रालय, उच्चतर शिक्षा विभाग के अंतर्गत पूर्ण रूप से वित्तपोषित एक स्वायत्तशासी संगठन है। इसका मुख्‍यालय नई दिल्‍ली में है। एनसीपीएसएल के मुख्य उद्देश्य सिन्धी भाषा का प्रोत्साहन, विकास तथा संवर्धन तथा वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी विकास और आज के युग के संदर्भ में विकसित ज्ञान के विचारों को सिन्धी भाषा में उपलब्ध करवाने के लिए कदम उठाने तथा सिन्धी भाषा से संबंधित मुद्दों पर भारत सरकार को सलाह देने तथा इसको भेजे जाने वाली शिक्षा सामग्री पर प्रभाव पैदा करना हैं। सिन्धी भाषा के संवर्धन तथा विकास के उद्देश्यार्थ संगठन कई योजनाएं संचालित करता है जिनके माध्यम से सिन्धी विद्वानों, लेखकों, गैर-सरकारी संगठनों इत्यादि को सिन्धी भाषा के संवर्धन हेतु सहायता प्रदान की जाती है। संगठन के मुख्य क्रियाकलाप/योजनाएं इस प्रकार है: (i) सिन्धी भाषा से संबंधित कुछ चुनिंदा प्रोत्साहन क्रियाकलापों हेतु स्वैच्छिक संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करना। (ii) साहित्यिक पुस्तकों के लेखन हेतु सिन्धी लेखकों को पुरस्कार प्रदान करना। इस वर्ग के तहत सिन्धी लेखकों को 20,000 रूपये के पाँच पुरस्कार, 50,000 रूपये साहित्यकार सम्मान पुरस्कार के रूप में तथा 50,000 रूपये साहित्य रचना सम्मान पुरस्कार दिये जाते हैं। (iii) संबंधित वित्त वर्ष के दौरान शैक्षिक संस्थाओं/स्कूलों/कॉलेजों/सार्वजनिक पुस्तकालयों इत्यादि के नि:शुल्क वितरण हेतु सिन्धी पुस्तकों/पत्रिकाओं/सिन्धी भाषा से संबंधित श्रव्य-दृश्य कैसेटों की व्यापक खरीददारी। (iv) सिन्धी भाषा में पुस्तकों के प्रकाशन एवं खरीददारी हेतु भी वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है; और (v) सिन्धी भाषा अध्ययन कक्षाओं का आयोजन करना। .

2 संबंधों: नई दिल्ली, सिन्धी भाषा

नई दिल्ली

नई दिल्ली भारत की राजधानी है। यह भारत सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के केंद्र के रूप में कार्य करता है। नई दिल्ली दिल्ली महानगर के भीतर स्थित है, और यह दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के ग्यारह ज़िलों में से एक है। भारत पर अंग्रेज शासनकाल के दौरान सन् 1911 तक भारत की राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) था। अंग्रेज शासकों ने यह महसूस किया कि देश का शासन बेहतर तरीके से चलाने के लिए कलकत्ता की जगह यदि दिल्‍ली को राजधानी बनाया जाए तो बेहतर होगा क्‍योंकि य‍ह देश के उत्तर में है और यहां से शासन का संचालन अधिक प्रभावी होगा। इस पर विचार करने के बाद अंग्रेज महाराजा जॉर्ज पंचम ने देश की राजधानी को दिल्‍ली ले जाने के आदेश दे दिए। वर्ष 2011 में दिल्ली महानगर की जनसंख्या 22 लाख थी। दिल्ली की जनसंख्या उसे दुनिया में पाँचवीं सबसे अधिक आबादी वाला, और भारत का सबसे बड़ा महानगर बनाती है। क्षेत्रफल के अनुसार भी, दिल्ली दुनिया के बड़े महानगरों में से एक है। मुम्बई के बाद, वह देश का दूसरा सबसे अमीर शहर है, और दिल्ली का सकल घरेलू उत्पाद दक्षिण, पश्चिम और मध्य एशिया के शहरों में दूसरे नम्बर पर आता है। नई दिल्ली अपनी चौड़ी सड़कों, वृक्ष-अच्छादित मार्गों और देश के कई शीर्ष संस्थानो और स्थलचिह्नों के लिए जानी जाती है। 1911 के दिल्ली दरबार के दौरान, 15 दिसम्बर को शहर की नींव भारत के सम्राट, जॉर्ज पंचम ने रखी, और प्रमुख ब्रिटिश वास्तुकार सर एड्विन लुट्यन्स और सर हर्बर्ट बेकर ने इसकी रूपरेखा तैयार की। ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन द्वारा 13 फ़रवरी 1931 को नई दिल्ली का उद्घाटन हुआ। बोलचाल की भाषा में हालाँकि दिल्ली और नयी दिल्ली यह दोनों नाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अधिकार क्षेत्र को संदर्भित करने के लिए के प्रयोग किये जाते हैं, मगर यह दो अलग-अलग संस्था हैं और नयी दिल्ली, दिल्ली महानगर का छोटा सा हिस्सा है। .

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सिन्धी भाषा

सिंधी भारत के पश्चिमी हिस्से और मुख्य रूप से गुजरात और पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। इसका संबंध भाषाई परिवार के स्तर पर आर्य भाषा परिवार से है जिसमें संस्कृत समेत हिन्दी, पंजाबी और गुजराती भाषाएँ शामिल हैं। अनेक मान्य विद्वानों के मतानुसार, आधुनिक भारतीय भाषाओं में, सिन्धी, बोली के रूप में संस्कृत के सर्वाधिक निकट है। सिन्धी के लगभग ७० प्रतिशत शब्द संस्कृत मूल के हैं। सिंधी भाषा सिंध प्रदेश की आधुनिक भारतीय-आर्य भाषा जिसका संबंध पैशाची नाम की प्राकृत और व्राचड नाम की अपभ्रंश से जोड़ा जाता है। इन दोनों नामों से विदित होता है कि सिंधी के मूल में अनार्य तत्व पहले से विद्यमान थे, भले ही वे आर्य प्रभावों के कारण गौण हो गए हों। सिंधी के पश्चिम में बलोची, उत्तर में लहँदी, पूर्व में मारवाड़ी और दक्षिण में गुजराती का क्षेत्र है। यह बात उल्लेखनीय है कि इस्लामी शासनकाल में सिंध और मुलतान (लहँदीभाषी) एक प्रांत रहा है और 1843 से 1936 ई. तक सिन्ध, बम्बई प्रांत का एक भाग होने के नाते गुजराती के विशेष संपर्क में रहा है। पाकिस्तान में सिंधी भाषा नस्तालिक (यानि अरबी लिपि) में लिखी जाती है जबकि भारत में इसके लिये देवनागरी और नस्तालिक दोनो प्रयोग किये जाते हैं। .

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