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माणिक्यल स्तूप

सूची माणिक्यल स्तूप

माणिक्यल स्तूप (مانكياله اسٹوپ) दूसरी शताब्दी में निर्मित एक स्तूप है। यह पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के माणिक्यल गाँव के निकट स्थित है। जातक कथाओं के अनुसार यह स्तूप उस स्थान पर निर्मित हुआ है जहाँ राजकुमार राजकुमार सत्त्व ने सात भूखे शावकों के भोजन के लिए अपने आप को समर्पित कर दिया था। सत्त्व, बुद्ध के एक अवतार थे। .

8 संबंधों: पाकिस्तान, पंजाब (पाकिस्तान), पंजाब क्षेत्र, बौद्ध धर्म, राजकुमार सत्त्व, स्तूप, जातक, गौतम बुद्ध

पाकिस्तान

इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .

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पंजाब (पाकिस्तान)

पंजाब पंजाब पाकिस्तान का एक प्रान्त है। इसमें ३६ जिले हैं। पंजाब आबादी के अनुपात से पाकिस्तान का सब से बड़ा राज्य है। पंजाब में रहने वाले लोग पंजाबी कहलाते हैं। पंजाब की दक्षिण की तरफ़ सिंध, पश्चिम की तरफ़ ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा और बलोचिस्तान,‎‎‎ उत्तर की तरफ़ कश्मीर और इस्लामाबाद और पूर्व में हिन्दुस्तानी पंजाब और राजस्थान से मिलता है। पंजाब में बोली जाने वाली भाषा भी पंजाबी कहलाती है। पंजाबी के अलावा वहां उर्दु और सराइकी भी बोली जाती है। पंजाब की (राजधानी) लाहौर है। पंजाब फ़ारसी भाषा के दो शब्दों - 'पंज' यानि 'पांच' (५) और 'आब' यानि 'पानी' से मिल कर बना है। इन पांच दरियाओं के नाम हैं.

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पंजाब क्षेत्र

पंजाब दक्षिण एशिया का क्षेत्र है जिसका फ़ारसी में मतलब पांच नदियों का क्षेत्र है। पंजाब ने भारतीय इतिहास को कई मोड़ दिये हैं। अतीत में शकों, हूणों, पठानों व मुगलों ने इसी पंजाब के रास्ते भारत में प्रवेश किया था। आर्यो का आगमन भी हिन्दुकुश पार कर इसी पंजाब के रास्ते ही हुआ था। पंजाब की सिन्धु नदी की घाटी में आर्यो की सभ्यता का विकास हुआ। उस समय इस भूख़ड का नाम सप्त सिन्धु अर्थात सात सागरों का देश था। समय के साथ सरस्वती जलस्रोत सूख् गया। अब रह गयीं पाँच नदियाँ-झेलम, चेनाब, राबी, व्यास और सतलज इन्हीं पाँच नदियों का प्रांत पंजाब हुआ। पंजाब का नामाकरण फारसी के दो शब्दों से हुआ है। पंज का अर्थ है पाँच और आब का अर्थ होता है जल। .

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बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और महान दर्शन है। इसा पूर्व 6 वी शताब्धी में बौद्ध धर्म की स्थापना हुई है। बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध है। भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी, नेपाल और महापरिनिर्वाण 483 ईसा पूर्व कुशीनगर, भारत में हुआ था। उनके महापरिनिर्वाण के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला और अगले दो हजार वर्षों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फैल गया। आज, हालाँकि बौद्ध धर्म में चार प्रमुख सम्प्रदाय हैं: हीनयान/ थेरवाद, महायान, वज्रयान और नवयान, परन्तु बौद्ध धर्म एक ही है किन्तु सभी बौद्ध सम्प्रदाय बुद्ध के सिद्धान्त ही मानते है। बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है।आज पूरे विश्व में लगभग ५४ करोड़ लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है, जो दुनिया की आबादी का ७वाँ हिस्सा है। आज चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैण्ड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, तिब्बत, लाओस, हांगकांग, ताइवान, मकाउ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कुल 18 देशों में बौद्ध धर्म 'प्रमुख धर्म' धर्म है। भारत, नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, रूस, ब्रुनेई, मलेशिया आदि देशों में भी लाखों और करोडों बौद्ध हैं। .

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राजकुमार सत्त्व

जातक कथाओं के अनुसार गौतम बुद्ध अपने एक पूर्वजन्म में सत्त्व नाम के राजकुमार थे। वे महारथ के पुत्र थे। उन्होने सात भूखे शावकों को जीवित बचाने के लिए स्वेच्छा से अपने शरीर का त्याग (देहदान) दिया था। श्रेणी:बुद्ध.

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स्तूप

अशोक महान द्वारा बनवाया गया महान साँची का स्तूप, भारत सारनाथ का धमेक स्तूप, उत्तरपूर्वी भारत मे स्थित सबसे पुराना स्तूप है। स्तूप (संस्कृत और पालि: से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ "ढेर" होता है) एक गोल टीले के आकार की संरचना है जिसका प्रयोग पवित्र बौद्ध अवशेषों को रखने के लिए किया जाता है। माना जाता है कभी यह बौद्ध प्रार्थना स्थल होते थे। महापरिनर्वाण सूत्र में महात्मा बुद्ध अपने शिष्य आनन्द से कहते हैं- "मेरी मृत्यु के अनन्तर मेरे अवशेषों पर उसी प्रकार का स्तूप बनाया जाये जिस प्रकार चक्रवर्ती राजाओं के अवशेषों पर बनते हैं- (दीघनिकाय- १४/५/११)। स्तूप समाधि, अवशेषों अथवा चिता पर स्मृति स्वरूप निर्मित किया गया, अर्द्धाकार टीला होता था। इसी स्तूप को चैत्य भी कहा गया है।  स्तूप मंडल का पुरातन रूप हैं। .

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जातक

जातक कथाओं पर आधारित भूटानी चित्रकला (१८वीं-१९वीं शताब्दी) जातक या जातक पालि या जातक कथाएं बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक का सुत्तपिटक अंतर्गत खुद्दकनिकाय का १०वां भाग है। इन कथाओं में महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथायें हैं। जो मान्यता है कि खुद गौतमबुद्ध जी के द्वारा कहे गए है, हालांकि की कुछ विद्वानों का मानना है कि कुछ जातक कथाएँ, गौतमबुद्ध के निर्वाण के बाद उनके शिष्यों द्वारा कही गयी है। विश्व की प्राचीनतम लिखित कहानियाँ जातक कथाएँ हैं जिसमें लगभग 600 कहानियाँ संग्रह की गयी है। यह ईसवी संवत से 300 वर्ष पूर्व की घटना है। इन कथाओं में मनोरंजन के माध्यम से नीति और धर्म को समझाने का प्रयास किया गया है। जातक खुद्दक निकाय का दसवाँ प्रसिद्ध ग्रन्थ है। जातक को वस्तुतः ग्रन्थ न कहकर ग्रन्थ समूह ही कहना अधिक उपयुक्त होगा। उसका कोई-कोई कथानक पूरे ग्रन्थ के रूप में है और कहीं-कहीं उसकी कहानियों का रूप संक्षिप्त महाकाव्य-सा है। जातक शब्द जन धातु से बना है। इसका अर्थ है भूत अथवा भाव। ‘जन्’ धातु में ‘क्त’ प्रत्यय जोड़कर यह शब्द निर्मित होता है। धातु को भूत अर्थ में प्रयुक्त करते हुए जब अर्थ किया जाता है तो जातभूत कथा एवं रूप बनता है। भाव अर्थ में प्रयुक्त करने पर जात-जनि-जनन-जन्म अर्थ बनता है। इस तरह ‘जातक’ शब्द का अ र्थ है, ‘जात’ अर्थात् जन्म-सम्बन्धीं। ‘जातक’ भगवान बुद्ध के पूर्व जन्म सम्बन्धी कथाएँ है। बुद्धत्व प्राप्त कर लेने की अवस्था से पूर्व भगवान् बुद्ध बोधिसत्व कहलाते हैं। वे उस समय बुद्धत्व के लिए उम्मीदवार होते हैं और दान, शील, मैत्री, सत्य आदि दस पारमिताओं अथवा परिपूर्णताओं का अभ्यास करते हैं। भूत-दया के लिए वे अपने प्राणों का अनेक बार बलिदान करते हैं। इस प्रकार वे बुद्धत्व की योग्यता का सम्पादन करते हैं। बोधिसत्व शब्द का अर्थ ही है बोधि के लिए उद्योगशील प्राणी। बोधि के लिए है सत्व (सार) जिसका ऐसा अर्थ भी कुछ विद्वानों ने किया है। पालि सुत्तों में हम अनेक बार पढ़ते हैं, ‘‘सम्बोधि प्राप्त होने से पहले, बुद्ध न होने के समय, जब मैं बोधिसत्व ही था‘‘ आदि। अतः बोधिसत्व से स्पष्ट तात्पर्य ज्ञान, सत्य दया आदि का अभ्यास करने वाले उस साधक से है जिसका आगे चलकर बुद्ध होना निश्चित है। भगवान बुद्ध भी न केवल अपने अन्तिम जन्म में बुद्धत्व-प्राप्ति की अवस्था से पूर्व बोधिसत्व रहे थे, बल्कि अपने अनेक पूर्व जन्मों में भी बोधिसत्व की चर्या का उन्होंने पालन किया था। जातक की कथाएँ भगवान् बुद्ध के इन विभिन्न पूर्वजन्मों से जबकि वे बोधिसत्व रहे थे, सम्बन्धित हैं। अधिकतर कहानियों में वे प्रधान पात्र के रूप में चित्रित है। कहानी के वे स्वयं नायक है। कहीं-कहीं उनका स्थान एक साधारण पात्र के रूप में गौण है और कहीं-कहीं वे एक दर्शक के रूप में भी चित्रित किये गये हैं। प्रायः प्रत्येक कहानी का आरम्भ इस प्रकार होता है-‘‘एक समय राजा ब्रह्मदत्त के वाराणसी में राज्य करते समय (अतीते वाराणसिंय बह्मदत्ते रज्ज कारेन्ते) बोधिसत्व कुरंग मृग की योनि से उत्पन्न हुए अथवा...

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गौतम बुद्ध

गौतम बुद्ध (जन्म 563 ईसा पूर्व – निर्वाण 483 ईसा पूर्व) एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। उनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थी जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश एवं सत्य दिव्य ज्ञान खोज में रात में राजपाठ छोड़कर जंगल चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से बुद्ध बन गए। .

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