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माँ तारा चंडी मंदिर

सूची माँ तारा चंडी मंदिर

मां तारा चंडी मंदिर भारतीय राज्य बिहार के सासाराम जिले में स्थित एक दुर्गा मंदिर है। यह भारत के 52 शंक्ति पीठों से एक है। .

12 संबंधों: दक्ष प्रजापति, नृत्य, पार्वती, बिहार, भारत, शिबि, शिव, शक्ति पीठ, सासाराम, सुदर्शन चक्र, हिन्दू धर्म, जलप्रपात

दक्ष प्रजापति

दक्ष प्रजापति को अन्य प्रजापतियों के समान ब्रह्मा जी ने अपने मानस पुत्र के रूप में उत्पन्न किया था। दक्ष प्रजापति का विवाह स्वायम्भुव मनु की तृतीय कन्या प्रसूति के साथ हुआ था। दक्ष राजाओं के देवता थे। .

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नृत्य

भारतीय नृत्यनृत्य भी मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमय प्रदर्शन है। यह एक सार्वभौम कला है, जिसका जन्म मानव जीवन के साथ हुआ है। बालक जन्म लेते ही रोकर अपने हाथ पैर मार कर अपनी भावाभिव्यक्ति करता है कि वह भूखा है- इन्हीं आंगिक -क्रियाओं से नृत्य की उत्पत्ति हुई है। यह कला देवी-देवताओं- दैत्य दानवों- मनुष्यों एवं पशु-पक्षियों को अति प्रिय है। भारतीय पुराणों में यह दुष्ट नाशक एवं ईश्वर प्राप्ति का साधन मानी गई है। अमृत मंथन के पश्चात जब दुष्ट राक्षसों को अमरत्व प्राप्त होने का संकट उत्पन्न हुआ तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर अपने लास्य नृत्य के द्वारा ही तीनों लोकों को राक्षसों से मुक्ति दिलाई थी। इसी प्रकार भगवान शंकर ने जब कुटिल बुद्धि दैत्य भस्मासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि वह जिसके ऊपर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाए- तब उस दुष्ट राक्षस ने स्वयं भगवान को ही भस्म करने के लिये कटिबद्ध हो उनका पीछा किया- एक बार फिर तीनों लोक संकट में पड़ गये थे तब फिर भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर अपने मोहक सौंदर्यपूर्ण नृत्य से उसे अपनी ओर आकृष्ट कर उसका वध किया। भारतीय संस्कृति एवं धर्म की आरंभ से ही मुख्यत- नृत्यकला से जुड़े रहे हैं। देवेन्द्र इन्द्र का अच्छा नर्तक होना- तथा स्वर्ग में अप्सराओं के अनवरत नृत्य की धारणा से हम भारतीयों के प्राचीन काल से नृत्य से जुड़ाव की ओर ही संकेत करता है। विश्वामित्र-मेनका का भी उदाहरण ऐसा ही है। स्पष्ट ही है कि हम आरंभ से ही नृत्यकला को धर्म से जोड़ते आए हैं। पत्थर के समान कठोर व दृढ़ प्रतिज्ञ मानव हृदय को भी मोम सदृश पिघलाने की शक्ति इस कला में है। यही इसका मनोवैज्ञानिक पक्ष है। जिसके कारण यह मनोरंजक तो है ही- धर्म- अर्थ- काम- मोक्ष का साधन भी है। स्व परमानंद प्राप्ति का साधन भी है। अगर ऐसा नहीं होता तो यह कला-धारा पुराणों- श्रुतियों से होती हुई आज तक अपने शास्त्रीय स्वरूप में धरोहर के रूप में हम तक प्रवाहित न होती। इस कला को हिन्दु देवी-देवताओं का प्रिय माना गया है। भगवान शंकर तो नटराज कहलाए- उनका पंचकृत्य से संबंधित नृत्य सृष्टि की उत्पत्ति- स्थिति एवं संहार का प्रतीक भी है। भगवान विष्णु के अवतारों में सर्वश्रेष्ठ एवं परिपूर्ण कृष्ण नृत्यावतार ही हैं। इसी कारण वे 'नटवर' कृष्ण कहलाये। भारतीय संस्कृति एवं धर्म के इतिहास में कई ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि जिससे सफल कलाओं में नृत्यकला की श्रेष्ठता सर्वमान्य प्रतीत होती है। .

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पार्वती

पार्वती हिमनरेश हिमावन तथा मैनावती की पुत्री हैं, तथा भगवान शंकर की पत्नी हैं। उमा, गौरी भी पार्वती के ही नाम हैं। यह प्रकृति स्वरूपा हैं। पार्वती के जन्म का समाचार सुनकर देवर्षि नारद हिमनरेश के घर आये थे। हिमनरेश के पूछने पर देवर्षि नारद ने पार्वती के विषय में यह बताया कि तुम्हारी कन्या सभी सुलक्षणों से सम्पन्न है तथा इसका विवाह भगवान शंकर से होगा। किन्तु महादेव जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिये तुम्हारी पुत्री को घोर तपस्या करना होगा। बाद में इनके दो पुत्र कार्तिकेय तथा गणेश हुए। कई पुराणों में इनकी पुत्री अशोक सुंदरी का भी वर्णन है। .

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बिहार

बिहार भारत का एक राज्य है। बिहार की राजधानी पटना है। बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड स्थित है। बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ, जिसे विहार के स्थान पर इसके अपभ्रंश रूप बिहार से संबोधित किया जाता है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश, वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के सबसे पिछड़े योगदाताओं में से एक बनकर रह गया है। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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शिबि

शिबि की दयालुता पुरूवंशी नरेश शिबि उशीनर देश के राजा थे। वे बड़े परोपकारी धर्मात्मा राजा थे। उनके यहां से कोई याचक खाली हाथ नहीं लौटता था। इनकी संपति परोपकार के लिए थी और शक्ति आर्त की रक्षा के लिए। वे अजातशत्रु थे। इनकी प्रजा सुखी संतुष्ट थी। राजा सदैव भगवद अराधना में लीन रहते थे। शिबि अपनी त्याग बुद्धि के लिए बहुत प्रसिद्ध थे। इनकी कथा मूलतः महाभारत में है। तेरहवीं सदी के जैन कवि बालचंद्र सूरि ने करुणावज्रायुध में यह कहानी राजा वज्रायुध के नाम से कही है। कथा का प्रारूप जातक कथा के बोधिसत्व के समान है। .

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शिव

शिव या महादेव हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ,गंगाधार के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है। भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। राम, रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। .

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शक्ति पीठ

हिन्दू धर्म के अनुसार जहां सती देवी के शरीर के अंग गिरे, वहां वहां शक्ति पीठ बन गईं। ये अत्यंय पावन तीर्थ कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। .

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सासाराम

सासाराम भारत प्रांत के बिहार राज्य का एक शहर है जो रोहतास जिले में आता है। यह रोहतास जिले का मुख्यालय भी है। इसे 'सहसराम' भी कहा जाता है। सूर वंश के संस्थापक अफ़ग़ान शासक शेरशाह सूरी का मक़बरा सासाराम में है और देश का प्रसिद्ध 'ग्रांड ट्रंक रोड' भी इसी शहर से होकर गुज़रता है। सहसराम के समीप एक पहाड़ी पर गुफ़ा में अशोक का लघु शिलालेख संख्या एक उत्कीर्ण है। .

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सुदर्शन चक्र

हाथ में सुदर्शन चक्र लिए विष्णु भगवन सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का शस्त्र है। इसको उन्होंने स्वयं तथा उनके कृष्ण अवतार ने धारण किया है। किंवदंती है कि इस चक्र को विष्णु ने गढ़वाल के श्रीनगर स्थित कमलेश्वर शिवालय में तपस्या कर के प्राप्त किया था। सुदर्शन चक्र अस्त्र के रूप में प्रयोग किया जाने वाला एक चक्र, जो चलाने के बाद अपने लक्ष्य पर पहुँचकर वापस आ जाता है। यह चक्र भगवानविष्णु को 'हरिश्वरलिंग' (शंकर) से प्राप्त हुआ था। सुदर्शन चक्र को विष्णु ने उनके कृष्ण के अवतार में धारण किया था। श्रीकृष्ण ने इस चक्र से अनेक राक्षसों का वध किया था। सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का अमोघ अस्त्र है। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि इस चक्र ने देवताओं की रक्षा तथा राक्षसों के संहार में अतुलनीय भूमिका का निर्वाह किया था। सुदर्शन चक्र एक ऐसा अचूक अस्त्र था कि जिसे छोड़ने के बाद यह लक्ष्य का पीछा करता था और उसका काम तमाम करके वापस छोड़े गए स्थान पर आ जाता था। चक्र को विष्णु की तर्जनी अंगुली में घूमते हुए बताया जाता है। सबसे पहले यह चक्र उन्हीं के पास था। सिर्फ देवताओं के पास ही चक्र होते थे। चक्र सिर्फ उस मानव को ही प्राप्त होता था जिसे देवता लोग नियुक्त करते थे। भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र की प्राप्ति से सम्बन्धित एक अन्य प्रसंग निम्नलिखित है- एक बार जब दैत्यों के अत्याचार बहुत बढ़ गए, तब सभी देवता श्रीहरि विष्णु के पास आए। तब भगवान विष्णु ने कैलाश पर्वत पर जाकर भगवान शिव की विधिपूर्वक आराधना की। वे हजार नामों से शिव की स्तुति करने लगे। वे प्रत्येक नाम पर एक कमल पुष्प भगवान शिव को चढ़ाते। तब भगवान शंकर ने विष्णु की परीक्षा लेने के लिए उनके द्वारा लाए एक हजार कमल में से एक कमल का फूल छिपा दिया। शिव की माया के कारण विष्णु को यह पता न चला। एक फूल कम पाकर भगवान विष्णु उसे ढूँढने लगे। परंतु फूल नहीं मिला। तब विष्णु ने एक फूल की पूर्ति के लिए अपना एक नेत्र निकालकर शिव को अर्पित कर दिया। विष्णु की भक्ति देखकर भगवान शंकर बहुत प्रसन्न हुए और श्रीहरि के समक्ष प्रकट होकर वरदान मांगने के लिए कहा। तब विष्णु ने दैत्यों को समाप्त करने के लिए अजेय शस्त्र का वरदान माँगा। तब भगवान शंकर ने विष्णु को सुदर्शन चक्र प्रदान किया। विष्णु ने उस चक्र से दैत्यों का संहार किया। इस प्रकार देवताओं को दैत्यों से मुक्ति मिली तथा सुदर्शन चक्र उनके स्वरूप के साथ सदैव के लिए जुड़ गया। भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण ने इस चक्र से अनेक राक्षसों का वध किया था। भगवान विश्वकर्मा की बेटी का विवाह भगवान सूर्य से हुआ था। शादी के बाद भी उनकी बेटी खुश नहीं थी, कारण, सूर्य की गर्मी और उनका ताप जिसके कारण वो अपना वैवाहिक जीवन नहीं जी पा रही थी, और फिर बेटी के कहने पर भगवान ने सूर्य से थोड़ी सी चमक और ताप ले के पुष्पक विमान का निर्माण किया। इसके साथ ही साथ भगवान शिव के त्रिशूल और भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र का निर्माण किया था। प्राचीन और प्रामाणिक शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि इसका निर्माण भगवान शंकर ने किया था। निर्माण के बाद भगवान शिव ने इसे श्री विष्णु को सौंप दिया था। सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु को कैसे प्राप्त हुआ, इस विषय में एक कथा प्रचलित है, जो इस प्रकार है- प्राचीन समय में 'वीतमन्यु' नामक एक ब्राह्मण थे। वह वेदों के ज्ञाता थे। उनकी 'आत्रेयी' नाम की पत्नी थी, जो सदाचार युक्त थीं। उन्हें लोग 'धर्मशीला' के नाम से भी बुलाते थे। इस ब्राह्मण दंपति का एक पुत्र था, जिसका नाम 'उपमन्यु' था। परिवार बेहद निर्धनता में पल रहा था। गरीबी इस कदर थी कि धर्मशीला अपने पुत्र को दूध भी नहीं दे सकती थी। वह बालक दूध के स्वाद से अनभिज्ञ था। धर्मशीला उसे चावल का धोवन ही दूध कहकर पिलाया करती थी। एक दिन ऋषि वीतमन्यु अपने पुत्र के साथ कहीं प्रीतिभोज में गये। वहाँ उपमन्यु ने दूध से बनी हुई खीर का भोजन किया, तब उसे दूध के वास्तविक स्वाद का पता लग गया। घर आकर उसने चावल के धोवन को पीने से इंकार कर दिया। दूध पाने के लिए हठ पर अड़े बालक से उसकी माँ धर्मशीला ने कहा- "पुत्र, यदि तुम दूध को क्या, उससे भी अधिक पुष्टिकारक तथा स्वादयुक्त पेय पीना चाहते हो तो विरूपाक्ष महादेव की सेवा करो। उनकी कृपा से अमृत भी प्राप्त हो सकता है।" उपमन्यु ने अपनी माँ से पूछा- "माता, आप जिन विरूपाक्ष भगवान की सेवा-पूजा करने को कह रही हैं, वे कौन हैं?" धर्मशीला ने अपने पुत्र को बताया कि प्राचीन काल में श्रीदामा नाम से विख्यात एक महान असुर राज था। उसने सारे संसार को अपने अधीन करके लक्ष्मी को भी अपने वश में कर लिया। उसके यश और प्रताप से तीनों लोक श्रीहीन हो गये। उसका मान इतना बढ़ गया था कि वह भगवान विष्णु के श्रीवत्स को ही छीन लेने की योजना बनाने लगा। उस महाबलशाली असुर की इस दूषित मनोभावना को जानकर उसे मारने की इच्छा से भगवान विष्णु महेश्वर शिव के पास गये। उस समय महेश्वर हिमालय की ऊंची चोटी पर योगमग्न थे। तब भगवान विष्णु जगन्नाथ के पास जाकर एक हजार वर्ष तक पैर के अंगूठे पर खड़े रह कर परब्रह्म की उपासना करते रहे। भगवान विष्णु की इस प्रकार कठोर साधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें 'सुदर्शन चक्र' प्रदान किया। उन्होंने सुदर्शन चक्र को देते हुए भगवान विष्णु से कहा- "देवेश! यह सुदर्शन नाम का श्रेष्ठ आयुध बारह अरों, छह नाभियों एवं दो युगों से युक्त, तीव्र गतिशील और समस्त आयुधों का नाश करने वाला है। सज्जनों की रक्षा करने के लिए इसके अरों में देवता, राशियाँ, ऋतुएँ, अग्नि, सोम, मित्र, वरुण, शचीपति इन्द्र, विश्वेदेव, प्रजापति, हनुमान,धन्वन्तरि, तप तथा चैत्र से लेकर फाल्गुन तक के बारह महीने प्रतिष्ठित हैं। आप इसे लेकर निर्भीक होकर शत्रुओं का संहार करें। तब भगवान विष्णु ने उस सुदर्शन चक्र से असुर श्रीदामा को युद्ध में परास्त करके मार डाला। इस आयुध की खासियत थी कि इसे तेजी से हाथ से घुमाने पर यह हवा के प्रवाह से मिल कर प्रचंड़ वेग से अग्नि प्रज्जवलित कर दुश्मन को भस्म कर देता था। यह अत्यंत सुंदर, तीव्रगामी, तुरंत संचालित होने वाला एक भयानक अस्त्र था। भगवान श्री कृष्ण के पास यह देवी की कृपा से आया। यह चांदी की शलाकाओं से निर्मित था। इसकी ऊपरी और निचली सतहों पर लौह शूल लगे हुए थे। इसके साथ ही इसमें अत्यंत विषैले किस्म के विष, जिसे द्विमुखी पैनी छुरियों मे रखा जाता था, इसका भी उपयोग किया गया था। इसके नाम से ही विपक्षी सेना में मौत का भय छा जाता था। श्रेणी:पुराण श्रेणी:हिन्दू पौराणिक हथियार श्रेणी:शस्त्र.

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हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत,नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म कहा जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है। .

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जलप्रपात

जल प्रपात एक प्रमुख प्रवाही जल (नदी) कृत अपरदनात्मक स्थलरुप हैं। .

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निवर्तमानआने वाली
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