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मनोवैज्ञानिक युद्ध

सूची मनोवैज्ञानिक युद्ध

अफगानिस्तान में तालिबान-विरोधी भावना उत्पन्न करने के लिये अमेरिका द्वारा प्रसारित एक पत्रक दक्षिण वियतनाम में प्रसारित एक पत्रक मनोवैज्ञानिक युद्ध (Psychological warfare (PSYWAR)) आधुनिक मनोवैज्ञानिक आपरेशनों के मूल हथियार हैं। इन्हें अन्य नामों (Psy Ops, Political Warfare, “Hearts and Minds,” and Propaganda आदि) से भी जाना जाता है। मनोवैज्ञानिक युद्ध के अन्तर्गत बहुत सी तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। ये तकनीकें लक्षित जनसमुदाय के मूल्य तंत्र (value systems), विश्वासों (belief systems), आवेगों (emotions), वाहकों (motives), तर्क-वितर्क (reasoning) एवं व्यवहार आदि को प्रभावित करने के उद्देश्य से की जातीं हैं। मनोवैज्ञानिक युद्ध के लक्ष्य सरकारें, संगठन, समूह या व्यक्ति हो सकते हैं। .

3 संबंधों: सैनिक मनोविज्ञान, सूचना संग्राम, अधिप्रचार

सैनिक मनोविज्ञान

सैनिक अभियानों के लिये आवश्यक मित्र या शत्रु के सशस्त्र बलों के व्यवहार का अध्ययन, समझ और अनुमान लगाने के प्रयुक्त मनोविज्ञान को सैन्य मनोविज्ञान या सैनिक मनोविज्ञान (Military psychology) कहते हैं। सैनिक मनोविज्ञान का उपयोग सेना के लोगों को परामर्श देने, उनके तनाव एवं श्रांति (थकान) को कम करने तथा सैन्य अभियानों के कारण आये मानसिक अभिघात (trauma) की चिकित्सा के लिये भी किया जाता है। सैन्य-मनोविज्ञान, एक सैनिक के संपूर्ण क्रियाकलाप का वैज्ञानिक पद्धति से अध्ययन करता है। वह सैनिक के उत्साह, साहस, अनुशासन, भय, नेतृत्व आदि के विषय में मनोवैज्ञानिक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। आधुनिक युद्धों का प्रमुख उद्देश्य शुत्र को अपनी नीतियों मानने के लिए तथा आत्मसमर्पण करने के लिये विवश करना होता है। क्योंकि आधुनिक युद्धों की सफलता केवल सैनिक कार्यवाहियों पर ही निर्भर नहीं होती, बल्कि उसमें मनोवैज्ञानिक तत्वों का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। मनोवैज्ञानिक उपायों का उपयोग कर शत्रु के मनोबल को तोड़ दिया जाता है। सैन्य कार्यवाही केवल युद्धकाल तक ही सीमित होती हैं, जबकि मनोवैज्ञानिक युद्ध शांतिकाल में भी चलती रहती है। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान मानसिक तनाव की स्थिति में युद्धभूमि से पलायन कर रहे सैनिकों के मनोबल को पुनः स्थापित करने के लिये सैन्य मनोविज्ञान का उपयोग किया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान् सैनिकों के व्यक्तित्व परीक्षण एवम् अभिरूचि परीक्षण में सैन्य मनोविज्ञान की अहम् भूमिका रही थी। स्पष्ट है कि युद्ध और मनोविज्ञान का आपस में गहरा संबंध है और उन्हें अलग किया जाना संभव नहीं। आधुनिक सेना की रचना को देखते हुए यह अत्यंत आवश्यक प्रतीत होता है कि विभिन्न शाखाओं के संचालन हेतू अत्यधिक ज्ञान एवम् कुशलता की आवश्यकता है। महर्षि शुक्राचार्य ने शुक्रनीति के अंतर्गत मनोवैज्ञानिक युद्ध के रूपों का उल्लेख किया है, यथा - .

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सूचना संग्राम

अपने विरोधी पर स्पर्धात्मक लाभ प्राप्त करने के लिये सूचना के सही प्रबन्धन करना सूचना संग्राम कहलाता है। सूचना के आज के युग में सूचना संग्राम में महारत होना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। सूचना संग्राम के अन्तर्गत रणोपयोगी सूचना का एकत्रीकरण, यह सुनिश्चित करना कि आपके पास संग्रहित सूचना सही है, दुस्प्रचार करना, गलत सूचना देना, ऐसी सूचना देना जिससे शत्रु पक्ष और उसकी जनता का मनोबल गिराया जा सके, योजनाबद्ध तरीके से विरोधी की सूचना में गलतियाँ मिश्रित करना, विरोधी को सूचना इकट्ठा करने में अवरोध खडे करना आदि आते हैं। .

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अधिप्रचार

सैम चाचा के बाहों में बाहें डाले ब्रितानिया: प्रथम विश्वयुद्ध में अमेरिकी-ब्रितानी सन्धि का प्रतीकात्मक चित्रण अधिप्रचार (Propaganda) उन समस्त सूचनाओं को कहते हैं जो कोई व्यक्ति या संस्था किसी बड़े जन समुदाय की राय और व्यवहार को प्रभावित करने के लिये संचारित करती है। सबसे प्रभावी अधिप्रचार वह होता है जिसकी सामग्री प्रायः पूर्णतः सत्य होती है किन्तु उसमें थोडी मात्रा असत्य, अर्धसत्य या तार्किक दोष से पूर्ण कथन की भी हो। अधिप्रचार के बहुत से तरीके हैं। दुष्प्रचार का उद्देश्य सूचना देने के बजाय लोगों के व्यवहार और राय को प्रभावित करना (बदलना) होता है। .

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