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भौतिक परिवर्तन

सूची भौतिक परिवर्तन

भौतिक परिवर्तन (Physical change) की संकल्पना (कांसेप्ट) रासायनिक परिवर्तन की संकल्पना से भेद (अन्तर) स्पष्ट करने के लिये की गयी है। भौतिक परिवर्तन के अन्तर्गत वे सभी परिवर्तन आते हैं जिनमें पदार्थ की रासायनिक प्रकृति या रासायनिक पहचअन में कोई परिवर्तन नहीं होता है। इसके विपरीत रासायनिक परिवर्तन होने की दशा में पदार्थों की संरचना बदल जाती है - एक या अधिक पदार्थ मिलकर या टूटकर नये पदार्थ बनाते हैं। कभी-कभी यह कहना कठिन होता है कि परिवर्तन भौतिक है या रासायनिक। उदाहरण के लिये किसी लवण को पानी में घोलने पर उस लवण के रासायनिक बन्ध (केमिकल बॉण्ड) टूट जाते हैं; फिर भी इसे प्रायः भौतिक परिवर्तन ही कहा जाता है। कुछ लोग कहते हैं कि रासायनिक परिवर्तन में परमाणुओं का पुनर्व्यवस्था होती है, किन्तु बहुत से भौतिक परिवर्तनों में भी परमाणुओं की पुनःव्यवस्था देखने को मिलती है। यहाँ तक कि बहुत से रासायनिक परिवर्तन व्युत्क्रमणीय (reversible) नहीं हैं जबकि बहुत से भौतिक परिवर्तन व्युत्क्रमणीय हैं। .

5 संबंधों: ताम्र, रासायनिक परिवर्तन, रासायनिक आबंध, लवण, अवधारणा

ताम्र

तांबा (ताम्र) एक भौतिक तत्त्व है। इसका संकेत Cu (अंग्रेज़ी - Copper) है। इसकी परमाणु संख्या 29 और परमाणु भार 63.5 है। यह एक तन्य धातु है जिसका प्रयोग विद्युत के चालक के रूप में प्रधानता से किया जाता है। मानव सभ्यता के इतिहास में तांबे का एक प्रमुख स्थान है क्योंकि प्राचीन काल में मानव द्वारा सबसे पहले प्रयुक्त धातुओं और मिश्रधातुओं में तांबा और कांसे (जो कि तांबे और टिन से मिलकर बनता है) का नाम आता है। .

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रासायनिक परिवर्तन

जब कोई पदार्थ किसी अन्य पदार्थ से मिलकर एक नया पदार्थ बनता है (संश्लेषण), या जब कोई पदार्थ दो या अधिक पदार्थों में वियोजित (डीकम्पोज) होता है, तो इसे रासायनिक परिवर्तन (Chemical change) कहते हैं। इन प्रक्रमो को रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं जो प्रायः अनुत्क्रमणीय होती हैं। उदाहरण लोहे पर जंग लगना, अगरबत्ती का जलना ध का जमना दूध का लना दूध दूध जलना लना ना ना रासायनिक परिवर्तनों को समझना, रसायन विज्ञान का प्रमुख कार्य है। श्रेणी:रासायनिक अभिक्रिया.

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रासायनिक आबंध

यह '''लेविस डॉट चित्र''' है जो कि रासायनिक आबंध दर्शाने में मददगार है किसी अणु में दो या दो से अधिक परमाणु जिस बल के द्वारा एक दूसरे से बंधे होते हैं उसे रासायनिक आबन्ध (केमिकल बॉण्ड) कहते हैं। ये आबन्ध रासायनिक संयोग के बाद बनते हैं तथा परमाणु अपने से सबसे पास वाली निष्क्रिय गैस का इलेक्ट्रान विन्यास प्राप्त कर लेते हैं। दूसरे शब्दों में, रासायनिक आबन्ध वह परिघटना है जिसमें दो या दो से अधिक अणु या परमाणु एक दूसरे से आकर्षित होकर और जुड़कर एक नया अणु या आयन बनाते हैं (एक विशेष प्रकार के बन्धन 'धात्विक बन्धन' में यह प्रक्रिया भिन्न होती है)। यह प्रक्रिया सूक्ष्म स्तर पर होती है, लेकिन इसके परिणाम का स्थूल रूप में अवलोकन किया जा सकता है, क्योंकि यही प्रक्रिया अनेकानेक अणुओं और परमाणुओं के साथ होती है। गैस में ये नये अणु स्वतन्त्र रूप से मौजू़द रहते हैं, द्रव में अणु या आयन ढीले तौर पर जुडे रहते हैं और ठोस में ये एक आवर्ती (दुहराव वाले) ढाँचे में एक दूसरे से स्थिरता से जुड़े रहते हैं। .

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लवण

लवण (Salt) वह यौगिक है जो किसी अम्ल के एक, या अधिक हाइड्रोजन परमाणु को किसी क्षारक के एक, या अधिक धनायन से प्रतिस्थापित करने पर बनता है। खानेवाला नमक एक प्रमुख लवण है। रसायनत: यह नमक सोडियम और क्लोरीन का सोडियम क्लोराइड नामक यौगिक है। पोटैशियम नाइट्रेट एक दूसरा लवण है, जो नाइट्रिक अम्ल के हाइड्रोजन आयन को पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के पोटैशियम आयन (धनायन) द्वारा प्रतिस्थापित करने से बनता है। नाइट्रिक अम्ल के अणु में केवल एक हाइड्रोजन होता है, जो पोटैशियम से प्रतिस्थापित होता है। सल्फ्यूरिक अम्ल में प्रतिस्थापनीय हाइड्रोजन की संख्या दो है। अत: सोडियम द्वारा सल्फ्यूरिक अम्ल के दोनों हाइड्रोजन के प्रतिस्थापित होने पर सोडियम सल्फेट नामक लवण प्राप्त होता है। दोनों ही यौगिक लवण कहलाते हैं। पहला नॉर्मल (normal) लवण और दूसरा अम्लीय लवण कहलाता है। विविध अम्लों और विविध क्षारों के सहयोग से अनेक लवण बने हैं। .

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अवधारणा

अवधारणा या संकल्पना भाषा दर्शन का शब्द है जो संज्ञात्मक विज्ञान, तत्त्वमीमांसा एवं मस्तिष्क के दर्शन से सम्बन्धित है। इसे 'अर्थ' की संज्ञात्मक ईकाई; एक अमूर्त विचार या मानसिक प्रतीक के तौर पर समझा जाता है। अवधारणा के अंतर्गत यथार्थ की वस्तुओं तथा परिघटनाओं का संवेदनात्मक सामान्यीकृत बिंब, जो वस्तुओं तथा परिघटनाओं की ज्ञानेंद्रियों पर प्रत्यक्ष संक्रिया के बिना चेतना में बना रहता है तथा पुनर्सृजित होता है। यद्यपि अवधारणा व्यष्टिगत संवेदनात्मक परावर्तन का एक रूप है फिर भी मनुष्य में सामाजिक रूप से निर्मित मूल्यों से उसका अविच्छेद्य संबंध रहता है। अवधारणा भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त होती है, उसका सामाजिक महत्व होता है और उसका सदैव बोध किया जाता है। अवधारणा चेतना का आवश्यक तत्व है, क्योंकि वह संकल्पनाओं के वस्तु-अर्थ तथा अर्थ को वस्तुओं के बिम्बों के साथ जोड़ती है और हमारी चेतना को वस्तुओं के संवेदनात्मक बिम्बों को स्वतंत्र रूप से परिचालित करने की संभावना प्रदान करती है। .

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