लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

भूरेस्वर महादेव मन्दिर

सूची भूरेस्वर महादेव मन्दिर

भूरेश्वर महादेव मन्दिर का बरामदा मन्दिर का मुख्य दरवाजा '''शंकर पेड़''' दो मुँह वाला सर्प '''मन्दिर का मानचित्र''' सरावन का भूरेश्वर महादेव मन्दिर “जालौन जिले में एक प्राचीन मन्दिर है,जिसकी स्थापना 1400 वर्ष पूर्व में की गई थी| जिसे भूरेश्वर महादेव  मन्दिर के नाम से जाना जाता है| जो जालौन रामपुरा रोड पर एक स्थान राजपुरा पड़ता है| उस राजपुरा स्थान से 200 मीटर पहले सरावन श्रमदान पड़ता है जिसकी दूरी जालौन से लगभग 20 किलोमीटर और रामपुरा से 16 किलोमीटर लगभग में है जिस पर हर 1 घण्टे में बसें आती जाती  रहतीं हैं और भी अन्य साधन उपलब्ध रहते हैं सरावन श्रमदान से सरावन गांव की दूरी लगभग 3 किलोमीटर है जिस पर साधन की कोई व्यवस्था नहीं है| सरावन से बोहरा रोड जो पश्चिम दिशा में है| उस रोड पर 200 मीटर चलने के बाद नाला की पुलिया है| वहां से 100 मीटर उत्तर दिशा में मन्दिर बना हुआ है |” भ्रमण की रूपरेखा- 6 अप्रैल 2018 दिन शुक्रवार को हम अपने ग्राम से मोटरसाइकिल से अपने दोस्त सुशील के साथ सरावन भूरेश्वर मन्दिर पर पहुँचे| जिसकी दूरी हमारे ग्राम से 9 किलोमीटर है| पर मन्दिर  पहुँचने से पहले हमको एक सर्प मिला जिसके दोनों तरफ मुँह था| वहाँ पर रुककर हमने उस सर्प के दर्शन किये| इसके बाद मन्दिर पर पहुँचे| वहाँ बाबा बीरेन्द्र दास मिले और बाबा बीरेन्द्र दास जी ने मन्दिर के निर्माण से लेकर वर्तमान की स्थिति को अवगत कराया,उसके बाद उन्होंने बताया कि आपको शेष जानकारी संतोष भदौरिया देगें वे वर्तमान राजा के मंत्री हैं जिससे उनको सारी जानकारी उपलब्ध है| क्योंकि वहां के राजा वीरेंद्र विक्रम सिंह इस मन्दिर पर किसी को कोई भी कार्य नहीं करने देते हैं| मन्दिर का अवलोकन-                                                                                       मन्दिर की सारी स्थिति हम लोगों ने वहीं जाकर देखी और उसका अवलोकन किया उस मन्दिर में 3 दिशाओं में दरवाजे हैं,जो कि मुख्य दरवाजा पूरब की ओर दूसरा दरवाजा उत्तर की ओर और तीसरा दरवाजा दक्षिण की ओर स्थित हैं इन दरवाजों की स्तिथि का कारण पूछा तो बताया गया कि शिवरात्रि के दिन बहुत सारे श्रद्धालु आते हैं जिस कारण 1 दरवाजे से पूरे लोग दर्शन नहीं कर पाते इस वजह से अलग-अलग 2 दरवाजे और लगवाए गए जिसमें एक तरफ से महिलाएं व एक तरफ से पुरुष जाते हैं, और पूरब के दरबाजे से धीरे-धीरे लोग बाहर निकल आते हैं|| शिवलिंग के सफेद होने के कारण इस मन्दिर का नाम भूरेश्वर महादेव मन्दिर पड़ गया| बाराबंकी जिले के रामनगर में स्थित लोधेश्वर महादेव स्थान पर लाखों काँवरिया जाते हैं| और वहाँ से जल चढ़ाकर लौटते वक्त सरावन में स्थित भूरेश्वर महादेव मन्दिर में जल चढ़ाने के बाद ही अपने गांव को जाते हैं| इस मन्दिर को वर्षों से ऐसे ही देखते आ रहे हैं| जिसका मुख्य द्वार पूर्व, निकास दक्षिण व आगमन उत्तर की ओर है| और छत 6  खंभों पर है| शिवलिंग को लेकर बताया जाता है कि सुबह,दोपहर और शाम अलग-अलग आभास होता है| मन्दिर से लगभग500 मीटर की दूरी पर रियासत के राजा अपनी ही रियासत में  शिवरात्रि से लेकर होली तक लगभग एक माह का मेला लगवाते हैं| मन्दिर का निर्माण- माधौगढ़ तहसील क्षेत्र के ग्राम सरावन के  भूरेश्वर महादेव मन्दिर का शिवलिंग प्रत्येक वर्ष एक चावल भर बढ़ता है| यही वजह है कि शिवलिंग की ऊंचाई 96 सेंटीमीटर हो गई है| शिवरात्रि के पर्व पर लाखों श्रद्धालु यहां माथा टेक कर खुद को धन्य मानते हैं| ऐसे ही शिवरात्रि पर आगे भी यहां बड़ी संख्या में भक्तों के आने की संभावना है| इसे ध्यान में रखते हुए मन्दिर के कार्यकर्ता लगभग 15 दिन पहले से ही मन्दिर की साफ-सफाई और सजावट शुरू कर देते हैं सरावन के राजा वीरेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि मन्दिर लगभग 1400 वर्ष पुराना है| और रियासत के राजा श्रवन देव एकबार हस्तिनापुर गए थे| वहाँ उन्हें शिव ने स्वप्न में आकर शिवलिंग स्थापित करने को कहा, वहाँ से राजा  छोटी मूर्ति लेकर आए थे, और गाँव के पास ही एक जगह रख दी थी और उसे किसी पुनीत स्थान पर स्थापित करना चाहते थे अदभुत बात यह हुयी की अनेक प्रयासों के बावजूद भी राजा तथा अन्य लोग इस मूर्ति को तिल भर भूमि न छुड़ा सके,अन्तत: राजा ने विवश होकर मूर्ति को वहीं स्थापित करवा दिया| तभी से यह शिवलिंग इसी जगह स्थापित हैं| राजा श्रवन के नाम पर गांव का नाम पुराने कागजों में दर्ज है लेकिन भाषा के धारा प्रवाह के कारण ‘श्रवण’ शब्द गाँव की बोली में बोलते-बोलते ठेठ होकर  ‘सरावन’ शब्द बन गया तभी से गाँव का नाम सरावन पड़ा| शिवलिंग के सफेद होने के कारण इस मन्दिर का नाम भूरेश्वर महादेव पड़ा| बाराबंकी जिले के रामनगर में स्थित लोधेश्वर महादेव स्थान में लाखों काँवरिया जाते हैं| और जल चढ़ाकर लौटते वक्त सरावन में स्थित भूरेश्वर महादेव मन्दिर में जल चढ़ाने के बाद ही अपने गाँव को जाते हैं| मन्दिर को वर्षों से ऐसे ही देखते आ रहे हैं| मुख्य द्वार पूर्व, निकास दक्षिण व आगमन उत्तर की ओर है| छत 6  खंभों पर है| शिवलिंग के विषय में बताया जाता है कि सुबह, दोपहर और शाम यह शिवलिंग लोगों के देखने में अलग-अलग प्रतीत होती है| शिवरात्रि से मन्दिर पर मेला लग जाता है वहीं 1 माह के लिए रियासत के राजा अपनी ही रियासत में मेला लगवाते हैं| आज जिस स्थान पर मन्दिर है वहाँ पर बड़े-बड़े पेड़ है जिनकी छाया होती है| वहां पर एक कुंआ भी है| जिस पर लोग पहले पानी पीते थे और स्नान भी करते थे| राजा श्रवन देव ने मन्दिर बनवाया| जिसकी लम्बाई×चौड़ाई.

0 संबंधों

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »