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बेढंगी गैलेक्सी

सूची बेढंगी गैलेक्सी

ऍन॰जी॰सी॰ १४२७ए पृथ्वी से ५.२ करोड़ प्रकाश-वर्ष दूर स्थित एक बेढंगी आकाशगंगा है बेढंगी गैलेक्सी या इर्रेग्युलर गैलेक्सी ऐसी गैलेक्सी को कहते जिसका कोई व्यवस्थित आकार न हो, यानि यह हबल अनुक्रम की सर्पिल, लेंसनुमा और अंडाकार की किसी श्रेणी में ना आये। इनका आकार टेढ़ा-मेढ़ा होता है और इनमें न तो साफ़ भुजाएं होती हैं न ही केंद्रीय गोला जो की व्यवस्थित गैलेक्सियों में नज़र आते हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है के हमारे ब्रह्माण्ड में लगभग २५% गैलेक्सियाँ ऐसी बेढंगी होती हैं। माना जाता है के इनमें से अधिकतर कभी सर्पिल या अंडाकार रही होती हैं लेकिन गुरुत्वाकर्षण के अस्त-व्यस्त प्रभावों से इनका आकार बिगड़ जाता है। देखा गया है के बेढंगी गैलेक्सियों में गैस और धूल की बहुत तादाद होती है। हमारी अपनी गैलेक्सी आकाशगंगा के इर्द-गिर्द घूमती कुछ उपग्रही गैलेक्सियाँ, जैसे की बड़ा और छोटा मॅजलॅनिक बादल बेढंगी गैलेक्सियाँ हैं। .

11 संबंधों: मन्दाकिनी, मॅजलॅनिक बादल, लेंसनुमा गैलेक्सी, सर्पिल गैलेक्सी, हबल अनुक्रम, खगोलीय धूल, गुरुत्वाकर्षण, आकाशगंगा, अरबी भाषा, अंडाकार गैलेक्सी, अंग्रेज़ी भाषा

मन्दाकिनी

समान नाम के अन्य लेखों के लिए देखें मन्दाकिनी (बहुविकल्पी) जहाँ तक ज्ञात है, गैलेक्सी ब्रह्माण्ड की सब से बड़ी खगोलीय वस्तुएँ होती हैं। एनजीसी ४४१४ एक ५५,००० प्रकाश-वर्ष व्यास की गैलेक्सी है मन्दाकिनी या गैलेक्सी, असंख्य तारों का समूह है जो स्वच्छ और अँधेरी रात में, आकाश के बीच से जाते हुए अर्धचक्र के रूप में और झिलमिलाती सी मेखला के समान दिखाई पड़ता है। यह मेखला वस्तुत: एक पूर्ण चक्र का अंग हैं जिसका क्षितिज के नीचे का भाग नहीं दिखाई पड़ता। भारत में इसे मंदाकिनी, स्वर्णगंगा, स्वर्नदी, सुरनदी, आकाशनदी, देवनदी, नागवीथी, हरिताली आदि भी कहते हैं। हमारी पृथ्वी और सूर्य जिस गैलेक्सी में अवस्थित हैं, रात्रि में हम नंगी आँख से उसी गैलेक्सी के ताराओं को देख पाते हैं। अब तक ब्रह्मांड के जितने भाग का पता चला है उसमें लगभग ऐसी ही १९ अरब गैलेक्सीएँ होने का अनुमान है। ब्रह्मांड के विस्फोट सिद्धांत (बिग बंग थ्योरी ऑफ युनिवर्स) के अनुसार सभी गैलेक्सीएँ एक दूसरे से बड़ी तेजी से दूर हटती जा रही हैं। ब्रह्माण्ड में सौ अरब गैलेक्सी अस्तित्व में है। जो बड़ी मात्रा में तारे, गैस और खगोलीय धूल को समेटे हुए है। गैलेक्सियों ने अपना जीवन लाखो वर्ष पूर्व प्रारम्भ किया और धीरे धीरे अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त किया। प्रत्येक गैलेक्सियाँ अरबों तारों को को समेटे हुए है। गुरुत्वाकर्षण तारों को एक साथ बाँध कर रखता है और इसी तरह अनेक गैलेक्सी एक साथ मिलकर तारा गुच्छ में रहती है। प्रारंभ में खगोलशास्त्रियों की धारणा थी कि ब्रह्मांड में नई गैलेक्सियों और क्वासरों का जन्म संभवत: पुरानी गैलेक्सियों के विस्फोट के फलस्वरूप होता है। लेकिन यार्क विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्रियों-डॉ॰सी.आर.

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मॅजलॅनिक बादल

बड़ा और छोटा मॅजलॅनिक बादल मॅजलॅनिक बादल (Magellanic Clouds), हमारी मंदाकिनी से लगी हुई अनियमित आकार की दो पडोसी बौनी आकाशगंगाएं है। बड़ा मॅजलॅनिक बादल (LMC) हमसे 1,60,000 प्रकाश वर्ष दूर है और छोटा मॅजलॅनिक बादल (SMC) हमसे 1,80,000 प्रकाश वर्ष दूर है। दोनों को ही दक्षिणी अर्धगोलार्ध मे नंगी आंखों से देखा जा सकता है। इनकी उपस्थिति को पहली बार 1519 मे पुर्तगाली अन्वेषक फर्डीनैंड मॅजलॅन (Ferdinand Magellan) द्वारा दर्ज किया गया था। बाद मे वें उन्हीं पर नामित हो गये। मॅजलॅनिक बादल दो बेढंगी बौनी गैलेक्सियाँ हैं जो हमारी गैलेक्सी, आकाशगंगा, की उपग्रह हैं और हमारी समीपी गैलेक्सियों के स्थानीय समूह के सदस्य हैं। इन्हें पृथ्वी के आकाश में सिर्फ़ दक्षिणी गोलार्ध (हॅमिस्फ्येर) से देखा जा सकता है। इन दो गैलेक्सियों के नाम हैं -.

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लेंसनुमा गैलेक्सी

स्पिंडल गैलेक्सी (जिसे ऍन॰जी॰सी॰ ५८६६ भी कहते हैं) एक लेंसनुमा गैलेक्सी है - हालांकि बहुत सी लेंसनुमा गैलेक्सियों में अंतरतारकीय माध्यम में धूल बहुत कम होती है, इस वाली में बहुत है और इस चित्र में साफ़ देखी जा सकती है लेंसनुमा गैलेक्सी या लॅन्टिक्युलर गैलेक्सी किसी लेंस के आकार वाली गैलेक्सी को कहते हैं और यह हबल अनुक्रम में सर्पिल गैलेक्सी और अन्डेनुमा गैलेक्सी की दो श्रेणियों के बीच की एक श्रेणी है। सर्पिल गैलेक्सियों की तरह यह भी एक चक्र के आकार में होती हैं लेकिन इनके अंतरतारकीय माध्यम में अक्सर बहुत कम घनत्व होता है क्योंकि यह वहाँ की अधिकाँश धूल, गैस और प्लाज़्मा खो चुकी होती हैं। इस वजह से इनमें नए तारे बहुत कम बनते हैं और इनके अधिकतर तारे बूढ़े हो रहे होते हैं। जहाँ सर्पिल गैलेक्सियों में भुजाएं एक मुख्य आकृति होती हैं, वहाँ लेंसनुमा गैलेक्सियों में यह भुजाएं साफ़ नहीं बनी होतीं और अगर पृथ्वी से इन्हें ऊपर से न देखा जा सके तो इनमें और अन्डेनुमा गैलेक्सियों में अंतर बताना मुश्किल होता है। .

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सर्पिल गैलेक्सी

मॅसिये १०१ और एन॰जी॰सी॰ ५४५७ के नाम से भी जानी जाती है) एक सर्पिल गैलेक्सी है सर्पिल गैलेक्सी किसी सर्पिल (स्पाइरल) आकार वाली गैलेक्सी को कहते हैं, जैसे की हमारी अपनी गैलेक्सी, आकाशगंगा है। इनमें एक चपटा घूर्णन करता (यानि घूमता हुआ) भुजाओं वाला चक्र होता है जिसमें तारे, गैस और धूल होती है और जिसके बीच में एक मोटा उभरा हुआ तारों से घना गोला होता है। इसके इर्द-गिर्द एक कम घना गैलेक्सीय सेहरा होता है जिसमें तारे अक्सर गोल तारागुच्छों में पाए जाते हैं। सर्पिल गैलेक्सियों में भुजाओं में नवजात तारे और केंद्र में पुराने तारों की बहुतायत होती है। क्योंकि नए तारे अधिक गरम होते हैं इसलिए भुजाएं केंद्र से ज़्यादा चमकती हैं। दो-तिहाई सर्पिल गैलेक्सियों में भुजाएं केंद्र से शुरू नहीं होती, बल्कि केंद्र का रूप एक खिचे मोटे डंडे सा होता है जिसके बीच में केन्द्रीय गोला होता है। भुजाएं फिर इस डंडे से निकलती हैं। क्योंकि मनुष्य पृथ्वी पर आकाशगंगा के अन्दर स्थित है, इसलिए हम पूरी आकाशगंगा के चक्र और उसकी भुजाओं को देख नहीं सकते। २००८ तक माना जाता था के आकाशगंगा का एक गोल केंद्र है जिस से भुजाएँ निकलती हैं, लेकिन अब वैज्ञानिकों का यह सोचना है के हमारी आकाशगंगा भी ऐसी डन्डीय सर्पिल गैलेक्सियों की श्रेणी में आती है। .

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हबल अनुक्रम

हबल अनुक्रम ("हबल ट्यूनिन्ग फ़ोर्क") का एक चित्रण हबल अनुक्रम गैलेक्सियों को उनकी आकृतियों के आधार पर श्रेणियों में डालने का एक तरीक़ा है जिसका आविष्कार खगोलशास्त्री ऍडविन हबल ने १९२६ में किया था। इसमें गैलेक्सियों को तीन बड़ी श्रेणियों में डाला जाता है - अंडाकार (ऍलिप्टीकल, अंडे-जैसी), लेंसनुमा (लॅन्टिक्युलर, लेंस जैसी) और सर्पिल (स्पाइरल, सर्पिल आकार)। एक चौथी श्रेणी भी होती है जिसमें वे बेढंगी गैलेक्सियाँ डाली जाती हैं जो हबल अनुक्रम की तीन व्यवस्थित श्रेणियों में से किसी में नहीं डाली जा सकतीं। हबल अनुक्रम गैलेक्सियों के लिए दुनिया की सब से अधिक प्रयोग होने वाली श्रेणीकरण विधि है। .

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खगोलीय धूल

खगोलीय धूल का कण - यह कॉन्ड्राइट, यानि पत्थरीले पदार्थ, का बना है चील नॅब्युला जहाँ गैस और खगोलीय धूल के बादल में तारे बन रहे हैं खगोलीय धूल अंतरिक्ष में मिलने वाले वह कण होते हैं जो आकार में कुछ अणुओं के झुण्ड से लेकर ०.१ माइक्रोमीटर तक होते हैं। इस धूल में कई प्रकार के पदार्थ हो सकते हैं। खगोलीय धूल ब्रह्माण्ड में कई जगह मिलती है -.

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गुरुत्वाकर्षण

गुरुत्वाकर्षण के कारण ही ग्रह, सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा पाते हैं और यही उन्हें रोके रखती है। गुरुत्वाकर्षण (ग्रैविटेशन) एक पदार्थ द्वारा एक दूसरे की ओर आकृष्ट होने की प्रवृति है। गुरुत्वाकर्षण के बारे में पहली बार कोई गणितीय सूत्र देने की कोशिश आइजक न्यूटन द्वारा की गयी जो आश्चर्यजनक रूप से सही था। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का प्रतिपादन किया। न्यूटन के सिद्धान्त को बाद में अलबर्ट आइंस्टाइन द्वारा सापेक्षता सिद्धांत से बदला गया। इससे पूर्व वराह मिहिर ने कहा था कि किसी प्रकार की शक्ति ही वस्तुओं को पृथिवी पर चिपकाए रखती है। .

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आकाशगंगा

स्पिट्ज़र अंतरिक्ष दूरबीन से ली गयी आकाशगंगा के केन्द्रीय भाग की इन्फ़्रारेड प्रकाश की तस्वीर। अलग रंगों में आकाशगंगा की विभिन्न भुजाएँ। आकाशगंगा के केंद्र की तस्वीर। ऍन॰जी॰सी॰ १३६५ (एक सर्पिल गैलेक्सी) - अगर आकाशगंगा की दो मुख्य भुजाएँ हैं जो उसका आकार इस जैसा होगा। आकाशगंगा, मिल्की वे, क्षीरमार्ग या मन्दाकिनी हमारी गैलेक्सी को कहते हैं, जिसमें पृथ्वी और हमारा सौर मण्डल स्थित है। आकाशगंगा आकृति में एक सर्पिल (स्पाइरल) गैलेक्सी है, जिसका एक बड़ा केंद्र है और उस से निकलती हुई कई वक्र भुजाएँ। हमारा सौर मण्डल इसकी शिकारी-हन्स भुजा (ओरायन-सिग्नस भुजा) पर स्थित है। आकाशगंगा में १०० अरब से ४०० अरब के बीच तारे हैं और अनुमान लगाया जाता है कि लगभग ५० अरब ग्रह होंगे, जिनमें से ५० करोड़ अपने तारों से जीवन-योग्य तापमान रखने की दूरी पर हैं। सन् २०११ में होने वाले एक सर्वेक्षण में यह संभावना पायी गई कि इस अनुमान से अधिक ग्रह हों - इस अध्ययन के अनुसार आकाशगंगा में तारों की संख्या से दुगने ग्रह हो सकते हैं। हमारा सौर मण्डल आकाशगंगा के बाहरी इलाक़े में स्थित है और आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा कर रहा है। इसे एक पूरी परिक्रमा करने में लगभग २२.५ से २५ करोड़ वर्ष लग जाते हैं। .

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अरबी भाषा

अरबी भाषा सामी भाषा परिवार की एक भाषा है। ये हिन्द यूरोपीय परिवार की भाषाओं से मुख़्तलिफ़ है, यहाँ तक कि फ़ारसी से भी। ये इब्रानी भाषा से सम्बन्धित है। अरबी इस्लाम धर्म की धर्मभाषा है, जिसमें क़ुरान-ए-शरीफ़ लिखी गयी है। .

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अंडाकार गैलेक्सी

इस चित्र के बीच में बड़े आकार में ई॰ऍस॰ओ॰ ३२५-जी००४ आकाशगंगा नज़र आ रही है, जो एक अंडाकार आकाशगंगा है (इस तस्वीर में और भी आकाशगंगाएँ देखी जा सकती हैं) अंडाकार आकाशगंगा किसी दीर्घवृत्ताभ (ऍलिप्सॉइड) आकार वाली आकाशगंगा को कहते हैं, जिसके हर भाग से लगभग बराबर की चमक आ रही हो। इनका आकार एक शुद्ध गोले से लेकर बहुत ही पिचके चपटे अंडे की तरह हो सकता है और इनमें दसियों करोड़ से लेकर दस खरब तारे हो सकते हैं। लेंसनुमा (लॅन्टिक्युलर, लेंस जैसी) और सर्पिल (स्पाइरल, सर्पिल आकार) आकाशगंगाओं के साथ, अंडाकार आकाशगंगाएँ हबल अनुक्रम की तीन मुख्य आकाशगंगाओं की श्रेणियां हैं। अंडाकार आकाशगंगाओं में पुराने तारे होते हैं और इनका अंतरतारकीय माध्यम ("इन्टरस्टॅलर मीडयम") कम घना होता है। इनमें नवजात तारे कम ही मिलते हैं। हमारे इर्द-गिर्द के ब्रह्माण्ड में लगभग १०-१५% आकाशगंगाएँ इस श्रेणी की होती हैं, लेकिन पूरे ब्रह्माण्ड में इनकी प्रतिशत संख्या इस से कम मानी जाती है। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

बेढंगी गैलेक्सियाँ, बेढंगी गैलेक्सियों, बेढंगी आकाशगंगा, बेढंगी आकाशगंगाएँ, बेढंगी आकाशगंगाओं

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