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बादल

सूची बादल

कपासी बादल, हवाई जहाज की खिड़की से लिया गया चित्र वायुमण्डल में मौज़ूद जलवाष्प के संघनन से बने जलकणों या हिमकणों की दृश्यमान राशि बादल कहलाती है। मौसम विज्ञान में बादल को उस जल अथवा अन्य रासायनिक तत्वों के मिश्रित द्रव्यमान के रूप में परिभाषित किया जाता है जो द्रव रूप में बूंदों अथवा ठोस रवों के रूप में किसी ब्रह्माण्डीय पिण्ड के वायुमण्डल में दृश्यमान हो। बादल वर्षण (वर्षा और हिमपात इत्यादि) का प्रमुख स्रोत होते हैं। बादलों का विधिवत वैज्ञानिक अध्ययन मौसम विज्ञान की बादल भौतिकी नामक शाखा में किया जाता है। .

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पक्षाभ बादल

पक्षाभ बादल सबसे अधिक ऊँचाई पर लघु हिमकणों द्वारा निर्मित उच्च मेघ या बादल हैं जो प्रायः छितराये रूप में रेशम की तरह दिखते हैं। इनका निर्माण छोटे-छोटे हिमकणों द्वारा होता हैं इसलिए इनसे होकर जब सूर्य की किरणें गुजरती हैं तो रंग श्वेत हो जाता हैं, परन्तु शाम के समय यह विविध रंगों में दृष्टिगोचर होते हैं। जब ये बादल असंगठित तथा छितराएं रूप में होते हैं तो साफ मौसम की सूचना होती हैं परन्तु जब ये संगठित होकर विस्तृत क्षेत्र में फैल जाते हैं तो खराब मौसम के आसार हो जाते हैं। इनकी कम सघनता के कारण सूर्य अथवा चंद्रमा का प्रकाश निर्बाध रूप से पृथ्वी तक पहुंचता है। .

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पक्षाभ स्तरी बादल

प्रायः श्वेत रंग के होते हैं जो कि आकाश में एक पतली दूधिया चादर के समान फैलें रहतें हैं। इनके आगमन पर सूर्य तथा चन्द्रमा के चारों ओर प्रभामण्डल बन जाते हैं, जो निकट भविष्य में चक्रवात के आगमन की सूचना देतें हैं। इनसे सूर्य तथा चंद्रमा की बाह्य रेखा धूमिल या मलिन नहीं होती है। पक्षाभ स्तरी आमतौर पर 5.5 किमी (18,000 फीट) के ऊँचाई पर स्थित होते हैं। इसकी उपस्थिति ऊपरी वायुमंडल में नमी की बड़ी मात्रा को इंगित करता है। श्रेणी:बादल श्रेणी:मौसम विज्ञान.

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पक्षाभ कपासी बादल

श्वेत रंग के ये बादल या तो छोटे-छोटे गोलाकार रुपों में या लहरनूमा रूप में पाए जाते हैं। श्रेणी:बादल श्रेणी:मौसम विज्ञान.

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बादल भौतिकी

बादल भौतिकी मौसम विज्ञान की एक उपशाखा है जिसमें बादलों का अध्ययन किया जाता है। .

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मौसम विज्ञान

वायुवेगमापी ऋतुविज्ञान या मौसम विज्ञान (Meteorology) कई विधाओं को समेटे हुए विज्ञान है जो वायुमण्डल का अध्ययन करता है। मौसम विज्ञान में मौसम की प्रक्रिया एवं मौसम का पूर्वानुमान अध्ययन के केन्द्रबिन्दु होते हैं। मौसम विज्ञान का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है किन्तु अट्ठारहवीं शती तक इसमें खास प्रगति नहीं हो सकी थी। उन्नीसवीं शती में विभिन्न देशों में मौसम के आकड़ों के प्रेक्षण से इसमें गति आयी। बीसवीं शती के उत्तरार्ध में मौसम की भविष्यवाणी के लिये कम्प्यूटर के इस्तेमाल से इस क्षेत्र में क्रान्ति आ गयी। मौसम विज्ञान के अध्ययन में पृथ्वी के वायुमण्डल के कुछ चरों (variables) का प्रेक्षण बहुत महत्व रखता है; ये चर हैं - ताप, हवा का दाब, जल वाष्प या आर्द्रता आदि। इन चरों का मान व इनके परिवर्तन की दर (समय और दूरी के सापेक्ष) बहुत हद तक मौसम का निर्धारण करते हैं। .

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संघनन

गैस से द्रव बनने की परिघटना को संघनन कहते हैं। यह वाष्पन की उल्टी है। प्रायः जल-चक्र के सन्दर्भ में ही इसका प्रयोग होता है। वर्षा भी एक प्रकार का संघनन ही है। .

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स्तरी बादल

ये चादर के समान होते हैं, तथा पतले या मोटे हो सकते हैं। इनकी उत्पत्ति प्रायः उष्ण वाताग्र पर होती है, जहाँ उष्ण वायुराशि अपेक्षाकृत ठंडी वायुराशि के संपर्क में आकर उस पर चढ़ने लगती है, यह आरोहण झटके से न होकर धीरे धीरे ढालू पथ पर होता है, परिणामस्वरूप उसकी जलवाष्प विस्तृत क्षैतिज क्षेत्रफल पर एकसमान रूप से फैले हुए बादल बनाती है।.

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स्तरी कपासी बादल

स्तरी कपासी बादल कुछ और नहीं बल्कि स्तरी बादलों का ही "बिगड़ा हुआ रूप" हैं। जब कभी स्तरी बादल उच्च स्तर पर चलने वाली पवनों से टूट-फूट जाते हैं तथा ऐसे छोटे छोटे टुकड़े वलित (.

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हिमपात

वायुमण्डल के जल के हिम बनने के कारण बर्फ धरती पर आच्छादित हो जाती है, इसे हिमपात कहते हैं। .

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जलवाष्प

जलवाष्प अथवा जल वाष्प पानी की गैसीय अवस्था है और अन्य अवस्थाओं के विपरीत अदृश्य होती है। पृथ्वी के वायुमण्डल में इसकी मात्रा लगातार परिवर्तनशील होती है। द्रव अवस्था में स्थित पानी से जलवाष्प का निर्माण क्वथन अथवा वाष्पीकरण के द्वारा होता रहता है और संघनन द्वारा जलवाष्प द्रव अवस्था में भी परिवर्तित होती रहती है। बर्फ़ से इसका निर्माण ऊर्ध्वपातन की प्रक्रिया द्वारा होता है। .

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वर्षण

वर्षण या अवक्षेपण एक मौसम विज्ञान की प्रचलित शब्दावली है जो वायुमण्डलीय जल के संघनित होकर किसी भी रूप में पृथ्वी की सतह पर वापस आने को कहते हैं। वर्षण के कई रूप हो सकते हैं जैसे वर्षा, फुहार, हिमवर्षा, हिमपात और ओलावृष्टि इत्यादि। अतः वर्षा वर्षण का एक रूप या प्रकार है। वर्षण का महत्व जलविज्ञान में भी है क्योंकि किसी भी जलसम्भर का जल बजट तय करने में इसकी प्रमुख भूमिका होती है। ऊपर उठती गर्म एवं आर्द्र वायु के संतृप्त होने तथा ओसांक की प्राप्ति के बाद संघनन होने पर वायुमंडलीय जलवाष्प के या तो तरल रूप (ओस, जलवर्षा) या ठोस रूप (हिमपात) में नीचे गिरने को वर्षण कहते हैं। .

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वर्षा

वर्षा (Rainfall) एक प्रकार का संघनन है। पृथ्वी के सतह से पानी वाष्पित होकर ऊपर उठता है और ठण्डा होकर पानी की बूंदों के रूप में पुनः धरती पर गिरता है। इसे वर्षा कहते हैं। .

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वर्षा स्तरी बादल

ये भी स्तरी बादल ही हैं। अंतर यह है, कि इनमें हाइग्रोस्कोपिक कणों की सांद्रता ज्यादा होती है, जिसके कारण इनका रंग धूसर होता है। हाइग्रोस्कोपिक कणों पर अत्यधिक संघनन के कारण ये वर्षा करने में समर्थ हो जाते हैं।.

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कपासी बादल

कपासी बादलों (Cumulus clouds) की उत्पत्ति वायु की संवहनीय धाराओं के कारण होती है जिसके कारण ये ऊर्ध्वाधर रूप से विकसित होते हैं। इनके कपास के ढेर जैसा दिखने के कारण यह नाम है। शीत वाताग्र पर ऐसे बादल, वायु के ऊर्ध्वाधर रूप से ऊपर उठने के कारण बन जाते हैं। इसी प्रकार भारत में किसी-किसी अत्यधिक गर्म दिन में, जलवाष्प युक्त हवा के सीधे ऊपर उठने से ऐसे बादल बन जाते हैं। कपासी बादलों का ही एक प्रकार कपासी वर्षी बादल हैं जो बारिश भी करते हैं, वैसे सामान्य कपासी बादल साफ़ मौसम की सूचना देते हैं। साफ़ मौसम के बाद इनका दिखाना शीत वाताग्र के आने की सूचना होता है और थोड़ी देर बाद बारिश की भी। बारिश के बाद इनका दिखाना मौसम के साफ़ हो जाने की सूचना देता है। भारत में कपासी बादल सामान्य रूप से बारिश के गुजर जाने के बाद नीले आकाश में सफ़ेद रुई के गोलों जैसे दीखते हैं। .

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कपासी वर्षी बादल

कपासी वर्षा बादल कपासी वर्षी बादल लम्बवत रचना वाले बादल होते हैं अर्थात इनका विस्तार ऊंचाई में अधिक होता है। इस वज़ह से ये पर्वत सदृश या लम्ब्वत स्तम्भ के रूप में द्रष्टिगत होते हैं। इसके साथ वर्षा ओला तथा तड़ित झंझा की अधिक सम्भावना रहती है। .

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उच्च स्तरी बादल

ये ऐसे स्तरी बादल हैं, जो इतनी अधिक ऊँचाई पर होते हैं कि तापमान कम होने के कारण वहाँ से होने वाली वर्षा बर्फ के रूप में ही होती है। श्रेणी:बादल श्रेणी:मौसम विज्ञान.

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