लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

बनारस विद्रोह

सूची बनारस विद्रोह

वह 16 अगस्त 1781 का दिन था। अचानक पूरी काशी नगरी में बिजली की भांति यह खबर फैल गई कि ईस्ट इंडिया कम्पनी के अंग्रेज अफसर वारेन हेस्टिंग्स ने काशी नरेश महाराज चेत सिंह को उनके शिवाला स्थित राजमहल में बंदी बना लिया है। कारण था, हेस्टिंग्स की घूस-खोरी। यह अंग्रेज उन दिनों दोनों हाथों से भारतीय नरेशों से रिश्वत वसूलने के लिए बदनाम था। महाराज चेत सिंह से भी इसने झूठे दोष मढ़कर 50 लाख रुपए जुर्माने के नाम पर वसूलने चाहे, जिसे उन्होंने देने से इनकार किया तो हेस्टिंग्स 4 कम्पनी सेना सहित 14 अगस्त को काशी आ धमका और वहां माधोदास सातिया के बाग में पड़ाव डाला, जोकि गोला दीनानाथ के सन्निकट था। उसे कलकत्ते से नदी के रास्ते काशी आने में एक महीने से अधिक समय लगा। वह कलकत्ता से 5 जुलाई को चला था। 16 अगस्त को उसने चेत सिंह को बंदी बना लिया। वहीं काशीवासी प्रलयंकर भगवान विश्वेश्वर विश्वनाथ के ऐसे भक्त थे जो गोमांस भक्षक अंग्रेजों को सबक सिखाना जानते थे। हजारों काशीवासियों ने जो भी हथियार हाथ लगा वह लेकर वारेन हेस्टिंग्स और उसकी सेना की घेराबंदी कर ली। अंग्रेज असावधान थे और घमण्ड में चूर थे। काशी की जनता ने लगातार 4 दिन तक अंग्रेजों से भीषण युद्ध किया, जिसमें सैकड़ों अंग्रेज काट डाले गए। हेस्टिंग्स के होश उड़ गए और उसे अपनी जान के लाले पड़ गए। तब उसने कोट-पैण्ट-टोप दूर फेंककर स्त्री वेश पहना और जनानी सवारी की तरह एक पर्देदार पालकी में जा बैठा। उस पालकी को ढोने वालों को कहा गया कि "बीबी जी देवी-दर्शन के लिए विंध्याचल देवी के दर्शनार्थ जा रही हैं।" इस तरह छलपूर्वक जनाने वेश में हेस्टिंग्स चुनार आया और वहां से पुन: जल मार्ग से ही कलकत्ता कूच कर गया। चेत सिंह काशी के जन-बल सहित अंग्रेजों पर भारी पड़े और जनता ने ही उन्हें शिवाला के महल से मुक्त कराया। तभी से उस ऐतिहासिक विजय की स्मृति में काशीवासी ये पंक्तियां कहने लगे- "घोड़े पर होदा, हाथी पर जीन, काशी से भागा, वारेन हेस्टीन।।" अर्थात् कि भयभीत वारेन हेस्टिंग्स को काशी से भागते समय ऐसी घबराहट हुई कि हाथी का हौदा उसने रखवाया घोड़े पर और घोड़े की जीन कसवाई हाथी पर और काशी से भाग निकला। .

2 संबंधों: ईस्ट इण्डिया कम्पनी, वारेन हेस्टिंग्स

ईस्ट इण्डिया कम्पनी

लन्दन स्थित ईस्ट इण्डिया कम्पनी का मुख्यालय (थॉमस माल्टन द्वारा चित्रित, १८०० ई) ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना ३१ दिसम्बर १६०० ईस्वी में हुई थी। इसे यदाकदा जॉन कंपनी के नाम से भी जाना जाता था। इसे ब्रिटेन की महारानी ने भारत के साथ व्यापार करने के लिये २१ सालो तक की छूट दे दी। बाद में कम्पनी ने भारत के लगभग सभी क्षेत्रों पर अपना सैनिक तथा प्रशासनिक अधिपत्य जमा लिया। १८५८ में इसका विलय हो गया। .

नई!!: बनारस विद्रोह और ईस्ट इण्डिया कम्पनी · और देखें »

वारेन हेस्टिंग्स

वारेन हेस्टिंग्स (6 दिसंबर 1732 – 22 अगस्त 1818), एक अंग्रेज़ राजनीतिज्ञ था, जो  फोर्ट विलियम प्रेसीडेंसी (बंगाल) का प्रथम गवर्नर तथा बंगाल की सुप्रीम काउंसिल का अध्यक्ष था और इस तरह 1773 से 1785 तक वह भारत का प्रथम वास्तविक (डी-फैक्टो) गवर्नर जनरल रहा। 1787 में भ्रष्टाचार के मामले में उस पर महाभियोग चलाया गया लेकिन एक लंबे परीक्षण के बाद उसे 1795 में अंततः बरी कर दिया गया। 1814 में उसे प्रिवी काउंसिलर बनाया गया। .

नई!!: बनारस विद्रोह और वारेन हेस्टिंग्स · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »