2 संबंधों: ऊष्मा रोधन, प्लास्टिक।
ऊष्मा रोधन
ठण्ड से बचने के लिये (अर्थात, ऊष्मा रोधकता को बढ़ाने के लिये) जन्तु अपने रोंओं या परों को कड़ा (सीधा) कर लेते हैं। दो वस्तुओं के बीच में ऊष्मा के प्रवाह में अवरोध को ऊष्मा अवरोधन (Thermal insulation) कहते हैं। ऊष्मा के रोधन के लिये विशेष रूप से अभिकल्पित प्रक्रमों, विशेष आकर तथा उपयुक्त पदार्थों का चुनाव बहुत जरूरी है। दो अलग-अलग ताप वाली वस्तुओं के सीधे सम्पर्क में आने पर उनके बीच ऊष्मा का अन्तरण अवश्य होगा। किन्तु इन दोनों वस्तुओं के बीच ऊष्मारोधी पदार्थ प्रविष्ट करा देने से ऊष्मा का प्रवाह पहले से कम होगा। कितना कम होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि ऊष्मारोधी पदार्थ की मोटाई कितनी है, उसकी ऊष्मा चालकता कितनी कम है आदि। इसी प्रकार विकिरण द्वारा ऊष्मा के प्रवाह को कम करने के लिये कुछ अन्य तरीके अपनाए जाते हैं। किसी पदार्थ की ऊष्मा चालकता जितनी कम होती है, वह उतना ही अच्छा ऊष्मारोधी होता है। ऊष्मा इंजीनियरी के क्षेत्र में ऊष्मारोधी पदार्थ के अन्य गुण हैं, घनत्व तथा विशिष्ट ऊष्मा। .
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प्लास्टिक
विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक से निर्मित घरेलू वस्तुएँ प्लास्टिक (Plastic), शंश्लेषित अथवा अर्धशंश्लेषित कार्बनिक ठोस पदार्थों के एक बड़े समूह का सामान्य नाम है। इससे बहुत सारे औद्योगिक उत्पाद निर्मित होते हैं। प्लास्टिक प्रायः उच्च अणुभार वाले बहुलक होते हैं जिनमें मूल्य कम करने या अधिक कार्यक्षम बनाने के लिये कुछ अन्य पदार्थ भी मिश्रित किये जा सकते है। प्लास्टिक पदार्थ और प्लास्टिक (पदार्थों के एक गुण) अलग-अलग हैं। एक गुण के रूप में प्लास्टिक उन पदार्थों की विशेषता का द्योतक है जो अधिक खींचने या तानने (विकृति पैदा करने) से स्थायी रूप से अपना रूप बदल देते हैं और अपने मूल स्वरूप में नहीं लौट पाते। .
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