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फाइबर-ऑप्टिक संचारण

सूची फाइबर-ऑप्टिक संचारण

फाइबर ऑप्टिक संचार में, जानकारी ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से प्रकाश भेजने के द्वारा फैलता है। फाइबर-ऑप्टिक संचारण एक प्रणाली है जिसमें सूचनाओं की जानकारी एक स्थान से दूसरे स्थान में ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से प्रकाश बिन्दुओं के रूप में भेजी जाती हैं। प्रकाश एक विद्युत चुम्बकीय तरंग वाहक विकसित करता है जो विधिवत् रूप से जानकारी को साथ ले जाते हैं। 1970 के दशक में इसे सबसे पहले विकसित किया गया, फाइबर-ऑप्टिक संचार प्रणाली ने दूरसंचार उद्योग में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है और सूचना युग के आगमन में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। विद्युत संचरण पर इसके फायदे के कारण, विकसित दुनिया में कोर नेटवर्क में ताबें की तारों की जगह काफी हद तक ऑप्टिकल फाइबर ने ले ली है। फाइबर-ऑप्टिक्स के उपयोग की संचारण प्रक्रिया में निम्नलिखित मूल चरण होते हैं: एक ट्रांसमीटर के प्रयोग को शामिल कर ऑप्टिकल संकेत बनाना, फाइबर के साथ संकेत प्रसार करना, सुनिश्चित करना कि संकेत विकृत अथवा कमजोर नहीं हो, ऑप्टिकल संकेत प्राप्त करना और उसे एक विद्युत संकेत में परिवर्तित करना। .

21 संबंधों: चार्ल्स के काव, एकीकृत परिपथ, ताम्र, प्रकाश, प्रकाश उत्सर्जक डायोड, प्रकाश-विद्युत प्रभाव, प्रकाशीय तन्तु, पूर्ण आन्तरिक परावर्तन, मॉडुलन, लेसर विज्ञान, लोकल एरिया नेटवर्क, हर्ट्ज़, विद्युत प्रतिरोध, विद्युत शक्ति, विद्युतचुंबकीय विकिरण, गैलियम आर्सेनाइड, केबल टीवी, अपवर्तनांक, अर्बियम, अल्फा कण, अंतरजाल

चार्ल्स के काव

प्रोफेसर चार्ल्स कुएन काव (जन्म: 4 नवम्बर 1933) में दूरसंचार के क्षेत्र में फाइबर ऑप्टिक्स के प्रयोग के प्रणेता हैं। काव, को व्यापक रूप से, दूरसंचार के क्षेत्र मे प्रकाशीय तंतु के प्रयोग" का पिता माना जाता है, उन्हें 2009 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार उनके असाधारण कार्य 'प्रकाश का प्रकाशीय तंतु के द्वारा प्रकाशीय संचार हेतु संचरण' के लिए संयुक्त रूप से प्रदान किया गया है। .

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एकीकृत परिपथ

माइक्रोचिप कम्पनी की इप्रोम (EPROM) स्मृति के एकीकृत परिपथ आधुनिक सरफेस माउण्ट आईसी ऐटमेल (Atmel) की एक आईसी, जिसके अन्दर स्मृति ब्लॉक, निवेश निर्गम (इन्पुट-ऑउटपुट) एवं तर्क के ब्लॉक देखे जा सकते हैं। यह एक ही चिप में पूरा तन्त्र (System on Chip) है। एलेक्ट्रॉनिकी में एकीकृत परिपथ या एकीपरि (इन्टीग्रेटेड सर्किट (IC)) को सूक्ष्मपरिपथ (माइक्रोसर्किट), सूक्ष्मचिप, सिलिकॉन चिप, या केवल चिप के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अर्धचालक पदार्थ के अन्दर बना हुआ एलेक्ट्रॉनिक परिपथ ही होता है जिसमें प्रतिरोध, संधारित्र आदि पैसिव कम्पोनेन्ट (निष्क्रिय घटक) के अलावा डायोड, ट्रान्जिस्टर आदि अर्धचालक अवयव निर्मित किये जाते हैं। जिस प्रकार सामान्य परिपथ का निर्माण अलग-अलग (डिस्क्रीट) अवयव जोड़कर किया जाता है, आईसी का निर्माण वैसे न करके एक अर्धचालक के भीतर सभी अवयव एक साथ ही एक विशिष्ट प्रक्रिया का पालन करते हुए निर्मित कर दिये जाते हैं। एकीकृत परिपथ आजकल जीवन के हर क्षेत्र में उपयोग में लाये जा रहे हैं। इनके कारण एलेक्ट्रानिक उपकरणों का आकार अत्यन्त छोटा हो गया है, उनकी कार्य क्षमता बहुत अधिक हो गयी है एवं उनकी शक्ति की जरूरत बहुत कम हो गयी है। संकर एकीकृत परिपथ भी लघु आकार के एकीपरि (एकीकृत परिपथ) होते हैं किन्तु वे अलग-अलग अवयवों को एक छोटे बोर्ड पर जोड़कर एवं एपॉक्सी आदि में जड़कर (इम्बेड करके) बनाये जाते हैं। अतः ये मोनोलिथिक आई सी से भिन्न हैं। .

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ताम्र

तांबा (ताम्र) एक भौतिक तत्त्व है। इसका संकेत Cu (अंग्रेज़ी - Copper) है। इसकी परमाणु संख्या 29 और परमाणु भार 63.5 है। यह एक तन्य धातु है जिसका प्रयोग विद्युत के चालक के रूप में प्रधानता से किया जाता है। मानव सभ्यता के इतिहास में तांबे का एक प्रमुख स्थान है क्योंकि प्राचीन काल में मानव द्वारा सबसे पहले प्रयुक्त धातुओं और मिश्रधातुओं में तांबा और कांसे (जो कि तांबे और टिन से मिलकर बनता है) का नाम आता है। .

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प्रकाश

सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित एक मेघ प्रकाश एक विद्युतचुम्बकीय विकिरण है, जिसकी तरंगदैर्ध्य दृश्य सीमा के भीतर होती है। तकनीकी या वैज्ञानिक संदर्भ में किसी भी तरंगदैर्घ्य के विकिरण को प्रकाश कहते हैं। प्रकाश का मूल कण फ़ोटान होता है। प्रकाश की तीन प्रमुख विमायें निम्नवत है।.

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प्रकाश उत्सर्जक डायोड

एल.ई.डी की आंतरिक संरचना प्रकाश उत्सर्जन डायोड (अंग्रेज़ी:लाइट एमिटिंग डायोड) एक अर्ध चालक-डायोड होता है, जिसमें विद्युत धारा प्रवाहित करने पर यह प्रकाश उत्सर्जित करता है। यह प्रकाश इसकी बनावट के अनुसार किसी भी रंग का हो सकता है। एल.ई.डी.

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प्रकाश-विद्युत प्रभाव

किसी धातु के प्लेट से एलेक्ट्रानों का उत्सर्जन प्रकाशविद्युत प्रभाव का अध्ययन करने के लिये प्रयोग। इसमें प्रकाश स्रोत एक पतली आवृत्ति बैण्ड वाला (लगभग एकवर्णी) लेते हैं। इस प्रकाश को कैथोड पर डालते हैं जो निर्वात में स्थित है। एनोड और कैथोड के बीच विभवान्तर से यह निर्धारित हो जाता है कि कैथोड से उत्सर्जित वे ही इलेक्ट्रान एनोड तक आ पायेंगे जिनके पास निकलते समय eV से अधिक गतिज ऊर्जा होगी। धारा की मात्रा (μA), प्राप्त इलेक्ट्रानों की संख्या के समानुपाती होगी। जब कोई पदार्थ (धातु एवं अधातु ठोस, द्रव एवं गैसें) किसी विद्युतचुम्बकीय विकिरण (जैसे एक्स-रे, दृष्य प्रकाश आदि) से उर्जा शोषित करने के बाद इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करता है तो इसे प्रकाश विद्युत प्रभाव (photoelectric effect) कहते हैं। इस क्रिया में जो एलेक्ट्रान निकलते हैं उन्हें "प्रकाश-इलेक्ट्रॉन" (photoelectrons) कहते हैं। सन 1887 मे एच.

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प्रकाशीय तन्तु

प्रकाशीय तंतु एक TOSLINK प्रकाश तंतु श्रव्य केबल एक सिरे से प्रदीप्त किया हुआ है प्रकाशीय तंतु (या केवल तंतु) कांच या प्लास्टिक से निर्मित एक तंतु होता है जिसके लम्बाई की दिशा में प्रकाश का संचरण हो सकता है। आजकल इनका संचार में खूब प्रयोग हो रहा है क्योंकि इनकी सहायता से अधिक दूरी तक बिना संकेत को परिवर्धित किये लेजाया जा सकता है। ये किसी विद्युतचुम्बकीय इन्टरफेरेन्स से भी बहुत कम प्रभावित होते है। .

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पूर्ण आन्तरिक परावर्तन

पूर्ण आन्तरिक परावर्तन (लाल एवं पीला) पूर्ण आन्तरिक परावर्तन (Total internal reflection) एक प्रकाशीय परिघटना है जिसमें प्रकाश की किरण किसी माध्यम के तल पर ऐसे कोण पर आपतित होती है कि उसका परावर्तन उसी माध्यम में हो जाता है। इसके लिये आवश्यक शर्त यह है कि प्रकाश की किरण अधिक अपवर्तनांक के माध्यम से कम अपवर्तनांक के माध्यम में प्रवेश करे (अर्थात सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करे) तथा आपतन कोण का मान 'क्रान्तिक कोण' से अधिक हो।। प्रकाशीय तन्तुओं का कार्य पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के सिद्धान्त पर ही आधारित है। .

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मॉडुलन

मॉडुलन (मॉड्युलेशन) एक वेवफॉर्म के संबंध में दूसरे वेवफॉर्म से अलग करने की प्रक्रिया है। दूरसंचार में अधिमिश्रण का इस्तेमाल संदेश भेजने के लिए होता है, लेकिन एक संगीतकार स्वर-सामंजस्य के लिए किसी वाद्ययन्त्र के स्वर की मात्रा, उसका समय या टाइमिंग और स्वराघात को अलग करने में इसका उपयोग करता है। अक्सर उच्च आवृति सीनूसोइड वेवफॉर्म का इस्तेमाल लो-फ्रीक्वेंसी संकेत के कैरियर संकेत के रूप में होता है। साइन वेव के तीन प्रमुख मापदंड हैं - उसका अपना आयाम ("मात्रा"), उसके चरण ("समय") और उसकी आवृत्ति ("पिच"), एक मॉड्युलेटेड सिंग्नल प्राप्त करने के लिए इन सभी संचार संकेत (संकेत) को कम फ्रीक्वेंसी के आधार पर संशोधित किया जा सकता है। जो उपकरण अधिमिश्रण को अंजाम देता है मॉड्युलेटर कहलाता है और जो उपकरण विपरीत क्रिया करता है डिमॉड्युलेटर (लेकिन कभी-कभी संसूचक या डिमोड) कहलाता है। जो उपकरण दोनों ही तरह का कार्य कर सकता है वह मॉडेम कहलाता है (जिसे संक्षेप में "मॉड्युलेटर- डिमॉड्युलेटर").

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लेसर विज्ञान

लेसर विज्ञान U.S. Air Force)). लेजर (विकिरण के उद्दीप्त उत्सर्जन द्वारा प्रकाश प्रवर्धन) एक ऐसा यंत्र है जो प्रेरित उत्‍सर्जन (stimulated emission) एक प्रक्रिया के माध्‍यम से प्रकाश (light) (चुंबकीय विकिरण) उत्‍सर्जित करता है। लेजर शब्द प्रकाश प्रवर्धन का प्रेरित उत्सर्जन के द्वारा विकीरण का संक्षिप्‍त (acronym) शब्‍द है। लेजर प्रकाश आमतौर पर आकाशिक रूप से सशक्त (coherent), होते हैं, जिसका अर्थ है कि प्रकाश या तो एक संकरे, निम्‍न प्रवाहित किरण (low-divergence beam) के रूप में निकलेगी, या उसे देखने वाले यंत्रों जैसे लैंस (lens) लैंसों की मदद से एक कर दिया जाएगा। आमतौर पर, लेजर का अर्थ संकरे तरंगदैर्ध्य (wavelength) प्रकाशपुंज से निकलने वाले प्रकाश (मोनोक्रोमेटिक प्रकाश) से लगाया जाता है। यह अर्थ सभी लेजरों के लिए सही नहीं है, हालांकि कुछ लेजर व्‍यापक प्रकाशपुंज की तरह प्रकाश उत्‍सर्जित करते हैं, जबकि कुछ कई प्रकार के विशिष्‍ट तरंगदैर्घ्य पर साथ साथ प्रकाश उत्‍सर्जित करते हैं। पारंपिरक लेसर के उत्‍सर्जन में विशिष्‍ट सामन्‍जस्‍य होता है। प्रकाश के अधिकतर अन्‍य स्रोत असंगत प्रकाश उत्‍सर्जित करते हैं जिनमें विभिन्‍न चरण (phase) होते हैं और जो समय और स्‍थान के साथ निरंतर बदलता रहता है। .

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लोकल एरिया नेटवर्क

लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) एक कंप्यूटर नेटवर्क है, जो घर, कार्यालय, अथवा स्कूल या हवाई अड्डा जैसे भवनों के छोटे समूह के लघु भौतिक क्षेत्र को आवृत करता है। वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) के विपरीत LAN को परिभाषित करने वाली विशेषताओं में शामिल हैं, आम तौर पर उनका अधिक डाटा अंतरण दर, छोटे भौगोलिक क्षेत्र और पट्टे पर दूरसंचार लाइनों की ज़रूरत का अभाव.

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हर्ट्ज़

हर्ट्ज़ आवृत्ति की अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली (SI) की इकाई है। इस का अाधार है आवर्तन प्रति सैकिण्ड या साईकल प्रति सै.

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विद्युत प्रतिरोध

आदर्श प्रतिरोधक का V-I वैशिष्ट्य। जिन प्रतिरोधकों का V-I वैशिष्ट्य रैखिक नहीं होता, उन्हें अनओमिक प्रतिरोधक (नॉन-ओमिक रेजिस्टर) कहते हैं। किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर तथा उससे प्रवाहित विद्युत धारा के अनुपात को उसका विद्युत प्रतिरोध (electrical resistannce) कहते हैं।इसे ओह्म में मापा जाता है। इसकी प्रतिलोमीय मात्रा है विद्युत चालकता, जिसकी इकाई है साइमन्स। जहां बहुत सारी वस्तुओं में, प्रतिरोध विद्युत धारा या विभवांतर पर निर्भर नहीं होता, यानी उनका प्रतिरोध स्थिर रहता है। right समान धारा घनत्व मानते हुए, किसी वस्तु का विद्युत प्रतिरोध, उसकी भौतिक ज्यामिति (लम्बाई, क्षेत्रफल आदि) और वस्तु जिस पदार्थ से बना है उसकी प्रतिरोधकता का फलन है। जहाँ इसकी खोज जार्ज ओह्म ने सन 1820 ई. में की।, विद्युत प्रतिरोध यांत्रिक घर्षण के कुछ कुछ समतुल्य है। इसकी SI इकाई है ओह्म (चिन्ह Ω).

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विद्युत शक्ति

किसी विद्युत परिपथ में जिस दर से विद्युत उर्जा स्थानान्तरित होती है उसे विद्युत शक्ति (Electric power) कहते हैं। इसका एसआई मात्रक 'वाट' (W) है। किसी परिपथ के दो नोडों के बीच विभवान्तर v(t) हो तथा इस शाखा में धारा i(t) हो तो उस शाखा द्वारा ली गयी विद्युतशक्ति, .

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विद्युतचुंबकीय विकिरण

विद्युतचुंबकीय तरंगों का दृष्यात्मक निरूपण विद्युत चुंबकीय विकिरण शून्य (स्पेस) एवं अन्य माध्यमों से स्वयं-प्रसारित तरंग होती है। इसे प्रकाश भी कहा जाता है किन्तु वास्तव में प्रकाश, विद्युतचुंबकीय विकिरण का एक छोटा सा भाग है। दृष्य प्रकाश, एक्स-किरण, गामा-किरण, रेडियो तरंगे आदि सभी विद्युतचुंबकीय तरंगे हैं। .

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गैलियम आर्सेनाइड

कोई विवरण नहीं।

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केबल टीवी

घरों में केबल टीवी का संकेत (सिगनल) ले जाने के लिये प्रायः '''समाक्षीय केबल''' (Coaxial cable) का उपयोग किया जाता है परम्परागत टीवी प्रसारण, हवा में विद्यमान टीवी सिगनलों को टीवी एन्टेना की सहायता से सीधे ग्रहण करके किया जाता है। इसके विपरीत केबल टीवी, टीवी के कार्यक्रम दिखाने का ऐसा तन्त्र है जिसमें सबसे पहले दूरदर्शन के सिगनल को किसी केन्द्रीय स्थान पर (जिसे हेड-एन्ड कहते हैं) ग्रहण करके उसे समाक्षीय केबल या प्रकाशीय फाइबर (फाईबर आपटिक्स) की सहायता से ग्राहकों के टीवी से जोड़ दिया जाता है। केबल में सिगनल डालने के पहले उसे हेडएन्ड पर निम्नलिखित प्रक्रियाओं से गुजरन्ना पड़ता है.

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अपवर्तनांक

एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने पर प्रकाश की किरण सीधी न जाकर अभिलम्ब की तरफ या अभिलम्ब से दूर मुड़ जाती है। अभिलम्ब की तरफ मुड़ेगी या अभिलम्ब से दूर जायेगी - यह दोनों माध्यमों के अपवर्तनांक पर निर्भर करता है। किसी बिन्दु से निकलने वाले वेवफ्रॉण्ट जब कम अपवर्तनांक वाले माध्यम से अधिक अपवर्तनांक वाले माध्यम में प्रवेश करते हैं तो उनमें परिवर्तन होता है। ऊपर वाले वेवफ्रॉण्ट पूर्णतः वृत्ताकार हैं जबकि नीचे वाले वृत्ताकार न होकर लगभग अतिपरवलय के आकार के हैं। किसी माध्यम (जैसे जल, हवा, कांच आदि) का अपवर्तनांक (रिफ्रैक्टिव इण्डेक्स) वह संख्या है जो बताती है कि उस माध्यम में विद्युतचुम्बकीय तरंग (जैसे प्रकाश) की चाल किसी अन्य माध्यम की अपेक्षा कितने गुना कम या अधिक है। यदि प्रकाश के सन्दर्भ में बात करें तो सोडा-लाइम कांच का अपवर्तनांक लगभग 1.5 है जिसका अर्थ यह है कि कांच में प्रकाश की चाल निर्वात में प्रकाश की चाल की अपेक्षा 1.5 गुना कम अर्थात (1/1.5 .

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अर्बियम

एक रासायनिक तत्व है। .

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अल्फा कण

अल्फा (α) कण मुख्यत हीलियम-नाभिक होते हैं। इनकी संरचना दो प्रोटानो व दो न्यूट्रानों के द्वारा होती हैं। रेडियो धर्मिता में ये कण नाभिक से उत्सर्जित होते हैं। .

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अंतरजाल

अंतरजाल का आंशिक मैप, १५ जनवरी २००५। प्रत्येक पंक्ति को दो नोड्स के बीच खींचा जाता है, आईपी पते जोड़ने से। रेखा की लंबाई नोड्स के बीच समय की देरी (पिंग) को दर्शाती है मानचित्र २००५ में डेटा संग्रह के लिए उपलब्ध कक्षा सी नेटवर्क के ३०% से कम का प्रतिनिधित्व करता है। रेखा रंग आरएफसी १९१८ के अनुसार उसके स्थान से मेल खाती है। अंतरजाल (इंटरनेट) (Internet आई पी ए: ɪntəˌnɛt) विष्व में डिवाइसों को लिंक करने के लिए इंटरनेट प्रोटोकॉल सूट (टीसीपी / आईपी) का उपयोग करने वाले इंटरकनेक्टेड कंप्यूटर नेटवर्क की वैश्विक प्रणाली है। यह नेटवर्क का एक नेटवर्क है जिसमें निजी, सार्वजनिक, शैक्षिक, व्यवसाय और वैश्विक नेटवर्क के सरकारी नेटवर्क शामिल हैं, जो कि इलेक्ट्रॉनिक, वायरलेस, और ऑप्टिकल नेटवर्किंग प्रौद्योगिकियों की व्यापक श्रेणी से जुड़ा हुआ है। इंटरनेट में सूचना संसाधनों और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला है, जैसे इंटर लिंक किए गए हाइपरटेक्स्ट दस्तावेज़ और वर्ल्ड वाइड वेब (डबल्युडबल्युडबल्यु), इलेक्ट्रॉनिक मेल, टेलीफ़ोनी और फ़ाइल साझाकरण के अनुप्रयोग। १९६० के दशक में इंटरनेट नेटवर्क की उत्पत्ति संयुक्त राज्य संघीय सरकार द्वारा कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से मज़बूत, गलती-सहिष्णु संचार के निर्माण के लिए शुरू की गई थी। १९९० के शुरुआती दिनों में वाणिज्यिक नेटवर्क और उद्यमों को जोड़ने से आधुनिक इंटरनेट पर संक्रमण की शुरुआत हुई, और तेजी से वृद्धि के कारण संस्थागत, व्यक्तिगत और मोबाइल कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़े थे। २००० के दशक के अंत तक, इसकी सेवाओं और प्रौद्योगिकियों को रोजमर्रा की जिंदगी के लगभग हर पहलू में शामिल किया गया था। टेलीफ़ोनी, रेडियो, टेलीविज़न, पेपर मेल और अखबारों सहित अधिकांश पारंपरिक संचार मीडिया, ईमेल द्वारा पुनर्निर्मित, पुनर्निर्धारित, या इंटरनेट से दूर किए जाने वाले ईमेल सेवाओं, इंटरनेट टेलीफ़ोनी, इंटरनेट टेलीविजन, ऑनलाइन संगीत, डिजिटल समाचार पत्र, और वीडियो स्ट्रीमिंग वेबसाइटें अखबार, पुस्तक, और अन्य प्रिंट प्रकाशन वेबसाइट प्रौद्योगिकी के अनुकूल हैं, या ब्लॉगिंग, वेब फ़ीड्स और ऑनलाइन समाचार एग्रीगेटर्स में पुन: स्थापित किए जा रहे हैं। इंटरनेट ने त्वरित मैसेजिंग, इंटरनेट फ़ौरम और सोशल नेटवर्किंग के माध्यम से व्यक्तिगत इंटरैक्शन के नए रूपों को सक्षम और त्वरित किया है। ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं और छोटे व्यवसायों और उद्यमियों के लिए ऑनलाइन खरीदारी तेजी से बढ़ी है, क्योंकि यह कंपनियों को एक बड़े बाजार की सेवा या पूरी तरह से ऑनलाइन वस्तुओं और सेवाओं को बेचने के लिए अपनी "ईंट और मोर्टार" उपस्थिति बढ़ाने में सक्षम बनाता है। इंटरनेट पर व्यापार से व्यापार और वित्तीय सेवाओं को पूरे उद्योगों में आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ता है। इंटरनेट का उपयोग या उपयोग के लिए तकनीकी कार्यान्वयन या नीतियों में कोई केंद्रीकृत शासन नहीं है; प्रत्येक घटक नेटवर्क अपनी नीतियाँ निर्धारित करता है। इंटरनेट, इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस (आए पी एड्रेस), स्पेस और डोमेन नेम सिस्टम (डी एन एस) में दो प्रमुख नाम रिक्त स्थान की केवल अति परिभाषा परिभाषाएँ एक रखरखाव संगठन, इंटरनेट कॉरपोरेशन फॉर असाइन्ड नाम और नंबर (आए सी ए एन एन)। मुख्य प्रोटोकॉल के तकनीकी आधारभूत और मानकीकरण, इंटरनेट इंजीनियरिंग टास्क फ़ोर्स (आए ई टी एफ़) की एक गतिविधि है, जो कि किसी भी गैर-लाभप्रद संगठन के साथ संबद्ध अंतरराष्ट्रीय सहभागी हैं, जो किसी को भी तकनीकी विशेषज्ञता में योगदान दे सकते हैं। .

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