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प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन

सूची प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन

कैलकुलस में प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन (Integration by substitution), समाकलन की एक प्रमुख विधि है। वस्तुतः यह अवकलन के शृंखला नियम का उल्टा (counterpart) है। .

4 संबंधों: चर परिवर्तन, शृंखला नियम (अवकलन), समाकलन, कलन

चर परिवर्तन

गणित में चर परिवर्तन (change of variables) एक मूलभूत तकनीक है जिसमें मूल चर को किसी अन्य चर के किसी उपयुक्त फलन द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है। लक्ष्य यह होता है कि नए चर के आने से समस्या का हल सरल हो जाता है। उदाहरण के लिए, समाकलन करने के लिए प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन विधि का प्रयोग लिया जाता है जो चर परिवर्तन ही है। .

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शृंखला नियम (अवकलन)

कैलकुलस में दो या अधिक फलनों के संयुक्त फलन का अवकलज निकालने के लिये शृंखला नियम (chain rule) का उपयोग किया जाता है। समाकलन में, प्रतिस्थापन द्वारा समाकलन, इस विधि की उल्टी (counterpart) विधि है। इसी को लैब्नीज की संकेतन विधि में इस प्रकार लिखा जाता है- .

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समाकलन

किसी फलन का निश्चित समाकल (definite integral) उस फलन के ग्राफ से घिरे क्षेत्र का चिह्नसहित क्षेत्रफल द्वारा निरूपित किया जा सकता है। समाकलन (जर्मन; अंग्रेज़ी; स्पेनिश; पुर्तगाली: Integral) यह एक विशेष प्रकार की योग क्रिया है जिसमें अत्यणु (infinitesimal) मान वाली किन्तु गिनती में अत्यधिक चर राशियों को जोड़ा जाता है। इसका एक प्रमुख उपयोग वक्राकार क्षेत्रों का क्षेत्रफल निकालने में होता है। समाकलन को अवकलन की व्युत्क्रम संक्रिया की तरह भी समझा जा सकता है। .

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कलन

कलन (Calculus) गणित का प्रमुख क्षेत्र है जिसमें राशियों के परिवर्तन का गणितीय अध्ययन किया जाता है। इसकी दो मुख्य शाखाएँ हैं- अवकल गणित (डिफरेंशियल कैल्कुलस) तथा समाकलन गणित (इटीग्रल कैलकुलस)। कैलकुलस के ये दोनों शाखाएँ कलन के मूलभूत प्रमेय द्वारा परस्पर सम्बन्धित हैं। वर्तमान समय में विज्ञान, इंजीनियरी, अर्थशास्त्र आदि के क्षेत्र में कैल्कुलस का उपयोग किया जाता है। भारत में कैल्कुलस से सम्बन्धित कई कॉन्सेप्ट १४वीं शताब्दी में ही विकसित हो गये थे। किन्तु परम्परागत रूप से यही मान्यता है कि कैलकुलस का प्रयोग 17वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में आरंभ हुआ तथा आइजक न्यूटन तथा लैब्नीज इसके जनक थे। .

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प्रतिस्थापन से समाकलन

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