लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

तबे एकला चलो रे

सूची तबे एकला चलो रे

रबीन्द्रनाथ ठाकुर "जोदि तोर दक शुने केऊ ना ऐसे तबे एकला चलो रे" (যদি তোর ডাক শুনে কেউ না আসে তবে একলা চলো রে "यदि आपकी बात का कोई उत्तर नहीं देता है, तब अपने ही तरिके से अकेले चलो"), सामान्यतः इसे एकला चलो रे से जाना जाता है, एक बंगाली देशभक्ति गीत है जिसे १९०५ में रबीन्द्रनाथ टैगोर ने लिखा था। .

3 संबंधों: बाङ्ला भाषा, रबीन्द्रनाथ ठाकुर, रवींद्र संगीत

बाङ्ला भाषा

बाङ्ला भाषा अथवा बंगाली भाषा (बाङ्ला लिपि में: বাংলা ভাষা / बाङ्ला), बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी भारत के त्रिपुरा तथा असम राज्यों के कुछ प्रान्तों में बोली जानेवाली एक प्रमुख भाषा है। भाषाई परिवार की दृष्टि से यह हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार का सदस्य है। इस परिवार की अन्य प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, नेपाली, पंजाबी, गुजराती, असमिया, ओड़िया, मैथिली इत्यादी भाषाएँ हैं। बंगाली बोलने वालों की सँख्या लगभग २३ करोड़ है और यह विश्व की छठी सबसे बड़ी भाषा है। इसके बोलने वाले बांग्लादेश और भारत के अलावा विश्व के बहुत से अन्य देशों में भी फ़ैले हैं। .

नई!!: तबे एकला चलो रे और बाङ्ला भाषा · और देखें »

रबीन्द्रनाथ ठाकुर

रवीन्द्रनाथ ठाकुर (बंगाली: রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর रोबिन्द्रोनाथ ठाकुर) (७ मई, १८६१ – ७ अगस्त, १९४१) को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। वे विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के एकमात्र नोबल पुरस्कार विजेता हैं। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बाँग्ला गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं। .

नई!!: तबे एकला चलो रे और रबीन्द्रनाथ ठाकुर · और देखें »

रवींद्र संगीत

कोलकाता में रवीन्द्र संगीत का अनुष्ठान रवीन्द्र संगीत बांग्ला: রবীন্দ্রসঙ্গীত), जिसे अंग्रेजी में टैगोर सांस (टैगोर के गीत) के रूप में जाना जाता है, रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित एक संगीत विधा है, जिन्होंने सामान्य रूप से भारत और विशेष रूप से बंगाल की संगीत अवधारणा में एक नया आयाम जोड़ा. रवीन्द्र संगीत में स्रोतों के रूप में भारतीय शास्त्रीय संगीत और पारंपरिक लोक संगीत का उपयोग किया जाता है। टैगोर ने लगभग 2230 गीत लिखे थे। .

नई!!: तबे एकला चलो रे और रवींद्र संगीत · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »