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टॉमहॉक मिसाइल

सूची टॉमहॉक मिसाइल

टॉमहाक मिसाइल; (Tomahawk missile), टॉमहॉक क्रूज मिसाइल अमेरिकी अस्त्रागार के उन नायाब हथियारो में सामिल है जिनके बल पर अमेरीका का महाशक्ति का स्थान कायम है स्थिर लक्ष्यो के लिए यह मिसाइल दागो और भूल जाओ वाले सिध्दांत पर कार्य करती है। टॉमहॉक मिसाइल को दो हजार किलो मीटर दूरी से भी छोड़ा जा सकता है जिससे दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाया जा सकता है और इसे नौसेना के सभी जहाजो और पनडुब्बी से छोड़ा जा सकता है प्रत्येक मिसाइल लगभग एक हजार किलोग्राम वजन का विस्फोटक सामग्री ले जाने में सक्षम है और 880 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लक्ष्य की ओर बढ़ती है कियोँकी यह मिसाइल कम ऊंचाई पर चलती है इसलिए इसकी मौजूदगी को रडार और एयर डिफेंस सिस्टम भी नहीं भाप पाते हैं। टॉमहॉक मिसाइल 20 फीट से भी ज्यादा लम्बी होती है और इसमें ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) लग होता इसके चलते इसे बीच मार्ग में मोड़ा जा सकता है यदि लक्ष्य ने स्थान बदला हो तो इसे भी मोड़कर उस तक पहुंचाया जा सकता है अगर स्थिर लक्ष्य हो तो यह मिसाइल पूरी तरह नेस्तनाबूद कर देती है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागान के प्रवक्ता कैप्टन जैफ डेविस के अनुसार क्रूज मिसाइल एयरबेस पर खड़े लड़ाकू विमानो, ठिकानो, पेट्रोलियम भंडार, हथियारो के भंडार आदि को नष्ट करने में पूरी तरह सक्षम है। अमेरिका मित्र देशों को यह मिसाइल डेढ़ मिलियन डॉलर (करीब दस करोड़ रुपये) प्रति मिसाइल के दर बेचता है। .

1 संबंध: वैश्विक स्थान-निर्धारण प्रणाली

वैश्विक स्थान-निर्धारण प्रणाली

जी.पी.एस. खंड द्वितीय-एफ़ उपग्रह की कक्षा में स्थिति का चित्रण जी.पी.एस उपग्रह समुदाय का पृथ्वी की कक्षा में घूर्णन करते हुए एक चलित आरेख। देखें, पृथ्वी की सतह पर किसी एक बिन्दु से दिखाई देने वाले उपग्रहों की संख्या कैसे समय के साथ बदलती रहती है। यहां यह ४५°उ. पर है। जीपीएस अथवा वैश्विक स्थान-निर्धारण प्रणाली (अंग्रेज़ी:ग्लोबल पोज़ीशनिंग सिस्टम), एक वैश्विक नौवहन उपग्रह प्रणाली है जिसका विकास संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग ने किया है। २७ अप्रैल, १९९५ से इस प्रणाली ने पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया था। वर्तमान समय में जी.पी.एस का प्रयोग बड़े पैमाने पर होने लगा है।। हिन्दुस्तान लाइव। १५ दिसम्बर २००९ इस प्रणाली के प्रमुख प्रयोग नक्शा बनाने, जमीन का सर्वेक्षण करने, वाणिज्यिक कार्य, वैज्ञानिक प्रयोग, सर्विलैंस और ट्रेकिंग करने तथा जियोकैचिंग के लिये भी होते हैं। पहले पहल उपग्रह नौवहन प्रणाली ट्रांजिट का प्रयोग अमेरिकी नौसेना ने १९६० में किया था। आरंभिक चरण में जीपीएस प्रणाली का प्रयोग सेना के लिए किया जाता था, लेकिन बाद में इसका प्रयोग नागरिक कार्यो में भी होने लगा। जीपीएस रिसीवर अपनी स्थिति का आकलन, पृथ्वी से ऊपर स्थित किये गए जीपीएस उपग्रहों के समूह द्वारा भेजे जाने वाले संकेतों के आधार पर करता है। प्रत्येक उपग्रह लगातार संदेश रूपी संकेत प्रसारित करता रहता है। रिसीवर प्रत्येक संदेश का ट्रांजिट समय भी दर्ज करता है और प्रत्येक उपग्रह से दूरी की गणना करता है। शोध और अध्ययन उपरांत ज्ञात हुआ है कि रिसीवर बेहतर गणना के लिए चार उपग्रहों का प्रयोग करता है। इससे उपयोक्ता की त्रिआयामी स्थिति (अक्षांश, देशांतर रेखा और उन्नतांश) के बारे में पता चल जाता है। एक बार जीपीएस प्रणाली द्वारा स्थिति का ज्ञात होने के बाद, जीपीएस उपकरण द्वारा दूसरी जानकारियां जैसे कि गति, ट्रेक, ट्रिप, दूरी, जगह से दूरी, वहां के सूर्यास्त और सूर्योदय के समय के बारे में भी जानकारी एकत्र कर लेता है। वर्तमान में जीपीएस तीन प्रमुख क्षेत्रों से मिलकर बना हुआ है, स्पेस सेगमेंट, कंट्रोल सेगमेंट और यूजर सेगमेंट। .

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