5 संबंधों: पारितंत्र, मानव पारिस्थितिकी, मानव जनाधिक्य, संधारणीय विकास, अंग्रेज़ी भाषा।
पारितंत्र
पारितंत्र (ecosystem) या पारिस्थितिक तंत्र (ecological system) एक प्राकृतिक इकाई है जिसमें एक क्षेत्र विशेष के सभी जीवधारी, अर्थात् पौधे, जानवर और अणुजीव शामिल हैं जो कि अपने अजैव पर्यावरण के साथ अंतर्क्रिया करके एक सम्पूर्ण जैविक इकाई बनाते हैं। इस प्रकार पारितंत्र अन्योन्याश्रित अवयवों की एक इकाई है जो एक ही आवास को बांटते हैं। पारितंत्र आमतौर अनेक खाद्य जाल बनाते हैं जो पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर इन जीवों के अन्योन्याश्रय और ऊर्जा के प्रवाह को दिखाते हैं। क्रिस्टोफरसन, आरडब्ल्यू (1996) .
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मानव पारिस्थितिकी
मानव पारिस्थितिकी (अंग्रेज़ी: Human Ecology) एक अंतर्विषयक विज्ञान है जो मनुष्य, मानव समाज और मानव निर्मित पर्यावरण के प्राकृतिक पर्यावरण के साथ अन्योन्याश्रय संबंधों का अध्ययन करता है। विज्ञान की इस शाखा का विकास बीसवीं सदी के आरम्भ में एक साथ कई शास्त्रों के चिंतनफ़लक में हुए परिवर्तन का परिणाम है। यह विज्ञान अपनी अध्ययन सामग्री और विधियों तथा सिद्धांतों के लिये जीव विज्ञान, पारिस्थितिकी, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र और भूगोल आदि पर आश्रित है। "मानव पारिस्थितिकी" शब्द का पहली बार प्रयोग एलेन स्वैलो रिचर्ड्स (Ellen Swallow Richards) द्वारा उनके लेख "Sanitation in Daily Life", में हुआ जिसमें उन्होंने इसे "मनुष्य के आसपास के पर्यावरण के मानव जीवन पर प्रभावों के अध्ययन" के रूप में परिभाषित किया।" प्रसिद्द भूगोलवेत्ता हार्लेन एच॰ बैरोज ने एसोशियेशन ऑफ अमेरिकन ज्याग्रफर्स के 1922 ई॰ के वार्षिक अधिवेशन में मानव भूगोल को मानव पारिस्थितिकी के रूप में विकसित करने का पुरजोर समर्थन किया। वर्तमान परिप्रेक्ष्यों में पर्यावरण (जो एक पारितंत्र है) में परिवर्तन और मानव पर उसके प्रभाव, मानव स्वास्थ्य, सामाजिक सरोकारों का पारिस्थितिकीय अध्ययन, आर्थिक क्रियाओं की संधारणीयता, प्रकृति प्रदत्त पारितंत्रीय सेवाओं का मूल्यांकन और पारिस्थितिकीय अर्थशास्त्र का विकास मानव पारिस्थितिकी के मूल अध्ययन-विषय हैं। .
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मानव जनाधिक्य
मानव जनाधिक्य या मानव जनसंख्या अधिकता (अंग्रेज़ी:Human overpopulation) एक ऐसी स्थिति है जब मानव जनसंख्या किसी क्षेत्र की पारिस्थितिकीय वहन क्षमता (carrying capacity) से अधिक हो जाए। यह शब्दावली पूरी मानव जाति की जनसंख्या और वैश्विक पर्यावरण (जो एक पारितंत्र भी है) की वहन क्षमता के बीच संबंधों को व्यक्त करने के लिये भी इस्तेमाल होती है। .
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संधारणीय विकास
संधारणीय विकास अथवा टिकाऊ विकास (Sustainable Development), विकास की वह अवधारणा है जिसमें विकास की नीतियां बनाते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि मानव की न केवल वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति हो, वरन् अनन्त काल मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित हो सके। इसमें प्राकृतिक पर्यावरण की सुरक्षा पर विशेष बल दिया जाता है। .
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अंग्रेज़ी भाषा
अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .
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