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क्षैतिज निर्देशांक प्रणाली

सूची क्षैतिज निर्देशांक प्रणाली

क्षैतिज निर्देशांक प्रणाली (horizontal coordinate system) एक खगोलीय निर्देशांक प्रणाली है जिसमें प्रेक्षक के स्थानीत क्षितिज को मौलिक समतल माना जाता है। इसे ऊँचाई (altitude) और दिगंश (azimuth) नामक दो राशियों द्वारा व्यक्त किया जाता है। .

6 संबंधों: ऊँचाई (विमानन), दिगंश, मौलिक समतल (गोलीय निर्देशांक), खगोलीय निर्देशांक पद्धति, गोलीय खगोलशास्त्र, क्षितिज

ऊँचाई (विमानन)

ऊँचाई (Altitude) किसी बिंदु या वस्तु का समुद्र तट से उत्थापन होता है। विमानन में यह फ़ीट में नापा जाता है। वातावरण दबाव ऊँचाई बढ़ने के साथ घटता है। यही सिद्धांत ऊँचाई नापने वाले उपकरण अल्टीमीटर में प्रयोग होता है। यह मूलतः एक बैरोमीटर होत है, यानी दबाव मापी उपकरण, जिस पर दबाव के बजाय ऊँचाई का अंकन किया होता है, दबाव के सापेक्ष ऊँचाई के बराबर। ऊँचाई पर दबाव कम होने के कारण ही वहां आक्सीजन की कमी होती है। .

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दिगंश

किसी वस्तु का दिगंश (ऐज़िमुथ) दर्शक से मानक दिशा और दर्शक से उस वस्तु की दो रेखाओं के बीच का कोण (ऐंगल) होता है - इस चित्र में मानक दिशा उत्तर (N) है और जिस वस्तु का दिगंश बताया जा रहा है वह एक तारा है दिगंश या ऐज़िमुथ (azimuth) किसी गोलीय निर्देशांक प्रणाली (spherical coordinate system) में एक विशेष कोण (ऐंगल) के माप का नाम है। उदाहरण के लिए, अगर धरती पर खड़े किसी दर्शक के लिए किसी तारे का दिगंश मापना हो तो खगोलीय निर्देशांक पद्धति के अनुसार यह किया जा सकता है। इसमें दर्शक को खगोलीय गोले के उत्तरी ध्रुव से जोड़ने वाली काल्पनिक रेखा मानक दिशा होती है। दर्शक का चारों ओर का क्षितिज एक समतल होता है, जिसमें यह मानक दिशा की रेखा भी विद्यमान होती है। दर्शक को तारे से जोड़ने वाली एक अन्य रेखा को लम्ब (परपेंडिक्युलर) के प्रयोग से इस समतल पर उतारा जाने से दर्शक और समतल पर उस तारे के नीचे वाले बिंदु के बीच एक दूसरी रेखा बनती है। इस रेखा और मानक दिशा की रखा के बीच का कोण ही दिगंश कहलाता है।, Kenneth Y. Jo, pp.

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मौलिक समतल (गोलीय निर्देशांक)

किसी गोलीय निर्देशांक प्रणाली में मौलिक समतल (fundamental plane) ऐसा एक काल्पनिक समतल होता है जो उस गोले को दो बराबर के गोलार्धों (हेमिस्फ़ीयरों) में विभाजित कर दे। फिर उस गोले पर स्थित किसी भी बिन्दु का अक्षांश (लैटिट्यूड) उस समतल और गोले के केन्द्र से बिन्दु को जोड़ने वाली रेखा के बीच का कोण होता है। पृथ्वी पर यह समतल भूमध्य रेखा द्वारा निर्धारित करा गया है। यदि पृथ्वी के ज्यामितीय केन्द्र से नई दिल्ली शहर के बीच के क्षेत्र तक एक काल्पनिक रेखा खींची जाये तो उसका इस समतल से बना कोण (ऐंगल) लगभग २८.६१३९° बनेगा और यह समतल से उत्तर में है। इसलिये भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली के तहत नई दिल्ली का अक्षांश भी २८.६१३९° उत्तर (28.6139° N) माना जाता है। .

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खगोलीय निर्देशांक पद्धति

खगोलीय गोले पर एक तारे के तीन भिन्न खगोलीय निर्देशांक प्रणालियों में माप: भूमध्यीय प्रणाली (नीली), गैलेक्सीय प्रणाली (पीली) और क्रांतिवृत्तीय प्रणाली (लाल) खगोलीय निर्देशांक पद्धति (celestial coordinate system) ब्रह्माण्ड में किसी भी प्रकार की खगोलीय वस्तु (ग्रह, उपग्रह, तारा, गैलेक्सी, नीहारिका, वग़ैराह) का स्थान निर्धारित करने का एक तरीक़ा है। जहाँ तक मनुष्यों का अनुभव है पूरा ब्रह्माण्ड एक तीन आयामों (डायमेंशन) वाला दिक् (स्पेस) है। इसमें एक निर्देशांक पद्धति के ज़रिये किसी भी स्थान को अंकों के साथ बताया जा सकता है। .

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गोलीय खगोलशास्त्र

गोलीय खगोलशास्त्र (spherical astronomy) या स्थितीय खगोलशास्त्र (positional astronomy) खगोलशास्त्र की वह शाखा है जिसमें खगोलीय वस्तुओं का किसी विशेष समय, तिथि या पृथ्वी पर स्थित स्थान पर खगोलीय गोले में स्थान अनुमानित करा जाता है। यह अध्ययन की शाखा गोलीय ज्यामिति के सिद्धांतों व विधियों और खगोलमिति की मापन-कलाओं पर निर्भर है। ऐतिहासिक दृष्टि से गोलीय खगोलशास्त्र को पूरे खगोलशास्त्र की प्राचीनतम शाखा माना जा सकता है क्योंकि धार्मिक, ज्योतिष, समयानुमान और दिक्चालन (नैविगेशन) कार्यों के लिये मानव आकाश में तारों, तारामंडलों, ग्रहों, सूर्य व चंद्रमा की स्थिति को ग़ौर से जाँचता-समझता रहा है। अकाश में खगोलीय वस्तुओं के स्थानों को गणितीय रूप से समझने के विज्ञान को खगोलमिति (astronomy) कहते हैं। .

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क्षितिज

क्षितिज तीन प्रकार के क्षितिज उस आभासी रेखा को क्षितिज (horizon) कहते हैं जो बहुत दूरी पर आकाश और धरती को जोड़ती हुई नजर आती है। .

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