लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना

सूची कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना

यह एक कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना (Comparison of orbital launch systems) है। यह निम्नलिखित पारंपरिक कक्षीय लांच सिस्टम की पूरी सूची उजागर है। पारंपरिक लांचर परिवारों की सरल छोटी सूची के लिए देखें: कक्षीय लांचर परिवारों की तुलना। तालिका में कक्षा संक्षिप्त रूपों के लिए लीजेंड.

20 संबंधों: एच-2ए, एच-2बी, एटलस 5, एथेना (रॉकेट परिवार), एरियन 5, एरियन 6, एकीकृत प्रक्षेपण यान, डेल्टा 2, ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन, नासा, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, भूसमकालिक कक्षा, भूस्थिर कक्षा, भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान, भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3, सफीर (रॉकेट), संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान, वांतरिक्ष, वेगा (रॉकेट), अंगारा (रॉकेट परिवार)

एच-2ए

एच-२ए १९ की उड़ान एच-२ए रॉकेट लाइन मे एच-२ए एच-२ए (H2A) मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज (MHI) के लिए जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी द्वारा संचालित एक सक्रिय उपभोजित प्रक्षेपण प्रणाली है। तरल ईंधन एच-२ए रॉकेट का इस्तेमाल उपग्रहों को भू-स्थिर कक्षा, चंद्र परिक्रमा अंतरिक्ष यान में लांच में किया गया जाता है। एच-२ए ने पहली उड़ान 2001 में भरी। और फरवरी, 2016 तक यह 30 बार उड़ान भर चुका है। श्रेणी:जापान के अंतरिक्ष प्रक्षेपण रॉकेट.

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और एच-2ए · और देखें »

एच-2बी

एच-2बी (H-IIB या H2B) एक उपभोजित प्रक्षेपण प्रणाली है। जिसका इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एच-II हस्तांतरण वाहन (HTV, या Kounotori) लॉन्च करने में किया जाता है। एच-2बी रॉकेट तरल बूस्टर के साथ ठोस ईंधन का बाना हैं। यह् जापान में तानेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाता है।.

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और एच-2बी · और देखें »

एटलस 5

एटलस V (Atlas V या Atlas 5) रॉकेट एटलस परिवार में सक्रिय एक प्रक्षेपण यान रॉकेट परिवार है। एटलस V पूर्व में लॉकहीड मार्टिन द्वारा संचालित किया गया था। और अब लॉकहीड मार्टिन-बोइंग के संयुक्त उद्यम यूनाइटेड लांच अलायन्स (ULA) द्वारा संचालित है। प्रत्येक एटलस V रॉकेट अपने पहले चरण में एक रूस निर्मित आरडी-180 इंजन का उपयोग करता है। जो मिट्टी का तेल और तरल ऑक्सीजन को जला कर थ्रस्ट उत्पन करता है। .

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और एटलस 5 · और देखें »

एथेना (रॉकेट परिवार)

एथेना (Athena) एक 1990 के दशक का लॉकहीड मार्टिन उपभोजित प्रक्षेपण प्रणाली था। जिसके अपने जीवन में कई नाम परिवर्तन हुए। .

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और एथेना (रॉकेट परिवार) · और देखें »

एरियन 5

एरियन 5 (Ariane 5) एक यूरोपीय प्रक्षेपण यान रॉकेट है। यह एरियन रॉकेट परिवार का हिस्सा है। एरियन-5 रॉकेट यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) और सिनेस के अधिकार के तहत निर्मित किये जाते हैं। एयरबस रक्षा और अंतरिक्ष एरियन 5 के लिए मुख्य ठेकेदार है। एरियन-5 का संचालन और व्यापार एरियन स्पेस द्वारा किया जाता है। एयरबस रक्षा और अंतरिक्ष यूरोप में रॉकेट बनाता है। तथा एरियन स्पेस उन्हें फ्रेंच गुयाना में गुयाना अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण करता है। .

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और एरियन 5 · और देखें »

एरियन 6

श्रेणी:रॉकेट श्रेणी:अंतरिक्ष श्रेणी:अंतरिक्ष अभियान.

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और एरियन 6 · और देखें »

एकीकृत प्रक्षेपण यान

एकीकृत प्रक्षेपण यान (Unified Launch Vehicle (ULV)) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की एक परियोजना है जिसका लक्ष्य एक मॉड्युलर आर्किटेक्चर का विकास करना है जो अन्ततः पीएसएलवी, जीएसएलवी आदि की जगह ले सके। .

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और एकीकृत प्रक्षेपण यान · और देखें »

डेल्टा 2

श्रेणी:नासा के अंतरिक्ष प्रक्षेपण रॉकेट‎.

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और डेल्टा 2 · और देखें »

ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन

'''पी.एस.एल.वी सी8''' इटली के एक उपग्रह को लेकर सतीश धवन अन्तरिक्ष केन्द्र से उड़ान भरते समय ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान या पी.एस.एल.वी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा संचालित एक उपभोजित प्रक्षेपण प्रणाली है। भारत ने इसे अपने सुदूर संवेदी उपग्रह को सूर्य समकालिक कक्षा में प्रक्षेपित करने के लिये विकसित किया है। पीएसएलवी के विकास से पूर्व यह सुविधा केवल रूस के पास थी। पीएसएलवी छोटे आकार के उपग्रहों को भू-स्थिर कक्षा में भी भेजने में सक्षम है। अब तक पीएसएलवी की सहायता से 70 अन्तरिक्षयान (30 भारतीय + 40 अन्तरराष्ट्रीय) विभिन्न कक्षाओं में प्रक्षेपित किये जा चुके हैं। इससे इस की विश्वसनीयता एवं विविध कार्य करने की क्षमता सिद्ध हो चुकी है। २२ जून, २०१६ में इस यान ने अपनी क्षमता की चरम सीमा को छुआ जब पीएसएलवी सी-34 के माध्यम से रिकॉर्ड २० उपग्रह एक साथ छोड़े गए।http://khabar.ndtv.com/news/file-facts/in-record-launch-isro-flies-20-satellites-into-space-10-facts-1421899?pfrom.

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन · और देखें »

नासा

नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (हिन्दी अनुवाद:राष्ट्रीय वैमानिकी और अन्तरिक्ष प्रबंधन; National Aeronautics and Space Administration) या जिसे संक्षेप में नासा (NASA) कहते हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार की शाखा है जो देश के सार्वजनिक अंतरिक्ष कार्यक्रमों व एरोनॉटिक्स व एरोस्पेस संशोधन के लिए जिम्मेदार है। फ़रवरी 2006 से नासा का लक्ष्य वाक्य "भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण, वैज्ञानिक खोज और एरोनॉटिक्स संशोधन को बढ़ाना" है। 14 सितंबर 2011 में नासा ने घोषणा की कि उन्होंने एक नए स्पेस लॉन्च सिस्टम के डिज़ाइन का चुनाव किया है जिसके चलते संस्था के अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में और दूर तक सफर करने में सक्षम होंगे और अमेरिका द्वारा मानव अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नया कदम साबित होंगे। नासा का गठन नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस अधिनियम के अंतर्गत 19 जुलाई 1948 में इसके पूर्वाधिकारी संस्था नैशनल एडवाइज़री कमिटी फॉर एरोनॉटिक्स (एनसीए) के स्थान पर किया गया था। इस संस्था ने 1 अक्टूबर 1948 से कार्य करना शुरू किया। तब से आज तक अमेरिकी अंतरिक्ष अन्वेषण के सारे कार्यक्रम नासा द्वारा संचालित किए गए हैं जिनमे अपोलो चन्द्रमा अभियान, स्कायलैब अंतरिक्ष स्टेशन और बाद में अंतरिक्ष शटल शामिल है। वर्तमान में नासा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को समर्थन दे रही है और ओरायन बहु-उपयोगी कर्मीदल वाहन व व्यापारिक कर्मीदल वाहन के निर्माण व विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है। संस्था लॉन्च सेवा कार्यक्रम (एलएसपी) के लिए भी जिम्मेदार है जो लॉन्च कार्यों व नासा के मानवरहित लॉन्चों कि उलटी गिनती पर ध्यान रखता है। .

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और नासा · और देखें »

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, (संक्षेप में- इसरो) (Indian Space Research Organisation, ISRO) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है जिसका मुख्यालय बेंगलुरू कर्नाटक में है। संस्थान में लगभग सत्रह हजार कर्मचारी एवं वैज्ञानिक कार्यरत हैं। संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिये अंतरिक्ष संबधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। अन्तरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास शामिल है। 1969 में स्थापित, इसरो अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए तत्कालीन भारतीय राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR) स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उनके करीबी सहयोगी और वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के प्रयासों से 1962 में स्थापित किया गया। भारत का पहला उपग्रह, आर्यभट्ट, जो 19 अप्रैल 1975 सोवियत संघ द्वारा शुरू किया गया था यह गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था बनाया।इसने 5 दिन बाद काम करना बंद कर दिया था। लेकिन ये अपने आप में भारत के लिये एक बड़ी उपलब्धि थी। 7 जून 1979 को भारत ने दूसरा उपग्रह भास्कर 445 किलो का था, पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया। 1980 में रोहिणी उपग्रह पहला भारतीय-निर्मित प्रक्षेपण यान एसएलवी -3 बन गया जिस्से कक्षा में स्थापित किया गया। इसरो ने बाद में दो अन्य रॉकेट विकसित किये। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान उपग्रहों शुरू करने के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी),भूस्थिर कक्षा में उपग्रहों को रखने के लिए ध्रुवीय कक्षाओं और भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान। ये रॉकेट कई संचार उपग्रहों और पृथ्वी अवलोकन गगन और आईआरएनएसएस तरह सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम तैनात किया उपग्रह का शुभारंभ किया।जनवरी 2014 में इसरो सफलतापूर्वक जीसैट -14 का एक जीएसएलवी-डी 5 प्रक्षेपण में एक स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया। इसरो के वर्तमान निदेशक ए एस किरण कुमार हैं। आज भारत न सिर्फ अपने अंतरिक्ष संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है बल्कि दुनिया के बहुत से देशों को अपनी अंतरिक्ष क्षमता से व्यापारिक और अन्य स्तरों पर सहयोग कर रहा है। इसरो एक चंद्रमा की परिक्रमा, चंद्रयान -1 भेजा, 22 अक्टूबर 2008 और एक मंगल ग्रह की परिक्रमा, मंगलयान (मंगल आर्बिटर मिशन) है, जो सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश पर 24 सितंबर 2014 को भारत ने अपने पहले ही प्रयास में सफल होने के लिए पहला राष्ट्र बना। दुनिया के साथ ही एशिया में पहली बार अंतरिक्ष एजेंसी में एजेंसी को सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा तक पहुंचने के लिए इसरो चौथे स्थान पर रहा। भविष्य की योजनाओं मे शामिल जीएसएलवी एमके III के विकास (भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए) ULV, एक पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान, मानव अंतरिक्ष, आगे चंद्र अन्वेषण, ग्रहों के बीच जांच, एक सौर मिशन अंतरिक्ष यान के विकास आदि। इसरो को शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए साल 2014 के इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मंगलयान के सफल प्रक्षेपण के लगभग एक वर्ष बाद इसने 29 सितंबर 2015 को एस्ट्रोसैट के रूप में भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला स्थापित किया। जून 2016 तक इसरो लगभग 20 अलग-अलग देशों के 57 उपग्रहों को लॉन्च कर चुका है, और इसके द्वारा उसने अब तक 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर कमाए हैं।http://khabar.ndtv.com/news/file-facts/in-record-launch-isro-flies-20-satellites-into-space-10-facts-1421899?pfrom.

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन · और देखें »

भूसमकालिक कक्षा

इस एनिमेशन में किसी भूस्थिर कक्षा में चक्कर काट रहे उपग्रह की गति दर्शायी गयी है। भूसमकालिक कक्षा (geosynchronous orbit या GSO) धरती के चारों ओर स्थित वह दीर्घवृत्ताकार कक्षा है जिसमें घूमने वाले पिण्ड (जैसे, कृत्रिम उपग्रह) का आवर्तकाल १ दिन (धरती के घूर्णन काल के बराबर .

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और भूसमकालिक कक्षा · और देखें »

भूस्थिर कक्षा

भूस्थिर कक्षा (उपर दे देखने पर)। एक प्रेक्षक को जो घूर्णन कर रही पृथ्वी पर स्थित है को उपग्रह किसी बिन्दु के साथ स्थिर दिखाई देगा। भूस्थिर कक्षा का एक दिशा से देखने पर। भूस्थिर कक्षा अथवा भूमध्य रेखीय भूस्थिर कक्षा पृथ्वी से 35786 किमी ऊँचाई पर स्थित उस कक्षा को कहा जाता है जहाँ पर यदि कोई उपग्रह है तो वह पृथ्वी से हमेशा एक ही स्थान पर दिखाई देगा। यह कक्षा भूमध्य रेखा पर स्थित होगी एवं उपग्रह के घुर्णन की दिशा पृथ्वी के घूर्णन के समान होगी। .

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और भूस्थिर कक्षा · और देखें »

भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान

भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (अंग्रेज़ी:जियोस्टेशनरी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल, लघु: जी.एस.एल.वी) अंतरिक्ष में उपग्रह के प्रक्षेपण में सहायक यान है। जीएसएलवी का इस्तेमाल अब तक बारह लॉन्च में किया गया है, 2001 में पहली बार लॉन्च होने के बाद से 29 मार्च, 2018 को जीएसएटी -6 ए संचार उपग्रह ले जाया गया था। ये यान उपग्रह को पृथ्वी की भूस्थिर कक्षा में स्थापित करने में मदद करता है। जीएसएलवी ऐसा बहुचरण रॉकेट होता है जो दो टन से अधिक भार के उपग्रह को पृथ्वी से 36000 कि॰मी॰ की ऊंचाई पर भू-स्थिर कक्षा में स्थापित कर देता है जो विषुवत वृत्त या भूमध्य रेखा की सीध में होता है। ये रॉकेट अपना कार्य तीन चरण में पूरा करते हैं। इनके तीसरे यानी अंतिम चरण में सबसे अधिक बल की आवश्यकता होती है। रॉकेट की यह आवश्यकता केवल क्रायोजेनिक इंजन ही पूरा कर सकते हैं। इसलिए बिना क्रायोजेनिक इंजन के जीएसएलवी रॉकेट का निर्माण मुश्किल होता है। अधिकतर काम के उपग्रह दो टन से अधिक के ही होते हैं। इसलिए विश्व भर में छोड़े जाने वाले 50 प्रतिशत उपग्रह इसी वर्ग में आते हैं। जीएसएलवी रॉकेट इस भार वर्ग के दो तीन उपग्रहों को एक साथ अंतरिक्ष में ले जाकर निश्चित कि॰मी॰ की ऊंचाई पर भू-स्थिर कक्षा में स्थापित कर देता है। यही इसकी की प्रमुख विशेषता है।|हिन्दुस्तान लाईव। १८ अप्रैल २०१०। अनुराग मिश्र हालांकि भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3 (जीएसएलवी मार्क 3) नाम साझा करता है, यह एक पूरी तरह से अलग लॉन्चर है। .

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान · और देखें »

भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3

भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3 (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle mark 3, or GSLV Mk3, जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लाँच वहीकल मार्क 3, या जीएसएलवी मार्क 3, या जीएसएलवी-3), जिसे लॉन्च वाहन मार्क 3 (LVM 3) भी कहा जाता है, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित एक प्रक्षेपण वाहन (लॉन्च व्हीकल) है। इसे भू-स्थिर कक्षा (जियो-स्टेशनरी ऑर्बिट) में उपग्रहों और भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रक्षेपित करने के लिये विकसित किया गया है। जीएसएलवी-III में एक भारतीय तुषारजनिक (क्रायोजेनिक) रॉकेट इंजन की तीसरे चरण की भी सुविधा के अलावा वर्तमान भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान की तुलना में अधिक पेलोड (भार) ले जाने क्षमता भी है। | फ्रंटलाइन| ७ फरवरी २०१४ .

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3 · और देखें »

सफीर (रॉकेट)

सफीर (Safir) पहले ईरानी प्रक्षेपण यान का नाम है। जो उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है। .

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और सफीर (रॉकेट) · और देखें »

संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान

संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (Augmented Satellite Launch Vehicle) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित एक पांच चरण ठोस ईंधन रॉकेट था। यह पृथ्वी की निचली कक्ष में 150 किलो के उपग्रहों स्थापित करने में सक्षम था। इस परियोजना को भू-स्थिर कक्षा में पेलोड के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए 1980 के दशक के दौरान भारत द्वारा शुरू किया गया था। इसका डिजाइन उपग्रह प्रक्षेपण यान पर आधारित था http://www.astronautix.com/lvs/aslv.htm .

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान · और देखें »

वांतरिक्ष

पृथ्वी का वायुमण्डल और उससे सटा अंतरिक्ष मिलाकर वांतरिक्ष (वा+अंतरिक्ष .

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और वांतरिक्ष · और देखें »

वेगा (रॉकेट)

कोई विवरण नहीं।

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और वेगा (रॉकेट) · और देखें »

अंगारा (रॉकेट परिवार)

अंगारा रॉकेट परिवार (Angara rocket family) एक प्रक्षेपण यान परिवार है। जिसे रूस की रूसी संघीय अंतरिक्ष अभिकरण के द्वारा विकसित किया गया है। .

नई!!: कक्षीय लांच प्रणालियों की तुलना और अंगारा (रॉकेट परिवार) · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »