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ओरिएंटल कालेज (लाहौर)

सूची ओरिएंटल कालेज (लाहौर)

ओरिएंटल कालेज का एक नज़ारा - इसे कभी-कभी पंजाब यूनिवर्सिटी का "पुराना कैम्पस" भी कहा जाता है पंजाब यूनिवर्सिटी ओरिएंटल कालेज जिसे आम तौर पर सिर्फ़ ओरिएंटल कालेज ही कहते हैं लाहौर में स्थित एक प्रसिद्ध उच्च-स्तरीय अध्ययन की संस्था है। इसकी शुरुआत १८७६ में आदि ब्राह्मो समाज के प्रचरत पंडित नवीन चन्द्र राय ने की थी और वही इसके प्रिंसिपल भी रहे। लाहौर में यह गोवरमेंट कालेज के पास स्थित है। .

5 संबंधों: फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, मुहम्मद इक़बाल, लाहौर, सैयद अली शाह गिलानी, अनवर मसूद

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

कोई विवरण नहीं।

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मुहम्मद इक़बाल

मुहम्मद इक़बाल (محمد اقبال) (जीवन: 9 नवम्बर 1877 – 21 अप्रैल 1938) अविभाजित भारत के प्रसिद्ध कवि, नेता और दार्शनिक थे। उर्दू और फ़ारसी में इनकी शायरी को आधुनिक काल की सर्वश्रेष्ठ शायरी में गिना जाता है। इकबाल के दादा सहज सप्रू हिंदू कश्मीरी पंडित थे जो बाद में सिआलकोट आ गए। इनकी प्रमुख रचनाएं हैं: असरार-ए-ख़ुदी, रुमुज़-ए-बेख़ुदी और बंग-ए-दारा, जिसमें देशभक्तिपूर्ण तराना-ए-हिन्द (सारे जहाँ से अच्छा) शामिल है। फ़ारसी में लिखी इनकी शायरी ईरान और अफ़ग़ानिस्तान में बहुत प्रसिद्ध है, जहाँ इन्हें इक़बाल-ए-लाहौर कहा जाता है। इन्होंने इस्लाम के धार्मिक और राजनैतिक दर्शन पर काफ़ी लिखा है। इकबाल पाकिस्तान का जनक बन गए क्योंकि वह "पंजाब, उत्तर पश्चिम फ्रंटियर प्रांत, सिंध और बलूचिस्तान को मिलाकर एक राज्य बनाने की अपील करने वाले पहले व्यक्ति थे", इंडियन मुस्लिम लीग के २१ वें सत्र में,उनके अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने इस बात का उल्लेख किया था जो २९ दिसंबर,१९३० को इलाहाबाद में आयोजित की गई थी। भारत के विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना का विचार सबसे पहले इक़बाल ने ही उठाया था। 1930 में इन्हीं के नेतृत्व में मुस्लिम लीग ने सबसे पहले भारत के विभाजन की माँग उठाई। इसके बाद इन्होंने जिन्ना को भी मुस्लिम लीग में शामिल होने के लिए प्रेरित किया और उनके साथ पाकिस्तान की स्थापना के लिए काम किया। इन्हें पाकिस्तान में राष्ट्रकवि माना जाता है। इन्हें अलामा इक़बाल (विद्वान इक़बाल), मुफ्फकिर-ए-पाकिस्तान (पाकिस्तान का विचारक), शायर-ए-मशरीक़ (पूरब का शायर) और हकीम-उल-उम्मत (उम्मा का विद्वान) भी कहा जाता है। .

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लाहौर

लाहौर (لہور / ਲਹੌਰ, لاہور) पाकिस्तान के प्रांत पंजाब की राजधानी है एवं कराची के बाद पाकिस्तान में दूसरा सबसे बडा आबादी वाला शहर है। इसे पाकिस्तान का दिल नाम से भी संबोधित किया जाता है क्योंकि इस शहर का पाकिस्तानी इतिहास, संस्कृति एवं शिक्षा में अत्यंत विशिष्ट योगदान रहा है। इसे अक्सर पाकिस्तान बागों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। लाहौर शहर रावी एवं वाघा नदी के तट पर भारत पाकिस्तान सीमा पर स्थित है। लाहौर का ज्यादातर स्थापत्य मुगल कालीन एवं औपनिवेशिक ब्रिटिश काल का है जिसका अधिकांश आज भी सुरक्षित है। आज भी बादशाही मस्जिद, अली हुजविरी शालीमार बाग एवं नूरजहां तथा जहांगीर के मकबरे मुगलकालीन स्थापत्य की उपस्थिती एवं उसकी अहमियत का आभास करवाता है। महत्वपूर्ण ब्रिटिश कालीन भवनों में लाहौर उच्च न्यायलय जनरल पोस्ट ऑफिस, इत्यादि मुगल एवं ब्रिटिश स्थापत्य का मिलाजुला नमूना बनकर लाहौर में शान से उपस्थित है एवं ये सभी महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल के रूप में लोकप्रिय हैं। मुख्य तौर पर लाहौर में पंजाबी को मातृ भाषा के तौर पर इस्तेमाल की जाती है हलाकि उर्दू एवं अंग्रेजी भाषा भी यहां काफी प्रचलन में है एवं नौजवानों में काफी लोकप्रिय है। लाहौर की पंजाबी शैली को लाहौरी पंजाबी के नाम से भी जाना जाता है जिसमे पंजाबी एवं उर्दू का काफी सुंदर मिश्रण होता है। १९९८ की जनगणना के अनुसार शहर की आबादी लगभग ७ लाख आंकी गयी थी जिसके जून २००६ में १० लाख होने की उम्मीद जतायी गयी थी। इस अनुमान के मुताबिक लाहौर दक्षिण एशिया में पांचवी सबसे बडी आबादी वाला एवं दुनिया में २३वीं सबसे बडी आबादी वाला शहर है।.

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सैयद अली शाह गिलानी

सैय्यद अली शाह गिलानी भारत के एक पाकिस्तानपरस्त इस्लामिक अलगाववादी व्यक्तित्व है जिनका कश्मीरी आतंकवादिता को बढावा देने में खुला हाथ है। वे कश्मीर के पाकिस्तान में विलय करने के समर्थक हैं। गीलानी भारत के जम्मू कश्मीर छेत्र के प्रमुख अलगावादी नेता हैं। वह पहले जमात ए इस्लामी कश्मीर के एक सदस्य थे, लेकिन बाद में इन्होने तहरीक ए हुर्रियत के नाम से अपनी पार्टी की स्थापना की। इस समय यह हुर्रियत कांफ्रेंस के सभी दलों के अध्य्क्श हैं जो जम्मू और कश्मीर में अलगाववादी दलों का एक समूह है। यह जम्मू एवं कश्मीर के सोपोर क्षेत्र के एक पूर्व विधायक भी हैं। यह कश्मीर में लोक्प्रिय हैं और वहाँ की जनता उन्हे 'बाब" केहलाती है। गीलानी का ताल्लुक़ बारामूला ज़िले के क़स्बे सोपोर से है। पाकिस्तानपरस्त अलगाववादी होने के साथ साथ वो इलम और अदब से शग़फ़ रखने वाली शख़्सियत भी हैं और अल्लामा इक़बाल के बहुत बड़े मद्दाह हैं। वो अपने दौर असीरी की याददाश्तें एक किताब की सूरत में तहरीर करचुके हैं जिस का नाम "रूदाद क़फ़स" है। सय्यद अलीशाह गिलानी ऐसी शख्स हैं जो पासपोर्ट भारत का ही लेते है, और लिख कर देते है कि मैं भारतीय नागरिक हूँ। पाकिस्तान परस्ती की वजह से उन्होंने अपनी ज़िंदगी का एक हिस्सा कश्मीरी जेल में और अपने आलीशान घर में नजरबंदी में रह कर भी गुज़ारा है। अलगाववादी नेता सैय्यद अलीशाह गिलानी को भारतीय नागरिक बने रहने तथा भारत के प्रति ही वफादार बने रहने की शपथ और लिखित / घोषित शपथपत्रों तथा पाकिस्तानी राजदूतावास के ईद मिलन व अन्य कार्यक्रमों का भारत व कश्मीर के विस्तृत हित को देखते हुऐ बहिष्कार करने के पुरस्कार स्वरूप हालिया भारत सरकार ने 21 जुलाई 2015 को 9 माह तक का वैध भारतीय पासपोर्ट जारी कर दिया है .

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अनवर मसूद

अनवर मसूद अनवर मसूद (उर्दू) एक विख्यात पाकिस्तानी कवि हैं जो अधिकतर व्यंग्य कविता (मज़ाहिया शायरी) लिखतें हैं, हालांकि उनकी और भी विषयों पर रचनायें हैं। वे पंजाबी, उर्दू और फ़ारसी भाषाओं में लिखते हैं। .

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