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आइरी-शून्य

सूची आइरी-शून्य

आइरी-शून्य की तीन छवियां — A मेरिनर ९ द्वारा, B वाइकिंग १ द्वारा और C मार्स ग्लोबल सर्वेयर द्वारा ली गई थी I आइरी-शून्य (Airy-0), मंगल ग्रह पर एक खड्ड या क्रेटर है जिसका स्थान उस ग्रह की प्रधान मध्याह्न रेखा की स्थिति को परिभाषित करता है। यह आरपार लगभग ०.५ कि.

5 संबंधों: मध्याह्न रेखा, मार्स ग्लोबल सर्वेयर, याम्योत्तर वृत्त, सिनस मेरिडियन, वाइकिंग 1

मध्याह्न रेखा

मध्याह्न रेखा या याम्योत्तर पृथ्वी के उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव के मिलाने वाली और उत्तर-दक्षिण दिशा में खींची गयी काल्पनिक रेखाओं को कहते हैं। .

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मार्स ग्लोबल सर्वेयर

श्रेणी:खगोलशास्त्र श्रेणी:मंगल ग्रह.

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याम्योत्तर वृत्त

याम्योत्तर वृत्त याम्योतर वृत (Transit Circle, Meridian Circle), वेधशाला के अनिवार्य उपकरणों में से एक उपकरण हैं। इसकी सहायता से खगोलीय पिंड के खगोलीय याम्योतर को पार करने के ठीक समय का निर्धारण कर, पिंड का यथार्थ विषुवांश (right ascension) ज्ञात किया जा सकताहैं। यह याम्योतर (transit instrument) का उन्नत रूप है और किसी खगेालीय पिंड की क्रंाति (declination) निर्धारित करने में भी उपयोगी हैं। इसमें प्रधानता: अपवर्तक दूरदर्शी होता है, जो क्षैतिज अक्ष के समकोण पर दृढ़ता से स्थिर होता हैं। अक्ष पूर्व और पश्चिम दिशा का ठीक संकेत करता हैं, जिसमें दूरदर्र्शी, अक्ष पर घुर्णन करते समय, सदा ही याम्योतर के समतल में रहता हैं। यथार्थ मापन के लिये अभिद्दश्यक काच (object glass) के नाभीय समतल पर विषम संख्यक तारों की एक अंशांकित झॅझरी (grill) होती हैं, जिसका केंद्रीय तार याम्योतर में स्थिति होता हैं। याम्योतर वृत और याम्योतर यंत्रों में यह हैं कि इस वृत में दूरदर्शी के दोनो ओर सुक्ष्म अंशांकित मंडलक, जिनके समतल अक्ष लंघकोण में होते हैं, क्षैतिज अक्ष से आबद्ध होते हैं। इन मंडलकों से खगोलीय विषुवत् रेखा के किसी कोण पर देखे गए बिंब की क्रांति निर्धारित की जा सकती हैं। श्रेणी:खगोलशास्त्र श्रेणी:खगोलमिति.

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सिनस मेरिडियन

यह छवि टेरा मेरिडियन में एक चापाकार टीले को दिखा रही है I सिनस मेरिडियन (Sinus Meridiani), मंगल ग्रह पर एक एल्बिडो आकृति के लिए एक आकृतीय नाम है जो उस ग्रह की भूमध्य रेखा के बिलकुल दक्षिण पर पूरब-पश्चिम फैला हुआ है | इसे फ्रांसीसी खगोलशास्त्री केमिली फ्लंमारियन द्वारा १८७० के दशक के आखिर में नामित किया गया था | इसका व्यास १६२२ कि॰मी॰ है और केंद्र ७.१२° द० ४.०° पू० पर स्थित है | .

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वाइकिंग 1

कोई विवरण नहीं।

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