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अहुरा मज़्दा

सूची अहुरा मज़्दा

ईरान के बीसतुन शिलालेख में अहुर माज़्दा का कई बार वर्णन है सासानी सम्राट शापूर द्वितीय राज्यभार ग्रहण करते हुए अहुर मज़्दा अवस्ताई भाषा में प्राचीन ईरानी धर्म के एक देवता का नाम है जिन्हें पारसी धर्म के संस्थापक ज़रथुश्त्र ने अजन्मा और सर्वज्ञ परमेश्वर बताया था। इसके अलावा इनके लिए ओह्रमज़्द, होउरमज़्द, हुरमुज़, अरमज़्द और अज़्ज़न्दारा नाम भी प्रयोग किये जाते हैं। वे पारसी धर्म के सर्वोच्च देवता हैं और यस्न (पारसी पूजा विधि, जिसका संस्कृत सजातीय शब्द 'यज्ञ' है) में इन्हें सर्वप्रथम और सर्वाधिक सम्बोधित किया जाता है। अहुर मज़्दा को प्रकाश और अच्छाई उनके ख़िलाफ़ शैतानी दाएवों (देवों) का अध्यक्ष है अंगिरा मैन्यु। आदिम हिन्द-ईरानी लोगों के धर्म में संसार और ब्रह्माण्ड में अच्छाई और सही व्यवस्था के महत्त्व पर ज़ोर था। जब भारतीय आर्य और ईरानी लोगों का विभाजन हुआ तो इस सही व्यवस्था के लिए संस्कृत में शब्द 'ऋत' बना और ईरानी भाषाओँ में इसका सजातीय 'अर्ता' बना, जिसका एक अन्य रूप 'अशा' है। ध्यान दीजिये कि क्योंकि अंग्रेज़ी भी हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार की सदस्य है इसलिए उसमें भी सही के लिए इस से मिलता-जुलता 'राईट' (right) शब्द है। इसके विपरीत जाने वाली क्रिया को संस्कृत में 'द्रुह' और फ़ारसी में 'द्रुज' कहा गया, यानि 'झूठा' या 'बुरा'। पारसी धर्म में अहुर मज़्दा अर्ता के लिए और द्रुज के खिलाफ़ हैं जबकि अंगिरा मैन्यु उस से विपरीत है।, Yves Bonnefoy, University of Chicago Press, 1993, ISBN 978-0-226-06456-7,...

14 संबंधों: परमेश्वर, पारसी धर्म, यज्ञ, सजातीय शब्द, संस्कृत भाषा, हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार, ज़रथुश्त्र, ईरान, ईरानी भाषा परिवार, आदिम हिन्द-ईरानी भाषा, अवस्ताई भाषा, अंगिरा मैन्यु, अंग्रेज़ी भाषा, ऋग्वेद

परमेश्वर

परमेश्वर का शाब्दिक अर्थ 'परम ईश्वर' है। .

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पारसी धर्म

पारसी धर्म ईरान का प्राचीन काल से प्रचलित धर्म है। ये ज़न्द अवेस्ता नाम के धर्मग्रंथ पर आधारित है। इसके प्रस्थापक महात्मा ज़रथुष्ट्र हैं, इसलिये इस धर्म को ज़रथुष्ट्री धर्म (Zoroastrianism) भी कहते हैं। .

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यज्ञ

यज्ञ, योग की विधि है जो परमात्मा द्वारा ही हृदय में सम्पन्न होती है। जीव के अपने सत्य परिचय जो परमात्मा का अभिन्न ज्ञान और अनुभव है, यज्ञ की पूर्णता है। यह शुद्ध होने की क्रिया है। इसका संबंध अग्नि से प्रतीक रूप में किया जाता है। यज्ञ का अर्थ जबकि योग है किन्तु इसकी शिक्षा व्यवस्था में अग्नि और घी के प्रतीकात्मक प्रयोग में पारंपरिक रूचि का कारण अग्नि के भोजन बनाने में, या आयुर्वेद और औषधीय विज्ञान द्वारा वायु शोधन इस अग्नि से होने वाले धुओं के गुण को यज्ञ समझ इस 'यज्ञ' शब्द के प्रचार प्रसार में बहुत सहायक रहे। अधियज्ञोअहमेवात्र देहे देहभृताम वर ॥ 4/8 भगवत गीता शरीर या देह के दासत्व को छोड़ देने का वरण या निश्चय करने वालों में, यज्ञ अर्थात जीव और आत्मा के योग की क्रिया या जीव का आत्मा में विलय, मुझ परमात्मा का कार्य है। अनाश्रित: कर्म फलम कार्यम कर्म करोति य: स संन्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रिय: ॥ 1/6 भगवत गीता .

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सजातीय शब्द

सजातीय शब्द, जिन्हें अंग्रेजी में काग्नेट (cognate) शब्द कहा जाता है, भिन्न भाषाओं के वे शब्द होते हैं जो अलग भाषाओं से होने के बावजूद एक ही प्राचीन जड़ रखते हैं। इस कारण से इन शब्दों को जिनका रूप और अर्थ अक्सर मिलता-जुलता होता है सजातीय शब्द कहते हैं, हालाँकि ये आवश्यक नहीं है कि उनका अर्थ बिल्कुल सामान हो। उदहारण के रूप में मातृ (संस्कृत), मादर (फ़ारसी), मातर (लातिन) और मदर (अंग्रेजी) का रूप सामान सा है और सब का अर्थ माँ है क्योंकि यह सारी भाषाएँ एक ही आदिम-हिन्द-यूरोपीय (Proto-Indo-European) भाषा से उपजी संतानें हैं। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार

हिन्द - यूरोपीय भाषाओं देश बोल रही हूँ. गाढ़े हरे रंग के देश में जो बहुमत भाषा हिन्द - यूरोपीय परिवार हैं, लाइट ग्रीन एक देश वह जिसका आधिकारिक भाषा हिंद- यूरोपीय है, लेकिन अल्पसंख्यकों में है। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा-परिवार संसार का सबसे बड़ा भाषा परिवार (यानी कि सम्बंधित भाषाओं का समूह) हैं। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा परिवार में विश्व की सैंकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ सम्मिलित हैं। आधुनिक हिन्द यूरोपीय भाषाओं में से कुछ हैं: हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, फ़्रांसिसी, जर्मन, पुर्तगाली, स्पैनिश, डच, फ़ारसी, बांग्ला, पंजाबी, रूसी, इत्यादि। ये सभी भाषाएँ एक ही आदिम भाषा से निकली है, उसे आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा का नाम दे सकता है। यह संस्कृत से बहुत मिलती-जुलती थी, जैसे कि वह सांस्कृत का ही आदिम रूप हो। .

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ज़रथुश्त्र

ज़रथुश्त्र, ज़रथुष्ट्र (फ़ारसी: زرتشت ज़रतोश्त, अवेस्तन: ज़र.थुश्त्र, संस्कृत: हरित् + उष्ट्र, सुनहरी ऊंट वाला) प्राचीन ईरान के पारसी धर्म के संस्थापक माने जाते हैं जो प्राचीन ग्रीस के निवासियों तथा पाश्चात्य लेखकों को इसके ग्रीक रूप जारोस्टर के नाम से ज्ञात है। फारसी में जरदुश्त्र: गुजराती तथा अन्य भारतीय भाषाओं में जरथुश्त। उनके जन्म और मरण के काल के बारे में इतिहासकारों में मतभेद है। उनके जीवन काल का अनुमान विभिन्न विद्वानों द्वारा १४०० से ६०० ईपू है। ज़रथुश्त्र (अहुरा मज़्दा) के सन्देशवाहक थे। उन्होंने सर्वप्रथम दाएवों (बुरी और शैतानी शक्तिओं) की निन्दा की और अहुरा मज़्दा को एक, अकेला और सच्चा ईश्वर माना। उन्होंने एक नये धर्म "ज़रथुश्त्री धर्म" (पारसी धर्म) की शुरुआत की और पारसी धर्मग्रन्थ अवेस्ता में पहले के कई काण्ड (गाथाएँ) लिखे। सबसे पहले शुद्ध अद्वैतवाद के प्रचारक जोरोस्ट्रीय धर्म ने यहूदी धर्म को प्रभावित किया और उसके द्वारा ईसाई और इस्लाम धर्म को। इस धर्म ने एक बार हिमालय पार के प्रदेशों तथा ग्रीक और रोमन विचार एवं दर्शन को प्रभावित किया था, किंतु 600 वर्ष ad के लगभग इस्लाम धर्म ने इसका स्थान ले लिया। यद्यपि अपने उद्भवस्थान आधुनिक ईरान में यह धर्म वस्तुत: समाप्त है, प्राचीन जोरोस्ट्रीयनों के मुट्ठीभर बचे खुचे लोगों के अतिरिक्त, जो विवशताओं के बावजूद ईरान में रहे और उनके वंशजों के अतिरिक्त जो अपने धर्म को बचाने के लिए बारह शताब्दियों से अधिक हुआ पूर्व भारत भाग आए थे, उनमें उस महान प्रभु की वाणी अब भी जीवित है और आज तक उनके घरों और उपासनागृहों में सुनी जाती है। गीतों के रूप में गाथा नाम से उनके उपदेश सुरक्षित हैं जिनका सांराश है अच्छे विचार, अच्छी वाणी, अच्छे कार्य। .

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ईरान

ईरान (جمهوری اسلامی ايران, जम्हूरीए इस्लामीए ईरान) जंबुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है। इसे सन १९३५ तक फारस नाम से भी जाना जाता है। इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अज़रबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक और तुर्की, पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से घिरा है। यहां का प्रमुख धर्म इस्लाम है तथा यह क्षेत्र शिया बहुल है। प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को १९७९ में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था। यहाँ के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की १५ प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहाँ की मुख्य भाषा है। ईरान में फारसी, अजरबैजान, कुर्द और लूर सबसे महत्वपूर्ण जातीय समूह हैं .

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ईरानी भाषा परिवार

ईरानी भाषाओँ का वृक्ष, जिसमें उसकी उपशाखाएँ दिखाई गई हैं आधुनिक ईरानी भाषाओँ का फैलाव ईरानी भाषाएँ हिन्द-ईरानी भाषा परिवार की एक उपशाखा हैं। ध्यान रहे कि हिन्द-ईरानी भाषाएँ स्वयं हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार की एक उपशाखा हैं। आधुनिक युग में विश्व में लगभग १५-२० करोड़ लोग किसी ईरानी भाषा को अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं और ऍथ़नॉलॉग भाषाकोष में सन् २०११ तक ८७ ईरानी भाषाएँ दर्ज थीं।, Gernot Windfuhr, Routledge, 2009, ISBN 978-0-7007-1131-4, Raymond Gordon, Jr.

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आदिम हिन्द-ईरानी भाषा

हिन्द-ईरानी भाषा आदिम हिन्द-ईरानी भाषा वह लुप्त भाषा थी जो हिन्द-ईरानी भाषा परिवार की सभी भाषाओँ की जननी थी, जिनमें संस्कृत, हिन्दी, कश्मीरी, सिन्धी, पंजाबी, असमिया, अवस्ताई, फ़ारसी, पश्तो, बलोची और कुर्दी भाषाएँ शामिल हैं। यह हिन्द-यूरोपी भाषा परिवार की एक भाषा थी और इस से ही हिन्द-ईरानी भाषा शाखा शुरू हुई। अनुमान किया जाता है के इसे बोलने वाले आदिम-हिन्दी-ईरानी लोग 2500 ईसा-पूर्व के आसपास के दौर में रहते थे। .

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अवस्ताई भाषा

अवस्ताई भाषा में अनुहावैती गाथा का यस्न 28.1 अवस्ताई एक पूर्वी ईरानी भाषा है जिसका ज्ञान आधुनिक युग में केवल पारसी धर्म के ग्रंथों, यानि अवस्ता, के द्वारा पहुँच पाया है। इतिहासकारों का मानना है के मध्य एशिया के बॅक्ट्रिया और मार्गु क्षेत्रों में स्थित याज़ संस्कृति में यह भाषा या इसकी उपभाषाएँ 1500-1100 ईसापूर्व के काल में बोली जाती थीं। क्योंकि यह एक धार्मिक भाषा बन गई, इसलिए इस भाषा के साधारण जीवन से लुप्त होने के पश्चात भी इसका प्रयोग नए ग्रंथों को लिखने के लिए होता रहा। .

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अंगिरा मैन्यु

अंगिरा मैन्यु अथवा अहिरमन पारसी धर्म में नकारात्मक अथवा विनाशक शक्तियों के स्वामी के रूप में वर्णित है। यह अहुरा मज़्दा के विरोधी देवता के रूप में स्वीकार किया गया है। यह पारसी धर्म की मौलिक संकल्पना माना जाता है, हालाँकि, अन्य प्राचीन धर्मों में वर्णित द्वैतवाद की भांति इस अहुरा मज़्दा - अहिरमन रुपी संकल्पना को भी ईश्वर-शैतान अथवा शुभ-अशुभ शक्तियों के द्वैतवाद के रूप में देखा जाता है। अहुर मज़्द को जीवन, प्रकाश और नैतिकता का स्रोत माना गया है और अहिरमन को अन्धकार तथा मृत्यु का। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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ऋग्वेद

ऋग्वेद सनातन धर्म का सबसे आरंभिक स्रोत है। इसमें १०२८ सूक्त हैं, जिनमें देवताओं की स्तुति की गयी है इसमें देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं, यही सर्वप्रथम वेद है। ऋग्वेद को इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की अभी तक उपलब्ध पहली रचनाऔं में एक मानते हैं। यह संसार के उन सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है जिसकी किसी रूप में मान्यता आज तक समाज में बनी हुई है। यह एक प्रमुख हिन्दू धर्म ग्रंथ है। ऋक् संहिता में १० मंडल, बालखिल्य सहित १०२८ सूक्त हैं। वेद मंत्रों के समूह को सूक्त कहा जाता है, जिसमें एकदैवत्व तथा एकार्थ का ही प्रतिपादन रहता है। ऋग्वेद में ही मृत्युनिवारक त्र्यम्बक-मंत्र या मृत्युंजय मन्त्र (७/५९/१२) वर्णित है, ऋग्विधान के अनुसार इस मंत्र के जप के साथ विधिवत व्रत तथा हवन करने से दीर्घ आयु प्राप्त होती है तथा मृत्यु दूर हो कर सब प्रकार का सुख प्राप्त होता है। विश्व-विख्यात गायत्री मन्त्र (ऋ० ३/६२/१०) भी इसी में वर्णित है। ऋग्वेद में अनेक प्रकार के लोकोपयोगी-सूक्त, तत्त्वज्ञान-सूक्त, संस्कार-सुक्त उदाहरणतः रोग निवारक-सूक्त (ऋ०१०/१३७/१-७), श्री सूक्त या लक्ष्मी सूक्त (ऋग्वेद के परिशिष्ट सूक्त के खिलसूक्त में), तत्त्वज्ञान के नासदीय-सूक्त (ऋ० १०/१२९/१-७) तथा हिरण्यगर्भ सूक्त (ऋ०१०/१२१/१-१०) और विवाह आदि के सूक्त (ऋ० १०/८५/१-४७) वर्णित हैं, जिनमें ज्ञान विज्ञान का चरमोत्कर्ष दिखलाई देता है। ऋग्वेद के विषय में कुछ प्रमुख बातें निम्नलिखित है-.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

अहुर मज़्द, अहुरमज्द

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