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अंग्रेजी गद्य

सूची अंग्रेजी गद्य

अंग्रेजी गद्य ने अंग्रेजी कविता, नाटक और उपन्यास के समान ही अंग्रेजी साहित्य को समृद्ध किया है। बाइबिल के अनेक वाक्य अंग्रेजी राष्ट्र के मानस पर सदा के लिए गहरे अंकित हो गए हैं। इसी प्रकार शेक्सपियर, मिल्टन, गिबन, जॉन्सन, न्यूमैन, कार्लाइल और रस्किन के वाक्य अंग्रेज जाति को स्मृति में गूंजते हैं। अंग्रेजी गद्य अनेक साहित्यिक विधाओं द्वारा समृद्ध हुआ है। इनमें उपन्यास, कहानी और नाटक के अतिरिक्त निबंध, जीवनी, आत्मकथा, आलोचना, इतिहास, दर्शन और विज्ञान भी सम्मिलित हैं। अंग्रेजी गद्य का संगीत अनेक शताब्दियों से पाठकों को मोहता रहा है। यह संगीत बहुधा रोमांसवादी और भावना प्रधान रहा है। इस गद्य में काव्य का गुण प्रचुर मात्रा में मिलता है। अंग्रेजी गद्य की तुलना में फ्रेंच गद्य की गति अधिक संतुलित और संयत रही है। एक आलोचक का कहना है कि कविता भावना को भाषा देती है, किंतु गद्य विवेक और बुद्धि की वाणी है। अंग्रेजी गद्य ऐंग्लो-सैक्सन साहित्य की परंपरा का ही विकास है। मध्य युग के बीड (672-735) अंग्रेजी गद्य के पितामह कहे जा सकते हैं। बीड की ‘एक्सेज़िएस्टिकल हिस्ट्री’ जूलियस सीज़र के आक्रमण से लेकर 731 ई. तक के इंग्लैंड का प्राय: आठ सौ वर्षों का इतिहास प्रस्तुत करती है। अंग्रेजी गद्य का सर्वप्रथम महत्त्वपूर्ण ग्रंथ सर जॉन मेंडेविल की यात्राएँ हैं। यात्रा वर्णन के रूप में यह पुस्तक वास्तव में काल्पनिक गाथा है। सन् 1377 में मूल फ्रांसीसी से अनूदित होकर यह अंग्रेजी में प्रकाशित हुई। अंग्रेजी कविता के जनक चॉसर (1340-1400) का गद्य साहित्य भी परिमाण में काफी है। उनकी कैटरबरी टेल्स में दो कहानियाँ गद्य में लिखी है। अंग्रेजी गद्य को विक्लिफ (1324-1384) की रचनाओं से बहुत प्रेरणा मिली। विक्लिफ अंधविश्वासों पर कठोर आघात करता है। उसने सर्वप्रथम बाइबिल का सन् 1611 का विख्यात संस्करण तैयार हुआ। विक्लिफ धर्म के क्षेत्र में स्वतंत्र विचारक था। उसके गद्य में बड़ी शक्ति है। 15वीं शताब्दी तक इंग्लैंड के लेखक लातीनी गद्य में ही लिखना पसंद करते थे और शक्ति तथा प्रतिभा से संपन्न कम गद्य अंग्रेजी में लिखा गया। ऐसे लेखकों में सर जॉन फॉर्टेस्क्यू (1394-1476) का नाम उल्लेखनीय है। इन्होंने अंग्रेजी विधान की प्रशंसा में एक पुस्तक ‘दि गवर्नेन्स ऑव इंग्लैंड’ लिखी। अंग्रेजी गद्य के इतिहास में कैक्स्टन (1421-91) का नाम विशेष महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने 1476 में मुद्रण कार्य आरंभ किया और अंग्रेजी गद्य को स्थानीय बोलियों के प्रभाव से मुक्त करके एक निश्चित रूप देने में बड़ी मदद की। कैक्स्टन ने मध्य युग के अनेक रोमांस अंग्रेजी गद्य में अनुवाद करके प्रकाशित किए। उन्होंने फ्रेंच गद्य को अपना आदर्श बनाया और अंग्रेजी गद्य के विकास में बड़ा हिस्सा लिया। कैक्स्टन के महत्त्वपूर्ण प्रकाशनों में सर टॉमस मैलोरी का ‘मार्त द आर्थर’भी था। मैलोली की पुस्तक अंग्रेजी गद्य के इतिहास में एक स्मरणीय मील स्तंभ है। अंग्रेजी पुनर्जागरण के पहले बड़े लेखक सर टॉमस मोर (1478-1535) है। उनकी पुस्तक युटोपिया विश्वविख्यात है, किंतु दुर्भाग्य से इस पुस्तक को उन्होंने लातीनी में लिखा। अंग्रेजी में उनकी केवल कुछ मामूली रचनाएँ हैं। उन्हीं के बाद इलियट, चीक, एैस्कम और विल्सन ने अपनी शिक्षा संबंधी पुस्तकें लिखीं। विलियम टिंडेल (1484-1536) ने सन् 1522 से बाइबिल का अनुवाद अंग्रेजी में करना शु डिग्री किया। इस प्रशंसनीय कार्य के बदले टिंडेल को निर्वासन और मत्युदंड मिला। एलिज़ाबेथ के युग का गद्य कविता के स्वर का ही है। इसके उदाहरण लिलि (1554-1606) और सर फिलिप सिडनी (1554-86) की रचनाओं में हो पाते हैं। लिली की ‘यूफुइस’और सिडनी की ‘आर्केडिया’काव्य के गुणों से समन्वित रचनाएं हैं। सिडनी की ‘डिफेंस ऑव पोएजी’अंग्रेजी आलोचनाओं की पहली महत्त्वपूर्ण पुस्तक है। अंग्रेजी गद्य के विकास में अगला कदम ग्रीन, लॉज, नैश, डैलूनी आदि के उपन्यासों का प्रकाशन है। इन लेखकों ने आत्मकथाएँ और अनेक विवादपूर्ण पुस्तकें भी लिखीं। उदाहरण के लिए ग्रीन के ‘कन्फेशंस’ का उल्लेख हो सकता है। ‘ओबरवरी’और अर्ल नाम के लेखकों ने चारित्रिक स्केच लिखे, जिसकी प्रेरणा उन्हें ग्रीक लेखक थियोफ्रॉस्तस से मिली। अंग्रेजी गद्य साहित्य का एक महत्त्वपूर्ण अंश हमें एलिज़ाबेथकालीन नाटकों में मिलता है। भावना के गहरे क्षणों में शेक्सपियर के पात्र गद्य में बोलने लगते हैं। ग्रीन, जॉन्सन, मालों आदि के नाम भी अंग्रेजी गद्य के इतिहास में महत्त्वपूर्ण है। अंग्रेजी गद्य के महान लेखकों में पहला बड़ा नाम रिचर्ड हूकर (1554-1600) का है। उनकी पुस्तक ‘दि लॉज ऑव एक्लेजिएस्टिकल पॉलिटी’अंग्रेजी गद्य की उन्नायक हैं। इसी समय (1611) बाइबिल का सुप्रसिद्ध अंग्रेजी अनुवाद भी प्रकाशित हुआ। बाइबिल की भाषा अंग्रेजी गद्य के अनुपम साँचों में ढालती है। वास्तव में यह गद्य काव्य के संगीत से अनुप्राणित है। प्रांसिस बेकन (1561-1626) अंग्रेजी निबंध के जनक तथा इतिहास के दर्शन के गंभीर लेखक थे। उनकी रचनाओं में ‘दि ऐडवांस्मेंट ऑव लर्निंग’, ‘दि न्यू ऐटलैंटिस’, ‘हेनरी सेवेंथ’, ‘दि एसेज़ नोवं ओगनिम’आदि सुप्रसिद्ध है। बेकन की भाषा ठोस, गंभीर और सूत्र शैली की है। रिचर्ड बर्टन (1576-1640) की पुस्तक ‘दि एनाटॉमी ऑव मेलैकली’अंग्रेजी गद्य के इतिहास में एक विख्यात रचना है। इसका पाडित्य अपूर्व है और एक गहरी उदासी पुस्तक भर में छाई रहती है। इस युग के एक महान गद्य लेखक ‘सर टॉमस ब्राउन’(1605-82) है। इनके गद्य का संगीत पाठकों को शताब्दियों से मुग्ध करता रहा है। इनकी महत्त्वपूर्ण रचनाओं में ‘रिलीजिओ मेडिसी’और ‘हाइड्रोटैफिया’उल्लेखनीय है। जैरेमी टेलर (1613-77) प्रसिद्ध धर्म शिक्षक और वक्ता थे। उनकी उपमाएँ बहुत सुंदर होती थीं, उनका गद्य कल्पना और भावना से अनुरंजित है। उनकी पुस्तकों में ‘होली लिविंग’और ‘होली डाइंग’प्रसिद्ध है। इस काल के लेखकों में मिल्टन का जन्म अग्रगण्य है। तीस से लेकर पचास वर्ष की आयु तक मिल्टन ने केवल गद्य लिखा और तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक विवादों में जमकर भाग लिया। अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘एरोपाजिटिका’में वे विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रश्न को ऊँचे धरातल पर उठाते हैं और आज भी उनके विचारों में सत्य की गूँज है। मिल्टन के गद्य में शक्ति और ओज का अद्भुत संयोग है। 17वीं शताब्दी के गद्य लेखकों में अन्य उल्लेखनीय नाम फुलर (1608-61) और वाल्टन (1593-1683) के हैं। फुलर धार्मिक विषयों पर लिखते थे। उनकी पुस्तक, ‘दि बर्दीज ऑव इंग्लैंड’प्रसिद्ध है। वाल्टन की पुस्तक, ‘दि कंप्लीट ऐंग्लर’अंग्रेजी साहित्य की अमर रचनाओं में से है। ड्राइडन (1631-1700) अंग्रेजी के प्रमुख गद्यकारों में थे। उनकी आलोचना शैली सुलझी हुई और सुव्यवस्थित थी। उनकी गद्य शैली भी फ्रेंच परंपरा के निकट है। वह चिंतन को सहज और तर्कसंगत अभिव्यक्ति देते हैं। ड्राइडन की भूमिकाओं के अतिरिक्त उनकी पुस्तक, ‘एसे ऑव ड्रैमेटिक पोएज़ी’सुप्रसिद्ध है। हॉब्स (1588-1679) के राजनीतिक विचारों का ऐतिहासिक महत्व है और उनकी पुस्तक ‘दि लेवायथान’अंग्रेजी भाषा की एक सुप्रसिद्ध रचना है। पेपीज़ (1632-1704) और एवलिन (1632-1706) की डायरियाँ अंग्रेजी साहित्य की निधि हैं। हॉब्स के समान ही लॉक (1623-1704) के राजनीतिक विचारों का भी ऐतिहासिक महत्व बहुत है। 18वीं शताब्दी में अंग्रेजी गद्य जीवन की गति के सबसे अधिक निकट आया। इसका कारण फ्रेंच साहित्य का बढ़ता हुआ प्रभाव था। स्विफ़्ट (1667-1745) अपनी अमर कृति ‘गुलिबर्ग ट्रैवेल्स’में अपने समय के मानवीय व्यापारों पर कठोर व्यंग करते हैं। उनके गद्य में बड़ा ओज और बल है। उनकी अन्य प्रसिद्ध रचनाओं में ‘ए टेल ऑव ए टब’और ‘दि बैटिल ऑव दि बुक्स’भी उल्लेखनीय है। 18वीं शताब्दी का साहित्य उठते हुए मध्य वर्ग की भावनाओं को व्यक्त करता है और इसके गद्य की शैली भी इस वर्ग की आवश्यकताओं के अनुरूप सरल और स्पष्ट है। इस युग के सफल गद्यकारों में डिफो, एडिसन और स्टील हैं। डिंफो (1660-1731) का उपन्यास ‘रॉबिन्सन कूसो’अंग्रेजी भाषा की विशेष लोकप्रिय रचनाओं में से हैं। उनके अन्य उपन्यास ‘मॉल फ्लैंडर्स’, ‘ए जर्नल ऑव दि प्लेग ईगर’आदि यथार्थवादी शैली में ढले हैं। एडिसन (1672-1719) और स्टील (1672-1729) मुख्यत: निबंधकार है। उन्होंने ‘दि टैटलर’ और ‘दि स्पेक्टेटर’ नाम के पत्र निकाल कर अंग्रेजी साहित्य में उच्च कोटि की पत्रकारिता की भी नींव रखी। अंग्रेजी साहित्य के इतिहास में डॉ॰ जॉन्सन (1709-84) का नाम अविस्मरणीय रहेगा। वे इतिहासकार, निबंधकार, आलोचक, कवि और उपन्यासकार थे। उन्होंने एक कोश की भी रचना की। इनकी गद्य कृतियों में ‘लाइव्ज़ ऑव दि पोएट्स’, ‘रासेलस’और ‘प्रीफेसेज़ टु शेक्सपियर’ अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। जॉन्सन की बातचीत भी, जो बॉजवेल लिखित जीवनी में संकलित है, उनके लेखन से कम महत्व की नहीं होती थी। 18वीं शताब्दी में अंग्रेजी उपन्यास का अपूर्व विकास हुआ। इस काल के उपन्यासकारों में गोल्डस्मिथ (1728-1774) भी थे जिन्होंने जल के समान तरल गति का गद्य लिखा और अनेक सुंदर निबंधों की रचना की। इनकी रचनाओं में ‘दि सिटिज़न ऑव दि वर्ल्ड’, ‘दि विकार ऑव बेकफील्ड’आदि सुविख्यात है। इतिहासकारों में हयूम, रॉबर्टसन और गिबन के नाम महत्त्वपूर्ण है। गिबन (1737-1784) अंग्रेजी गद्य के इतिहास के अमर हैं। शैली और निर्माण शक्ति की दृष्टि से उनका ग्रंथ ‘डिक्लाइन ऐंड फ़ाल ऑव दि रोमन एम्पायर’ एक स्मरणीय कृति है। इसी श्रेणी में प्रसिद्ध विचारक और वक्ता वर्क (1729-1797) का नाम भी आता है। उनके गद्य में बड़ी प्रवहमान शक्ति थी। उनकी सबसे प्रसिद्ध पुस्तक ‘रिफ्लेक्शंस ऑन दि फ्रेंच रिवल्यूशन’है। फ्रांसीसी क्रांति से प्रभावित रोमैंटिक साहित्य में मूलत: कविता प्रमुख है। रोमैंटिक कवियों ने अपने कृतित्व के बचाव में भूमिकाएँ आदि लिखीं। उनमें सबसे महत्त्वपूर्ण वक्तव्य वर्ड सवर्थ का ‘प्रीफेस टु दि लिरिकल बैलड्स’, कोलरिज की ‘बायोग्रैफिया लिटरेरिया’और शेली की पुस्तक ‘ए डिफ़ेंस ऑव पोएट्री’है। रोमैंटिक युग का गद्य भावना और कल्पना से अनुरंजित है। समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र पर जेरेमी बेंथम, रिकार्डो और एडस स्मिथ ने ग्रंथ लिखे। 19वीं शताब्दी में ‘एडिनबरा रिव्यू’, ‘क्वार्टर्ली’और ‘ब्लैकबुड’ के समान पत्रिकाओं का जन्म हुआ जिन्होंने गद्य साहित्य के बहुमुखी विकास में मदद की। 19वीं शताब्दी के प्रमुख निबंधकारों और आलोचकों में लैंब, हैज़लिट, ली हंट और डी क्विंसी के नाम अग्रगण्य है। लैंब (1775-1834) अंग्रेजी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ निबंधकार हैं। उनके निबंध ‘एसेज़ ऑव इलिया’के नाम से प्रकाशित हुए। हैज़लिट (1778-1830) उच्च कोटि के निबंधकार और आलोचक थे। डी क्विंसी (1785-1859) की पुस्तक ‘कन्फेशंस ऑव ऐन ओपियम ईटर’ अंग्रेजी साहित्य का अनुपम रत्न है। विक्टोरिया युग के प्रारंभ से अंग्रेजी साहित्य अधिक संतुलन और संयम की ओर अग्रसर होता है और गद्य की शैली भी अधिक संयत हो जाती है, यद्यपि कार्लाइल और रस्किन के से गद्यकारों की रचना में हम रोमांटिक शैली का प्रभाव फिर देखते हैं। मिल (1806-1873) ने अनेक ग्रंथ लिखकर दार्शनिक गद्य को समृद्ध किया। इतिहासकारों में मैकाले (1800-1859) का गद्य बहुरंगी और सबल था। उनके ऐतिहासिक निबंध बहुत ही लोकप्रिय हैं। साहित्यालोचन के क्षेत्र में मैथ्यू आर्नल्ड (1822-88) का कार्य विशेष महत्व का है। आर्नल्ड का चिंतन सुस्पष्ट था और यही स्पष्टता उनकी गद्य शैली की भी विशेषता है। विचारों के क्षेत्र में भी डारविन, हक्सले और हर्बर्ट स्पैंसर की कृतियाँ अंग्रेजी गद्य को महत्त्वपूर्ण देन है। 19वीं शताब्दी के गद्यकारों में कार्लाइल, न्यूमैन और रस्किन का उल्लेख अनिवार्य है। इनके लेखन में हमें अंग्रेजी गद्य की सर्वोच्च उड़ानें मिलती हैं। कार्लाइल (1795-1881) इतिहासकार और विचारक थे। उनके ग्रंथ ‘दि फ्रेंच रिवल्यूशन, पास्ट ऐंड प्रेज़ंट, हिरोज़ ऐंड हिरो वर्शिप’अंग्रेजी साहित्य के उत्कृष्ट नमूने हैं। उनकी आत्मकथा अंग्रेजी गद्य का उत्कृष्ट रूप प्रस्तुत करती है। रस्किन कलात्मक और सामाजिक प्रश्नों पर विचार करते हैं। उनकी कृतियों में ‘मॉडर्न पेंटर्स’, ‘दि सेविन लैप्स ऑव आर्किटेक्चर’, ‘दि स्टोन्स ऑव वनिस अंटू दिस लास्ट’, आदि विख्यात है। सन् 1890 के लगभग अंग्रेजी साहित्य एक नया मोड़ लेता है। इस युग के पितामह पेटर (1839-94) थे। उनके शिष्य ऑस्कर वाइल्ड (1856-1900) ने कलावाद के सिद्धांत को विकसित किया। उनका गद्य सुंदर और भड़कीला था और उनके अनेक वाक्य अविस्मरणीय होते थे। इस युग के लेखक इतिहास में ह्रासवादी कहे जाते हैं। आयरिश गद्य के जनक येट्स (1865-1939) थे। उनका गद्य अनुपम साँचों में ढला है। उनके अनुगामी सिंज की देन भी महत्त्वपूर्ण है। नाटक के क्षेत्र में इन दोनों का बड़ा महत्व है। येट्स उच्च कोटि के कवि और चिंतक भी थे। 20वीं शताब्दी युद्ध, आर्थिक संकट और विद्रोही विचारधाराओं की शताब्दी है। विद्रोही स्वरों में सबसे सशक्त स्वर इस युग के प्रमुख नाटककार बर्नाड शा (1856-1950) का था। शा और वेल्स (1866-1946) दोनों को ही समाजवादी कहा गया है। इनके विपरीत चेस्टरटन, (1874-1936) और बेलॉक (1870-1953) वैज्ञानिक दर्शन के विरुद्ध खड़े हुए। वे दोनों ही उच्च कोटि के निबंधकार और आलोचक थे। आधुनिक अंग्रेजी गद्य अनेक दिशाओं में विकसित हो रहा है। उपन्यास, नाटक, आलोचना, निबंध, जीवनी, विविध साहित्य, विज्ञान और दर्शन सभी क्षेत्रों में हम जागृति और प्रगति के लक्षण देखते हैं। लिटन स्ट्रैची (1880-1932) के समान जीवनी लेखक और टी.एस.

5 संबंधों: बाइबिल, जॉन रस्किन, विलियम शेक्सपीयर, गिबन, अंग्रेज़ी भाषा

बाइबिल

बाइबिल (अथवा बाइबल, Bible, अर्थात "किताब") ईसाई धर्म(मसीही धर्म) की आधारशिला है और ईसाइयों (मसीहियों) का पवित्रतम धर्मग्रन्थ है। इसके दो भाग हैं: पूर्वविधान (ओल्ड टेस्टामैंट) और नवविधान (न्यू टेस्टामेंट)। बाइबिल का पूर्वार्ध अर्थात् पूर्वविधान यहूदियों का भी धर्मग्रंथ है। बाइबिल ईश्वरप्रेरित (इंस्पायर्ड) है किंतु उसे अपौरुषेय नहीं कहा जा सकता। ईश्वर ने बाइबिल के विभिन्न लेखकों को इस प्रकार प्रेरित किया है कि वे ईश्वरकृत होते हुए भी उनकी अपनी रचनाएँ भी कही जा सकती हैं। ईश्वर ने बोलकर उनसे बाइबिल नहीं लिखवाई। वे अवश्य ही ईश्वर की प्रेरणा से लिखने में प्रवृत्त हुए किंतु उन्होंने अपनी संस्कृति, शैली तथा विचारधारा की विशेषताओं के अनुसार ही उसे लिखा है। अत: बाइबिल ईश्वरीय प्रेरणा तथा मानवीय परिश्रम दोनों का सम्मिलित परिणाम है। मानव जाति तथा यहूदियों के लिए ईश्वर ने जो कुछ किया और इसके प्रति मनुष्य की जो प्रतिक्रिया हुई उसका इतिहास और विवरण ही बाइबिल का वण्र्य विषय है। बाइबिल गूढ़ दार्शनिक सत्यों का संकलन नहीं है बल्कि इसमें दिखलाया गया है कि ईश्वर ने मानव जाति की मुक्ति का क्या प्रबंध किया है। वास्तव में बाइबिल ईश्वरीय मुक्तिविधान के कार्यान्वयन का इतिहास है जो ओल्ड टेस्टामेंट में प्रारंभ होकर ईसा के द्वारा न्यू टेस्टामेंट में संपादित हुआ है। अत: बाइबिल के दोनों भागों में घनिष्ठ संबंध है। ओल्ड टेस्टामेंट की घटनाओं द्वारा ईसा के जीवन की घटनाओं की पृष्ठभूमि तैयार की गई है। न्यू टेस्टामेंट में दिखलाया गया है कि मुक्तिविधान किस प्रकार ईसा के व्यक्तित्व, चमत्कारों, शिक्षा, मरण तथा पुनरुत्थान द्वारा संपन्न हुआ है; किस प्रकार ईसा ने चर्च की स्थापना की और इस चर्च ने अपने प्रारंभिक विकास में ईसा के जीवन की घटनाओं को किस दृष्टि से देखा है कि उनमें से क्या निष्कर्ष निकाला है। बाइबिल में प्रसंगवश लौकिक ज्ञान विज्ञान संबंधी बातें भी आ गई हैं; उनपर तात्कालिक धारणाओं की पूरी छाप है क्योंकि बाइबिल उनके विषय में शायद ही कोई निर्देश देना चाहती है। मानव जाति के इतिहास की ईश्वरीय व्याख्या प्रस्तुत करना और धर्म एवं मुक्ति को समझना, यही बाइबिल का प्रधान उद्देश्य है, बाइबिल की तत्संबंधी शिक्षा में कोई भ्रांति नहीं हो सकती। उसमें अनेक स्थलों पर मनुष्यों के पापाचरण का भी वर्णन मिलता है। ऐसा आचरण अनुकरणीय आदर्श के रूप में नहीं प्रस्तुत हुआ है किंतु उसके द्वारा स्पष्ट हो जाता है कि मनुष्य कितने कलुषित हैं और उनको ईश्वर की मुक्ति की कितनी आवश्यकता है। .

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जॉन रस्किन

जॉन रस्किन (8 फ़रवरी 1819 - 20 जनवरी 1 9 00) विक्टोरियन युग की प्रमुख अंग्रेजी कला आलोचक थे।, साथ ही एक आर्ट संरक्षक, ड्राफ्ट्समैन, वॉयल कॉरोलिस्ट, एक प्रमुख सामाजिक विचारक और परोपकारी थे। उन्होंने भूविज्ञान, वास्तुकला, मिथक, पक्षीविज्ञान, साहित्य, शिक्षा, वनस्पति विज्ञान और राजनीतिक अर्थव्यवस्था के रूप में विभिन्न विषयों पर लिखा था। उनकी लेखन शैलियों और साहित्यिक रूप समान रूप से भिन्न थे। उन्होंने निबंध और ग्रंथ, कविता और व्याख्यान, यात्रा गाइड और मैनुअल, पत्र और यहां तक ​​कि एक परियों की कहानी भी लिखी। उन्होंने विस्तृत स्केच और चट्टानों, पौधों, पक्षियों, परिदृश्य, और स्थापत्य संरचनाओं और अलंकरण के पेंटिंग भी बनाए। उनकी विस्तृत शैली, जिसने कला पर उनके शुरुआती लेखन को चित्रित किया, उन्होंने अपने विचारों को और अधिक प्रभावी ढंग से संवाद करने के लिए तैयार की गई सरल भाषा में समय दिया। अपने सभी लेखन में उन्होंने प्रकृति, कला और समाज के बीच संबंधों पर जोर दिया। वह 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में और प्रथम विश्व युद्ध तक बेहद प्रभावशाली थे। सापेक्ष गिरावट की अवधि के बाद, 1960 से अपने काम के कई शैक्षिक अध्ययनों के प्रकाशन के साथ उनकी प्रतिष्ठा में लगातार सुधार हुआ है। आज, उनके विचार और चिंताओं को पर्यावरणवाद, स्थिरता और शिल्प में अनुमानित रुचि के रूप में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है। .

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विलियम शेक्सपीयर

विलियम शेक्सपीयर विलियम शेक्सपीयर (William Shakespeare; 23 अप्रैल 1564 (बपतिस्मा हुआ) – 23 अप्रैल 1616) अंग्रेजी के कवि, काव्यात्मकता के विद्वान नाटककार तथा अभिनेता थे। उनके नाटकों का लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हुआ है। शेक्सपियर में अत्यंत उच्च कोटि की सर्जनात्मक प्रतिभा थी और साथ ही उन्हें कला के नियमों का सहज ज्ञान भी था। प्रकृति से उन्हें मानो वरदान मिला था अत: उन्होंने जो कुछ छू दिया वह सोना हो गया। उनकी रचनाएँ न केवल अंग्रेज जाति के लिए गौरव की वस्तु हैं वरन् विश्ववांमय की भी अमर विभूति हैं। शेक्सपियर की कल्पना जितनी प्रखर थी उतना ही गंभीर उनके जीवन का अनुभव भी था। अत: जहाँ एक ओर उनके नाटकों तथा उनकी कविताओं से आनंद की उपलब्धि होती है वहीं दूसरी ओर उनकी रचनाओं से हमको गंभीर जीवनदर्शन भी प्राप्त होता है। विश्वसाहित्य के इतिहास में शेक्सपियर के समकक्ष रखे जानेवाले विरले ही कवि मिलते हैं। .

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गिबन

गिबन (Gibbon) लंबी बाहोंवाला, पेड़ों पर दौड़नेवाला एक कपि का जीववैज्ञानिक कुल है जो उत्तरपूर्वी भारत, पूर्वी बंग्लादेश और दक्षिणपूर्वी चीन से लेकर इण्डोनेशिया के कई द्वीपों (सुमात्रा, जावा और बोर्नियो समेत) में पाया जाता है। गिबन कुल के चार जीववैज्ञानिक वंश और १७ जीववैज्ञानिक जातियाँ अस्तित्व में हैं। इनका रंग काला, भूरा और श्वेत का मिश्रण होता है। पूरे श्वेत रंग के गिबन बहुत् कम ही दिखते हैं। गिबन जातियों में सियामंग, श्वेत-हस्त या लार गिबन और हूलोक गिबन शामिल हैं। यह मानव, चिम्पैन्ज़ी, ओरंग उतान, गोरिला और बोनोबो जैसे महाकपियों की तुलना में आकार में छोटे होते हैं और उनसे अधिक बंदर-जैसे दिखते हैं लेकिन सभी कपियों की भाँति इनकी भी पूँछ नहीं होती और यह अक्सर अपने पिछले पाँवों पर चलते हैं। इन्हें अक्सर हीनकपि (smaller apes) कहा जाता है। ये पृथ्वी पर खड़े होकर तो चल सकते ही हैं, पेड़ों पर भी हाथ के सहारे से खड़े होकर चलते हैं। यह वृक्षों में डाल-से-डाल लटककर बहुत तेज़ी से एक स्थान से दूसरे स्थान जाने में सक्षम होते हैं। इन्हें एक डाल से ५० फ़ुट (१५ मीटर) दूर की डाल तक कूदते हुए और ५५ किमी प्रति घंटे (३४ मील प्रति घंटे) की गति से पेड़ों में घूमते हुए मापा गया है। उड़ सकने वाले स्तनधारियों को छोड़कर, यह विश्व के सबसे गतिशील वृक्ष विचरणी स्तनधारी हैं। गिबन आजीवन एक ही जीवनसाथी चुनकर उसके साथ रहने के लिये जाने जाते हैं हालांकि कुछ जीववैज्ञानिक इसपर विवाद करते हैं और उनके अनुसार गिबनों में कभी-कभी तलाक जैसी प्रक्रिया भी देखी जा सकती है। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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