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हिन्दुस्तान

सूची हिन्दुस्तान

right हिन्दुस्तान (अथवा हिन्दोस्तान या हिन्द) भारत देश का कई भाषाओं में अनाधिकारिक लेकिन विख्यात नाम है, जैसे, उर्दू, हिन्दी, अरबी, फ़ारसी इत्यादि। आजकल अरब देशों और ईरान में "हिन्दुस्तान" शब्द भारतीय उपमहाद्वीप के लिये प्रयुक्त होता है और भारत गणराज्य को हिन्द (अरबी: अल-हिन्द) कहा जाता है। हिंदुस्तान एवं हिन्द शब्द का प्रयोग अक्सर अरबी एवं ईरानी (पर्शियन) किआ करते थे। .

68 संबंधों: चन्द्रशेखर आजाद, एमिली शेंकल, डुमराँव, डॉ॰ ओदोलेन स्मेकल, तराना-ए-मिल्ली, दामोदर स्वरूप 'विद्रोही', दिलरस बानो बेगम, देशभक्ति गीत, नरेन्द्र मोदी, निकोलाओ मानुची, पारसी धर्म, पवन (कार्टूनकार), पुनर्विवाह, फ़र्रुख़ सियर, फ़क़ीर, फ़ूडिस्तान, बनवारी लाल, बलूचिस्तान मुक्ति सेना, बाल पत्रकारिता, बिस्मिल्ला ख़ाँ, भारत, भारत में मोटर वाहन उद्योग, भारत में हिन्दू धर्म, भारत की आधिकारिक भाषाओं में भारत गणराज्य के नाम, भारतीय, मदनमोहन मालवीय, मनिहार, मरियम उज़-ज़मानी, मस्जिद, मह्मीत सय्यद, मंगल पांडे, यहाँ मैं घर घर खेली, राधेश्याम कथावाचक, राम प्रसाद 'बिस्मिल', रामकृष्ण खत्री, राजपूतों की सूची, राजगुरु, रियासत, रुक़य्या सुलतान बेगम, रोशन सिंह, लाला हनुमन्त सहाय, लाला हरदयाल, शहीद (1965 फ़िल्म), सरफरोशी की तमन्ना, संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध, सुनार, स्मिता जयकर, हिन्दुस्तान (बहुविकल्पी), हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन, जहांदार शाह, ..., ज़ाईडा परवीन, जगत गोसाई, खुदीराम बोस, गोविन्दपुर झखराहा, आशारानी व्होरा, आसाराम, करन ग्रोवर, कश्मीर विश्वविद्यालय, काकोरी (मंगल ग्रह), काकोरी काण्ड, क्रान्तिकारी (घोषणा पत्र), अनुशीलन समिति, अफ़सर बिटिया, अफ़ग़ानिस्तान, अफगानिस्तान में हिन्दू धर्म, अबाया, अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ, उदय प्रताप सिंह सूचकांक विस्तार (18 अधिक) »

चन्द्रशेखर आजाद

पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' (२३ जुलाई १९०६ - २७ फ़रवरी १९३१) ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् १९२२ में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले ९ अगस्त १९२५ को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गये। इसके पश्चात् सन् १९२७ में 'बिस्मिल' के साथ ४ प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन का गठन किया तथा भगत सिंह के साथ लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉण्डर्स का हत्या करके लिया एवं दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया। .

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एमिली शेंकल

एमिली, सुभाष व उसका पालतू कुत्ता जर्मन शेफर्ड (सन् 1937 का एक ऐतिहासिक चित्र) एमिली शेंकल (जर्मन भाषा: Emilie Schenkl, जन्म: 26 दिसम्बर 1910 – मृत्यु: मार्च 1996) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता सुभाष चन्द्र बोस की सहयोगी (प्राइवेट सेक्रेटरी) थी जिसके साथ बाद में बोस ने आस्ट्रिया में भारतीय रीति-रिवाज़ से विवाह कर लिया। एमिली और बोस की एकमात्र जीवित सन्तान अनिता बोस फाफ है। जब सुभाष के भाई शरत चन्द्र बोस 1948 में वियेना गये थे तो एमिली ने उनका भावपूर्ण स्वागत किया था। एमिली तो अब नहीं रहीं परन्तु उनकी पुत्री अनिता कभी कभार भारत भ्रमण के बहाने अपने पिता के परिवार जनों से मिलने कोलकाता आ जाती है। .

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डुमराँव

डुमराँव (अंग्रेजी: Dumraon, دُمراوں) पहले भोजपुर रियासत का एक प्रसिद्ध गाँव हुआ करता था। बिहार के नये परिसीमन के अनुसार अब यह गाँव बक्सर जिले में पड़ता है। अब यह गाँव न रहकर बक्सर जिले का एक प्रसिद्ध शहर बन चुका है जिसकी अपनी नगरपालिका है। हिन्दुस्तान के मशहूर शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ का जन्म इसी गाँव की भिरंग राउत की गली में 21 मार्च 1916 को हुआ था। .

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डॉ॰ ओदोलेन स्मेकल

डॉ॰ ओदोलेन स्मेकल (cs:Odolen Smékal, १८ अगस्त १९२८-१३ जून १९९८) चेकोस्लोवाकिया के सुप्रसिद्ध हिन्दी विद्वान और राजनयिक थे। सुदूर देश हिन्दुस्तान और उसकी विशिष्ट हिन्दी भाषा से प्रेम के कारण उन्होंने अपनी दो सन्तानों के नाम भी भारतीय एवं हिन्दी भाषा में ही रखे। चेकोस्लोवाकिया की राजधानी प्राहा के चा‌र्ल्स विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम॰ए॰ व पीएच॰डी॰ करने के बाद प्रो॰ स्मेकल प्राहा विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक और भारत-विद्या विभाग के विभागाध्यक्ष रहे। विश्वविद्यालय से अवकाश लेने के पश्चात् वे अनेक वर्षों तक भारत में चेकोस्लोवाकिया के राजदूत भी रहे। १९९६ में वे दो-दो बार अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत व सम्मानित किये गये। १३ जून १९९८ को लगभग ७० वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हुई। .

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तराना-ए-मिल्ली

इक़बाल तराना-ए-मिल्ली मुहम्मद इक़बाल द्वारा लिखी गई एक उर्दु शायरी है जिसमें उन्होंने नस्ली राष्ट्रवाद के बजाय मसलानों को बतौर मुस्लिम के रहने और इस पर गर्व होने का प्रदर्शन भी किया गया है। उन्होंने यह कविता तराना-ए-हिन्दी के जवाब में लिखी है, जब उन्होंने अपने दृष्टिकोण को बदलकर द्विराष्ट्र सिद्धांत को स्वीकार कर लिया। .

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दामोदर स्वरूप 'विद्रोही'

दामोदर स्वरूप 'विद्रोही' (जन्म:2 अक्टूबर 1928 - मृत्यु: 11 मई 2008) अमर शहीदों की धरती के लिये विख्यात शाहजहाँपुर जनपद के चहेते कवियों में थे। यहाँ के बच्चे-बच्चे की जुबान पर विद्रोही जी का नाम आज भी उतना ही है जितना कि तब था जब वे जीवित थे। विद्रोही की अग्निधर्मा कविताओं ने उन्हें कवि सम्मेलन के अखिल भारतीय मंचों पर स्थापित ही नहीं किया अपितु अपार लोकप्रियता भी प्रदान की। उनका एक मुक्तक तो सर्वाधिक लोकप्रिय हुआ: सम्पूर्ण हिन्दुस्तान में उनकी पहचान वीर रस के सिद्धहस्त कवि के रूप में भले ही हुई हो परन्तु यह भी एक सच्चाई है कि उनके हृदय में एक सुमधुर गीतकार भी छुपा हुआ था। गीत, गजल, मुक्तक और छन्द के विधान पर उनकी जबर्दस्त पकड़ थी। भ्रष्टाचार, शोषण, अत्याचार, छल और प्रवचन के समूल नाश के लिये वे ओजस्वी कविताओं का निरन्तर शंखनाद करते रहे। उन्होंने चीन व पाकिस्तान युद्ध और आपातकाल के दिनों में अपनी आग्नेय कविताओं की मेघ गर्जना से देशवासियों में अदम्य साहस का संचार किया। हिन्दी साहित्य के आकाश में स्वयं को सूर्य-पुत्र घोषित करने वाले यशस्वी वाणी के धनी विद्रोही जी भौतिक रूप से भले ही इस नश्वर संसार को छोड़ गये हों परन्तु अपनी कालजयी कविताओं के लिये उन्हें सदैव याद किया जायेगा। .

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दिलरस बानो बेगम

दिलरस बानो बेगम (1622 – 8 अक्टूबर 1657) मुग़ल राजवंश के आख़िरी महान शहंशाह औरंगज़ेब की पहली और मुख्य बीवी थीं। उन्हें अपने मरणोपरांत ख़िताब राबिया उद्दौरानी ('उस युग की राबिया') के नाम से भी पहचानी जाती है। औरंगाबाद में स्थित 'बीबी का मक़बरा', जो ताज महल (औरंगज़ेब की माँ यानि दिलरस बेगम की सास मुमताज़ महल का मक़बरा) की आकृति पर बनवाया गया, उनकी आख़िरी आरामगाह के तौर पर अपने शौहर का हुक्म पर निर्मित हुआ था। दिलरस मिर्ज़ा बदीउद्दीन सफ़वी और नौरस बानो बेगम की बेटी थीं, और इसके परिणामस्वरूप वे सफ़वी राजवंश की शहज़ादी थीं। 1637 में उनके विवाह तत्कालीन शहज़ादा मुहिउद्दीन (तख़्तनशीन होने के बाद 'औरंगज़ेब' के नाम से प्रसिद्ध) से करवाया गया था और उनकी पाँच औलाद की पैदाइश हुई; जिनमें मुहम्मद आज़म शाह (मुग़लिया सल्तनत के आर्ज़ी वलीअहद), होशियार शायरा ज़ेबुन्निसा (औरंगज़ेब की पसंदीदा बेटी),Krynicki, p. 73 शहज़ादी ज़ीनतुन्निसा (ख़िताब: पादशाह बेगम), और सुल्तान मुहम्मद अकबर (बादशाह के सर्वप्रिय बेटे)। साल 1657 में संभवतः जच्चा संक्रमण की वजह से उनकी मौत हो गई। .

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देशभक्ति गीत

देशभक्त देश गीत गा रहे हैं। देशभक्ति गीत ऐसे गीत हैं जिनमें राष्ट्रीयता की भावना का रस निहित हो। प्रायः देश पर विकट समस्या आने पर या राष्ट्रीय सुधारों के लिये इन गीतों का प्रयोग किया जाता है। इससे देशवासियों में राष्ट्रीयता की भावना जागृत होती है। राजनीति, खेल, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम और राष्ट्र पर आधारित चलचित्र इत्यादि में इन गीतों का प्रयोग आम बात है। कई भारतीय कवियों ने देशभक्ति गीतों की रचना की है। सुमित्रानंदन पंत की जय जन भारत, कवि प्रदीप की ऐ मेरे वतन के लोगों, तथा गिरिजाकुमार माथुर की हम होंगे कामयाब उपकार (मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हिरा मोती) इत्यादि प्रचलित हैं। .

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नरेन्द्र मोदी

नरेन्द्र दामोदरदास मोदी (નરેંદ્ર દામોદરદાસ મોદી Narendra Damodardas Modi; जन्म: 17 सितम्बर 1950) भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री हैं। भारत के राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें 26 मई 2014 को भारत के प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलायी। वे स्वतन्त्र भारत के 15वें प्रधानमन्त्री हैं तथा इस पद पर आसीन होने वाले स्वतंत्र भारत में जन्मे प्रथम व्यक्ति हैं। वडनगर के एक गुजराती परिवार में पैदा हुए, मोदी ने अपने बचपन में चाय बेचने में अपने पिता की मदद की, और बाद में अपना खुद का स्टाल चलाया। आठ साल की उम्र में वे आरएसएस से  जुड़े, जिसके साथ एक लंबे समय तक सम्बंधित रहे । स्नातक होने के बाद उन्होंने अपने घर छोड़ दिया। मोदी ने दो साल तक भारत भर में यात्रा की, और कई धार्मिक केंद्रों का दौरा किया। गुजरात लौटने के बाद और 1969 या 1970 में अहमदाबाद चले गए। 1971 में वह आरएसएस के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। 1975  में देश भर में आपातकाल की स्थिति के दौरान उन्हें कुछ समय के लिए छिपना पड़ा। 1985 में वे बीजेपी से जुड़े और 2001 तक पार्टी पदानुक्रम के भीतर कई पदों पर कार्य किया, जहाँ से वे धीरे धीरे वे सचिव के पद पर पहुंचे।   गुजरात भूकंप २००१, (भुज में भूकंप) के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के असफल स्वास्थ्य और ख़राब सार्वजनिक छवि के कारण नरेंद्र मोदी को 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। मोदी जल्द ही विधायी विधानसभा के लिए चुने गए। 2002 के गुजरात दंगों में उनके प्रशासन को कठोर माना गया है, की आलोचना भी हुई।  हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) को अभियोजन पक्ष की कार्यवाही शुरू करने के लिए कोई है। मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी नीतियों को आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए । उनके नेतृत्व में भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा और 282 सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। एक सांसद के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी एवं अपने गृहराज्य गुजरात के वडोदरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और दोनों जगह से जीत दर्ज़ की। इससे पूर्व वे गुजरात राज्य के 14वें मुख्यमन्त्री रहे। उन्हें उनके काम के कारण गुजरात की जनता ने लगातार 4 बार (2001 से 2014 तक) मुख्यमन्त्री चुना। गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त नरेन्द्र मोदी विकास पुरुष के नाम से जाने जाते हैं और वर्तमान समय में देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से हैं।। माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर भी वे सबसे ज्यादा फॉलोअर वाले भारतीय नेता हैं। उन्हें 'नमो' नाम से भी जाना जाता है। टाइम पत्रिका ने मोदी को पर्सन ऑफ़ द ईयर 2013 के 42 उम्मीदवारों की सूची में शामिल किया है। अटल बिहारी वाजपेयी की तरह नरेन्द्र मोदी एक राजनेता और कवि हैं। वे गुजराती भाषा के अलावा हिन्दी में भी देशप्रेम से ओतप्रोत कविताएँ लिखते हैं। .

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निकोलाओ मानुची

बिब्लोतिक़ नाशियोनाले दे फ्रांस में लिकोलाओ मानुची का एक चित्र निकोलाओ मानुची (इतालवी: Niccolò Manucci, 1639-1717) एक इतालवी लेखक और यात्री था। उसने मुग़ल दरबार में काम किया। इसके अतिरिक्त उसने दारा शूकोह, शाह आलम, राजा जयसिंह और कीरत सिंह की सेवा में काम किया। .

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पारसी धर्म

पारसी धर्म ईरान का प्राचीन काल से प्रचलित धर्म है। ये ज़न्द अवेस्ता नाम के धर्मग्रंथ पर आधारित है। इसके प्रस्थापक महात्मा ज़रथुष्ट्र हैं, इसलिये इस धर्म को ज़रथुष्ट्री धर्म (Zoroastrianism) भी कहते हैं। .

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पवन (कार्टूनकार)

पवन भारत के एक युवा कार्टूनकार हैं। वे बिहार के उन चंद कार्टूनिस्टों में से हैं, जिन्होंने कार्टून कला को बिहार में आम लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया। वे हिन्दुस्तान नामक हिन्दी समाचारपत्र के लिए कार्टून बनाते हैं। 13 साल की उम्र में कार्टून बनाने के लिए घर से भागने वाले पवन को कार्टून बनाना और बच्चों को कार्टून सीखाना- दो ही काम सबसे ज्यादा पसंद है। 1997 में जब उन्होंने कई अखबारों के लिए कार्टून बनाना शुरू किया तो अपने कम सैलरी के बावजूद कुछ पैसे बचाकर पेंसिल-कागज और एक चटाई को मोटरसाईकिल पर बांधे निकल जाते। कहीं पटना और आसपास के किसी भी जिले में। कहीं भी चटाई बिछ जाती, बच्चों को बुला कार्टून बनाना सीखाने लगते। एक तरफ कार्टून को उसके अभिजात्यपन से नीचे लाकर आम लोगों में लोकप्रिय बनाना और दूसरी तरफ इस कला को सुविधाविहिन बच्चों औऱ हाथों तक पहुंचाना- दोनों ही स्तर पर पवन लगातार काम कर रहे हैं। मीडिया में पवन के कार्टून ख़ास महत्व रखते हैं, बल्कि पवन के कार्टून ने आज राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर पहचान बना ली है। समाचार पत्रों के अलावा पत्र-पत्रिकाओं के साथ विभिन्न मीडिया इकाइयों में भी पवन के कार्टून छाये। पवन के कार्टूनों ने ख़ास संरचना के बलबूते अपनी पहचान बनायी है। कार्टूनिस्ट पवन अपनी सद्यः प्रकाशित पुस्तक “कार्टूनों की दुनिया” से इन दिनों ख़ासे चर्चे में है। क़रीब ढ़ाई सौ से ज़्यादा, पवन के कार्टूनों को लेकर प्रभात प्रकाशन ने कार्टूनों को पुस्तकबद्ध किया है। देशज शैली में, पवन ने गंभीर बातों को सहज शब्दों में अपने कार्टून में जगह दी है। पवन के पात्रों में जहाँ लालू, नीतीश सहित अन्य राजनेता है वहीं, आम आदमी भी शामिल है। कार्टूनों में पवन मगही से लेकर भोजपुरी संवादों को पिरोते हैं। मसलन विधानसभा चुनाव में “लालटेन भुकभुकाय नमः” और “बाबा वेल्नटाइन” और “नये साल के जश्न में शराब पीकर लोटपोट होने वाले को बंदरों” के साथ संवाद करते कार्टून है। पवन के कार्टून जन सुविधाओं पर भी केंद्रीत है। कुड़ा-कचड़ा और देश की समस्याओं पर पवन ने कार्टूनों को गंभीरता से बनाया है। .

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पुनर्विवाह

पुनर्विवाह - ज़िन्दगी मिलेगी दोबारा एक हिन्दुस्तानी टेलविजन नाटक श्रृंखला है कि वर्तमान में ज़ी टीवी पर अकड़ है। यह २० सन २०१२ को प्रीमियर और भागोंवाली बांटे अपनी तक़दीर की जगह.

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फ़र्रुख़ सियर

फ़र्रुख़ सियर (जन्म: 20 अगस्त 1685 - मृत्यु: 19 अप्रैल 1719) एक मुग़ल बादशाह था जिसने 1713 से 1719 तक हिन्दुस्तान पर हुकूमत की। उसका पूरा नाम अब्बुल मुज़फ़्फ़रुद्दीन मुहम्मद शाह फ़र्रुख़ सियर था। आलिम अकबर सानी वाला, शान पादशाही बह्र-उर्-बार, तथा शाहिदे-मज़्लूम उसके शाही ख़िताबों के नाम हुआ करते थे। 1715 ई. में एक शिष्टमंडल जाॅन सुरमन की नेतृत्व में भारत आया। यह शिष्टमंडल उत्तरवर्ती मुग़ल शासक फ़र्रूख़ सियर की दरबार में 1717 ई. में पहुँचा। उस समय फ़र्रूख़ सियर जानलेवा घाव से पीड़ित था। इस शिष्टमंडल में हैमिल्टन नामक डाॅक्टर थे जिन्होनें फर्रखशियर का इलाज किया था।इससे फ़र्रूख़ सियर खुश हुआ तथा अंग्रेजों को भारत में कहीं भी व्यापार करने की अनुमति तथा अंग्रेज़ों द्वारा बनाऐ गए सिक्के को भारत में सभी जगह मान्यता प्रदान कर दिया गया। फ़र्रूख़ सियर द्वारा जारी किये गए इस घोषणा को ईस्ट इंडिया कंपनी का मैग्ना कार्टा कहा जाता है। मैग्ना कार्टा का सर्वप्रथम 1215 ई. में ब्रिटेन में जाॅन-II के द्वारा हुआ था। .

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फ़क़ीर

हिन्दू धर्म में एक फकीर योगी का चित्र। नुकीली शर-शय्या पर आराम से लेटे हुए इस योगी का चित्र बनारस में बहुत पहले सन १९०७ में लिया गया था। फकीर (अंग्रेजी: Fakir, अरबी: فقیر‎) अरबी भाषा के शब्द फक़्र (فقر‎) से बना है जिसका अर्थ होता गरीब। इस्लाम में सूफी सन्तों को इसीलिये फकीर कहा जाता था क्योंकि वे गरीबी और कष्टपूर्ण जीवन जीते हुए दरवेश के रूप में आम लोगों की बेहतरी की दुआ माँगने और उसके माध्यम से इस्लाम पन्थ के प्रचार करने का कार्य मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में किया करते थे। आगे चलकर यह शब्द उर्दू, बाँग्ला और हिन्दी भाषा में भी प्रचलन में आ गया और इसका शाब्दिक अर्थ भिक्षुक या भीख माँगकर गुजारा करने वाला हो गया। जिस प्रकार हिन्दुओं में स्वामी, योगी व बौद्धों में बौद्ध भिक्खु को सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त थी उसी प्रकार मुसलमानों में भी फकीरों को वही दर्ज़ा दिया जाने लगा। यही नहीं, इतिहासकारों ने भी यूनानी सभ्यता की तर्ज़ पर ईसा पश्चात चौथी शताब्दी के नागा लोगों एवं मुगल काल के फकीरों को एक समान दर्ज़ा दिया है। हिन्दुस्तान में फकीरों की मुस्लिम बिरादरी में अच्छी खासी संख्या है। .

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फ़ूडिस्तान

फ़ूडिस्तान एक टेलीविजन खाना गेम शो है। वह एनडीटीवी गुड टाइम्स और जियो टीवी द्वारा उत्पादन किया जाता है। शो एक प्रतियोगिता में हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के सबसे अच्छे शेफ़स् एक दूसरे के ख़िलाफ़ डालता है। अपनी व्यक्तिगत व्यंजनों समान हैं, लेकिन वहाँ दो व्यंजनों के बीच कुछ मतभेदों के हैं। शो ने २६ एपिसोड प्रसारित। समापन मनीष मेहरोत्रा भारत से ​​और पोस्ता आगा पाकिस्तान से के बीच में लड़ा गया था, मनीष मेहरोत्रा हिन्दुस्तान से फ़ूडिस्तान जीत गया। .

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बनवारी लाल

बनवारी लाल (अंग्रेजी: Banwari Lal, जन्म: ग्राम तिलोकपुर जिला शाहजहाँपुर) ब्रिटिश काल के दौरान उत्तर प्रदेश में गठित क्रान्तिकारी संगठन हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन का सक्रिय सदस्य ही नहीं अपितु रायबरेली का जिला संगठनकर्ता भी था। ९ अगस्त १९२५ को काकोरी के समीप हुई ऐतिहासिक डकैती में समूचे हिन्दुस्तान से ४० व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था। बनवारी लाल की गिरफ्तारी रायबरेली से हुई थी। काकोरी काण्ड के मुकदमे के दौरान जब उस पर पुलिस ने दबाव डाला तो वह टूट गया और वायदा माफ गवाह (अंगेजी में अप्रूवर) बन गया। बनवारी लाल शाहजहाँपुर सदर तहसील के तिलोकपुर गाँव का रहने वाला था। अप्रूवर बन जाने के कारण काकोरी काण्ड में उसे एक अन्य अभियुक्त रामनाथ पाण्डेय से भी कम सजा हुई थी। जेल से छूटने के बाद वह अपने बाल-बच्चों के साथ अपने गाँव में रहने लगा। कुछ समय बाद जब उसे अपने गाँव के ब्राह्मणों से जान का खतरा महसूस हुआ तो उसने वह गाँव छोड़ दिया और पास के ही दूसरे गाँव केशवपुर में रहने लगा जहाँ उसकी कायस्थ बिरादरी के काफी लोग रहते थे। सन् २००० के आसपास उसकी मृत्यु हो गयी।.

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बलूचिस्तान मुक्ति सेना

पाकिस्तान के प्रांत बलूचिस्तान में सक्रिय एक गोरीला संगठन जो बलूचिस्तान के अलगाव के एजेंडे पर काम कर रही है। अपने निवास से ही यह बलूचिस्तान में गैस लाइनें उड़ाने, सेना और पुलिस पर हमले और गैर स्थानीय लोगों पर हमले में शामिल रही है। पाकिस्तान सरकार के अनुसार आतंकवादी संगठन के दांडी हिन्दुस्तान से जा मिलते हैं। मीर बालाच मेरी इसका पहला कमांडर था जो वर्ष २००८ में अफ़ग़ानिस्तान में गठबंधन वायुसेना के हमले में मारा गया। .

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बाल पत्रकारिता

बाल पत्रकारिता की सुदीर्घ परम्परा को एक आलेख में समेटना निश्चय ही अंजलि में समुद्र भर लेने के समान है। बाल साहित्य की अनेक पत्रिकाएँ विगत पचास वर्षों में प्रकाशित हुई हैं। इन प्रकात्रिओं का सही-सही विवरण दे पाना एक दुरूह कार्य है। बाल साहित्य की पत्रिकाओं में कुछ पत्रिकाएँ तो लम्बे समय से प्रकाशित हो रही हें, परन्तु अधिकतर पत्रिकाएँ काल-कविलत हो गईं। उनके पुराने अंक खोजना कठिन ही नहीं, असम्भव-सा कार्य है। फिर भी जिन पत्रिकाओं का विवरण उपलब्ध हो सका है, उन्हें इस आलेख में समाहित किया जा रहा है। .

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बिस्मिल्ला ख़ाँ

उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ (अंग्रेजी: Bismillah Khan, जन्म: 21 मार्च, 1916 - मृत्यु: 21 अगस्त, 2006) हिन्दुस्तान के प्रख्यात शहनाई वादक थे। उनका जन्म डुमराँव, बिहार में हुआ था। सन् 2001 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। वह तीसरे भारतीय संगीतकार थे जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत में मोटर वाहन उद्योग

भारतमें वाहन उद्योग विश्व का सातवां सबसे बड़ा वाहन उद्योग है, जिसने वर्ष 2009 में 26 लाख इकाइयों का उत्पादन किया। 2009 में, जापान, दक्षिण कोरिया और थाइलैंड के बाद भारत एशिया का चौथा सबसे बड़ा वाहन निर्यातक बन गया। अनुमान है कि 2050 तक भारत की सड़कों पर 61.1 करोड़ वाहन होंगे जो विश्व में सर्वाधिक वाहन संख्या होगी। 1991 भारत में शुरू हुए आर्थिक उदारीकरण के बाद, बढ़ती प्रतियोगिता और सरकार द्वारा नियमों को सरल बनाने के कारण भारतीय वाहन उद्योग ने लगातार वृद्धि की है। टाटा मोटर्स, मारुति सुज़ुकी एवं महिन्द्रा एंड महिन्द्रा जैसे भारतीय वाहन निर्माताओं ने अपने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय को बढ़ाया है। भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि के कारण भारत के घरेलू वाहन बाजार का विस्तार हुआ है और बहु-राष्ट्रीय वाहन निर्माता भारत-केन्द्रित निवेश के लिए आकर्षित हुए हैं।.

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भारत में हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म भारत का सबसे बड़ा और मूल धार्मिक समूह है और भारत की 79.8% जनसंख्या (96.8 करोड़) इस धर्म की अनुयाई है। भारत में वैदिक संस्कृति का उद्गम २००० से १५०० ईसा पूर्व में हुआ था। जिसके फलस्वरूप हिन्दू धर्म को, वैदिक धर्म का क्रमानुयायी माना जाता है, जिसका भारतीय इतिहास पर गहन प्रभाव रहा है। स्वयं इण्डिया नाम भी यूनानी के Ἰνδία (इण्डस) से निकला है, जो स्वयं भी प्राचीन फ़ारसी शब्द हिन्दू से निकला, जो संस्कृत से सिन्धु से निकला, जो इस क्षेत्र में बहने वाली सिन्धु नदी के लिए प्रयुक्त किया गया था। भारत का एक अन्य प्रचलित नाम हिन्दुस्तान है, अर्थात "हिन्दुओं की भूमि"। .

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भारत की आधिकारिक भाषाओं में भारत गणराज्य के नाम

निम्नलिखित सूची में भारत की सभी २३ आधिकारिक भाषाओं में भारत के नाम दिए गए है।.

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भारतीय

भारत देश के निवासियों को भारतीय कहा जाता है। भारत को हिन्दुस्तान नाम से भी पुकारा जाता है और इसीलिये भारतीयों को हिन्दुस्तानी भी कहतें है।.

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मदनमोहन मालवीय

महामना मदन मोहन मालवीय (25 दिसम्बर 1861 - 1946) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता तो थे ही इस युग के आदर्श पुरुष भी थे। वे भारत के पहले और अन्तिम व्यक्ति थे जिन्हें महामना की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया। पत्रकारिता, वकालत, समाज सुधार, मातृ भाषा तथा भारतमाता की सेवा में अपना जीवन अर्पण करने वाले इस महामानव ने जिस विश्वविद्यालय की स्थापना की उसमें उनकी परिकल्पना ऐसे विद्यार्थियों को शिक्षित करके देश सेवा के लिये तैयार करने की थी जो देश का मस्तक गौरव से ऊँचा कर सकें। मालवीयजी सत्य, ब्रह्मचर्य, व्यायाम, देशभक्ति तथा आत्मत्याग में अद्वितीय थे। इन समस्त आचरणों पर वे केवल उपदेश ही नहीं दिया करते थे अपितु स्वयं उनका पालन भी किया करते थे। वे अपने व्यवहार में सदैव मृदुभाषी रहे। कर्म ही उनका जीवन था। अनेक संस्थाओं के जनक एवं सफल संचालक के रूप में उनकी अपनी विधि व्यवस्था का सुचारु सम्पादन करते हुए उन्होंने कभी भी रोष अथवा कड़ी भाषा का प्रयोग नहीं किया। भारत सरकार ने २४ दिसम्बर २०१४ को उन्हें भारत रत्न से अलंकृत किया। .

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मनिहार

मनिहार (अंग्रेजी: Manihar) हिन्दुस्तान में पायी जाने वाली एक मुस्लिम बिरादरी की जाति है। इस जाति के लोगों का मुख्य पेशा चूड़ी बेचना है। इसलिये इन्हें कहीं-कहीं चूड़ीहार भी कहा जाता है। मुख्यतः यह जाति उत्तरी भारत और पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में पायी जाती है। यूँ तो नेपाल की तराई क्षेत्र में भी मनिहारों के वंशज मिलते हैं। ये लोग अपने नाम के आगे जातिसूचक शब्द के रूप में प्राय: सिद्दीकी ही लगाते हैं। .

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मरियम उज़-ज़मानी

मरियम उज़-ज़मानी बेगम साहिबा (नस्तालीक़:; जन्म 1 अक्टूबर 1542, दीगर नाम: रुकमावती साहिबा,राजकुमारी हिराकुँवारी और हरखाबाई) एक राजपूत शहज़ादी थीं जो मुग़ल बादशाह जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर से शादी के बाद मलिका हिन्दुस्तान बनीं। वे जयपुर की राजपूत आमेर रियासत के राजा भारमल की सब से बड़ी बेटी थीं। उनके गर्भ से सल्तनत के वलीअहद और अगले बादशाह नूरुद्दीन जहाँगीर पैदा हुए। .

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मस्जिद

मुसलमानों की इबादत गाह को मस्जिद कहते हैं। इसे नमाज़ के लिए प्रयोग किया जाता है मुसलमानों के प्रारंभिक काल में मस्जिदे नबवी को विदेश से आने वाले ओफ़ोद से मुलाकात और चर्चा के लिए भी इस्तेमाल किया गया था। मस्जिद से मुसलमानों की पहली विश्वविद्यालयों (विश्वविद्यालयों) ने भी जन्म लिया है। इसके अलावा इस्लामी वास्तुकला भी मुख्य रूप से मस्जिदों से विकास हुई है। .

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मह्मीत सय्यद

मह्मीत सय्यद (कश्मीरी: مہمیت سید) एक हिन्दुस्तानी ग़ज़ल गुलूकार है। वो इसकी कश्मीरी गाने, नग़मे के लिए जाना जाता है। .

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मंगल पांडे

मंगल पाण्डेय एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वोे ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल इंफेन्ट्री के सिपाही थे। तत्कालीन अंगरेजी शासन ने उन्हें बागी करार दिया जबकि आम हिंदुस्तानी उन्हें आजादी की लड़ाई के नायक के रूप में सम्मान देता है। भारत के स्वाधीनता संग्राम में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में सन् 1984 में एक डाक टिकट जारी किया गया। .

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यहाँ मैं घर घर खेली

यहाँ मैं घर घर खेली एक हिन्दुस्तानी टीवी नाटक श्रृंखला कि वर्तमान में ज़ी टीवी पर अकड़ था। .

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राधेश्याम कथावाचक

राधेश्याम कथावाचक (1890 - 1963) पारसी रंगमंच शैली के हिन्दी नाटककारों में एक प्रमुख नाम है। उनका जन्म 25 नवम्बर 1890 को उत्तर-प्रदेश राज्य के बरेली शहर में हुआ था। अल्फ्रेड कम्पनी से जुड़कर उन्होंने वीर अभिमन्यु, भक्त प्रहलाद, श्रीकृष्णावतार आदि अनेक नाटक लिखे। परन्तु सामान्य जनता में उनकी ख्याति राम कथा की एक विशिष्ट शैली के कारण फैली। लोक नाट्य शैली को आधार बनाकर खड़ी बोली में उन्होंने रामायण की कथा को 25 खण्डों में पद्यबद्ध किया। इस ग्रन्थ को राधेश्याम रामायण के रूप में जाना जाता है। आगे चलकर उनकी यह रामायण उत्तरप्रदेश में होने वाली रामलीलाओं का आधार ग्रन्थ बनी। 26 अगस्त 1963 को 73 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। 24 नवम्बर 2012 दैनिक ट्रिब्यून, अभिगमन तिथि: 27 दिसम्बर 2013 .

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राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं। --> बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था। --> .

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रामकृष्ण खत्री

रामकृष्ण खत्री (जन्म: ३ मार्च १९०२ महाराष्ट्र, मृत्यु: १८ अक्टूबर १९९६ लखनऊ) भारत के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ का विस्तार मध्य भारत और महाराष्ट्र में किया था। उन्हें काकोरी काण्ड में १० वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी गयी। हिन्दी, मराठी, गुरुमुखी तथा अंग्रेजी के अच्छे जानकार खत्री ने शहीदों की छाया में शीर्षक से एक पुस्तक भी लिखी थी जो नागपुर से प्रकाशित हुई थी। स्वतन्त्र भारत में उन्होंने भारत सरकार से मिलकर स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानियों की सहायता के लिये कई योजनायें भी बनवायीं। काकोरी काण्ड की अर्द्धशती पूर्ण होने पर उन्होंने काकोरी शहीद स्मृति के नाम से एक ग्रन्थ भी प्रकाशित किया था। लखनऊ से बीस मील दूर स्थित काकोरी शहीद स्मारक के निर्माण में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। १८ अक्टूबर १९९६ को ९४ वर्ष की आयु में उनका देहान्त हुआ। .

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राजपूतों की सूची

महाराणा प्रताप, a Sixteenth century राजपूत ruler and great warrior of his time. Mughal Emperor Akbar sent many missions against him; however, he survived and fought to his last breath. He ultimately gained control of all areas of Mewar, excluding the fort of Chittor. राजपूत भारतीय उपमहाद्वीप (भारत, पाकिस्तान, बाँग्लादेश और नेपाल) की बहुत ही प्रभावशाली जाति है, जो शासन और सत्ता के सदैव निकट रही है। अपनी युद्ध-कुशलता और शासन-क्षमता के कारण राजपूतों ने पर्याप्त ख्याति अर्जित की। १५ अगस्त १९४७ को स्वतन्त्र हुए भारत की ६०० रियासतों में से लगभग ४०० पर राजपूत राजाओं का शासन था। भारत और पाकिस्तान, जिसे १५ अगस्त १९४७ के पूर्व हिन्दुस्तान के नाम से ही जाना जाता था, की कुल ४०० रियासतों के राजपूत राजाओं/राजपुत्रों की एक आंशिक सूची नीचे दी जा रही है, ताकि इतिहास के विद्यार्थी इस पर आगे काम कर सकें। .

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राजगुरु

अमर शहीद '''शिवराम हरि राजगुरु''' शिवराम हरि राजगुरु (मराठी: शिवराम हरी राजगुरू, जन्म:२४अगस्त१९०८-मृत्यु:२३ मार्च १९३१) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। इन्हें भगत सिंह और सुखदेव के साथ २३ मार्च १९३१ को फाँसी पर लटका दिया गया था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में राजगुरु की शहादत एक महत्वपूर्ण घटना थी। शिवराम हरि राजगुरु का जन्म भाद्रपद के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी सम्वत् १९६५ (विक्रमी) तदनुसार सन् १९०८ में पुणे जिला के खेडा गाँव में हुआ था। ६ वर्ष की आयु में पिता का निधन हो जाने से बहुत छोटी उम्र में ही ये वाराणसी विद्याध्ययन करने एवं संस्कृत सीखने आ गये थे। इन्होंने हिन्दू धर्म-ग्रंन्थों तथा वेदो का अध्ययन तो किया ही लघु सिद्धान्त कौमुदी जैसा क्लिष्ट ग्रन्थ बहुत कम आयु में कण्ठस्थ कर लिया था। इन्हें कसरत (व्यायाम) का बेहद शौक था और छत्रपति शिवाजी की छापामार युद्ध-शैली के बड़े प्रशंसक थे। वाराणसी में विद्याध्ययन करते हुए राजगुरु का सम्पर्क अनेक क्रान्तिकारियों से हुआ। चन्द्रशेखर आजाद से इतने अधिक प्रभावित हुए कि उनकी पार्टी हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी से तत्काल जुड़ गये। आजाद की पार्टी के अन्दर इन्हें रघुनाथ के छद्म-नाम से जाना जाता था; राजगुरु के नाम से नहीं। पण्डित चन्द्रशेखर आज़ाद, सरदार भगत सिंह और यतीन्द्रनाथ दास आदि क्रान्तिकारी इनके अभिन्न मित्र थे। राजगुरु एक अच्छे निशानेबाज भी थे। साण्डर्स का वध करने में इन्होंने भगत सिंह तथा सुखदेव का पूरा साथ दिया था जबकि चन्द्रशेखर आज़ाद ने छाया की भाँति इन तीनों को सामरिक सुरक्षा प्रदान की थी। २३ मार्च १९३१ को इन्होंने भगत सिंह तथा सुखदेव के साथ लाहौर सेण्ट्रल जेल में फाँसी के तख्ते पर झूल कर अपने नाम को हिन्दुस्तान के अमर शहीदों की सूची में अहमियत के साथ दर्ज करा दिया। .

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रियासत

रियासत ब्रिटिश राज के दौरान हिन्दुस्तान में हिन्दू राजा-महाराजाओं व मुस्लिम शासकों जिन्हें आम बोलचाल की भाषा में नवाब कहा जाता था, के स्वामित्व में स्वतन्त्र इकाइयों को कहा जाता था। भारत १५ अगस्त,१९४७ को ब्रिटिश आधिपत्य से मुक्त हुआ। इससे पहले जब यहाँ की पूरी केन्द्रीय शासन व्यवस्था ब्रिटिश शासन के अधीन थी उस समय भी ऐसी बहुत सी इकाइयाँ (अथवा क्षेत्र) स्वतन्त्र रूप से स्थानीय राजाओं व नवाबों के अधीन थीं। उस समय इन क्षेत्रों को रियासत कहा जाता था। १५ अगस्त,१९४७ को स्वतन्त्रता से पूर्व हिन्दुस्तान में ५६५ रियासतें थीं। .

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रुक़य्या सुलतान बेगम

रुक़ैया सुल्तान बेगम (वैकल्पिक हिज्जे: रुक़य्या, रुक़ैय्याह) (1542 – 19 जनवरी 1626) 1557 से 1605 तक मुग़ल साम्राज्य की मलिका थीं। वे तीसरे मुग़ल बादशाह अकबर की पहली बीवी और मुख्य साथी थीं। 1557 से 27 अक्टूबर 1605, 48 साल तक वे सबसे लंबे समय तक मुग़ल साम्राज्ञी भी रहीं।Her tenure, from 1557 to 27 October 1605, was 48 years .

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रोशन सिंह

रोशन सिंह (जन्म:१८९२-मृत्यु:१९२७) ठाकुर रोशन सिंह (१८९२ - १९२७) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के एक क्रान्तिकारी थे। असहयोग आन्दोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में हुए गोली-काण्ड में सजा काटकर जैसे ही शान्तिपूर्ण जीवन बिताने घर वापस आये कि हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसियेशन में शामिल हो गये। यद्यपि ठाकुर साहब ने काकोरी काण्ड में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लिया था फिर भी आपके आकर्षक व रौबीले व्यक्तित्व को देखकर काकोरी काण्ड के सूत्रधार पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व उनके सहकारी अशफाक उल्ला खाँ के साथ १९ दिसम्बर १९२७ को फाँसी दे दी गयी। ये तीनों ही क्रान्तिकारी उत्तर प्रदेश के शहीदगढ़ कहे जाने वाले जनपद शाहजहाँपुर के रहने वाले थे। इनमें ठाकुर साहब आयु के लिहाज से सबसे बडे, अनुभवी, दक्ष व अचूक निशानेबाज थे। .

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लाला हनुमन्त सहाय

लाला हनुमन्त सहाय एक भारतीय क्रान्तिकारी थे। वे 1907 में सूफी अम्बा प्रसाद के नेतृत्व में बनी भारत माता सोसायटी के सक्रिय सदस्य थे। चाँदनी चौक दिल्ली में अंग्रेज वायसराय लार्ड हार्डिंग पर बम फेंकने के षड्यन्त्र में उन्हें भी सह-अभियुक्त बनाया गया। न्यायालय ने उन्हें आजीवन कालेपानी की सजा दी जो बाद में अपील किये जाने पर सात वर्ष के कठोर कारावास में बदल दी गयी। वे जाति के कायस्थ थे जिसके कारण सभी लोग उन्हें "लाला जी" कहकर सम्बोधित करते थे। उन्हें अन्तिम बार चाँदनी चौक, दिल्ली की एक सुनसान कोठरी में एक अंग्रेज लेखक आर० वी० स्मिथ ने 1965 की सर्दियों में देखा था। .

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लाला हरदयाल

लाला हरदयाल (१४ अक्टूबर १८८४, दिल्ली -४ मार्च १९३९) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के उन अग्रणी क्रान्तिकारियों में थे जिन्होंने विदेश में रहने वाले भारतीयों को देश की आजादी की लडाई में योगदान के लिये प्रेरित व प्रोत्साहित किया। इसके लिये उन्होंने अमरीका में जाकर गदर पार्टी की स्थापना की। वहाँ उन्होंने प्रवासी भारतीयों के बीच देशभक्ति की भावना जागृत की। काकोरी काण्ड का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद मई, सन् १९२७ में लाला हरदयाल को भारत लाने का प्रयास किया गया किन्तु ब्रिटिश सरकार ने अनुमति नहीं दी। इसके बाद सन् १९३८ में पुन: प्रयास करने पर अनुमति भी मिली परन्तु भारत लौटते हुए रास्ते में ही ४ मार्च १९३९ को अमेरिका के महानगर फिलाडेल्फिया में उनकी रहस्यमय मृत्यु हो गयी। उनके सरल जीवन और बौद्धिक कौशल ने प्रथम विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध लड़ने के लिए कनाडा और अमेरिका में रहने वाले कई प्रवासी भारतीयों को प्रेरित किया। .

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शहीद (1965 फ़िल्म)

शहीद (1965 फ़िल्म) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर हिन्दी भाषा की फिल्म है। भगत सिंह के जीवन पर 1965 में बनी यह देशभक्ति की सर्वश्रेष्ठ फिल्म है। जिसकी कहानी स्वयं भगत सिंह के साथी बटुकेश्वर दत्त ने लिखी थी। इस फ़िल्म में अमर शहीद राम प्रसाद 'बिस्मिल' के गीत थे। मनोज कुमार ने इस फिल्म में शहीद भगत सिंह का जीवन्त अभिनय किया था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर आधारित यह अब तक की सर्वश्रेष्ठ प्रामाणिक फ़िल्म है। 13वें राष्ट्रीय फ़िल्म अवार्ड की सूची में इस फ़िल्म ने हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म के पुरस्कार के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता पर बनी सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म के लिये नर्गिस दत्त पुरस्कार भी अपने नाम किया। बटुकेश्वर दत्त की कहानी पर आधारित सर्वश्रेष्ठ पटकथा लेखन के लिये दीनदयाल शर्मा को पुरस्कृत किया गया था। यह भी महज़ एक संयोग ही है कि जिस साल यह फ़िल्म रिलीज़ हुई थी उसी साल बटुकेश्वर दत्त का निधन भी हुआ। .

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सरफरोशी की तमन्ना

सरफरोशी की तमन्ना को मशहूर करने वाले पण्डित राम प्रसाद 'बिस्मिल'का चित्र सरफरोशी की तमन्ना भारतीय क्रान्तिकारी बिस्मिल अज़ीमाबादी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध देशभक्तिपूर्ण गजल है जिसमें उन्होंने आत्मोत्सर्ग की भावना को व्यक्त किया था। उनकी यह तमन्ना क्रान्तिकारियों का मन्त्र बन गयी थी यह गजल उर्दू छ्न्द बहरे-रमल में लिखी गई है जिसका अर्कान (छन्द-सूत्र) है: "फाइलातुन, फाइलातुन, फाइलातुन, फाइलुन"। हिन्दी में यदि इसे देवनागरी लिपि में लिखा जाये तो यह परिवर्तित अष्टपदीय गीतिका छन्द के अन्तर्गत आती है इस छन्द का सूत्र है: "राजभा गा, राजभा गा, राजभा गा, राजभा"। मैनपुरी षडयन्त्र व काकोरी काण्ड में शामिल होने वाले भारत के एक महान क्रान्तिकारी नेता रामप्रसाद 'बिस्मिल' ने न सिर्फ इसे लिखा बल्कि मुकदमे के दौरान अदालत में अपने साथियों के साथ सामूहिक रूप से गाकर लोकप्रिय भी बनाया।'बिस्मिल' ने इसे भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के नौजवान स्वतन्त्रता सेनानियों के लिये सम्बोधि-गीत के रूप में लिखा था। 'बिस्मिल' की शहादत के बाद इसे स्वतन्त्रता सेनानियों की नौजवान पीढ़ी जैसे शहीद भगत सिंह तथा चन्द्रशेखर आजाद आदि के साथ भी जोड़ा जाता रहा है। बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित वन्दे मातरम जैसे सुप्रसिद्ध गीत के बाद बिस्मिल अज़ीमाबादी की यह अमर रचना, जिसे गाते हुए न जाने कितने ही देशभक्त फाँसी के तख्ते पर झूल गये, उसके वास्तविक इतिहास सहित नीचे दी जा रही है। .

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संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध

संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध (अंग्रेजी: United Provinces of Agra and Oudh; उच्चारण: यूनाईटेड प्राॅविन्सेज़ ऑफ ऐग्रा ऐण्ड औध) ब्रिटिश भारत में स्वाधीनता से पूर्व एकीकृत प्रान्त का नाम था जो 22 मार्च 1902 को आगरा व अवध नाम की दो प्रेसीडेंसी को मिलाकर बनाया गया था। उस समय सामान्यतः इसे संयुक्त प्रान्त (अंग्रेजी में यू॰पी॰) के नाम से भी जानते थे। यह संयुक्त प्रान्त लगभग एक शताब्दी 1856 से 1947 तक अस्तित्व में बना रहा। इसका कुल क्षेत्रफल वर्तमान भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के संयुक्त क्षेत्रफल के बराबर था। जिसे आजकल उत्तर प्रदेश या अंग्रेजी में यू॰पी॰ कहते हैं उसमें ब्रिटिश काल के दौरान रामपुर व टिहरी गढ़वाल जैसी स्वतन्त्र रियासतें भी शामिल थीं। 25 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान की घोषणा से एक दिन पूर्व सरदार बल्लभ भाई पटेल ने इन सभी रियासतों को मिलाकर इसे उत्तर प्रदेश नाम दिया था। 3 जनवरी 1921 को जो राज्य पूर्णत: ब्रिटिश भारत का अंग बन गया था उसे स्वतन्त्र भारत में 20वीं सदी के जाते-जाते सन् 2000 में पुन: विभाजित कर उत्तरांचल (और बाद में उत्तराखण्ड) राज्य को स्थापित किया गया। .

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सुनार

कटक के सुनार (सन १८७३) सुनार (वैकल्पिक सोनार या स्वर्णकार) भारत और नेपाल के स्वर्णकार समाज से सम्बन्धित जाति है जिनका मुख्य व्यवसाय स्वर्ण धातु से भाँति-भाँति के कलात्मक आभूषण बनाना, खेती करना तथा सात प्रकार के शुद्ध व्यापार करना है। यद्यपि यह समाज मुख्य रूप से हिन्दू को मानने वाला है लेकिन इस जाति का एक विशेष कुलपूजा स्थान है। सुनार अपने पूर्वजों के धार्मिक स्थान की कुलपूजा करते है। यह जाति हिन्दूस्तान की मूलनिवासी जाति है। मूलत: ये सभी क्षत्रिय वर्ण में आते हैं इसलिये ये क्षत्रिय सुनार भी कहलाते हैं। आज भी यह समाज इस जाति को क्षत्रिय सुनार कहने में गर्व महसूस करता हैं। .

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स्मिता जयकर

स्मिता जयकर हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .

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हिन्दुस्तान (बहुविकल्पी)

हिन्दुस्तान ब्रितानी साम्राज्य से पूर्व मुग़लकाल के दौरान मध्यकालीन भारत का प्रचलित नाम था और कुछ स्थानों पर आधुनिक भारत के लिए प्रयुक्त होता था। हिन्दुस्तान निम्न में से किसी एक के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है: .

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हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन

हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन, जिसे संक्षेप में एच॰आर॰ए॰ भी कहा जाता था, भारत की स्वतंत्रता से पहले उत्तर भारत की एक प्रमुख क्रान्तिकारी पार्टी थी जिसका गठन हिन्दुस्तान को अंग्रेजों के शासन से मुक्त कराने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश तथा बंगाल के कुछ क्रान्तिकारियों द्वारा सन् १९२४ में कानपुर में किया गया था। इसकी स्थापना में लाला हरदयाल की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। काकोरी काण्ड के पश्चात् जब चार क्रान्तिकारियों को फाँसी दी गई और एच०आर०ए० के सोलह प्रमुख क्रान्तिकारियों को चार वर्ष से लेकर उम्रकैद की सज़ा दी गई तो यह संगठन छिन्न-भिन्न हो गया। बाद में इसे चन्द्रशेखर आजाद ने भगत सिंह के साथ मिलकर पुनर्जीवित किया और एक नया नाम दिया हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन। सन् १९२४ से लेकर १९३१ तक लगभग आठ वर्ष इस संगठन का पूरे भारतवर्ष में दबदबा रहा जिसके परिणामस्वरूप न केवल ब्रिटिश सरकार अपितु अंग्रेजों की साँठ-गाँठ से १८८५ में स्थापित छियालिस साल पुरानी कांग्रेस पार्टी भी अपनी मूलभूत नीतियों में परिवर्तन करने पर विवश हो गयी। .

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जहांदार शाह

जहांदार शाह (१६६१-१७१३) हिन्दुस्तान का मुगल सम्राट था। इसने यहां १७१२-१७१३ तक राज्य किया। बहादुरशाह का ज्येष्ठ पुत्र जहाँदारशाह १६६१ में उत्पन्न हुआ। पिता की मृत्यु के पश्चात् सत्ता के लिये इसे अपने भाइयों से संघर्ष करना पड़ा। मीर बख्शी जुल्फिकार खाँ ने इसे सहायता दी। इसका एक भाई अजीम-अल-शान लाहौर के निकट युद्ध में मारा गया। शेष दो भाइयों- जहानशाह और रफी-अल-शान को पदच्युतकर सम्राट् बनने में यह सफल हुआ। विलासी प्रकृति के जहाँदारशाह ने समूचे राज्य के प्रति उपेक्षा बरती। १७१२ में अब्दुल्लाखाँ, हुसेन अलीखाँ और फर्रुखसियर ने इसके विरुद्ध पटना से कूच किया। आगरा में जहाँदारशाह ने टक्कर ली। पराजित होकर इसने दिल्ली में जुल्फिकार खाँ के पिता असदखाँ के यहाँ शरण ली। असदखाँ ने इसे दिल्ली के किले में कैद कर लिया। फर्रुखसियर ने विजयी होते ही इसकी हत्या करवा दी। .

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ज़ाईडा परवीन

ज़ाईडा परवीन (या ज़हिदा परवीन) (उर्दु: زائدہ پروین) एक हिन्दुस्तानी अभिनेत्री है। वह हिन्दुस्तानी टीवी शो में दिखाई देता है | .

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जगत गोसाई

जगत गोसाई (नस्तालीक़:, अन्य नाम: जोधाबाई, राजकुमारी मानवती बाईजी लाल सहिबा, राजकुमारी मनमती, मनभावती बाई) जोधपुर की मारवाड़ रियासत की राजपूत राजकुमारी थी, जो मुग़ल बादशाह जहाँगीर की पत्नी और पाँचवें मुग़ल बादशाह शाहजहाँ की माँ के तौर पर जानी जाती हैं। उनकी मृत्यु के बाद उन्हें बिलक़िस मकानी के नाम से सम्मानित किया गया था। .

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खुदीराम बोस

युवा क्रान्तिकारी '''खुदीराम बोस''' (१९०५ में) खुदीराम बोस (बांग्ला: ক্ষুদিরাম বসু; जन्म: ३-१२-१८८९ - मृत्यु: ११ अगस्त १९०८) भारतीय स्वाधीनता के लिये मात्र १९ साल की उम्र में हिन्दुस्तान की आजादी के लिये फाँसी पर चढ़ गये। कुछ इतिहासकारों की यह धारणा है कि वे अपने देश के लिये फाँसी पर चढ़ने वाले सबसे कम उम्र के ज्वलन्त तथा युवा क्रान्तिकारी देशभक्त थे। लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि खुदीराम से पूर्व १७ जनवरी १८७२ को ६८ कूकाओं के सार्वजनिक नरसंहार के समय १३ वर्ष का एक बालक भी शहीद हुआ था। उपलब्ध तथ्यानुसार उस बालक को, जिसका नम्बर ५०वाँ था, जैसे ही तोप के सामने लाया गया, उसने लुधियाना के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर कावन की दाढी कसकर पकड ली और तब तक नहीं छोडी जब तक उसके दोनों हाथ तलवार से काट नहीं दिये गये बाद में उसे उसी तलवार से मौत के घाट उतार दिया गया था। (देखें सरफरोशी की तमन्ना भाग ४ पृष्ठ १३) .

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गोविन्दपुर झखराहा

गोविन्दपुर झखराहा भारत में बिहार राज्य के ऐतिहासिक वैशाली जिलान्तर्गत एक छोटा गाँव है। निकटस्थ शहर एवं जिला मुख्यालय हाजीपुर से यह गाँव १३ किलोमीटर पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवस्थित है। सघन आबादी वाले इस कृषिप्रधान गाँव में बज्जिका बोली जाती है लेकिन शिक्षा का माध्यम हिंदी और उर्दू है। लगभग १ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वाले इस छोटे से गाँव की वर्तमान जनसंख्या लगभग 1800 है। .

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आशारानी व्होरा

आशारानी व्होरा (जन्म: ७ अप्रैल १९२१ - मृत्यु: २१ दिसम्बर २००९) ब्रिटिश भारत में झेलम जिले में जन्मी एक हिन्दी लेखिका थीं जिन्होंने सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की। जीवन की अन्तिम साँस तक वह निरन्तर लिखती रहीं। ८८ वर्ष की आयु में उनका निधन नई दिल्ली में अपने बेटे डॉ॰ शशि व्होरा के घर पर हुआ। आशारानी को अपने जीवन काल में कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए। उन्होंने अपनी सारी सम्पत्ति एक ट्रस्ट बनाकर नोएडा स्थित सूर्या संस्थान को दान कर दी। .

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आसाराम

आसाराम (पूरा नाम: आसूमल थाऊमल सिरुमलानी अथवा आसूमल सिरूमलानी, जन्म: 17 अप्रैल 1941, नवाबशाह जिला, सिंध प्रान्त) भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय, आध्यात्मिक सन्त हैं जो अपने शिष्यों को एक सच्चिदानन्द ईश्वर के अस्तित्व का उपदेश देते हैं। उन्हें उनके भक्त प्राय: बापू के नाम से सम्बोधित करते हैं। आसाराम 450 से अधिक छोटे-बड़े आश्रमों के संचालक हैं। उनके शिष्यों की संख्या करोड़ों में है। आसाराम सामान्यतः विवादों से जुड़े रहे हैं जैसे आपराधिक मामलों में उनके खिलाफ दायर याचिकाएँ, उनके आश्रम द्वारा अतिक्रमण, 2012 दिल्ली दुष्कर्म पर उनकी टिप्पणी एवं 2013 में नाबालिग लड़की का कथित यौन शोषण। उन पर लगे आरोपों की आँच उनके बेटे नारायण साईं तक भी पहुची। न्यायालय ने उन्हें 5 साल तक न्यायिक हिरासत में रखने के बाद 25 अप्रैल को नाबालिग से रेप के मामले में आसाराम को उम्रकैद की सजा का निर्णय लिया है। फ़िलहाल आसाराम जोधपुर जेल की सलाखों के पीछे कैद हैं। यौन छेडछाड का यह मामला 20 अगस्त 2013 को प्रकाश में आया जब एक एफ आई आर दिल्ली के कमला नगर थाने में रात 2 बजे दर्ज हुई। घटना जोधपुर के मड़ई में स्थित फार्म हाउस में 16 अगस्त की बताई जाती है। एफ़ आई आर में लड़की ने आरोप लगाया है बापू ने रात उसे कमरे में बुलाया व 1 घंटे तक व यौन छेड़छाड़ की। लड़की उत्तरप्रदेश के शाहजहा पुर की निवासी है जो 12 व्ही में छिंदवाड़ा में आश्रम के कन्या छात्रा वास में पड़ती थी। .

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करन ग्रोवर

करण वीर ग्रोवर (जनम: 22 जून 1982) एक भारतीय अभिनेता है। .

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कश्मीर विश्वविद्यालय

कश्मीर विश्वविद्यालय (دانشگاه کشمیر:कश्मीरी) श्रीनगर स्थित भारत का एक प्रमुख विश्वविद्यालय हैं। विश्वविद्यालय, कश्मीर विश्वविद्यालय, कश्मीर.

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काकोरी (मंगल ग्रह)

काकोरी (मंगल ग्रह) पृथ्वी से करोड़ों मील दूर मंगल ग्रह पर स्थित एक क्रेटर का नाम है। इसका व्यास 29.7 किलोमीटर है और यह मंगल ग्रह के अक्षांश 41.8 व देशांतर 29.9 पर स्थित है। सन् 1976 में इसका नामकरण भारत के एक ऐतिहासिक शहर काकोरी के नाम पर किया गया था। .

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काकोरी काण्ड

काकोरी-काण्ड के क्रान्तिकारी सबसे ऊपर या प्रमुख बिस्मिल थे राम प्रसाद 'बिस्मिल' एवं अशफाक उल्ला खाँ नीचे ग्रुप फोटो में क्रमश: 1.योगेशचन्द्र चटर्जी, 2.प्रेमकृष्ण खन्ना, 3.मुकुन्दी लाल, 4.विष्णुशरण दुब्लिश, 5.सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य, 6.रामकृष्ण खत्री, 7.मन्मथनाथ गुप्त, 8.राजकुमार सिन्हा, 9.ठाकुर रोशानसिंह, 10.पं० रामप्रसाद 'बिस्मिल', 11.राजेन्द्रनाथ लाहिडी, 12.गोविन्दचरण कार, 13.रामदुलारे त्रिवेदी, 14.रामनाथ पाण्डेय, 15.शचीन्द्रनाथ सान्याल, 16.भूपेन्द्रनाथ सान्याल, 17.प्रणवेशकुमार चटर्जी काकोरी काण्ड (अंग्रेजी: Kakori conspiracy) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरुद्ध भयंकर युद्ध छेड़ने की खतरनाक मंशा से हथियार खरीदने के लिये ब्रिटिश सरकार का ही खजाना लूट लेने की एक ऐतिहासिक घटना थी जो ९ अगस्त १९२५ को घटी। इस ट्रेन डकैती में जर्मनी के बने चार माउज़र पिस्तौल काम में लाये गये थे। इन पिस्तौलों की विशेषता यह थी कि इनमें बट के पीछे लकड़ी का बना एक और कुन्दा लगाकर रायफल की तरह उपयोग किया जा सकता था। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के केवल दस सदस्यों ने इस पूरी घटना को अंजाम दिया था। क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे आजादी के आन्दोलन को गति देने के लिये धन की तत्काल व्यवस्था की जरूरत के मद्देनजर शाहजहाँपुर में हुई बैठक के दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनायी थी। इस योजनानुसार दल के ही एक प्रमुख सदस्य राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने ९ अगस्त १९२५ को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी "आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन" को चेन खींच कर रोका और क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खाँ, पण्डित चन्द्रशेखर आज़ाद व ६ अन्य सहयोगियों की मदद से समूची ट्रेन पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना लूट लिया। बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल ४० क्रान्तिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया जिसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा ठाकुर रोशन सिंह को मृत्यु-दण्ड (फाँसी की सजा) सुनायी गयी। इस मुकदमें में १६ अन्य क्रान्तिकारियों को कम से कम ४ वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम काला पानी (आजीवन कारावास) तक का दण्ड दिया गया था। .

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क्रान्तिकारी (घोषणा पत्र)

क्रान्तिकारी (घोषणा पत्र) हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन द्वारा ब्रिटिश राज में १ जनवरी १९२५ को मूलत: अंग्रेजी में दि रिवोल्यूशनरी के नाम से प्रकाशित किया गया था। भारत की क्रान्तिकारी पार्टी का यह घोषणा पत्र काकोरी काण्ड में एक दस्तावेज़ के रूप में ख़ुफ़िया पुलिस द्वारा अदालत में पेश किया गया था। इसकी भाषा इतनी खतरनाक थी कि इसे पढ़ते ही ब्रिटिश साम्राज्य का सिंहासन की चूलें लन्दन तक में हिल उठीं थीं। इसका अविकल हिन्दी काव्यानुवाद सन् २००६ में प्रकाशित हुआ था। क्रान्तिकारी के नाम से प्रकाशित ४ पृष्ठ के इस घोषणा पत्र पर शीर्षक के दोनों ओर इसके ध्येय वाक्य इस प्रकार लिखे हुए थे - "चाहें छोटा हो या बड़ा, गरीब हो या अमीर, प्रत्येक को मुफ्त न्याय और समान अवसर मिलेगा।" घोषणा पत्र के प्रारम्भ में ही लिखा गया था- "प्रत्येक सच्चे भारतीय को चाहिये कि वह इसे पूरा पढ़े और अपने आत्मीय व इष्ट-मित्रों तक पहुँचाये।" घोषणा पत्र के अन्त में भारतीय प्रजातन्त्र संघ (हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन) के अध्यक्ष के रूप में विजयकुमार के नाम से हस्ताक्षर किये गये थे। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन की ओर से १ जनवरी १९२५ को प्रकाशित चार पृष्ठ का यह घोषणा पत्र एक इश्तहार के रूप में जनवरी १९२५ के अन्तिम सप्ताह में हिन्दुस्तान के सभी प्रमुख स्थानों पर वितरित किया गया था। यह इश्तहार जानबूझ कर अंग्रेज़ी में दि रिवोल्यूशनरी के नाम से इसलिए छापा गया था ताकि सभी अंग्रेज़ इसका मतलब समझ सकें। इसमें विजय कुमार के छद्म नाम से रामप्रसाद 'बिस्मिल' ने अपनी पार्टी की विचार-धारा का खुलासा करते हुए साफ़ शब्दों में बताया था कि क्रान्तिकारी इस देश की शासन व्यवस्था में किस प्रकार का बदलाव करना चाहते हैं और इसके लिये वे क्या-क्या कर सकते हैं। केवल इतना ही नहीं, इस पत्र में गान्धी जी की नीतियों का मजाक बनाते हुए यह प्रश्न भी उछाला गया था कि जो व्यक्ति स्वयं को आध्यात्मिक और महात्मा कहता है परन्तु अंग्रेज़ों से खुलकर बात करने में हमेशा ही डरता रहता है। आखिर इसका रहस्य क्या है?" घोषणा पत्र की ये पंक्तियाँ देखें- करने को वे आदर्शों का ढोंग खूब करते हैं। सत्य हमेशा कहने का खोखला दम्भ भरते हैं। पूर्ण स्वराज्य चाहिये यह सच साफ-साफ कहने में, पता नहीं क्यों वे इतना अंग्रेजों से डरते हैं? आदर्शों को जीने वाले दुःख ही दुःख सहते हैं। राष्ट्र तभी बनते हैं जब आदर्श उच्च रहते हैं। पूर्ण स्वराज्य माँगने से हरदम डरने वाले भी, जाने कैसे वे अपने को आध्यात्मिक कहते हैं? ऊपर से दिखते हों पर क्या वे सचमुच ऐसे हैं? जिसे 'महात्मा’ कहते हो क्या उसमें गुण वैसे हैं? समय आ गया है यह सच्चाई सबको बतला दो, ऊपर से जो दिखते हैं, वे अन्दर से कैसे हैं? घोषणा पत्र में हिन्दुस्तान के सभी नौजवानों को ऐसे छद्मवेषी महात्मा के बहकावे में न आने की सलाह भी दी गयी थी। इसके अतिरिक्त सभी नवयुवकों से इस गुप्त क्रान्तिकारी पार्टी में शामिल होकर अंग्रेज़ों से दो-दो हाथ करने का खुला आवाहन भी किया गया था। दि रिवोल्यूशनरी के नाम से अंग्रेज़ी में प्रकाशित इस घोषणा पत्र में क्रान्तिकारियों के वैचारिक चिन्तन को भली-भाँति समझा जा सकता है। .

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अनुशीलन समिति

अनुशीलन समिति का प्रतीक: अखण्ड भारत (United India) अनुशीलन समिति भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय बंगाल में बनी अंग्रेज-विरोधी, गुप्त, क्रान्तिकारी, सशस्त्र संस्था थी। इसका उद्देश्य वन्दे मातरम् के प्रणेता व प्रख्यात बांग्ला उपन्यासकार बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय के बताये गये मार्ग का 'अनुशीलन' करना था। अनुशीलन का शाब्दिक अर्थ यह होता है: इसका आरम्भ १९०२ में अखाड़ों से हुआ तथा इसके दो प्रमुख (तथा लगभग स्वतंत्र) रूप थे- ढाका अनुशीलन समिति तथा युगान्तर। यह बीसवीं शताब्दी के आरम्भिक दिनों में समूचे बंगाल में कार्य कर रही थी। पहले-पहल कलकत्ता और उसके कुछ बाद में ढाका इसके दो ही प्रमुख गढ़ थे। इसका आरम्भ अखाड़ों से हुआ। बाद में इसकी गतिविधियों का प्रचार प्रसार ग्रामीण क्षेत्रों सहित पूरे बंगाल में हो गया। इसके प्रभाव के कारण ही ब्रिटिश भारत की सरकार को बंग-भंग का निर्णय वापस लेना पडा था। इसकी प्रमुख गतिविधियों में स्थान स्थान पर शाखाओं के माध्यम से नवयुवकों को एकत्र करना, उन्हें मानसिक व शारीरिक रूप से शक्तिशाली बनाना ताकि वे अंग्रेजों का डटकर मुकाबला कर सकें। उनकी गुप्त योजनाओं में बम बनाना, शस्त्र-प्रशिक्षण देना व दुष्ट अंग्रेज अधिकारियों वध करना आदि सम्मिलित थे। अनुशीलन समिति के सक्रिय सदस्य उन भारतीय अधिकारियों का वध करने में भी नहीं चूकते थे जिन्हें वे 'अंग्रेजों का पिट्ठू' व हिन्दुस्तान का 'गद्दार' समझते थे। इसके प्रतीक-चिन्ह की भाषा से ही स्पष्ठ होता है कि वे इस देश को एक (अविभाजित) रखना चाहते थे। .

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अफ़सर बिटिया

अफ़सर बिटिया ज़ी टीवी पर एक हिन्दुस्तानी तेलेविजन् ओपेरा प्रसारण है। .

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अफ़ग़ानिस्तान

अफ़ग़ानिस्तान इस्लामी गणराज्य दक्षिणी मध्य एशिया में अवस्थित देश है, जो चारो ओर से जमीन से घिरा हुआ है। प्रायः इसकी गिनती मध्य एशिया के देशों में होती है पर देश में लगातार चल रहे संघर्षों ने इसे कभी मध्य पूर्व तो कभी दक्षिण एशिया से जोड़ दिया है। इसके पूर्व में पाकिस्तान, उत्तर पूर्व में भारत तथा चीन, उत्तर में ताजिकिस्तान, कज़ाकस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान तथा पश्चिम में ईरान है। अफ़ग़ानिस्तान रेशम मार्ग और मानव प्रवास का8 एक प्राचीन केन्द्र बिन्दु रहा है। पुरातत्वविदों को मध्य पाषाण काल ​​के मानव बस्ती के साक्ष्य मिले हैं। इस क्षेत्र में नगरीय सभ्यता की शुरुआत 3000 से 2,000 ई.पू.

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अफगानिस्तान में हिन्दू धर्म

एक मुखी लिंग (शिव लिंग के साथ एक मुख), अफगानिस्तान काबुल संग्रहालय मूर्ति अफगानिस्तान में हिन्दू धर्म  का अनुसरण करने वाले बहुत कम लोग हैं। इनकी संख्या कोई 1,000 अनुमानित है। ये लोग अधिकतर काबुल एवं अफगानिस्तान के अन्य प्रमुख नगरों में रहते हैं।, by Tony Cross.

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अबाया

दो महिलाओं अबाया और नक़ाब पहने हुए। अबाया पोशाक है और नक़ाब चेहरे के कवर है। अबाया (अरबी: عباية) उत्तरी अफ्रीका और अरब प्रायद्वीप में इस्लामी दुनिया के सहित भागों में कुछ महिलाओं द्वारा पहना जाता है पारंपरिक अबायाट काले होते हैं और या तो कपड़े के एक बड़े वर्ग या कंधे या सिर से लिपटी हो सकता हैएक लंबे क़फ़तान। अबाया चेहरे, पैर और हाथ को छोड़कर पूरे शरीर को शामिल किया गया। यह नकाब, एक चेहरा है, लेकिन सभी आँखों को कवर घूंघट के साथ पहना जा सकता है। कुछ महिलाओं के लंबे काले दस्ताने पहनने के लिए चुनते हैं, तो उनके हाथों के रूप में अच्छी तरह से कवर किया जाता है। इन्डोनेशियाई और मलेशियाई महिलाओं की परंपरागत पोशाक केबाया, अबाया से उसका नाम हो जाता है। .

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अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ

अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ, (उर्दू: اشفاق اُللہ خان, अंग्रेजी:Ashfaq Ulla Khan, जन्म:22 अक्तूबर १९००, मृत्यु:१९२७) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने काकोरी काण्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। ब्रिटिश शासन ने उनके ऊपर अभियोग चलाया और १९ दिसम्बर सन् १९२७ को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी पर लटका कर मार दिया गया। राम प्रसाद बिस्मिल की भाँति अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ भी उर्दू भाषा के बेहतरीन शायर थे। उनका उर्दू तखल्लुस, जिसे हिन्दी में उपनाम कहते हैं, हसरत था। उर्दू के अतिरिक्त वे हिन्दी व अँग्रेजी में लेख एवं कवितायें भी लिखा करते थे। उनका पूरा नाम अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ वारसी हसरत था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सम्पूर्ण इतिहास में बिस्मिल और अशफ़ाक़ की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनुपम आख्यान है। .

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उदय प्रताप सिंह

उदय प्रताप सिंह (अंग्रेजी: Uday Pratap Singh, जन्म: 1932, मैनपुरी) एक कवि, साहित्यकार तथा राजनेता हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश से वर्ष 2002-2008 के लिये समाजवादी पार्टी की ओर से राज्य सभा का प्रतिनिधित्व किया। राज्य सभा में यद्यपि उनका कार्यकाल 2008 में समाप्त हो गया तथापि पूर्णत: स्वस्थ एवं सजग होने के बावजूद समाजवादी पार्टी ने उन्हें दुबारा राज्य सभा के लिये नामित नहीं किया। जबकि वे पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के गुरू रह चुके हैं और जाति से यादव भी हैं। उदय प्रताप सिंह को उनकी बेवाक कविता के लिये आज भी कवि सम्मेलन के मंचों पर आदर के साथ बुलाया जाता है। साम्प्रदायिक सद्भाव पर उनका यह शेर श्रोता बार-बार सुनना पसन्द करते हैं: न तेरा है न मेरा है ये हिन्दुस्तान सबका है। नहीं समझी गयी ये बात तो नुकसान सबका है॥ इसी प्रकार सत्तासीनों द्वारा शहीदों के प्रति बरती जा रही उदासीनता पर उनका यह आक्रोश उनके चेले भी बर्दाश्त नहीं कर पाते किन्तु उदय प्रताप सिंह उनके मुँह पर भी अपनी बात कहने से कभी नहीं चूकते: कभी-कभी सोचा करता हूँ वे वेचारे छले गये हैं। जो फूलों का मौसम लाने की कोशिश में चले गये हैं॥ उदय प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके हैं। .

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