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हिन्द-आर्य भाषाएँ

सूची हिन्द-आर्य भाषाएँ

हिन्द-आर्य भाषाएँ हिन्द-यूरोपीय भाषाओं की हिन्द-ईरानी शाखा की एक उपशाखा हैं, जिसे 'भारतीय उपशाखा' भी कहा जाता है। इनमें से अधिकतर भाषाएँ संस्कृत से जन्मी हैं। हिन्द-आर्य भाषाओं में आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के 'घ', 'ध' और 'फ' जैसे व्यंजन परिरक्षित हैं, जो अन्य शाखाओं में लुप्त हो गये हैं। इस समूह में यह भाषाएँ आती हैं: संस्कृत, हिन्दी, उर्दू, बांग्ला, कश्मीरी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, रोमानी, असमिया, गुजराती, मराठी, इत्यादि। .

95 संबंधों: चित्राल, चीलीस्सो भाषा, टांक ज़िला, डोटेली भाषा, डोमाकी भाषा, तारिम द्रोणी, तारिम द्रोणी/आलेख, ताशक़ुरग़ान​, ताई लोग, तोरवाली भाषा, तीराही भाषा, दामेली भाषा, दार्द लोग, दार्दी भाषाएँ, नागपुरी भाषा, नंगलामी भाषा, नैशनल लाइब्रेरी ऍट कोलकाता रोमनाइजेशन, नूरिस्तानी भाषाएँ, पति, पर्या भाषा, पश्तो भाषा, पालूला भाषा, पंजाबी भाषा, पोठोहारी भाषा, बटेरी भाषा, बाहुन, बाङ्ला भाषा, बिष्णुप्रिया मणिपुरी, बिहारी भाषाएँ, बज्जिका, भारत के भाषाई परिवार, भारत की संस्कृति, भिलाला, मधु (शब्द), मराठी भाषा, मह्ल भाषा, मालवी, मगही, मगही साहित्य, मैथिली भाषा, मेघालय, मेवाड़ी भाषा, राजपूत, राजबोंग्शी भाषा, राजस्थानी भाषा, रोमानी भाषा, रोहिंग्या भाषा, लहन्दा भाषाएँ, लिसान उद-दावत, शुमश्ती भाषा, ..., शुग़नी भाषा, श्वा, शीना भाषा, सराइकी, सरिकोली भाषा, सिन्धु-गंगा के मैदान, सिन्धी भाषा, सिसोदिया (राजवंश), सीमुर्ग़, हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार, हिन्द-ईरानी भाषाएँ, हिन्द-आर्य भाषाओं में श्वा विलोपन, हिन्द-आर्य भाषाओं की सूची, हिन्दको भाषा, हिन्दुस्तानी भाषा, हिन्दू धर्म, हिन्दी, ईरानी भाषा परिवार, वटापूर ज़िला, व्यिंचन, वैदिक संस्कृत, वोटापूरी-कटारक़लाई भाषा, खोवार भाषा, गुरमुखी लिपि, ग्वार-बती भाषा, गोजरी भाषा, गोवरो भाषा, ओड़िया भाषा, आदरसूचक, आदिम हिन्द-ईरानी भाषा, आकाशगंगा, कलश भाषा, कलकोटी भाषा, कामरुपी भाषा, कालामी भाषा, काशिका भाषा, कुरमाली भाषा, क्षेत्री, कैरेबियाई हिंदुस्तानी, केल्टी भाषाएँ, कोहिस्तानी भाषा, अहिराणी भाषा, अंगिका भाषा, उर्दू भाषा, उशोजी भाषा सूचकांक विस्तार (45 अधिक) »

चित्राल

चित्राल शहर का अतालिक़ बाज़ार - चिह्न पर 'दी बैंक ऑफ़ ख़ैबर' लिखा है चित्राल शहर में मसालों का एक दुकानदार चित्राल (उर्दू:, अंग्रेज़ी: Chitral) या छेत्रार (खोवार) पश्चिमोत्तरी पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के चित्राल ज़िले की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। यह हिन्दु कुश पर्वतमाला के सबसे ऊँचे पहाड़ तिरिच मीर के चरणों में कुनर नदी के पश्चिमी किनारे पर बसा हुआ है। चित्राल ज़िले की कुल ३ लाख लोगों की आबादी में से लगभग २ लाख चित्राल शहर में रहतें हैं। शहर जिस वादी में स्थित है वह ३,७०० फ़ुट (१,१०० मीटर) की ऊँचाई पर स्थित है।, Brian Robson, Spellmount, 2004,...

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चीलीस्सो भाषा

चीलीस्सो (Chilisso) कोहिस्तानी उपशाखा की एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के कोहिस्तान ज़िले के पूर्वी भाग में बोली जाती है। .

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टांक ज़िला

ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत में टांक ज़िला (गाढ़े नारंगी रंग में) टांक (उर्दू:, टांक; पश्तो:, टक; सराइकी:, टंक; अंग्रेज़ी: Tank) पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत का एक ज़िला है। यह पहले डेरा इस्माइल ख़ान ज़िले का हिस्सा हुआ करता था। .

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डोटेली भाषा

डोटेली एक हिन्द-आर्य भाषा है जो लगभग 8,00,000 लोगों द्वारा बोली जाती है, जिसमें से अधिकतर नेपाल में रहते हैं। पारम्परिक रूप से इसे नेपाली भाषा की पश्चिमी बोली माना गया था। नेपाल के अन्तरिम संविधान 2063 के भाग 1, अनुभाग 5 के अनुसार इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त हुआ है। यह देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। यह भाषा कुमाऊनी भाषा से 75% मिलती जुलती है। .

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डोमाकी भाषा

डोमाकी (Domaaki) पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र में कुछ सैंकड़ों लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक दार्दी भाषा है। यह डूमा समुदाय के सदस्यों द्वारा बोली जाती है जिनकी लोकमान्यता है कि वे कहीं दक्षिण में मध्य भारत से आकर कश्मीर घाटी से गुज़रते हुए नगर और हुन्ज़ा की घाटियों में पहुंचकर बस गए थे। यहाँ से वे आगे काश्गर तक भी पहुँच गए। अधिकतर डूमा लोगों ने अपनी मातृभाषा छोड़कर शीना भाषा बोलना शुरू कर दिया और केवल नगर व हुन्ज़ा वादियों में ही डोमाकी चलती आ रही है। डूमा लोग पेशे से लोहार और मरासी (संगीतकार) हुआ करते थे लेकिन आजकल यह भिन्न व्यवसायों में लग गए हैं। १९८९ में केवल ५०० लोग डोमाकी मातृभाषी गिने गए थे और इनकी गिनती कम होती जा रही थी। इनमें से अधिकतर हुन्ज़ा में और कुछ नगर में हैं। हुन्ज़ा की डोमाकी और नगर की डोमाकी में कुछ अंतर हैं लेकिन इनके बोलने वाले एक-दूसरे को समझ सकते हैं। सभी डोमाकी बोलने वाले अपने आसपास के बहुसंख्यक बुरुशसकी या शीना लोगों की ज़बाने भी बोल लेते हैं। .

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तारिम द्रोणी

तारिम द्रोणी अंतरिक्ष से तारिम द्रोणी की तस्वीर तारिम क्षेत्र में मिला खरोष्ठी में लिखा एक काग़ज़ का टुकड़ा (दूसरी से पाँचवी सदी ईसवी) तारिम द्रोणी या तारिम बेसिन मध्य एशिया में स्थित एक विशाल बंद जलसंभर इलाका है जिसका क्षेत्रफल ९०६,५०० वर्ग किमी है (यानि सम्पूर्ण भारत का लगभग एक-चौथाई क्षेत्रफल)। वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था में तारिम द्रोणी चीनी जनवादी गणराज्य द्वारा नियंत्रित श़िंजियांग उइग़ुर स्वराजित प्रदेश नाम के राज्य में स्थित है। तारिम द्रोणी की उत्तरी सीमा तियाँ शान पर्वत श्रंखला है और दक्षिणी सीमा कुनलुन पर्वत श्रंखला है। कुनलुन पर्वत श्रंखला तारिम द्रोणी के इलाक़े को दक्षिण में स्थित तिब्बत के पठार से विभाजित करती है। तारिम द्रोणी का अधिकतर क्षेत्र रेगिस्तानी है और हलकी आबादी वाला है। यहाँ ज़्यादातर लोग उइग़ुर और अन्य तुर्की जातियों के हैं। .

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तारिम द्रोणी/आलेख

तारिम द्रोणी तारिम द्रोणी या तारिम बेसिन मध्य एशिया में स्थित एक विशाल बंद जलसंभर इलाका है जिसका क्षेत्रफल ९०६,५०० वर्ग किमी है (यानि सम्पूर्ण भारत का लगभग एक-चौथाई क्षेत्रफल)। वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था में तारिम द्रोणी चीनी जनवादी गणराज्य द्वारा नियंत्रित श़िंजियांग उइग़ुर स्वराजित प्रदेश नाम के राज्य में स्थित है। तारिम द्रोणी की उत्तरी सीमा तियाँ शान पर्वत श्रंखला है और दक्षिणी सीमा कुनलुन पर्वत श्रंखला है। कुनलुन पर्वत श्रंखला तारिम द्रोणी के इलाक़े को दक्षिण में स्थित तिब्बत के पठार से विभाजित करती है। द्रोणी या जलसंभर उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं जहाँ वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी नदियों, नेहरों और नालों से बह कर एक ही स्थान पर एकत्रित हो जाता है। भारत में यमुना का जलसंभर वह क्षेत्र है जहाँ यमुना नदी में विलय हो जाने वाले सारे नदी नाले फैले हुए है और जिसके अंत से केवल यमुना नदी ही निकास करती है। बंद जलसंभर ऐसा जलसंभर होता है जिसमें वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी एकत्रित हो कर किसी नदी के ज़रिये समुद्र या महासागर में बहने की बजाय किसी सरोवर, दलदली क्षेत्र या शुष्क क्षेत्र में जाकर वहीँ रुक जाता है। अंग्रेज़ी में "द्रोणी" को "बेसिन" (basin), "जलसंभर" को "वॉटरशॅड" (watershed) या "कैचमेंट" (catchment) और बंद जलसंभर को "एनडोरहेइक बेसिन" (endorheic basin) कहा जाता है। तारिम द्रोणी का अधिकतर क्षेत्र रेगिस्तानी है और हलकी आबादी वाला है। यहाँ ज़्यादातर लोग उइग़ुर और अन्य तुर्की जातियों के हैं। इस क्षेत्र का उत्तर भारत और पाकिस्तान के साथ गहरा ऐतिहासिक और आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक) सम्बन्ध है। यहाँ पर पाई गई लगभग सारी प्राचीन लिखाई खरोष्ठी लिपि में है, बोले जाने वाली प्राचीन भाषाएँ तुषारी भाषाएँ थीं जो भाषावैज्ञानिक दृष्टि से हिन्द-आर्य भाषाओं की बहनें मानी जाती हैं और जितने भी प्राचीन शव मिले हैं उनमें हर पुरुष का आनुवंशिकी पितृवंश समूह आर१ए१ए है जो उत्तर भारत के ३०-५०% पुरुषों में भी पाया जाता है, लेकिन पूर्वी एशिया की चीनी, जापानी और कोरियाई आबादियों में और पश्चिमी एशिया की अरब आबादियों में लगभग अनुपस्थित है। .

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ताशक़ुरग़ान​

ताशक़ुरग़ान​ (सरिकोली:, तॉशक़ुरग़ॉन​; उइग़ुर:, ताशक़ूरग़ान बाज़िरी; चीनी: 塔什库尔干镇, ताशिकु'एरगन; अंग्रेज़ी: Tashkurgan) मध्य एशिया में चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग प्रान्त के ताशक़ुरग़ान​ ताजिक स्वशासित ज़िले की राजधानी है। पाकिस्तान से पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र से आने वाले काराकोरम राजमार्ग पर यह पहला महत्वपूर्ण चीनी पड़ाव है। इस राजमार्ग पर सरहद पर स्थित ख़ुंजराब दर्रे की चीनी तरफ़ ताशक़ुरग़ान​ है और पाकिस्तानी तरफ़ सोस्त है।, Andrew Burke, pp.

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ताई लोग

ताई लोग (Tai) उन भिन्न समुदायों का सामूहिक नाम है जो आदि-ताई भाषा बोलने वाले प्राचीन लोगों के आधुनिक वंशज हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो अब ताई भाषाएँ नहीं बोलते। पूर्वोत्तर भारत के अहोम लोग जो अब हिन्द-आर्य भाषा-परिवार की असमिया भाषा बोलते हैं, चीन के युन्नान और अन्य दक्षिणी भागों के कुछ समुदाय, थाई लोग (जो थाईलैण्ड में बहुसंख्यक हैं), वियतनामी लोग, लाओस के लाओ समुदाय के लोग, बर्मा के शान लोग सभी इस विविध ताई महासमुदाय के सदस्य हैं। .

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तोरवाली भाषा

तोरवाली (Torwali), जिसे तूरवाली भी कहते हैं, कोहिस्तानी उपशाखा की एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के कोहिस्तान और स्वात ज़िलों में बोली जाती है। इसे तोरवाली समुदाय के लोग बोलते हैं जो स्वात वादी में मदयान शहर के पश्तो बोलने वालों से ऊपरी ऊँचाइयों में छोटी पर्वतीय बस्तियों में बिखरे हुए हैं। यहाँ से यह समुदाय कालाम नामक शहर तक विस्तृत हैं जहाँ से आगे फिर कालामी भाषा बोली जाती है। तोरवाली बोली की दो उपभाषाएँ हैं - बहरेन और चैल।, Sir George Abraham Grierson, Sir Aurel Stein, Asian Educational Services, 1929, ISBN 978-81-206-1605-9 .

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तीराही भाषा

तीराही (Tirahi) कोहिस्तानी उपशाखा की एक दार्दी भाषा है जो अफ़ग़ानिस्तान के नंगरहार प्रान्त प्रान्त के नंगरहार नामक गाँव के आसपास बोली जाती है। इसे मूल रूप से बोलने वाले समुदाय की जनसंख्या ५,००० है लेकिन उनमें से १०० के अलावा बाक़ी सभी अब अन्य भाषाएँ बोलते हैं। भाषावैज्ञानिकों को डर है कि यह भाषा विलुप्त होने वाली है। .

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दामेली भाषा

दामेली या दामेड़ी (Dameli) कुनर (कुनड़) शाखा की एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान के चित्राल ज़िले की दोमेल वादी में बोली जाती है। इसे लगभग ५,००० लोग मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। इनमें से पुरुष अक्सर पश्तो भी बोलना जानते हैं और बहुतों को खोवार और उर्दू भाषाएँ आती हैं। इसके बावजूद यह भाषा जीवित है और बच्चे भी इसे सीखते-बोलते हैं। .

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दार्द लोग

दार्द या दारद उन समुदायों को कहा जाता है जो दार्दी भाषाएँ बोलते हैं। यह हिन्द-आर्य लोगों की एक उपशाखा है। दार्द लोग मुख्य रूप से उत्तर भारत के कश्मीर व लद्दाख़ क्षेत्र, पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र, पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त और पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के कुछ भागों में बसते हैं। अलग-अलग स्थनों के दार्द लोगों को 'ब्रोकपा', 'द्रोकपा' व 'शीन' जैसे नामों से भी जाना जाता है। .

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दार्दी भाषाएँ

दार्दी या दार्दिक भाषाएँ (ज़बान दार्दी) हिन्द-आर्य भाषाओं की एक उपशाखा है जिसकी सबसे जानी-मानी भाषा कश्मीरी है। दार्दी भाषाएँ उत्तरी पाकिस्तान, उत्तर-पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान और भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में बोली जातीं हैं।, Peter K. Austin, University of California Press, ISBN 0-520-25560-7,...

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नागपुरी भाषा

नागपुरी या सादरी झारखंड व कुछ अन्य राज्यों में बोली जाने वाली एक हिन्द-आर्य भाषा है। इसे सदानी समुदाय बोलता है, जिस कारणवश इसे सदानी भाषा भी कहते हैं। ये सदानी बोलने वाले ही सदान कहलाते हैं। सदानों की मूल जाति है नाग जाति। नागजाति या नागवंश के शासन स्थापित होने पर (64 ई.) इसकी राजभाषा नागपुरी, छोटानागपुर (झारखंड) में सर्वमान्य हुई। नागपुरी के राजभाषा होने पर झारखंड में बसने वाली नागजाति (सदान) के अतिरिक्त मुण्डा, खड़िया, उराँव आदि की यह सम्पर्क भाषा अर्थात सर्वसाधारण की बोली हो गई है। नागपुरी के पूर्व नाम, सदानी, सदरी या सादरी, गँवारी भी प्रचलित रहे हैं। अब यह नागपुरी नाम पर विराम पा गई है। फादर पीटर शांति नवरंगी ने इसके उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालते हुए प्रश्न उठाया कि नागपुरी छोटानागपुर की आर्य भिन्न बोलियों के मध्य में कैसे पड़ी? कहाँ से आई? कब आई?3 नागपुरी के प्रथम वैयाकरण रेव.

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नंगलामी भाषा

नंगलामी (Nangalami), जिसे ग्रंगाली (Grangali) भी कहते हैं, कुनर (कुनड़) शाखा की एक दार्दी भाषा है जो अफ़ग़ानिस्तान​ के कुनर प्रान्त और नंगरहार प्रान्त की सीमा पर विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती है जहाँ निंगलाम गाँव भी पड़ता है। यह पेच नदी और वाएगल नदी के संगम स्थल के पास है। इसकी तीन उपभाषाएँ है - नंगलामी, ग्रंगाली और ज़ेमियाकी - हालांकि ज़ेमियाकी के बारे में कुछ विवाद है कि यह वास्तव में इसकी उपभाषा है कि नहीं। .

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नैशनल लाइब्रेरी ऍट कोलकाता रोमनाइजेशन

राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाता-रोमनीकरण भारतीय भाषाओं के शब्दकोषों तथा व्याकरण में सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाली लिप्यन्तरण स्कीम (देखें "देवनागरी लिप्यन्तरण") है। इस लिप्यन्तरण स्कीम को लाइब्रेरी ऑफ काँग्रेस के नाम से भी जाना जाता है तथा यह लगभग ISO 15919 के सम्भावित वैरियेंटों जैसी ही है। नीचे दी गयी सारणियाँ अधिकतर देवनागरी का प्रयोग करती हैं पर कुछ अक्षर कन्नड़, तमिल, मलयालम तथा बंगाली भाषाओं से भी हैं जिनका प्रयोग गैर-देवनागरी वर्णों के लिप्यन्तरण में किया जाता है। यह स्कीम IAST स्कीम का ही विस्तार है जो कि संस्कृत के लिप्यन्तरण के लिये प्रयोग की जाती है। .

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नूरिस्तानी भाषाएँ

नूरिस्तानी भाषाएँ (Nuristani languages) हिन्द-ईरानी भाषा-परिवार का एक उपपरिवार है जिसकी सदस्य भाषाएँ पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान में और पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के चित्राल ज़िले के कुछ हिस्सों में बोली जाती हैं। इन्हें लगभग १,३०,००० लोग बोलते हैं जो नूरिस्तानी या कलश कहलाते हैं। कुछ भाषावैज्ञानिक इन्हें हिन्द-आर्य भाषा-परिवार की दार्दी शाखा की उपशाखा समझा है लेकिन अन्य इन्हें ईरानी भाषाओं और हिन्द-आर्य भाषाओं के साथ हिन्द-ईरानी भाषा-परिवार की एक अलग तीसरी श्रेणी माना जाता है।, Andrew Dalby, pp.

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पति

पति बहुत-सी हिन्द-ईरानी भाषाओँ में 'स्वामी' या 'मालिक' के लिए एक शब्द है। यह संस्कृत, हिन्दी, अवस्ताई फ़ारसी और बहुत सी अन्य भाषाओँ में देखा जाता है।, Roger D. Woodard, University of Illinois Press, 2006, ISBN 978-0-252-02988-2,...

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पर्या भाषा

पर्या (Parya; रूसी: Парья язык) उज़्बेकिस्तान और तजिकिस्तान के कुछ भागों में बोली जाने वाली मध्य हिन्द-आर्य भाषा है। यह हिन्दी की एक उपभाषा है। इस भाषा की विशेषताओं के अध्ययन एवं उनके दस्तावेजीकरण पर सोवियत भाषावैज्ञानिक आई एम ओरांस्की ने बहुत महत्वपूर्ण कार्य किया है। यह भाषा ब्रजभाषा, हरियाणवी तथा राजस्थानी बोलियों पर आधारित है तथा उजबेक, ताजिक एवं रूसी भाषाओं से प्रभावित है। विश्व भर में इसके लगभग २५०० बोलने वाले हैं। .

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पश्तो भाषा

कोई विवरण नहीं।

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पालूला भाषा

पालूला (Palula), जिसे फालूला, फालूरा और अशरेती भी कहते हैं, शीना उपशाखा की एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के चित्राल ज़िले की अशरेत​, बेयोड़ी, शीम्शी और कल्कटक​ वादियों में बोली जाती है। खोवार भाषा बोलने वाले चित्राली लोग इस भाषा को डंगरीक्वार​ और इसे बोलने वाले समुदाय को 'डंगरीक' बुलाते हैं। इस से मिलती-जुलती बोलियाँ अफ़ग़ानिस्तान के साऊ गाँव में और पाकिस्तान के ही दीर ज़िले के खलकोट गाँव में बोली जाती है। .

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पंजाबी भाषा

पंजाबी (गुरमुखी: ਪੰਜਾਬੀ; शाहमुखी: پنجابی) एक हिंद-आर्यन भाषा है और ऐतिहासिक पंजाब क्षेत्र (अब भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित) के निवासियों तथा प्रवासियों द्वारा बोली जाती है। इसके बोलने वालों में सिख, मुसलमान और हिंदू सभी शामिल हैं। पाकिस्तान की १९९८ की जनगणना और २००१ की भारत की जनगणना के अनुसार, भारत और पाकिस्तान में भाषा के कुल वक्ताओं की संख्या लगभग ९-१३ करोड़ है, जिसके अनुसार यह विश्व की ११वीं सबसे व्यापक भाषा है। कम से कम पिछले ३०० वर्षों से लिखित पंजाबी भाषा का मानक रूप, माझी बोली पर आधारित है, जो ऐतिहासिक माझा क्षेत्र की भाषा है। .

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पोठोहारी भाषा

पोठोहारी या पोठवारी पंजाबी भाषा की एक पश्चिम-क्षेत्रीय उपभाषा है। यह पोठोहार के पठारी इलाक़े की मातृबोली है और पाक-अधिकृत कश्मीर के कुछ भागों में भी बोली जाती है। हालांकि पोठोहारी और पंजाबी की मानक उपभाषा (जिसे 'माझी' कहते हैं) एक-दूसरे को लगभग पूरी तरह समझ सकते हैं, कुछ पोठोहारी वक्ताओं ने पाकिस्तान में पोठोहारी को अलग भाषा घोषित करवाने का अभियान चलाया है।, pp.

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बटेरी भाषा

बटेरी (Bateri) कोहिस्तानी शाखा की एक दार्दी भाषा है जो अधिकतर पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के कोहिस्तान ज़िले बोली जाती है। इसके लगभग १,००० मातृभाषी भारत में रहते हैं। .

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बाहुन

बाहुन नेपाल के पहाडी खस समुदायके ब्राह्मण एवम् पुजारी जाति है। ये नेपालके दुस्रे सर्वाधिक जनसंख्या वाले समुदाय है। नेपाली साहित्यमे इस जातिके जोडदार योगदान है। नेपाली राजनीतिमे इस जातिके योगदान है। नेपाली खोजकर्ता एवम् इतिहासकार डोरबहादुर विष्ट और सूर्यमणि अधिकारीके अनुसार ये जाति अन्य खस जाति जैसे नेपालके पश्चिमी कर्णाली इलाकाके विभिन्न गाउँसे उत्पत्ति हुए है। ये हिन्द-आर्य भाषा परिवार के नेपाली भाषा बोल्ते है। .

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बाङ्ला भाषा

बाङ्ला भाषा अथवा बंगाली भाषा (बाङ्ला लिपि में: বাংলা ভাষা / बाङ्ला), बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी भारत के त्रिपुरा तथा असम राज्यों के कुछ प्रान्तों में बोली जानेवाली एक प्रमुख भाषा है। भाषाई परिवार की दृष्टि से यह हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार का सदस्य है। इस परिवार की अन्य प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, नेपाली, पंजाबी, गुजराती, असमिया, ओड़िया, मैथिली इत्यादी भाषाएँ हैं। बंगाली बोलने वालों की सँख्या लगभग २३ करोड़ है और यह विश्व की छठी सबसे बड़ी भाषा है। इसके बोलने वाले बांग्लादेश और भारत के अलावा विश्व के बहुत से अन्य देशों में भी फ़ैले हैं। .

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बिष्णुप्रिया मणिपुरी

बिष्णुप्रिया मणिपुरी ये जाति महाभारत योग के मणिपुर राज्य के प्राचीन जाति के रूप में माने जाते हैं | बिष्णुपुरिया, बिष्णुप्रिया या बिष्णुप्रिया मणिपुरी भारत के मणिपुर, असम, त्रिपुरा तथा बांग्लादेश और म्यांमार के कुछ भागों में बोली जाने वाली भारत-आर्य कुल की भाषा है। यह कई इंडो-आर्यन भाषाओं जैसे मराठी, बंगाली, उड़िया, असमिया और वैदिक संस्कृत आदि से मिलता जुलता है। यह भाषा सर्व प्राचीन मणिपुर राज्य में उत्पन्न और विकसित हुई थी और मूल रूप से लोकताक नाम के झील के परिवेश तक ही सीमित थी सुरुवाती दौर में | कर्नल मैककुलक द्वारा मणिपूर की घाटी के एक खाते जैसे अन्य अधिकारियों ई.टी.

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बिहारी भाषाएँ

बिहारी पूर्वी हिन्द–आर्य भाषाओं का पश्चित्मी समूह है जो मुख्यतः भारत में बिहार एवं इसके अन्य पड़ोसी राज्यों में बोली जाती है। कुछ बिहारी भाषायें जैसे: अंगिका, बज्जिका, भोजपुरी, मगही और मैथिली भारत के साथ साथ नेपाल में भी बोली जाती हैं। बिहारी शब्द को भाषा के मायने जोड़ने का प्रथम प्रयास अंग्रेज भाषा-वैज्ञानिक सर जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन द्वारा देखा जाता है। ग्रियर्सन ने पहली बार अपने लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया में वर्तमान उत्तरी बिहार और दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश में बोली जाने वाले भाषाओं के सम्मिलित स्वरुप जो वहाँ की क्षेत्रिय हिन्दी में परिलक्षित होता है, उसे बिहारी नाम दे दिया है। इस क्षेत्र में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में - मैथिली, भोजपुरी, मगही, अंगिका, बज्जिका, नागपुरिया इत्यादि भाषायें हैं। इन भाषाओं को मातृभाषा के तौर पर प्रयोग करने वाले जब हिन्दी को अपनी दूसरी प्रमुख भाषा के रूप में इस्तेमाल करते हैं तो उनकी हिन्दी में व्याकरण और उच्चारण के स्तर पर कई समानतायें पायी जाती है इस प्रभाव को आम तौर पर हिन्दी फिल्मों और आम बोल-चाल में "बिहारी" नाम दे दिया गया है। ऐसा ही प्रभाव उस क्षेत्र के अंग्रेजी बोलने वालों की अंग्रेजी में भी परिलक्षित होता है। सामाजिक एवं राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में बिहारी शब्द का प्रयोग नकारात्मक विशेषण के रूप में होने लगा है। ये सभी भाषाएँ हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती हैं। .

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बज्जिका

बज्जिका मैथिली भाषा की उपभाषा है, जो कि बिहार के तिरहुत प्रमंडल में बोली जाती है। इसे अभी तक भाषा का दर्जा नहीं मिला है, मुख्य रूप से यह बोली ही है| भारत में २००१ की जनगणना के अनुसार इन जिलों के लगभग १ करोड़ १५ लाख लोग बज्जिका बोलते हैं। नेपाल के रौतहट एवं सर्लाही जिला एवं उसके आस-पास के तराई क्षेत्रों में बसने वाले लोग भी बज्जिका बोलते हैं। वर्ष २००१ के जनगणना के अनुसार नेपाल में २,३८,००० लोग बज्जिका बोलते हैं। उत्तर बिहार में बोली जाने वाली दो अन्य भाषाएँ भोजपुरी एवं मैथिली के बीच के क्षेत्रों में बज्जिका सेतु रूप में बोली जाती है। .

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भारत के भाषाई परिवार

वृहद भारत के भाषा परिवार भारत में विश्व के सबसे चार प्रमुख भाषा परिवारों की भाषाएँ बोली जाती है। सामान्यत: उत्तर भारत में बोली जाने वाली भारोपीय परि वार की भाषाओं को आर्य भाषा समूह, दक्षिण की भाषाओं को द्रविड़ भाषा समूह, ऑस्ट्रो-एशियाटिक परिवार की भाषाओं को भुंडारी भाषा समूह तथा पूर्वोत्तर में रहने वाले तिब्बती-बर्मी, नृजातीय भाषाओं को चीनी-तिब्बती (नाग भाषा समूह) के रूप में जाना जाता है। .

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भारत की संस्कृति

कृष्णा के रूप में नृत्य करते है भारत उपमहाद्वीप की क्षेत्रीय सांस्कृतिक सीमाओं और क्षेत्रों की स्थिरता और ऐतिहासिक स्थायित्व को प्रदर्शित करता हुआ मानचित्र भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश है। पिछली पाँच सहस्राब्दियों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज़, भाषाएँ, प्रथाएँ और परंपराएँ इसके एक-दूसरे से परस्पर संबंधों में महान विविधताओं का एक अद्वितीय उदाहरण देती हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है। .

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भिलाला

भिलाला (दरबार/ठाकुर) जाति मूल रूप से मिश्रित राजपूत और भील क्षत्रिय जाति है जो के राजपूत योद्धाओं के भील सरदारों/शासक/जमींदारों की कन्याओं से विवाह से उत्पन्न हुई| ये मुख्य रूप से मालवा, मेवाड और निमाड़ में रहते है| इन्हें दरबार/ठाकुर कहा जाता है और इनके रिति रिवाज और पोशाक राजपूती है और अधिकांश लोगो की रीति रिवाज पुराने ही हैं। सभी भीलाला हिन्दू हैं | .

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मधु (शब्द)

'मधु' शब्द के कुछ हिन्द-यूरोपीय भाषाओँ में सजातीय शब्द मधु बहुत सी हिन्द-आर्य भाषाओँ में प्रयोग होने वाले शब्द है जिसका अर्थ 'शहद' या 'मीठा' होता है। इसका एक अन्य अर्थ 'शराब' भी होता है, विशेषकर 'शहद से बनने वाली शराब', जिसे अंग्रेज़ी में मीड (mead) कहते हैं। यह संस्कृत का शब्द है और बहुत प्राचीन जड़े रखने के कारण बहुत हिन्द-यूरोपीय भाषाओँ में इसके सजातीय शब्द (कॉगनेट) हैं। .

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मराठी भाषा

मराठी भारत के महाराष्ट्र प्रांत में बोली जानेवाली सबसे मुख्य भाषा है। भाषाई परिवार के स्तर पर यह एक आर्य भाषा है जिसका विकास संस्कृत से अपभ्रंश तक का सफर पूरा होने के बाद आरंभ हुआ। मराठी भारत की प्रमुख भाषओं में से एक है। यह महाराष्ट्र और गोवा में राजभाषा है तथा पश्चिम भारत की सह-राजभाषा हैं। मातृभाषियों कि संख्या के आधार पर मराठी विश्व में पंद्रहवें और भारत में चौथे स्थान पर है। इसे बोलने वालों की कुल संख्या लगभग ९ करोड़ है। यह भाषा 900 ईसवी से प्रचलन में है और यह भी हिन्दी के समान संस्कृत आधारित भाषा है। .

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मह्ल भाषा

मह्ल (މަހަލް, Mahl) या महल या दिवेही एक हिन्द-आर्य भाषा है जो भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में स्थित मालदीव द्वीपसमूह में और भारत के लक्षद्वीप संघीय-क्षेत्र के मिनिकॉय द्वीप पर बोली जाती है। मह्ल और श्रीलंका में बोली जाने वाली सिंहली भाषा एक दूसरे के काफ़ी क़रीब हैं और इन्हें हिन्द-आर्य भाषा-परिवार के अधीन कभी-कभी 'द्वीपीय हिन्द-आर्य' नामक शाखा में डाल दिया जाता है।, pp.

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मालवी

मालवी भारत के मालवा क्षेत्र की भाषा है। मालवा भारत भूमि के हृदय स्थल के रूप में सुविख्यात है। मालवा क्षेत्र का भू-भाग अत्यंत विस्तृत है। पूर्व दिशा में बेतवा(वेत्रवती) नदी, उत्तर-पश्चिम में चम्बल (चर्मण्यवती) और दक्षिण में पुण्य सलिला नर्मदा नदी के बीच का प्रदेश मालवा है। मालवा क्षेत्र मध्यप्रदेश और राजस्थान के लगभग बीस जिलों में विस्तार लिए हुए हैं। इन क्षेत्रों के दो करोड़ से अधिक निवासी मालवी और उसकी विविध उपबोलियों का व्यवहार करते हैं। प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा की पुस्तक मालवी भाषा और साहित्य के अनुसार वर्तमान में मालवी भाषा का प्रयोग मध्यप्रदेश के उज्जैन संभाग के आगर मालवा, नीमच, मन्दसौर, रतलाम, उज्जैन, देवास एवं शाजापुर जिलों, इंदौर संभाग के धार, झाबुआ, अलीराजपुर, हरदा और इन्दौर जिलों, भोपाल संभाग के सीहोर, राजगढ़, भोपाल, रायसेन और विदिशा जिलों, ग्वालियर संभाग के गुना जिले, राजस्थान के झालावाड़, प्रतापगढ़, बाँसवाड़ा एवं चित्तौड़गढ़ जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों में होता है। मालवी की सहोदरा निमाड़ी भाषा का प्रयोग बड़वानी, खरगोन, खंडवा, हरदा और बुरहानपुर जिलों में होता है। मध्यप्रदेश के कुछ जिलों में मालवी तथा अन्य निकटवर्ती बोलियों जैसे निमाड़ी, बुंदेली आदि के मिश्रित रूप प्रचलित हैं। इन जिलों में हरदा, होशंगाबाद, बैतूल, छिन्दवाड़ा आदि उल्लेखनीय हैं। सातवीं शती में जब व्हेनसांग भारत आया था तो वह मालवा के पर्यावरण और लोकजीवन से गहरे प्रभावित हुआ था। तब उसने दर्ज भी किया,‘इनकी भाषा मनोहर और सुस्पष्ट है।’ मालवा समृद्धि एवं सुख से भरपूर क्षेत्र माना जाता है। ‘देश मालवा गहन गंभीर, डग-डग रोटी पग-पग नीर’जैसी उक्ति लोक-जीवन में प्रचलित है। जीवन की यही विशिष्टताएं मालवा के इतिहास, संस्कृति, साहित्य, कला आदि में प्रतिबिम्बित हुई हैं। लोककलाओं के रस से मालवांचल सराबोर है। सुदूर अतीत से यहाँ प्रवहमान नदियों, स्थानीय भौगोलिक एवं सांस्कृतिक विविधता के रहते मालवी की अलग-अलग छटाएँ लोकजीवन में दिखाई देती हैं। इन्हीं से मालवी के अलग-अलग क्षेत्रीय रूप या विविध उपबोलियाँ अस्तित्व में आई हैं। एक प्रसिद्ध उक्ति भी इसी तथ्य की ओर संकेत करती है, "बारा कोस पे वाणी बदले, पाँच कोस पे पाणी।" मालवी का केन्द्र उज्जैन, इंदौर, देवास और उसके आसपास का क्षेत्र है। इसी मध्यवर्ती मालवी को आदर्श या केन्द्रीय मालवी कहा जाता है, जो अन्य निकटवर्ती बोलियों के प्रभाव से प्रायः अछूती है। आगर मालवा जिला तो प्रसिद्ध ही मालवा उपनाम से है क्योंकि जानकारों के अनुसार बहुत ज्यादा हद तक केंद्रीय या आदर्श मालवी इस जिले में ही बोली जाती है। केन्द्रीय या आदर्श मालवी के अलावा मालवी के कई उपभेद या उपबोलियाँ भी अपनी विशिष्ट पहचान रखती हैं। मालवी के प्रमुख उपबोली रूप हैं-.

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मगही

मगही या मागधी भाषा भारत के मध्य पूर्व में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। इसका निकट का संबंध भोजपुरी और मैथिली भाषा से है और अक्सर ये भाषाएँ एक ही साथ बिहारी भाषा के रूप में रख दी जाती हैं। इसे देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। मगही बोलनेवालों की संख्या (2002) लगभग १ करोड़ ३० लाख है। मुख्य रूप से यह बिहार के गया, पटना, राजगीर,नालंदा,जहानाबाद,अरवल,नवादा,शेखपुरा,लखीसराय,जमुई और औरंगाबाद के इलाकों में बोली जाती है। मगही का धार्मिक भाषा के रूप में भी पहचान है। कई जैन धर्मग्रंथ मगही भाषा में लिखे गए हैं। मुख्य रूप से वाचिक परंपरा के रूप में यह आज भी जीवित है। मगही का पहला महाकाव्य गौतम महाकवि योगेश द्वारा 1960-62 के बीच लिखा गया। दर्जनो पुरस्कारो से सम्मानित योगेश्वर प्रसाद सिन्ह योगेश आधुनिक मगही के सबसे लोकप्रिय कवि माने जाते है। 23 अक्तुबर को उनकी जयन्ति मगही दिवस के रूप मे मनाई जा रही है। मगही भाषा में विशेष योगदान हेतु सन् 2002 में डॉ॰रामप्रसाद सिंह को दिया गया। ऐसा कुछ विद्वानों का मानना है कि मगही संस्कृत भाषा से जन्मी हिन्द आर्य भाषा है, परंतु महावीर और बुद्ध दोनों के उपदेश की भाषा मागधी ही थी। बुद्ध ने भाषा की प्राचीनता के सवाल पर स्पष्ट कहा है- ‘सा मागधी मूल भाषा’। अतः मगही ‘मागधी’ से ही निकली भाषा है। .

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मगही साहित्य

मगही साहित्य से तात्पर्य उस लिखित साहित्य से है जो पाली मागधी, प्राकृत मागधी, अपभ्रंश मागधी अथवा आधुनिक मगही भाषा में लिखी गयी है। ‘सा मागधी मूलभाषा’ से यह बोध होता है कि आजीवक तीर्थंकर मक्खलि गोसाल, जिन महावीर और गौतम बुद्ध के समय मागधी ही मूल भाषा थी जिसका प्रचलन जन सामान्य अपने दैनंदिन जीवन में करते थे। मौर्यकाल में यह राज-काज की भाषा बनी क्योंकि अशोक के शिलालेखों पर उत्कीर्ण भाषा यही है। जैन, बौद्ध और सिद्धों के समस्त प्राचीन ग्रंथ, साहित्य एवं उपदेश मगही में ही लिपिबद्ध हुए हैं। भाषाविद् मानते हैं कि मागधी (मगही) से ही सभी आर्य भाषाओं का विकास हुआ है। .

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मैथिली भाषा

मैथिली भारत के उत्तरी बिहार और नेपाल के तराई क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा है। यह हिन्द आर्य परिवार की सदस्य है। इसका प्रमुख स्रोत संस्कृत भाषा है जिसके शब्द "तत्सम" वा "तद्भव" रूप में मैथिली में प्रयुक्त होते हैं। यह भाषा बोलने और सुनने में बहुत ही मोहक लगता है। मैथिली भारत में मुख्य रूप से दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, शिवहर, भागलपुर, मधेपुरा, अररिया, सुपौल, वैशाली, सहरसा, रांची, बोकारो, जमशेदपुर, धनबाद और देवघर जिलों में बोली जाती है| नेपाल के आठ जिलों धनुषा,सिरहा,सुनसरी, सरलाही, सप्तरी, मोहतरी,मोरंग और रौतहट में भी यह बोली जाती है। बँगला, असमिया और ओड़िया के साथ साथ इसकी उत्पत्ति मागधी प्राकृत से हुई है। कुछ अंशों में ये बंगला और कुछ अंशों में हिंदी से मिलती जुलती है। वर्ष २००३ में मैथिली भाषा को भारतीय संविधान की ८वीं अनुसूची में सम्मिलित किया गया। सन २००७ में नेपाल के अन्तरिम संविधान में इसे एक क्षेत्रीय भाषा के रूप में स्थान दिया गया है। .

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मेघालय

मेघालय पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य है। इसका अर्थ है बादलों का घर। २०१६ के अनुसार यहां की जनसंख्या ३२,११,४७४ है। मेघालय का विस्तार २२,४३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में है, जिसका लम्बाई से चौडाई अनुपात लगभग ३:१ का है। IBEF, India (2013) राज्य का दक्षिणी छोर मयमनसिंह एवं सिलहट बांग्लादेशी विभागों से लगता है, पश्चिमी ओर रंगपुर बांग्लादेशी भाग तथा उत्तर एवं पूर्वी ओर भारतीय राज्य असम से घिरा हुआ है। राज्य की राजधानी शिलांग है। भारत में ब्रिटिश राज के समय तत्कालीन ब्रिटिश शाही अधिकारियों द्वारा इसे "पूर्व का स्काटलैण्ड" की संज्ञा दी थी।Arnold P. Kaminsky and Roger D. Long (2011), India Today: An Encyclopedia of Life in the Republic,, pp.

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मेवाड़ी भाषा

मेवाड़ी (Mewari) भारतीय राज्य राजस्थान की राजस्थानी भाषा की एक प्रमुख बोली यानि उपभाषा है जो हिन्द-आर्य भाषा परिवार के अंतर्गत आती है। यह बोली लगभग ५ लाख लोग बोलते हैं और ज्यादातर राजसमन्द,उदयपुर और चित्तौड़गढ़ में बोलते हैं। .

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राजपूत

राजपूत उत्तर भारत का एक क्षत्रिय कुल माना जाता है।जो कि राजपुत्र का अपभ्रंश है। राजस्थान को ब्रिटिशकाल मे राजपूताना भी कहा गया है। पुराने समय में आर्य जाति में केवल चार वर्णों की व्यवस्था थी। राजपूत काल में प्राचीन वर्ण व्यवस्था समाप्त हो गयी थी तथा वर्ण के स्थान पर कई जातियाँ व उप जातियाँ बन गईं थीं। कवि चंदबरदाई के कथनानुसार राजपूतों की 36 जातियाँ थी। उस समय में क्षत्रिय वर्ण के अंतर्गत सूर्यवंश और चंद्रवंश के राजघरानों का बहुत विस्तार हुआ। .

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राजबोंग्शी भाषा

राजबोंग्शी या कामता या रंगपुरी पूर्वोत्तर भारत, उत्तर बांग्लादेश, और नेपाल के पूर्वी भागों में राजबोंग्शी समुदाय द्वारा बोली जाने वाली एक हिन्द-आर्य भाषा है। इसे बोलने वाले कई लोग कोच भाषा भी बोलते हैं तथा अक्सर बंगाली या असमिया भाषाओं को भी बोल-समझ सकते हैं। इस भाषा के विभिन्न नाम हैं, जैसे राजवंशी, कामतापुरी, रंपुरी, गोवालपारीया, राजबोंग्शी, सृर्जापुरी, पोलिया और ताजपुरी।राजवंशी भाषा बांला और असमीया भाषा से मिलतती-जुलती भाषा है। राजवंशियों के भावैया गीत को 'बंगला गीत' भी कहा जाता है। भावैया गीत राजवंशियों की पहचान है। .

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राजस्थानी भाषा

हिन्दी, ब्रजभाषा, मेवाती, मारवाड़ी, जैसी कई भाषाओं के मिश्रित झुंड को राजस्थानी भाषा का नाम दिया गया इसे वर्तमान में देवनागरी में लिखा जाता है। राजस्थानी भाषा भारत के राजस्थान प्रान्त व मालवा क्षेत्र तथा पाकिस्तान के कुछ भागों में करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। इस भाषा का इतिहास बहुत पुराना है। इस भाषा में प्राचीन साहित्य विपुल मात्रा में उपलब्ध है। इस भाषा में विपुल मात्रा में लोक गीत, संगीत, नृत्य, नाटक, कथा, कहानी आदि उपलब्ध हैं। इस भाषा को सरकारी मान्यता प्राप्त नहीं है। इस कारण इसे स्कूलों में पढाया नहीं जाता है। इस कारण शिक्षित वर्ग धीरे धीरे इस भाषा का उपयोग छोड़ रहा है, परिणामस्वरूप, यह भाषा धीरे धीरे ह्रास की और अग्रसर है। कुछ मातृभाषा प्रेमी अच्छे व्यक्ति इस भाषा को सरकारी मान्यता दिलाने के प्रयास में लगे हुए हैं। .

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रोमानी भाषा

रोमानी (rromani ćhib) क्षेत्रयूरोप, अमरीका, एशिया कुल बोलनेवाले ४८ लाख भाषाई परिवार हिन्द यूरोपीय हिन्द ईरानी हिन्द आर्य रोमानी भाषा कूट ISO 639-1_ ISO 639-2rom रोमानी भाषा हिन्द यूरोपीय भाषाई परिवार के अन्दर आती है। ये हिन्द ईरानी शाखा के हिन्द आर्य उपशाखा के अन्तर्गत वर्गीकृत है। हिन्द-आर्य भाषाएँ वो भाषाएँ हैं जो संस्कृत से उत्पन्न हुई हैं। हिन्दी, उर्दू, कश्मीरी, बंगाली, उड़िया, पंजाबी, मराठी जैसी भाषाएँ हिन्द-आर्य भाषाएँ हैं। रोमानी यूरोप के बंजारों (रोमा लोग, जिनको अंग्रेज़ी में जिप्सी भी कहा जाता है) द्वारा बोली जाती है। ये भारी मात्रा में अन्य यूरोपीय भाषाओं से मिश्रित है। रोमानी भाषा के विश्लेषण से पता चला है कि यह मध्य और उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप में बोली जाने वाली भाषाओँ से संबंधित है। इस भाषाई संबंध को रोमानी लोगों के भौगोलिक मूल का संकेत माना जाता है। वे मूल रूप से भारतीय उपमहाद्वीप के या अब के उत्तरी भारत और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों आए थे। रोमानी भाषा को आमतौर पर मध्य हिन्द-आर्य भाषाओं में शामिल किया जाता है। रोमानी भाषा कभी कभी बोलियों के एक समूह या संबंधित भाषाओं का एक संग्रह, जिसमे एक आनुवंशिक उपसमूह के सभी सदस्य शामिल हैं, माना जाता है। रोमानी भाषा किसी भी राष्ट्र की अधिकारिक भाषा नहीं है, पर कई देशों में इसे अल्पसंख्यक भाषा का दर्जा दिया जाता है। वे देश जिनमें रोमानी जनसँख्या अधिक है, वहां अब रोमानी भाषा की विभिन्न बोलियाँ संहिताबद्ध की जाने की प्रक्रिया में हैं। .

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रोहिंग्या भाषा

रोहिंग्या (अथवा), या रुऐंग्गा, राखीन राज्य के रोहिंग्या लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। रोहिंग्या बंगाली-असमिया भाषासमूह में से एक है। यह भाषा चटगाँवी भाषा से काफ़ी मिलती-जुलती है, जो पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में बोली जाती है। .

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लहन्दा भाषाएँ

लहन्दा (ਲਹੰਦਾ) या लाहन्दा (ਲਾਹੰਦਾ) पंजाबी भाषा की पश्चिमी उपभाषाओं के समूह को कहा जाता है। पंजाबी में 'लहन्दा' शब्द का मतलब 'पश्चिम' होता है, जिस से इन भाषाओं का यह नाम पड़ा है - तुलना के लिए हिन्दी की पूर्वी उपभाषाओं को पारम्परिक रूप से अक्सर 'पूरबिया' कहा जाता है।, Andrew John Jukes (Missionary of the Church Missionary Society, Dera Ghazi Khan), pp.

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लिसान उद-दावत

लिसान उद-दावत (لسان الدعوة, दावत की भाषा) गुजराती भाषा की एक उपभाषा है। यह भाषा मुख्यतः इस्माइली शिया बिरादरी के आलवी और तायबी बोहराओं द्वारा बोली जाती है। मानक गुजराती से भिन्न, लिसान उद-दावत में अरबी और फ़ारसी के शब्द ज़्यादा हैं और यह भाषा अरबी लिपि में लिखी जाती है। यह मूलतः अनुष्ठान हेतु प्रयुक्त भाषा है, लेकिन 1330 में वडोदरा से सईदना जिवाभाई फ़ख़रुद्दीन ने स्थानीय भाषा के रूप में इसका प्रचार किया था। .

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शुमश्ती भाषा

शुमश्ती (Shumashti), जिसे शुमश्त भी कहते हैं, कुनर (कुनड़) शाखा की एक दार्दी भाषा है जो अफ़ग़ानिस्तान​ के कुनर प्रान्त में बोली जाती है। यह कुनर नदी के पश्चिमी किनारे पर ग्वार-बती बोलने वाले इलाक़े से लगभग ६० किमी दूर बोली जाती है। १९९४ में अनुमान लगाया गया कि इसे केवल १,००० लोग बोलते हैं। अनुमान लगाया गया है कि शुमश्ती के लगभग ६३% शब्द​ नंगलामी भाषा से और ४७% ग्वार-बती भाषा से मिलते हैं। इस भाषा पर पाशाई भाषा का भारी प्रभाव पड़ा है। .

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शुग़नी भाषा

शुग़नी भाषा एक पामीरी भाषा-परिवार की बोली है जो मध्य एशिया में ताजिकिस्तान के कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त और अफ़ग़ानिस्तान के बदख़्शान प्रान्त में बोली जाती है।Karamšoev, Dodchudo K. (1988-99).

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श्वा

अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में श्वा का चिन्ह भाषाविज्ञान और स्वानिकी में श्वा (अंग्रेजी: schwa) मध्य-केंद्रीय स्वर वर्ण को कहते हैं। इस वर्ण को देवनागरी में 'अ' लिखा जाता है और अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में इसे 'ə' के चिन्ह से दर्शाया जाता है। .

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शीना भाषा

शीना एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान-नियंत्रित गिलगित-बल्तिस्तान और भारत के लद्दाख़ और कश्मीर क्षेत्रों में बोली जाती है। जिन पाकिस्तान-नियंत्रित वादियों में यह बोली जाती है उनमें अस्तोर, चिलास, दरेल, तंगीर, गिलगित, ग़िज़र और बल्तिस्तान और कोहिस्तान के कुछ हिस्से शामिल हैं। जिन भारत-नियंत्रित वादियों में यह बोली जाती हैं उनमें गुरेज़, द्रास, करगिल और लद्दाख़ के कुछ पश्चिमी हिस्से शामिल हैं। अंदाजा लगाया जाता है के १९८१ में इसे कुल मिलकर क़रीब ३,२१,००० लोग बोलते थे। शीना एक सुरभेदी भाषा है जिसमे दो सुर हैं - उठता हुआ और समतल (यानि बिना किसी बदलाव वाला)। .

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सराइकी

पंजाबी की उपभाषाएँ सराइकी (अरबी-फारसी: سرائیکی, गुरुमुखी: ਸਰਾਇਕੀ) भारतीय-आर्य परिवार की एक भाषा है। यह पाकिस्तान के पंजाब के दक्षिणि भागों, उसके सीमावर्ती सिंध में, पंजाब के उत्तरी-पश्चिमी भाग आदि में बोली जाती है। भारत में राजस्थान के बीकानेर, जैसलमेर व श्री गंगानगर जिलो में भी पांच लाख के करीब लोग सराइकी बोलते हैं। इसके बोलने वालों की संख्या लगभग डेढ़ करोड़ है। .

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सरिकोली भाषा

शिंजियांग प्रान्त - हल्के नीले इलाक़ों में सरिकोली बोली जाती है सरिकोली भाषा, जिसे ताशक़ूरग़ानी भाषा भी कहते हैं, एक पामीरी भाषा-परिवार की बोली है जो चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग प्रान्त के ताशक़ुरग़ान​ क्षेत्र में बोली जाती है। यह इलाक़े ताजिकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान के वाख़ान​ गलियारे और पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र के पास स्थित हैं। अन्य पामीरी भाषाओं की तरह यह भी एक पूर्वी ईरानी भाषा है। इसे चीन में अक्सर 'ताजिक भाषा' कहा जाता है हालांकि यह ताजीकिस्तान व अफ़ग़ानिस्तान में बोली जाने वाली ताजिक भाषा के काफ़ी भिन्न है। यह पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान की वाख़ी भाषा में मिलती-जुलती है हालांकि इन दोनों भाषाओं के बोलने वाले आसानी से एक-दूसरे को समझ नहीं पाते।Outline of the Tajik language (塔吉克语简志/Tǎjíkèyǔ Jiǎnzhì), Gawarjon (高尔锵/Gāo Ěrqiāng), Nationalities Publishing House, Beijing, 1985 .

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सिन्धु-गंगा के मैदान

सिन्धु-गंगा मैदान का योजनामूलक मानचित्र सिन्धु-गंगा का मैदान, जिसे उत्तरी मैदानी क्षेत्र तथा उत्तर भारतीय नदी क्षेत्र भी कहा जाता है, एक विशाल एवं उपजाऊ मैदानी इलाका है। इसमें उत्तरी तथा पूर्वी भारत का अधिकांश भाग, पाकिस्तान के सर्वाधिक आबादी वाले भू-भाग, दक्षिणी नेपाल के कुछ भू-भाग तथा लगभग पूरा बांग्लादेश शामिल है। इस क्षेत्र का यह नाम इसे सींचने वाली सिन्धु तथा गंगा नामक दो नदियों के नाम पर पड़ा है। खेती के लिए उपजाऊ मिट्टी होने के कारण इस इलाके में जनसंख्या का घनत्व बहुत अधिक है। 7,00,000 वर्ग किमी (2,70,000 वर्ग मील) जगह पर लगभग 1 अरब लोगों (या लगभग पूरी दुनिया की आबादी का 1/7वां हिस्सा) का घर होने के कारण यह मैदानी इलाका धरती की सर्वाधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में से एक है। सिन्धु-गंगा के मैदानों पर स्थित बड़े शहरों में अहमदाबाद, लुधियाना, अमृतसर, चंडीगढ़, दिल्ली, जयपुर, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, कोलकाता, ढाका, लाहौर, फैसलाबाद, रावलपिंडी, इस्लामाबाद, मुल्तान, हैदराबाद और कराची शामिल है। इस क्षेत्र में, यह परिभाषित करना कठिन है कि एक महानगर कहां शुरू होता है और कहां समाप्त होता है। सिन्धु-गंगा के मैदान के उत्तरी छोर पर अचानक उठने वाले हिमालय के पर्वत हैं, जो इसकी कई नदियों को जल प्रदान करते हैं तथा दो नदियों के मिलन के कारण पूरे क्षेत्र में इकट्ठी होने वाली उपजाऊ जलोढ़ मिटटी के स्रोत हैं। इस मैदानी इलाके के दक्षिणी छोर पर विंध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाएं तथा छोटा नागपुर का पठार स्थित है। पश्चिम में ईरानी पठार स्थित है। .

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सिन्धी भाषा

सिंधी भारत के पश्चिमी हिस्से और मुख्य रूप से गुजरात और पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। इसका संबंध भाषाई परिवार के स्तर पर आर्य भाषा परिवार से है जिसमें संस्कृत समेत हिन्दी, पंजाबी और गुजराती भाषाएँ शामिल हैं। अनेक मान्य विद्वानों के मतानुसार, आधुनिक भारतीय भाषाओं में, सिन्धी, बोली के रूप में संस्कृत के सर्वाधिक निकट है। सिन्धी के लगभग ७० प्रतिशत शब्द संस्कृत मूल के हैं। सिंधी भाषा सिंध प्रदेश की आधुनिक भारतीय-आर्य भाषा जिसका संबंध पैशाची नाम की प्राकृत और व्राचड नाम की अपभ्रंश से जोड़ा जाता है। इन दोनों नामों से विदित होता है कि सिंधी के मूल में अनार्य तत्व पहले से विद्यमान थे, भले ही वे आर्य प्रभावों के कारण गौण हो गए हों। सिंधी के पश्चिम में बलोची, उत्तर में लहँदी, पूर्व में मारवाड़ी और दक्षिण में गुजराती का क्षेत्र है। यह बात उल्लेखनीय है कि इस्लामी शासनकाल में सिंध और मुलतान (लहँदीभाषी) एक प्रांत रहा है और 1843 से 1936 ई. तक सिन्ध, बम्बई प्रांत का एक भाग होने के नाते गुजराती के विशेष संपर्क में रहा है। पाकिस्तान में सिंधी भाषा नस्तालिक (यानि अरबी लिपि) में लिखी जाती है जबकि भारत में इसके लिये देवनागरी और नस्तालिक दोनो प्रयोग किये जाते हैं। .

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सिसोदिया (राजवंश)

सिसोदिया एक राजपूत जाति के लोगो की उप जाति है, जो कि मूल रूप से राजस्थान में और अनय राज्यो मे निवास करती है| सिसोदिया एक वीरता सूचक जाति है| जिसमे कई वीर राजा हुए जैसे महाराणा प्रताप आदि| .

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सीमुर्ग़

बुख़ारा के नादिर दीवान-बेग़ी मदरसे के बाहर सीमुर्ग़ का एक चित्रण सीमुर्ग़ सासानी साम्राज्य का एक राजचिह्न था सीमुर्ग़​ (फ़ारसी) या अनक़ा (फ़ारसी) ईरान की प्राचीन मिथ्य -कथाओं में एक ऐसे भीमकाय उड़ने वाले मादा प्राणी का नाम था जो अपनी दया, उदारता और ज्ञान के लिए जाना जाती थी। इसके पंखों से हर रोग और चोट ठीक हो जाती थी और इसके प्रभाव से भूमि, जल, आकाश और प्राणी-जगत में शान्ति फैलती थी। इसी पक्षी को मध्य एशिया के तुर्की लोग द्वारा और भारत के कुछ भागों में भी माना जाता था।, George Clifford Whitworth, pp.

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हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार

हिन्द - यूरोपीय भाषाओं देश बोल रही हूँ. गाढ़े हरे रंग के देश में जो बहुमत भाषा हिन्द - यूरोपीय परिवार हैं, लाइट ग्रीन एक देश वह जिसका आधिकारिक भाषा हिंद- यूरोपीय है, लेकिन अल्पसंख्यकों में है। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा-परिवार संसार का सबसे बड़ा भाषा परिवार (यानी कि सम्बंधित भाषाओं का समूह) हैं। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा परिवार में विश्व की सैंकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ सम्मिलित हैं। आधुनिक हिन्द यूरोपीय भाषाओं में से कुछ हैं: हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, फ़्रांसिसी, जर्मन, पुर्तगाली, स्पैनिश, डच, फ़ारसी, बांग्ला, पंजाबी, रूसी, इत्यादि। ये सभी भाषाएँ एक ही आदिम भाषा से निकली है, उसे आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा का नाम दे सकता है। यह संस्कृत से बहुत मिलती-जुलती थी, जैसे कि वह सांस्कृत का ही आदिम रूप हो। .

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हिन्द-ईरानी भाषाएँ

हिन्द ईरानी शाखा हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की एक शाखा है। ये सातम वर्ग के अन्दर आती है। इसकी दो उपशाखाएँ हैं.

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हिन्द-आर्य भाषाओं में श्वा विलोपन

अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में श्वा का चिन्ह श्वा विलोपन वह प्रतिक्रिया है जिसमें हिन्दी, कश्मीरी, पंजाबी, गुजराती, मराठी, बंगाली, मैथिली और बहुत-सी अन्य आधुनिक हिन्द-आर्य भाषाओँ में सही उच्चारण के लिए उनकी लिपियों के व्यंजनों में निहित श्वा की ध्वनि (जो कि हिन्दी में 'अ' है) को त्यागना अनिवार्य है।, Larry M. Hyman, Victoria Fromkin, Charles N. Li, Taylor & Francis, ISBN 0-415-00311-3,...

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हिन्द-आर्य भाषाओं की सूची

हिन्द-आर्य भाषाओं में लगभग २१० (एसआईएल अनुमान) भाषाएँ और बोलियाँ आती हैं जो एशिया में बहुत से लोगों द्वारा बोली जाती हैं; यह भाषा परिवार हिंद-इरानी भाषा परिवार का भाग है। .

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हिन्दको भाषा

हिन्दको (Hindko) पश्चिमोत्तरी पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत के हिन्दकोवी लोगों और अफ़ग़ानिस्तान के कुछ भागों में हिन्दकी लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक हिंद-आर्य भाषा है। कुछ भाषावैज्ञानिकों के अनुसार यह पंजाबी की एक पश्चिमी उपभाषा है हालांकि इसपर कुछ विवाद भी रहा है। कुछ पश्तून लोग भी हिन्दको बोलते हैं। पंजाबी के मातृभाषी बहुत हद तक हिन्दको समझ-बोल सकते हैं।, Aydin Yücesan Durgunoğlu, Ludo Th Verhoeven, pp.

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हिन्दुस्तानी भाषा

150px हिन्दुस्तानी (नस्तलीक़: ہندوستانی, अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक लिपि: / hindustɑːniː /) भाषा हिन्दी और उर्दू का एकीकृत रूप है। ये हिन्दी और उर्दू, दोनो के बोलचाल की भाषा है। इसमें संस्कृत के तत्सम शब्द और अरबी-फ़ारसी के उधार लिये गये शब्द, दोनों कम होते हैं। यही हिन्दी और उर्दू का वह रूप है जो भारत की जनता रोज़मर्रा के जीवन में उपयोग करती है और हिन्दी सिनेमा इसी पर आधारित है। ये हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार की हिन्द आर्य शाखा में आती है। ये देवनागरी या फ़ारसी-अरबी, किसी भी लिपि में लिखी जा सकती है। .

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हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत,नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म कहा जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है। .

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हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

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ईरानी भाषा परिवार

ईरानी भाषाओँ का वृक्ष, जिसमें उसकी उपशाखाएँ दिखाई गई हैं आधुनिक ईरानी भाषाओँ का फैलाव ईरानी भाषाएँ हिन्द-ईरानी भाषा परिवार की एक उपशाखा हैं। ध्यान रहे कि हिन्द-ईरानी भाषाएँ स्वयं हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार की एक उपशाखा हैं। आधुनिक युग में विश्व में लगभग १५-२० करोड़ लोग किसी ईरानी भाषा को अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं और ऍथ़नॉलॉग भाषाकोष में सन् २०११ तक ८७ ईरानी भाषाएँ दर्ज थीं।, Gernot Windfuhr, Routledge, 2009, ISBN 978-0-7007-1131-4, Raymond Gordon, Jr.

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वटापूर ज़िला

वटापूर ज़िला या वोटापूर ज़िला (Watapur District) अफ़ग़ानिस्तान के कुनर प्रान्त के मध्य भाग में स्थित एक ज़िला है। इसका क्षेत्र कभी असदाबाद ज़िले का भाग हुआ करता था। .

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व्यिंचन

व्यिंचन (लाओ: ວຽງຈັນ, अंग्रेज़ी: Vientiane) दक्षिणपूर्वी एशिया के लाओस देश की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। यह देश के पश्चिमोत्तरी भाग में मीकोंग नदी के किनारे पर स्थित है जो इस स्थान पर लाओस की थाईलैण्ड के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा भी निर्धारित करती है। .

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वैदिक संस्कृत

ऋग्वेद में वैदिक संस्कृत का सब से प्राचीन रूप मिलता है ऋग्वेद १०.९०:२ का श्लोक: यह पुरुष वह सर्वस्व है जो हुआ है (भूतं) या होगा (भव्यं)। अमरता का ईश्वर (ईशानः) अन्न से और भी विस्तृत (अतिऽरोहति) होता है। वैदिक संस्कृत २००० ईसापूर्व (या उस से भी पहले) से लेकर ६०० ईसापूर्व तक बोली जाने वाली एक हिन्द-आर्य भाषा थी। यह संस्कृत की पूर्वज भाषा थी और आदिम हिन्द-ईरानी भाषा की बहुत ही निकट की संतान थी। उस समय फ़ारसी और संस्कृत का विभाजन बहुत नया था, इसलिए वैदिक संस्कृत और अवस्ताई भाषा (प्राचीनतम ज्ञात ईरानी भाषा) एक-दूसरे के बहुत क़रीब हैं। वैदिक संस्कृत हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की हिन्द-ईरानी भाषा शाखा की सब से प्राचीन प्रमाणित भाषा है।, Alain Daniélou, Kenneth Hurry, Inner Traditions / Bear & Co, 2003, ISBN 978-0-89281-923-2,...

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वोटापूरी-कटारक़लाई भाषा

वोटापूरी-कटारक़लाई (Wotapuri-Katarqalai) कोहिस्तानी उपशाखा की एक दार्दी भाषा है जो अफ़ग़ानिस्तान के नूरिस्तान प्रान्त की वोटापूरी और कटारक़लाई नामक बस्तियों में बोली जाती थी। सन् १९३५ में कटारक़लाई में इसे ६० घरों में बोला जाता था लेकिन १९५५ में इसे बोलने वाला एक ही व्यक्ति मिला। भाषावैज्ञानिक अनुमान लगते हैं कि यह भाषा विलुप्त हो चुकी है। .

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खोवार भाषा

खोवार भाषा (Khowar), जिसे चित्राली भाषा भी कहते हैं, पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत के चित्राल ज़िले में और गिलगित-बालतिस्तान के कुछ पड़ोसी इलाकों में लगभग ४ लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक दार्दी भाषा है। शीना, कश्मीरी और कोहिस्तानी जैसी अन्य दार्दी भाषाओँ के मुक़ाबले में खोवार पर ईरानी भाषाओँ का प्रभाव ज़्यादा है और इसमें संस्कृत के तत्व कम हैं। खोवार बोलने वाले समुदाय को 'खो लोग' कहा जाता है। खोवार आम तौर पर अरबी-फ़ारसी लिपि की नस्तालीक़ शैली में लिखी जाती है।, Colin P. Masica, Cambridge University Press, 1993, ISBN 978-0-521-29944-2 .

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गुरमुखी लिपि

गुरमुखी लिपि (ਗੁਰਮੁਖੀ ਲਿਪੀ) एक लिपि है जिसमें पंजाबी भाषा लिखी जाती है। गुरमुखी का अर्थ है गुरूओं के मुख से निकली हुई। अवश्य ही यह शब्द ‘वाणी’ का द्योतक रहा होगा, क्योंकि मुख से लिपि का कोई संबंध नहीं है। किंतु वाणी से चलकर उस वाणी कि अक्षरों के लिए यह नाम रूढ़ हो गया। इस प्रकार गुरूओं ने अपने प्रभाव से पंजाब में एक भारतीय लिपि को प्रचलित किया। वरना सिंध की तरह पंजाब में भी फारसी लिपि का प्रचलन हो रहा था और वही बना रह सकता था। इस लिपि में तीन स्वर और 32 व्यंजन हैं। स्वरों के साथ मात्राएँ जोड़कर अन्य स्वर बना लिए जाते हैं। इनके नाम हैं उड़ा, आया, इड़ी, सासा, हाहा, कका, खखा इत्यादि। अंतिम अक्षर ड़ाड़ा है। छठे अक्षर से कवर्ग आरंभ होता है और शेष अक्षरों का (व) तक वही क्रम है जो देवनागरी वर्णमाला में है। मात्राओं के रूप और नाम इस प्रकार हैं। ट के साथ (मुक्ता), टा (कन्ना), टि (स्यारी), टी (बिहारी), ट (ऐंक ड़े), ट (दुलैंकड़े), टे (लावाँ), टै (दोलावाँ), (होड़ा), (कनौड़ा), (टिप्पी), ट: (बिदै)। इस वर्णमाला में प्राय: संयुक्त अक्षर नहीं हैं। यद्यपि अनेक संयुक्त ध्वनियाँ विद्यमान हैं। .

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ग्वार-बती भाषा

ग्वार-बती (Gawar-Bati) कुनर (कुनड़) शाखा की एक दार्दी भाषा है जो अफ़ग़ानिस्तान​ के कुनर प्रान्त और उसके साथ लगे पाकिस्तान के चित्राल ज़िले के कुछ भागों में बोली जाती है। इसके लगभग ९,००० मातृभाषी अफ़ग़ानिस्तान​ में और १,५०० पाकिस्तान में रहते हैं। .

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गोजरी भाषा

गोजरी या गूजरी एक हिन्द-आर्य भाषा है जो उत्तर भारत व पाकिस्तान में गुर्जर समुदाय के कई सदस्यों द्वारा बोली जाती है। भारत में यह भाषा राजस्थान,हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू व कश्मीर, उत्तराखण्ड और पंजाब राज्यों में बोली जाती है। पाकिस्तान में यह पाक-अधिकृत कश्मीर और पंजाब (पाकिस्तान) में बोली जाती है। इस भाषा का मूल ढांचा और गहरी शब्दावली दोनों राजस्थानी भाषा की है लेकिन स्थानानुसार इसमें कई पंजाबी, डोगरी, कश्मीरी, गुजराती, हिन्दको और पश्तो प्रभाव देखे जाते हैं। जम्मू-कश्मीर राज्य में इसे आधिकारिक दर्जा प्राप्त है। .

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गोवरो भाषा

गोवरो (Gowro), जिसे गाबरो भी कहते हैं, कोहिस्तानी उपशाखा की एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के कोहिस्तान ज़िले में बोली जाती है। यह इस जिले के कोलाई नामक क्षेत्र में महरीन गाँव में बोली जाती है। इसके ६५% शब्द चीलीस्सो भाषा से, ६५% सिन्धु कोहिस्तानी भाषा से, ६०% बटेरी भाषा से और ४०% शीना भाषा से मिलते-जुलते हैं। .

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ओड़िया भाषा

ओड़िआ, उड़िया या ओडिया (ଓଡ଼ିଆ, ओड़िआ) भारत के ओड़िशा प्रान्त में बोली जाने वाली भाषा है। यह यहाँ के राज्य सरकार की राजभाषा भी है। भाषाई परिवार के तौर पर ओड़िआ एक आर्य भाषा है और नेपाली, बांग्ला, असमिया और मैथिली से इसका निकट संबंध है। ओड़िसा की भाषा और जाति दोनों ही अर्थो में उड़िया शब्द का प्रयोग होता है, किंतु वास्तव में ठीक रूप "ओड़िया" होना चाहिए। इसकी व्युत्पत्ति का विकासक्रम कुछ विद्वान् इस प्रकार मानते हैं: ओड्रविषय, ओड्रविष, ओडिष, आड़िषा या ओड़िशा। सबसे पहले भरत के नाट्यशास्त्र में उड्रविभाषा का उल्लेख मिलता है: "शबराभीरचांडाल सचलद्राविडोड्रजा:। हीना वनेचराणां च विभाषा नाटके स्मृता:।" भाषातात्विक दृष्टि से उड़िया भाषा में आर्य, द्राविड़ और मुंडारी भाषाओं के संमिश्रित रूपों का पता चलता है, किंतु आज की उड़िया भाषा का मुख्य आधार भारतीय आर्यभाषा है। साथ ही साथ इसमें संथाली, मुंडारी, शबरी, आदि मुंडारी वर्ग की भाषाओं के और औराँव, कुई (कंधी) तेलुगु आदि द्राविड़ वर्ग की भाषाओं के लक्षण भी पाए जाते हैं। .

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आदरसूचक

आदरसूचक (honorific) ऐसा शब्द या वाक्यांश होता है जो किसी के लिए प्रयोग करने से उसके लिए इज़्ज़त या सम्मान की भावना प्रकट करता है। हिन्दी, उर्दू, पंजाबी और अन्य हिन्द-आर्य भाषाओं के 'जी' ('मौलवी जी'), 'साहब' ('डॉक्टर साहब') और 'जान' ('भाई जान') शब्द इसके उदाहरण हैं। कभी-कभी यह शब्द सम्मानित वस्तुओं के लिए भी प्रयोग होते हैं, मसलन सिख सांगत को सामूहिक रूप से 'ख़ालसा जी' और लंका के देश को 'श्रीलंका' कहा जाता है। कुछ आदरसूचक पूरे नाम के स्थान पर प्रयोग किये जाते हैं। उदाहरण के लिए 'हाँ, शुक्ल जी' के स्थान पर 'जी हाँ, साहब' या केवल 'जी, साहब' या 'हाँ जी' कहा जा सकता है।, Pingali Sailaja, pp.

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आदिम हिन्द-ईरानी भाषा

हिन्द-ईरानी भाषा आदिम हिन्द-ईरानी भाषा वह लुप्त भाषा थी जो हिन्द-ईरानी भाषा परिवार की सभी भाषाओँ की जननी थी, जिनमें संस्कृत, हिन्दी, कश्मीरी, सिन्धी, पंजाबी, असमिया, अवस्ताई, फ़ारसी, पश्तो, बलोची और कुर्दी भाषाएँ शामिल हैं। यह हिन्द-यूरोपी भाषा परिवार की एक भाषा थी और इस से ही हिन्द-ईरानी भाषा शाखा शुरू हुई। अनुमान किया जाता है के इसे बोलने वाले आदिम-हिन्दी-ईरानी लोग 2500 ईसा-पूर्व के आसपास के दौर में रहते थे। .

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आकाशगंगा

स्पिट्ज़र अंतरिक्ष दूरबीन से ली गयी आकाशगंगा के केन्द्रीय भाग की इन्फ़्रारेड प्रकाश की तस्वीर। अलग रंगों में आकाशगंगा की विभिन्न भुजाएँ। आकाशगंगा के केंद्र की तस्वीर। ऍन॰जी॰सी॰ १३६५ (एक सर्पिल गैलेक्सी) - अगर आकाशगंगा की दो मुख्य भुजाएँ हैं जो उसका आकार इस जैसा होगा। आकाशगंगा, मिल्की वे, क्षीरमार्ग या मन्दाकिनी हमारी गैलेक्सी को कहते हैं, जिसमें पृथ्वी और हमारा सौर मण्डल स्थित है। आकाशगंगा आकृति में एक सर्पिल (स्पाइरल) गैलेक्सी है, जिसका एक बड़ा केंद्र है और उस से निकलती हुई कई वक्र भुजाएँ। हमारा सौर मण्डल इसकी शिकारी-हन्स भुजा (ओरायन-सिग्नस भुजा) पर स्थित है। आकाशगंगा में १०० अरब से ४०० अरब के बीच तारे हैं और अनुमान लगाया जाता है कि लगभग ५० अरब ग्रह होंगे, जिनमें से ५० करोड़ अपने तारों से जीवन-योग्य तापमान रखने की दूरी पर हैं। सन् २०११ में होने वाले एक सर्वेक्षण में यह संभावना पायी गई कि इस अनुमान से अधिक ग्रह हों - इस अध्ययन के अनुसार आकाशगंगा में तारों की संख्या से दुगने ग्रह हो सकते हैं। हमारा सौर मण्डल आकाशगंगा के बाहरी इलाक़े में स्थित है और आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा कर रहा है। इसे एक पूरी परिक्रमा करने में लगभग २२.५ से २५ करोड़ वर्ष लग जाते हैं। .

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कलश भाषा

कलश स्त्रियाँ कलश लड़की कलश (Kalash) एक हिन्द-आर्य भाषा-परिवार की दार्दी भाषाओँ वाली शाखा की एक भाषा है जो पश्चिमोत्तरी पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा राज्य के चित्राल ज़िले में बसने वाले कलश लोगों द्वारा बोली जाती है। सन् २०१० में इसे बोलने वालों की संख्या लगभग ६,००० अनुमानित की गई थी। .

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कलकोटी भाषा

कलकोटी (Kalkoti), जिसे तूरवाली भी कहते हैं, कोहिस्तानी उपशाखा की एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के ऊपरी दीर ज़िले के कोहिस्तानी (पहाड़ी) क्षेत्र के कलकोट गाँव के आसपास के क्षेत्र में बोली जाती है। इसके आसपास के विस्तृत ऊँचे इलाक़े को आमतौर से 'दीर कोहिस्तान' कहा जाता है (यह कोहिस्तान ज़िले से अलग है)। इसे बोलने वाले बहुत से लोग कालामी भाषा और पश्तो भाषा भी बोलते हैं हालांकि उनके मातृभाषियों को कलकोटी बोलनी नहीं आती।, pp.

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कामरुपी भाषा

'कामरुपी भाषा एक प्राचीन भाषा है जो ब्रह्मपुत्र घाटी अथवा असम और उत्तर बंगाल मे बोली जाने वाली प्रथम आर्य भाषा है। यह भाषाविदों के अनुसार विभिन्न पूर्वी भारत - यूरोपीय भाषाओं जैसे असमी का जन्मदाता है और उसे समय समय पर प्रभावित करता रहा। यह कामरूप राज्य में पहली सहस्राब्दी से बोला जाता रहा है अाज पश्चिम असम आैर उतर बंगाल मे प्रचलित है। .

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कालामी भाषा

कालामी (Kalami), जिसे कालाम कोहिस्तानी या गावरी (Gawri) भी कहते हैं, कोहिस्तानी शाखा की एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के कोहिस्तान ज़िले बोली जाती है। .

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काशिका भाषा

वाराणसी भाषाई परिवार के अनुसार काशिका एक भारतीय आर्य भाषा है जो कि वाराणसी एवं उसके आस पास के क्षेत्र में बोली जाती है। अपनी शब्दाबली के लिए यह मुख्यतः हिंदी, उर्दू एवं भोजपुरी पर निर्भर करती है। भारत में लगभग ५० लाख लोग काशिका भाषा बोलते हैं। .

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कुरमाली भाषा

कुरमाली भाषा झारखण्ड की एक प्रमुख भाषा है। यह एक अंतर-प्रांतीय भाषा है। इसका विस्तार क्षेत्र "उडीष्य शिखर, नागपुर, आधा-आधी खड़गपुर" लोकोक्ति से ज्ञात होता है। कुरमाली के क्षेत्र राजनितिक मानचित्र द्वारा परिसीमित नहीं किया जा सकता.

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क्षेत्री

क्षेत्री या छेत्री नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले योद्धा वर्ण के मुल निवासी हैं, इन्हें पहाड़ी राजपुत, खस राजपुत, नेपाली या गोर्खाली क्षत्रिय भी कहाँ जाता है। ये एक हिन्द-आर्य भाषिक जाति हैं। क्षेत्री या छेत्री या क्षथरीय सब क्षत्रिय के अपभ्रंश हैं और ये हिन्दू वर्ण व्यवस्था के अन्तर्गत क्षत्रिय वर्ण में आते हैं। ये लोग मूल रूप से सैनिक, राजा और प्रशासनिक क्षेत्र में काफी आगे हैं। ये बाहुन (खस ब्राह्मण) और खस दलित के जैसे खस समुदाय के एक विभाजन हैं। क्षेत्री नेपाल के कुल जनसंख्या में सर्वाधिक १६.६% हैं। इस जाति को नेपाल में सत्तारुढ माना जाता है। इन लोगों की उत्पत्ति के बारे में विभिन्न इतिहासकार और खोजकर्ता जेसै कि डोरबहादुर विष्ट और सूर्यमणि अधिकारी, आदि के अनुसार नेपाल के पश्चिमी पहाड़ी इलाका कर्णाली प्रदेश में हुआ था। इस जाति के पूर्वज पूर्वी इरानी भाषिक खस जाति हैं जो बाह्लिक-गान्धार क्षेत्रमें पाए जाते थे। आज ये नेपाल के सभी क्षेत्रों और भारत के कुछ क्षेत्रों में भी पाए जाते हैं। ये लोग पूर्णत: हिन्दु होते हैं और स्थानिय मष्टो देवता की पुजा करते हैं। इस पुजा को मष्ट पुजा या देवाली कहते हैं। इन का मातृभाषा नेपाली भाषा है और ये इंडो-यूरोपियन भाषा परिवार के सदस्य हैं। नेपाल के खस राजवंश, खप्तड राजवंश, सिंजा राजवंश, थापा वंश, बस्नेत, कुँवर और पाँडे वंश, दरबारिया समुह और नेपाल के पिछले समय के क्रुर शासक राणा वंश भी क्षेत्री(छेत्री) जाति में आते हैं। क्षेत्री (छेत्री) अधिकतर नेपाल सरकार और नेपाली सेना के उच्च पद पर कार्यरत पाए जाते हैं। इन के लिए भारतिय सेना में एक सैनिक दस्ता ९वीं गोरखा रेजिमेन्त आरक्षित है। .

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कैरेबियाई हिंदुस्तानी

कैरेबियाई हिंदुस्तानी सूरीनाम, गयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो में बोली जाने वाली भोजपुरी की एक बोली है। इन तीन देशों में भाषा के नाम के आगे विशेषण जोड़ दिया जाता है जिस से उदहारण के लिए सूरीनाम में स्थानीय भाषा के संस्करण को सारनामी हिन्दूस्तानी कहा जाता है। अधिकांश लोग अभी भी भाषा को 'हिंदुस्तानी' कहते हैं। .

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केल्टी भाषाएँ

केल्टी भाषाएँ (अंग्रेज़ी: Celtic languages) या सेल्टी भाषाएँ, जिन्हें अंग्रेज़ी में केल्टिक या सेल्टिक कहा जाता है, हिन्द-यूरोपी भाषा परिवार की एक उपशाखा है जिसकी बोलियाँ यूरोप के पश्चिमोत्तरी छोर के कुछ हिस्सों में बोली जाती हैं। इनका विस्तार विषेश रूप से आयरलैंड, स्कॉटलैंड, वेल्ज़, मैन के द्वीप (आइल ऑफ़ मैन) और फ़्रान्स के ब्रिटनी क्षेत्र में है। यहाँ से बहुत से लोग दक्षिण अमेरिका के आरजेनटीना देश के कुछ भागों में भी जा बसे थे इसलिये कुछ हद तक केल्टी बोलियाँ वहाँ भी बोली जाती हैं।, George L. Campbell, pp.

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कोहिस्तानी भाषा

कोहिस्तानी भाषा ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा के कोहिस्तान ज़िले (लाल रंग) में बोली जाती है कोहिस्तानी या सिन्धु-कोहिस्तानी हिन्द-आर्य भाषा-परिवार की दार्दी भाषाओँ वाली शाखा की एक भाषा है जो पश्चिमोत्तरी पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा राज्य के कोहिस्तान ज़िले में बोली जाती है। सन् १९९३ में इसे बोलने वालों की संख्या लगभग २,२०,००० अनुमानित की गई थी। .

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अहिराणी भाषा

अहिराणी महाराष्ट्र के उत्तर में स्थित खानदेश भूभाग में बोली जाने वाली एक हिन्द-आर्य भाषा है। इसे कभी-कभी खानदेशी भी कहा जाता है, लकिन इसका नाम स्थानीय अहीर समुदाय पर पड़ा है। अहिराणी मराठी भाषा की एक उपभाषा समझी जाती है लेकिन व्याकरण और शब्दावली की दृष्टि से इसमें गुजराती भाषा और राजस्थानी भाषा के भी कई लक्षण पाये जाते हैं। अहीरों की विशिष्ट संस्कृति के कारण उनके द्वारा प्रचलित भाषा है अहिराणी आधुनिक हिंदी की खड़ी बोली का निकास है भी अहिराणी भाषा ही है .

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अंगिका भाषा

अंगिका लगभग तीन करोड़लोगों की भाषा है जो बिहार के पूर्वी, उत्तरी व दक्षिणी भागों,झारखण्ड के उत्तर पूर्वी भागों और पं.

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उर्दू भाषा

उर्दू भाषा हिन्द आर्य भाषा है। उर्दू भाषा हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप मानी जाती है। उर्दू में संस्कृत के तत्सम शब्द न्यून हैं और अरबी-फ़ारसी और संस्कृत से तद्भव शब्द अधिक हैं। ये मुख्यतः दक्षिण एशिया में बोली जाती है। यह भारत की शासकीय भाषाओं में से एक है, तथा पाकिस्तान की राष्ट्रभाषा है। इस के अतिरिक्त भारत के राज्य तेलंगाना, दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त शासकीय भाषा है। .

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उशोजी भाषा

उशोजी (Ushoji), जिसे उशोजो (Ushojo) भी कहते हैं, शीना शाखा की एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के कोहिस्तान और स्वात ज़िलों में बोली जाती है। .

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