लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन

सूची हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन

हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन (Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle या HSTDV) एक मानव रहित इस्क्रेमजेट प्रदर्शन विमान है। इसे हाइपरसोनिक गति उड़ान के लिए विकसित किया जा रहा है। इसका विकास रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा किया जा रहे हैं। .

12 संबंधों: डब्ल्यूयू-14, डीआरडीओ ग्लाइड बम, निर्भय क्रूज मिसाइल, बराक 8, ब्रह्मोस 2, बोइंग एक्स-37, बोइंग एक्स-51 वेवराइडर, भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम, भारतीय मिसाइलों की सूची, इंसास राइफल, अग्नि-4, अग्नि-6

डब्ल्यूयू-14

डब्ल्यूयू-14 (WU-14) अमेरिकी रक्षा मन्त्रालय पेंटागन का एक चीनी प्रयोगात्मक हाइपरसोनिक मिसाइल के लिए कोड नाम था, जिसे अब डीएफ-जेडएफ कहा जाता है। .

नई!!: हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन और डब्ल्यूयू-14 · और देखें »

डीआरडीओ ग्लाइड बम

डीआरडीओ ग्लाइड बम (DRDO Glide Bombs) रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन का उत्पाद है, जो एक मानकीकृत मध्यम रेंज सटीक निर्देशित हथियार के लिए प्रोयोग किया जाएगा। यह बम भारतीय वायुसेना के लिए बहुत उपयोगी है यह लड़ाकू विमानो को सहूलित देगा की वह खतरे वाले क्षेत्र में जाए वैगैर उस लक्ष्य को खत्म कर सके। जिससे लड़ाकू विमानो की उम्र बढ़ जाएगी। क्यूकी विमान को नुकसान की कम संभावना होगी। और लक्ष्य पर सटीक वार से आस-पास के नुकसान को भी कम किया जा सकता है। प्रख्यात मिसाइल वैज्ञानिक, डॉ जी.

नई!!: हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन और डीआरडीओ ग्लाइड बम · और देखें »

निर्भय क्रूज मिसाइल

निर्भय (अर्थात बिना भय) एक लंबी दूरी की सबसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इसे भारत में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित किया गया है। .

नई!!: हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन और निर्भय क्रूज मिसाइल · और देखें »

बराक 8

बराक 8 (Barak 8) एक भारतीय-इजरायली लंबी दूरी वाली सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। बराक 8 को विमान, हेलीकाप्टर, एंटी शिप मिसाइल और यूएवी के साथ-साथ क्रूज़ मिसाइलों और लड़ाकू जेट विमानों के किसी भी प्रकार के हवाई खतरा से बचाव के लिए डिज़ाइन किया गया। इस प्रणाली के दोनों समुद्री और भूमि आधारित संस्करण मौजूद हैं। बराक 8 संयुक्त रूप से इजरायल की इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) और भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया था। हथियारों और तकनीकी अवसंरचना, एल्टा सिस्टम्स और अन्य चीजो के विकास के लिए इजरायल का प्रशासन जिम्मेदार होगा। जबकि भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) मिसाइलों का उत्पादन करेगी। .

नई!!: हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन और बराक 8 · और देखें »

ब्रह्मोस 2

ब्रह्मोस 2 (BrahMos-2) रूस की एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिया और भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा वर्तमान में संयुक्त रूप से विकासाधीन एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। जो एक साथ ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा गठित है। यह ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल श्रृंखला की दूसरी क्रूज मिसाइल है। ब्रह्मोस-2 की रेंज 290 किलोमीटर और मेक 7 की गति होने की संभावना है। उड़ान के क्रूज चरण के दौरान मिसाइल एक स्क्रैमजेट एयरब्रेस्टिंग जेट इंजन का प्रयोग करेगी। मिसाइल की उत्पादन लागत और भौतिक आयाम सहित अन्य विवरण, अभी तक प्रकाशित नहीं किए गए हैं। इस मिसाइल की 2020 तक परीक्षण के लिए तैयार होने की उम्मीद है। ब्रह्मोस-2 की योजनाबद्ध परिचालन सीमा 290 किलोमीटर तक सीमित कर दी गई है क्योंकि रूस मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का एक हस्ताक्षरकर्ता सदस्य देश है, जो रूस को 300 किलोमीटर (190 मील। 160 एनएमआई) के ऊपर सीमाओं वाली मिसाइलों को विकसित करने में अन्य देशों की मदद से रोकता है। हालांकि, अब भारत एक मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था हस्ताक्षरकर्ता सदस्य देश बन गया है। इसकी शीर्ष गति वर्तमान ब्रह्मोस 1 की दोगुनी होगी। और यह दुनिया में सबसे तेज क्रूज मिसाइल होगी। ब्रह्मोस 2 को मेक 5 की गाति से पार करने के लिए रूस एक विशेष और गुप्त ईंधन सूत्र विकसित कर रहा है। अक्टूबर 2011 तक मिसाइल के कई रूपों का डिजाइन पूरा किया गया था। और 2012 में परीक्षण शुरू होने वाले थे। चौथी पीढ़ी के बहुउद्देश्यीय रूसी नौसेना विध्वंसक (प्रोजेक्ट 21956) को भी ब्रह्मोस 2 से लैस करने की संभावना है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति ऐ॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम के सम्मान में मिसाइल को ब्रह्मोस-2 (के) का नाम दिया है। .

नई!!: हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन और ब्रह्मोस 2 · और देखें »

बोइंग एक्स-37

बोइंग एक्स-37 (Boeing X-37) जिसे ऑर्बिटल टेस्ट व्हेकल (ओटीवी) के रूप में भी जाना जाता है, एक पुन: प्रयोज्य मानवरहित अंतरिक्ष यान है। इसे एक प्रक्षेपण वाहन द्वारा अंतरिक्ष में भेजा जाता है तथा फिर यह पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा से प्रवेश करता है। और जमीन पर एक विमान की तरह लैंड होता है। एक्स-37, संयुक्त राज्य अमेरिका वायुसेना द्वारा पुन: प्रयोज्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करने के लिए कक्षीय अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के लिए संचालित होता है। यह पहले के बोइंग एक्स-40 से 120% बड़ा है। 2004 में एक्स-37 अमेरिकी रक्षा विभाग में स्थानांतरित होने से पहले, 1999 में यह नासा परियोजना के रूप में शुरू हुआ था। इसकी पहली उड़ान 2006 में एक ड्रॉप टेस्ट के दौरान थी। अभी तक पाँच एक्स-37 कक्षीय मिशन किए गए है। अंतरिक्षयान का पहला मिशन यूएसए-212 अप्रैल 2010 में लॉन्च किया गया था और यह दिसंबर 2010 में पृथ्वी पर लौट आया था। दूसरा मिशन यूएसए-226 मार्च 2011 में लॉन्च किया गया था और यह जून 2012 में पृथ्वी पर लौट आया था। तीसरा मिशन, यूएसए-240 दिसंबर 2012 में लॉन्च हुआ और अक्टूबर 2014 में लौट आया। चौथा मिशन यूएसए-261 मई 2015 में लॉन्च हुआ और मई 2017 में लौट आया। पांचवीं और नवीनतम एक्स-37 मिशन को 7 सितंबर 2017 में लॉन्च किया गया था। .

नई!!: हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन और बोइंग एक्स-37 · और देखें »

बोइंग एक्स-51 वेवराइडर

बोइंग एक्स 51 वेवराइडर (Boeing X-51 Waverider) एक मानवरहित अनुसंधान स्कैमजेट विमान है जो हाइपरसोनिक उड़ान के लिए उपयोग होगा। यह मैक 5 (5,300 किमी/घं) और 21,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ सकता है। 2005 में विमान को एक्स-51 नामित किया गया था। इसने 26 मई 2010 को अपना पहला पावर हाइपरसोनिक फ्लाइट पूरा किया था। दो असफल परीक्षण उड़ानों के बाद, एक्स-51 ने 1 मई 2013 को छह मिनट से ज्यादा की और 210 सेकंड के लिए मैक 5 से अधिक की गति पर सबसे लंबे समय तक संचालित हाइपरसॉनिक उड़ान के लिए गति की उड़ान पूरी कर ली। वेवराइडर सामान्य तौर पर विमान को संदर्भित करता है जो अपने स्वयं के शॉक तरंगों द्वारा उत्पादित संपीड़न से लिफ्ट करने के लिए लाभ उठाते हैं। एक्स-51 कार्यक्रम संयुक्त राज्य वायुसेना, डीएआरएपीए, नासा, बोइंग, और प्रैट एंड व्हिटनी रॉकेटिनी द्वारा एक सहकारी प्रयास था। संयुक्त राज्य वायुसेना अनुसंधान प्रयोगशाला (एएफआरएल) के भीतर एरोस्पेस सिस्टम डायरेक्टोरेट द्वारा कार्यक्रम का प्रबंधन किया गया था। एक्स-51 तकनीक का प्रयोग हाई स्पीड स्ट्रीक हथियार में किया जाएगा, जो कि मैक 5+ गति वाली मिसाइल होगी इसे 2020 के मध्य में सेना में शामिल किया जा सकता है। .

नई!!: हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन और बोइंग एक्स-51 वेवराइडर · और देखें »

भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम

एडवांस्ड एयर डिफेंस (एएडी) मिसाइल लांच करते हुए भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम (Indian Ballistic Missile Defence Programme) बैलिस्टिक मिसाइल हमलों से बचाने के लिए भारत द्वारा एक बहुस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली तैनात करने की एक पहल है। मुख्य रूप से पाकिस्तान की बैलिस्टिक मिसाइल खतरे को देखते हुए इसे शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत दो मिसाइल का निर्माण किया गया। ऊचाई की मिसाइल को मार गिराने के लिए पृथ्वी एयर डिफेंस तथा कम ऊचाई की मिसाइल को मार गिराने के लिए एडवांस एयर डिफेंस को विकसित किया गया है। यह दोनों मिसाइल 5000 किलोमीटर दूर से आ रही मिसाइल को मार गिरा सकती है। पृथ्वी एयर डिफेंस मिसाइल को नवंबर 2006 तथा एडवांस एयर डिफेंस को दिसंबर 2007 में टेस्ट किया गया था। पृथ्वी एयर डिफेंस मिसाइल के टेस्ट के साथ भारत एंटी बैलिस्टिक मिसाइल टेस्ट करने वाला अमेरिका, रूस तथा इजराइल के बाद दुनिया का चौथा देश बन गया। इस प्रणाली के टेस्ट अभी भी चल रहे और है आधिकारिक तौर पर इसे सेना में शामिल नहीं किया गया है। .

नई!!: हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन और भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम · और देखें »

भारतीय मिसाइलों की सूची

ब्रह्मोस मिसाइल भारत द्वारा विकसित मिसाइलों की एक सूची। .

नई!!: हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन और भारतीय मिसाइलों की सूची · और देखें »

इंसास राइफल

आईएनएसएएस या इंसास (INSAS rifle) एक राइफल और एक लाइट मशीनगन (एलएमजी) से मिलकर बना पैदल सेना हथियारों का एक परिवार है। यह आयुध निर्माणी तिरुचिरापल्ली में आयुध कारखानों बोर्ड द्वारा निर्मित किया जाता है। इंसास राइफल भारतीय सशस्त्र बलों के मानक पैदल सेना के लिए हथियार है। अप्रैल 2015 में भारत सरकार ने सीआरपीएफ के कुछ इंसास राइफलों की जगह एके-47 तैनात की है। 2017 के आरंभ में, यह घोषणा की गई कि इंसास राइफल्स को लंबी रेंज में अप्रभावी होने के कारण चरणबद्ध तरीके से रिटायर किया जायेगा और आयत किये गए हथियारों से प्रतिस्थापित किया जायेगा। .

नई!!: हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन और इंसास राइफल · और देखें »

अग्नि-4

अग्नि-4 (Agni-IV) एक इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है। अग्नि-4 अग्नि श्रृंखला की मिसाइलों में चौथा मिसाइल है जिसे पहले अग्नि 2 प्राइम मिसाइल कहा जाता था। जिसे भारतीय सशस्त्र बलों के इस्तेमाल के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित किया गया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने इस मिसाइल प्रौद्योगिकी में कई नई प्रौद्योगिकियों और महत्वपूर्ण सुधार को प्रदर्शित किया है। मिसाइल हल्के वजन वाली है और इसमें ठोस प्रणोदन के दो चरण और पुन: प्रवेश गर्मी कवच के साथ एक पेलोड मॉड्यूल है। यह मिसाइल अपने प्रकारों में एक अलग ही मिसाइल है, यह पहली बार कई नई प्रौद्योगिकियों को साबित करती है और मिसाइल प्रौद्योगिकी के मामले में एक क्वांटम छलांग दर्शाती है। मिसाइल वजन में हल्का है और इसमें ठोस प्रणोदन के दो चरण और पुन: प्रवेश गर्मी कवच के साथ एक पेलोड है। मिश्रित रॉकेट मोटर, जिसे पहली बार इस्तेमाल किया गया है, ने उत्कृष्ट प्रदर्शन दिया है। उच्च स्तर की विश्वसनीयता प्रदान करने के लिए मिसाइल प्रणाली आधुनिक और कॉम्पैक्ट उड्डयनकी से सुसज्जित है। स्वदेशी रिंग लेजर जाइरोस्कोप आधारित उच्च सटीकता वाला जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली और माइक्रो नेविगेशन सिस्टम (एमआईजीआईएस) को एक-दूसरे के साथ पहली बार सफलतापूर्वक मार्गदर्शन मोड में चलाया गया है। वितरित उड्डयनकी आर्किटेक्चर, हाई स्पीड विश्वसनीय संचार बस और एक पूर्ण डिजिटल कंट्रोल सिस्टम के साथ उच्च प्रदर्शन वाले कंप्यूटर मिसाइल को लक्ष्य पर नियंत्रित और निर्देशित करता है। मिसाइल उच्च स्तर की बहुत सटीकता से लक्ष्य तक पहुंचता है। लॉन्च रेज के साथ रडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल प्रणालियों ने मिसाइल के सभी मापदंडों को ट्रैक और मॉनिटर किया है। डॉ विजय कुमार सारस्वत, रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार, डीआरडीओ के महानिदेशक, जिन्होंने इस प्रक्षेपण को देखा, ने अग्नि-4 के सफल प्रक्षेपण के लिए डीआरडीओ और सशस्त्र बलों के सभी वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को बधाई दी। लॉन्च के बाद वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए, श्री अविनाश चंदर, चीफ कंट्रोलर (मिसाइल एंड स्ट्रैटेजिक सिस्टम), डीआरडीओ और अग्नि प्रोग्राम के डायरेक्टर ने इसे भारत में आधुनिक लांग रेंज नेविगेशन सिस्टम में एक नए युग के रूप में बुलाया। उन्होंने कहा, "इस परीक्षा ने अग्नि-5 मिशन की सफलता के लिए मार्ग प्रशस्त किया है, जो शीघ्र ही शुरू होगा।" श्रीमती टेस्सी थॉमस, अग्नि-4 परियोजना की निदेशक और उनकी टीम ने मिसाइल प्रणाली को तैयार और एकीकृत किया तथा मिसाइल को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। एक उत्साही स्वर में उन्होंने कहा कि डीआरडीओ ने मिश्रित रॉकेट मोटर्स जैसे मिसाइल प्रणाली में कई कला प्रौद्योगिकियां साबित कर दी हैं जिसमे बहुत उच्च सटीकता वाली स्वदेशी रिंग लेजर जाइरोस्कोप आधारित जड़त्वीय नेविगेशन सिस्टम, माइक्रो नेविगेशन सिस्टम, डिजिटल कंट्रोलर सिस्टम और बहुत शक्तिशाली जहाज पर कंप्यूटर सिस्टम आदि शामिल है। सेना के लिए सामरिक हथियार को ले जाने की क्षमता वाली मिसाइल ने देश के लिए एक शानदार प्रतिरोध प्रदान किया है और इसे बडी संख्या में उत्पादन कर जितनी जल्दी ही सशस्त्र बलों को दिया जाएगा। श्री एस.के.

नई!!: हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन और अग्नि-4 · और देखें »

अग्नि-6

अग्नि-6 (Agni-VI) एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है। जिसे भारतीय सशस्त्र बलों के इस्तेमाल के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित की जा रही है। .

नई!!: हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन और अग्नि-6 · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »