लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

हरिद्वार

सूची हरिद्वार

हरिद्वार, उत्तराखण्ड के हरिद्वार जिले का एक पवित्र नगर तथा हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ है। यह नगर निगम बोर्ड से नियंत्रित है। यह बहुत प्राचीन नगरी है। हरिद्वार हिन्दुओं के सात पवित्र स्थलों में से एक है। ३१३९ मीटर की ऊंचाई पर स्थित अपने स्रोत गोमुख (गंगोत्री हिमनद) से २५३ किमी की यात्रा करके गंगा नदी हरिद्वार में मैदानी क्षेत्र में प्रथम प्रवेश करती है, इसलिए हरिद्वार को 'गंगाद्वार' के नाम से भी जाना जाता है; जिसका अर्थ है वह स्थान जहाँ पर गंगाजी मैदानों में प्रवेश करती हैं। हरिद्वार का अर्थ "हरि (ईश्वर) का द्वार" होता है। पश्चात्कालीन हिंदू धार्मिक कथाओं के अनुसार, हरिद्वार वह स्थान है जहाँ अमृत की कुछ बूँदें भूल से घड़े से गिर गयीं जब God Dhanwantari उस घड़े को समुद्र मंथन के बाद ले जा रहे थे। ध्यातव्य है कि कुम्भ या महाकुम्भ से सम्बद्ध कथा का उल्लेख किसी पुराण में नहीं है। प्रक्षिप्त रूप में ही इसका उल्लेख होता रहा है। अतः कथा का रूप भी भिन्न-भिन्न रहा है। मान्यता है कि चार स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरी थीं। वे स्थान हैं:- उज्जैन, हरिद्वार, नासिक और प्रयाग। इन चारों स्थानों पर बारी-बारी से हर १२वें वर्ष महाकुम्भ का आयोजन होता है। एक स्थान के महाकुम्भ से तीन वर्षों के बाद दूसरे स्थान पर महाकुम्भ का आयोजन होता है। इस प्रकार बारहवें वर्ष में एक चक्र पूरा होकर फिर पहले स्थान पर महाकुम्भ का समय आ जाता है। पूरी दुनिया से करोड़ों तीर्थयात्री, भक्तजन और पर्यटक यहां इस समारोह को मनाने के लिए एकत्रित होते हैं और गंगा नदी के तट पर शास्त्र विधि से स्नान इत्यादि करते हैं। एक मान्यता के अनुसार वह स्थान जहाँ पर अमृत की बूंदें गिरी थीं उसे हर की पौड़ी पर ब्रह्म कुण्ड माना जाता है। 'हर की पौड़ी' हरिद्वार का सबसे पवित्र घाट माना जाता है और पूरे भारत से भक्तों और तीर्थयात्रियों के जत्थे त्योहारों या पवित्र दिवसों के अवसर पर स्नान करने के लिए यहाँ आते हैं। यहाँ स्नान करना मोक्ष प्राप्त करवाने वाला माना जाता है। हरिद्वार जिला, सहारनपुर डिवीजनल कमिशनरी के भाग के रूप में २८ दिसम्बर १९८८ को अस्तित्व में आया। २४ सितंबर १९९८ के दिन उत्तर प्रदेश विधानसभा ने 'उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक, १९९८' पारित किया, अंततः भारतीय संसद ने भी 'भारतीय संघीय विधान - उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम २०००' पारित किया और इस प्रकार ९ नवम्बर २०००, के दिन हरिद्वार भारतीय गणराज्य के २७वें नवगठित राज्य उत्तराखंड (तब उत्तरांचल), का भाग बन गया। आज, यह अपने धार्मिक महत्त्व के अतिरिक्त भी, राज्य के एक प्रमुख औद्योगिक केन्द्र के रूप में, तेज़ी से विकसित हो रहा है। तेज़ी से विकसित होता औद्योगिक एस्टेट, राज्य ढांचागत और औद्योगिक विकास निगम, SIDCUL (सिडकुल), भेल (भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) और इसके सम्बंधित सहायक इस नगर के विकास के साक्ष्य हैं। .

161 संबंधों: चुन्ने मियाँ का मन्दिर, चौदहवीं लोकसभा, चैतन्य महाप्रभु, डोइवाला, तैमूरलंग, तीर्थ, दल्हेड़ी, दिव्य प्रेम सेवा मिशन, द्वादश ज्योतिर्लिंग, देहरादून, देहरादून जिला, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, नदियों पर बसे भारतीय शहर, नरेन्द्र सिंह नेगी, नरेश बेदी, नारायणी शिला मंदिर, नासिक, नागा साधु, नित्यानन्द, नैना देवी मंदिर, नैनीताल, नैनीताल, पतंजलि फूड एवं हर्बल पार्क, पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट, पतंजलि आयुर्वेद, पिरान कलियर उर्स, पिरान कालियार शरीफ, पंजी (मिथिला), पुरामहादेव मंदिर, प्रणव पांड्या, प्रेम रावत, पौड़ी, फतेहपुर जिला, बदरीनाथ, बही (हरिद्वार), बछेंद्री पाल, ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान, भारत में धर्म, भारत में पर्यटन, भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार, भारत में विश्वविद्यालयों की सूची, भारत स्थित संस्कृत विश्वविद्यालयों की सूची, भारत के निजी विश्वविद्यालयों की सूची, भारत के प्रमुख हिन्दू तीर्थ, भारत के मेलों की सूची, भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - संख्या अनुसार, भारत के राष्ट्रीय उद्यान, भारत के राष्‍ट्रीय चिन्ह, भारत के शहरों की सूची, भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची, भारतमाता, ..., भारतमाता मन्दिर, हरिद्वार, भारतीय शिक्षा का इतिहास, भारतीय संस्कृति शोध प्रतिष्ठान, ऋषिकेश, महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, महात्मा गांधी सम्मान, महाबली जोगराज सिंह गुर्जर, माघ मेला, मौनी अमावस्या, मोटेश्वर महादेव मन्दिर, मोतीचूर रेलवे स्टेशन, यमुनोत्तरी, योग ग्राम, रमेश पोखरियाल, राम मंदिर, हरिद्वार, राम शर्मा, रामदेव, रामस्वामी वेंकटरमण, रुड़की, रुद्रदत्त शर्मा, शांतिकुंज, शिवालिक नगर, शक्ति पीठ, श्याम सिंह 'शशि', श्रिया सरन, श्रीनगर, गढ़वाल का इतिहास, श्रीपाद दामोदर सतवलेकर, श्रीभार्गवराघवीयम्, सत्यव्रत सिद्धांतालंकार, सन्त अतर सिंह, सप्त पुरियां, सिंहस्थ, संत पथिक, संरचना इंजीनियरी, संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द, सुदर्शनाचार्य, सुश्रुत, स्वामी दयानन्द सरस्वती, स्वामी निगमानन्द (गंगाभक्त), स्वामी माधवाश्रम, स्वामी रामनरेशाचार्यजी महाराज, स्वामी रामानन्दाचार्य, स्वामी श्रद्धानन्द, स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि, स्वामी सोमदेव, स्वामी विरजानन्द, सैमुअल बॉर्न, हर की पौड़ी, हरनामदत्त शास्त्री, हरिद्वार तहसील, हरिद्वार जिला, हरिद्वार जंक्शन रेलवे स्टेशन, हिन्दू तीर्थ, हिमालय, जयचन्द विद्यालंकार, जगद्गुरु रामभद्राचार्य ग्रंथसूची, जगन्नाथदास रत्नाकर, वंदना कटारिया, खाप, गंगा देवी, गंगा नदी, गंगा नहर, गंगा का आर्थिक महत्त्व, गंगा के बाँध एवं नदी परियोजनाएँ, गंगाबल झील, गुच्छूपानी, गुम्मावाला, गुरु हनुमान, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, गुर्जर प्रतिहार राजवंश, आचार्यकुलम, आदि बद्री (हरियाणा), इलाहाबाद, इलाहाबाद/आलेख, कनखल, काँगड़ी, काँगड़ी गाँव, काश्यप संहिता, काशीपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन, काशीपुर, उत्तराखण्ड, किशोरीदास वाजपेयी, कुम्भ मेला, कुंभ एवं अर्धकुंभ मेला, हरिद्वार, केदारनाथ कस्बा, अमानत बैंक, अमेठी, अरुन्धती (महाकाव्य), अलाउद्दीन साबिर कलियरी, अखिल भारतीय हिन्दू महासभा, अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन, अंतर्वेद, उत्तर प्रदेश के राज्य राजमार्गों की सूची, उत्तर भारत बाढ़ २०१३, उत्तराखण्ड, उत्तराखण्ड में पर्यटन और तीर्थाटन, उत्तराखण्ड में जिलावार विधानसभा सीटें, उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन, उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, उत्तराखण्ड का भूगोल, उत्तराखण्ड का इतिहास, उत्तराखण्ड के नगर निगमों की सूची, उत्तराखण्ड के नगरों की सूची, उत्तराखण्ड के जिले, उत्तराखण्ड की राजनीति, उत्तराखण्ड/आलेख, उत्तरांचल के चार धाम, उदासी सम्प्रदाय, ऋषभ पंत, ऋषिकेश, १३९८ हरिद्वार महाकुम्भ नरसंहार, २०१० हरिद्वार महाकुम्भ, २०१८ उत्तराखण्ड दावानल सूचकांक विस्तार (111 अधिक) »

चुन्ने मियाँ का मन्दिर

चुन्ने मियाँ का मन्दिर बरेली शहर में एक मुस्लिम व्यवसायी फजलुर्रहमान खां का बनबाया हुआ हिन्दू मन्दिर है जिसे चुन्ने मियाँ के नाम से ठीक उसी प्रकार जाना जाता है जैसे नई दिल्ली का बिरला मन्दिर। यह स्वतन्त्र भारत में हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनुपम उदाहरण है। बरेली शहर में बड़ा बाजार के पास कोहाड़ापीर क्षेत्र में स्थित इस मन्दिर में लक्ष्मीनारायण की भव्य मूर्तियाँ स्थापित की गयीं हैं। 16 मई 1960 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद ने इसका विधिवत उद्घाटन किया था। .

नई!!: हरिद्वार और चुन्ने मियाँ का मन्दिर · और देखें »

चौदहवीं लोकसभा

भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .

नई!!: हरिद्वार और चौदहवीं लोकसभा · और देखें »

चैतन्य महाप्रभु

चैतन्य महाप्रभु (१८ फरवरी, १४८६-१५३४) वैष्णव धर्म के भक्ति योग के परम प्रचारक एवं भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में से एक हैं। इन्होंने वैष्णवों के गौड़ीय संप्रदाय की आधारशिला रखी, भजन गायकी की एक नयी शैली को जन्म दिया तथा राजनैतिक अस्थिरता के दिनों में हिंदू-मुस्लिम एकता की सद्भावना को बल दिया, जाति-पांत, ऊंच-नीच की भावना को दूर करने की शिक्षा दी तथा विलुप्त वृंदावन को फिर से बसाया और अपने जीवन का अंतिम भाग वहीं व्यतीत किया। उनके द्वारा प्रारंभ किए गए महामंत्र नाम संकीर्तन का अत्यंत व्यापक व सकारात्मक प्रभाव आज पश्चिमी जगत तक में है। यह भी कहा जाता है, कि यदि गौरांग ना होते तो वृंदावन आज तक एक मिथक ही होता। वैष्णव लोग तो इन्हें श्रीकृष्ण का राधा रानी के संयोग का अवतार मानते हैं। गौरांग के ऊपर बहुत से ग्रंथ लिखे गए हैं, जिनमें से प्रमुख है श्री कृष्णदास कविराज गोस्वामी विरचित चैतन्य चरितामृत। इसके अलावा श्री वृंदावन दास ठाकुर रचित चैतन्य भागवत तथा लोचनदास ठाकुर का चैतन्य मंगल भी हैं। .

नई!!: हरिद्वार और चैतन्य महाप्रभु · और देखें »

डोइवाला

लच्छीवाला, डोईवाला मनोरम प्राकृतिक वादियों में स्थित डोईवाला, उत्तराखंड का एक लघु पर्यटन स्थल है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता से सैलानियों का मन मोह लेने वाले इस छोटे से शहर में पिकनिक मनाने का आनंद भी बेजोड़ है। इस आध्यात्मिक केन्द्र पर पहुंचकर पर्यटकों को मानसिक शांति तो मिलती ही है, साथ ही यहां के पुराने बाजारों का आकर्षण भी खास है। .

नई!!: हरिद्वार और डोइवाला · और देखें »

तैमूरलंग

तैमूर लंग (अर्थात तैमूर लंगड़ा) (जिसे 'तिमूर' (8 अप्रैल 1336 – 18 फ़रवरी 1405) चौदहवी शताब्दी का एक शासक था जिसने महान तैमूरी राजवंश की स्थापना की थी। उसका राज्य पश्चिम एशिया से लेकर मध्य एशिया होते हुए भारत तक फैला था। उसकी गणना संसार के महान्‌ और निष्ठुर विजेताओं में की जाती है। वह बरलस तुर्क खानदान में पैदा हुआ था। उसका पिता तुरगाई बरलस तुर्कों का नेता था। भारत के मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक बाबर तिमूर का ही वंशज था। .

नई!!: हरिद्वार और तैमूरलंग · और देखें »

तीर्थ

तीर्थ धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व वाले स्थानों को कहते हैं जहाँ जाने के लिए लोग लम्बी और अकसर कष्टदायक यात्राएँ करते हैं। इन यात्राओं को तीर्थयात्रा (pilgrimage) कहते हैं। हिन्दू धर्म के तीर्थ प्रायः देवताओं के निवास-स्थान होते हैं। मुसलमानों के लिए मक्का और मदीना महत्त्वपूर्ण तीर्थ हैं और इन जगहों पर जीवन में एक बार जाना हर मुसलमान के लिए ज़रूरी है। इसके अतिरिक्त कई तीर्थ महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक व्यक्तियों के जीवन से भी सम्बन्धित हो सकते हैं। उदाहरण स्वरूप, मास्को में लेनिन की समाधि साम्यवादियों के लिए एक तीर्थ है। .

नई!!: हरिद्वार और तीर्थ · और देखें »

दल्हेड़ी

दल्हेड़ी भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के सहारनपुर ज़िले का एक गांव है। 2011 की जनगणना के अनुसार दल्हेड़ी की जनसंख्या ४८४० है। जानकारी के रूप में दल्हेड़ी गांव का पिनकोड २४७४५२ है। .

नई!!: हरिद्वार और दल्हेड़ी · और देखें »

दिव्य प्रेम सेवा मिशन

दिव्य प्रेम सेवा मिशन हरिद्वार स्थित कुष्ट रोगियों की सेवा करने वाली एक संस्था है। इसकी स्थापना सन् १९९७ में श्री आशीष गौतम ने की। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के निवादा ग्राम में जन्मे इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा ग्रहण करने वाले इस नौजवान साधक आशीष के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानन्द हैं। अब "सेवा कुंज" नाम से विख्यात इस स्थान पर अपने कुछ नौजवान कर्मठ सहयोगियों के साथ श्री आशीष अपने इस मिशन द्वारा कुष्ठ रोगियों व उनके बच्चों के बीच स्वास्थ्य, शिक्षा-संस्कार, स्वावलम्बन के कार्यक्रमों से उन्हें नवजीवन प्रदान कर उनमें जीवन के प्रति आशा व उल्लास का संचार तो कर ही रहे हैं, साथ ही वे तथाकथित सभ्य समाज में ई संवेदना को भी जगाने के प्रयास में निरंतर जुटे हैं। .

नई!!: हरिद्वार और दिव्य प्रेम सेवा मिशन · और देखें »

द्वादश ज्योतिर्लिंग

हिन्दू धर्म में पुराणों के अनुसार शिवजी जहाँ-जहाँ स्वयं प्रगट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। ये संख्या में १२ है। सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड़) में श्रीसोमनाथ, श्रीशैल पर श्रीमल्लिकार्जुन, उज्जयिनी (उज्जैन) में श्रीमहाकाल, ॐकारेश्वर अथवा अमलेश्वर, परली में वैद्यनाथ, डाकिनी नामक स्थान में श्रीभीमशंकर, सेतुबंध पर श्री रामेश्वर, दारुकावन में श्रीनागेश्वर, वाराणसी (काशी) में श्री विश्वनाथ, गौतमी (गोदावरी) के तट पर श्री त्र्यम्बकेश्वर, हिमालय पर केदारखंड में श्रीकेदारनाथ और शिवालय में श्रीघुश्मेश्वर। हिंदुओं में मान्यता है कि जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात:काल और संध्या के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है, उसके सात जन्मों का किया हुआ पाप इन लिंगों के स्मरण मात्र से मिट जाता है। .

नई!!: हरिद्वार और द्वादश ज्योतिर्लिंग · और देखें »

देहरादून

यह लेख देहरादून नगर पर है। विस्तार हेतु देखें देहरादून जिला। देहरादून (Dehradun), देहरादून जिले का मुख्यालय है जो भारत की राजधानी दिल्ली से २३० किलोमीटर दूर दून घाटी में बसा हुआ है। ९ नवंबर, २००० को उत्तर प्रदेश राज्य को विभाजित कर जब उत्तराखण्ड राज्य का गठन किया गया था, उस समय इसे उत्तराखण्ड (तब उत्तरांचल) की अंतरिम राजधानी बनाया गया। देहरादून नगर पर्यटन, शिक्षा, स्थापत्य, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। इसका विस्तृत पौराणिक इतिहास है। .

नई!!: हरिद्वार और देहरादून · और देखें »

देहरादून जिला

यह लेख देहरादून जिले के विषय में है। नगर हेतु देखें देहरादून। देहरादून, भारत के उत्तराखंड राज्य की राजधानी है इसका मुख्यालय देहरादून नगर में है। इस जिले में ६ तहसीलें, ६ सामुदायिक विकास खंड, १७ शहर और ७६४ आबाद गाँव हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ १८ गाँव ऐसे भी हैं जहाँ कोई नहीं रहता। देश की राजधानी से २३० किलोमीटर दूर स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह नगर अनेक प्रसिद्ध शिक्षा संस्थानों के कारण भी जाना जाता है। यहाँ तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग, सर्वे ऑफ इंडिया, भारतीय पेट्रोलियम संस्थान आदि जैसे कई राष्ट्रीय संस्थान स्थित हैं। देहरादून में वन अनुसंधान संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय मिलिटरी कालेज और इंडियन मिलिटरी एकेडमी जैसे कई शिक्षण संस्थान हैं। यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। अपनी सुंदर दृश्यवाली के कारण देहरादून पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और विभिन्न क्षेत्र के उत्साही व्यक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। विशिष्ट बासमती चावल, चाय और लीची के बाग इसकी प्रसिद्धि को और बढ़ाते हैं तथा शहर को सुंदरता प्रदान करते हैं। देहरादून दो शब्दों देहरा और दून से मिलकर बना है। इसमें देहरा शब्द को डेरा का अपभ्रंश माना गया है। जब सिख गुरु हर राय के पुत्र रामराय इस क्षेत्र में आए तो अपने तथा अनुयायियों के रहने के लिए उन्होंने यहाँ अपना डेरा स्थापित किया। www.sikhiwiki.org.

नई!!: हरिद्वार और देहरादून जिला · और देखें »

देव संस्कृति विश्वविद्यालय

देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार में स्थित है। इस संस्थान की स्थापना गायत्री परिवार के पितृपुरुष पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा 11 अप्रैल 2002 में की गयी। .

नई!!: हरिद्वार और देव संस्कृति विश्वविद्यालय · और देखें »

नदियों पर बसे भारतीय शहर

नदियों के तट पर बसे भारतीय शहरों की सूची श्रेणी:भारत के नगर.

नई!!: हरिद्वार और नदियों पर बसे भारतीय शहर · और देखें »

नरेन्द्र सिंह नेगी

नरेन्द्र सिंह नेगी जी (English:Narendra Singh Negi) उत्तराखण्ड के गढवाल हिस्से के मशहूर लोक गीतकारों में से एक है। कहा जाता है कि अगर आप उत्तराखण्ड और वहाँ के लोग, समाज, जीवनशैली, संस्कृति, राजनीति, आदि के बारे में जानना चाहते हो तो, या तो आप किसी महान-विद्वान की पुस्तक पढ लो या फिर नरेन्द्र सिंह नेगी जी के गाने/गीत सुन लो। उनकी श्री नेगी नामक संस्था उत्तराखण्ड कलाकारो के लिए एक लोकप्रिय संस्थाओं मे से एक है। नेगी जी सिर्फ एक मनोरंजन-कार ही नहीं बल्कि एक कलाकार, संगीतकार और कवि है जो कि अपने परिवेश को लेकर काफी भावुक व संवेदनशील है। .

नई!!: हरिद्वार और नरेन्द्र सिंह नेगी · और देखें »

नरेश बेदी

नरेश बेदी एक भारतीय फ़िल्म निर्माता है, जो वन्य-जीवन से संबंधित फिल्म निर्माण के लिए जाने जाते हैं। उन्हें वृत्तचित्र, एनिमेशन और लघुफिल्मों के लिए आयोजित मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव-2016, (एम.आई.एफ.एफ-2016) के उद्घाटन समारोह में वी शांताराम लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हें उनके प्रकृति तथा वन्य जीवन पर फिल्मांकन के लिए इससे पूर्व वाइल्ड स्क्रीन अवार्ड, पृथ्वी रत्न पुरस्कार, द ह्वेल अवार्ड जैसे अनेकों पुरस्कार दिये जा चुके हैं। इनकी एक अन्य फिल्म ‘गंगा घड़ियाल’ ने वाइल्ड स्क्रीन रेड पांडा पुरस्कार, जिसे ग्रीन आस्कर कहा जाता है, जीता है। यह पुरस्कार जीतने वाले वे प्रथम एशियाई हैं। उन्होंने अपने फिल्मों में दुर्लभ वन्य जीव क्षणों को फिल्माया है। इनके फिल्मों को बी.बी.सी.

नई!!: हरिद्वार और नरेश बेदी · और देखें »

नारायणी शिला मंदिर

नारायणी शिला मंदिर हरिद्वार भारत में प्राचीन व पवित्र मंदिरों में स्थान रखता है। यह मंदिर देवों के देव भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर प्रसिद्ध गणेश घाट के निकट स्थित है। पिंड दान व पित्रदोश की पूजा के लिए सम्पूर्ण भारत वर्ष के निवासी यहाँ आते हैं। ऐसा मान्यता है कि भूत प्रेत से पीड़ित व्यक्ति को यहाँ सुकून मिल जाता है। इस मंदिर से संबद्ध पौराणिक कथा का वर्णन स्कंदा पूरण में भी मिलता है। .

नई!!: हरिद्वार और नारायणी शिला मंदिर · और देखें »

नासिक

नासिक अथवा नाशिक भारत के महाराष्ट्र राज्य का एक शहर है। नसिक महाराष्ट्र के उत्तर पश्चिम में, मुम्बई से १५० किमी और पुणे से २०५ किमी की दुरी में स्थित है। यह शहर प्रमुख रूप से हिन्दू तीर्थयात्रियों का प्रमुख केन्द्र है। नासिक पवित्र गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 565 मीटर है। गोदावरी नदी के तट पर बहुत से सुंदर घाट स्थित है। इस शहर का सबसे प्रमुख भाग पंचवटी है। इसके अलावा यहां बहुत से मंदिर भी है। नासिक में त्योहारों के समय में बहुत अधिक संख्या में भीड़ दिखलाई पड़ती है। .

नई!!: हरिद्वार और नासिक · और देखें »

नागा साधु

पशुपतिनाथ मन्दिर, नेपाल में एक नागा साधु नागा साधु हिन्दू धर्मावलम्बी साधु हैं जो कि नग्न रहने तथा युद्ध कला में माहिर होने के लिये प्रसिद्ध हैं। ये विभिन्न अखाड़ों में रहते हैं जिनकी परम्परा जगद्गुरु आदिशंकराचार्य द्वारा की गयी थी। .

नई!!: हरिद्वार और नागा साधु · और देखें »

नित्यानन्द

नित्यानन्द का अर्थ हो सकता है.

नई!!: हरिद्वार और नित्यानन्द · और देखें »

नैना देवी मंदिर, नैनीताल

नैना देवी मंदिर, नैनीताल नैनीताल में, नैनी झील के उत्त्तरी किनारे पर नैना देवी मंदिर स्थित है। 1880 में भूस्‍खलन से यह मंदिर नष्‍ट हो गया था। बाद में इसे दुबारा बनाया गया। यहां सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है। मंदिर में दो नेत्र हैं जो नैना देवी को दर्शाते हैं। नैनी झील के बारें में माना जाता है कि जब शिव सती की मृत देह को लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे, तब जहां-जहां उनके शरीर के अंग गिरे वहां-वहां शक्तिपीठों की स्‍थापना हुई। नैनी झील के स्‍थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। इसीसे प्रेरित होकर इस मंदिर की स्‍थापना की गई है। .

नई!!: हरिद्वार और नैना देवी मंदिर, नैनीताल · और देखें »

नैनीताल

नैनीताल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पर्यटन नगर है। यह नैनीताल जिले का मुख्यालय भी है। कुमाऊँ क्षेत्र में नैनीताल जिले का विशेष महत्व है। देश के प्रमुख क्षेत्रों में नैनीताल की गणना होती है। यह 'छखाता' परगने में आता है। 'छखाता' नाम 'षष्टिखात' से बना है। 'षष्टिखात' का तात्पर्य साठ तालों से है। इस अंचल में पहले साठ मनोरम ताल थे। इसीलिए इस क्षेत्र को 'षष्टिखात' कहा जाता था। आज इस अंचल को 'छखाता' नाम से अधिक जाना जाता है। आज भी नैनीताल जिले में सबसे अधिक ताल हैं। इसे भारत का लेक डिस्ट्रिक्ट कहा जाता है, क्योंकि यह पूरी जगह झीलों से घिरी हुई है। 'नैनी' शब्द का अर्थ है आँखें और 'ताल' का अर्थ है झील। झीलों का शहर नैनीताल उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटन स्‍थल है। बर्फ़ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह स्‍थान झीलों से घिरा हुआ है। इनमें से सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा है। इसलिए इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है। नैनीताल को जिधर से देखा जाए, यह बेहद ख़ूबसूरत है। .

नई!!: हरिद्वार और नैनीताल · और देखें »

पतंजलि फूड एवं हर्बल पार्क

पतंजलि फूड एवं हर्बल पार्क पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की इकाई है जिसके माध्यम से स्वदेशी वस्तुओं के निर्माण और स्वदेशी की विचारधारा पर कार्य होता है। हरिद्वार में स्थित 'पदार्था' नामक गांव में 'पतंजलि फूड एंव हर्बल पार्क लिमिटेड' में आवश्यक घरेलू वस्तुओं से लेकर आयुर्वेदिक औषधियों तक का निर्माण होता है। इसकी कई इकाइयां देश की किसी भी बड़ी कंपनी की इकाइयों से बड़ी हैं। .

नई!!: हरिद्वार और पतंजलि फूड एवं हर्बल पार्क · और देखें »

पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट

पतंजलि योगपीठ का मुख्य द्वार पतंजलि योगपीठ का मुख्य भवन पतंजलि योगपीठ भारत का सबसे बड़ा योग शिक्षा संस्थान है। इसकी स्थापना स्वामी रामदेव द्वारा योग का अधिकाधिक प्रचार करने एवं इसे सर्वसुलभ बनाने के उद्देश्य से की गयी थी। यह हरिद्वार में स्थित है। आचार्य बालकृष्ण इसके महासचिव हैं। .

नई!!: हरिद्वार और पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट · और देखें »

पतंजलि आयुर्वेद

पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड भारत प्रांत के उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार जिले में स्थित आधुनिक उपकरणों वाली एक औद्योगिक इकाई है। इस औद्योगिक इकाई की स्थापना शुद्ध और गुणवत्तापूर्ण खनिज और हर्बल उत्पादों के निर्माण हेतु की गयी है। .

नई!!: हरिद्वार और पतंजलि आयुर्वेद · और देखें »

पिरान कलियर उर्स

भारत के उत्तरांचल राज्य के रुड़की शहर में पिरान कलियर उर्स का आयोजन होता है। मेले का आयोजन रूडकी के समीप ऊपरी गंग नहर के किनारे जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पिरान कलियर गांव में होता है। इस स्थान पर हजरत मखदूम अलाउदीन अहमद ‘‘साबरी‘‘ की दरगाह है। यह स्थान हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच एकता का सूत्र है। यहां पर हिन्दु व मुसलमान मन्नते मांगते हैं व चादरे चढाते हैं। मेले स्थल पर दरगाह कमेटी द्वारा देश/विदेश से आने वाले जायरिनों/श्रद्वालुओं के लिये आवास की उचित व्यवस्था है। दरगाह के बाहर खाने पीने की अच्छी व्यवस्था उपलब्ध है। .

नई!!: हरिद्वार और पिरान कलियर उर्स · और देखें »

पिरान कालियार शरीफ

पिरान कालियार 13 वीं शताब्दी के चिश्ती आदेश के सूफी संत की दरगाह है, अलाउद्दीन अली अहमद साबिर कलियारी की दरग़ाह को सरकार सबीर पाक और सबीर कालियारी, गंगा नहर के किनारे पर हरिद्वार के निकट कलियार गांव में भी जाना जाता है, 7 किमी। रुड़की से दूर है। यह भारत में मुसलमानों के लिए सबसे सम्मानित दरगाह में से एक है और हिंदुओं और मुसलमानों द्वारा समान रूप से मानिया है।दिल्ली के एक अफगान शासक इब्राहिम लोदी द्वारा बनाए गए दरगाह है। वह 13 वीं शताब्दी में चिस्ती आदेश के सूफी संत थे, जो बाबा फरीद (1188-1280) के उत्तराधिकारी थे और सबसे पहले चिश्ती आदेश की सबरीया शाखा में थे। .

नई!!: हरिद्वार और पिरान कालियार शरीफ · और देखें »

पंजी (मिथिला)

मिथिला (भारत और नेपाल दोनों में) के ब्राह्मण एवं कर्ण कायस्थ समुदायों की लिखित वंशावली को पंजी या पंजी प्रबन्ध कहते हैं। यह हरिद्वार में प्रचलित हिन्दू वंशावली जैसी ही है। पंजीप्रथा का आरम्भ सातवीं सदी में हुआ। इसके अंतर्गत लोगों का वंशवृक्ष रखा जाता था। विवाह के समय इस बात का ध्यान रखा जाता था कि वर पक्ष से सात पीढ़ी और वधू पक्ष से छह पीढ़ी तक उत्पत्ति एक हो। प्रारंभ में यह कंठस्थ था। बाद में स्थानीय स्तर पर कुछ पढ़े-लिखे लोगों ने इसका विवरण रखना शुरू किया। प्रारंभिक छह-सात सौ वर्षों तक यह पूरी तरह व्यवस्थित नहीं हुआ था। 1326 ई. में मिथिला के कर्नाट वंशी शासक हरिसिंह देव के शासनकाल में इसे औपचारिक रूप से लिपिबद्ध और संग्रहित किया गया। इसके लिए उन्होंने रघुनंदन राय नामक एक ब्राह्मण काे गांव-गांव भेजा। उन्होंने स्थानीय लोगों से बात कर उनके वंशवृक्ष के बारे में जानकारी एकत्र की और उसे लिपिबद्ध किया। बाद में भी इसे पीढ़ी दर पीढ़ी अद्यतन किया जाता रहा और अब तक यह कार्य चल रहा है। पंजी में 1700 गांवों की चर्चा है। इसमें 180 मूल वास स्थान हैं, जहां आदि पूर्वजों का जन्म हुआ। 1520 मूलक ग्रामों का उल्लेख है, जहां मूल वास स्थान से स्थानांतरित होने के बाद उनके पूर्वज जाकर बसे। मिथिला के कर्नाट वंशी शासक हरिसिंह देव के समय मैथिल ब्राह्मणों के साथ साथ उस क्षेत्र में रहनेवाले कायस्थ, भूमिहार, राजपूत, वैश्य वर्ण में शामिल कुछ जातियों के भी पंजी बनने का उल्लेख मिलता है। बाद में अद्यतन नहीं करने के कारण विवाह में इनका उपयोग नहीं हो पाता था जिससे अधिकांश पंजियां नष्ट हो गईं। अब केवल मैथिल ब्राह्मणों और कर्ण कायस्थ उपजाति की पंजी मिलती है। इन दोनों जातियों में वैवाहिक संबंध तय करते समय अभी भी पंजी के सहारे वंशवृक्ष मिलाना आवश्यक माना जाता है। मिलान के बिना विवाह पर हंगामा होने लगता है। .

नई!!: हरिद्वार और पंजी (मिथिला) · और देखें »

पुरामहादेव मंदिर

पुरा महादेव मंदिर का शिव लिंग पुरामहादेव (जिसे परशुरामेश्वर भी कहते हैं) उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर के पास, बागपत जिले से ४.५ कि.मी दूर बालौनी कस्बे में पर पुरा महादेव एक छोटा से गाँव पुरा में हिन्दू भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है जो शिवभक्तों का श्रध्दा केन्द्र है। इसे एक प्राचीन सिध्दपीठ भी माना गया है। केवल इस क्षेत्र के लिये ही नहीं प्रत्युत्त समस्त पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसकी मान्यता है। लाखों शिवभक्त श्रावण और फाल्गुन के माह में पैदल ही हरिद्वार से कांवड़ में गंगा का पवित्र जल लाकर परशुरामेश्वर महादेव का अभिषेक करते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव भी प्रसन्न हो कर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण कर देते हैं। जहाँ पर परशुरामेश्वर पुरामहादेव मंदिर है। काफी पहले यहाँ पर कजरी वन हुआ करता था। इसी वन में जमदग्नि ऋषि अपनी पत्नी रेणुका सहित अपने आश्रम में रहते थे। रेणुका प्रतिदिन कच्चा घड़ा बनाकर हिंडन नदी नदी से जल भर कर लाती थी। वह जल शिव को अर्पण किया करती थी। हिंडन नदी, जिसे पुराणों में पंचतीर्थी कहा गया है और हरनन्दी नदी के नाम से भी विख्यात है, पास से ही निकलती है। यह मंदिर मेरठ से ३६ कि.मी व बागपत से ३० कि.मी दूर स्थित है। .

नई!!: हरिद्वार और पुरामहादेव मंदिर · और देखें »

प्रणव पांड्या

डॉ॰ प्रणव पांड्या डॉ॰ प्रणव पांड्या (जन्म- 8 नवम्बर 1950 (रूप चतुर्दशी)), गायत्री परिवार के संचालक हैं। वे गायत्री परिवार के संस्थापक श्रीराम शर्मा आचार्य के दामाद हैं। इसके अतिरिक्त वे देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान के निदेशक तथा अखण्ड ज्योति पत्रिका के सम्पादक भी हैं। .

नई!!: हरिद्वार और प्रणव पांड्या · और देखें »

प्रेम रावत

प्रेम रावत प्रेम रावत (जन्म;१० दिसम्बर १९५७,हरिद्वार,उत्तर प्रदेश) एक विश्वविख्यात अध्यात्मिक गुरु है। जन्म १० दिसम्बर १९५७ में भारत के अध्यात्मिक नगर हरिद्वार में हुआ था। प्रख्यात अधय्त्मिक गुरु हंस जी महाराज इनके पिता थे। ये एक विशेष रूप से ध्यान लगाने वाला अभ्यास, ज्ञान देते हैं। ये वैयक्तिक संसाधन की खोज जैसे अंदरूनी शक्ति,चुनाव, अभिमूल्यन आदि पर आधारित शांति की शिक्षा देते हैं। रावत, हंस जी महाराज, जो की एक प्रसिद्ध भारतीय आध्यात्मिक गुरु थे, के सबसे युवा पुत्र हैं। ये दिव्य सन्देश परिषद् के संस्थापक हैं जिसे की बाद में डीवाइन लाइट मिशन या डी.अल.ऍम.के नाम से जाना गया। इनके पिता के स्वर्गवास के बाद ८ वर्ष की उम्र के रावत सतगुरु (सच्चा गुरु) बन गए। १३ वर्ष की उम्र में रावत ने पश्चिम की यात्रा की और उसके बाद यूनाइटेड स्टेट्स में ही घर ले लिया। कई नवयुवको ने इस दावे पर रूचि दिखाई की रावत ईश्वर का ज्ञान सीधे ही खुद के अनुयाइयों को दे सकतें हैं। .

नई!!: हरिद्वार और प्रेम रावत · और देखें »

पौड़ी

पौढ़ी गढ़वाल भारतीय राज्य उत्तराखंड का एक शहर है। यह पौढ़ी गढ़वाल जिला का मु़यालय है। पौढ़ी गढ़वाल जिला वृत्ताकार रूप में है। जिसमें हरिद्वार, देहरादून, टिहरी गढ़वाल, रूद्वप्रयाग, चमोली, अल्‍मोड़ा और नैनीताल सम्मिलित है। यहां स्थित हिमालय, नदियां, जंगल और ऊंचे-ऊंचे शिखर यहां की खूबसूरती को अधिक बढ़ाते हैं। पौढ़ी समुद्र तल से लगभग 1814 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बर्फ से ढके हिमालय शिखर पौढ़ी की खूबसूरती को कहीं अधिक बढ़ाते हैं। .

नई!!: हरिद्वार और पौड़ी · और देखें »

फतेहपुर जिला

फतेहपुर जिला उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है जो कि पवित्र गंगा एवं यमुना नदी के बीच बसा हुआ है। फतेहपुर जिले में स्थित कई स्थानों का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है जिनमें भिटौरा, असोथर अश्वस्थामा की नगरी) और असनि के घाट प्रमुख हैं। भिटौरा, भृगु ऋषि की तपोस्थली के रूप में मानी जाती है। फतेहपुर जिला इलाहाबाद मंडल का एक हिस्सा है और इसका मुख्यालय फतेहपुर शहर है। .

नई!!: हरिद्वार और फतेहपुर जिला · और देखें »

बदरीनाथ

बद्रीनाथ घाटी तथा अलकनन्दा नदी बदरीनाथ भारत के उत्तरी भाग में स्थित एक स्थान है जो हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ है। यह उत्तराखण्ड के चमोली जिले में स्थित एक नगर पंचायत है। यहाँ बद्रीरीनाथ मन्दिर है जो हिन्दुओं के चार प्रसिद्ध धामों में से एक है। .

नई!!: हरिद्वार और बदरीनाथ · और देखें »

बही (हरिद्वार)

हरिद्वार में पण्डों (पूजा और कर्मकाण्ड कराने वाले ब्राह्मण) वहाँ श्राद्ध आदि के लिये आने वाले लोगों की वंशावली लिखित रूप में व्यवस्थित रखते हैं। ये वंशावलियाँ कभी-कभी मुकदमों के निपटान में भी सहायक हुईं हैं। .

नई!!: हरिद्वार और बही (हरिद्वार) · और देखें »

बछेंद्री पाल

बछेंद्री पाल (जन्म: 24 मई 1954) माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला हैं। वे एवरेस्ट की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की 5वीं महिला पर्वतारोही हैं। वर्तमान में वे इस्पात कंपनी टाटा स्टील में कार्यरत हैं, जहां वह चुने हुए लोगो को रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देती हैं। .

नई!!: हरिद्वार और बछेंद्री पाल · और देखें »

ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान

ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान हरिद्वार के शांतिकुंज में गंगा के तट पर स्थित एक अनुसंधान संस्थान है। इसकी स्थापना पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा सन् 1979 में की गयी थी। .

नई!!: हरिद्वार और ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान · और देखें »

भारत में धर्म

तवांग में गौतम बुद्ध की एक प्रतिमा. बैंगलोर में शिव की एक प्रतिमा. कर्नाटक में जैन ईश्वरदूत (या जिन) बाहुबली की एक प्रतिमा. 2 में स्थित, भारत, दिल्ली में एक लोकप्रिय पूजा के बहाई हॉउस. भारत एक ऐसा देश है जहां धार्मिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता को कानून तथा समाज, दोनों द्वारा मान्यता प्रदान की गयी है। भारत के पूर्ण इतिहास के दौरान धर्म का यहां की संस्कृति में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत विश्व की चार प्रमुख धार्मिक परम्पराओं का जन्मस्थान है - हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा सिक्ख धर्म.

नई!!: हरिद्वार और भारत में धर्म · और देखें »

भारत में पर्यटन

हर साल, 3 मिलियन से अधिक पर्यटक आगरा में ताज महल देखने आते हैं। भारत में पर्यटन सबसे बड़ा सेवा उद्योग है, जहां इसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.23% और भारत के कुल रोज़गार में 8.78% योगदान है। भारत में वार्षिक तौर पर 5 मिलियन विदेशी पर्यटकों का आगमन और 562 मिलियन घरेलू पर्यटकों द्वारा भ्रमण परिलक्षित होता है। 2008 में भारत के पर्यटन उद्योग ने लगभग US$100 बिलियन जनित किया और 2018 तक 9.4% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ, इसके US$275.5 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है। भारत में पर्यटन के विकास और उसे बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय नोडल एजेंसी है और "अतुल्य भारत" अभियान की देख-रेख करता है। विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद के अनुसार, भारत, सर्वाधिक 10 वर्षीय विकास क्षमता के साथ, 2009-2018 से पर्यटन का आकर्षण केंद्र बन जाएगा.

नई!!: हरिद्वार और भारत में पर्यटन · और देखें »

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का संजाल भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची भारतीय राजमार्ग के क्षेत्र में एक व्यापक सूची देता है, द्वारा अनुरक्षित सड़कों के एक वर्ग भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण। ये लंबे मुख्य में दूरी roadways हैं भारत और के अत्यधिक उपयोग का मतलब है एक परिवहन भारत में। वे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा भारतीय अर्थव्यवस्था। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 laned (प्रत्येक दिशा में एक), के बारे में 65,000 किमी की एक कुल, जिनमें से 5,840 किमी बदल सकता है गठन में "स्वर्ण Chathuspatha" या स्वर्णिम चतुर्भुज, एक प्रतिष्ठित परियोजना राजग सरकार द्वारा शुरू की श्री अटल बिहारी वाजपेयी.

नई!!: हरिद्वार और भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार · और देखें »

भारत में विश्वविद्यालयों की सूची

यहाँ भारत में विश्वविद्यालयों की सूची दी गई है। भारत में सार्वजनिक और निजी, दोनों विश्वविद्यालय हैं जिनमें से कई भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा समर्थित हैं। इनके अलावा निजी विश्वविद्यालय भी मौजूद हैं, जो विभिन्न निकायों और समितियों द्वारा समर्थित हैं। शीर्ष दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालयों के तहत सूचीबद्ध विश्वविद्यालयों में से अधिकांश भारत में स्थित हैं। .

नई!!: हरिद्वार और भारत में विश्वविद्यालयों की सूची · और देखें »

भारत स्थित संस्कृत विश्वविद्यालयों की सूची

भारत तथा के संस्कृत विश्वविद्यालयों की सूची नीचे दी गयी है-.

नई!!: हरिद्वार और भारत स्थित संस्कृत विश्वविद्यालयों की सूची · और देखें »

भारत के निजी विश्वविद्यालयों की सूची

भारत में उच्च शिक्षा प्रणाली के अन्तर्गत सार्वजनिक और निजी दोनों प्रकार के विश्वविद्यालय सम्मिलित हैं। सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को भारत के केन्द्रीय सरकार तथा राज्य सरकारों से सहायता मिलती है जबकि निजी विश्वविद्यालय विभिन्न निजी संस्थाओं एवं सोसायटी के द्वारा संचालित होते हैं। भारत में विश्वविद्यालयों की मान्यता विश्वविद्यालय अनुदान आयोग देता है। .

नई!!: हरिद्वार और भारत के निजी विश्वविद्यालयों की सूची · और देखें »

भारत के प्रमुख हिन्दू तीर्थ

भारत अनादि काल से संस्कृति, आस्था, आस्तिकता और धर्म का महादेश रहा है। इसके हर भाग और प्रान्त में विभिन्न देवी-देवताओं से सम्बद्ध कुछ ऐसे अनेकानेक प्राचीन और (अपेक्षाकृत नए) धार्मिक स्थान (तीर्थ) हैं, जिनकी यात्रा के प्रति एक आम भारतीय नागरिक पर्यटन और धर्म-अध्यात्म दोनों ही आकर्षणों से बंधा इन तीर्थस्थलों की यात्रा के लिए सदैव से उत्सुक रहा है। .

नई!!: हरिद्वार और भारत के प्रमुख हिन्दू तीर्थ · और देखें »

भारत के मेलों की सूची

कोई विवरण नहीं।

नई!!: हरिद्वार और भारत के मेलों की सूची · और देखें »

भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - संख्या अनुसार

भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची (संख्या के क्रम में) भारत के राजमार्गो की एक सूची है। .

नई!!: हरिद्वार और भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - संख्या अनुसार · और देखें »

भारत के राष्ट्रीय उद्यान

नीचे दी गयी सूची भारत के राष्ट्रीय उद्यानों की है। 1936 में भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान था- हेली नेशनल पार्क, जिसे अब जिम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है। १९७० तक भारत में केवल ५ राष्ट्रीय उद्यान थे। १९८० के दशक में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और प्रोजेक्ट टाइगर योजना के अलावा वन्य जीवों की सुरक्षार्थ कई अन्य वैधानिक प्रावधान लागू हुए.

नई!!: हरिद्वार और भारत के राष्ट्रीय उद्यान · और देखें »

भारत के राष्‍ट्रीय चिन्ह

Indian Signs .

नई!!: हरिद्वार और भारत के राष्‍ट्रीय चिन्ह · और देखें »

भारत के शहरों की सूची

कोई विवरण नहीं।

नई!!: हरिद्वार और भारत के शहरों की सूची · और देखें »

भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची

यह सूचियों भारत के सबसे बड़े शहरों पर है। .

नई!!: हरिद्वार और भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची · और देखें »

भारतमाता

'''भारतमाता की कांस्य मूर्ति''' भारत को मातृदेवी के रूप में चित्रित करके भारतमाता या 'भारतम्बा' कहा जाता है। भारतमाता को प्राय: केसरिया या नारंगी रंग की साड़ी पहने, हाथ में भगवा ध्वज लिये हुए चित्रित किया जाता है तथा साथ में सिंह होता है। भारत में भारतमाता के बहुत से मन्दिर हैं। काशी का भारतमाता मन्दिर अत्यन्त प्रसिद्ध है जिसका उद्घाटन सन् १९३६ में स्वयं महात्मा गांधी ने किया था। हरिद्वार का भारतमाता मन्दिर भी बहुत प्रसिद्ध है। .

नई!!: हरिद्वार और भारतमाता · और देखें »

भारतमाता मन्दिर, हरिद्वार

हरिद्वार के भारतमाता मन्दिर के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि जी महाराज हैं। इसका निर्माण सन् १९८३ में हुआ था। इसमें भारत के प्राचीन ऋषि-मुनियों, वैज्ञानिकों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों आदि की मूर्तियों के अतिरिक्त भारतमाता की मूर्ति भी संस्थापित है। .

नई!!: हरिद्वार और भारतमाता मन्दिर, हरिद्वार · और देखें »

भारतीय शिक्षा का इतिहास

शिक्षा का केन्द्र: तक्षशिला का बौद्ध मठ भारतीय शिक्षा का इतिहास भारतीय सभ्यता का भी इतिहास है। भारतीय समाज के विकास और उसमें होने वाले परिवर्तनों की रूपरेखा में शिक्षा की जगह और उसकी भूमिका को भी निरंतर विकासशील पाते हैं। सूत्रकाल तथा लोकायत के बीच शिक्षा की सार्वजनिक प्रणाली के पश्चात हम बौद्धकालीन शिक्षा को निरंतर भौतिक तथा सामाजिक प्रतिबद्धता से परिपूर्ण होते देखते हैं। बौद्धकाल में स्त्रियों और शूद्रों को भी शिक्षा की मुख्य धारा में सम्मिलित किया गया। प्राचीन भारत में जिस शिक्षा व्यवस्था का निर्माण किया गया था वह समकालीन विश्व की शिक्षा व्यवस्था से समुन्नत व उत्कृष्ट थी लेकिन कालान्तर में भारतीय शिक्षा का व्यवस्था ह्रास हुआ। विदेशियों ने यहाँ की शिक्षा व्यवस्था को उस अनुपात में विकसित नहीं किया, जिस अनुपात में होना चाहिये था। अपने संक्रमण काल में भारतीय शिक्षा को कई चुनौतियों व समस्याओं का सामना करना पड़ा। आज भी ये चुनौतियाँ व समस्याएँ हमारे सामने हैं जिनसे दो-दो हाथ करना है। १८५० तक भारत में गुरुकुल की प्रथा चलती आ रही थी परन्तु मकोले द्वारा अंग्रेजी शिक्षा के संक्रमण के कारण भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था का अंत हुआ और भारत में कई गुरुकुल तोड़े गए और उनके स्थान पर कान्वेंट और पब्लिक स्कूल खोले गए। .

नई!!: हरिद्वार और भारतीय शिक्षा का इतिहास · और देखें »

भारतीय संस्कृति शोध प्रतिष्ठान, ऋषिकेश

भारतीय संस्कृति शोध प्रतिष्ठान (India Heritage Research Foundation) एक अन्तरराष्ट्रीय, अलाभेछु (non-profit) तथा मानवतावादी संस्था है। इसका मुख्यालय उत्तराखण्ड के ऋषिकेष में स्थित है। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती इसके संस्थापक अध्यक्ष हैं। यह प्रतिष्ठान नि:शुल्क विद्यालय चलाता है; कन्याओं/स्त्रियों के लिये व्यावसायिक कार्यक्रम संचालित करता है; स्वास्थ्य सेवायें (अस्पताल), अनाथालय, गुरुकुल तथा पर्यावरन रक्षा के क्षेत्र में काम करता है। इस प्रतिष्ठान ने हिन्दू धर्म एवं दर्शन का वृहद विश्वकोश तैयार किया है जिसका मार्च २०१० में हरिद्वार कुंभ मेले के अवसर पर लोकार्पण किया गया। .

नई!!: हरिद्वार और भारतीय संस्कृति शोध प्रतिष्ठान, ऋषिकेश · और देखें »

महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ

महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी में स्थित एक विश्वविद्यालय है। पहले इसे केवल काशी विद्यापीठ के नाम से ही जाना जाता था किन्तु बाद में इसे भारत के महान नेता महात्मा गाँधी को पुनः समर्पित किया गया और उनका नाम इसके साथ जोड़ दिया गया (११ जुलाई १९९५)। इस विश्वविद्यालय में स्नातक, परास्नातक एवं अनुसंधान स्तर की शिक्षा उपलब्ध है। विश्वविद्यालय ने देश के प्रतिष्ठित पत्रिका इंडिया टुडे के सर्वे में देश भर में 13वां स्थान अर्जित किया। .

नई!!: हरिद्वार और महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ · और देखें »

महात्मा गांधी सम्मान

महात्मा गांधी सम्मान, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 125वें जन्म वर्ष की पावन स्मृति में गांधी विचार दर्शन के अनुरूप समाज में रचनात्मक पहल, साम्प्रदायिक सद्भाव एवं सामाजिक समरसता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश शासन ने वर्ष 1995 में स्थापित किया है। गांधी सम्मान का मूल प्रयोजन गांधी जी की विचारधारा के अनुसार अहिंसक उपायों द्वारा सामाजिक और आथिर्क क्रांति के क्षेत्र में संस्थागत साधना को सम्मानित और प्रोत्साहित करना है। .

नई!!: हरिद्वार और महात्मा गांधी सम्मान · और देखें »

महाबली जोगराज सिंह गुर्जर

सर्वखाप सेना के प्रधान सेनापति महाबली दादावीर जोगराज पंवार जी महाराज .

नई!!: हरिद्वार और महाबली जोगराज सिंह गुर्जर · और देखें »

माघ मेला

माघ मेला हिन्दुओं का सर्वाधिक प्रिय धार्मिक एवं सांस्कृतिक मेला है। हिन्दू पंचांग के अनुसार १४ या १५ जनवरी को मकर संक्रांति के दिन माघ महीने में यह मेला आयोजित होता है। यह भारत के सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों में मनाया जाता है। नदी या सागर स्नान इसका मुख्य उद्देश्य होता है। धार्मिक गतिविधियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा पारंपरिक हस्त शिल्प, भोजन और दैनिक उपयोग की पारंपरिक वस्तुओं की बिक्री भी की जाती है। धार्मिक महत्त्व के अलावा यह मेला एक विकास मेला भी है तथा इसमें राज्य सरकार विभिन्न विभागों के विकास योजनाओं को प्रदर्शित करती है। प्रयाग, उत्तरकाशी, हरिद्वार इत्यादि स्थलों का माघ मेला प्रसिद्ध है। कहते हैं, माघ के धार्मिक अनुष्ठान के फलस्वरूप प्रतिष्ठानपुरी के नरेश पुरुरवा को अपनी कुरूपता से मुक्ति मिली थी। वहीं भृगु ऋषि के सुझाव पर व्याघ्रमुख वाले विद्याधर और गौतम ऋषि द्वारा अभिशप्त इंद्र को भी माघ स्नान के महाम्त्य से ही श्राप से मुक्ति मिली थी। पद्म पुराण के महात्म्य के अनुसार-माघ स्नान से मनुष्य के शरीर में स्थित उपाताप जलकर भस्म हो जाते हैं। इस प्रकार माघमेले का धार्मिक महत्त्व भी है। .

नई!!: हरिद्वार और माघ मेला · और देखें »

मौनी अमावस्या

माघ मास की अमावस्या जिसे मौनी अमावस्या कहते हैं। यह योग पर आधारित महाव्रत है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगममें देवताओं का निवास होता है इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस मास को भी कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है। गंगा तट पर इस करणभक्त जन एक मास तक कुटी बनाकर गंगा सेवन करते हैं। .

नई!!: हरिद्वार और मौनी अमावस्या · और देखें »

मोटेश्वर महादेव मन्दिर

मोटेश्वर महादेव मंदिर भारत के उत्तरी राज्य उत्तराखण्ड के उधमसिंह नगर जिले के काशीपुर तहसील में स्थित एक मन्दिर है। यहां के चैती मैदान में महादेव नगर के किनारे चैती मंदिर स्थित यह मंदिर महाभारत कालीन बताया जाता है और इसका शिवलिंग बारहवां उप ज्योतिर्लिंग माना जाता है। शिवलिंग की मोटाई अधिक होने के कारण यह मोटेश्वर महादेव मंदिर के नाम से विख्यात है। स्कंद पुराण के अनुसार भगवान शिव ने कहा कि जो भक्त कांवड़ कंधे पर रखकर हरिद्वार से गंगा जल लाकर यहां चढ़ाएगा, उसे मोक्ष मिलेगा। इसी मान्यता के कारण लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर यहा लोग कांवड़ चढ़ाते हैं। मोटेश्वर महादेव मंदिर दूसरी मंजिल पर है। इस शिवलिंग के चारों ओर तांबे का फर्श बना है और इसे जागेश्वर के एक कारीगर ने बनाया था। शिवलिंग की मोटाई अधिक होने के कारण इसे कोई अपने दोनों हाथों से घेर नहीं पाता है। .

नई!!: हरिद्वार और मोटेश्वर महादेव मन्दिर · और देखें »

मोतीचूर रेलवे स्टेशन

मोतीचूर रेलवे स्टेशन उत्तर रेलवे नेटवर्क पर भारतीय रेल का एक  रेलवे स्टेशन है। .

नई!!: हरिद्वार और मोतीचूर रेलवे स्टेशन · और देखें »

यमुनोत्तरी

यमुनोत्तरी मंदिर के कपाट वैशाख माह की शुक्ल अक्षय तृतीया को खोले जाते और कार्तिक माह की यम द्वितीया को बंद कर दिए जाते हैं। यमुनोत्तरी मंदिर का अधिकांश हिस्सा सन १८८५ ईस्वी में गढ़वाल के राजा सुदर्शन शाह ने लकड़ी से बनवाया था, वर्तमान स्वरुप के मंदिर निर्माण का श्रेय गढ़वाल नरेश प्रताप शाह को है। भूगर्भ से उत्पन्न ९० डिग्री तक गर्म पानी के जल का कुंड सूर्य-कुंड और पास ही ठन्डे पानी का कुंड गौरी कुंड यहाँ सबसे उल्लेखनीय स्थल हैं| श्रेणी:हिन्दू तीर्थ स्थल श्रेणी:भारत श्रेणी:भारत के तीर्थ.

नई!!: हरिद्वार और यमुनोत्तरी · और देखें »

योग ग्राम

योग ग्राम का उद्घाटन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री बी.सी.खंडूरी द्वारा 8 जून 2008 को किया गया था। योग ग्राम हरिद्वार में स्थित है और एक ऐसा गाँव है जहाँ शुद्ध प्राकृतिक माहौल है। यहाँ नशामुक्त समाज है और जैविक खेती होती है जो सौ प्रतिशत विष-मुक्त है। योग ग्राम की संकल्पना योग गुरु बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्या बालकृष्ण की है। .

नई!!: हरिद्वार और योग ग्राम · और देखें »

रमेश पोखरियाल

रमेश पोखरियाल "निशंक" (जन्म 15 जुलाई १९५८) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वे उत्तराखण्ड भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता हैं और एक हिन्दी कवि भी हैं।वे वर्तमान समय में हरिद्वार क्षेत्र से लोक सभा सांसद है और लोक सभा आश्वासन समिति के अध्यक्ष हैं। डाॅ0 रमेश पोखरियाल जी उत्तराखण्ड राज्य के पाँचवे मुख्यमंत्री रहे हैं। .

नई!!: हरिद्वार और रमेश पोखरियाल · और देखें »

राम मंदिर, हरिद्वार

राममंदिर - देवभूमि हरिद्वार में आकार ले रहा है। निर्माण पूरा होने जाने के बाद यह विश्व का सबसे बड़ा श्रीराम मंदिर होगा। ये मंदिर हर दृष्टिकोण से अनुपम होगा और आकार-प्रकार में दुनिया का सबसे बड़ा श्रीराम मंदिर होगा। इस मंदिर का निर्माण श्रीमठ, पंचगंगा घाट, काशी के नियंत्रणाधीन जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्मारक सेवा न्यास के द्वारा हो रहा है। काशी का श्रीमठ - सगुण एवं निर्गुण राम भक्ति परम्परा और रामानंद सम्प्रदाय का एकमात्र मूल आचार्यपीठ है। इस अद्वितीय श्रीराम मंदिर के निर्माण का संकल्प लिया है, श्रीमठ के वर्तमान पीठाधीश्वर और अनंतश्री विभूषित जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज ने मंदिर का शिलान्यास सह भूमि पूजन कर्नाटक के उड्डपी स्थित पेजावर स्वामी जगद्गुरु मध्वाचार्य स्वामी श्रीविश्वेशतीर्थ जी महाराज के कर कमलों द्वारा १८ नवम्बर २००५ को हुआ था। .

नई!!: हरिद्वार और राम मंदिर, हरिद्वार · और देखें »

राम शर्मा

पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य (२० सितम्बर १९११ - ०२ जून १९९०) भारत के एक युगदृष्टा मनीषी थे जिन्होने अखिल भारतीय गायत्री परिवार की स्थापना की। उनने अपना जीवन समाज की भलाई तथा सांस्कृतिक व चारित्रिक उत्थान के लिये समर्पित कर दिया। उन्होने आधुनिक व प्राचीन विज्ञान व धर्म का समन्वय करके आध्यात्मिक नवचेतना को जगाने का कार्य किया ताकि वर्तमान समय की चुनौतियों का सामना किया जा सके। उनका व्यक्तित्व एक साधु पुरुष, आध्यात्म विज्ञानी, योगी, दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, लेखक, सुधारक, मनीषी व दृष्टा का समन्वित रूप था। .

नई!!: हरिद्वार और राम शर्मा · और देखें »

रामदेव

रामकृष्ण यादव भारतीय योग-गुरु हैं, जिन्हें अधिकांश लोग स्वामी रामदेव के नाम से जानते हैं। उन्होंने योगासन व प्राणायामयोग के क्षेत्र में योगदान दिया है। रामदेव जगह-जगह स्वयं जाकर योग-शिविरों का आयोजन करते हैं, जिनमें प्राय: हर सम्प्रदाय के लोग आते हैं। रामदेव अब तक देश-विदेश के करोड़ों लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से योग सिखा चुके हैं। भारत से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिये अभियान इन्होंने प्रारम्भ किया।। .

नई!!: हरिद्वार और रामदेव · और देखें »

रामस्वामी वेंकटरमण

रामस्वामी वेंकटरमण, (रामास्वामी वेंकटरमन, रामास्वामी वेंकटरामण या रामास्वामी वेंकटरमण)(४ दिसंबर १९१०-२७ जनवरी २००९) भारत के ८वें राष्ट्रपति थे। वे १९८७ से १९९२ तक इस पद पर रहे। राष्ट्रपति बनने के पहले वे ४ वर्षों तक भारत के उपराष्ट्रपति रहे। मंगलवार को २७ जनवरी को लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। वे ९८ वर्ष के थे। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत देश भर के अनेक राजनेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने २:३० बजे दिल्ली में सेना के रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में अंतिम साँस ली। उन्हें मूत्राशय में संक्रमण (यूरोसेप्सिस) की शिकायत के बाद विगत १२ जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे साँस संबंधी बीमारी से भी पीड़ित थे। उनका कार्यकाल १९८७ से १९९२ तक रहा। राष्ट्रपति पद पर आसीन होने से पूर्व वेंकटरमन करीब चार साल तक देश के उपराष्ट्रपति भी रहे। .

नई!!: हरिद्वार और रामस्वामी वेंकटरमण · और देखें »

रुड़की

रुड़की, भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर और नगरपालिका परिषद है। इसे रुड़की छावनी के नाम से भी जाना जाता है और यह देश की सबसे पुरानी छावनियों में से एक है और १८५३ से बंगाल अभियांत्रिकी समूह (बंगाल सैप्पर्स) का मुख्यालय है। यह नगर गंग नहर के तट पर राष्ट्रीय राजमार्ग ५८ पर देहरादून और दिल्ली के मध्य स्थित है। .

नई!!: हरिद्वार और रुड़की · और देखें »

रुद्रदत्त शर्मा

रुद्रदत्त शर्मा उच्चकोटि के सम्पादक ही नहीं अपितु एक साहित्यकार भी थे। विद्वत समाज में आप 'सम्पादकाचार्य' के रूप में जाने जाते थे। आपने 'इन्द्रप्रस्थ' (दिल्ली से), 'आर्यविनय' (मुरादाबाद), 'भारतमित्र' (कलकत्ता), 'आर्यमित्र' (आगरा) और 'सत्यवादी' (हरिद्वार) तथा 'भारतोदय' का भी सफलतापूर्वक सम्पादन किया। आपकी साहित्यिक कृतियों में- वीरसिंह दरोगा, जर्मन जासूस, पुराणपरीक्षा, कंठी-जनेउ का विवाह और हिन्दी पत्रों का इतिहास आदि हैं। श्रेणी:हिन्दी पत्रकार.

नई!!: हरिद्वार और रुद्रदत्त शर्मा · और देखें »

शांतिकुंज

शान्तिकुंज, हरिद्वार में गंगा तट पर स्थित एक स्थान है जहाँ अखिल भारतीय गायत्री परिवार का मुख्यालय है। श्रेणी:हरिद्वार.

नई!!: हरिद्वार और शांतिकुंज · और देखें »

शिवालिक नगर

शिवालिक नगर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के हरिद्वार जिले में स्थित एक नगर है। यह नगर भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड, रानीपुर टाउनशिप और राज्य सरकार की सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र के किनारे, और साथ ही हिंदू तीर्थस्थल हरिद्वार से 10 किमी की दूरी पर स्थित है। यह हिमालय की शिवालिक पर्वतमालाओं के तलहटी में बसा है, जिस कारण इसका नाम शिवालिका नगर रखा गया, शिवालिक नगर मौसमी नाला “रानीपुर राव” के किनारे पर बसा है। यह दिल्ली और माणा पास के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग 58 के करीब है। इसके पड़ोसी क्षेत्र, पथरी, रोशनबाद, रोहल्की और ज्वालापुर है। शिवलिक नगर 1980 के दशक में आवास विकास या राज्य आवास विकास बोर्ड द्वारा बीएचईएल कर्मचारियों के लिए एक निजी आवासीय कॉलोनी के रूप में विकसित किया गया था। धीरे-धीरे यह चार चरणों में एक बड़ी कॉलोनी में विकसित हुआ, चरण 1, चरण II, चरण III और चरण V के पश्चिमी छोर पर एक औद्योगिक क्षेत्र है। हरिद्वार शहर में बढ़ते धार्मिक पर्यटन के साथ अगले दशक में यह तेजी से बढ़ रहा था, और 1998 में हरिद्वार जिले के गठन के बाद जिला प्रशासनिक भवनों के करीब आने के दौरान विकास में एक बड़ा वृद्धि हुई। भेल से सटे शिवालिक नगर को अलग नगर पंचायत या पालिका का दर्जा दिए जाने की मांग लंबे समय से चल रही थी। कई सरकारें आने-जाने के बाद 14 फरवरी 2014 को शिवालिक नगर अलग नगर पालिका बना दी गई। अभी तक पालिका में शिवालिक नगर के अलावा टिहरी विस्थापित कालोनी, सुभाषनगर के अलावा रामधाम व गंगानगरी कालोनी के रूप में रावली महदूद और सलेमपुर का आंशिक क्षेत्र शामिल किया गया था। यह हरिद्वार शहर से जुड़ा हुआ है, जोकि 10 किमी (6.2 मील) लंबी सड़क के माध्यम से मध्य मार्ग के रूप में जाना जाता है, जो एक ही समय में रानीपुर मोड़ में विलय करता है। निकटतम रेलवे हरिद्वार रेलवे स्टेशन एवं ज्वालापुर रेलवे स्टेशन है, जो भारतीय रेलवे भारत के सभी हिस्सों से जुड़ा हुआ है। निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून है, हालांकि नई दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को प्राथमिकता दी जाती है। प्रशासनिक रूप से यह बहादराबाद ब्लॉक के भीतर और हरिद्वार लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के भीतर आता है। उत्तराखंड के राज्य औद्योगिक विकास निगम, सिडकुल का एकीकृत औद्योगिक एस्टेट (IIE) एवं भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड शिवलिक नगर के नजदीक स्थित है। .

नई!!: हरिद्वार और शिवालिक नगर · और देखें »

शक्ति पीठ

हिन्दू धर्म के अनुसार जहां सती देवी के शरीर के अंग गिरे, वहां वहां शक्ति पीठ बन गईं। ये अत्यंय पावन तीर्थ कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। .

नई!!: हरिद्वार और शक्ति पीठ · और देखें »

श्याम सिंह 'शशि'

डॉ श्याम सिंह 'शशि' (१९३५) हिन्दी साहित्यकार तथा समाजविज्ञानी हैं। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया है। २०१२ में उन्हें सर्बिया रिपब्लिक की राजधानी बेलग्रेड में नवगठित अंतरराष्ट्रीय रोमा संस्कृति विश्वविद्यालय का अध्यक्ष व कुलाधिपति मनोनीत किया गया है। डॉ॰ शशि के साहित्य पर विभिन्न विश्वविद्यालयों से अनेक एम.फिल, पी.एचडी.

नई!!: हरिद्वार और श्याम सिंह 'शशि' · और देखें »

श्रिया सरन

श्रिया सरन (जन्म 11 सितंबर 1982) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं। उन्होंने अपने कैरियर की शुरूआत संगीत वीडियो में अभिनय द्वारा की, साथ ही कलाकार बनने का अपना सपना पूरा करने के लिए, वे एक अभिनय स्टूडियो में भाग लेती रहीं। 2001 में इष्टम के साथ श्रीगणेश करते हुए, 2002 में अपनी पहली ज़बरदस्त हिट फ़िल्म संतोषम में भानु की भूमिका के ज़रिए उन्होंने तेलुगू सिनेमा का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। इस फ़िल्म के बाद वे कई तेलुगू फ़िल्मों में प्रमुख कलाकारों के साथ नज़र आईं, जबकि, साथ ही बॉलीवुड और तमिल फ़िल्म उद्योग में भी प्रवेश किया। 2007 में, शिवाजी: द बॉस में रजनीकांत के साथ अभिनय करने के बाद श्रिया सरन एक राष्ट्रीय हस्ती बन गईं, जिसके पश्चात उन्होंने कई बॉलीवुड, कॉलीवुड और हॉलीवुड फ़िल्म भी साईन कीं.

नई!!: हरिद्वार और श्रिया सरन · और देखें »

श्रीनगर, गढ़वाल का इतिहास

उत्तराखण्ड के इतिहास पर एक स्थानीय इतिहासकार तथा कई पुस्तकों के लेखक एस.पी.

नई!!: हरिद्वार और श्रीनगर, गढ़वाल का इतिहास · और देखें »

श्रीपाद दामोदर सतवलेकर

वेदमूर्ति श्रीपाद दामोदर सातवलेकर (19 सितंबर 1867 - 31 जुलाई 1968) वेदों का गहन अध्ययन करनेवाले शीर्षस्थ विद्वान् थे। उन्हें 'साहित्य एवं शिक्षा' के क्षेत्र में सन् 1968 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था। .

नई!!: हरिद्वार और श्रीपाद दामोदर सतवलेकर · और देखें »

श्रीभार्गवराघवीयम्

श्रीभार्गवराघवीयम् (२००२), शब्दार्थ परशुराम और राम का, जगद्गुरु रामभद्राचार्य (१९५०-) द्वारा २००२ ई में रचित एक संस्कृत महाकाव्य है। इसकी रचना ४० संस्कृत और प्राकृत छन्दों में रचित २१२१ श्लोकों में हुई है और यह २१ सर्गों (प्रत्येक १०१ श्लोक) में विभक्त है।महाकाव्य में परब्रह्म भगवान श्रीराम के दो अवतारों परशुराम और राम की कथाएँ वर्णित हैं, जो रामायण और अन्य हिंदू ग्रंथों में उपलब्ध हैं। भार्गव शब्द परशुराम को संदर्भित करता है, क्योंकि वह भृगु ऋषि के वंश में अवतीर्ण हुए थे, जबकि राघव शब्द राम को संदर्भित करता है क्योंकि वह राजा रघु के राजवंश में अवतीर्ण हुए थे। इस रचना के लिए, कवि को संस्कृत साहित्य अकादमी पुरस्कार (२००५) तथा अनेक अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। महाकाव्य की एक प्रति, कवि की स्वयं की हिन्दी टीका के साथ, जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रकाशित की गई थी। पुस्तक का विमोचन भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा ३० अक्टूबर २००२ को किया गया था। .

नई!!: हरिद्वार और श्रीभार्गवराघवीयम् · और देखें »

सत्यव्रत सिद्धांतालंकार

सत्यव्रत सिद्धांतालंकार (1898-1992) भारत के शिक्षाशास्त्री तथा सांसद थे। वे उपनिषदों के एक मूर्धन्य ज्ञाता थे। वे गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे तथा उन्होने शिक्षाशास्त्र एवं समाजशास्त्र पर कई पुस्तकें लिखीं। इन्होने स्वाधीनता अान्दोलन के दौरान सत्याग्रह में भाग लिया और कुछ समय जेल में भी रहे। उन्होंने ब्रह्मचर्य संदेश जैसी पुस्तकें लिखी और एकादशोपनिषद उनका सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ है जिसमें उन्होने मुख्य उपनिषदों का सुगम हिन्दी भाष्य लिखा है। वे पेशे से एक होम्योपैथी डॉक्टर थे। दूसरे राष्ट्रपति राधाकृष्णन ने, जो ख़ुद उपनिषदों की टीका लिख चुके थे, आपकी किताब के लिए प्राक्कथन लिखा था और आपको राज्यसभा के लिए मनोनीत भी किया था। १९६४ से १९६८ तक वे राज्य सभा के सदस्य रहे। .

नई!!: हरिद्वार और सत्यव्रत सिद्धांतालंकार · और देखें »

सन्त अतर सिंह

संत अतरसिंह (मार्च, 1867 - 21 जनवरी 1927) एक सिख सन्त एवं शिक्षाविद थे। .

नई!!: हरिद्वार और सन्त अतर सिंह · और देखें »

सप्त पुरियां

पुराणानुसार ये सात नगर या तीर्थ जो मोक्षदायक कहे गये हैं। वे हैं:-.

नई!!: हरिद्वार और सप्त पुरियां · और देखें »

सिंहस्थ

सिंहस्थ उज्जैन का महान स्नान पर्व है। बारह वर्षों के अंतराल से यह पर्व तब मनाया जाता है जब बृहस्पति सिंह राशि पर स्थित रहता है। पवित्र क्षिप्रा नदी में पुण्य स्नान की विधियां चैत्र मास की पूर्णिमा से प्रारंभ होती हैं और पूरे मास में वैशाख पूर्णिमा के अंतिम स्नान तक भिन्न-भिन्न तिथियों में सम्पन्न होती है। उज्जैन के महापर्व के लिए पारम्परिक रूप से दस योग महत्वपूर्ण माने गए हैं। .

नई!!: हरिद्वार और सिंहस्थ · और देखें »

संत पथिक

संत पथिक भारत के एक प्रसिद्ध सन्त थे। वे भजन व कवित्व के माध्यम से काफी हृदयस्पर्शी वाणी का सृजन करते रहे। हरिद्वार आदि तीर्थ में आपका निवास रहा करता और देश मे विचरण करते रहते थे। प्रायः उस समय के सब सन्त इनके मित्र रहे। .

नई!!: हरिद्वार और संत पथिक · और देखें »

संरचना इंजीनियरी

विश्व की सबसे बड़ी इमारत - '''बुर्ज दुबई''' संरचना इंजीनियरी, इंजीनियरी की वह शाखा है जो लोड (बल) सहन करने या बल का प्रतिरोध करने के के लिये बनायी जाने वाली संरचनाओं (structures) के विश्लेषण एवं डिजाइन से सम्बन्ध रखती है। इसे प्रायः सिविल इंजीनियरी के अन्दर एक विशेषज्ञता का क्षेत्र समझा जाता है। संरचना इंजीनियर का काम प्रायः भवनों तथा विशाल गैर-भवन संरचनाओं की डिजाइन करना होता है किन्तु वे मशीनरी, चिकित्सा उपकरण, वाहनों आदि के डिजाइन से भी जुड़े हो सकते हैं। संरचना इंजीनियरी का सिद्धान्त भौतिक नियमों तथा विभिन्न पदार्थों/ज्यामितियों के गुणधर्म से सम्बन्धित अनुभवजन्य ज्ञान पर आधारित है। अनेकों छोटे छोटे संरचनात्मक अवयवों के योग से जटिल संरचनाएँ निर्मित की जातीं हैं। संरचना इंजीनियर को लोहे और इस्पात का ही नहीं, बल्कि लकड़ी, ईंट, पत्थर, चूना और सीमेंट का भी आधुनिकतम ज्ञान तथा यांत्रिक एवं विद्युत् इंजीनियरी के कामों में भी दक्ष होना चाहिए, क्योंकि इन्हें अपने ढाँचे यांत्रिकी तथा भौतिकी के सिद्धांतों के अनुसार निरापद ढंग से बनाने पड़ते हैं। भूमि, जल और वायु की प्रकृति का भी पूर्ण ज्ञान सिविल इंजीनियर के समान ही होना चाहिए। .

नई!!: हरिद्वार और संरचना इंजीनियरी · और देखें »

संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द

हिन्दी भाषी क्षेत्र में कतिपय संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द प्रचलित हैं। जैसे- सप्तऋषि, सप्तसिन्धु, पंच पीर, द्वादश वन, सत्ताईस नक्षत्र आदि। इनका प्रयोग भाषा में भी होता है। इन शब्दों के गूढ़ अर्थ जानना बहुत जरूरी हो जाता है। इनमें अनेक शब्द ऐसे हैं जिनका सम्बंध भारतीय संस्कृति से है। जब तक इनकी जानकारी नहीं होती तब तक इनके निहितार्थ को नहीं समझा जा सकता। यह लेख अभी निर्माणाधीन हॅ .

नई!!: हरिद्वार और संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द · और देखें »

सुदर्शनाचार्य

जगद्गुरु सुदर्शनाचार्य (जन्म: 27 मई 1937, मृत्यु: 22 मई 2007) श्री रामानुजाचार्य द्वारा स्थापित वैष्णव सम्प्रदाय के एक प्रख्यात हिन्दू सन्त थे जिन्हें तपोबल से असंख्य सिद्धियाँ प्राप्त थीं। राजस्थान प्रान्त में सवाई माधोपुर जिले के पाड़ला ग्राम में एक ब्राह्मण जाति के कृषक परिवार में शिवदयाल शर्मा के नाम से जन्मे इस बालक को मात्र साढ़े तीन वर्ष की आयु में ही धर्म के साथ कर्तव्य का वोध हो गया था। बचपन से ही धार्मिक रुचि जागृत होने के कारण उन्होंने सात वर्ष की आयु में ही मानव सेवा का सर्वोत्कृष्ट धर्म अपना लिया था। वेद, पुराण व दर्शनशास्त्र का गम्भीर अध्ययन करने के उपरान्त उन्होंने बारह वर्ष तक लगातार तपस्या की और भूत, भविष्य व वर्तमान को ध्यान योग के माध्यम से जानने की अतीन्द्रिय शक्ति प्राप्त की। उन्होंने फरीदाबाद के निकट बढकल सूरजकुण्ड रोड पर 1990 में सिद्धदाता आश्रम की स्थापना की जो आजकल एक विख्यात सिद्धपीठ का रूप धारण कर चुका है। 1998 में हरिद्वार के महाकुम्भ में सभी सन्त महात्मा एकत्र हुए और सभी ने एकमत होकर उन्हें जगद्गुरु की उपाधि प्रदान की। आश्रम में उनके द्वारा स्थापित धूना आज भी उनकी तपश्चर्या के प्रभाव से अनवरत उसी प्रकार सुलगता रहता है जैसा उनके जीवित रहते सुलगता था। सुदर्शनाचार्य तो अब ब्रह्मलीन (दिवंगत) हो गये परन्तु भक्तों के दर्शनार्थ उनकी चरणपादुकायें (खड़ाऊँ) उनकी समाधि के समीप स्थापित कर दी गयी हैं। सिद्धदाता आश्रम में आज भी उनके भक्तों का मेला लगा रहता है। यहाँ आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या सम्प्रदाय का हो, बिना किसी भेदभाव के प्रवेश की अनुमति है। वर्तमान में स्वामी पुरुषोत्तम आचार्य यहाँ आने वाले श्रद्धालु भक्तों की समस्या सुनते हैं और सिद्धपीठ की आज्ञानुसार उसका समाधान सुझाते हैं। यह आश्रम आजकल देश विदेश से आने वाले लाखों लोगों के लिये एक तीर्थस्थल बन चुका है। .

नई!!: हरिद्वार और सुदर्शनाचार्य · और देखें »

सुश्रुत

सुश्रुत प्राचीन भारत के महान चिकित्साशास्त्री एवं शल्यचिकित्सक थे। उनको शल्य चिकित्सा का जनक कहा जाता है। .

नई!!: हरिद्वार और सुश्रुत · और देखें »

स्वामी दयानन्द सरस्वती

स्वामी दयानन्द सरस्वती महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती (१८२४-१८८३) आधुनिक भारत के महान चिन्तक, समाज-सुधारक व देशभक्त थे। उनका बचपन का नाम 'मूलशंकर' था। उन्होंने ने 1874 में एक महान आर्य सुधारक संगठन - आर्य समाज की स्थापना की। वे एक संन्यासी तथा एक महान चिंतक थे। उन्होंने वेदों की सत्ता को सदा सर्वोपरि माना। स्वामीजी ने कर्म सिद्धान्त, पुनर्जन्म, ब्रह्मचर्य तथा सन्यास को अपने दर्शन के चार स्तम्भ बनाया। उन्होने ही सबसे पहले १८७६ में 'स्वराज्य' का नारा दिया जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया। स्वामी दयानन्द के विचारों से प्रभावित महापुरुषों की संख्या असंख्य है, इनमें प्रमुख नाम हैं- मादाम भिकाजी कामा, पण्डित लेखराम आर्य, स्वामी श्रद्धानन्द, पण्डित गुरुदत्त विद्यार्थी, श्यामजी कृष्ण वर्मा, विनायक दामोदर सावरकर, लाला हरदयाल, मदनलाल ढींगरा, राम प्रसाद 'बिस्मिल', महादेव गोविंद रानडे, महात्मा हंसराज, लाला लाजपत राय इत्यादि। स्वामी दयानन्द के प्रमुख अनुयायियों में लाला हंसराज ने १८८६ में लाहौर में 'दयानन्द एंग्लो वैदिक कॉलेज' की स्थापना की तथा स्वामी श्रद्धानन्द ने १९०१ में हरिद्वार के निकट कांगड़ी में गुरुकुल की स्थापना की। .

नई!!: हरिद्वार और स्वामी दयानन्द सरस्वती · और देखें »

स्वामी निगमानन्द (गंगाभक्त)

स्वामी निगमानन्द (१९७७ - १४ जून २०११) सत्यान्वेशी संन्यासी एवं भारत के महान पर्यावरण कार्यकर्ता थे जिन्होने गंगा नदी में अवैध खनन की समाप्ति के लिये लंबा अनसन किया जिसके कारण उनका देहान्त हो गया। सन्यास लेने के पूर्व उनका नाम 'स्वरूपम झा' था। वे बचपन से तेजस्वी व जिद्दी स्वभाव के थे। उन्होने सत्य की खोज में सन १९९५ में घर का त्याग कर दिया था। सन १९९८ के कुंभ में जानकारी मिली थी कि निगमानंद हरिद्वार में हैं। .

नई!!: हरिद्वार और स्वामी निगमानन्द (गंगाभक्त) · और देखें »

स्वामी माधवाश्रम

शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम जी महाराज भारत के उत्तरांचल राज्य में बद्रीनाथ तीर्थ के समीप जोशीमठ तीर्थ स्थित ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य हैं। यह आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठों में से एक है। स्वामी जी उत्तराखण्ड क्षेत्र से शंकरारार्य के पद पर सुशोभित होने वाले पहले संन्यासी हैं। वे अखिल भारतीय धर्म संघ समेत विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के अघ्यक्ष एवं सदस्य हैं। स्वामी माधवाश्लम का जन्म उत्तरांचल के रुद्रप्रयाग जिले के अन्तर्गत बेंजी ग्राम में हुआ था। इनका मूल नाम केशवानन्द था। आरम्भिक विद्यालयी शिक्षा के पश्चात इन्होंने हरिद्वार, अम्बाला में सनातन धर्म संस्कृत कॉलेज, वृंदावन में बंशीवट में श्री प्रभुदत्त ब्रह्मचारी जी के आश्रम एवं वाराणसीसमेत देश के विभिन्न स्थानों पर वेदों एवं धर्मशास्त्रों की दीक्षा ली। विवाह के उपरान्त कुछ वर्ष पश्चात इन्होंने संन्यास ग्रहण किया। इनकी विद्वता को देखते हुए धर्म संघ के तत्वाधान में धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी के आशीर्वाद से जगन्नाथ पुरीपीठ के तत्कालीन शंकराचार्य स्वामी निरंजनदेव तीर्थ जी ने इन्हें ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य नियुक्त किया। तब से वे इस परम्परा का बखूबी पालन कर रहे हैं। स्वामी जी धर्मप्रचार एवं गौहत्या विरोधी विभिन्न आंदोलनों एवं संगठनों से जुड़े हैं। श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन श्रेणी:हिन्दू आध्यात्मिक नेता.

नई!!: हरिद्वार और स्वामी माधवाश्रम · और देखें »

स्वामी रामनरेशाचार्यजी महाराज

अयोधया स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज- स्वामीजी सगुण एवं निर्गुण रामभक्ति परंपरा और रामानंद सम्प्रदाय के मूल आचार्यपीठ-श्रीमठ, काशी के वर्तमान पीठाधीश्वर हैं। वर्ष १९८८ में उन्हें जगदगुरु रामानंदाचार्य के पद पर प्रतिष्ठित किया गया। इनका जन्म वसंत पंचमी के दिन बिहार के भोजपुर जिलान्तर्गत परसियां गांव में हुआ। आरंभिक शिक्षा गांव में पायी और 12 साल की उम्र में घर छोड़कर वाराणसी चले गये। तब से आजतक घर वापस नहीं लौटे.

नई!!: हरिद्वार और स्वामी रामनरेशाचार्यजी महाराज · और देखें »

स्वामी रामानन्दाचार्य

स्वामी रामानंद को मध्यकालीन भक्ति आंदोलन का महान संत माना जाता है। उन्होंने रामभक्ति की धारा को समाज के निचले तबके तक पहुंचाया। वे पहले ऐसे आचार्य हुए जिन्होंने उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार किया। उनके बारे में प्रचलित कहावत है कि - द्वविड़ भक्ति उपजौ-लायो रामानंद। यानि उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार करने का श्रेय स्वामी रामानंद को जाता है। उन्होंने तत्कालीन समाज में ब्याप्त कुरीतियों जैसे छूयाछूत, ऊंच-नीच और जात-पात का विरोध किया। .

नई!!: हरिद्वार और स्वामी रामानन्दाचार्य · और देखें »

स्वामी श्रद्धानन्द

स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती (२ फरवरी, १८५६ - २३ दिसम्बर, १९२६) भारत के शिक्षाविद, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा आर्यसमाज के संन्यासी थे जिन्होंने स्वामी दयानन्द सरस्वती की शिक्षाओं का प्रसार किया। वे भारत के उन महान राष्ट्रभक्त संन्यासियों में अग्रणी थे, जिन्होंने अपना जीवन स्वाधीनता, स्वराज्य, शिक्षा तथा वैदिक धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय आदि शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की और हिन्दू समाज को संगठित करने तथा १९२० के दशक में शुद्धि आन्दोलन चलाने में महती भूमिका अदा की। .

नई!!: हरिद्वार और स्वामी श्रद्धानन्द · और देखें »

स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि

स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि जी (जन्म: १९ सितम्बर १९३२) एक आध्यात्मिक गुरु हैं। उन्हें ज्योतिर्मठ उपपीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य बनाया गया। किन्तु १९६९ में उन्होने इस पद को स्वेच्छा से त्याग दिया। उन्होने हरिद्वार में भारतमाता मन्दिर की स्थापना की। .

नई!!: हरिद्वार और स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि · और देखें »

स्वामी सोमदेव

स्वामी सोमदेव आर्य समाज के एक विद्वान धर्मोपदेशक थे। ब्रिटिश राज के दौरान पंजाब प्रान्त के लाहौर शहर में जन्मे सोमदेव का वास्तविक नाम ब्रजलाल चोपड़ा था। सन १९१५ में जिन दिनों वे स्वास्थ्य लाभ के लिये आर्य समाज शाहजहाँपुर आये थे उन्हीं दिनों समाज की ओर से राम प्रसाद 'बिस्मिल' को उनकी सेवा-सुश्रूषा में नियुक्त किया गया था। किशोरावस्था में स्वामी सोमदेव की सत्संगति पाकर बालक रामप्रसाद आगे चलकर 'बिस्मिल' जैसा बेजोड़ क्रान्तिकारी बन सका। रामप्रसाद बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा में मेरे गुरुदेव शीर्षक से उनकी संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित जीवनी लिखी है। सोमदेव जी उच्चकोटि के वक्‍ता तो थे ही, बहुत अच्छे लेखक भी थे। उनके लिखे हुए कुछ लेख तथा पुस्तकें उनके ही एक भक्‍त के पास थीं जो उसकी लापरवाही से नष्‍ट हो गयीं। उनके कुछ लेख प्रकाशित भी हुए थे। लगभग 57 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। .

नई!!: हरिद्वार और स्वामी सोमदेव · और देखें »

स्वामी विरजानन्द

स्वामी विरजानन्द(1778-1868), एक संस्कृत विद्वान, वैदिक गुरु और आर्य समाज संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती के गुरु थे। इनको मथुरा के अंधे गुरु के नाम से भी जाना जाता था। .

नई!!: हरिद्वार और स्वामी विरजानन्द · और देखें »

सैमुअल बॉर्न

सैमुअल बॉर्न (अंग्रेजी: Samuel Bourne), (30 अक्टूबर 1834 - 24 अप्रैल 1912) एक ब्रिटिश छायाकार (फोटोग्राफर) थे जिन्हें उनके भारत में सात साल के यानि 1863 से लेकर 1870 तक किए गये सर्जनात्मक काम के लिए जाना जाता है। इन्होने चार्ल्स शेफर्ड के साथ मिलकर बॉर्न एंड शेफर्ड (अंग्रेजी: Bourne & Shepherd) नामक कंपनी की स्थापना पहले सन 1863 में शिमला में और बाद में कोलकाता (कलकत्ता) में की थी; यह कंपनी आज भी मौजूद है। .

नई!!: हरिद्वार और सैमुअल बॉर्न · और देखें »

हर की पौड़ी

हर की पौड़ी या हरि की पौड़ी भारत के उत्तराखण्ड राज्य की एक धार्मिक नगरी हरिद्वार का एक पवित्र और सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। इसका भावार्थ है "हरि यानी नारायण के चरण"। .

नई!!: हरिद्वार और हर की पौड़ी · और देखें »

हरनामदत्त शास्त्री

हरनामदत्त शास्त्री (१८४३-१९१५) संस्कृत व्याकरण के विद्वान थे। इनका जन्म जगाधरी (वर्तमान हरियाणा में) में हुआ था। इनके पिता का नाम मुरारिदत्त था। वाराणसी में शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात आप पाणिनि व्याकरण शास्त्र के प्रख्यात भाष्याचार्य हुए। आप चूरु (राजस्थान) में स्थापित हरनामदत्त शास्त्री संस्कृत पाठशाला के प्रधान शिक्षक थे। भाष्याचार्य के वाराणसी निविष्ट शिष्य वर्ग में गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी, विद्यावाचस्पति बालचन्द्रजी, पंडित रामानन्दजी, पंडित जयदेवजी मिश्र तथा पंडित विलासरायजी के नाम उल्लेखनीय हैं। संस्कृत महाकाव्य, हरनामाम्रितम् विद्यावाचस्पति विद्याधर शास्त्री द्वारा लिखित एक काव्य जीवनी है। .

नई!!: हरिद्वार और हरनामदत्त शास्त्री · और देखें »

हरिद्वार तहसील

हरिद्वार तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में हरिद्वार जनपद की एक तहसील है। हरिद्वार जनपद के उत्तरी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय हरिद्वार नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में उत्तर प्रदेश राज्य का बिजनौर जिला, पश्चिम में रुड़की तहसील, उत्तर में गढ़वाल जनपद की कोटद्वार तहसील और देहरादून जनपद की ऋषिकेश तहसील, तथा दक्षिण में लक्सर तहसील है। .

नई!!: हरिद्वार और हरिद्वार तहसील · और देखें »

हरिद्वार जिला

हरिद्वार, जिसे हरद्वार भी कहा जाता है, भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है, जिसके मुख्यालय हरिद्वार नगर में स्थित हैं। इस जिले के उत्तर में देहरादून जिला, पूर्व में पौड़ी गढ़वाल जिला, पश्चिम में उत्तर प्रदेश राज्य का सहारनपुर जिला तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य के ही मुजफ्फरनगर तथा बिजनौर जिले हैं। हरिद्वार जिले की स्थापना २८ दिसंबर १९८८ को उत्तर प्रदेश राज्य के सहारनपुर मण्डल के अंतर्गत सहारनपुर जिले की हरिद्वार और रुड़की तहसीलों, मुजफ्फरनगर जिले की सदर तहसील के ५३ गांवों और बिजनौर जिले की नजीबाबाद तहसील के २५ गांवों को मिलाकर हुई थी। ९ नवंबर २००० को हरिद्वार नवगठित उत्तराखण्ड राज्य का हिस्सा बन गया। २०११ में १८,९०,४२२ की जनसंख्या के साथ यह उत्तराखण्ड का सबसे अधिक जनसंख्या वाला जिला है। हरिद्वार, भेल रानीपुर, रुड़की, मंगलाौर, धन्देरा, झबरेड़ा, लक्सर, लन्ढौरा और मोहनपुर-मोहम्मदपुर जिले के महत्वपूर्ण शहर हैं। .

नई!!: हरिद्वार और हरिद्वार जिला · और देखें »

हरिद्वार जंक्शन रेलवे स्टेशन

हरिद्वार जंक्शन रेलवे स्टेशन हरिद्वार शहर का रेलवे स्टेशन है। श्रेणी:रेलवे स्टेशन श्रेणी:उत्तराखण्ड के रेलवे स्टेशन.

नई!!: हरिद्वार और हरिद्वार जंक्शन रेलवे स्टेशन · और देखें »

हिन्दू तीर्थ

कोई विवरण नहीं।

नई!!: हरिद्वार और हिन्दू तीर्थ · और देखें »

हिमालय

हिमालय पर्वत की अवस्थिति का एक सरलीकृत निरूपण हिमालय एक पर्वत तन्त्र है जो भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया और तिब्बत से अलग करता है। यह पर्वत तन्त्र मुख्य रूप से तीन समानांतर श्रेणियों- महान हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक से मिलकर बना है जो पश्चिम से पूर्व की ओर एक चाप की आकृति में लगभग 2400 कि॰मी॰ की लम्बाई में फैली हैं। इस चाप का उभार दक्षिण की ओर अर्थात उत्तरी भारत के मैदान की ओर है और केन्द्र तिब्बत के पठार की ओर। इन तीन मुख्य श्रेणियों के आलावा चौथी और सबसे उत्तरी श्रेणी को परा हिमालय या ट्रांस हिमालय कहा जाता है जिसमें कराकोरम तथा कैलाश श्रेणियाँ शामिल है। हिमालय पर्वत पाँच देशों की सीमाओं में फैला हैं। ये देश हैं- पाकिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान और चीन। अन्तरिक्ष से लिया गया हिमालय का चित्र संसार की अधिकांश ऊँची पर्वत चोटियाँ हिमालय में ही स्थित हैं। विश्व के 100 सर्वोच्च शिखरों में हिमालय की अनेक चोटियाँ हैं। विश्व का सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट हिमालय का ही एक शिखर है। हिमालय में 100 से ज्यादा पर्वत शिखर हैं जो 7200 मीटर से ऊँचे हैं। हिमालय के कुछ प्रमुख शिखरों में सबसे महत्वपूर्ण सागरमाथा हिमाल, अन्नपूर्णा, गणेय, लांगतंग, मानसलू, रॊलवालिंग, जुगल, गौरीशंकर, कुंभू, धौलागिरी और कंचनजंघा है। हिमालय श्रेणी में 15 हजार से ज्यादा हिमनद हैं जो 12 हजार वर्ग किलॊमीटर में फैले हुए हैं। 72 किलोमीटर लंबा सियाचिन हिमनद विश्व का दूसरा सबसे लंबा हिमनद है। हिमालय की कुछ प्रमुख नदियों में शामिल हैं - सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र और यांगतेज। भूनिर्माण के सिद्धांतों के अनुसार यह भारत-आस्ट्र प्लेटों के एशियाई प्लेट में टकराने से बना है। हिमालय के निर्माण में प्रथम उत्थान 650 लाख वर्ष पूर्व हुआ था और मध्य हिमालय का उत्थान 450 लाख वर्ष पूर्व हिमालय में कुछ महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है। इनमें हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गोमुख, देव प्रयाग, ऋषिकेश, कैलाश, मानसरोवर तथा अमरनाथ प्रमुख हैं। भारतीय ग्रंथ गीता में भी इसका उल्लेख मिलता है (गीता:10.25)। .

नई!!: हरिद्वार और हिमालय · और देखें »

जयचन्द विद्यालंकार

जयचन्द विद्यालंकार (५ दिसंबर, १८९८ -) भारत के महान इतिहासकार एवं लेखक थे। वे स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती, गौरीशंकर हीराचन्द ओझा और काशीप्रसाद जायसवाल के शिष्य थे। उन्होने ‘भारतीय इतिहास परिषद’ नामक संस्था खड़ी की थी। उनका उद्देश्य भारतीय दृष्टि से समस्त अध्ययन को आयोजित करना और भारत की सभी भाषाओं में ऊंचे साहित्य का विकास करना था। जयचन्द विद्यालंकार ही भगत सिंह के राजनीतिक गुरु थे। जयचन्द्र विद्यालंकार भारत में इतिहास की ऐसी प्रतिभा माने जाते हैं कि लोगों ने इतिहास की उनकी मूल धारणाओं तक पहुँचने के लिये विधिवत हिन्दी का अध्ययन किया। उन्हें अपनी धारणाएं हिन्दी में ही सामने रखने की जिद थी। .

नई!!: हरिद्वार और जयचन्द विद्यालंकार · और देखें »

जगद्गुरु रामभद्राचार्य ग्रंथसूची

जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य (जगद्गुरु रामभद्राचार्य अथवा स्वामी रामभद्राचार्य के रूप में अधिक प्रसिद्ध) चित्रकूट धाम, भारत के एक हिंदू धार्मिकनेता, शिक्षाविद्, संस्कृतविद्वान, बहुभाषाविद, कवि, लेखक, टीकाकार, दार्शनिक, संगीतकार, गायक, नाटककार और कथाकलाकार हैं। उनकी रचनाओं में कविताएँ, नाटक, शोध-निबंध, टीकाएँ, प्रवचन और अपने ग्रंथों पर स्वयं सृजित संगीतबद्ध प्रस्तुतियाँ सम्मिलित हैं। वे ९० से अधिक साहित्यिक कृतियों की रचना कर चुके हैं, जिनमें प्रकाशित पुस्तकें और अप्रकाशित पांडुलिपियां, चार महाकाव्य,संस्कृत और हिंदी में दो प्रत्येक। तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस पर एक हिंदी भाष्य,अष्टाध्यायी पर पद्यरूप में संस्कृत भाष्य और प्रस्थानत्रयी शास्त्रों पर संस्कृत टीकाएँ शामिल हैं।दिनकर २००८, प्रप्र.

नई!!: हरिद्वार और जगद्गुरु रामभद्राचार्य ग्रंथसूची · और देखें »

जगन्नाथदास रत्नाकर

जगन्नाथदास रत्नाकर (१८६६ - २१ जून १९३२) आधुनिक युग के श्रेष्ठ ब्रजभाषा कवि थे। .

नई!!: हरिद्वार और जगन्नाथदास रत्नाकर · और देखें »

वंदना कटारिया

वंदना कटारिया (जन्म: 15 अप्रैल 1992) एक भारतीय मैदानी हॉकी खिलाड़ी हैं। यह मैदानी हॉकी के भारतीय राष्ट्रीय टीम में खेलती हैं। वंदना 2013 में देश में सबसे अधिक गोल करने में सफल रहीं थी। यह जूनियर महिला विश्व कप में कांस्य पदक विजेता बनी। यह स्पर्धा जर्मनी में हुआ था और इन्होंने पाँच गोल मर कर इस स्पर्धा में तीसरा सबसे अधिक गोल करने में सफल रहीं। यह अब तक 130 स्पर्धा में 35 गोल करने में सफल रही हैं। .

नई!!: हरिद्वार और वंदना कटारिया · और देखें »

खाप

खाप या सर्वखाप एक सामाजिक प्रशासन की पद्धति है जो भारत के उत्तर पश्चिमी प्रदेशों यथा राजस्थान, हरियाणा, पंजाब एवं उत्तर प्रदेश में अति प्राचीन काल से प्रचलित है। इसके अनुरूप अन्य प्रचलित संस्थाएं हैं पाल, गण, गणसंघ, सभा, समिति, जनपद अथवा गणतंत्र। समाज में सामाजिक व्यवस्थाओं को बनाये रखने के लिए मनमर्जी से काम करने वालों अथवा असामाजिक कार्य करने वालों को नियंत्रित किये जाने की आवश्यकता होती है, यदि ऐसा न किया जावे तो स्थापित मान्यताये, विश्वास, परम्पराए और मर्यादाएं ख़त्म हो जावेंगी और जंगल राज स्थापित हो जायेगा। मनु ने समाज पर नियंत्रण के लिए एक व्यवस्था दी। इस व्यवस्था में परिवार के मुखिया को सर्वोच्च न्यायाधीश के रूप में स्वीकार किया गया है। जिसकी सहायता से प्रबुद्ध व्यक्तियों की एक पंचायत होती थी। जाट समाज में यह न्याय व्यवस्था आज भी प्रचलन में है। इसी अधार पर बाद में ग्राम पंचायत का जन्म हुआ।डॉ ओमपाल सिंह तुगानिया: जाट समुदाय के प्रमुख आधार बिंदु, आगरा, 2004, पृ.

नई!!: हरिद्वार और खाप · और देखें »

गंगा देवी

गंगा (ဂင်္ဂါ, गिंगा; คงคา खोंखा) नदी को हिन्दू लोग को माँ एवं देवी के रूप में पवित्र मानते हैं। हिंदुओं द्वारा देवी रूपी इस नदी की पूजा की जाती है क्योंकि उनका विश्वास है कि इसमें स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। तीर्थयात्री गंगा के पानी में अपने परिजनों की अस्थियों का विसर्जन करने के लिए लंबी दूरी की यात्रा करते हैं ताकि उनके प्रियजन सीधे स्वर्ग जा सकें। हरिद्वार, इलाहबाद और वाराणसी जैसे हिंदुओं के कई पवित्र स्थान गंगा नदी के तट पर ही स्थित हैं। थाईलैंड के लॉय क्राथोंग त्यौहार के दौरान सौभाग्य प्राप्ति तथा पापों को धोने के लिए बुद्ध तथा देवी गंगा (พระแม่คงคา, คงคาเทวี) के सम्मान में नावों में कैंडिल जलाकर उन्हें पानी में छोड़ा जाता है। .

नई!!: हरिद्वार और गंगा देवी · और देखें »

गंगा नदी

गंगा (गङ्गा; গঙ্গা) भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है। यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर २,५१० किलोमीटर (कि॰मी॰) की दूरी तय करती हुई उत्तराखण्ड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुन्दरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है। देश की प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। २,०७१ कि॰मी॰ तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। १०० फीट (३१ मी॰) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ तथा देवी के रूप में की जाती है। भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौन्दर्य और महत्त्व के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित गंगा नदी के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किये गये हैं। इस नदी में मछलियों तथा सर्पों की अनेक प्रजातियाँ तो पायी ही जाती हैं, मीठे पानी वाले दुर्लभ डॉलफिन भी पाये जाते हैं। यह कृषि, पर्यटन, साहसिक खेलों तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। इसके तट पर विकसित धार्मिक स्थल और तीर्थ भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विशेष अंग हैं। इसके ऊपर बने पुल, बांध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से सम्बन्धित ज़रूरतों को पूरा करती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा की इस अनुपम शुद्धीकरण क्षमता तथा सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसको प्रदूषित होने से रोका नहीं जा सका है। फिर भी इसके प्रयत्न जारी हैं और सफ़ाई की अनेक परियोजनाओं के क्रम में नवम्बर,२००८ में भारत सरकार द्वारा इसे भारत की राष्ट्रीय नदी तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (१६०० किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है। .

नई!!: हरिद्वार और गंगा नदी · और देखें »

गंगा नहर

गंगा नहर पर बने एक पुराने पुल की तस्वीर जिसका निर्माण 1854 से पहले ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के दौरान किया गया था। यह तस्वीर एक चलती हुई कार से खींची गयी है।गंगा नहर, एक नहर प्रणाली है जिसका प्रयोग गंगा नदी और यमुना नदी के बीच के दोआब क्षेत्र की सिंचाई के लिए किया जाता है। यह नहर मुख्य रूप से एक सिंचाई नहर है, हालांकि इसके कुछ हिस्सों को नौवहन के लिए भी इस्तेमाल किया गया था, मुख्यतः इसकी निर्माण सामग्री के परिवहन हेतु। इस नहर प्रणाली में नौकाओं के लिए जल यातायात सुगम बनाने के लिए अलग से जलपाश युक्त नौवहन वाहिकाओं का निर्माण किया गया था। नहर का प्रारंभिक निर्माण 1842 से 1854 के मध्य, 6000 फीट³/ सेकण्ड के निस्सरण के लिए किया गया था। उत्तरी गंगा नहर को तब से समय के साथ आज के निस्सरण 10500 फुट³/सेकण्ड (295 मी³/सेकण्ड) के अनुसार धीरे धीरे बढ़ाया गया है। नहर प्रणाली में 272 मील लम्बी मुख्य नहर और 4000 मील लंबी वितरण वाहिकायें समाहित हैं। इस नहर प्रणाली से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के दस जिलों की लगभग 9000 किमी² उपजाऊ कृषि भूमि सींची जाती है। आज यह नहर प्रणाली इन राज्यों में कृषि समृद्धि का मुख्य स्रोत है और दोनो राज्यों के सिंचाई विभागों द्वारा इसका अनुरक्षण बड़े मनोयोग से किया जाता है। .

नई!!: हरिद्वार और गंगा नहर · और देखें »

गंगा का आर्थिक महत्त्व

गंगा में मत्स्य पालन गंगा भारत के आर्थिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है। उसके द्वारा सींची गई खेती, उसके वनों में आश्रित पशुपक्षी, उसके जल में पलने वाले मीन मगर, उसके ऊपर बने बाँधों से प्राप्त बिजली और पानी, उस पर ताने गए पुलों से बढ़ता यातायात और उसके जलमार्ग से होता आवागमन और व्यापार तथा पर्यटन उसे भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण साधन साबित करते हैं। गंगा अपनी उपत्यकाओं से भारत और बांग्लादेश की कृषि आधारित अर्थ में भारी सहयोग तो करती ही है, यह अपनी सहायक नदियों सहित बहुत बड़े क्षेत्र के लिए सिंचाई के बारहमासी स्रोत भी हैं। इन क्षेत्रों में उगाई जाने वाली प्रधान उपज में मुख्यतः धान, गन्ना, दाल, तिलहन, आलू एवं गेहूँ हैं। जो भारत की कृषि आज का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। गंगा के तटीय क्षेत्रों में दलदल एवं झीलों के कारण यहां लेग्यूम, मिर्चें, सरसों, तिल, गन्ने और जूट की अच्छी फसल होती है। नदी में मत्स्य उद्योग भी बहुत जोरों पर चलता है। गंगा नदी प्रणाली भारत की सबसे बड़ी नदी प्रणाली है। इसमें लगभग ३७५ मत्स्य प्रजातियाँ उपलब्ध हैं। वैज्ञानिकों द्वारा उत्तर प्रदेश व बिहार में १११ मत्स्य प्रजातियों की उपलब्धता बतायी गयी है। फरक्का बांध बन जाने से गंगा नदी में हिल्सा मछली के बीजोत्पादन में सहायता मिली है। गंगा का महत्व पर्यटन पर आधारित आय के कारण भी है। इसके तट पर ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तथा प्राकृति सौंदर्य से भरपूर कई पर्यटन स्थल है जो राष्ट्रीय आज का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। गंगा नदी पर रैफ्टिंग के शिविरों का आयोजन किया जाता है। जो साहसिक खेलों और पर्यावरण द्वारा भारत के आर्थिक सहयोग में सहयोग करते हैं। गंगा तट के तीन बड़े शहर हरिद्वार, इलाहाबाद एवं वाराणसी जो तीर्थ स्थलों में विशेष स्थान रखते हैं। इस कारण यहाँ श्रद्धालुओं की संख्या में निरंतर बनी रहता है और धार्मिक पर्यटन में महत्वपूर्म योगदान करती है। गर्मी के मौसम में जब पहाड़ों से बर्फ पिघलती है, तब नदी में पानी की मात्रा व बहाव अच्छा होता है, इस समय उत्तराखंड में ऋषिकेश - बद्रीनाथ मार्ग पर कौडियाला से ऋषिकेश के मध्य रैफ्टिंग के शिविरों का आयोजन किया जाता है, जो साहसिक खोलों के शौकीनों और पर्यटकों को विशेष रूप से आकर्षित कर के भारत के आर्थिक सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। .

नई!!: हरिद्वार और गंगा का आर्थिक महत्त्व · और देखें »

गंगा के बाँध एवं नदी परियोजनाएँ

श्रेणी:गंगा नदी.

नई!!: हरिद्वार और गंगा के बाँध एवं नदी परियोजनाएँ · और देखें »

गंगाबल झील

गंगाबल झील (Gangabal Lake) या गंगबल झील भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के गान्दरबल ज़िले में हरमुख पर्वत के चरणों में स्थित एक स्वच्छ पर्वतीय झील है।, gaffarakashmir.com, Accessed 2012-04-19 भौगोलिक दृष्टि से यह एक टार्न झील या गिरिताल की श्रेणी में आती है। .

नई!!: हरिद्वार और गंगाबल झील · और देखें »

गुच्छूपानी

गुच्छुपानी पिकनिक के लिए एक आदर्श स्थान है। यह देहरादून जिले में रॉबर्स केव सिटी बस स्टेंड से गढ़वा केंट होते हुए अनारवाला में स्थित केवल ८ कि॰मी॰ पर स्थित है। हरिद्वार-ऋषिकेश मार्ग पर लच्छीवाला-डोईवाला से 3 कि॰मी॰ और देहरादून से २२ कि॰मी॰ दूर है। सुंदर दृश्यावली वाला यह स्थान पिकनिक-स्पॉट है। यहाँ हरे-भरे स्थान पर फॉरेस्ट रेस्ट हाउस में पर्यटकों के लिए ठहरने की व्यवस्था है। बसें अनारवाला गाँव तक जाती है जहाँ से यहाँ पहुँचने के लिए एक किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। कई सारी विशेषताओं में से एक जो इसे अत्यंत लोकप्रिय जगह बनाती है, वह है धरती के नीचे से पानी की धारा का बहना और फिर कुछ मीटर की दूरी पर उसका प्रकट हो जाना। यह गुफा भी चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरी है और यह आत्मिक और मानसिक शांति की तलाश में जुटे व्यक्ति के लिए यह एक बेहतरीन अवसर उपलब्ध कराता है। श्रेणी:देहरादून.

नई!!: हरिद्वार और गुच्छूपानी · और देखें »

गुम्मावाला

गुम्मावाला गाँव रुडकी तहसील का एक छोटा सा गाँव है। प्रकृति की गोद में बसा एक सुन्दर गाँव गुम्मावाला है। चारो ओर से पेड-पौधो बडे-बडे वृक्षो से घिरा गाँव है। .

नई!!: हरिद्वार और गुम्मावाला · और देखें »

गुरु हनुमान

गुरु हनुमान (अंग्रेजी: Guru Hanuman, जन्म: १९०१, मृत्यु: १९९९) भारत के प्रख्यात कुश्ती प्रशिक्षक (कोच) तो थे ही, स्वयं बहुत अच्छे पहलवान भी थे। उन्‍होंने सम्‍पूर्ण विश्‍व में भारतीय कुश्‍ती को महत्‍वपूर्ण स्‍थान दिलाया। कुश्‍ती के क्षेत्र में विशेष उपलब्धियों के लिये उन्हें १९८३ में पद्मश्री पुरस्कार.

नई!!: हरिद्वार और गुरु हनुमान · और देखें »

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय भारत के उत्तराखण्ड राज्य के हरिद्वार शहर में स्थित है। इसकी स्थापना सन् १९०२ में स्वामी श्रद्धानन्द ने की थी। भारत में लार्ड मैकाले द्वारा प्रतिपादित अंग्रेजी माध्यम की पाश्चात्य शिक्षा नीति के स्थान पर राष्ट्रीय विकल्प के रूप में राष्ट्रभाषा हिन्दी के माध्यम से भारतीय साहित्य, भारतीय दर्शन, भारतीय संस्कृति एवं साहित्य के साथ-साथ आधुनिक विषयों की उच्च शिक्षा के अध्ययन-अध्यापन तथा अनुसंधान के लिए यह विश्वविद्यालय स्थापित किया गया था। इस विश्वविद्यालय का प्रमुख उद्देश्य जाति और छुआ-छूत के भेदभाव के बिना गुरु-शिष्य परम्परा के अन्तर्गत् अध्यापकों एवं विद्यार्थियों के मध्य निरन्तर घनिष्ट सम्बन्ध स्थापित कर छात्र-छात्राओं को प्राचीन एवं आधुनिक विषयों की शिक्षा देकर उनका मानसिक और शारीरिक विकास कर चरित्रवान आदर्श नागरिक बनाना है। विश्वविद्यालय हरिद्वार रेलवे स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। जून 1962 में भारत सरकार ने इस शिक्षण संस्था के राष्ट्रीय स्वरूप तथा शिक्षा के क्षेत्र में इसके अप्रतिम् योगदान को दृष्टि में रखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के एक्ट 1956 की धारा 3 के अन्तर्गत् समविश्वविद्यालय (डीम्ड यूनिवर्सिटी) की मान्यता प्रदान की और वैदिक साहित्य, संस्कृत साहित्य, दर्शन, हिन्दी साहित्य, अंग्रेजी, मनोविज्ञान, गणित तथा प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्त्व विषयों में स्नातकोत्तर अध्ययन की व्यवस्था की गई। उपरोक्त विषयों के अतिरिक्त वर्तमान में विश्वविद्यालय में भौतिकी, रसायन विज्ञान, कम्प्यूटर विज्ञान, अभियांत्रिकी, आयुर्विज्ञान व प्रबन्धन के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा स्थापित स्वायत्तशासी संस्थान ‘राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद्’ (NACC) द्वारा मई 2002 में विश्वविद्यालय को चार सितारों (****) से अलंकृत किया गया था। परिषद् के सदस्यों ने विश्वविद्यालय की संस्तुति यहां के परिवेश, शैक्षिक वातावरण, शुद्ध पर्यावरण, बृहत् पुस्तकालय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर के संग्रहालय आदि से प्रभावित होकर की थी। विश्वविद्यालय की सभी उपाधियां भारत सरकार/विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्य हैं। यह विश्वविद्यालय भारतीय विश्वविद्यालय संघ (A.I.U.) तथा कामनवैल्थ विश्वविद्यालय संघ का सदस्य है। .

नई!!: हरिद्वार और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय · और देखें »

गुर्जर प्रतिहार राजवंश

प्रतिहार वंश मध्यकाल के दौरान मध्य-उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से में राज्य करने वाला राजवंश था, जिसकी स्थापना नागभट्ट नामक एक सामन्त ने ७२५ ई॰ में की थी। इस राजवंश के लोग स्वयं को राम के अनुज लक्ष्मण के वंशज मानते थे, जिसने अपने भाई राम को एक विशेष अवसर पर प्रतिहार की भाँति सेवा की। इस राजवंश की उत्पत्ति, प्राचीन कालीन ग्वालियर प्रशस्ति अभिलेख से ज्ञात होती है। अपने स्वर्णकाल में साम्राज्य पश्चिम में सतुलज नदी से उत्तर में हिमालय की तराई और पुर्व में बगांल असम से दक्षिण में सौराष्ट्र और नर्मदा नदी तक फैला हुआ था। सम्राट मिहिर भोज, इस राजवंश का सबसे प्रतापी और महान राजा थे। अरब लेखकों ने मिहिरभोज के काल को सम्पन्न काल बताते हैं। इतिहासकारों का मानना है कि गुर्जर प्रतिहार राजवंश ने भारत को अरब हमलों से लगभग ३०० वर्षों तक बचाये रखा था, इसलिए गुर्जर प्रतिहार (रक्षक) नाम पड़ा। गुर्जर प्रतिहारों ने उत्तर भारत में जो साम्राज्य बनाया, वह विस्तार में हर्षवर्धन के साम्राज्य से भी बड़ा और अधिक संगठित था। देश के राजनैतिक एकीकरण करके, शांति, समृद्धि और संस्कृति, साहित्य और कला आदि में वृद्धि तथा प्रगति का वातावरण तैयार करने का श्रेय प्रतिहारों को ही जाता हैं। गुर्जर प्रतिहारकालीन मंदिरो की विशेषता और मूर्तियों की कारीगरी से उस समय की प्रतिहार शैली की संपन्नता का बोध होता है। .

नई!!: हरिद्वार और गुर्जर प्रतिहार राजवंश · और देखें »

आचार्यकुलम

आचार्यकुलम गुरुकुल पद्धति पर आधारित गुरुकुल शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा पद्धति का एक आवासीय शैक्षणिक संस्थान है, जो भारत देश के उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार में स्थित है। इसका उद्घाटन 26 अप्रैल 2014 को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा हुआ। यह संस्थान भारतीय योग-गुरु स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण द्वारा संयुक्त रूप से संचालित है। .

नई!!: हरिद्वार और आचार्यकुलम · और देखें »

आदि बद्री (हरियाणा)

आदि बद्री हरियाणा के यमुनानगर ज़िले में स्थित वनक्षेत्र है। यह स्थान पौराणिक महत्व रखने वाली, लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी का उद्गम स्थल है। .

नई!!: हरिद्वार और आदि बद्री (हरियाणा) · और देखें »

इलाहाबाद

इलाहाबाद उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक नगर एवं इलाहाबाद जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। इसका प्राचीन नाम प्रयाग है। इसे 'तीर्थराज' (तीर्थों का राजा) भी कहते हैं। इलाहाबाद भारत का दूसरा प्राचीनतम बसा नगर है। हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना और उस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा जहाँ भगवान श्री ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न किया था। इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहाँ माधव रूप में विराजमान हैं। भगवान के यहाँ बारह स्वरूप विध्यमान हैं। जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है। सबसे बड़े हिन्दू सम्मेलन महाकुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक हैं। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती है, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है। इलाहाबाद में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रधान महालेखाधिकारी (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय। भारत सरकार द्वारा इलाहाबाद को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना के लिये मिशन शहर के रूप में चुना गया है। .

नई!!: हरिद्वार और इलाहाबाद · और देखें »

इलाहाबाद/आलेख

इलाहाबाद (اللہآباد), जिसे प्रयाग (پریاگ) भी कहते हैं, उत्तर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक शहर एवं इलाहाबाद जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। शहर का प्राचीन नाम अग्ग्र (संस्कृत) है, अर्थात त्याग स्थल। हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम बलिदान दिया था। यही सबसे बड़े हिन्दी सम्मेलन महाकुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक हैं। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती है, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है। शहर का वर्तमान नाम मुगल सम्राट अकबर द्वारा १५८३ में रखा गया था। हिन्दी नाम इलाहाबाद का अर्थ अरबी शब्द इलाह (अकबर द्वारा चलाये गए नये धर्म दीन-ए-इलाही के सन्दर्भ से, अल्लाह के लिये) एवं फारसी से आबाद (अर्थात बसाया हुआ) – यानि ईश्वर द्वारा बसाया गया, या ईश्वर का शहर है। शहर में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रधान महालेखाधिकारी (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश राज्य हाईस्कूल एवं इंटरमीडियेट शिक्षा कार्यालय। इलाहाबाद भारत के १४ प्रधानमंत्रियों में से ७ से संबंधित रहा है: जवाहर लाल नेहरु, लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, गुलजारी लाल नंदा, विश्वनाथ प्रताप सिंह एवं चंद्रशेखर; जो या तो यहां जन्में हैं, या इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़े हैं या इलाहाबाद निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए हैं। भारत सरकार द्वारा इलाहाबाद को जवाहरलाल नेहरु अर्बन रिन्यूअल मिशन(JNNURM) के लिये मिशन शहर के रूप में चुना गया है, जिसके अन्तर्गत शहरी अवसंरचना में सुधार, दक्ष प्रशासन एवं शहरी नागरिकों हेतु आधारभूत सुविधाओं का प्रयोजन करना है। इलाहाबाद में संगम स्थल का दृश्य इलाहाबाद शहर देश के बड़े शहरों से सड़क व रेल यातायात द्वारा जुड़ा हुआ है। शहर में आठ रेलवे-स्टेशन हैं:प्रयाग रेलवे स्टेशन, इलाहाबाद सिटी रेलवे स्टेशन, दारागंज रेलवे स्टेशन, इलाहाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन, नैनी जंक्शन रेलवे स्टेशन, प्रयाग घाट रेलवे स्टेशन, सूबेदारगंज रेलवे स्टेशन और बमरौली रेलवे स्टेशन। .

नई!!: हरिद्वार और इलाहाबाद/आलेख · और देखें »

कनखल

कनखल के 'नया उदासीन अखाड़ा' का गृहमुख कनखल, हरिद्वार शहर से बिलकुल सटा हुआ है। कनखल के विशेष आकर्षण प्रजापति मंदिर, सती कुंड एवं दक्ष महादेव मंदिर हैं। कनखल आश्रमों तथा विश्व प्रसिद्ध गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के लिए भी जाना जाता है। कनखल गंगा के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। नगर के दक्षिण में दक्ष प्रजापति का भव्य मंदिर है जिसके निकट सतीघाट के नाम से वह भूमि है जहाँ पुराणों (कूर्म २.३८ अ., लिंगपुराण १००.८) के अनुसार शिव ने सती के प्राणोत्सर्ग के पश्चात् दक्षयज्ञ का ध्वंस किया था। यह हिंदुओं का एक पुण्य तीर्थस्थल है जहाँ प्रति वर्ष लाखों तीर्थयात्री दर्शनार्थ आते हैं। कनखल में अनेक उद्यान हैं जिनमें केला, आलूबुखारा, लीची, आडू, चकई, लुकाट आदि फल भारी मात्रा में उत्पन्न होते हैं। यहाँ के अधिकांश निवासी ब्राह्मण हैं जिनका पेशा प्राय: हरिद्वार अथवा कनखल में पौरोहित्य या पंडगिरी है। .

नई!!: हरिद्वार और कनखल · और देखें »

काँगड़ी

कोई विवरण नहीं।

नई!!: हरिद्वार और काँगड़ी · और देखें »

काँगड़ी गाँव

कांगड़ी हरिद्वार के निकट गंगा के पूर्वी तट पर दूसरी ओर बिजनौर जिले में बसा हुआ एक बहुत छोटा गाँव है। पिछली शताब्दी के आरंभ में इस गाँव के पास स्वामी श्रद्धानंद जी (तत्कालीन महात्मा मुंशीराम-1857-1926 ई.) ने एक गुरुकुल की स्थापना की। यह उस समय के शिक्षा जगत्‌ में एक सर्वथा नवीन और क्रांतिकारी प्रयत्न था। ब्रिटिश प्रधान मंत्री श्री रैम्ज़े मैकडोनल्ड के शब्दों में 'मेकाले के बाद भारत में शिक्षा के क्षेत्र में जो सबसे महत्वपूर्ण और मौलिक प्रयत्न हुआ है, वह गुरुकुल है।' अत: इसे देश और विदेश में असाधारण ख्याति प्राप्त हुई। गुरुकुल काँगड़ी शिक्षाविषयक एक विशिष्ट विचारधारा का प्रतीक बन गया। .

नई!!: हरिद्वार और काँगड़ी गाँव · और देखें »

काश्यप संहिता

काश्यपसंहिता कौमारभृत्य का आर्ष व आद्य ग्रन्थ है। इसे 'वृद्धजीवकीयतन्त्र' भी कहा जाता है। महर्षि कश्यप ने कौमारभृत्य को आयुर्वेद के आठ अंगों में प्रथम स्थान दिया है। इसकी रचना ईसापूर्व ६ठी शताब्दी में हुई थी। मध्ययुग में इसका चीनी भाषा में अनुवाद हुआ। कश्यप संहिता आयुर्वेद की अत्यन्त प्राचीन संहिता है और सभी आयुर्वेदीय संहिता ग्रन्थों में प्राचीन है। यह संहिता नेपाल में खंडित रूप में मिली है। उनका समय ६०० ईसापूर्व माना गया है। वर्तमान में प्राप्त काश्यप संहिता अपने में पूर्ण है। महर्षि कश्यप द्वारा प्रोक्त इस विशाल आयुर्वेद का कालक्रम से प्रचार-प्रसार जब कम होने लगा तो ऋचिक मुनि के पचंवर्षीय पुत्र जीवक ने इस विशाल काश्यप संहिता को संक्षिप्त करके हरिद्वार के कनखल में समवेत विद्वानों के समक्ष प्रस्तुत किया। उपस्थित विद्वानों ने उसे बालभाषित समझकर अस्वीकार कर दिया। तब बालक जीवक ने वहीं उनके सामने गंगा की धारा में डुबकी लगायी। कुछ देर के बाद गंगा की धारा से जीवक अतिवृद्ध के रूप में निकले। उन्हें वृद्ध रूप में देख, चकित विद्वानों ने उन्हें 'वृद्धजीवक' नाम से अभिहित किया और उनके द्वारा प्रतिपादित उस आयुर्वेद तन्त्र कों ‘वृद्धजीवकीय तन्त्र’ के रूप में मान्यता दी। .

नई!!: हरिद्वार और काश्यप संहिता · और देखें »

काशीपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन

काशीपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन उत्तराखण्ड राज्य के ऊधम सिंह नगर जनपद का एक रेलवे स्टेशन है, जो काशीपुर नगर में स्थित है। इसका स्टेशन कोड "KPV" है। काशीपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन रेल नेटवर्क द्वारा रामनगर, काठगोदाम, मुरादाबाद, बरेली, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, चंडीगढ़, आगरा, जैसलमेर, हरिद्वार और दिल्ली से जुड़ा है। यह रेलवे स्टेशन भारतीय रेल के उत्तर पूर्वी रेलवे क्षेत्र के इज्जतनगर मण्डल के प्रशासनिक नियंत्रण में है। काशीपुर शहर के लिए कई नए रेल लिंक प्रस्तावित हैं, जिनमें काशीपुर-नजीबाबाद रेलवे लाइन तथा रामनगर-चौखुटिया रेल लिंक प्रमुख हैं। .

नई!!: हरिद्वार और काशीपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन · और देखें »

काशीपुर, उत्तराखण्ड

काशीपुर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उधम सिंह नगर जनपद का एक महत्वपूर्ण पौराणिक एवं औद्योगिक शहर है। उधम सिंह नगर जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित काशीपुर जनसंख्या के मामले में कुमाऊँ का तीसरा और उत्तराखण्ड का छठा सबसे बड़ा नगर है। भारत की २०११ की जनगणना के अनुसार काशीपुर नगर की जनसंख्या १,२१,६२३, जबकि काशीपुर तहसील की जनसंख्या २,८३,१३६ है। यह नगर भारत की राजधानी, नई दिल्ली से लगभग २४० किलोमीटर, और उत्तराखण्ड की अंतरिम राजधानी, देहरादून से लगभग २०० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। काशीपुर को पुरातन काल से गोविषाण या उज्जयनी नगरी भी कहा जाता रहा है, और हर्ष के शासनकाल से पहले यह नगर कुनिन्दा, कुषाण, यादव, और गुप्त समेत कई राजवंशों के अधीन रहा है। इस जगह का नाम काशीपुर, चन्दवंशीय राजा देवी चन्द के एक पदाधिकारी काशीनाथ अधिकारी के नाम पर पड़ा, जिन्होंने इसे १६-१७ वीं शताब्दी में बसाया था। १८ वीं शताब्दी तक यह नगर कुमाऊँ राज्य में रहा, और फिर यह नन्द राम द्वारा स्थापित काशीपुर राज्य की राजधानी बन गया। १८०१ में यह नगर ब्रिटिश शासन के अंतर्गत आया, जिसके बाद इसने १८१४ के आंग्ल-गोरखा युद्ध में कुमाऊँ पर अंग्रेजों के कब्जे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। काशीपुर को बाद में कुमाऊँ मण्डल के तराई जिले का मुख्यालय बना दिया गया। ऐतिहासिक रूप से, इस क्षेत्र की अर्थव्यस्था कृषि तथा बहुत छोटे पैमाने पर लघु औद्योगिक गतिविधियों पर आधारित रही है। काशीपुर को कपड़े और धातु के बर्तनों का ऐतिहासिक व्यापार केंद्र भी माना जाता है। आजादी से पहले काशीपुर नगर में जापान से मखमल, चीन से रेशम व इंग्लैंड के मैनचेस्टर से सूती कपड़े आते थे, जिनका तिब्बत व पर्वतीय क्षेत्रों में व्यापार होता था। बाद में प्रशासनिक प्रोत्साहन और समर्थन के साथ काशीपुर शहर के आसपास तेजी से औद्योगिक विकास हुआ। वर्तमान में नगर के एस्कॉर्ट्स फार्म क्षेत्र में छोटी और मझोली औद्योगिक इकाइयों के लिए एक इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल एस्टेट निर्माणाधीन है। भौगोलिक रूप से काशीपुर कुमाऊँ के तराई क्षेत्र में स्थित है, जो पश्चिम में जसपुर तक तथा पूर्व में खटीमा तक फैला है। कोशी और रामगंगा नदियों के अपवाह क्षेत्र में स्थित काशीपुर ढेला नदी के तट पर बसा हुआ है। १८७२ में काशीपुर नगरपालिका की स्थापना हुई, और २०११ में इसे उच्चीकृत कर नगर निगम का दर्जा दिया गया। यह नगर अपने वार्षिक चैती मेले के लिए प्रसिद्ध है। महिषासुर मर्दिनी देवी, मोटेश्वर महादेव तथा मां बालासुन्दरी के मन्दिर, उज्जैन किला, द्रोण सागर, गिरिताल, तुमरिया बाँध तथा गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब काशीपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। .

नई!!: हरिद्वार और काशीपुर, उत्तराखण्ड · और देखें »

किशोरीदास वाजपेयी

आचार्य किशोरीदास वाजपेयी आचार्य किशोरीदास वाजपेयी (१८९८-१९८१) हिन्दी के साहित्यकार एवं सुप्रसिद्ध व्याकरणाचार्य थे। हिन्दी की खड़ी बोली के व्याकरण की निर्मिति में पूर्ववर्ती भाषाओं के व्याकरणाचार्यो द्वारा निर्धारित नियमों और मान्यताओं का उदारतापूर्वक उपयोग करके इसके मानक स्वरूप को वैज्ञानिक दृष्टि से सम्पन्न करने का गुरुतर दायित्व पं॰ किशोरीदास वाजपेयी ने निभाया। इसीलिए उन्हें 'हिन्दी का पाणिनी' कहा जाता है। अपनी तेजस्विता व प्रतिभा से उन्होंने साहित्यजगत को आलोकित किया और एक महान भाषा के रूपाकार को निर्धारित किया। आचार्य किशोरीदास बाजपेयी ने हिन्दी को परिष्कृत रूप प्रदान करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इनसे पूर्व खडी बोली हिन्दी का प्रचलन तो हो चुका था पर उसका कोई व्यवस्थित व्याकरण नहीं था। अत: आपने अपने अथक प्रयास एवं ईमानदारी से भाषा का परिष्कार करते हुए व्याकरण का एक सुव्यवस्थित रूप निर्धारित कर भाषा का परिष्कार तो किया ही साथ ही नये मानदण्ड भी स्थापित किये। स्वाभाविक है भाषा को एक नया स्वरूप मिला। अत: हिन्दी क्षेत्र में आपको "पाणिनि' संज्ञा से अभिहित किया जाने लगा। .

नई!!: हरिद्वार और किशोरीदास वाजपेयी · और देखें »

कुम्भ मेला

हरिद्वार के कुंभ मेले (2010) के दौरान गंगा किनारे स्नान घाट पर श्रद्धालु २००१ के प्रयाग कुम्भ मेले का दृष्य कुंभ पर्व हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ पर्व स्थल हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं। इनमें से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है। २०१३ का कुम्भ प्रयाग में हुआ था। खगोल गणनाओं के अनुसार यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ होता है, जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशी में और वृहस्पति, मेष राशी में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के होने वाले इस योग को "कुम्भ स्नान-योग" कहते हैं और इस दिन को विशेष मंगलिक माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार इस दिन खुलते हैं और इस प्रकार इस दिन स्नान करने से आत्मा को उच्च लोकों की प्राप्ति सहजता से हो जाती है। यहाँ स्नान करना साक्षात स्वर्ग दर्शन माना जाता है। .

नई!!: हरिद्वार और कुम्भ मेला · और देखें »

कुंभ एवं अर्धकुंभ मेला, हरिद्वार

कुम्भ एवं अर्धकुंभ मेला, हरिद्वार। उत्तराखण्ड के चारों धामों, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री के लिये प्रवेश द्वार के रूप में प्रसिद्ध हरिद्वार ज्योतिष गणना के आधार पर ग्रह नक्षत्रों के विशेष स्थितियों में हर बारहवें वर्ष कुम्भ के मेले का आयोजन किया जाता है। मेष राशि में सूर्य और कुम्भ राशि में बृहस्पति होने से हरिद्वार में कुम्भ का योग बनता है। .

नई!!: हरिद्वार और कुंभ एवं अर्धकुंभ मेला, हरिद्वार · और देखें »

केदारनाथ कस्बा

केदारनाथ हिमालय पर्वतमाला में बसा भारत के उत्तरांचल राज्य का एक कस्बा है। यह रुद्रप्रयाग की एक नगर पंचायत है। यह हिन्दू धर्म के अनुयाइयों के लिए पवित्र स्थान है। यहाँ स्थित केदारनाथ मंदिर का शिव लिंग १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक है और हिन्दू धर्म के उत्तरांचल के चार धाम और पंच केदार में गिना जाता है। श्रीकेदारनाथ का मंदिर ३,५९३ मीटर की ऊँचाई पर बना हुआ एक भव्य एवं विशाल मंदिर है। इतनी ऊँचाई पर इस मंदिर को कैसे बनाया गया, इस बारे में आज भी पूर्ण सत्य ज्ञात नहीं हैं। सतयुग में शासन करने वाले राजा केदार के नाम पर इस स्थान का नाम केदार पड़ा। राजा केदार ने सात महाद्वीपों पर शासन और वे एक बहुत पुण्यात्मा राजा थे। उनकी एक पुत्री थी वृंदा जो देवी लक्ष्मी की एक आंशिक अवतार थी। वृंदा ने ६०,००० वर्षों तक तपस्या की थी। वृंदा के नाम पर ही इस स्थान को वृंदावन भी कहा जाता है। यहाँ तक पहुँचने के दो मार्ग हैं। पहला १४ किमी लंबा पक्का पैदल मार्ग है जो गौरीकुण्ड से आरंभ होता है। गौरीकुण्ड उत्तराखंड के प्रमुख स्थानों जैसे ऋषिकेश, हरिद्वार, देहरादून इत्यादि से जुड़ा हुआ है। दूसरा मार्ग है हवाई मार्ग। अभी हाल ही में राज्य सरकार द्वारा अगस्त्यमुनि और फ़ाटा से केदारनाथ के लिये पवन हंस नाम से हेलीकाप्टर सेवा आरंभ की है और इनका किराया उचित है। सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण मंदिर बंद कर दिया जाता है और केदारनाथ में कोई नहीं रुकता। नवंबर से अप्रैल तक के छह महीनों के दौरान भगवान केदा‍रनाथ की पालकी गुप्तकाशी के निकट उखिमठ नामक स्थान पर स्थानांतरित कर दी जाती है। यहाँ के लोग भी केदारनाथ से आस-पास के ग्रामों में रहने के लिये चले जाते हैं। वर्ष २००१ की भारत की जनगणना के अनुसार केदारनाथ की जनसंख्या ४७९ है, जिसमें ९८% पुरुष और २% महिलाएँ है। साक्षरता दर ६३% है जो राष्ट्रीय औसत ५९.५% से अधिक है (पुरुष ६३%, महिला ३६%)। ०% लोग ६ वर्ष से नीचे के हैं। .

नई!!: हरिद्वार और केदारनाथ कस्बा · और देखें »

अमानत बैंक

अमानत बैंक के अध्यक्ष और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद के.

नई!!: हरिद्वार और अमानत बैंक · और देखें »

अमेठी

अमेठी भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र है। अमेठी उत्तर प्रदेश का 72वां जिला है जिसे B.S.P. सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर 1 जुलाई 2010 को अस्तित्व में लाया गया था। अमेठी में सुल्तानपुर जिले की तीन तहसील मुसाफिरखाना, अमेठी, गौरीगंज तथा रायबरेली जिले की दो तहसील सलोन और तिलोई को मिला कर एक जिले का रूप दिया गया है। गौरीगंज शहर अमेठी जिले का मुख्यालय है। शुरुआत में इसका नाम छत्रपति साहूजी महाराज नगर था परन्तु इसे पुनः बदलकर अमेठी कर दिया गया है। अमेठी जिले का एक महत्वपूर्ण शहर व नगर निगम क्षेत्र है। इसे रायपुर-अमेठी भी कहा जाता है। यह भारत के गांधी परिवार की कर्मभूमि है। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु उनके पोते संजय गाँधी, राजीव गाँधी तथा उनकी पत्नी सोनिया गाँधी ने इस जिले का प्रतिनिधित्व किया है। 2014 आम चुनाव में राहुल गाँधी यहाँ से साँसद चुने गए। कोरवा अमेठी में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की एक इकाई है जो भारतीय वायु सेना के लिए विमान बनाती है। अमेठी में इंडो गल्फ फर्टीलाइशर्स की एक खाद बनाने की इकाई भी मौजूद है।.

नई!!: हरिद्वार और अमेठी · और देखें »

अरुन्धती (महाकाव्य)

अरुन्धती हिन्दी भाषा का एक महाकाव्य है, जिसकी रचना जगद्गुरु रामभद्राचार्य (१९५०–) ने १९९४ में की थी। यह महाकाव्य १५ सर्गों और १२७९ पदों में विरचित है। महाकाव्य की कथावस्तु ऋषिदम्पती अरुन्धती और वसिष्ठ का जीवनचरित्र है, जोकि विविध हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णित है। महाकवि के अनुसार महाकाव्य की कथावस्तु का मानव की मनोवैज्ञानिक विकास परम्परा से घनिष्ठ सम्बन्ध है।रामभद्राचार्य १९९४, पृष्ठ iii—vi। महाकाव्य की एक प्रति का प्रकाशन श्री राघव साहित्य प्रकाशन निधि, हरिद्वार, उत्तर प्रदेश द्वारा १९९९४ में किया गया था। पुस्तक का विमोचन तत्कालीन भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा द्वारा जुलाई ७, १९९४ के दिन किया गया था। .

नई!!: हरिद्वार और अरुन्धती (महाकाव्य) · और देखें »

अलाउद्दीन साबिर कलियरी

मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर; Makhdoom Alauddin Ali Ahmed Sabir: (साबिर पिया) जिन्हें अलाउद्दीन सबिर कलियरी या ("कलियार के रोगी संत") के रूप में भी जाना जाता है, 13 वीं शताब्दी में एक प्रमुख दक्षिण एशियाई सूफी संत थे। वह बाबा फरीद (1188-1280), Sheikh Farid, by Dr. Harbhajan Singh.

नई!!: हरिद्वार और अलाउद्दीन साबिर कलियरी · और देखें »

अखिल भारतीय हिन्दू महासभा

अखिल भारतीय हिन्दू महासभा का ध्वज अखिल भारत हिन्दू महासभा भारत का एक राजनीतिक दल है। यह एक भारतीय राष्ट्रवादी संगठन है। इसकी स्थापना सन १९१५ में हुई थी। विनायक दामोदर सावरकर इसके अध्यक्ष रहे। केशव बलराम हेडगेवार इसके उपसभापति रहे तथा इसे छोड़कर सन १९२५ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। भारत के स्वतन्त्रता के उपरान्त जब महात्मा गांधी की हत्या हुई तब इसके बहुत से कार्यकर्ता इसे छोड़कर भारतीय जनसंघ में भर्ती हो गये। .

नई!!: हरिद्वार और अखिल भारतीय हिन्दू महासभा · और देखें »

अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन

अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन, हिन्दी भाषा एवं साहित्य तथा देवनागरी का प्रचार-प्रसार को समर्पित एक प्रमुख सार्वजनिक संस्था है। इसका मुख्यालय प्रयाग (इलाहाबाद) में है जिसमें छापाखाना, पुस्तकालय, संग्रहालय एवं प्रशासनिक भवन हैं। हिंदी साहित्य सम्मेलन ने ही सर्वप्रथम हिंदी लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी रचनाओं पर पुरस्कारों आदि की योजना चलाई। उसके मंगलाप्रसाद पारितोषिक की हिंदी जगत् में पर्याप्त प्रतिष्ठा है। सम्मेलन द्वारा महिला लेखकों के प्रोत्साहन का भी कार्य हुआ। इसके लिए उसने सेकसरिया महिला पारितोषिक चलाया। सम्मेलन के द्वारा हिंदी की अनेक उच्च कोटि की पाठ्य एवं साहित्यिक पुस्तकों, पारिभाषिक शब्दकोशों एवं संदर्भग्रंथों का भी प्रकाशन हुआ है जिनकी संख्या डेढ़-दो सौ के करीब है। सम्मेलन के हिंदी संग्रहालय में हिंदी की हस्तलिखित पांडुलिपियों का भी संग्रह है। इतिहास के विद्वान् मेजर वामनदास वसु की बहुमूल्य पुस्तकों का संग्रह भी सम्मेलन के संग्रहालय में है, जिसमें पाँच हजार के करीब दुर्लभ पुस्तकें संगृहीत हैं। .

नई!!: हरिद्वार और अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन · और देखें »

अंतर्वेद

अंतर्वेद से अभिप्राय गंगा और यमुना के बीच के उस विस्तृत भूखंड से था जो हरिद्वार से प्रयाग तक फैला हुआ है। इस द्वाब में वैदिक काल से बहुत पीछे तक निरंतर यज्ञादि होते आए हैं। वैदिक काल में वहाँ उशीनर, पंचाल तथा वत्स अथवा वंश बसते थे। इसी से पूर्व की ओर लगे कोसल तथा काशी जनपद थे। अंतर्वेद को पश्चिमी तथा दक्षिणी सीमाओं पर कुरु, शूरसेन, चेदि आदि का आवास था। ऐतिहासिक युग में इस प्रदेश में कई अश्वमेघ यज्ञ हुए जिनमें समुद्र गुप्त का यज्ञ बड़े महत्व का था। गुप्तकालीन शासन व्यवस्था के अनुसार अंतर्वेद साम्राज्य का विषय या जिला था। स्कंद गुप्त के समय उसका विषयपति शर्वनाग स्वयं सम्राट द्वारा नियुक्त किया गया था। श्रेणी:भारत का उत्तरी विशाल मैदान श्रेणी:भारत आधार श्रेणी:चित्र जोड़ें.

नई!!: हरिद्वार और अंतर्वेद · और देखें »

उत्तर प्रदेश के राज्य राजमार्गों की सूची

उत्तर प्रदेश राज्य में कुल ३५ राष्ट्रीय राजमार्ग हैं, जिनकी कुल लंबाई ४०६३५ किमी है; और ८३ राज्य राजमार्ग हैं, जिनकी कुल लंबाई ८४३२ किमी है। .

नई!!: हरिद्वार और उत्तर प्रदेश के राज्य राजमार्गों की सूची · और देखें »

उत्तर भारत बाढ़ २०१३

जून 2013 में, उत्तर भारत में भारी बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड में बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति पैदा हो गयी। इससे प्रभावित अन्य राज्य हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश हैं। बाढ़ के कारण जान-माल का भारी नुकसान हुआ और बहुत से लोग बाढ़ में बह गए और हजारों लोग बेघर हो गये। इस भयानक आपदा में 5000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, .

नई!!: हरिद्वार और उत्तर भारत बाढ़ २०१३ · और देखें »

उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

नई!!: हरिद्वार और उत्तराखण्ड · और देखें »

उत्तराखण्ड में पर्यटन और तीर्थाटन

उत्तराखण्ड में पर्यटन और तीर्थाटन इस राज्य में आय का प्रमुख स्रोत और यहाँ की अर्थव्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक है। उत्तराखण्ड में भारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं जैसे नैनीताल, मसूरी, देहरादून, कौसानी इत्यादि। इसके अतिरिक्त यहाँ कुछ प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान भी हैं जैसे फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, राजाजी राष्ट्रीय अभयारण्य, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान इत्यादि। यह सब स्थल भी देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। उत्तराखण्ड को देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है। इसका कारण है कि यहाँ वैदिक संस्कृति के कुछ अति महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। उत्तराखण्ड के लगभग हर कोने में किसी ना किसी देवता या देवी का मन्दिर है। इस राज्य में भारत के सबसे प्रमुख धार्मिक नगरों में से एक हरिद्वार में प्रति वर्ष लाखों पर्यटक आते है। हरिद्वार के निकट स्थित ऋषिकेश भारत में योग क एक प्रमुख स्थल है और जो हरिद्वार के साथ मिलकर एक पवित्र हिन्दू तीर्थ स्थल है। इसके अतिरिक्त छोटा चारधाम भी इसी राज्य में स्थित हैं: केदारनाथ, गंगोत्री, बद्रीनाथ, यमुनोत्री तथा दूनागिरी। इन धामों की यात्रा के लिए भी प्रति वर्ष लाखों लोग देशभर से आते हैं। श्रेणी:उत्तराखण्ड में पर्यटन श्रेणी:उत्तराखण्ड के पर्यटन स्थल श्रेणी:उत्तराखण्ड में हिन्दू धर्म.

नई!!: हरिद्वार और उत्तराखण्ड में पर्यटन और तीर्थाटन · और देखें »

उत्तराखण्ड में जिलावार विधानसभा सीटें

उत्तराखण्ड में जिलावार विधानसभा सीटें उत्तराखण्ड के जिलों के अन्तर्गत आने वाली विधानसभा सीटें हैं। इस सूची में जिला और उस जिले में उत्तराखण्ड विधानसभा की कौन-कौन सी सीटें हैं दिया गया है। भारतीय चुनाव आयोग द्वारा विर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किए जाए से उत्तराखण्ड में भी सीटों में बदलाव आया है। इस सूची में भूतपूर्व सीटें किसी भी जिले में नहीं दी गई हैं। .

नई!!: हरिद्वार और उत्तराखण्ड में जिलावार विधानसभा सीटें · और देखें »

उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन

उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन, उत्तराखण्ड राज्य के बनने से पहले की वे घटनाएँ हैं जो अन्ततः उत्तराखण्ड राज्य के रूप में परिणीत हुईं। राज्य का गठन ९ नवम्बर, २००० को भारत के सत्ताइसवें राज्य के रूप में हुआ। यहाँ पर यह उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड राज्य का गठन बहुत लम्बे संघर्ष और बलिदानों के फलस्वरूप हुआ। उत्तराखण्ड राज्य की माँग सर्वप्रथम १८९७ में उठी और धीरे-धीरे यह माँग अनेकों समय उठती रही। १९९४ में इस माँग ने जनान्दोलन का रूप ले लिया और अन्ततः नियत तिथि पर यह देश का सत्ताइसवाँ राज्य बना। .

नई!!: हरिद्वार और उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन · और देखें »

उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय

अधिसूचना संख्या 486/विधायी एवं संसदीय कार्य/2005 द्वारा उत्तराखण्ड शासन ने हरिद्वार में उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की। उत्तराखंड के वे समस्त महाविद्यालय जो पूर्व में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय से सम्बद्ध थे, उाराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हो गए। आज इनकी संख्या बावन (52) है। ज्ञातव्य है कि उत्तराखण्ड राज्य में देवभाषा संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का स्थान प्रदान किया गया है। .

नई!!: हरिद्वार और उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय · और देखें »

उत्तराखण्ड का भूगोल

उत्तराखण्ड भौगोलिक रूप से भारत के उत्तर में ३०० २०' उत्तरी अक्षांश ७८० ०४' पूर्वी रेखांश से लेकर ३०० ३३' उत्तरी अक्षांश ७८० ०६' पूर्वी रेखांश पर है। इसके पूर्व में नेपाल और उत्तर में तिब्बत(चीन) है। देश के भीतर उत्तर प्रदेश दक्षिण में और हिमाचल प्रदेश उत्तर पश्चिम में इसके पड़ोसी हैं। उत्तराखण्ड के दो मण्डल हैं: कुमाऊँ और गढ़वाल। .

नई!!: हरिद्वार और उत्तराखण्ड का भूगोल · और देखें »

उत्तराखण्ड का इतिहास

उत्तराखण्ड का इतिहास पौराणिक है। उत्तराखण्ड का शाब्दिक अर्थ उत्तरी भू भाग का रूपान्तर है। इस नाम का उल्लेख प्रारम्भिक हिन्दू ग्रन्थों में मिलता है, जहाँ पर केदारखण्ड (वर्तमान गढ़वाल) और मानसखण्ड (वर्तमान कुमांऊँ) के रूप में इसका उल्लेख है। उत्तराखण्ड प्राचीन पौराणिक शब्द भी है जो हिमालय के मध्य फैलाव के लिए प्रयुक्त किया जाता था। उत्तराखण्ड "देवभूमि" के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह समग्र क्षेत्र धर्ममय और दैवशक्तियों की क्रीड़ाभूमि तथा हिन्दू धर्म के उद्भव और महिमाओंं की सारगर्भित कुंजी व रहस्यमय है। पौरव, कुशान, गुप्त, कत्यूरी, रायक, पाल, चन्द, परमार व पयाल राजवंश और अंग्रेज़ों ने बारी-बारी से यहाँ शासन किया था। .

नई!!: हरिद्वार और उत्तराखण्ड का इतिहास · और देखें »

उत्तराखण्ड के नगर निगमों की सूची

नगर निगम उत्तराखण्ड राज्य के नगरों की स्थानीय शासी निकाय हैं। इस भारतीय राज्य में ८ नगर निगम हैं। २००३ में बना देहरादून नगर निगम राज्य का सबसे बड़ा और पुराना नगर निगम है। वर्ष २०११ में हरिद्वार और हल्द्वानी नगरपालिकाओं को नगर निगम बनाने के बाद राज्य सरकार ने २०१३ में रुद्रपुर, काशीपुर और रुड़की को, और फिर २०१७ में ऋषिकेश और कोटद्वार की नगरपालिकाओं को भी नगर निगम का दर्ज़ा दे दिया। .

नई!!: हरिद्वार और उत्तराखण्ड के नगर निगमों की सूची · और देखें »

उत्तराखण्ड के नगरों की सूची

उत्तराखण्ड के नगर नामक इस सूची में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के सभी नगरों की ज़िलेवार सूची दी गई है, जो वर्णमालानुसार क्रमित है। .

नई!!: हरिद्वार और उत्तराखण्ड के नगरों की सूची · और देखें »

उत्तराखण्ड के जिले

उत्तराखण्ड के जिले इस सूची में उत्तराखण्ड के जिले और उनकी जनसंख्या, जिला मुख्यालय, क्षेत्रफल और घनत्व की सूचना है। .

नई!!: हरिद्वार और उत्तराखण्ड के जिले · और देखें »

उत्तराखण्ड की राजनीति

उत्तराखण्ड की राजनीति भारत के उत्तराखण्ड की राजनैतिक व्यवस्था को कहते हैं। इस राज्य राजनीति की विशेषता है राष्ट्रीय दलों और क्षेत्रिय दलों के बीच आपसी संयोजन जिससे राज्य में शासन व्यव्स्था चलाई जाती है। उत्तराखण्ड राज्य २००० में बनाया गया था। एक अलग राज्य की स्थापना लम्बे समय से ऊपरी हिमालय की पहाड़ियों पर रह रहे लोगों की हार्दिक इच्छा थी।भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी), उत्तराखण्ड की राजनीति में सबसे प्रमुख राष्ट्रीय दल हैं। इसके अतिरिक्त बहुजन समाज पार्टी(बसपा) का भी राज्य के मैदानी क्षेत्रों में जनाधार है। राष्ट्रीय स्तर के दलों को उत्तराखण्ड के राज्य स्तरीय दलों से मजबूत समर्थन प्राप्त है। विशेष रूप से, उत्तराखण्ड क्रान्ति दल (उक्राद), जिसकी स्थापना १९७० के दशक में पृथक राज्य के लिए लोगों को जागृत करने के लिए कि गई थी और जो पर्वतिय निवासियों के लिए अलग राज्य के गठन के पीछे मुख्य विचारक था, अभी भी उत्तराखण्ड की राजनीति के मैदान में एक विस्तृत प्रभाव वाला दल है। राज्य गठन के बाद सबसे पहले चुनाव २००२ में आयिजित किए गए थे। इन चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में उभरा और राज्य में प्रथम सरकार बनाई। इन चुनावों में भाजपा, दूसरा सबसे बड़ा दल था। इसके बाद, फ़रवरी २००७ के दूसरे विधानसभा चुनावों में सरकार-विरोधी लहर के चलते, भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में सामने आया। भाजपा को इन चुनावों में ३४ सीटें प्राप्त हुईं, जो बहुत से एक कम थी जिसे उक्राद के तीन सदस्यों के समर्थ्न ने पूरा कर दिया। उत्तराखण्ड राज्य विधायिका, उत्तराखण्ड की राजनीति का केन्द्र बिन्दू है। वर्तमान (2017)चुनाव में भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) ने राज्य की 70 विधानसभा सीटों में से 57 सीटों पर जीत का परचम लहराया है। यह राज्य में अब तक के इतिहास में न केवल भारतीय जनता पार्टी, बल्कि किसी भी दल के लिए सबसे बड़ा आंकड़ा है। वहीं, कांग्रेस के खाते में बस 11 सीटें ही आई.

नई!!: हरिद्वार और उत्तराखण्ड की राजनीति · और देखें »

उत्तराखण्ड/आलेख

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है। २००० और २००६ के बीच यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। ९ नवंबर २००० को उत्तराखण्ड भारत गणराज्य के २७ वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। राज्य का निर्माण कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात हुआ। इस राज्य में वैदिक संस्कृति के कुछ अति महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं तथा पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश (सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था) इसके पड़ोसी हैं। पारंपरिक हिन्दू ग्रंथों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का नाम आधिकारिक तौर पर उत्तरांचल से बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। देहरादून, उत्तराखण्ड की अंतरिम राजधानी होने के साथ इस क्षेत्र में सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बांध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में प्रायः आलोचना की जाती रही है, जैसे कि भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ में की गई थी और यह अंततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आंदोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

नई!!: हरिद्वार और उत्तराखण्ड/आलेख · और देखें »

उत्तरांचल के चार धाम

चार धाम यात्रा की उत्‍पत्ति के संबंध में कोई निश्चित मान्‍यता या साक्ष्‍य उपलब्‍ध नहीं है। लेकिन चार धाम भारत के चार धार्मिक स्‍थलों का एक समूह है। इस पवित्र परिधि के अंतर्गत भारत के चार दिशाओं के महत्‍वपूर्ण मंदिर आते हैं। ये मंदिरें हैं- पुरी, रामेश्‍वरम, द्वारका और बद्रीनाथ इन मंदिरों को 8वीं शदी में आदि शंकराचार्य ने एक सूत्र में पिरोया था। इन चारों मंदिरों में से किसको परम स्‍थान दिया जाए इस बात का निर्णय करना नामुमकिन है। लेकिन इन सब में बद्रीनाथ सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण और अधिक तीर्थयात्रियों द्वारा दर्शन करने वाला मंदिर है। इसके अलावा हिमालय पर स्थित छोटा चार धाम (जिसकी चर्चा चार धाम यात्रा में आगे की जाएगी) मंदिरों में भी बद्रीनाथ ज्‍यादा महत्‍व वाला और लोकप्रिय है। इस छोटे चार धाम में बद्रीनाथ के अलावा केदारनाथ (शिव मंदिर), यमुनोत्री एवं गंगोत्री (देवी मंदिर) शमिल हैं। यह चारों धाम हिंदू धर्म में अपना अलग और महत्‍वपूर्ण स्‍थान रखते हैं। बीसवीं शताब्दि के मध्‍य में हिमालय की गोद में बसे इन चारों तीर्थस्‍थलों को छोटा' विशेषण दिया गया जो आज भी यहां बसे इन देवस्‍थानों को परिभाषित करते हैं। छोटा चार धाम के दर्शन के लिए ४,००० मीटर से भी ज्‍यादा ऊंचाई तक की चढ़ाई करनी होती है। यह डगर कहीं आसान तो कहीं बहुत कठिन है। .

नई!!: हरिद्वार और उत्तरांचल के चार धाम · और देखें »

उदासी सम्प्रदाय

उदासी संप्रदाय सिख-साधुओं का एक सम्प्रदाय है जिसकी कुछ शिक्षाएँ सिख पंथ से लीं गयीं हैं। इसके संस्थापक गुरु नानक के पुत्र श्री चन्द (1494–1643) थे। ये लोग सनातन धर्म को मानते हैं तथा पंच-प्रकृति (जल, अग्नि, पृथ्वी, वायु, आकाश) की पूजा करते हैं। उदासी सम्प्रदाय के साधु सांसारिक बातों की ओर से विशेष रूप से तटस्थ रहते आए हैं और इनकी भोली भाली एवं सादी अहिंसात्मक प्रवृत्ति के कारण इन्हें सिख गुरु अमरदास तथा गुरु गोविन्द सिंह ने जैन धर्म द्वारा प्रभावित और अकर्मण्य तक मान लिया था। परंतु गुरु हरगोविंद के पुत्र बाबा गुराँदित्ता ने संप्रदाय के संगठन एवं विकास में सहयोग दिया और तब से इसका अधिक प्रचार भी हुआ। .

नई!!: हरिद्वार और उदासी सम्प्रदाय · और देखें »

ऋषभ पंत

ऋषभ राजेंद्र पंत (Rishabh Rajendra Pant) (जन्म ०४ अक्तूबर १९९७) एक भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी है जिनका जन्म हरिद्वार, उत्तराखंड में हुआ था। ऋषभ पंत घरेलू क्रिकेट दिल्ली के लिए खेलते हैं। पंत मुख्यतः बल्लेबाजी और विकेटकीपर के लिए जाने जाते हैं। इन्होंने अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट की शुरुआत २२ अक्तूबर २०१५ को २०१६–१६ की रणजी ट्रॉफी में की थी। और लिस्ट ए क्रिकेट की शुरुआत २४ दिसम्बर २०१५ को २०१५–१६ विजय हजारे ट्रॉफी में की थी। .

नई!!: हरिद्वार और ऋषभ पंत · और देखें »

ऋषिकेश

ऋषिकेश (संस्कृत: हृषीकेश) उत्तराखण्ड के देहरादून जिले का एक नगर, हिन्दू तीर्थस्थल, नगरपालिका तथा तहसील है। यह गढ़वाल हिमालय का प्रवेश्द्वार एवं योग की वैश्विक राजधानी है। ऋषिकेश, हरिद्वार से २५ किमी उत्तर में तथा देहरादून से ४३ किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है। हिमालय का प्रवेश द्वार, ऋषिकेश जहाँ पहुँचकर गंगा पर्वतमालाओं को पीछे छोड़ समतल धरातल की तरफ आगे बढ़ जाती है। ऋषिकेश का शांत वातावरण कई विख्यात आश्रमों का घर है। उत्तराखण्ड में समुद्र तल से 1360 फीट की ऊंचाई पर स्थित ऋषिकेश भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। हिमालय की निचली पहाड़ियों और प्राकृतिक सुन्दरता से घिरे इस धार्मिक स्थान से बहती गंगा नदी इसे अतुल्य बनाती है। ऋषिकेश को केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेशद्वार माना जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर ध्यान लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है। हर साल यहाँ के आश्रमों के बड़ी संख्या में तीर्थयात्री ध्यान लगाने और मन की शान्ति के लिए आते हैं। विदेशी पर्यटक भी यहाँ आध्यात्मिक सुख की चाह में नियमित रूप से आते रहते हैं। .

नई!!: हरिद्वार और ऋषिकेश · और देखें »

१३९८ हरिद्वार महाकुम्भ नरसंहार

महाकुम्भ, भारत का एक प्रमुख धार्मिक उत्सव है। वार्षिक कुम्भ का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है लेकिन प्रति १२ वर्षों में आयोजित किए जाने वाले महाकुम्भ को देश में चार विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया जाता है। इनमें से एक स्थान है हरिद्वार जहाँ पर जनवरी से अप्रैल २०१० तक महाकुम्भ मेला लगा था। यद्यपि हरिद्वार में लगने वाला यह मेला बहुत लोकप्रिय है और इसमे भागीदारी करने के लिए देश-विदेश से करोड़ो लोग आते हैं लेकिन विश्व-प्रचलित हरिद्वार महाकुम्भ के साथ इतिहास का एक दुखदाई पहलू भी जुड़ा हुआ है। यह दुखदाई पहलू है, सन १३९८ में मुस्लिम शासक तैमूर द्वारा हरिद्वार में एकत्रित हुए श्रद्धालुओं का बड़े पैमाने पर हुआ नरसंहार। .

नई!!: हरिद्वार और १३९८ हरिद्वार महाकुम्भ नरसंहार · और देखें »

२०१० हरिद्वार महाकुम्भ

हरिद्वार महाकुंभ २०१० का प्रतीक-चिह्न महाकुम्भ भारत का एक प्रमुख उत्सव है जो ज्योतिषियों के अनुसार तब आयोजित किया जाता है जब बृहस्पति कुंभ राशि में प्रवेश करता है। कुम्भ का अर्थ है घड़ा। यह एक पवित्र हिन्दू उत्सव है। यह भारत में चार स्थानो पर आयोजित किया जाता है: प्रयाग (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। २०१० का कुम्भ मेला हरिद्वार में आयोजित किया जा रहा है। पिछली बार १९९९ में महाकुम्भ का आयोजन यहाँ किया गया था। मकर संक्राति के दिन अर्थात १४ जनवरी, २०१० को इस मेले का शुभारम्भ हो गया है। हरिद्वार में जारी इस मेले में इस बार ७ करोड़ से भी अधिक लोगों के आने का अनुमान है। पौराणिक आख्यानों के अनुसार समुद्रमंथन के दौरान निकला अमृतकलश १२ स्थानों पर रखा गया था जहां अमृत की बूंदें छलक गई थीं। इन १२ स्थानों में से आठ ब्रह्मांड में माने जाते हैं और चार धरती पर जहां कुंभ लगता है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि इस मेले में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। .

नई!!: हरिद्वार और २०१० हरिद्वार महाकुम्भ · और देखें »

२०१८ उत्तराखण्ड दावानल

हाल के वर्षों की ही तरह २०१८ की गर्मियों में भी उत्तर भारत के उत्तराखण्ड राज्य में कई जगह पर वनों में आग के मामले सामने आये हैं। टिहरी से लेकर उत्तरकाशी और बागेश्वर तक के पहाड़ और वन भीषण आग से जूझ रहे हैं। अग्नि से सबसे ज्यादा प्रभावित पौड़ी गढ़वाल जिला रहा, जहाँ लगभग १००० हेक्टेयर वन भूमि पर आग की चपेट में आ चुकी है। उत्तराखण्ड वन विभाग के मुताबिक उन्हें १५ फ़रवरी से २१ मई तक कुल ७४१ ऐसी घटनाओं की सूचना मिली थी, जिसमें १२१३.७६६ हेक्टेयर वन क्षेत्र २१ लाख रुपये से ज्यादा का राजस्व नुकसान हुआ है। .

नई!!: हरिद्वार और २०१८ उत्तराखण्ड दावानल · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

Haridwar (हरिद्वार), हरद्वार, हरीद्वार

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »