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युडिकॉट

सूची युडिकॉट

युडिकॉट​ (Eudicot) सपुष्पक पौधों का एक समूह है जिनके बीजों के दो हिस्से (बीजपत्र) होते हैं, जिसके विपरीत मोनोकॉट (Monocot) पौधों के बीजों में एक ही बीजपत्र होता है। फूलधारी (सपुष्पक) पौधों की यही दो मुख्य श्रेणियाँ हैं।, Linda R. Berg, pp.

93 संबंधों: चितौन, चकोतरा, चीकू, एपोसाइनेसी, एकबीजपत्री, ऐमारैंथेसी, ऐस्टरिड, ऐस्टरेसिए, झाऊ, डाइप्टेरोकारपेसिए, तरबूज़, तानतानी, तिपतिया, तिल, नारंगी (फल), नीबू, नीलगिरी (यूकलिप्टस), पत्रंग, प्राजक्ता (फूल), प्रोटियेलीज़, प्रोटियेसीए, पैकिसेरियस प्रिंगलेइ, पॉलीगोनेसी, पॉइज़न आइवी, फ्रेक्सिनस ऑर्नस, बाँज, बुरांस, ब्रह्म कमल, बैंकसिया, भिण्डी, मटर, मण्डूकपर्णी, मधुमालती, मालपिग्यालेस, मैलवेलीस, मूँग, मोगरा, युडिकॉट, रतनजोत, रालन, राज़क, राइज़ोफ़ोरासिए, रूमेक्स, रोज़िड, लैवेंडर, लोमाटिया तस्मानिका, लीची, शलजम, शोरि रोबस्टा, शीशम, ..., साधारण राज़क, साल (वृक्ष), सिलंग, सिलीन स्टेनोफ़ाइला, स्टेविया, सौंफ, सूरजमुखी, सेमल, सेसलपिनिया, जमरूल, जंगल जलेबी, जूही, जेड पौधा, वर्बेनेसी, वसाबी, वसाका, वृक्ष सूर्यानुवर्त, खट्टा पालक, खरक, ख़रबूज़ा, गटापारचा, गुलमेंहदी, गेंदा, ओक्सालिडालेस, इन्डिगोफेरा, इंग्लिश विलो, कटुकी, कठगूलर, कढ़ी पत्ते का पेड़, कनेर, कसावा, कार्क, कांटीकरंज, कुंदुरी, कैर, कैरियोफ़िलालीस, कैक्टस, कूटू, अदनसोनिया, अजमोद, अगर (वृक्ष), अगस्ति, अंगूरफल सूचकांक विस्तार (43 अधिक) »

चितौन

''एल्सटोनिया मैक्रोफाइला'' हैदराबाद (भारत) में '''Alstonia scholaris''' ''Alstonia spectabilis'' चितौन या सातिआन (एल्सटोनिया), एपोसाइनेसी कुल के सदाबहार वृक्ष और झाड़ियों का एक व्यापक वंश (जीनस) है। इसे वनस्पतिशास्त्री रॉबर्ट ब्राउन द्वारा 1811 में एडिनबर्ग के वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर चार्ल्स एल्सटन (1685-1760) के नाम पर नामित किया गया था (1716-1760)। .

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चकोतरा

चकोतरा निम्बू-वंश का एक फल है, जो उस वंश की सबसे बड़ी जातियों में से एक है। हालांकि निम्बू-वंश के बहुत से फल दो या उस से अधिक जातियों के संकर (हाइब्रिड) होते हैं, चकोतरा एक शुद्ध प्राकृतिक जाति है। इसके कच्चे फल का रंग हरा, और पके हुए का हल्का हरा या फिर पीला होता है। पूरा बड़ा होने पर इसके फल का व्यास (डायामीटर) १५-२५ सेमी और वज़न १ से २ किलोग्राम होता है। इसके स्वाद में खटास और कुछ मीठापन तो होता है, लेकिन कड़वाहट नहीं। चकोतरा मूलतः भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिणपूर्वी एशिया क्षेत्र की जन्मी हुई जाति है। .

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चीकू

चीकू का वृक्ष जिस पर फल लगे हैं। मैसूर में एक स्त्री पके चीकू बेच रही है। चीकू (वानस्पतिक नाम: Manilkara zapota) फल का एक प्रकार हैं। चीकू मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं।.

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एपोसाइनेसी

श्रेणी:वनस्पति विज्ञान.

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एकबीजपत्री

मोनोकॉट​ (Monocot) या एकबीजपत्री सपुष्पक पौधों का एक समूह है जिनके बीजों में एक ही बीजपत्र (कॉटिलिडन​) होता है। इनके विपरीत युडिकॉट​ (Eudicot) पौधों के बीजों में दो बीजपत्र होते हैं। फूलधारी (सपुष्पक) पौधों की यही दो मुख्य श्रेणियाँ हैं।, Linda R. Berg, pp.

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ऐमारैंथेसी

ऐमारैंथेसी (Amaranthaceae) या ऐमारैंथेसिआए (दोनों उच्चारण सही हैं) सपुष्पक पौधों का एक जीववैज्ञानिक कुल है, जिसे साधारण भाषा में चौलाई कुल (ऐमारैंथ कुल) भी कहते हैं। इसमें 165 जीववैज्ञानिक वंश और 2,040 जातियाँ सम्मिलित हैं। at .

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ऐस्टरिड

ऐस्टरिड​ (Asterid) सपुष्पक पौधों (यानि फूल देने वाले पौधों) का एक बड़ा क्लेड परिवार है। रोज़िड और ऐस्टरिड​ सारे युडिकॉट​ (दो बीजपत्रों वाले फूलदार पौधे) के परिवार के दो सबसे बड़े क्लेड हैं और इन दोनों में हज़ारों सदस्य जातियाँ आती हैं।, Joel Cracraft, Michael J. Donoghue, pp.

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ऐस्टरेसिए

कंपोज़िटी (compositae) या ऐस्टरेसिए (Asteraceae) फूलवाले पौधों का एक कुल है। इस कुल को हिंदी में संग्रथित कुल कह सकते हैं। इस कुल में अन्य कुलों की अपेक्षा बहुत अधिक पौधे हैं और ये विश्वव्यापी भी हैं। .

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झाऊ

झाऊ (tamarisk) सपुष्पक पौधों की ५०-६० जीववैज्ञानिक जातियों वाला एक जीववैज्ञानिक कुल है, जो औपचारिक रूप से टमैरिकेसिए (Tamaricaceae) कहलाता है। यह जातियाँ एशिया, यूरोप और अफ़्रीका के शुष्क इलाकों में पाई जाती हैं। उत्तर भारत में यह बहुत क्षेत्रों में फैला हुआ वृक्ष है। .

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डाइप्टेरोकारपेसिए

डाइप्टेरोकारपेसिए (Dipterocarpaceae) विश्व के ऊष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों और वर्षावनों में मिलने वाले वृक्षों का एक जीववैज्ञानिक कुल है। इसमें १६ वंश और लगभग ७०० ज्ञात जातियाँ सम्मिलित हैं। इन वृक्षों के फल अक्सर दो पर-जैसे छिलकों से ढके रहते हैं। .

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तरबूज़

तरबूज़ ग्रीष्म ऋतु का फल है। यह बाहर से हरे रंग के होते हैं, परन्तु अंदर से लाल और पानी से भरपूर व मीठे होते हैं। इनकी फ़सल आमतौर पर गर्मी मैं तैयार होती है। पारमरिक रूप से इन्हें गर्मी में खाना अच्छा माना जाता है क्योंकि यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करते हैं। कुछ स्रोतों के अनुसार तरबूज़ रक्तचाप को संतुलित रखता है और कई बीमारियाँ दूर करता है। हिन्दी की उपभाषाओं में इसे मतीरा (राजस्थान के कुछ भागों में) और हदवाना (हरियाणा के कुछ भागों में) भी कहा जाता है। .

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तानतानी

तानतानी या लंटाना (अंग्रेजी:Lantana) वेर्बेनाकेऐ कुल से संबंधित लगभग 150 सदाबहार पुष्पजनक प्रजातियों का एक वंश(जीनस) है। यह मूल रूप से अमेरिका और अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों का निवासी हैं लेकिन कई क्षेत्रों में भी विशेष रूप से ऑस्ट्रेलियाई प्रशांत क्षेत्र में भी यह पाया जाता है क्योंकि इसे इसके मूल क्षेत्रों से लाकर यहां लगाया गया था। तानतानी जीनस के अंतर्गत घास और झाड़ियां दोनों आती हैं, जिनकी ऊंचाई 0.5-2 मीटर (1.6-6.6 फुट) तक हो सकती है। .

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तिपतिया

श्रेणी:पौधे.

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तिल

तिल (Sesamum indicum) एक पुष्पिय पौधा है। इसके कई जंगली रिश्तेदार अफ्रीका में होते हैं और भारत में भी इसकी खेती और इसके बीज का उपयोग हजारों वर्षों से होता आया है। यह व्यापक रूप से दुनिया भर के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पैदा किया जाता है। तिल के बीज से खाद्य तेल निकाला जाता है। तिल को विश्व का सबसे पहला तिलहन माना जाता है और इसकी खेती ५००० पहले शुरू हुई थी। तिल वार्षिक तौर पर ५० से १०० सेøमीø तक बढता है। फूल ३ से ५ सेøमीø तथा सफेद से बैंगनी रंग के पाये जाते हैं। तिल के बीज अधिकतर सफेद रंग के होते हैं, हालांकि वे रंग में काले, पीले, नीले या बैंगनी रंग के भी हो सकते हैं। तिल प्रति वर्ष बोया जानेवाला लगभग एक मीटर ऊँचा एक पौधा जिसकी खेती संसार के प्रायः सभी गरम देशों में तेल के लिये होती है। इसकी पत्तियाँ आठ दस अंगुल तक लंबी और तीन चार अंगुल चौड़ी होती हैं। ये नीचे की ओर तो ठीक आमने सामने मिली हुई लगती हैं, पर थोड़ा ऊपर चलकर कुछ अंतर पर होती हैं। पत्तियों के किनारे सीधे नहीं होते, टेढे़ मेढे़ होते हैं। फूल गिलास के आकार के ऊपर चार दलों में विभक्त होते हैं। ये फूल सफेद रंग के होते है, केवल मुँह पर भीतर की ओर बैंगनी धब्बे दिखाई देते हैं। बीजकोश लंबोतरे होते हैं जिनमें तिल के बीज भरे रहते हैं। ये बीज चिपटे और लंबोतरे होते हैं। भारत में तिल दो प्रकार का होता है— सफेद और काला। तिल की दो फसलें होती हैं— कुवारी और चैती। कुवारी फसल बरसात में ज्वार, बाजरे, धान आदि के साथ अधिकतर बोंई जाती हैं। चैती फसल यदि कार्तिक में बोई जाय तो पूस-माघ तक तैयार हो जाती है। वनस्पतिशास्त्रियों का अनुमान है कि तिल का आदिस्थान अफ्रीका महाद्वीप है। वहाँ आठ-नौ जाति के जंगली तिल पाए जाते हैं। पर 'तिल' शब्द का व्यवहार संस्कृत में प्राचीन है, यहाँ तक कि जब अन्य किसी बीज से तेल नहीं निकाला गया था, तव तिल से निकाला गया। इसी कारण उसका नाम ही 'तैल' (.

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नारंगी (फल)

नारंगी (Citrus tangerina) नीबू की जात का एक फल होता है1 नारंगी का छिलका मुलायम और पतला और पीले लाल रंग का होता है1 छिलका बहुत आसानी से अलग हो जाता है। भीतर पतली झिल्ली से फाँकें होती हैं। .

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नीबू

नीबू का वृक्ष नीबू (Citrus limon, Linn.) छोटा पेड़ अथवा सघन झाड़ीदार पौधा है। इसकी शाखाएँ काँटेदार, पत्तियाँ छोटी, डंठल पतला तथा पत्तीदार होता है। फूल की कली छोटी और मामूली रंगीन या बिल्कुल सफेद होती है। प्रारूपिक (टिपिकल) नीबू गोल या अंडाकार होता है। छिलका पतला होता है, जो गूदे से भली भाँति चिपका रहता है। पकने पर यह पीले रंग का या हरापन लिए हुए होता है। गूदा पांडुर हरा, अम्लीय तथा सुगंधित होता है। कोष रसयुक्त, सुंदर एवं चमकदार होते हैं। नीबू अधिकांशत: उष्णदेशीय भागों में पाया जाता है। इसका आदिस्थान संभवत: भारत ही है। यह हिमालय की उष्ण घाटियों में जंगली रूप में उगता हुआ पाया जाता है तथा मैदानों में समुद्रतट से 4,000 फुट की ऊँचाई तक पैदा होता है। इसकी कई किस्में होती हैं, जो प्राय: प्रकंद के काम में आती हैं, उदाहरणार्थ फ्लोरिडा रफ़, करना या खट्टा नीबू, जंबीरी आदि। कागजी नीबू, कागजी कलाँ, गलगल तथा लाइम सिलहट ही अधिकतर घरेलू उपयोग में आते हैं। इनमें कागजी नीबू सबसे अधिक लोकप्रिय है। इसके उत्पादन के स्थान मद्रास, बंबई, बंगाल, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र हैदराबाद, दिल्ली, पटियाला, उत्तर प्रदेश, मैसूर तथा बड़ौदा हैं। नीबू की उपयोगिता जीवन में बहुत अधिक है। इसका प्रयोग अधिकतर भोज्य पदार्थों में किया जाता है। इससे विभिन्न प्रकार के पदार्थ, जैसे तेल, पेक्टिन, सिट्रिक अम्ल, रस, स्क्वाश तथा सार (essence) आदि तैयार किए जाते हैं। .

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नीलगिरी (यूकलिप्टस)

नीलगिरी मर्टल परिवार, मर्टसिया प्रजाति के पुष्पित पेड़ों (और कुछ झाडि़यां) की एक भिन्न प्रजाति है। इस प्रजाति के सदस्य ऑस्ट्रेलिया के फूलदार वृक्षों में प्रमुख हैं। नीलगिरी की 700 से अधिक प्रजातियों में से ज्यादातर ऑस्ट्रेलिया मूल की हैं और इनमें से कुछ बहुत ही अल्प संख्या में न्यू गिनी और इंडोनेशिया के संलग्न हिस्से और सुदूर उत्तर में फिलपिंस द्वीप-समूहों में पाये जाते हैं। इसकी केवल 15 प्रजातियां ऑस्ट्रेलिया के बाहर पायी जाती हैं और केवल 9 प्रजातियां ऑस्ट्रेलिया में नहीं होतीं.

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पत्रंग

पत्रंग या पत्रांग सेसलपिनिया वंश में एक सपुष्पक वनस्पति की जीववैज्ञानिक जाति है। इसका वैज्ञानिक नाम "सेसलपिनिया सपन" (Caesalpinia sappan) है। .

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प्राजक्ता (फूल)

प्राजक्ता एक पुष्प देने वाला वृक्ष है। इसे हरसिंगार, शेफाली, शिउली आदि नामो से भी जाना जाता है। इसका वृक्ष 10 से 15 फीट ऊँचा होता है। इसका वानस्पतिक नाम 'निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस' है। पारिजात पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। यह सारे भारत में पैदा होता है। यह पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है। .

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प्रोटियेलीज़

प्रोटियेलीज़ (Proteales) पुष्पधारी पौधों का एक गण है। इसमें कमल के साथ-साथ कई अन्य फूलवाले वनस्पति आते हैं। प्रोटियेलीज़ गण के वनस्पति आम तौर पर पौधे या छोटे पेड़ों के रूप में होते हैं।, pp.

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प्रोटियेसीए

प्रोटियेसीए (Proteaceae) पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध (हेमिस्फ़ीयर) में मिलने वाले पुष्पधारी पौधों का एक कुल है। इस कुल में ८० वंशों में विस्तृत १७०० जातियाँ शामिल हैं। दक्षिण अफ़्रीका में मिलने वाले प्रोटिया और ऑस्ट्रेलिया में मिलने वाले बैन्कसिया दोनों इसी कुल में आते हैं। यह कुल प्रोटियेलीज़ गण का हिस्सा है, जिसमें कमल और अन्य पुष्पधारी भी सम्मिलित हैं। प्रोटियेसीए की जातियाँ आमतौर पर छोटे पेड़ों या झाड़ियों के रूप में दिखती हैं।, Else Marie Friis, Peter R. Crane, Kaj Raunsgaard Pedersen, pp.

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पैकिसेरियस प्रिंगलेइ

पैकिसेरियस प्रिंगलेइ (Pachycereus pringlei), जिसे मेक्सिकी बड़ा कार्दन (Mexican giant cardon) या हाथी कैक्टस (elephant cactus) भी कहा जाता है, कैक्टस की एक जीववैज्ञानिक जाति है को मूल रूप से पश्चिमोत्तरी मेक्सिको में बाहा कैलिफ़ोर्निया, बाहा कैलिफ़ोर्निया सुर और सोनोरा राज्यों में पाई जाती है। इन क्षेत्रों के स्थानीय सेरी लोग (जो यहाँ की आदिवासी जनजाति है) इस कैक्टस के फल खाते हैं। .

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पॉलीगोनेसी

पॉलीगोनेसी (Polygonaceae) द्विबीजपत्रीय वर्ग का एक जीववैज्ञानिक कुल है, जिसमें लगभग ४० वंश (genera) और लगभग ७५० जातियाँ पाई जाती हैं। इसकी १०९ जातियाँ भारत में मिलती हैं। अधिकांशतः ये पौधे प्राक (herb) किस्म के हाते हैं, पर कुछ लतर के रूप के भी पाए जाते हैं। पत्तियाँ सरल, पूरी और एकांतर (alternate) होती हैं। अनुपर्ण (stipule) विशेष प्रकार का होता है, जो तने के चारों ओर खोखली नली बनाता है और एक पर्वसंधि (node) से लेकर दूसरी पर्वसंधि कुछ ऊँचाई तक घेरे रहता है। इसे नाल चोली अनुपर्ण कहते हैं और यह इस कुल की विशेषता है। पुष्पगुच्छ असीमाक्षी (racemoss) होता है तथा फूल द्विलिंगी और नियमित (regular) होते हैं। कभी-कभी अनियमित भी होते हैं। परिदलपुंज (perianth) दो चक्करों (whorls) में, तीन बाहर और तीन अंदर या एक चक्कर में पाँच, होते हैं। पुमंग (androecium) भी तीन और तीन के दो चक्करों में, या पाँच से आठ तक एक ही चक्कर में, होता है। जायांग (gynaeceum) की संख्या तीन होती है, जो युक्तांडपी (syncarpous) होते हैं। ओवरी या अंडाशय सुपीरियर (superior) होता है। फल छोटा तिकोना होता है। इस कुल के मुख्य वंशों को तीन उपकुलों में भी बाँटा जाता है। ये उपकुल हैं,.

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पॉइज़न आइवी

टॉक्सिकोडेंड्रोन रेडिकंस (पॉइज़न आइवी; पुराने समानार्थक शब्द रुस टॉक्सिकोडेंड्रोन, रुस रेडिकंसUSDA अग्नि प्रभाव सूचना व्यवस्था), ऐनाकार्डियासी परिवार का एक पौधा है। यह एक जंगली लता है जो युरुशियोल नामक एक त्वचा प्रदाहक उत्पन्न करने की अपनी क्षमता के लिए काफी मशहूर है जो अधिकांश लोगों में होने वाली एक खुजली वाली फुंसी का कारण है जिसे तकनीकी तौर पर युरुशियोल-प्रेरित संपर्क त्वचादाह के रूप में जाना जाता है लेकिन यह एक वास्तविक आइवी (हेडेरा) नहीं है। .

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फ्रेक्सिनस ऑर्नस

फ्रेक्सिनस ऑर्नस (Fraxinus ornus या manna ash या South European flowering ash) फैक्सिनस की एक प्रजाति है जो दक्षिणी यूरोप तथा दक्षिण-पश्चिम एशिया में पैदा होती है।Rushforth, K. (1999).

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बाँज

बाँज का फल (चेस्टनट) बाँज या बलूत या शाहबलूत एक तरह का वृक्ष है जिसे अंग्रेज़ी में 'ओक' (Oak) कहा जाता है। इसकी लगभग ४०० प्रजातियाँ हैं। .

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बुरांस

बुरांस या बुरुंश (रोडोडेंड्रॉन / Rhododendron) सुन्दर फूलों वाला एक वृक्ष है। बुरांस का पेड़ उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है, तथा नेपाल में बुरांस के फूल को राष्ट्रीय फूल घोषित किया गया है। गर्मियों के दिनों में ऊंची पहाड़ियों पर खिलने वाले बुरांस के सूर्ख फूलों से पहाड़ियां भर जाती हैं। हिमाचल प्रदेश में भी यह पैदा होता है। बुरांश हिमालयी क्षेत्रों में 1500 से 3600 मीटर की मध्यम ऊंचाई पर पाया जाने वाला सदाबहार वृक्ष है। बुरांस के पेड़ों पर मार्च-अप्रैल माह में लाल सूर्ख रंग के फूल खिलते हैं। बुरांस के फूलों का इस्तेमाल दवाइयों में किया जाता है, वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल स्रोतों को यथावत रखने में बुरांस महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बुरांस के फूलों से बना शरबत हृदय-रोगियों के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। बुरांस के फूलों की चटनी और शरबत बनाया जाता है, वहीं इसकी लकड़ी काुपयोग कृषि यंत्रों के हैंडल बनाने में किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी वृद्ध लोग बुरांश के मौसम् के समय घरों में बुरांस की चटनी बनवाना नहीं भूलते। बुरांस की चटनी ग्रामीण क्षेत्रों में काफी पसंद की जाती है। .

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ब्रह्म कमल

ब्रह्म कमल (वानस्पतिक नाम: Saussurea obvallata) एस्टेरेसी कुल का पौधा है। सूर्यमुखी, गेंदा, डहलिया, कुसुम एवं भृंगराज इस कुल के अन्य प्रमुख पौधे हैं। भारत में Epiphyllum oxypetalum को भी 'ब्रह्म कमल' कहते हैं। .

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बैंकसिया

बैंकसिया (Banksia) लगभग १७० जातियों वाला बनफूलों और उद्यानों में लगाने के लिये लोकप्रिय फूलदार पौधों का एक वंश है जिसकी जातियाँ ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती हैं। यह वंश प्रोटियेसीए नामक कुल का सदस्य है। यह अपने विशेष तिनकेदार फूलों और शंकुओं से आसानी से पहचाना जा सकता है। इसकी जातियाँ छोटी झाड़ों से लेकर ३० मीटर लम्बें वृक्षों तक के रूप में मिलती हैं। वे ऑस्ट्रेलिया के वर्षावनों से लेकर अर्ध-शुष्क इलाक़ों तक में पाई जाती हैं लेकिन ऑस्ट्रेलिया के रेगिस्तानों में पनप नहीं पाती।, Don Burke, pp.

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भिण्डी

भिंडी भिण्डी एक सब्जी है। इसका वृक्ष लगभग १ मीटर लम्बा होता है। बनारस में इसे 'राम तरोई' कहते हैं और छत्तीसगढ में इसे 'रामकलीय' कहते हैं। बंगला में स्वनाम ख्यात फलशाक, मराठी में 'भेंडे', गुजराती में 'भींडा', फारसी में 'वामिया' कहते हैं। .

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मटर

मटर एक फूल धारण करने वाला द्विबीजपत्री पौधा है। इसकी जड़ में गांठे मिलती हैं। इसकी संयुक्त पत्ती के अगल कुछ पत्रक प्रतान में बदल जाते हैं। यह शाकीय पौधा है जिसका तना खोखला होता है। इसकी पत्ती सेयुक्त होती है। इसके फूल पूर्ण एवं तितली के आकार के होते हैं। इसकी फली लम्बी, चपटी एवं अनेक बीजों वाली होती है। मटर के एक बीज का वजन ०.१ से ०.३६ ग्राम होता है। .

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मण्डूकपर्णी

ब्राह्मी बूटी या मण्डूकपर्णी (वानस्पतिक नाम: Centella asiatica) एक औषधीय वनस्पति है। इसका फैलने वाला छोटा क्षुप होता है जो नमी वाले स्थानों पर होता है। पत्ते कुछ मांसल और छ्त्राकार होते हैं तथा किनारों पर दंतुर होते है। इसके पत्तों का व्यास लगभग आधा ईंच से लेकर एक ईंच तक होता है। उत्तरी भारत में यह लगभग हर जगह पर नमी वाली जगह पर छाया वाली जगह पर मिल जाता है। आयुर्वेद में इसे औषधीय क्षुप माना जाता है। यह वनस्पति मेध्य द्रव्य (मेधा शक्ति बढाने वाला) के रूप में गिना जाता है। पागलपन और मिर्गी की प्रसिद्ध औषधि सारस्वत चूर्ण में इसके स्वरस की भावना दी जाती है। .

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मधुमालती

मधुमालती (Honeysuckle) एक वनस्पति है जो क्षुप (झाड़ी) या लता के रूप में होती है। यह कैप्रीफोलिआसी वंश में आती है। इसकी लगभग १८० प्रजातियाँ ज्ञात हैं। इनमें से लगभग १०० प्रजातियाँ चीन में, २० भारत में, २० यूरोप में, तथा २० उत्तरी अमेरिका में पायी जाती हैं। इसकी सबसे प्रसिद्ध प्रजातियाँ हैं- लोनिकेरा जैपोनिका (Lonicera japonica या जापानी मधुमालती या चीनी मधुमालती), लोनिकेरा पेरिक्लिमेनम (Lonicera periclymenum या woodbine), तथा लोनिकेरा सेमपर्विरेन्स (Lonicera sempervirens या trumpet honeysuckle, या woodbine honeysuckle).

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मालपिग्यालेस

मालपिग्यालेस (Malpighiales) सपुष्पक पौधों के सबसे विस्तृत जीववैज्ञानिक गणों में से एक है। इसमें लगभग १६,००० जातियाँ शामिल हैं जो कि पूरे युडिकॉट समूह का लगभग ७.८% प्रतिशत है।Peter F. Stevens (2001 onwards).

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मैलवेलीस

मैलवेलीस (Malvales) सपुष्पक पौधों का एक जीववैज्ञानिक गण है, जिसमें ९ कुलों के अंतर्गत लगभग ६,००० जातियाँ आती हैं। इस गण के अधिकतर सदस्य क्षुप और वृक्ष हैं, और अधिकांश विश्व के ऊष्णकटिबन्धीय (ट्रॉपिकल) व ऊष्णकटिबन्धीय (सबट्रॉपिकल) क्षेत्रों में फैली हुई हैं। गुड़हल (हाइबिस्कस), भिण्डी, बाओबाब (अदनसोनिया) और कपास इस गण के सदस्य हैं। .

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मूँग

मूँग एक प्रमुख फसल है। इसका वानस्पतिक नाम बिगना रेडिएटा (Vigna radiata) है। यह लेग्यूमिनेसी कुल का पौधा हैं तथा इसका जन्म स्थान भारत है। मूँग के दानों में २५% प्रोटिन, ६०% कार्बोहाइड्रेट, १३% वसा तथा अल्प मात्रा में विटामिन सी पाया जाता हैं। .

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मोगरा

मोगरा मोगरा (वानस्पतिक नाम: Jasminum sambac) एक फूल देने वाला पौधा है जो दक्षिण एशिया तथा दक्षिण-पूर्व एशिया का देशज है। यह फिलिपिंस का राष्ट्रीय पुष्प है। इसे संस्कृत में 'मालती' तथा 'मल्लिका' कहते हैं। मोगरा एक भारतीय पुष्प है। मोगरे का लैटिन नाम जेसमिनम सेमलेक है। मोगरे का फूल बहुत सुगन्धित होता है। मोगरा के फूल से सुगन्धित फूलों की माला और गजरे तैयार किये व पहने जाते हैं। रंग मोगरे के फूल का रंग सफ़ेद रंग का होता है। स्वभाव मोगरा के फूलों की प्रकृति गर्म होती हैं। मोगरे का विवरण दिल्ली सहित अजमेर, जयपुर, कोटा, बीकानेर आदि में टोंक के मोगरे के फूल व मालाएँ पसंद की जाती है। मोगरे के फ़ायदे .

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युडिकॉट

युडिकॉट​ (Eudicot) सपुष्पक पौधों का एक समूह है जिनके बीजों के दो हिस्से (बीजपत्र) होते हैं, जिसके विपरीत मोनोकॉट (Monocot) पौधों के बीजों में एक ही बीजपत्र होता है। फूलधारी (सपुष्पक) पौधों की यही दो मुख्य श्रेणियाँ हैं।, Linda R. Berg, pp.

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रतनजोत

रतनजोत (Alkanet या Dyers' Bugloss), जिसे रंग-ए-बादशाह भी कहते हैं, बोराजिनासीए (Boraginaceae) जीववैज्ञानिक कुल का एक फूलदार पौधा है। इसके नीले रंग के फूल होते हैं।, William Dymock, pp.

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रालन

रालन या आलय सेसलपिनिया वंश में एक सपुष्पक वृक्ष की जीववैज्ञानिक जाति है। इसका वैज्ञानिक नाम "सेसलपिनिया डेकापेटाला" (Caesalpinia decapetala) है। .

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राज़क

राज़क या हॉप (Hop) या ह्युमुलस (Humulus) पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (हेमिस्फ़ेयर) के समशीतोष्ण (टेम्परेट) इलाक़ों में उगने वाला एक फूलदार पौधा है। यह '​कैनाबेसीए' (Cannabaceae) जीववैज्ञानिक कुल का एक सदस्य है, जिसमें भांग और खरक भी शामिल हैं। राज़क की ह्युमुलस लुप्युलस जाति के शंकुनुमा मादा फूलों को उनके स्वाद और गंध के लिए प्रयोग किया जाता है, विशेषकर बियर (शराब) बनाने के लिए।, Narain Singh Chauhan, pp.

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राइज़ोफ़ोरासिए

राइज़ोफ़ोरासिए (Rhizophoraceae) पृथ्वी के ऊष्णकटिबन्ध और उपोष्णकटिबन्ध क्षेत्रों में मिलने वाले सपुष्पक पौधों का एक जीववैज्ञानिक कुल है। इसकी सबसे प्रसिद्ध सदस्य जातियाँ राइज़ोफ़ोरा (Rhizophora) जीववैज्ञानिक वंश में आने वाले मैंग्रोव हैं। कुल मिलाकर राइज़ोफ़ोरासिए कुल में १४७ जातियाँ हैं जो १५ गणों में संगठित हैं। इनमें से अधिकतर जातियाँ पूर्वजगत की निवासी हैं। .

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रूमेक्स

रूमेक्स (अंग्रेज़ी: Rumex) पौधों की लगभग २०० जातियों का एक जीववैज्ञानिक वंश है जो पोलिगोनेसिए कुल के अंतर्गत आता है। इसमें खट्टे पालक सहित और भी गण शामिल हैं। मूल रूप से इसकी अधिकतर जातियाँ पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में उगा करते थे लेकिन मानवीय हस्तक्षेप से अब यह लगभग हर स्थान में मिलते हैं। इनमें से कई खाद्य-योग्य हैं। रूमेक्स वंश की मूल व्याख्या कार्ल लिनेअस ने की थी। तितलियों व पतंगों की कई जातियों के डिंभ (लारवा, शिशु) इनके पत्ते खाते हैं। .

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रोज़िड

रोज़िड (Rosid) सपुष्पक पौधों (यानि फूल देने वाले पौधों) का एक बड़ा क्लेड परिवार है, जिसमें ७०,००० से अधिक जातियाँ आती हैं। सारे फूलने वाले पौधों की जातियों में से एक-चौथाई इसी क्लेड की सदस्य हैं। रोज़िड क्लेड को अलग-अलग जीववैज्ञानिकों की मतानुसार १६ से २० गणों में विभाजित किया जाता है। रोज़िड और ऐस्टरिड​ सारे युडिकॉट​ (दो बीजपत्रों वाले फूलदार पौधे) के परिवार के दो सबसे बड़े क्लेड हैं और इन दोनों में हज़ारों सदस्य जातियाँ आती हैं।, Joel Cracraft, Michael J. Donoghue, pp.

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लैवेंडर

लैवेंडर (लैवेन्डुला) पुदिना परिवार लैमिआसे के 39 फूल देने वाले पौधों में से एक प्रजाति है। एक पुरानी विश्व प्रजाति मकारोनेसिया (केप वर्डे और कैनरी द्वीप और मैदेरा) अफ्रीका, भूमध्यसागरीय, दक्षिणी पश्चिमी एशिया, अरब, पश्चिमी ईरान और दक्षिण पूर्व भारत के पार से वितरित हुई.

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लोमाटिया तस्मानिका

लोमाटिया तस्मानिका या किंग्स लोमाटिया, प्रोटेसी कुल की एक तस्मानियाई जड़ी है। इसके पौधे के पत्ते चमकदार हरे होते है और यह गुलाबी फूल उत्पन्न करता है परंतु, यह कोई फल अथवा बीज उत्पादित नहीं करता। माना जाता है कि जंगल में किंग्स लोमाटिया की मात्र एक ही जीवित बस्ती बची है। लोमाटिया तस्मानिका इसलिए असाधारण है क्योंकि इसके शेष बचे सभी पौधे आनुवंशिक रूप से एक समान हैं। इसमें अगुणित गुणसूत्रों के तीन समुच्च्य होते हैं (3x .

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लीची

लीची एक फल के रूप में जाना जाता है, जिसे वैज्ञानिक नाम (Litchi chinensis) से बुलाते हैं, जीनस लीची का एकमात्र सदस्य है। इसका परिवार है सोपबैरी। यह ऊष्णकटिबन्धीय फल है, जिसका मूल निवास चीन है। यह सामान्यतः मैडागास्कर, भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, दक्षिण ताइवान, उत्तरी वियतनाम, इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस और दक्षिण अफ्रीका में पायी जाती है। सैमसिंग के फूल, दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल, भारत इसका मध्यम ऊंचाई का सदाबहार पेड़ होता है, जो कि 15-20 मीटर तक होता है, ऑल्टर्नेट पाइनेट पत्तियां, लगभग 15-25 सें.मी.

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शलजम

शलजम (Turnip, वानस्पतिक नाम:Brassica rapa) क्रुसीफ़ेरी कुल का पौधा है। इसकी जड़ गांठनुमा होती है जिसकी सब्ज़ी बनती है। कोई इसे रूस का और कोई इसे उतरी यूरोप का देशज मानते हैं। आज यह पृथ्वी के प्राय: समस्त भागों में उगाया जाता है। .

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शोरि रोबस्टा

कोई विवरण नहीं।

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शीशम

शीशम (Shisham या Dalbergia sissoo) भारतीय उपमहाद्वीप का वृक्ष है। इसकी लकड़ी फर्नीचर एवं इमारती लकड़ी के लिये बहुत उपयुक्त होती है। शीशम बहुपयोगी वृक्ष है। इसकी लकड़ी, पत्तियाँ, जड़ें सभी काम में आती हैं। लकड़ियों से फर्नीचर बनता है। पत्तियाँ पशुओं के लिए प्रोटीनयुक्त चारा होती हैं। जड़ें भूमि को अधिक उपजाऊ बनाती हैं। पत्तियाँ व शाखाएँ वर्षा-जल की बूँदों को धीरे-धीरे जमीन पर गिराकर भू-जल भंडार बढ़ाती हैं। शीशम की लकड़ी भारी, मजबूत व बादामी रंग की होती है। इसके अंतःकाष्ठ की अपेक्षा बाह्य काष्ठ का रंग हल्का बादामी या भूरा सफेद होता है। लकड़ी के इस भाग में कीड़े लगने की आशंका रहती है। इसलिए इसे नीला थोथा, जिंक क्लोराइड या अन्य कीटरक्षक रसायनों से उपचारित करना जरूरी है। शीशम के 10-12 वर्ष के पेड़ के तने की गोलाई 70-75 व 25-30 वर्ष के पेड़ के तने की गोलाई 135 सेमी तक हो जाती है। इसके एक घनफीट लकड़ी का वजन 22.5 से 24.5 किलोग्राम तक होता है। आसाम से प्राप्त लकड़ी कुछ हल्की 19-20 किलोग्राम प्रति घनफुट वजन की होती है। .

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साधारण राज़क

साधारण राज़क या साधारण हॉप (common hop) '​कैनाबेसीए' (Cannabaceae) जीववैज्ञानिक कुल के राज़क (ह्युमुलस) वंश की एक जाति है। इसके मादा और नर पौधे अलग होते हैं और मादा पौधे के शंकुनुमा फूलों का प्रयोग बियर बनाने में किया जाता है, जिसे वह स्वाद और ख़ुशबू प्रदान करते हैं, हालांकि इनसे कुछ कड़वाहट भी आ जाती है। इन फूलों का सार कीटाणु-नाशक भी होता है और उस से पेयों को संरक्षित भी किया जाता है। यह विशव के समशीतोष्ण (टेम्परेट) इलाक़ों में लता के रूप में उगता है और भारत में यह हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में उगाया जाता है।, Narain Singh Chauhan, pp.

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साल (वृक्ष)

शाल या साखू (Shorea robusta) एक द्विबीजपत्री बहुवर्षीय वृक्ष है। इसकी लकड़ी इमारती कामों में प्रयोग की जाती है। इसकी लकड़ी बहुत ही कठोर, भारी, मजबूत तथा भूरे रंग की होती है। इसे संस्कृत में अग्निवल्लभा, अश्वकर्ण या अश्वकर्णिका कहते हैं। साल या साखू (Sal) एक वृंदवृत्ति एवं अर्धपर्णपाती वृक्ष है जो हिमालय की तलहटी से लेकर ३,०००-४,००० फुट की ऊँचाई तक और उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार तथा असम के जंगलों में उगता है। इस वृक्ष का मुख्य लक्षण है अपने आपको विभिन्न प्राकृतिक वासकारकों के अनुकूल बना लेना, जैसे ९ सेंमी से लेकर ५०८ सेंमी वार्षिक वर्षा वाले स्थानों से लेकर अत्यंत उष्ण तथा ठंढे स्थानों तक में यह आसानी से उगता है। भारत, बर्मा तथा श्रीलंका देश में इसकी कुल मिलाकर ९ जातियाँ हैं जिनमें शोरिया रोबस्टा (Shorea robusta Gaertn f.) मुख्य हैं। इस वृक्ष से निकाला हुआ रेज़िन कुछ अम्लीय होता है और धूप तथा औषधि के रूप में प्रयोग होता है। तरुण वृक्षों की छाल में प्रास लाल और काले रंग का पदार्थ रंजक के काम आता है। बीज, जो वर्षा के आरंभ काल के पकते हैं, विशेषकर अकाल के समय अनेक जगहों पर भोजन में काम आते हैं। इस वृक्ष की उपयोगिता मुख्यत: इसकी लकड़ी में है जो अपनी मजबूती तथा प्रत्यास्थता के लिए प्रख्यात है। सभी जातियों की लकड़ी लगभग एक ही भाँति की होती है। इसका प्रयोग धरन, दरवाजे, खिड़की के पल्ले, गाड़ी और छोटी-छोटी नाव बनाने में होता है। केवल रेलवे लाइन के स्लीपर बनाने में ही कई लाख घन फुट लकड़ी काम में आती है। लकड़ी भारी होने के कारण नदियों द्वारा बहाई नहीं जा सकती। मलाया में इस लकड़ी से जहाज बनाए जाते हैं। .

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सिलंग

सिलंग या ख़ुशबूदार ओज़मैनथस (अंग्रेज़ी: Sweet Osmanthus) एक प्रकार का पुष्पीय पौधा है, जो एशिया के शीतोष्ण कटिबन्ध (टेम्परेट ज़ोन) के गर्म भागों में, कॉकस क्षेत्र से लेकर जापान तक उगता है। भारत में यह हिमालय क्षेत्र में मिलता है और इसका प्रयोग बग़ीचों में ख़ुशबू के लिए किया जाता है क्योंकि इसके फूलों में पकी हुई ख़ुबानी से मिलती-जुलती एक लुभावनी सुगंध होती है।, Sir George Watt, Printed by the Superintendent of Government Printing, Government of India,1883,...

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सिलीन स्टेनोफ़ाइला

सिलीन स्टेनोफ़ाइला (Silene stenophylla) पुष्पीय पौधों की एक प्रजाति है, जो कैर्योफ़िलैसिए जीववैज्ञानिक कुल की है। इसे प्रायः नैरो-लीफ़्ड कैम्पियन भी कहा जाता है। यह सिलीन जीववैज्ञानिक वंश में एक प्रजाति है। २०१२ में यह दावा किया गया है कि इसके हिमीकृत नमूनों को, जो ३०,००० वर्ष पुराने थे, पुनर्जीवित कर लेने में सफलता मिली है। .

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स्टेविया

स्टेविया' माने मीठी तुलसी, सूरजमुखी परिवार (एस्टरेसिया) के झाड़ी और जड़ी बूटी के लगभग 240 प्रजातियों में पाया जाने वाला एक जीनस है, जो पश्चमी उत्तर अमेरिका से लेकर दक्षिण अमेरिका के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। स्टेविया रेबउडियाना प्रजातियां, जिन्हें आमतौर पर स्वीटलीफ, स्वीट लीफ, सुगरलीफ या सिर्फ स्टेविया के नाम से जाना जाता है, मीठी पत्तियों के लिए वृहत मात्रा में उगाया जाता है। स्वीटनर और चीनी स्थानापन्न के रूप में स्टेविया, चीनी की तुलना में धीरे-धीरे मिठास उत्पन्न करता है और ज्यादा देर तक रहता है, हालांकि उच्च सांद्रता में इसके कुछ सार का स्वाद कड़वापन या खाने के बाद मुलैठी के समान हो सकता है। इसके सार की मिठास चीनी की मिठास से 300 गुणा अधिक मीठी होती है, न्यून-कार्बोहाइड्रेट, न्यून-शर्करा के लिए एक विकल्प के रूप में बढ़ती मांग के साथ स्टेविया का संग्रह किया जा रहा है। चिकित्सा अनुसंधान ने भी मोटापे और उच्च रक्त चाप के इलाज में स्टेविया के संभव लाभ को दिखाया है। क्योंकि रक्त ग्लूकोज में स्टेविया का प्रभाव बहुत कम होता है, यह कार्बोहाइड्रेट-आहार नियंत्रण में लोगों को स्वाभाविक स्वीटनर के रूप में स्वाद प्रदान करता है। स्टेविया की उपलब्धता एक देश से दूसरे देश में भिन्न होती है। कुछ देशों में, यह दशकों या सदियों तक एक स्वीटनर के रूप में उपलब्ध रहा, उदाहरण के लिए, जापान में वृहद मात्रा में स्वीटनर के रूप में स्टेविया का प्रयोग किया जाता है और यहां यह दशकों से उपलब्ध है। कुछ देशों में, स्टेविया प्रतिबंधित या वर्जित है। अन्य देशों में, स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं और राजनीतिक विवादों के कारण इसकी उपलब्धता को सीमित कर दिया गया है, उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य में 1990 के दशक के प्रारंभ में स्टेविया को प्रतिबंधित कर दिया गया था, जब तक उसे एक पूरक के रूप में चिह्नित न किया गया हो, लेकिन 2008 में खाद्य योज्य के रूप में रिबाउडायोसाइड-A को मंजूरी दे दी गई है। कई वर्षों के दौरान, ऐसे देशों की संख्या में वृद्धि हुई है जहां स्टेविया स्वीटनर के रूप में उपलब्ध है। .

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सौंफ

सौंफ सौंफ सौंफ एक मसाला है। श्रेणी:मसाले.

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सूरजमुखी

पूरा बीज (दाएं) और कर्नेल बिना छिलके के (बाएं) सूरजमुखी या 'सूर्यमुखी' (वानस्पतिक नाम: हेलियनथस एनस) अमेरिका के देशज वार्षिक पौधे हैं। यह अनेक देशों के बागों में उगाया जाता है। यह कंपोजिटी (Compositae) कुल के हेलिएंथस (Helianthus) गण का एक सदस्य है। इस गण में लगभग साठ जातियाँ पाई गई हैं जिनमें हेलिएंथस ऐमूस (Helianthus annuus), हेलिएंथस डिकैपेटलेस (Helianthus decapetalus), हेलिएंथिस मल्टिफ्लोरस (Helianthus multiflorus), हे.

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सेमल

सेमल (वैज्ञानिक नाम:बॉम्बैक्स सेइबा), इस जीन्स के अन्य पादपों की तरह सामान्यतः 'कॉटन ट्री' कहा जाता है। इस उष्णकटिबंधीय वृक्ष का तना सीधा, उर्ध्वाधर होता है। इसकी पत्तियां डेशिडुअस होतीं हैं। इसके लाल पुष्प की पाँच पंखुड़ियाँ होतीं हैं। ये वसंत ऋतु के पहले ही आ जातीं हैं। इसका फल एक कैप्सूल जैसा होता है। ये फल पकने पर श्वेत रंग के रेशे, कुछ कुछ कपास की तरह के निकलते हैं। इसके तने पर एक इंच तक के मजबूत कांटे भरे होते हैं। इसकी लकड़ी इमारती काम के उपयुक्त नहीं होती है। .

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सेसलपिनिया

सेसलपिनिया (Caesalpinia) सपुष्पक पौधों की फ़बासिए नामक फली (लैग्यूम) कुल में एक जीववैज्ञानिक वंश का नाम है। इस वंश में ७० और १५० जीववैज्ञानिक जातियाँ आती हैं, जिनमें से कई की सदस्यता पर वनस्पति वैज्ञानिकों में आपसी विवाद है। .

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जमरूल

जमरूल (वैज्ञानिक नाम: Syzygium samarangense, बांग्ला: জামরুল), मिरटेसी (Myrtaceae) कुल में आने वाली एक पादप प्रजाति है। मूल रूप से यह विशाल सुण्डा द्वीप समूह, मलय प्रायद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का निवासी है, लेकिन प्रागैतिहासिक काल में इसे एक बड़े क्षेत्र में फैला दिया गया और आज उष्णकटिबंधीय में इसकी खेती व्यापक रूप से की जाती है। हिन्दी में इसे पानी सेब, जावाई सेब, जम्बू सेमारंग भी कहा जाता है। .

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जंगल जलेबी

जंगल जलेबी के फल जंगल जलेबी का वृक्ष जंगल जलेबी या गंगा जलेबी (वानस्पतिक नाम: Pithecellobium dulce) एक सपुष्पी पादप है। यह मटर के प्रजाति का है। इसका फल सफ़ेद और पूर्णतः पक जाने पर लाल हो जाता है खाने में मीठा होता है। यह फल मूलतः मेक्सिको का है और दक्षिण पूर्व एशिया में बहुतायत से पाया जाता है.

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जूही

कोई विवरण नहीं।

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जेड पौधा

एक मिट्टी के बर्तन में (इतालवी टेरा कोटा) में क्रसुला ओवाटा एक इनडोर बोन्साई के रूप में सी. ओवाटा. अंग्रेज़ी में सामान्यतः जेड प्लांट, फ्रेंडशिप ट्री, लकी प्लांट या मनी प्लांट, क्रसुला ओवाटा के रूप में जाना जाने वाला यह पौधा छोटे गुलाबी या सफेद फूल वाला एक रसीला पौधा है। यह दक्षिण अफ्रीका का देशी पौधा है और एक घरेलू पौधे के रूप में दुनिया भर में आम है। इसे कभी-कभी मनी प्लांट भी कहा जाता है, लेकिन, पचिरा एक्वेटिका पेड़ को भी यही कहा जाता है। जेड सदाबहार पौधे होते हैं जिनकी डालियां मोटी और पत्तियां चिकनी, गोल, मांसल होती हैं जो शाखाओं पर विपरीत जोड़ियों में उगती हैं। पत्तियां गहरी जेड हरी होती हैं, कुछ किस्मों की पत्तियों के छोर पर, जब उन्हें सूर्य के उच्च स्तर के प्रकाश के संपर्क में रखा जाता है तो लाल रंग का विकास होता है। नई शाखा का विकास पत्तियों के ही रंग और बनावट में होता है, लेकिन समय के साथ वह भूरे रंग और काठ के रंग की हो जाती है। सही वातावरण के तहत, वे वसंत ऋतु के आरम्भ में तारेनुमा छोटे सफेद या गुलाबी फूलों को जन्म देते हैं। जेड पौधे को आसानी से बोन्साई के रूप में उगाया जा सकता है और यह एक लोकप्रिय इनडोर बोन्साई है। .

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वर्बेनेसी

''दुरांता इरेक्टा'') दादुर फल (''फाइला नोडीफ्लोरा'') .

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वसाबी

ब्रस्सिकासाए परिवार का एक सदस्य है, जिसमें बन्दगोभी, सहिजन, सरसों, शामिल है। यह "जापानी हॉर्सरैडिश" के नाम से जाना जाता है, इसके जड़ का उपयोग एक मसाले के रूप में किया जाता है जिसका स्वाद बेहद तीखा होता है। इसका तीखापन सरसों के समान काली मिर्च में काप्सैसिन से अधिक होता है, जिसका विषाद जीभ के बजाय नासिका को अधिक उत्तेजित करता है। इसका पौधा जापान में पर्वतीय नदी की घाटी में जलधाराओं के किनारे की समतल भूमि पर स्वाभाविक रूप से पनपता है। वहां अन्य प्रजातियां भी हैं जैसे डब्ल्यू कोराना और डब्ल्यू तेत्सुइगी जो इस्तेमाल में लायी जाती हैं। बाजार में दो मुख्य प्रजातियां हैं डब्ल्यू जापोनिका सीवी. 'दारूमा' और सीवी.

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वसाका

वसाका एक द्विबीजपत्री झाड़ीदार पौधा है। यह एकेन्थेसिया परिवार का पौधा है। इसकी पत्तियाँ लम्बी होती हैं और तनों की पर्वसन्धियों पर सम्मुख क्रम में सजी रहती हैं। इसके फूल का रंग सफेद एवं पुष्पमंजरी गुच्छेदार होती है। यह एक औषधिय पौधा है। इसकी पत्ती में वेसिन नामक उपक्षार पाया जाता है। इसका उपयोग विभिन्न प्रकार की दवाइयों के रूप में किया जाता है। औषधियाँ इसकी पत्तियों एवं जड़ों से तैयार की जाती हैं। .

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वृक्ष सूर्यानुवर्त

वृक्ष सूर्यानुवर्त (Tree Heliotrope), जिसे ऑक्टोपस झाड़ (Octopus Bush) भी कहते हैं, बोराजिनासीए (Boraginaceae) जीववैज्ञानिक कुल का एक फूलदार पौधा है। यह मूलतः एशिया के गरम क्षेत्रों (जैसे कि दक्षिणी चीन), हिंद महासागर में माडागास्कर​ और उसके इर्द-गिर्द के द्वीपों, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया तथा प्रशांत महासागर में माइक्रोनीशिया और पोलिनिशिया के एटोलों (मूँगे द्वारा बनाए गए नन्हे द्वीप) और बड़े द्वीपों पर उगता है। यह झाड़ी या छोटे पेड़ का रूप रखता है जो लगभग ६ मीटर (२० फ़ुट) ऊँचा उग जाता है और लगभग उतने ही क्षेत्र में इसकी टहनियाँ भी फैल जाती हैं। .

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खट्टा पालक

खट्टा पालक (अंग्रेज़ी: common sorrel, garden sorrel), जिसे कभी-कभी खट्टा साग भी कहा जाता है, एक छोटे आकार की हरे पत्तों वाली वनस्पति जाति है जो सरसरी रूप से पालक जैसी दिखती है। यह विश्व की कई घासभूमियों व अन्य स्थानों में जंगली उगती है लेकिन इसे खाने के लिए भी उगाया जाता है। इसका स्वाद पालक से अलग और ज़रा खट्टा व तीखा होता है जिसका कारण इसके पत्तों में उपस्थित ऑक्सैलिक अम्ल होता है। बहुत बड़ी मात्रा में खाने पर इसके प्रभाव विषैले भी हो सकते हैं। कई कीट-शिशु इसके पत्तों को खाते हैं। .

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खरक

खरक या खर्ग या खिर्क या रोकू (honeyberry या hackberry) एक पतझड़ी वृक्ष है जो २० से २५ मीटर तक उग सकता है।, Great Britain India Office, Printed by Calcutta Central Press Company, 1883,...

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ख़रबूज़ा

ख़रबूज़ा एक फल है। यह पकने पर हरे से पीले रंग के हो जाते है, हलांकि यह कई रंगों मे उपलब्ध है। मूल रूप से इसके फल लम्बी लताओं में लगते हैं। .

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गटापारचा

गटापारचा (पैलाक्विम), एक उष्णकटिबंधीय वृक्ष का वंश है, जो दक्षिण-पूर्व एशिया और उत्तरी आस्ट्रेलिया की एक मूल प्रजाति है। इसका विस्तार ताइवान से मलय प्रायद्वीप के दक्षिण और पूर्व में सोलोमन द्वीप तक है। इससे प्राप्त एक अप्रत्यास्थ प्राकृतिक रबड़ को भी गटापारचा के नाम से ही जाना जाता है जिसे इस पौधे के रस से तैयार किया जाता है। यह रबड़ विशेष रूप से पैलाक्विम गटा नामक प्रजाति के पौधों के रस से तैयार किया जाता है। रासायनिक रूप से, गटापारचा एक पॉलीटरपीन है, जो आइसोप्रीन या पॉलीआइसोप्रीन का एक बहुलक है, विशेष रूप से है (ट्रांस-1,4-पॉलीआइसोप्रीन)। 'गटापारचा' शब्द मलय भाषा में इस पौधे के नाम गेटाह पर्चा से आया है, जिसका अनुवाद “पर्चा का सार” है। .

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गुलमेंहदी

गुलमेंहदी (Rosmarinus officinalis) एक सुगन्धित सदाबहार जड़ी-बूटी है जिसके पत्ते सुई के आकार के होते हैं। यह भूमध्यसागरीय क्षेत्र का मूल पौधा है। यह पुदीना परिवार लैमियेसी की सदस्य है, जिसमे और भी कई जड़ी-बूटी शामिल हैं। .

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गेंदा

गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-दृश्य के लिए उगाया जाता है। मुर्गियों के दाने में भी यह पीले वर्णक का अच्छा स्रोत है। इसके फूल बाजार में खुले एवं मालाएं बनाकर बेचे जाते हैं। गेंदे की विभिन्न ऊंचाई एवं विभिन्न रंगों की छाया के कारण भू-दृश्य की सुन्दरता बढ़ाने में इसका बड़ा महत्व है। साथ ही यह शादी-विवाह में मण्डप सजाने में भी अहम् भूमिका निभाता है। यह क्यारियों एवं हरबेसियस बॉर्डर के लिए अति उपयुक्त पौधा है। इस पौधे का अलंकृत मूल्य अवि उच्च है क्योंकि इसकी खेती वर्ष भर की जा सकती है। तथा इसके फूलों का धार्मिक एवं सामाजिक उत्सवों में बड़ा महत्व है। भारत में मुख्य रूप से अफ्रीकन गेंदा और फ्रेंच गेंदा की खेती की जाती है। .

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ओक्सालिडालेस

ओक्सालिडालेस (लातिनी: Oxalidales) एक सपुष्पक पौधों का जीववैज्ञानिक गण है, जो युडिकॉट के रोज़िड क्लेड (समूह) के अंतर्गत आता है। इनके फूलों में अधिकतर कुल मिलाकर पाँच या छह बाह्यदलपुंज और दल चक्र की पंखुड़ियाँ देखी जाती हैं। .

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इन्डिगोफेरा

इन्डिगोफेरा (Indigofera), ७५० से अधिक पुष्पधारी पादप प्रजातियों वाला एक विशाल वंश (जीनस) है। यह फैबेसी (Fabaceae) कुल के अन्तर्गत आता है। इन्डिगोफेरा की प्रजातियाँ विश्व के उष्णकटिबन्धीय तथा उपोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में बहुतायत में मिलतीं हैं। श्रेणी:पादप वर्णक.

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इंग्लिश विलो

सेलिक्स अल्बा (व्हाइट विलो), विलो की एक प्रजाति है जो यूरोप और पश्चिमी और मध्य एशिया की देशज है।मेक्ले, आरडी (1984).

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कटुकी

कटुकी (black hellebore, वैज्ञानिक नाम: Helleborus niger, हेलेबोरस नाइजर) एक बड़ी जड़ वाली कन्द है। इसके पत्ते अण्डे की तरह गोल होते हैं। फूल नीले रंग के गुच्छों में होते है। सफेद, मायल और काली होती है। स्वाद में कडुवी होती है। इसे संस्कृत में 'कट्वी', 'कटुका' या 'तिक्ता' कहते हैं। कुटकी दो प्रकार की होती है- काली और पीली। यह एक विषैला पौधा है। कटुकी रैनंकुलेसीए नामक जीववैज्ञानिक कुल का सदस्य है। .

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कठगूलर

कठगूलर (वानस्पतिक नाम:Ficus hispida) एक छोटा सा वृक्ष है जिस पर गूलर जैसे फल लगते हैं। यह एशिया के विभिन्न भागों में तथा दक्षिण-पूर्व एशिय और आस्ट्रेलिया तक में पाया जाता है। कठगूलर का फल कठगूलर, मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी है। .

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कढ़ी पत्ते का पेड़

छोटे सफेद फूल और उनकी सुगंध. 'कढ़ीपत्ते' की पत्तियाँ परिपक्व और अपरिपक्व फल पश्चिम बंगाल, भारत के जलपाईगुड़ी जिले में बुक्सा टाइगर रिजर्व में जयंती. कढ़ी पत्ते का पेड़ (मुराया कोएनिजी, (Murraya koenigii); अन्य नाम: बर्गेरा कोएनिजी, (Bergera koenigii), चल्कास कोएनिजी (Chalcas koenigii)) उष्णकटिबंधीय तथा उप-उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में पाया जाने वाला रुतासी (Rutaceae) परिवार का एक पेड़ है, जो मूलतः भारत का देशज है। अकसर रसेदार व्यंजनों में इस्तेमाल होने वाले इसके पत्तों को "कढ़ी पत्ता" कहते हैं। कुछ लोग इसे "मीठी नीम की पत्तियां" भी कहते हैं। इसके तमिल नाम का अर्थ है, 'वो पत्तियां जिनका इस्तेमाल रसेदार व्यंजनों में होता है'। कन्नड़ भाषा में इसका शब्दार्थ निकलता है - "काला नीम", क्योंकि इसकी पत्तियां देखने में कड़वे नीम की पत्तियों से मिलती-जुलती हैं। लेकिन इस कढ़ी पत्ते के पेड़ का नीम के पेड़ से कोई संबंध नहीं है। असल में कढ़ी पत्ता, तेज पत्ता या तुलसी के पत्तों, जो भूमध्यसागर में मिलनेवाली ख़ुशबूदार पत्तियां हैं, से बहुत अलग है। .

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कनेर

कनेर का फूल बहुत ही मशहूर है। कनेर के पेड़ की ऊंचाई लगभग 10 से 11 हाथ से ज्यादा बड़े नहीं होते हैं। पत्ते लम्बाई में 4 से 6 इंच और चौडाई में 1 इंच, सिरे से नोकदार, नीचे से खुरदरे, सफेद घाटीदार और ऊपर से चिकने होते है। कनेर के पेड़ वन और उपवन में आसानी से मिल जाते है। फूल खासकर गर्मियों के मौसम में ही खिलते हैं फलियां चपटी, गोलाकार 5 से 6 इंच लंबी होती है जो बहुत ही जहरीली होती हैं। फूलों और जड़ों में भी जहर होता है। कनेर की चार जातियां होती हैं। सफेद, लाल व गुलाबी और पीला। सफेद कनेर औषधि के उपयोग में बहुत आता है। कनेर के पेड़ को कुरेदने या तोड़ने से दूध निकलता है। .

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कसावा

कसावा (cassava) पृथ्वी के उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाने वाला एक क्षुप है जिसकी मोटी जड़ आलू की तरह मंड (स्टार्च) से युक्त होती है। चावल और मक्के के बाद, मानव-आहार में यह यह विश्व में तीसरा सबसे बड़ा कार्बोहाइड्रेट का स्रोत है। कसावा मूल-रूप से दक्षिण अमेरिका का वनस्पति था लेकिन अब विश्व-भर के गरम क्षेत्रों में मिलता है। जब इसको पीसकर पाउडर या मोती-आकार के कणों में बनाया जाय तो यह टैपियोका (tapioca) भी कहलाता है। कसावा सूखे की परिस्थिति में और कम-ऊपजाऊ धरती पर भी उग सकने वाला पौधा है। कसावा मीठी और कड़वी नसलों में मिलता है। अन्य कन्द-जड़ों की तरह इसमें भी कुछ वषैले पदार्थ उपस्थित होते है, जिनकी मात्रा कड़वी नसलों में मीठी नसलों से कई अधिक होती है। खाने से पहले इसे सही प्रकार से तैयार करना आवश्यक है वरना इससे साइनाइड विष-प्रभाव हो सकता है, जिससे घेंघा रोग, गतिभंग और लकवा होने की सम्भावना है।Food and Agriculture Organization of the United Nations, Roots, tubers, plantains and bananas in human nutrition, Rome, 1990, Ch.

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कार्क

कार्क जिसे सामान्यतः कार्क शहबलूत नाम से भी जाना जाता है मध्यम-आकार का क़ुएर्कुस सम्प्रदाय सर्रिस विभाग का सदाबहार पेड़ है। यह मुख्यतः कॉर्क फर्श बनाने और जैसे उपयोग सहित शराब की बोतलों के द्वार कॉर्क बनाने के लिए काम में लिया जाता है। इसका मूल स्थान दक्षिण-पूर्वी यूरोप एवं उत्तर-पश्चिमी अफ़्रीका हैं। .

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कांटीकरंज

कांटीकरंज या लताकारंज या कड़वा बदाम सेसलपिनिया वंश में एक सपुष्पक वनस्पति की है। यह एक लता की भांति ६ मीटर (२० फ़ूट) तक दूसरे वृक्षों पर चढ़ सकने वाला एक झाड़ीनुमा वनस्पति है। इसके तनों पर मुड़े हुए कांटे-जैसे ढांचे होते हैं। .

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कुंदुरी

कुंदुरी या कुंदरू (Coccinia grandis, Kovakka अथवा Coccinia indica) एक उष्णकटिबंधीय लता है। यह सारे भारत में स्वतः भी उगती है और कुछ जगहों पर इसकी खेती भी की जाती है। इसकी जड़ें लंबी और फल २ से ५ सें.

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कैर

कैर या करीर या केरिया या कैरिया एक मध्यम या छोटे आकार का पेड़ है। यह पेड़ ५ मीटर से बड़ा प्राय: नहीं पाया जाता है। यह प्राय: सूखे क्षेत्रों में पाया जाता है। यह दक्षिण और मध्य एशिया, अफ्रीका और थार के मरुस्थल में मुख्य रूप से प्राकृतिक रूप में मिलता है। इसमें दो बार फ़ल लगते हैं: मई और अक्टूबर में। इसके हरे फ़लों का प्रयोग सब्जी और आचार बनाने में किया जाता है। इसके सब्जी और आचार अत्यन्त स्वादिष्ट होते हैं। पके लाल रंग के फ़ल खाने के काम आते हैं। हरे फ़ल को सुखाकर उनक उपयोग कढी बनाने में किया जता है। सूखे कैर फ़ल के चूर्ण को नमक के साथ लेने पर तत्काल पेट दर्द में आराम पहुंचाता है। .

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कैरियोफ़िलालीस

कैरियोफ़िलालीस (अंग्रेज़ी: Caryophyllales) सपुष्पक पौधों का एक जीववैज्ञानिक गण है जिसमें कैक्टस, खट्टी पालक और कई मांसाहारी पौधे आते हैं। इनमें से कई गूदेदार पौधे होते हैं और मोटे पत्ते या टहनियाँ रखते हैं। सारी युडिकॉट वनस्पति जातियों के लगभग ६% इसी गण के सदस्य हैं। .

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कैक्टस

कैक्टस (cactus) सपुष्पक वनस्पतियों का एक जीववैज्ञानिक कुल है जो अपने मोटे, फूले हुए तनों में पानी बटोरकर शुष्क व रेगिस्तानी परिस्थितियों में जीवित रहने और अपने कांटों से भरे हुए रूप के लिए जाना जाता है। इसकी लगभग १२७ वंशों में संगठित १७५० जातियाँ ज्ञात हैं और वह सभी-की-सभी नवजगत (उत्तर व दक्षिण अमेरिका) की मूल निवासी हैं। इनमें से केवल एक जाति ही पूर्वजगत में अफ़्रीका और श्रीलंका में बिना मानवीय हस्तक्षेप के पहुँची थी और माना जाता है इसे पक्षियों द्वारा फैलाया गया था। कैक्टस लगभग सभी गूदेदार पौधे होते हैं जिनके तनों-टहनियों में विशेषीकरण से पानी बचाया जाता है। इनके पत्तों ने भी विशेषीकरण से कांटो का रूप धारण करा होता है। .

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कूटू

कूटू की तनी, फूल, वग़ैराह कूटू एक प्रकार का पौधा है जिसकी बहुत सी नस्लें हैं, जिनमें से ज़्यादातर जंगली हैं। इसके बीज को पीसकर एक आटा बनाया जाता है जिसके भारतीय और अन्य क्षेत्रों के खानों में कईं इस्तेमाल हैं। मिसाल के तौर पर अवधी खाने में कूटू परांठा बनाया जाता है। हालांकि ज़्यादातर आटे अनाजों के बनते हैं और अनाज अधिकतर घास के परिवार के ही पौधे होते हैं, कूटू ना तो असली अनाज है और ना ही वनस्पति परिवार में घास परिवार का सदस्य है। .

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अदनसोनिया

अदनसोनिया वृक्षों की आठ प्रजातियों का एक वंश (जीनस) है, जिनमें से, छह मेडागास्कर, एक अफ्रीका की मुख्य भूमि और अरब प्रायद्वीप तथा एक ऑस्ट्रेलिया की मूल प्रजाति है। अफ्रीकी मुख्य भूमि की प्रजाति के वृक्ष मेडागास्कर में भी पाये जाते हैं, लेकिन यह इस द्वीप की मूल प्रजाति नहीं है। इसे आम तौर पर गोरक्षी (हिन्दी नाम) या बाओबाब के नाम से जाना जाता है। इसके अन्य आम नामों में बोआब, बोआबोआ, बोतल वृक्ष, उल्टा पेड़ तथा बंदर रोटी पेड़ आदि नाम शामिल हैं। अरबी में इसे 'बु-हिबाब' कहा जाता है जिसका अर्थ है 'कई बीजों वाला पेड़', शायद इसी बु-हिबाब शब्द का अपभ्रंश रूप है बाओबाब। बाओबाब का अफ्रीका के आर्थिक विकास में काफ़ी योगदान होने की वजह से अफ्रीका ने इसे 'द वर्ल्ड ट्री' की उपाधि भी प्रदान की है और इसे एक संरक्षित वृक्ष भी घोषित किया है। इसका अनुवांशिक नाम मिशेल एडनसन, जो कि एक फ्रांसीसी प्रकृतिवादी और अन्वेषक थे और जिन्होने पहले पहल इस वृक्ष का वर्णन किया था, के सम्मान में अदनसोनिया डिजिटाटा रखा गया है। .

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अजमोद

अजमोद (पेट्रोसीलिनुम क्रिस्पम), एक चमकदार हरी द्विवार्षिक जड़ी बूटी है, जो अक्सर मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह मध्य पूर्वी, यूरोपीय और अमरीकी खाना पकाने में आम है। अजमोद अपने पत्ते के लिए काफी हद तक धनिये (जिसे चीनी अजमोद या सिलैन्ट्रो भी कहते हैं) की तरह इस्तेमाल किया जाता है, हालाँकि अजमोद का फ्लेवर थोडा हल्का होता है। .

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अगर (वृक्ष)

अगर (वानस्पतिक नाम: Aquilaria malaccensis) एक वृक्ष है। कागज के विकास के पहले इसके छाल का उपयोग ग्रन्थ लिखने के लिये होता था। भारत की विभिन्न भाषाओं में इसके नाम ये हैं-.

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अगस्ति

अगस्ति या गाछ मूंगा (वैज्ञानिक नाम: Sesbania grandiflora, सेस्बानिया ग्रैन्डीफ़्लोरा) सेस्बानिया जीववैज्ञानिक वंश का एक छोटा पौधा है। यह एक तेज़ी से उगने वाला वृक्ष है जो ३ से ७ मीटर लम्बा होता है और मुलायम लकड़ी का बना होता है। इसके फल लम्बी व चपटी फलियों जैसे होते हैं और फूल लाल या सफ़ेद रंग के। यह मूल रूप से मलेशिया से उत्तर ऑस्ट्रेलिया के क्षेत्र का निवासी है लेकिन अब भारत और श्रीलंका में भी उगाया जाता है। इसकी छाल, फूल और जड़ को आयुर्वेद और कई अन्य पारम्परिक चिकित्सा प्रणालियों में रोग-निवारण के लिये प्रयोग में लाया जाता है। .

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अंगूरफल

अंगूरफल या ग्रेपफ्रूट (वैज्ञानिक नाम: Citrus × paradisi) एक उपोष्णकटिबंधीय नींबूवंशी (सिट्रस) पेड़ है जो इसके खट्टे से लेकर खट्टे-मीठे और कुछ-कुछ कड़वे स्वाद वाले फलों के लिए जाना जाता है। संतरे (C. sinensis) और चकोतरे (C. maxima) के मेल से बनी यह संकर प्रजाति संयोग से ही अस्तित्व में आई जब सत्रहवीं शताब्दी में बारबाडोस में इन दो प्रजातियों को एशिया से यहाँ लाया गया था। जब इस संयोग का पता चला तो इस फल को "वर्जित फल" नाम दिया गया; और इसे चकोतरा की एक किस्म भी माना गया। अंगूर की तरह गुच्छों (फल के समूहों) में विकसित होकर पेड़ से लटकने के कारण इसे अंगूरफल का नाम दिया गया। .

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