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मूँगा (जीव)

सूची मूँगा (जीव)

मूँगा (कोरल) शब्द के कई अर्थ हैं - अन्य अर्थों के लिए मूँगा का लेख देखें मूँगे के शरीर के अन्दर का दृश्य मूँगा, जिसे कोरल और मिरजान भी कहते हैं, एक प्रकार का नन्हा समुद्री जीव है जो लाखों-करोड़ों की संख्या में एक समूह में रहते हैं। मूँगे की बहुत सी क़िस्मों में, यह जीव अपने इर्द-गिर्द एक बहुत ही सख़्त शंख बना लेते है, जिसके अन्दर वह रहता है। जब ऐसे हजारों-लाखों नन्हे और बेहद सख़्त शंख एक दुसरे से चिपक कर समूह में बनते हैं, तो उस समूह की सख़्ती और स्पर्श लगभग पत्थर जैसा होता है। समुद्र में कई स्थानों पर मूंगे की बड़े क्षेत्र पर फैली हुई शृंखलाएं बन जाती हैं, जिन्हें रीफ़ कहा जाता है। किसी भी मूंगे के समूह में हर एक मूंगे और उसके शंख को वैज्ञानिक भाषा में "पॉलिप" कहते हैं। मूँगा गरम समुद्रों में ही उगता है और अलग-अलग रंगों में मिलता है। लाल और गुलाबी रंगों के मूँगे के क़ीमती पत्थर को पत्थर की ही तरह तराश और चमका कर ज़ेवरों में इस्तेमाल किया जाता है। इनके सब से लोकप्रिय रंग को भी मूँगा (रंग) कहा जाता है। मूँगे समुद्रतल में रहने वाले एक प्रकार के कृमि हैं जो खोलड़ी की तरह का घर बनाकर एक दूसरे से लगे हुए जमते चले जाते हैं। ये कृमि अचर (न चलने वाले) जीवों में हैं। ज्यों ज्यों इनकी वंशवृद्धि होती जाती है, त्यों त्यों इनका समूहपिंड थूहर के पेड़ के आकार में बढ़ता चला जाता है। सुमात्रा और जावा के आसपास प्रशांत महासागर में समुद्र के तल में ऐसे समूहपिंड हजारों मील तक खड़े मिलते हैं। इनकी वृद्धि बहुत जल्दी जल्दी होती है। इनके समूह एक दूसरे के ऊपर पटते चले जाते हैं जिससे समुद्र की सतह पर एक खासा टापू निकल आता है। ऐसे टापू प्रशांत महासागर में बहुत से हैं जो 'प्रवालद्वीप' कहलाते हैं। मूँगे की केवल गुरिया ही नहीं बनती; छड़ी, कुरसी आदि चीजें भी बनती हैं। आभूषण के रूप में मूँगे का व्यवहार भी मोती के समान बहुत दिनों से है। मोती और मूँगे का नाम प्रायः साथ साथ लिया जाता है। रत्नपरीक्षा की पुस्तकों में मूँगे का भी वर्णन रहता है। साधारणतः मूँगे का दाना जितना ही बड़ा होता है, उतना अधिक उसका मूल्य भी होता है। कवि लोग बहुत पुराने समय से ओठों की उपमा मूँगे से देते आए हैं। .

22 संबंधों: निडारिया, निडोसाइट, प्रवाल द्वीप, प्रवाल शैल-श्रेणी, प्रवालद्वीप, फ्लोरियाना (गैलापागोस), फेहंद्वीप, मूँगा, याप द्वीप, रयुक्यु द्वीपसमूह, रामसेतु, लाउ द्वीपसमूह, लैगून, शैल-भित्ति, सेंट ब्रेंडन, ज्वालामुखीय द्वीप, वृक्ष सूर्यानुवर्त, कैरोलाइन द्वीपसमूह, कोशराय राज्य, अण्डमान, अमेज़न चट्टान, अक़ाबा की खाड़ी

निडारिया

निडारिया (Cnidaria) १०,००० जीववैज्ञानिक जातियों से भी अधिक सदस्यों वाला प्राणियों का एक जीववैज्ञानिक संघ है जो समुद्री व मीठे जलाश्यों में मिलते हैं, हालांकि इनमें से अधिकतर समुद्रवासी हैं। यह अपनी निडोसाइट नामक विशेष कोशिकाओं के लिये जाने जाते हैं जो सुई जैसी विषैली वस्तुएँ विस्फोटक रूप से छोड़कर अन्य प्राणियों का शिकार करते हैं। इनके शरीर का अधिकांश भाग मीसोग्लीया (mesoglea) नामक अवलेह (जेली) जैसी सामग्री का बना होता है जो एक पतली त्वचा के अन्दर बन्द होता है। इनके शरीरों में व्यासीय सममिति (radial symmetry) दिखती है और एक मुख होता है जिसके इर्द-गिर्द निडोसाइट कोशिकाएँ धारण किये हुए टेन्टेकल होते हैं। जेलीमछली सबसे अधिक पहचानी जाने वाली निडारिया संघ की श्रेणी है। .

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निडोसाइट

निडोसाइट (cnidocyte) निडारिया (cnidaria) नामक जीववैज्ञानिक संघ के प्राणीयों - जिनमें समुद्री मूँगा, हाइड्रा, जेलिमछली (जेलिफ़िश) शामिल हैं - में पाई जाने वाली एक विस्फोटक कोशिका (सेल) होती है। कोशिकाओं में एक विष से भरा हुआ निमैटोसिस्ट (nematocyst) या निडोसिस्ट (cnidocyst) नामक कोशिकांग होता है जिसे यह प्राणी परभक्षियों से बचने के लिये या फिर अपने ग्रास को मारने के लिये कोशिका में विस्फोट करके बाहर की ओर चला देते हैं। जब एक साथ कई निडोसाइटों द्वारा चलाए गये निमैटोसिस्टों का प्रहार किसी अन्य प्राणी पर होता है तो उसे चोट लगती है या वह मूर्छित हो जाता है या, अगर वह छोटा है, तो मर जाता है। यही कारण है कि जेलिमछली के टेन्टेकल लगने पर मानव व अन्य प्राणियों को काटे जाने का एहसास होता है और जिस शरीर के भाग का उनके साथ स्पर्श होता है उसे हानि पहुँचती है। .

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प्रवाल द्वीप

प्रशांत महासागर में टोकेलाऊ में https://www.google.co.in/maps/place/%E0%A4%9F%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%8A/@-9.166827,-171.8882544,12z/data.

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प्रवाल शैल-श्रेणी

प्रवालभित्तियों की जैवविविधता प्रवालभित्तियाँ या प्रवाल शैल-श्रेणियाँ (Coral reefs) समुद्र के भीतर स्थित चट्टान हैं जो प्रवालों द्वारा छोड़े गए कैल्सियम कार्बोनेट से निर्मित होती हैं। वस्तुतः ये इन छोटे जीवों की बस्तियाँ होती हैं। साधारणत: प्रवाल-शैल-श्रेणियाँ, उष्ण एवं उथले जलवो सागरों, विशेषकर प्रशांत महासागर में स्थित, अनेक उष्ण अथवा उपोष्णदेशीय द्वीपों के सामीप्य में बहुतायत से पाई जाती है। ऐसा आँका गया है कि सब मिलाकर प्रवाल-शेल-श्रेणियाँ लगभग पाँच लाख वर्ग मील में फैली हुई हैं और तरंगों द्वारा इनके अपक्षरण से उत्पन्न कैसियम मलवा इससे भी कहीं अधिक क्षेत्र में समुद्र के पेदें में फैला हुआ है। कैल्सियम कार्बोनेट की इन भव्य शैलश्रेणियों का निर्माण प्रवालों में प्रजनन अंडों या मुकुलन (budding) द्वारा होता है, जिससे कई सहस्र प्रवालों के उपनिवेश मिलकर इन महान आकार के शैलों की रचना करते हैं। पॉलिप समुद्र जल से घुले हुए कैल्सियम को लेकर अपने शरीर के चारों प्याले के रूप में कैल्सियम कार्बोनेट का स्रावण करते हैं। इन पॉलिपों के द्वारा ही प्रवाल निवह का निर्माण होता है। ज्यों ज्यों प्रवाल निवहों का विस्तार होता जाता है, उनकी ऊर्ष्वमुखी वृद्धि होती रहती है। वृद्ध प्रवाल मरते जाते हैं, इन मृत्तक प्रवालों के कैल्सियमी कंकाल, जिनपर अन्य भविष्य की संततियां की वृद्धि होती है, नीचे दबते जाते हैं। कालांतर में इस प्रकार से संचित अवसाद श्वेत स्पंजी चूनापत्थर के रूप में संयोजित (cemented) हो जाते हैं। इनकी ऊपरी सतह पर प्रवाल निवास पलते और बढ़ते रहते हैं। इन्हीं से प्रवाल-शैल-श्रेणियाँ बनती हैं समुद्र सतह तक आ जाने पर इनकी ऊर्ध्वमुखी वृद्धि अवरुद्ध हो जाता है, क्योंकि खुले हुए वातावरण में प्रवाल कतिपय घंटों से अधिक जीवि नहीं रह सकते। सागर की गह्वरता और ताप का प्रवालशृंखलाओं के विस्तरर पर अत्याधिक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि शैलनिर्माण करने वाले जीव केवल उन्हीं स्थानों पर जीवित रह सकते है, जहाँ पर जल निर्मल, उथला और उष्ण होता है। प्रवाल के लिये २०० सें.

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प्रवालद्वीप

प्रशांत महासागर में स्थित अटाफु एटोल का उपग्रह चित्र प्रवालद्वीप, मूँगे का एक द्वीप या फिर द्वीपों की शृंखला होती है, जो किसी अनूप (लैगून) को आंशिक रूप से या फिर पूरी तरह से घेरे रहती है। .

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फ्लोरियाना (गैलापागोस)

फ्लोरियाना द्वीप डाक बैरलफ्लोरियाना द्वीप को इसका यह नाम ईक्वाडोर के पहले राष्ट्रपति जुआन जोस फ्लोरेस के नाम से मिला है जिनके शासनकाल के दौरान गैलापागोस द्वीपसमूह को ईक्वाडोर के अधिकार क्षेत्र में शामिल किया गया था। द्वीप को पहले इंग्लैंड के चार्ल्स द्वितीय के नाम पर चार्ल्स नाम से जाना जाता था। द्वीप को कोलंबस के एक तीव्रगामी पोत (कैरावल) सांता मारिया के नाम पर सांता मारिया द्वीप भी कहा जाता है। फ्लोरियाना द्वीप का क्षेत्रफल 173 वर्ग किलोमीटर (66.8 वर्ग मील) और अधिकतम ऊंचाई 640 मीटर (2,100 फुट) है। फ्लोरियाना द्वीप का मानव इतिहास सबसे दिलचस्प है साथ ही यह उन द्वीपों में से एक है जिन पर मानव ने सबसे पहले रहना शुरु किया। राजहंस और हरे समुद्री कछुओं द्वीप पर अपने घोंसले (दिसंबर से मई) बनाते हैं। एक समुद्री पक्षी "पटापैगाडा" या गैलापागोस पितरेल यहाँ पाया जाता है, जो अपने जीवनकाल का अधिकांश भूमि से दूर रहकर बिताता है। 18 वीं सदी से ही व्हेल शिकारियों नें डाकघर खाड़ी (पोस्ट ऑफिस बे) में, एक लकड़ी का पीपा (बैरल) रखा था जिसका प्रयोग डाकघर के रूप में किया जाता था और यहाँ से डाक को उठाकर उन पोतों के माध्यम जो यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका को वापस लौट रहे होते थे को यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में उसके गंतव्य तक पहुँचाया जाता था। "डेविल्स् क्राउन", जो पानी के नीचे एक ज्वालामुखी शंकु है, में प्रवाल संरचनायें पाई जाती हैं। .

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फेहंद्वीप

फेहंद्वीप फेहन्द्वीप या चागोस (Chagos Archipelago) हिंद महासागर के केन्द्रीय भाग में स्थित सात एटोलों (मूँगे के द्वीपों के समूह) का एक गुट है। इसके सात एटोलों में कुल मिलाकर 60 से अधिक द्वीप हैं। चागोस द्वीपसमूह मालदीव से लगभग 500 किलोमीटर दक्षिण में है। यह द्वीप चागोस-लक्षद्वीप शृंखला के सबसे दक्षिण हिस्से पर स्थित है, जो कि भारत के लक्षद्वीप संघीय-क्षेत्र से चागोस तक चलने वाले समुद्री पर्वतों की एक शृंखला है। मॉरीशस चागोस द्वीपसमूह को अपना हिस्सा मानता है लेकिन इसपर ब्रिटेन का क़ब्ज़ा है और उसने ज़बरदस्ती सभी निवासियों को हटाकर इसे 1967 में संयुक्त राज्य अमेरिका को एक सैन्य अड्डा बनाने के लिये किराए पर दे दिया। विवाद जारी है। द्वीपसमूह का मुख्य द्वीप डिएगो गारसिया है और उसपर एक महत्वपूर्ण अमेरिकी फ़ौजी अड्डा है। .

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मूँगा

मूँगा या कोरल या मिरजान एक प्रकार का समुद्री जीव होता है। इस शब्द को कई सन्दर्भों में प्रयोग किया जाता है -.

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याप द्वीप

याप (Yap) या वक़ाब (Waqab) प्रशांत महासागर में स्थित संघीकृत राज्य माइक्रोनेशिया नामक देश का एक प्रमुख द्वीप है। यह उस देश के याप राज्य का प्रमुख द्वीप भी है। याप द्वीप वास्तव में चार द्वीपों से बना है जो चारों एक ही मूँगे (कोरल) के रीफ़ (शैल-भित्ती) से घिरे हैं हालांकि इन सबके बीच कम गहराई का समुद्री जल है। यह चार द्वीप हैं - मर्बक़ (Marbaq), गगिल-तमिल (Gagil-Tamil), माप (Maap) और रुमुंग (Rumung)। भौगोलिक रूप से याप फ़िलिपीन सागर प्लेट के एक उभार पर टिका है और माइक्रोनेशिया के अन्य द्वीपों से अधिक ऊँचाई पर है। याप की संस्कृति भी अन्य द्वीपों से अधिक प्रभावशाली मानी जाती है। .

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रयुक्यु द्वीपसमूह

रयुक्यु द्वीपसमूह की शृंखला जापान के दक्षिण-पश्चिमी छोर से ताइवान तक फैली हुई है पुराने रयुक्यु राजदरबार में संगीतकार ऐसे कपड़े पहना करते थे रयुक्यु द्वीपसमूह (जापानी: 琉球諸島, रयुक्यु शोतो), जिन्हें नानसेई द्वीपसमूह (南西諸島, नानसेई शोतो) भी कहा जाता है, पश्चिमी प्रशांत महासागर में स्थित एक द्वीपसमूह है। यह जापान के क्यूशू द्वीप के दक्षिण-पश्चिम में और पूर्वी चीन समुद्र की पूर्वी सीमा पर स्थित हैं। इन द्वीपों का मौसम उपोष्णकटिबंधीय (सबट्रॉपिकल) है, जिसमें सर्दियों में मध्यम ठण्ड और गर्मियों में काफ़ी गरमी पड़ती है। यहाँ बारिश बहुत ज़्यादा होती है और कभी-कभी चक्रवात (साईक्लोन) भी आते हैं। इन द्वीपों के लोगों की अपनी रयुक्युआई भाषाएँ हैं, जो हर द्वीप पर थोड़ी भिन्न तरीक़े से बोली जाती हैं। लगभग सभी द्वीपवासी इनके अतिरिक्त जापानी भाषा भी बोलते हैं। प्रशासनिक नज़रिए से रयुक्यु द्वीपों के उत्तरी भाग को "सातसुनान द्वीप" बुलाया जाता है और यह क्षेत्र कागोशीमा प्रांत का हिस्सा है, जबकि दक्षिणी द्वीपों को "रयुक्यु शोतो" बुलाया जाता है और यह ओकिनावा प्रांत का हिस्सा हैं। रयुक्यु के लोग अपनी लम्बी आयु के लिए विश्व-भर में मशहूर हैं। .

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रामसेतु

आकाश से रामसेतु का दृश्य रामसेतु (तमिल: இராமர் பாலம், मलयालम: രാമസേതു,, अंग्रेजी: Adam's Bridge; आदम का पुल), तमिलनाडु, भारत के दक्षिण पूर्वी तट के किनारे रामेश्वरम द्वीप तथा श्रीलंका के उत्तर पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के मध्य चूना पत्थर से बनी एक शृंखला है। भौगोलिक प्रमाणों से पता चलता है कि किसी समय यह सेतु भारत तथा श्रीलंका को भू मार्ग से आपस में जोड़ता था। हिन्दू पुराणों की मान्यताओं के अनुसार इस सेतु का निर्माण अयोध्या के राजा राम श्रीराम की सेना के दो सैनिक जो की वानर थे, जिनका वर्णन प्रमुखतः नल-निल नाम से रामायण में मिलता है, द्वारा किये गया था, यह पुल ४८ किलोमीटर (३० मील) लम्बा है तथा मन्नार की खाड़ी (दक्षिण पश्चिम) को पाक जलडमरूमध्य (उत्तर पूर्व) से अलग करता है। कुछ रेतीले तट शुष्क हैं तथा इस क्षेत्र में समुद्र बहुत उथला है, कुछ स्थानों पर केवल ३ फुट से ३० फुट (१ मीटर से १० मीटर) जो नौगमन को मुश्किल बनाता है। यह कथित रूप से १५ शताब्दी तक पैदल पार करने योग्य था जब तक कि तूफानों ने इस वाहिक को गहरा नहीं कर दिया। मन्दिर के अभिलेखों के अनुसार रामसेतु पूरी तरह से सागर के जल से ऊपर स्थित था, जब तक कि इसे १४८० ई० में एक चक्रवात ने तोड़ नहीं दिया। .

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लाउ द्वीपसमूह

लाउ द्वीपसमूह (Lau archipelago, Lau group) प्रशांत महासागर के दक्षिणी भाग में स्थित फ़िजी देश का एक द्वीपसमूह है जो कोरो सागर से पूर्व में स्थित है। प्रशासनिक रूप से यह लाउ प्रान्त में गठित है जो फ़िजी के पूर्वी विभाग में आता है। इसके अधिकतर द्वीप ज्वालामुखीय और ऊँचे हैं लेकिन कुछ दक्षिणी द्वीप कार्बोनेट (मूँगे) के कम ऊँचाई वाले द्वीप हैं। .

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लैगून

लैगून किसी विस्तृत जलस्रोत जैसे समुद्र या महासागर के किनारे पर बनने वाला एक उथला जल क्षेत्र होता है जो किसी पतली स्थलीय पेटी या अवरोध (रोध, रोधिका, भित्ति आदि) द्वारा सागर से अंशतः अथवा पूर्णतः अलग होता है। इसका निर्माण अधिकांशतः अपतट रोधिका, रोध, प्रवालभित्ति अथवा प्रवाल वलय द्वारा तटवर्ती जल को मुख्य सागर से पृथक् कर देने से होता है। किसी खाड़ी या लघु निवेशिका के सम्मुख पंक, रेत, बजरी आदि के निक्षेप से जब किसी रोधिका या रोध का निर्माण होता है, सागर तट और रोधिका या रोध के मध्य उथला सागरीय जल बन्द हो जाता है तथा लैगून बनता है। उड़ीसा के तट पर चिलका झील इसका उदाहरण है। इसी प्रकार तटीय प्रवाल भित्ति, अवरोधक भित्ति अथवा प्रवाल वलय से घिरा समुद्री जल लैगून बनाता है। .

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शैल-भित्ति

एक द्वीप के चारों ओर एक शैल-भित्ति समुद्री शब्दावली में, एक शैल-भित्ति या रीफ़ एक चट्टान, रेती या पानी की सतह के नीचे उपस्थित अन्य कोई संरचना है। बहुत सी शैल-भित्तियां अजैविक प्रक्रियाओं जैसे कि रेत के जमाव, लहरों द्वारा चट्टानों के कटाव आदि के द्वारा निर्मित होती हैं लेकिन इनका सबसे उत्तम उदाहरण उष्णकटिबंधीय समुद्रों में जैविक प्रक्रियाओं द्वारा निर्मित प्रवाल-भित्तियां है जो मृत मूंगों (प्रवाल) और चूनेदार शैवालों से बनती है। .

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सेंट ब्रेंडन

सेंट ब्रेंडन मॉरिशस का एक शहर है जोकि हिन्द महासागर में स्थित है। इसे कार्गाडोस काराओस के नाम से भी जाना जाता है। सेंट ब्रैंडन में, मौसमी तूफान और संबंधित रेत के हलचल के आधार पर, लगभग २८-४० द्वीप और छोटे टापू इत्यादि कुल मिलाकर पांच द्वीप समूह होते हैं। इनमें से २२ नामाँकित द्वीप हैं। द्वीपसमूह कम उचांई पर रहता है और गंभीर मौसम में पर्याप्त मात्रा में डूब सकता है। इसका कुल भूमि क्षेत्रफल १.३ वर्ग किमी (०.५० वर्ग मील) से लेकर ५०० एकड़ (२.० किमी^२) तक अनुमानित है। इस क्षेत्र में आर्थिक गतिविधि द्वीपों के चारों ओर लगभग 900 वर्ग मील (2,300 किमी 2) तक फैले हुए बहुत व्यापक उथले किनारे पर मछली पकड़ने तक ही सीमित है। १९वीं शताब्दी की शुरुआत तक, अधिकांश द्वीप मछली पकड़ने के स्टेशनों के रूप में उपयोग में थे। भौगोलिक दृष्टि से, द्वीपसमूह मास्करेन द्वीपों का हिस्सा है और ६,००,००,००० वर्ष पहले भारत और मेडागास्कर के अलग होने के दौरान मॉरीशिया माइक्रोक्रॉन्टीन के अलगाव द्वारा बनाई गई मास्कारेन पठार पर स्थित है। .

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ज्वालामुखीय द्वीप

ज्वालामुखीय द्वीप (volcanic island) ऐसा द्वीप होता है जो किसी ज्वालामुखी के फटने से निकले हुए पत्थर व चट्टानों से उभरकर पानी की सतह से ऊपर निकल आए। ऐसे द्वीपों की ऊँचाई अक्सर अवसादन (सेडिमेन्टेशन) या मूँगे (कोरल) द्वारा बने द्वीपों से अधिक होती है, इसलिये इन्हें कभी-कभी ऊँचे द्वीप (high islands) भी कहा जाता है। इन द्वीपों को बनाने वाले ज्वालामुखी अक्सर द्वीप पर देखे जा सकते हैं हालांकि कभी-कभी वे मृत होते हैं या वायु-जल के प्रभाव से घिसे और वनस्पतियों से ढके जा चुके होते हैं। .

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वृक्ष सूर्यानुवर्त

वृक्ष सूर्यानुवर्त (Tree Heliotrope), जिसे ऑक्टोपस झाड़ (Octopus Bush) भी कहते हैं, बोराजिनासीए (Boraginaceae) जीववैज्ञानिक कुल का एक फूलदार पौधा है। यह मूलतः एशिया के गरम क्षेत्रों (जैसे कि दक्षिणी चीन), हिंद महासागर में माडागास्कर​ और उसके इर्द-गिर्द के द्वीपों, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया तथा प्रशांत महासागर में माइक्रोनीशिया और पोलिनिशिया के एटोलों (मूँगे द्वारा बनाए गए नन्हे द्वीप) और बड़े द्वीपों पर उगता है। यह झाड़ी या छोटे पेड़ का रूप रखता है जो लगभग ६ मीटर (२० फ़ुट) ऊँचा उग जाता है और लगभग उतने ही क्षेत्र में इसकी टहनियाँ भी फैल जाती हैं। .

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कैरोलाइन द्वीपसमूह

कैरोलाइन द्वीपसमूह (Caroline Islands) प्रशांत महासागर के पश्चिमी भाग में स्थित एक बड़े क्षेत्रफल पर बिखरा हुआ छोटे द्वीपों का द्वीपसमूह है। यह नया गिनी के उत्तर में स्थित है। कैरोलाइन द्वीपसमूह का पूर्वी हिस्सा संघीकृत राज्य माइक्रोनेशिया में आता है जबकि इसका पश्चिमतम भाग पलाउ देश का भाग है। इस पूरे द्वीपसमूह में लगभग ५०० मूँगे (कोरल) द्वीप सम्मिलित हैं। .

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कोशराय राज्य

कोशराय राज्य (Kosrae State) प्रशांत महासागर में स्थित संघीकृत राज्य माइक्रोनेशिया नामक देश के चार राज्यों में से एक राज्य है। इसका मुख्य द्वीप कोशराय है, जिसके नाम पर इस राज्य का नाम रखा गया है और जिसे पहले कुशाए (Kusaie) बुलाया जाता था। इस मुख्य द्वीप पर लगभग ५५०० लोग बसे हुए हैं। कोशराए द्वीप के अलावा कोशराय राज्य में कई सारे अन्य छोटे द्वीप भी हैं, जिनमें १५०० लोगों की आबादी वाला लेलू द्वीप (Lelu Island) सबसे महत्वपूर्ण है। .

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अण्डमान

अंग्रेज़ी) अंडमान बंगाल की खाड़ी में स्थित भारत के अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह का उत्तरी भाग है। अंडमान अपने आंचल में मूंगे (कोरल) की दीवारों, साफ-स्वच्छ सागर तट, पुरानी यादों से जुड़े खंडहर और अनेक प्रकार की दुर्लभ वनस्पतियां संजोए हैं। इस द्वीपसमूह में कुल 572 द्वीप हैं। अंडमान का लगभग 86 प्रतिशत क्षेत्रफल जंगलों से ढका हुआ है। समुद्री जीवन, इतिहास और जलक्रीड़ाओं में रूचि रखने वाले सैलानियों को यह द्वीप बहुत रास आता है। .

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अमेज़न चट्टान

अमेज़न चट्टान का मानचित्र अमेजन चट्टान उत्तरी ब्राजील के करीबी इलाके में मिला। इसमें बहुत अधिक मात्रा में मूँगा और जलशोषक समुद्री पदार्थ पाया गया। वैज्ञानिकों के अनुसार यह 970 किलोमीटर की दूरी तक फैला हुआ है। इसके बारे में 2012 को पता चला था, लेकिन इसका खुलासा अप्रैल 2016 में किया गया। .

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अक़ाबा की खाड़ी

अक़ाबा की खाड़ी (अरबी:, ख़लीज अल​-अक़ाबा; अंग्रेज़ी: Gulf of Aqaba) लाल सागर के उत्तरी भाग में सीनाई प्रायद्वीप से पूर्व में और अरबी मुख्यभूमि से पश्चिम में स्थित एक बड़ी खाड़ी है। इस खाड़ी के किनारे पर चार देश तटस्थ हैं: मिस्र, इस्राइल, जोर्डन और सउदी अरब। .

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