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ब्रह्मगुप्त सर्वसमिका

सूची ब्रह्मगुप्त सर्वसमिका

ब्रह्मगुप्त सर्वसमिका भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त द्वारा है। यह सर्वसमिका दो योगों का गुणनफल, जिनमें प्रत्येक गुणक स्वयं दो वर्गों का योग हो, को दो वर्गों के योग के रूप में अभिव्यक्त करती है। \left(a^2 + b^2\right)\left(c^2 + d^2\right) & .

6 संबंधों: पेल का समीकरण, ब्रह्मगुप्त, ब्रह्मगुप्त मैट्रिक्स, ब्रह्मगुप्त का सूत्र, ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त, उल्लेखनीय सर्वसमिकाएँ

पेल का समीकरण

निम्नलिखित स्वरूप वाले समीकरण को पेल् का समीकरण (Pell's equation) कहते हैं- जहाँ n एक धनात्मक अवर्ग पूर्णांक है। इस समीकरण में आये x और y के लिये पूर्णांक हल वांचित होता है। भारत में इस तरह के समीकरणों को वर्ग-प्रकृति कहते थे। ब्रह्मगुप्त ने ऐसे समीकरणों का विस्तृत अध्ययन किया था तथा पेल से १००० वर्ष पहले ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त में इसके हल की चक्रवाल विधि बतायी थी। इनके हल के लिये ब्रह्मगुप्त ने दो प्रमेयिकाओं (लेम्माज) की खोज की थी जिन्हें 'भावना' कहा गया है। .

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ब्रह्मगुप्त

ब्रह्मगुप्त का प्रमेय, इसके अनुसार ''AF'' .

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ब्रह्मगुप्त मैट्रिक्स

गणित में निम्नलिखित मैट्रिक्स को ब्रह्मगुप्त मैट्रिक्स कहते हैं। यह भारत के महान गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त द्वारा प्रतिपादित की गयी थी। x & y \\ \pm ty & \pm x \end.

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ब्रह्मगुप्त का सूत्र

ब्रह्मगुप्त का सूत्र किसी चक्रीय चतुर्भुज का क्षेत्रफल निकालने का सूत्र है यदि उसकी चारों भुजाएँ ज्ञात हों। उस चतुर्भुज को चक्रीय चतुर्भुज कहते हैं जिसके चारों शीर्षों से होकर कोई वृत्त खींचा जा सके।I .

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ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त

ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त, ब्रह्मगुप्त की प्रमुख रचना है। यह संस्कृत मे है। इसकी रचना सन ६२८ के आसपास हुई। ध्यानग्रहोपदेशाध्याय को मिलाकर इसमें कुल पचीस (२५) अध्याय हैं। यह ग्रन्थ पूर्णतः काव्य रूप में लिखा गई है। 'ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त' का अर्थ है - 'ब्रह्मगुप्त द्वारा स्फुटित (प्रकाशित) सिद्धान्त'। इस ग्रन्थ में अन्य बातों के अलावा गणित के निम्नलिखित विषय वर्णित हैं-.

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उल्लेखनीय सर्वसमिकाएँ

यहाँ कुछ प्रमुख गुणनफल दिये गये हैं जिनके प्रयोग से गुणनखण्ड एवं अन्य कार्यों में बहुत सुविधा होती है। .

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