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बहुपद समीकरणों के सिद्धान्त

सूची बहुपद समीकरणों के सिद्धान्त

x के किसी n घातीय व्यंजक (इक्सप्रेशन) को शून्य के बराबर रखने पर प्राप्त समीकरण को n घात का बहुपद समीकरण (polynomial equation) कहते हैं। एक से अधिक राशियों में भी बहुपद समीकरण हो सकते हैं। जैसे - गणित के परम्परागत बीजगणित का एक बड़ा भाग समीकरण सिद्धान्त (Theory of equations) के रूप में अध्ययन किया/कराया जाता है। इसके अन्तर्गत बहुपद समीकरण के मूलों की प्रकृति का अध्ययन किया जाता है एवं इन मूलों को प्राप्त करने की विधियों एवं उससे सम्बन्धित समस्याओं का विवेचन किया जाता है। दूसरे शब्दों में, बहुपद, बीजीय समीकरण, मूल निकालना एवं मैट्रिक्स एवं सारणिक का प्रयोग करके समीकरणों का हल निकालना शामिल हैं। विज्ञान एवं गणित की सभी शाखाओं में समीकरण सिद्धान्त का बहुत उपयोग होता है। .

5 संबंधों: नेल्स हेनरिक एबल, बीजगणित, बीजगणित का मौलिक प्रमेय, रेने देकार्त, समीकरण

नेल्स हेनरिक एबल

नेल्स हेनरिक एबल नेल्स हेनरिक एबल (Niels Henrik Abel; १८०३-१८२९ ई.) नार्वे के गणितज्ञ थे। .

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बीजगणित

बीजगणित (संस्कृत ग्रन्थ) भी देखें। ---- आर्यभट बीजगणित (algebra) गणित की वह शाखा जिसमें संख्याओं के स्थान पर चिन्हों का प्रयोग किया जाता है। बीजगणित चर तथा अचर राशियों के समीकरण को हल करने तथा चर राशियों के मान निकालने पर आधारित है। बीजगणित के विकास के फलस्वरूप निर्देशांक ज्यामिति व कैलकुलस का विकास हुआ जिससे गणित की उपयोगिता बहुत बढ़ गयी। इससे विज्ञान और तकनीकी के विकास को गति मिली। महान गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वितीय ने कहा है - अर्थात् मंदबुद्धि के लोग व्यक्ति गणित (अंकगणित) की सहायता से जो प्रश्न हल नहीं कर पाते हैं, वे प्रश्न अव्यक्त गणित (बीजगणित) की सहायता से हल कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में, बीजगणित से अंकगणित की कठिन समस्याओं का हल सरल हो जाता है। बीजगणित से साधारणतः तात्पर्य उस विज्ञान से होता है, जिसमें संख्याओं को अक्षरों द्वारा निरूपित किया जाता है। परंतु संक्रिया चिह्न वही रहते हैं, जिनका प्रयोग अंकगणित में होता है। मान लें कि हमें लिखना है कि किसी आयत का क्षेत्रफल उसकी लंबाई तथा चौड़ाई के गुणनफल के समान होता है तो हम इस तथ्य को निमन प्रकार निरूपित करेंगे— बीजगणिति के आधुनिक संकेतवाद का विकास कुछ शताब्दी पूर्व ही प्रारंभ हुआ है; परंतु समीकरणों के साधन की समस्या बहुत पुरानी है। ईसा से 2000 वर्ष पूर्व लोग अटकल लगाकर समीकरणों को हल करते थे। ईसा से 300 वर्ष पूर्व तक हमारे पूर्वज समीकरणों को शब्दों में लिखने लगे थे और ज्यामिति विधि द्वारा उनके हल ज्ञात कर लेते थे। .

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बीजगणित का मौलिक प्रमेय

बीजगणित का मौलिक प्रमेय (fundamental theorem of algebra) के अनुसार, एक चर वाले सभी बहुपदों का कम से कम एक मूल (रूट) अवश्य होता है। .

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रेने देकार्त

रने डॅकार्ट (फ़्रांसिसी भाषा: René Descartes; लातिनी भाषा: Renatus Cartesius; 31 मार्च 1596 - 11 फ़रवरी 1650) एक फ़्रांसिसी गणितज्ञ, भौतिकीविज्ञानी, शरीरक्रियाविज्ञानी तथा दार्शनिक थे। .

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समीकरण

---- समीकरण (equation) प्रतीकों की सहायता से व्यक्त किया गया एक गणितीय कथन है जो दो वस्तुओं को समान अथवा तुल्य बताता है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आधुनिक गणित में समीकरण सर्वाधिक महत्वपूर्ण विषय है। आधुनिक विज्ञान एवं तकनीकी में विभिन्न घटनाओं (फेनामेना) एवं प्रक्रियाओं का गणितीय मॉडल बनाने में समीकरण ही आधारका काम करने हैं। समीकरण लिखने में समता चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। यथा- समीकरण प्राय: दो या दो से अधिक व्यंजकों (expressions) की समानता को दर्शाने के लिये प्रयुक्त होते हैं। किसी समीकरण में एक या एक से अधिक चर राशि (यां) (variables) होती हैं। चर राशि के जिस मान के लिये समीकरण के दोनो पक्ष बराबर हो जाते हैं, वह/वे मान समीकरण का हल या समीकरण का मूल (roots of the equation) कहलाता/कहलाते है। ऐसा समीकरण जो चर राशि के सभी मानों के लिये संतुष्ट होता है, उसे सर्वसमिका (identity) कहते हैं। जैसे - एक सर्वसमिका है। जबकि एक समीकरण है जिसका मूल हैं x.

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समीकरण सिद्धान्त, समीकरण सिद्धांत

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