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नोदक (जलयान)

सूची नोदक (जलयान)

एक मध्य-आकार के व्यापारिक समुद्री जहाज़ पर लगा नोदक जलयान के नोदक (marine propellors), जिन्हें अनौपचारिक भाषा में स्क्रू (screw, अर्थ: पेच) भी कहते हैं, ऐसे पंखेनुमा यंत्र होते हैं जिनसे समुद्री जहाज़ों और नौकाओं के इंजनों द्वारा उत्पन्न घूर्णन (रोटेशन) का प्रयोग पानी को पीछे की ओर फेंककर नौका को आगे की तरफ़ धकेलने के लिए जाता है। नोदकों का आकार ऐसा होता है कि जब वह घूमते हैं तो उनके आगे और पीछे के पानी के दबावों में अंतर पैदा हो जाता है जिस से पानी तेज़ी से पंखे के पीछे खींचा जाता है। वैज्ञानिक रूप से नोदक के आगे और पीछे के दबाव में अंतर बरनौली सिद्धांत द्वारा समझा जा सकता है।, Ronald R. Pethig, Stewart Smith, pp.

5 संबंधों: नोदक, नोदक (वायुयान), परिवहन की विधि, जेट विमान, आरएमएस क्वीन मैरी 2

नोदक

वायुयान का नोदक नोदक या प्रोपेलर (propeller) ऐसे यंत्र या मशीन को कहते हैं जो किसी वाहन पर लगा हो और उसे आगे धकेलने का काम करे। नोदकों के घूर्णन (रोटेशन) के द्वारा वायु या जल को पीछे फेंकने में मदद मिलती है जिससे यान पर आगे की ओर बल लगता है। समुद्री जहाज़ों और वायुयानों पर लगे पंखेनुमा नोदक जल या हवा को पीछे फेंककर यान को आगे की तरफ धकेलते हैं। नोदक शब्द से निम्नलिखित का तात्पर्य निकल सकता है.

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नोदक (वायुयान)

एटीआर७२ वायुयान के घूमता हुआ नोदक वायुयान के नोदक (aircraft propellors), जिन्हें एयरस्क्रू (airscrew, अर्थ: हवाई पेच) भी कहते हैं, हवाई जहाज़ों पर लगे ऐसे पंखेनुमा यंत्र होते हैं जिनसे विमानों के इंजनों द्वारा उत्पन्न घूर्णन (रोटेशन) का प्रयोग हवा को पीछे की ओर फेंककर विमान को आगे की तरफ़ धकेलने के लिए किया जाता है। बीते दिनों में हवाई नोदकों को लकड़ी से बनाया जाता था और बाद में इन्हें धातु से बनाया जाने लगा। आधुनिक युग में यह मिश्रित पदार्थों से बनते हैं। नोदकों के पंखों का रुझाव (pitch) एक महत्वपूर्ण पहलु होता है और हवा उसी के अनुसार विमान को आगे की तरफ़ धकेलती है। अच्छे नोदकों के पंखे मुड़े हुए होते हैं, क्योंकि सर्वाधिक धक्का प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि हवा-बहाव की दिशा के साथ उनका कोण (ऐंगल) नोदक के केंद्र में अलग और पंखों के अंत में अलग हो। वैज्ञानिक अध्ययन की दृष्टि से नोदकों के ऊपर से होते वायु प्रवाह और विमान के पंख के ऊपर से होते प्रवाह में बहुत सामानताएँ हैं।, Scott A. Ostrow, pp.

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परिवहन की विधि

परिवहन की विधि (या परिवहन के साधन या परिवहन प्रणाली या परिवहन का तरीका या परिवहन के रूप) वह शब्द हैं जो वस्तुत: परिवहन के अलग-अलग तरीकों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। सबसे प्रमुख परिवहन के साधन हैं हवाई परिवहन, रेल परिवहन सड़क परिवहन और जल परिवहन, लेकिन अन्य तरीके भी उपलब्ध हैं जिनमें पाइप लाइन, केबल परिवहन, अंतरिक्ष परिवहन और ऑफ-रोड परिवहन भी शामिल हैं। मानव संचालित परिवहन और पशु चालित परिवहन अपने तरीके का परिवहन है, लेकिन यह सामान्य रूप से अन्य श्रेणियों में आते हैं। सभी परिवहन में कुछ माल परिवहन के लिए उपयुक्त हैं और कुछ लोगों के परिवहन के लिए उपयुक्त हैं। प्रत्येक परिवहन की विधि को मौलिक रूप से विभिन्न तकनीकी समाधान और कुछ अलग वातावरण की आवश्यकता होती है। प्रत्येक विधी की अपनी बुनियादी सुविधाएं, वाहन, कार्य और अक्सर विभिन्न विनियमन हैं। जो परिवहन एक से अधिक मोड का उपयोग करते हैं उन्हें इंटरमोडल के रूप में वर्णित किया जा सकता है। .

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जेट विमान

अमेरीकी वायु सेना के लडाकू जेट विमान जेट विमान जेट इंजन से चलने वाला एक प्रकार का वायुयान है। यह विमान प्रोपेलर (पंखे) चालित विमानों से ज्यादा तेज और ज्यादा ऊँचाई तक उड़ सकते हैं। अपनी इन्हीं क्षमताओं के कारण आधुनिक युग में इनका बहुत प्रचार प्रसार हुआ। सैन्य विमान मुख्यतः जेट चालित ही होते है क्योंकि ये तेज गति से उड़ कर एवं तीव्र कोण पर शत्रु पर आक्रमण करने की क्षमता रखते हैं। इनके इंजन की कार्यक्षमता प्रोपेलर इंजन से बेहतर होती है इसीलिए जेट विमानों को लम्बी दूरी तक उड़ान भरने के लिए उपयुक्त माना गया है और आज इन्हें यात्री एवं माल को लम्बी दूरी तक ढोने के लिए सर्वोत्तम साधन माना जाता है। जेट विमान के एक कक्ष में कुछ ईंधन रखा जाता है। जब विमान चलना प्रारम्भ करता है तो विमान के सिरे पर बने छिद्र से बाहर की वायु इंजन में प्रवेश करती है। वायु के आक्सीजन के साथ मिलकर ईँधन अत्यधिक दबाव पर जलता है। जलने से उत्पन्न गैस का दाब बहुत अधिक होता है। यह गैस वायु के साथ मिलकर पीछे की ओर के जेट से तीव्र वेग से बाहर निकलती है। यद्यपि गैस का द्रव्यमान बहुत कम होता है किन्तु तीव्र वेग के कारण संवेग और प्रतिक्रिया बल बहुत अधिक होता है। इसलिए जेट विमान आगे की ओर तीव्र वेग से गतिमान होता है। चूँकि जेट विमान में वायु बाहर से ली जाती है, इसलिए वायु शून्य स्थान में जेट विमान नहीं उड़ सकता। विश्व का सर्वप्रथम जेट वायु यान बनाने का श्रेय रोमानिया के हेनरी कोंडा को जाता है। सन १९१० में बने इस वायु यान को कोंडा-१९१० के नाम से जाना जाता है। कोंडा-१९१० एक मिश्र जेट यान था जिसके अन्दर प्रत्यागामी इंजन लगा था जो जेट इंजन तक पहुँचने वाली वायु का सम्पीडन करता था। इस जटिल कार्यप्रणाली के कारण इस यान का आगे विकास नहीं हुआ और हेनरी कोंडा ने इसे कुछ प्रयोग करने के बाद इस तकनीक को त्याग दिया। १९२९ में ब्रिटिश वायु सेना के अभियंता फ्रैंक व्हित्तल ने विश्व के पहले टर्बो जेट वायु यान की परिकल्पना की और अपने शोध को प्रकाशित किया परन्तु विश्व का पहला टर्बो जेट वायु यान जर्मनी की वायु सेना ने सन १९३९ में बनवाया। इस यान का नाम था हेंकेल हे १७८ लेकिन यह यान सिर्फ परीक्षण क्षेत्र तक ही सीमित रह गया और इसे कभी भी युद्घ क्षेत्र में उपयोग में नहीं लाया गया। द्वितीय विश्व युद्घ और उसके बाद के शीतयुद्ध के समय जेट वायु यान तकनीक का तेजी से विकास हुआ और विश्व की सभी प्रमुख वायु सेनाओं ने जेट यानों को अपना लिया। अमेरिका में बना यान एसआर-७१ ब्लैकबर्ड विश्व का सबसे तेज गति से उड़ने वाला लड़ाकू जेट वायु यान है। यह यान ध्वनि की गति से ३.४ गुना ज्यादा गति से उड़ सकता है। व्यावसायिक विमानों में रूस में बना तुपोलेव तू-१४४ सबसे तेज विमान है जो ध्वनि की गति से २.३५ गुना अधिक गति से उड़ सकता है। .

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आरएमएस क्वीन मैरी 2

आरएमएस क्वीन मैरी 2 एक ट्रांसअटलांटिक समुद्री लाइनर है। यह पहला प्रमुख समुद्री लाइनर था जिसे 1969 में के बाद से बनाया गया। कर्नाड लाइन के प्रमुख जहाज के रूप में इसने सफलता प्राप्त की। इस जहाज का नाम पहले के बाद 2004 में रानी एलिज़ाबेथ II के द्वारा दिया गया, यह 1936 में पूरा किया गया। क्वीन मैरी का नाम किंग जॉर्ज V की पत्नी मैरी ऑफ़ टेक के नाम पर दिया गया। 2008 में रानी एलिज़ाबेथ 2 की सेवानिवृति के बाद से, क्वीन मैरी 2 वर्तमान में एकमात्र ट्रांस अटलांटिक समुद्री लाइनर है, जो सक्रिय है। हालांकि जहाज का उपयोग अक्सर क्रूज़ (समुद्री यात्रा) के लिए किया जाता है, इसमें वार्षिक विश्व क्रूज़ शामिल है। 2003 में चेंटीयर्स डे एल' अटलांटिक के द्वारा इसके निर्माण के समय, क्वीन मैरी 2 तब तक का सबसे लम्बा, सबसे चौड़ा और सबसे ऊंचा यात्री जहाज था और अपने के साथ सबसे बड़ा जहाज भी था। अक्टूबर 2009 में इसी कम्पनी के द्वारा अप्रैल 2006 में रॉयल केरिबियन इंटरनेश्नल का निर्माण किया गया, इसके बाद यह सबसे बड़ा जहाज नहीं रहा। हालांकि, क्वीन मैरी 2 अब तक का सबसे बड़ा समुद्री लाइनर (क्रूज़ जहाज के की तरह) है। क्वीन मैरी 2 को प्राथमिक रूप से अटलांटिक महासागर को पार करने के लिए बनाया गया था, इसीलिए इसका डिजाइन अन्य यात्री जहाजों से हटकर बनाया गया। जहाज की अंतिम लगत लगभग $300,000 प्रति बर्थ आई, जो कई समकालीन क्रूज़ जहाजों से लगभग दोगुनी थी। इसका कारण था कि इसका आकार बड़ा था, इसमें उच्च गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग किया गया था और एक समुद्री (महासागरीय) लाइनर के रूप में डिजाइन किये जाने के कारण इसे बनाने के लिए एक मानक क्रूज़ जहाज की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक स्टील का उपयोग किया गया। इसकी अधिकतम गति है और क्रुज़िंग गति है, जो किसी भी अन्य समकालीन क्रूज़ जहाज की तुलना में अधिक है, जैसे ओएसिस ऑफ़ द सीज़, जिसकी क्रुज़िंग गति है। कई जहाजों पर प्रयुक्त किये जाने वाले डीज़ल-इलेक्ट्रिक विन्यास के बजाय, क्वीन मैरी 2 में अधिकतम गति को प्राप्त करने के लिए CODLAG विन्यास (संयुक्त डीज़ल-इलेक्ट्रिक और गैस) का उपयोग किया गया है। इसमें डीज़ल जनरेटर ऑनबोर्ड के द्वारा दी गयी पावर को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त गैस टरबाइन का उपयोग किया जाता है, जिससे जहाज अपनी अधिकतम गति को प्राप्त कर लेता है। क्वीन मैरी 2 की सुविधाओं में पंद्रह रेस्तरां और बार, पांच स्विमिंग पूल, एक कैसिनो, एक बॉलरूम, एक थियेटर और पहला समुद्री प्लेनेटोरियम (तारामंडल) शामिल हैं। इसमें ऑनबोर्ड कैनल और एक नर्सरी भी है। क्वीन मैरी 2 उन कुछ जहाज़ों में एक है जिसमें ऑनबोर्ड दर्जा प्रणाली (Claas system) का उपयोग किया जाता है, इसे सबसे मुख्य रूप से इसके भोजन विकल्प में देखा जा सकता है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

नौका प्रोपेलर, प्रोपेलर (जलयान), प्रोपेलर इंजन

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