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द्वितारा

सूची द्वितारा

हबल दूरबीन से ली गयी व्याध तारे की तस्वीर जिसमें अमुख्य "व्याध बी" तारे का बिंदु (बाएँ, निचली तरफ़) मुख्य व्याघ तारे से अलग दिख रहा है द्वितारा या द्विसंगी तारा दो तारों का एक मंडल होता है जिसमें दोनों तारे अपने सांझे द्रव्यमान केंद्र (सॅन्टर ऑफ़ मास) की परिक्रमा करते हैं। द्वितारों में ज़्यादा रोशन तारे को मुख्य तारा बोलते हैं और कम रोशन तारे को अमुख्य तारा या "साथी तारा" बोलते हैं। कभी-कभी द्वितारा और दोहरा तारा का एक ही अर्थ निकला जाता है, लेकिन इन दोनों में भिन्नताएँ हैं। दोहरे तारे ऐसे दो तारे होते हैं जो पृथ्वी से इकठ्ठे नज़र आते हों। ऐसा या तो इसलिए हो सकता है क्योंकि वे वास्तव में द्वितारा मंडल में साथ-साथ हैं या इसलिए क्योंकि पृथ्वी पर बैठे हुए वे एक दुसरे के समीप लग रहे हैं लेकिन वास्तव में उनका एक दुसरे से कोई सम्बन्ध नहीं है। किसी दोहरे तारे में इनमें से कौनसी स्थिति है वह लंबन (पैरलैक्स) को मापने से जाँची जा सकती है। .

78 संबंधों: चित्रा तारा, ऍप्सिलन महाश्वान तारा, ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ तारा, ऍप्सिलन कराइनी तारा, एटा कराइनी तारा, एक्रक्स तारा, ऐलबीरेओ तारा, डॅल्टा सरसिनाए तारा, डॅल्टा सॅफ़ॅई तारा, डॅल्टा वलोरम तारा, तुला तारामंडल, त्रिशंकु तारामंडल, त्रिशंकु शिर तारा, त्रिकोण तारामंडल, देवयानी तारामंडल, दो-वस्तु समस्या, दोहरा तारा, धधकी तारा, नरतुरंग तारामंडल, परिवर्ती तारा, परकार तारामंडल, पुनर्वसु-कैस्टर तारा, प्रस्वा तारा, प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी, प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी बी, पी ऍरिडानी तारा, बिल्ली लोचन नीहारिका, ब्रह्महृदय तारा, बेटा सॅफ़ॅई तारा, बेटा कैसिओपिये तारा, भट्टी तारामंडल, मायावती तारा, मित्र तारा, मित्रक तारा, मघा तारा, मृगशीर्ष तारा, मोर तारामंडल, राजन्य तारा, लायरा तारामंडल, सफ़ेद बौना, सबसे रोशन तारों की सूची, सारस तारामंडल, सिग्मा सैजिटेरियाइ तारा, स्वाति तारा, जलसर्प तारामंडल, ज़ेटा ओरायोनिस तारा, ज्येष्ठा तारा, वशिष्ठ और अरुंधती तारे, विश्वकद्रु तारामंडल, व्याध तारा, ..., वृषपर्वा तारामंडल, खगोलभौतिक फौवारा, खगोलशास्त्र से सम्बन्धित शब्दावली, गामा ऐन्ड्रौमिडे तारा, गामा लियोनिस तारा, गामा जॅमिनोरम तारा, गामा वलोरम तारा, गामा कैसिओपिये तारा, गेक्रक्स तारा, आयोटा ओरायोनिस तारा, कबूतर तारामंडल, कापा स्कोर्पाए तारा, कापा वलोरम तारा, क्रतु तारा, कृत्तिका तारागुच्छ, केप्लर अंतरिक्ष यान, कॅप्लर-१६ तारा, कॅप्लर-१६बी, अम्बा तारा, अलफ़र्द तारा, अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे तारा, अल्फ़ा पैवोनिस तारा, अल्फ़ा उत्तरकिरीट तारा, अश्वशाव तारामंडल, उत्तरकिरीट तारामंडल, उपबौना तारा, छेनी तारामंडल, ३ सॅन्टौरी तारा सूचकांक विस्तार (28 अधिक) »

चित्रा तारा

आसमान में चित्रा तारा ढूँढने का तरीक़ा - स्वाती तारे (आर्कट्युरस) से सीधी लक़ीर खेंचे चित्रा या स्पाइका (Spica), जिसका बायर नाम "अल्फ़ा वर्जिनिस" (α Virginis या α Vir) है, कन्या तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में से पंद्रहवाँ सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से लगभग 260 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। चित्रा वास्तव में एक द्वितारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। इसका मुख्य तारा एक नीला दानव तारा है और छोटा तारा एक मुख्य अनुक्रम तारा है।, Elizabeth Howell, 20 जुलाई 2013, SPACE.com, Accessed: 19 Aug 2013,...

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ऍप्सिलन महाश्वान तारा

महाश्वान तारामंडल (हिन्दी नामों के साथ) - ऍप्सिलन महाश्वान तारा ("अधारा") कुत्ते की आकृति के निचले पाऊँ पर स्थित है ऍप्सिलन महाश्वान या अधारा, जिसका बायर नाम "ऍप्सिलन कैनिस मेजोरिस" (ε Canis Majoris या ε CMa) है, महाश्वान तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से चौबीसवा सब से रोशन तारा भी है। यह पृथ्वी से लगभग 430 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। हालांकि की पृथ्वी से यह एक तारा लगता है, यह वास्तव में एक द्वितारा मंडल है। .

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ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ तारा

धनु तारामंडल में ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ तारा "ε Sgr" से नामांकित है ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (ε Sgr या ε Sagittarii) दर्ज है, आकाश में धनु तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ३५वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १४४.६४ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७९ है। इसका एक बहुत ही धुंधला साथी तारा भी है जिसे ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ बी बुलाया जाता है। .

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ऍप्सिलन कराइनी तारा

कराइना तारामंडल में ऍप्सिलन कराइनी तारा ऍप्सिलन कराइनी द्वितारे के दोनों तारों का काल्पनिक चित्रण ऍप्सिलन कराइनी, जिसका बायर नामांकन भी यही नाम (ε Car या ε Carinae) है, कराइना तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +१.८६ है और यह पृथ्वी से लगभग ६३० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। .

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एटा कराइनी तारा

एटा कराइनी (Eta Carinae, η Carinae, η Car), जिसका बायर नाम भी यही है, कराइना तारामंडल में स्थित एक तारकीय मंडल है जिसमें कम-से-कम दो तारे हैं जिनकी मिली-जुली तेजस्विता हमारे सूरज से ५० लाख गुना है। यह हमारे सौर मंडल से ७,५०० प्रकाशवर्ष दूर है। १९वीं शताब्दी में एटा कराइनी का सापेक्ष कांतिमान ४ के आसपास आंका गया था लेकिन सन् १८३७-१८५६ काल में इसकी चमक में अचानक बढ़त होने लगी और ११ से १४ मार्च १८४३ काल में यह आकाश का दूसरे सबसे चमकदार तारा हो गया। इस घटना को महान विस्फोट (Great Eruption) कहा जाता है। इसके बाद यह धीरे-धीरे फीका पड़ने लगा और फिर दूरबीन के बिना दिखना बन्द हो गया। १९४० के बाद इसकी चमक फिर बढ़ने लगी और इसका सापेक्ष कांतिमान २०१४ में ४.५ पहुँच चुका था। पृथ्वी पर एटा कराइनी ३०° दक्षिण अक्षांश (लैटिट्यूड) से दक्षिण में परिध्रुवी है यानि लगभग ३०° उत्तर से ऊपर रहने वाले लोग इसे कभी नहीं देख सकते। .

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एक्रक्स तारा

एक्रक्स एक्रक्स, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा क्रूसिस" (α Crucis या α Cru) है, त्रिशंकु तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। यह पृथ्वी से लगभग 321 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। एक्रक्स वास्तव में एक बहु तारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। .

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ऐलबीरेओ तारा

ऐलबीरेओ (Albireo), जिसका बायर नामांकन बेटा सिगनाए (β Cygni या β Cyg) है, हंस तारामंडल का एक तारा है। हंस तारे, गामा सिगनाए तारे, ऍप्सिलन सिगनाए तारे और डॅल्टा सिगनाए तारे के बाद यह हंस तारामंडल का पाँचवा सबसे रोशन तारा है। .

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डॅल्टा सरसिनाए तारा

डॅल्टा सरसिनाए (Delta Circini) या δ सरसिनाए (δ Cir) परकार तारामंडल में स्थित एक बहु तारा मंडल है। इसे ऍचाआर ५६६४ (HR 5664) और ऍचडी १३५२४० (HD 135240) के नाम से भी जाना जाता है। इसका सापेक्ष कांतिमान +५.०९ है और यह हमारे सूरज से ७७० प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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डॅल्टा सॅफ़ॅई तारा

डॅल्टा सॅफ़ॅई, जिसका बायर नाम भी यही (δ Cephei या δ Cep) है, वृषपर्वा तारामंडल में स्थित एक द्वितारा मंडल है जो पृथ्वी से क़रीब ८८७ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) उसके और पृथ्वी के बीच गैस और धूल की मौजूदगी के कारण ०.२३ कम दिखता है। इसमें ५.३६६३४१ दिनों के काल में चमक ३.४८ से ४.३७ मैग्निट्यूड के बीच बदलती रहती है, यानि यह एक परिवर्ती तारा है। इस तारे के आधार पर परिवर्ती तारों की एक विशेष श्रेणी बनाई गई थी जिसे सॅफ़ॅई परिवर्ती कहा जाता है। .

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डॅल्टा वलोरम तारा

पाल तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें डॅल्टा वलोरम "δ" के चिह्न वाला दाएँ नीचे की तरफ़ स्थित तारा है डॅल्टा वलोरम, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (δ Vel या δ Velorum) दर्ज है, आकाश में पाल तारामंडल में स्थित एक तारों का मंडल है जिसमें दो द्वितारे दिखाई दिए हैं। इसका सब से रोशन तारा "डॅल्टा वलोरम ए" +२.०३ मैग्निट्यूड की चमक (सापेक्ष कांतिमान) रखता है और पृथ्वी के आकाश में दिखने वाले तारों में से ४९वाँ सब से रोशन तारा है। अगर डॅल्टा वलोरम के सभी तारों को इकठ्ठा देखा जाए तो इनकी मिली-जुली चमक १.९५ मैग्निट्यूड है। ध्यान रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड एक विपरीत माप है और यह जितना कम हो चमक उतनी ही ज़्यादा होती है। यह तारे पृथ्वी से लगभग ७९.७ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर हैं। .

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तुला तारामंडल

तुला तारामंडल तुला तारामंडल की रात को ली गयी एक तस्वीर (लक़ीरें काल्पनिक हैं) तुला या लीब्रा (अंग्रेज़ी: Libra) तारामंडल राशिचक्र का एक तारामंडल है। पुरानी खगोलशास्त्रिय पुस्तकों में इसे अक्सर एक तराज़ू के रूप में दर्शाया जाता था। यह तारामंडल काफ़ी धुंधला है और इसके तारे पृथ्वी से ज़्यादा रोशन नहीं लगते। इसमें शामिल ग्लीज़ ५८१ तारे का अपना ६ ग्रहों वाला ग्रहीय मण्डल है, जिसमें से एक उस तारे के वासयोग्य क्षेत्र में स्थित है। .

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त्रिशंकु तारामंडल

त्रिशंकु (क्रक्स) तारामंडल त्रिशंकु तारामंडल त्रिशंकु या क्रक्स (अंग्रेज़ी: Crux) तारामंडल अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची का सब से छोटा तारामंडल है। अंग्रेज़ी में इसे कभी-कभी "सदर्न क्रॉस" (Southern cross, दक्षिणी काँटा) के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत में सर्दियों और बसंत के मौसम में गुजरात से दक्षिणी क्षेत्रों में देखा जा सकता है, लेकिन उत्तर भारत से नहीं। पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध (हेमिसफ़ेयर) से यह किसी भी मौसम में देखा जा सकता है। .

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त्रिशंकु शिर तारा

त्रिशंकु शिर, इस चित्र का सब से रोशन तारा (दाँई तरफ) त्रिशंकु शिर, जिसका बायर नाम "बेटा क्रूसिस" (β Crucis या β Cru) है, त्रिशंकु तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। यह पृथ्वी से लगभग 350 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। त्रिशंकुशिर वास्तव में एक द्वितारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। इसके मुख्य तारे की श्रेणी B0.5IV है। त्रिशंकु शिर कर्क रेखा के दक्षिण में ही देखा जा सकता है इसलिए उत्तर भारत के अधिकाँश भाग में और यूरोप-वग़ैराह में नहीं देखा जा सकता। मध्य और दक्षिण भारत में इसे देखा जा सकता है। .

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त्रिकोण तारामंडल

त्रिकोण तारामंडल त्रिकोण या ट्राऐंगुलम (अंग्रेज़ी: Triangulum) खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में स्थित एक छोटा-सा तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। इसका नाम इसके तीन सबसे रोशन तारों से आता है जिनको कालपनिक लकीरों से जोड़ने से एक पतला सा समद्विबाहु (आसोसिलीज़) त्रिकोण बनता है। .

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देवयानी तारामंडल

देवयानी तारामंडल बेटा ऐन्ड्रौमिडे (β And) उर्फ़ मिराक तारा देवयानी या ऐन्ड्रौमेडा एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। देवयानी तारामंडल खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में स्थित है। एण्ड्रोमेडा आकाशगंगा भी आकाश में इसी तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आती है। .

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दो-वस्तु समस्या

खगोलीय यांत्रिकी में दो-वस्तु समस्या (two-body problem) दो बिन्दु-आकार की वस्तुओं की गति व चाल को समझने को कहते हैं जो केवल एक-दूसरे को ही प्रभावित करती हैं (यानि कोई भी तीसरी वस्तु इस अध्ययन में शामिल नहीं करी जाती)। इस अध्ययन में किसी ग्रह के इर्द-गिर्द कक्षा में परिक्रमा करता उपग्रह, किसी तारे की परिक्रमा करता एक ग्रह, किसी द्वितारा मंडल में एक-दूसरे की परिक्रमा करते दो तारे, इत्यादि शामिल हैं। चिरसम्मत भौतिकी में किसी परमाणु में नाभिक की परिक्रमा करता हुआ एक इलेक्ट्रान भी इसका उदाहरण है (हालांकि प्रमात्रा यान्त्रिकी की नई समझ में यह दो-वस्तु समस्या नहीं समझी जाती)। इसी प्रकार तीन वस्तुओं की आपसी चाल को समझने के लिये तीन-वस्तु समस्या (three-body problem) नामक अध्ययन भी किया जाता है। .

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दोहरा तारा

खगोलशास्त्र में दोहरा तारा दो तारों का ऐसा जोड़ा होता है जो पृथ्वी से दूरबीन के ज़रिये देखे जाने पर एक-दुसरे के समीप नज़र आते हैं। ऐसा दो कारणों से हो सकता है -.

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धधकी तारा

धधकी तारा (flare star) ऐसा परिवर्ती तारा होता है जो कभी-कभी बिना चेतावनी के अचानक कुछ मिनटों के लिये अपनी चमक को साधारण से बहुत अधिक बढ़ा दे। खगोलशास्त्रियों का अनुमान है कि यह प्रक्रिया हमारे सूरज के सौर प्रज्वालों के समान है और उन तारों के वायुमण्डल में एकत्रित चुम्बकीय ऊर्जा के कारण होती है। स्पेक्ट्रोस्कोपी जाँच से पता चला है कि चमक की यह बढ़ौतरी रेडियो तरंगों से लेकर एक्स रे तक पूरे वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) में देखी जा सकती है। सबसे पहले ज्ञात धधकी तारे वी१३९६ सिगनाए (V1396 Cygni) और एटी माइक्रोस्कोपाए (AT Microscopii) थे जिनकी खोज सन् १९२४ में हुई। सबसे अधिक पहचाने जाना वाला धधकी तारा यूवी सेटाए (UV Ceti) है, जो १९४८ में मिला था। अधिकतर धधकी तारे कम चमक वाले लाल बौने होते हैं हालांकि हाल में हुए अनुसन्धान में संकेत मिला है कि कम द्रव्यमान (मास) वाले भूरे बौने भी धधकने में सक्षम हो सकते हैं। कुछ दानव तारे भी धधकते हुए मिले हैं लेकिन यह उनके द्वितारा मंडल में होने से उनके साथी तारे के शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षक खींचाव के कारण हुआ समझा जाता है। इसके अलावा सूरज से मिलते-जुलते ९ तारों में भी धधकन देखी गई है, जिसके बारे में खगोलशास्त्री समझते हैं कि यह उनके इर्द-गिर्द बृहस्पति जैसे भीमकाय ग्रह की बहुत ही समीपी कक्षा में उपस्थिति की वजह से है। .

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नरतुरंग तारामंडल

नरतुरंग तारामंडल नरतुरंग (संस्कृत अर्थ: नर और घोड़े का मिश्रण) या सॅन्टौरस खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में स्थित एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। पुराने यूनानी ग्रंथों में इसे एक आधे आदमी और आधे घोड़े के शरीर वाले प्राणी के रूप में दर्शाया जाता था। पृथ्वी से सूरज के बाद सबसे नज़दीकी तारा, मित्रक (अल्फ़ा सॅन्टौरी) इसी तारामंडल में स्थित है। .

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परिवर्ती तारा

द्वितारे में एक तारे के कभी खुले चमकने और कभी ग्रहण हो जाने से उसकी चमक परिवर्तित होती रहती है - नीचे की लक़ीर पृथ्वी तक पहुँच रही चमक को माप रही है परिवर्ती तारा ऐसे तारे को बोलते हैं जिसकी पृथ्वी तक पहुँचती हुई चमक बदलती रहती हो, यानि उसका सापेक्ष कान्तिमान बदलता रहता हो। इसकी दो वजहें हो सकती हैं -.

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परकार तारामंडल

परकार तारामंडल परकार या सरसिनस (अंग्रेज़ी: Circinus) खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में स्थित एक छोटा-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा १८वी सदी में की गई थी। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। .

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पुनर्वसु-कैस्टर तारा

पुनर्वसु-कैस्टर तारा पुनर्वसु-कैस्टर या सिर्फ़ कैस्टर, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा जॅमिनोरम" (α Geminorum या α Gem) है, मिथुन तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। प्राचीन भारत में इसे और पुनर्वसु-पॅलक्स तारे को मिलकर पुनर्वसु नक्षत्र बनता था। पुनर्वसु-कैस्टर पृथ्वी से लगभग 49.8 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। वैज्ञानिकों को पता चला है के यह वास्तव में एक तारा नहीं बल्कि दो द्वितारों का मंडल है, यानि इसमें चार तारे हैं। फिर उन्हें ज्ञात हुआ के इसमें एक और धुंधला-सा दिखने वाला द्वितारा भी गुरुत्वाकर्षण से बंधा हुआ है, यानि कुल मिलकर पुनर्वसु-कैस्टर मंडल में छह तारे हैं। इस तीसरे द्वितारे के दोनों सदस्य मुख्य अनुक्रम के बौने तारे हैं - यह असाधारण बात है क्योंकि द्वितारों में ज़्यादातर एक तारा दानव या महादानव तारा होता है। .

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प्रस्वा तारा

हीनश्वान तारामंडल में प्रस्वा का स्थान प्रस्वा या प्रोसीयन, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा कैनिस माइनौरिस" (α Canis Minoris या α CMi) है, हीनश्वान तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से सातवा सब से रोशन तारा है। बिना दूरबीन के आँखों से यह एक तारा लगता है पर दरअसल द्वितारा है, जिनमें से एक "प्रस्वा ए" नाम का सफ़ेद मुख्य अनुक्रम तारा है जिसकी श्रेणी F5 VI-V है और दूसरा "प्रस्वा बी" नामक धुंधला-सा सफ़ेद बौना तारा है जिसकी श्रेणी DA है। वैसे तो प्रस्वा कोई ख़ास चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) नहीं रखता लेकिन पृथ्वी के पास होने से ज़्यादा रोशन लगता है। यह पृथ्वी से ११.४१ प्रकाश-वर्ष दूर है। भारतीय नक्षत्रों में प्रस्वा पुनर्वसु नक्षत्र का भाग माना जाता था, लेकिन उस नक्षत्र में और भी तारे शामिल हैं। .

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प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी

प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी या मित्र सी, जिसका बायर नाम α Centauri C या α Cen C है, नरतुरंग तारामंडल में स्थित एक लाल बौना तारा है। हमारे सूरज के बाद, प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी हमारी पृथ्वी का सब से नज़दीकी तारा है और हमसे ४.२४ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है।, Pierre Kervella and Frederic Thevenin, ESO, 15 मार्च 2003 फिर भी प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी इतना छोटा है के बिना दूरबीन के देखा नहीं जा सकता।, Govert Schilling, स्प्रिंगर, 2011, ISBN 978-1-4419-7810-3,...

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प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी बी

प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी बी (Proxima Centauri b), जिसे केवल प्रॉक्सिमा बी (Proxima Centauri b) भी कहते हैं, प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी नामक लाल बौने तारे के वासयोग्य क्षेत्र में उस तारे की परिक्रमा करता हुआ एक ग़ैर-सौरीय ग्रह (यानि बहिर्ग्रह) है। हमारे सौर मंडल से लगभग ४.२ प्रकाशवर्ष (यानि एक ट्रिलियन या दस खरब किलोमीटर) दूर स्थित प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी तारा सूरज के बाद पृथ्वी का सबसे समीपी तारा है और मित्र तारे (उर्फ़ अल्फ़ा सेन्टॉरी, Alpha Centauri) के त्रितारा मंडल में से एक है और हमारे अपने सौर मंडल के बाद सबसे समीपी ग्रहीय मंडल है। पृथ्वी में ऊपर देखने पर मित्र तारा आकाश के नरतुरंग तारामंडल क्षेत्र में दिखता है। प्रॉक्सिमा बी ग्रह मिलने यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला ने अगस्त २०१६ में की थी। .

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पी ऍरिडानी तारा

पी ऍरिडानी (बायर नाम: p Eridani या p Eri) स्रोतास्विनी तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से २६ प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है और सन् १८२५ में दूरबीन से देखने पर इसका वास्तव में द्वितारा (दो तारों का मंडल) होना ज्ञात हुआ था। .

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बिल्ली लोचन नीहारिका

बिल्ली लोचन नीहारिका (१९९४ में हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ली गई तस्वीर) बिल्ली लोचन नीहारिका का परिष्कृत चित्रण, जिसमें इसकी परतों के साथ-साथ कुछ धारें भी दिख रहीं हैं जो केन्द्रीय तारे से उभरते सामग्री के फव्वारे हो सकते हैं बिल्ली लोचन नीहारिका या बिल्ली की आँख नीहारिका (अंग्रेज़ी: Cat's Eye Nebula, कैट्स आय नॅब्युला), जिसे ऍन॰जी॰सी॰ ६५४३ और कैल्डवॅल ६ भी कहा जाता है, एक ग्रहीय नीहारिका है जो आकाश में शिशुमार तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आती है। यह ज्ञात नीहारिकाओं में बहुत ही पेचदार मानी जाती है और हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा जांच में इसके अंदर बहुत से गाँठ, फव्वारे, बुलबुले और चाप (आर्क) जैसे ढाँचे दिखें हैं। नीहारिका के केंद्र में एक रोशन और गरम तारा स्थित है। लगभग १००० वर्ष पूर्व इस तारे ने अपनी बाहरी परते खो दीं जो अब नीहारिका बनकर इसके इर्द-गिर्द स्थित हैं। बिल्ली लोचन नीहारिका के जटिल उलझेपन को देखकर कुछ वैज्ञानिकों की सोच है कि शायद केन्द्रीय तारा एक तारा नहीं बल्कि द्वितारा हो, हालांकि इसके लिए अभी कोई प्रमाण नहीं मिला है। .

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ब्रह्महृदय तारा

ब्रह्महृदय के चार तारों और सूरज के आकारों की तुलना - सूरज नीचे बीच का पीला वाला गोला है ब्रह्महृदय या कपॅल्ला, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा ऑराइगे" (α Aurigae या α Aur) है, ब्रह्मा तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। बिना दूरबीन के एक दिखने वाला यह तारा वास्तव में दो द्वितारों का मंडल है, यानि इसमें कुल मिलकर चार तारे हैं जो पृथ्वी से एक ही प्रतीत होते हैं। पहले द्वितारे के दोनों तारे G श्रेणी के दानव तारे हैं और दोनों के व्यास (डायामीटर) सूरज के व्यास के लगभग दस गुना हैं। दुसरे द्वितारे के दोनों तारे छोटे और धुंधले से लाल बौने हैं। ब्रह्महृदय मंडल पृथ्वी से लगभग 42.2 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। .

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बेटा सॅफ़ॅई तारा

वृषपर्वा (सिफ़ियस) तारामंडल में 'β' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है बेटा सॅफ़ॅई, जिसका बायर नाम भी यही (β Cephei या β Cep) है, वृषपर्वा तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह हमसे क़रीब ६९० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) लगभग +३.१४ है, हालांकि यह एक परिवर्ती तारा है जिसकी चमक ऊपर-नीचे होती रहती है। इस तारे के नाम पर परिवर्ती तारों की एक विशेष श्रेणी का नामकरण किया गया है जिसके सददास्यों को बेटा सॅफ़ॅई परिवर्ती तारे बुलाया जाता है। .

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बेटा कैसिओपिये तारा

बेटा कैसिओपिये शर्मिष्ठा तारामंडल में 'β' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है बेटा कैसिओपिये, जिसका बायर नाम भी यही (β Cassiopeiae या β Cas) है, शर्मिष्ठा तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७१वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इस तारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) २.२७ मैग्नीट्यूड है और यह हमसे लगभग ५४ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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भट्टी तारामंडल

भट्टी (फ़ॉरनैक्स) तारामंडल भट्टी तारामंडल में दिखने वाला ग़ैर-सौरीय ग्रह हिप १३०४४ बी क्षीरमार्ग (हमारी आकाशगंगा) में नहीं जन्मा था (काल्पनिक चित्र) बिग बैंग महाविस्फोट में हुए ब्रह्माण्ड के जन्म के ५० करोड़ वर्षों के अन्दर-अन्दर दिखती होगी भट्टी या फ़ॉरनैक्स खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में स्थित एक छोटा-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा १८वीं सदी में की गई थी और अब यह अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। .

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मायावती तारा

द्वितारे में एक तारे के कभी खुले चमकने और कभी ग्रहण हो जाने से उसकी चमक परिवर्तित होती रहती है - नीचे की लक़ीर पृथ्वी तक पहुँच रही चमक को माप रही है ययाति (पर्सियस) तारामंडल में मायावती (अलग़ोल) तारा 'β' द्वारा नामांकित है मायावती या अलग़ोल, जिसका बायर नाम बेटा परसई (β Persei या β Per) है, ययाति तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५९वाँ सब से रोशन तारा भी है। यह एक ऐसा द्वितारा है जिसके मुख्य तारे के इर्द-गिर्द घूमता साथी तारा कभी तो उसके और पृथ्वी के बीच आ जाता है और कभी नहीं। इस से यह पृथ्वी से एक परिवर्ती तारा लगता है जिसकी चमक बदलती रहती है। वैदिक काल में इसकी मायावी बदलती प्रकृति के कारण ही इसका नाम "मायावती" पड़ा। इसे पश्चिम और अरब संस्कृतियों में एक दुर्भाग्य का तारा माना जाता था। यह पृथ्वी से लगभग ९३ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) वैसे तो +२.१० मैग्नीट्यूड पर रहती है लेकिन हर २ दिन २० घंटे और ४९ मिनटों के बाद इसकी चमक गिरकर +३.४ हो जाती है (याद रखें कि मैग्नीट्यूड एक ऐसा उल्टा माप है कि यह जितना कम हो रोशनी उतनी अधिक होती है)। .

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मित्र तारा

मित्र मंडल के तीन तारों और हमारे सूरज के आकारों और रंगों की आपस में तुलना शक्तिशाली दूरबीन के ज़रिये मित्र तारे का एक दृश्य (बीच का सब से रोशन तारा) मित्र "बी" की परिक्रमा करते ग़ैर-सौरीय ग्रह का काल्पनिक चित्रण मित्र या अल्फ़ा सॅन्टौरी, जिसका बायर नाम α Centauri या α Cen है, नरतुरंग तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से चौथा सब से रोशन तारा भी है। पृथ्वी से एक दिखने वाला मित्र तारा वास्तव में तीन तारों का बहु तारा मंडल है। इनमें से दो तो एक द्वितारा मंडल में हैं और इन्हें मित्र "ए" और मित्र "बी" कहा जाता है। तीसरा तारा इनसे कुछ दूरी पर है और उसे मित्र "सी" या "प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी" का नाम मिला है। सूरज को छोड़कर, प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी हमारी पृथ्वी का सब से नज़दीकी तारा है और हमसे 4.24 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है। फिर भी प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी इतना छोटा है के बिना दूरबीन के देखा नहीं जा सकता। अक्टूबर २०१२ में वैज्ञनिकों ने घोषणा करी कि मित्र तारा मंडल के एक तारे (मित्र "बी") के इर्द-गिर्द एक ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करता हुआ पाया गया है। इस ग्रह का नाम 'मित्र बी-बी' (Alpha Centauri Bb) रखा गया और यह पृथ्वी से सब से नज़दीकी ज्ञात ग़ैर-सौरीय ग्रह है लेकिन यह अपने तारे के बहुत पास है और वासयोग्य क्षेत्र में नहीं पड़ता।, Mike Wall, 16 अक्टूबर 2012, NBC News, Accessed: 19 अक्टूबर 2012,...

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मित्रक तारा

मित्रक या बेटा सॅन्टौरी, जिसका बायर नाम β Centauri या β Cen है और जिसे हदर के नाम से भी जाना जाता है, नरतुरंग तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से दसवा सब से रोशन तारा भी है। तारों के श्रेणीकरण के हिसाब से इसे "B1 III" की श्रेणी दी जाती है। .

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मघा तारा

मघा (रॅग्युलस) तारा मघा या रॅग्युलस​, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा लियोनिस" (α Leonis या α Leo) है, सिंह तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से बाईसवा सब से रोशन तारा है। मघा हमारे सौर मंडल से लगभग 77.5 प्रकाश-वर्ष दूर है। वास्तव में मघा एक तारा नहीं बल्कि दो द्वितारों का मंडल है, यानि कुल मिलकर चार तारे हैं। .

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मृगशीर्ष तारा

मृगशीर्ष (Mrigashirsha) या मेइस्सा (Meissa), जिसका बायर नाम लाम्डा ओरायोनिस (Lambda Orionis, λ Ori) है, कालपुरुष तारामंडल में स्थित एक दानव तारा है। आँख से एक दिखने वाला यह तारा वास्तव में एक द्वितारा है, जिसमें दानव तारे के साथ एक मुख्य अनुक्रम साथी तारा भी है। .

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मोर तारामंडल

मोर (पेवो) तारामंडल पेवो तारामंडल के क्षेत्र में तीन "भिड़ती" गैलेक्सियाँ है मोर या पेवो तारामंडल खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। इसमें कुछ मुख्य तारों को लकीरों से जोड़कर एक काल्पनिक मोर (पक्षी) की आकृति बनाई जा सकती है। "पेवो" (Pavo) लातिनी भाषा में "मोर" के लिए शब्द है। इसकी परिभाषा औपचारिक रूप से सन् १६१२ या १६१३ में पॅट्रस प्लैंकियस (Petrus Plancius) नामक डच खगोलशास्त्री ने की थी हालांकि इसके नाम का प्रयोग १५९७-१५९८ से ही शुरू हो चूका था। .

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राजन्य तारा

राजन्य और सूरज के आकारों की तुलना - सूरज बाएँ पर है राजन्य या राइजॅल, जिसका बायर नाम "बेटा ओरायोनिस" (β Orionis या β Ori) है, कालपुरुष तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से छठा सब से रोशन तारा भी है। इसकी चमक (या सापेक्ष कान्तिमान) 0.18 मैग्निट्यूड पर मापी गयी है। यह पृथ्वी से 700-900 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। राजन्य एक नीला महादानव तारा है जो हमारे सूरज के द्रव्यमान से 17 गुना द्रव्यमान (मास) है। इसकी अंदरूनी चमक (या निरपेक्ष कान्तिमान) हमारे सूरज की चमक की 85,000 गुना है। .

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लायरा तारामंडल

लायरा तारामंडल लायरा तारामंडल का एक और चित्र लायरा एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। इसका मुख्य तारा अभिजीत है जो रात्री के आसमान का पाँचवा सब से रोशन तारा है। .

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सफ़ेद बौना

तुलनात्मक तस्वीर: हमारा सूरज (दाएँ तरफ़) और पर्णिन अश्व तारामंडल में स्थित द्वितारा "आई॰के॰ पॅगासाई" के दो तारे - "आई॰के॰ पॅगासाई ए" (बाएँ तरफ़) और सफ़ेद बौना "आई॰के॰ पॅगासाई बी" (नीचे का छोटा-सा बिंदु)। इस सफ़ेद बौने का सतही तापमान ३,५०० कैल्विन है। खगोलशास्त्र में सफ़ेद बौना या व्हाइट ड्वार्फ़ एक छोटे तारे को बोला जाता है जो "अपकृष्ट इलेक्ट्रॉन पदार्थ" का बना हो। "अपकृष्ट इलेक्ट्रॉन पदार्थ" या "ऍलॅक्ट्रॉन डिजॅनरेट मैटर" में इलेक्ट्रॉन अपने परमाणुओं से अलग होकर एक गैस की तरह फैल जाते हैं और नाभिक (न्युक्लिअस, परमाणुओं के घना केंद्रीय हिस्से) उसमें तैरते हैं। सफ़ेद बौने बहुत घने होते हैं - वे पृथ्वी के जितने छोटे आकार में सूरज के जितना द्रव्यमान (मास) रख सकते हैं। माना जाता है के जिन तारों में इतना द्रव्यमान नहीं होता के वे आगे चलकर अपना इंधन ख़त्म हो जाने पर न्यूट्रॉन तारा बन सकें, वे सारे सफ़ेद बौने बन जाते हैं। इस नज़रिए से आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) के ९७% तारों के भाग्य में सफ़ेद बौना बन जाना ही लिखा है। सफ़ेद बौनों की रौशनी बड़ी मध्यम होती है। वक़्त के साथ-साथ सफ़ेद बौने ठन्डे पड़ते जाते हैं और वैज्ञानिकों की सोच है के अरबों साल में अंत में जाकर वे बिना किसी रौशनी और गरमी वाले काले बौने बन जाते हैं। क्योंकि हमारा ब्रह्माण्ड केवल १३.७ अरब साल पुराना है इसलिए अभी इतना समय ही नहीं गुज़रा के कोई भी सफ़ेद बौना पूरी तरह ठंडा पड़कर काला बौना बन सके। इस वजह से आज तक खगोलशास्त्रियों को कभी भी कोई काला बौना नहीं मिला है। .

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सबसे रोशन तारों की सूची

किसी तारे की चमक उसकी अपने भीतरी चमक, उसकी पृथ्वी से दूरी और कुछ अन्य परिस्थितियों पर निर्भर करती है। किसी तारे के निहित चमकीलेपन को "निरपेक्ष कान्तिमान" कहते हैं जबकि पृथ्वी से देखे गए उसके चमकीलेपन को "सापेक्ष कान्तिमान" कहते हैं। खगोलीय वस्तुओं की चमक को मैग्निट्यूड में मापा जाता है - ध्यान रहे के यह मैग्निट्यूड जितना कम होता है सितारा उतना ही ज़्यादा रोशन होता है। .

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सारस तारामंडल

सारस (ग्रस) तारामंडल सारस या ग्रस (अंग्रेज़ी: Grus) तारामंडल खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। इसकी परिभाषा सन् १६०३ में जर्मन खगोलशास्त्री योहन बायर ने की थी, जिन्होनें तारों को नाम देने की बायर नामांकन प्रणाली भी इजाद की थी। इसमें कुछ मुख्य तारों को लकीरों से जोड़कर एक काल्पनिक सारस की आकृति बनाई जा सकती है, जिसके पीछे इस तारामंडल का नाम रखा गया ("ग्रस" या "ग्रुस") लातिनी भाषा में "सारस" के लिए शब्द है। .

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सिग्मा सैजिटेरियाइ तारा

धनु तारामंडल में सिग्मा सैजिटेरियाइ तारा "σ Sgr" से नामांकित है सिग्मा सैजिटेरियाइ जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (σ Sgr या σ Sagittarii) दर्ज है, आकाश में धनु तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५२वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे २२८ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०६ है। .

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स्वाति तारा

सूरज की तुलना में स्वाति का व्यास लगभग 25 गुना है स्वाति या आर्कट्युरस (अंग्रेजी: Arcturus) ग्वाला तारामंडल में स्थित एक नारंगी रंग का दानव तारा है। इसका बायर नाम "अल्फ़ा बोओटीस" (α Boötis) है। यह आकाश का तीसरा सब से रोशन तारा है। इसका सापेक्ष कान्तिमान (चमक) -0.04 मैग्निट्यूड है। स्वातिपृथ्वी से 36.7 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है और हमारे सूरज से 25.7 गुना व्यास (डायामीटर) रखता है। इसका सतही तापमान 4,300 कैल्विन अनुमानित किया जाता है। स्वाति के अध्ययन से यह शंका पैदा हो गयी है के इसका द्वितारा होने की सम्भावना है जिसमें इसका साथी तारा इस से 20 गुना कम चमक वाला है, लेकिन यह अभी पूरी तरह प्रमाणित नहीं हुआ है। .

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जलसर्प तारामंडल

जलसर्प तारामंडल जलसर्प तारामंडल में ऍम८३ नामक डन्डीय सर्पिल आकाशगंगा है जलसर्प या हाइड्रा एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है और उस सूची का खगोलीय गोले में सब से बड़े क्षेत्र वाला तारामंडल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। .

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ज़ेटा ओरायोनिस तारा

ज़ेटा ओरायोनिस एक नीला महादानव तारा है जो हमारे सूरज से बहुत बड़ा है ज़ेटा ओरायोनिस कालपुरुष तारामंडल में आंच नीहारिका (फ़्लेम नेब्युला) के समीप नज़र आता है ज़ेटा ओरायोनिस, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (ζ Ori या ζ Orionis) दर्ज है, आकाश में कालपुरुष तारामंडल में स्थित एक तीन तारों का बहु तारा मंडल है। इसका मुख्य तारा (जिसे "ज़ेटा ओरायोनिस ए" कहा जाता है) एक अति-गरम नीला महादानव तारा है और यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ३१वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ७०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०४ है। अगर तीनों तारों को इकठ्ठा देखा जाए तो इनकी मिली-जुली चमक १.७२ मैग्निट्यूड है। ध्यान रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड एक विपरीत माप है और यह जितना कम हो चमक उतनी ही ज़्यादा होती है। .

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ज्येष्ठा तारा

स्वाती (आर्कत्युरस) भी दिखाया गया है ज्येष्ठा या अन्तारॅस, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा स्कोर्पाए" (α Scorpii या α Sco) है, वॄश्चिक तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सोलहवा सब से रोशन तारा है। ज्येष्ठा समय के साथ अपनी चमक कम-ज़्यादा करने वाला एक परिवर्ती तारा है जिसकी औसत चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +1.09 मैग्नीट्यूड है। यह पृथ्वी से लगभग 600 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। .

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वशिष्ठ और अरुंधती तारे

वशिष्ठ और अरुंधती तारे सप्तर्षि तारामंडल में ध्यान से देखने पर वशिष्ठ के पास अरुंधती तारा धुंधला-सा नज़र आता है वशिष्ठ, जिसका बायर नामांकन "ज़ेटा अर्से मॅजोरिस" (ζ UMa या ζ Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का चौथा सब से रोशन तारा है, जो पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७०वाँ सब से रोशन तारा भी है। शक्तिशाली दूरबीन से देखने पर ज्ञात हुआ है कि यह वास्तव में ४ तारों का एक मंडल है। इसके बहुत पास इस से काफ़ी कम रोशनी वाला अरुंधती तारा (बायर नाम: ८० अर्से मॅजोरिस, 80 UMa) दिखता है जो स्वयं एक द्वितारा है। इन दोनों के मिलकर जो ६ तारे हैं वे एक दूसरे के गुरुत्वाकर्षण से बंधे हुए हैं और पृथ्वी से लगभग ८१ प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। वशिष्ठ का चार-तारा मंडल और अरुंधती का द्वितारा एक दूसरे से अनुमानित १.१ प्रकाश वर्ष की दूरी रखते हैं। वशिष्ठ की पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.२३ है लेकिन इसके सबसे रोशन तारे की चमक +२.२७ मैग्निट्यूड है। ध्यान रहे कि मैग्निट्यूड एक उल्टा माप है और यह जितना अधिक हो तारा उतना ही कम रोशन लगता है। .

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विश्वकद्रु तारामंडल

विश्वकद्रु तारामंडल कोर करोली द्वितारा विश्वकद्रु या कैनीज़ विनैटिसाए (अंग्रेज़ी: Canes Venatici) खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में स्थित एक छोटा-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा १७वी सदी में योहानॅस हॅवॅलियस (Johannes Hevelius) नामक जर्मन खगोलशास्त्री ने की थी। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। इस तारामंडल के तारे धुंधले होने से दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने अपनी ४८ तारामंडलों की सूची में इसे अलग स्थान देने के बजाए इसे आकाश में इसके पड़ोस में स्थित सप्तर्षि तारामंडल का ही भाग बना डाला था। .

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व्याध तारा

व्याध एक द्वितारा है जिसके "व्याध ए" और "व्याध बी" तारे इस तस्वीर में देखे जा सकते हैं (व्याध बी नीचे बाएँ पर स्थित बिंदु है) व्याध तारा(Sirius) पृथ्वी से रात के सभी तारों में सब से ज़्यादा चमकीला नज़र आता है। इसका सापेक्ष कान्तिमान -१.४६ मैग्निट्यूड है जो दुसरे सब से रोशन तारे अगस्ति से दुगना है। दरअसल जो व्याध तारा बिना दूरबीन के आँख से एक तारा लगता है वह वास्तव में एक द्वितारा है, जिसमें से एक तो मुख्य अनुक्रम तारा है जिसकी श्रेणी A1V है जिसे "व्याध ए" कहा जा सकता है और दूसरा DA2 की श्रेणी का सफ़ेद बौना तारा है जिसे "व्याध बी" बुलाया जा सकता है। यह तारे महाश्वान तारामंडल में स्थित हैं। व्याध पृथ्वी से लगभग ८.६ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है। व्याध ए सूरज से दुगना द्रव्यमान रखता है जबकि व्याध बी का द्रव्यमान लगभग सूरज के बराबर है। .

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वृषपर्वा तारामंडल

वृषपर्वा (सिफ़ियस) तारामंडल वृषपर्वा या सिफ़ियस (अंग्रेज़ी: Cepheus) तारामंडल खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें से एक है और अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। "वृषपर्वा" का नाम दैत्यों के एक राजा पर रखा गया है, जबकि अंग्रेज़ी नाम "सिफ़ियस" इथियोपिया के एक मिथिक राजा पर रखा गया है। .

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खगोलभौतिक फौवारा

खगोलभौतिक फौवारा (astrophysical jet) एक खगोलीय परिघटना होती है जिसमें किसी घूर्णन करती हुई खगोलीय वस्तु के घूर्णन अक्ष की ऊपरी और निचली दिशाओं में आयनीकृत पदार्थ फौवारों में तेज़ गति से फेंका जाता है। कभी-कभी इन फौवारों में पदार्थ की गति प्रकाश की गति के समीप आने लगती है और यह आपेक्षिक फौवारे (relativistic jets) बन जाते हैं, जिनमें विशिष्ट आपेक्षिकता के प्रभाव दिखने लगते हैं।Morabito, Linda A.; Meyer, David (2012).

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खगोलशास्त्र से सम्बन्धित शब्दावली

यह पृष्ठ खगोलशास्त्र की शब्दावली है। खगोलशास्त्र वह वैज्ञानिक अध्ययन है जिसका सबंध पृथ्वी के वातावरण के बाहर उत्पन्न होने वाले खगोलीय पिंडों और घटनाओं से होता है। .

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गामा ऐन्ड्रौमिडे तारा

गामा ऐन्ड्रौमिडे तारा गामा ऐन्ड्रौमिडे, जिसका बायर नामांकन भी यही नाम (γ And या γ Andromedae) है, देवयानी तारामंडल का तीसरा सब से रोशन तारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.२६ है और यह पृथ्वी से ३५० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६९वाँ सब से रोशन तारा भी है। वैसे पृथ्वी से एक दिखने वाले इस तारे में शक्तिशाली दूरबीन से देखने पर वास्तव में चार अलग तारे दिखते हैं। कम शक्तिशाली दूरबीन से यह दो तारों सा प्रतीत होता है - एक रोशन पीले रंग का और एक धुंधला सा गहरे नीले रंग का। इन दो अलग रंगों कि वजह से इसे एक सुन्दर दोहरा तारा समझा जाता है। .

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गामा लियोनिस तारा

सिंह (लियो) तारामंडल में गामा लियोनिस तारा 'γ' द्वारा नामांकित है ग्रह का एक काल्पनिक चित्रण गामा लियोनिस, जिसका बायर नाम भी यही (γ Leonis या γ Leo) है, सिंह तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है (जो बिना दूरबीन से देखने पर एक ही तारा प्रतीत होता है)। इस जोड़े का अधिक रोशन तारा पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७३वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२८ मैग्नीट्यूड है और दोनों तारों की चमक मिलाकर +१.९८ मैग्नीट्यूड है (ध्यान दें की मैग्नीट्यूड ऐसा उल्टा माप है जो जितना अधिक हो तारा उतना ही कम रोशन होता है)। यह द्वितारा पृथ्वी से लगभग १२६ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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गामा जॅमिनोरम तारा

मिथुन तारामंडल (फ़्रांसीसी में) - गामा जॅमिनोरम 'γ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है गामा जॅमिनोरम (γ Gem, γ Geminorum), जिसका बायर नाम में भी यही है, मिथुन तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है (पुनर्वसु-पॅलक्स तारे के बाद)। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४१वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १०५ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.९ है। वास्तव में यह एक द्वितारा है। .

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गामा वलोरम तारा

पाल तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें गामा वलोरम "γ" के चिह्न वाला सबसे दाएँ पर स्थित तारा है गामा वलोरम, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (γ Vel या γ Velorum) दर्ज है, आकाश में पाल तारामंडल में स्थित एक पाँच तारों का मंडल है जो एक-दूसरे से गुरुत्वाकर्षक बंधन रखते हैं। इसका मुख्य तारा, जिसे "γ वलोरम ए" या "γ२ वलोरम" कहते हैं, वास्तव में एक द्वितारा है जिसका एक तारा एक नीला महादानव तारा है और दूसरा एक बहुत ही रोशन वुल्फ़-रायेट तारा है। पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७८ है और यह पृथ्वी के आकाश में दिखने वाले तारों में से ३४वां सब से रोशन तारा है। अगर गामा वलोरम के सभी तारों को इकठ्ठा देखा जाए तो इनकी मिली-जुली चमक १.७ मैग्निट्यूड है। ध्यान रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड एक विपरीत माप है और यह जितना कम हो चमक उतनी ही ज़्यादा होती है। .

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गामा कैसिओपिये तारा

गामा कैसिओपिये शर्मिष्ठा तारामंडल में 'γ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है गामा कैसिओपिये, जिसका बायर नाम भी यही (γ Cassiopeiae या γ Cas) है, शर्मिष्ठा तारामंडल का एक तारा है। यह एक परिवर्ती तारा है जिसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२० और +३.४० मैग्नीट्यूड के बीच बदलती रहती है। यह तारा बहुत तेज़ी से अपने अक्ष (ऐक्सिस) पर घूर्णन कर रहा है जिस से एक तो इसका अकार पिचक गया है और दूसरा इसकी सतह से कुछ द्रव्य उखड़-उखड़कर इसके इर्द-गिर्द एक छल्ले के रूप में घूमता है। इसी छल्ले की वजह से इस तारे की चमक कम-ज़्यादा होती रहती है। खगोलशास्त्र में ऐसे सभी तारों की एक श्रेणी बनी हुई है जिसके सदस्यों को इसी तारे के नाम पर "गामा कैसिओपिये परिवर्ती" तारे कहा जाता है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में से एक है। गामा कैसिओपिये हमसे लगभग ६१० प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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गेक्रक्स तारा

त्रिशंकु तारामंडल के इस चित्र में गेक्रक्स सब से ऊपर का रोशन तारा है गेक्रक्स, जिसका बायर नाम "गामा क्रूसिस" (γ Crucis या γ Cru) है, त्रिशंकु तारामंडल का से स्थित एक लाल दानव तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। यह पृथ्वी से लगभग ८८ प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं और पृथ्वी का सब से समीपी लाल दानव तारा है। इसका गहरा लाल-नारंगी रंग खगोलशास्त्रियों में प्रसिद्ध है। गेक्रक्स वास्तव में एक द्वितारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। मुख्य लाल दानव तारे का एक सफ़ेद बौना साथी तारा भी है। .

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आयोटा ओरायोनिस तारा

आयोटा ओरायोनिस (Iota Orionis) या ι ओरायोनिस (ι Ori), जो हत्स्य (Hatysa) भी कहलाता है, कालपुरुष तारामंडल के ऍनजीसी 1980 नामक खुले तारागुच्छ में स्थित एएक बहु तारा मंडल है। यह उस तारामंडल का आठवाँ सबसे रोशन सदस्य है और +2.77 का सापेक्ष कांतिमान रखता है। अनुमानित है कि यह हमारे सूरज से लगभग 2,300 प्रकाशवर्ष (710 पारसैक) दूर स्थित है। बिना दूरबीन से देखने पर यह एक तारा प्रतीत होता है लेकिन सक्षम दूरबीन से इसमें तीन अलग तारे दिखते हैं, जिन्हें आयोटा ओरायोनिस ए (Iota Orionis A), आयोटा ओरायोनिस बी (Iota Orionis B) और आयोटा ओरायोनिस सी (Iota Orionis C) नामांकित करा गया है। और अधिक शक्तिशाली दूरबीन से देखने पर ज्ञात होता है कि आयोटा ओरायोनिस ए स्वयं एक द्वितारा है, और इसके दो तारों को आयोटा ओरायोनिस एए (Iota Orionis Aa) तथा आयोटा ओरायोनिस एबी (Iota Orionis Ab) नामांकित करा गया है। .

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कबूतर तारामंडल

कबूतर तारामंडल कबूतर या कोलम्बा (अंग्रेज़ी: Columba) खगोलीय गोले पर महाश्वान और ख़रगोश तारामंडलों के दक्षिण में स्थित एक छोटा और धुंधला-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा सन् १५९२ में पॅट्रस प्लैंकियस (Petrus Plancius) नामक डच खगोलशास्त्री ने की थी। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। .

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कापा स्कोर्पाए तारा

बिच्छु के रूप वाले वॄश्चिक तारामंडल का चित्रण, जिसमें कापा स्कोर्पाए 'κ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है कापा स्कोर्पाए (κ Sco, κ Scorpii), जिसका बायर नामांकन भी यही है, वॄश्चिक तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। यह पृथ्वी से लगभग ४६० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.३९ है। .

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कापा वलोरम तारा

पाल तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें कापा वलोरम "κ" के चिह्न वाला तारा है कापा वलोरम, जिसका बायर नाम भी यही (κ Velorum या κ Vel) है, पाल तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.४७ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग ५४० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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क्रतु तारा

सप्तर्षि तारामंडल में क्रतु तारे (α UMa) का स्थान क्रतु, जिसका बायर नामांकन "अल्फ़ा अर्से मॅजोरिस" (α UMa या α Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का तीसरा सबसे रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४०वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १२४ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७९ है। यह वास्तव में एक बहु तारा मंडल है। .

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कृत्तिका तारागुच्छ

कृत्तिका तारागुच्छ अवरक्त प्रकाश (इन्फ़्रारॅड) में कृत्तिका के एक हिस्से का दृश्य - धूल का ग़ुबार साफ़ दिख रहा है कृत्तिका का एक नक़्शा कृत्तिका, जिसे प्लीयडीज़ भी कहते हैं, वृष तारामंडल में स्थित B श्रेणी के तारों का एक खुला तारागुच्छ है। यह पृथ्वी के सब से समीप वाले तारागुच्छों में से एक है और बिना दूरबीन के दिखने वाले तारागुच्छों में से सब से साफ़ नज़र आता है। कृत्तिका तारागुच्छ का बहुत सी मानव सभ्यताओं में अलग-अलग महत्व रहा है। इसमें स्थित ज़्यादातर तारे पिछले १० करोड़ वर्षों के अन्दर जन्में हुए नीले रंग के गरम और बहुत ही रोशन तारे हैं। इसके सबसे रोशन तारों के इर्द-गिर्द धूल भी दमकती हुई नज़र आती है। पहले समझा जाता था कि यह यहाँ के तारों के निर्माण के बाद बची-कुची धूल है, लेकिन अब ज्ञात हुआ है कि यह अंतरतारकीय माध्यम (इन्टरस्टॅलर मीडयम) में स्थित एक अलग ही धूल और गैस का बादल है जिसमें से कृत्तिका के तारे गुज़र रहें हैं। खगोलशास्त्रियों का अनुमान है कि इस तारागुच्छ और २५ करोड़ वर्षों तक साथ हैं लेकिन उसके बाद आसपास गुरुत्वाकर्षण कि खींचातानी से एक-दूसरे से बिछड़कर तित्तर-बित्तर हो जाएँगे। कृत्तिका पृथ्वी से ४०० और ५०० प्रकाश वर्ष के बीच की दूरी पर स्थित है और इसकी ठीक दूरी पर वैज्ञानिकों में ४०० से लेकर ५०० प्रकाश वर्षों के बीच के आंकड़ों में अनबन रही है। .

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केप्लर अंतरिक्ष यान

निर्मित होते हुआ कॅप्लर अंतरिक्ष यान कॅप्लर अंतरिक्ष यान (अंग्रेज़ी:Kepler spacecraft) अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्थान, नासा, का एक अंतरिक्ष यान है, जिसका काम सूरज से अलग किंतु उसी तरह अन्य तारों के इर्द-गिर्द ऐसे ग़ैर-सौरीय ग्रहों को ढूंढना है जो पृथ्वी से मिलते-जुलते हों। कॅप्लर को ७ मार्च २००९ में रोकेट के ज़रिये अंतरिक्ष में भेजा गया था, जहाँ यह अब पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है और अन्य तारों पर अपनी नज़रें रखे हुए है। अनुमान है कि यह कम-से-कम ३.५ वर्ष तक अपना कार्य करेगा। .

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कॅप्लर-१६ तारा

गैस दानव ग्रह है कॅप्लर-१६ (Kepler-16) एक द्वितारा मंडल है जिस पर कॅप्लर अंतरिक्ष यान द्वारा खगोलशास्त्री अध्ययन कर रहें हैं। आकाश में यह हंस तारामंडल के क्षेत्र में पड़ता है और पृथ्वी से लगभग २०० प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। इसके दोनों तारे एक-दूसरे से लगभग ०.२२ खगोलीय इकाईयों की दूरी पर हैं। दोनों ही तारे हमारे सूरज से छोटे बौने तारे हैं: इनमें से मुख्य तारा नारंगी रंग वाला K श्रेणी का तारा है और दूसरा लाल रंग का M श्रेणी का तारा है। सितम्बर २०११ में वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि इस मंडल में हमारे सौर मंडल के शनि के आकार का एक गैस दानव ग्रह मिला है जो इन दोनों तारों की परिक्रमा कर रहा है। यह पहला ज्ञात ग्रह है जो किसी द्वितारे की परिक्रमा करता पाया गया है और इसका नामकरण कॅप्लर-१६बी किया गया है। .

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कॅप्लर-१६बी

गैस दानव ग्रह है कॅप्लर-१६बी (Kepler-16b) एक ग़ैर-सौरीय ग्रह है। यह पृथ्वी से लगभग २०० प्रकाश वर्ष दूर हंस तारामंडल के क्षेत्र में स्थित कॅप्लर-१६ नामक द्वितारे की परिक्रमा कर रहा है और पहला ऐसा ज्ञात ग्रह है जो किसी द्वितारा के इर्द-गिर्द कक्षा (ऑर्बिट) में हो। अनुमान लगाया जाता है की यह आधा पत्थर और आधा गैस का बना हुआ लगभग शनि के द्रव्यमान (मास) वाला एक गैस दानव ग्रह है। यह ग्रह कॅप्लर अंतरिक्ष यान द्वारा शोध करने से मिला था और खगोलशास्त्रियों ने इसके पाए जाने की घोषणा सितम्बर २०११ में की थी। .

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अम्बा तारा

अम्बा तारा कृत्तिका तारागुच्छ में अम्बा सबसे रोशन तारा है अम्बा या ऐलसायनी, जिसका बायर नामांकन एटा टाओरी (η Tau या η Tauri) है, वृष तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह कृत्तिका तारागुच्छ का सब से रोशन तारा भी है और इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक) का मैग्निट्यूड +२.८७ है। कृत्तिका के अन्य तारों की तरह यह भी पृथ्वी से लगभग ३७० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। हालाँकि यह बिना दूरबीन के एक ही तारा नज़र आता है वास्तव में यह कई तारों का मंडल है, जिसमें अभी तक एक मुख्य द्वितारा और तीन अन्य साथी तारे (यानि कुल मिलाकर पाँच तारे) ज्ञात हुए हैं। .

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अलफ़र्द तारा

जलसर्प (हाइड्रा) तारामंडल में स्थित 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अलफ़र्द, जिसका बायर नाम में "अल्फ़ा हाइड्रे" (α Hya, α Hydrae) है, जलसर्प तारामंडल का सब से रोशन तारा है जो पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४७वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १७७ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.९८ है। .

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अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे तारा

अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे देवयानी तारामंडल में अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे का स्थान अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे, जिसका बायर नाम भी यही (α Andromedae या α And) है, देवयानी तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५४वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ९७ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०६ है। पृथ्वी से एक दिखने वाला यह तारा वास्तव में एक द्वितारा है जिसके दो तारे एक-दूसरे से बहुत कम दूरी पर एक-दूसरे की परिक्रमा कर रहे हैं। इनमें से ज़्यादा रोशन तारे के वातावरण विचित्र है: उसमें बहुत अधिक मात्रा में पारा और मैंगनीज़ पाए गए हैं और वह सब से रोशन ज्ञात पारा-मैंगनीज़ तारा है।See §4 for component parameters and Table 3, §5 for elemental abundances in .

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अल्फ़ा पैवोनिस तारा

मोर तारामंडल (पोलिश भाषा में) - अल्फ़ा पैवोनिस चित्र के ऊपर की तरफ़ 'Peacock' द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा पैवोनिस (α Pav, α Pavonis), जिसका बायर नाम में भी यही है, मोर तारामंडल में स्थित एक तारा है जो पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४२वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १८३ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.९४ है। वास्तव में यह एक द्वितारा है। .

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अल्फ़ा उत्तरकिरीट तारा

उत्तरकिरीट (या कोरोना बोरिऐलिस) तारामंडल में "α" द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा उत्तरकिरीट, जिसका बायर नाम अल्फ़ा कोरोनाए बोरिऐलिस (α Coronae Borealis या α CrB) है, उत्तरकिरीट तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है। इसका बड़ा तारा, जिसे अल्फ़ा उत्तरकिरीट 'ए' (α CrB A) कहा जाता है, पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६५वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इस द्वितारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२१ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग ७५ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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अश्वशाव तारामंडल

अश्वशाव (इक्वूलियस) तारामंडल अश्वशाव या इक्वूलियस एक छोटा-सा तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। त्रिशंकु तारामंडल के बाद यह इस सूची का दूसरा सब से छोटा तारामंडल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। इसके सभी तारे काफ़ी धुंधले हैं और उनमें से कोई भी +३.९ मैग्नीट्यूड (चमक या सापेक्ष कान्तिमान) से अधिक रोशन नहीं है। ध्यान रहे कि मैग्नीट्यूड एक विपरीत माप होता है: यह जितना अधिक हो तारे की चमक उतनी ही कम होती है। .

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उत्तरकिरीट तारामंडल

उत्तरकिरीट (कोरोना बोरिऐलिस) तारामंडल आकाश में उत्तरकिरीट के तारों का एक चित्रण उत्तरकिरीट या कोरोना बोरिऐलिस खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में स्थित एक छोटा-सा तारामंडल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने अपनी ४८ तारामंडलों की सूची में इसे शामिल किया था और अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। .

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उपबौना तारा

तारों की श्रेणियाँ दिखने वाला हर्ट्ज़स्प्रुंग-रसल चित्र उपबौना तारा ऐसा तारा होता है जो मुख्य अनुक्रम के बौने तारों से तो धीमी चमक रखता हो। यर्कीज़ वर्णक्रम श्रेणीकरण में इसकी चमक की श्रेणी "VI" होती है। इनका निरपेक्ष कांतिमान (चमक) -१.५ से -२ मैग्निट्यूड का होता है। .

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छेनी तारामंडल

छेनी तारामंडल छेनी या सीलम (अंग्रेज़ी: Caelum) खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में स्थित एक धुंधला-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा १८वी सदी में फ़्रांसिसी खगोलशास्त्री निकोला लूई द लाकाई (Nicolas Louis de Lacaille) ने की थी। इसका नाम एक तराशने के औज़ार पर रखा गया है जिसे हिंदी में "छेनी", लातिनी में "सीलम" और अंग्रेज़ी में चिज़ल (chisel) कहते हैं। छेनी तारामंडल में ८ तारें हैं जिन्हें बायर नाम दिए जा चुके हैं, जिनमें से अगस्त २०११ तक किसी के भी इर्द-गिर्द कोई ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करता हुआ नहीं पाया गया था। इस तारामंडल में कोई भी तारा ४ खगोलीय मैग्नीट्यूड से अधिक चमक नहीं रखता। याद रहे कि मैग्नीट्यूड की संख्या जितनी ज़्यादा होती है तारे की रौशनी उतनी ही कम होती है। छेनी तारामंडल का सब से रोशन तारा अल्फ़ा सिलाइ (α Caeli) नाम का एक दोहरा तारा है। इस तारामंडल में एक अन्य तारा गामा सिलाइ (γ Caeli) नामक तारा भी है जिसको शक्तिशाली दूरबीन से देखने पर ज्ञात होता है के यह वास्तव में एक दोहरे तारे और एक द्वितारे का जोड़ा है (यानि कुल मिलकर चार ज्ञात तारे हैं)। इस तारामंडल में कुछ आकाशगंगाएँ भी हैं लेकिन वे केवल शक्तिशाली दूरबीनों से ही नज़र आती हैं। .

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३ सॅन्टौरी तारा

३ सॅन्टौरी (3 Centauri) नरतुरंग तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है जो पृथ्वी से ३४० प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है। इसका मुख्य तारा एक B-श्रेणी का नीला-श्वेत दानव तारा है जिसका सापेक्ष कांतिमान +4.56 है। यह एक परिवर्ती तारा है जिसका मैग्निट्यूड +4.27 से +4.32 के बीच बदलता रहता है। इसका साथी तारा B-श्रेणी का नीला-श्वेत मुख्य अनुक्रम बौना तारा है जिसका सापेक्ष कांतिमान +6.06 है। मुख्य तारे के बारे में यह सम्भव समझा जाता है कि वह स्वयं एक द्वितारा है और यदि ऐसा सच है तो यह वास्तव में एक तीन तारों का मंडल है। .

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