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दार्जिलिंग हिमालयी रेल

सूची दार्जिलिंग हिमालयी रेल

दार्जिलिंग हिमालयी रेल (अंग्रेजी: Darjeeling Himalayan Railway), जिसे "टॉय ट्रेन" के नाम से भी जाना जाता है भारत के राज्य पश्चिम बंगाल में न्यू जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग के बीच चलने वाली एक छोटी लाइन की रेलवे प्रणाली है। इसका निर्माण 1879 और 1881 के बीच किया गया था और इसकी कुल लंबाई 78 किलोमीटर (48 मील) है। इसकी उन्नयन (ऊँचाई) स्तर न्यू जलपाईगुड़ी में लगभग 100 मीटर (328 फीट) से लेकर दार्जिलिंग में 2,200 मीटर (7,218 फुट) तक है। इसकी अनुसूचित सेवाओं का परिचालन मुख्यत: चार आधुनिक डीजल इंजनों द्वारा किया जाता है; हालाँकि दैनिक कुर्सियांग-दार्जिलिंग वापसी सेवा और दार्जिलिंग से घुम (भारत का सबसे ऊँचा रेलवे स्टेशन) के बीच चलने वाली दैनिक पर्यटन गाड़ियों का परिचालन पुराने ब्रिटिश निर्मित बी श्रेणी के भाप इंजन, डीएचआर 778 द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इस रेलवे को यूनेस्को द्वारा नीलगिरि पर्वतीय रेल और कालका शिमला रेलवे के साथ भारत की पर्वतीय रेल के रूप में विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इस रेलवे का मुख्यालय कुर्सियांग शहर में है। .

5 संबंधों: दार्जिलिंग, न्यू जलपाईगुड़ी, नीलगिरि पर्वतीय रेल, भारत की पर्वतीय रेल, भारतीय रेल

दार्जिलिंग

दार्जिलिंग भारत के राज्य पश्चिम बंगाल का एक नगर है। यह नगर दार्जिलिंग जिले का मुख्यालय है। यह नगर शिवालिक पर्वतमाला में लघु हिमालय में अवस्थित है। यहां की औसत ऊँचाई २,१३४ मीटर (६,९८२ फुट) है। दार्जिलिंग शब्द की उत्त्पत्ति दो तिब्बती शब्दों, दोर्जे (बज्र) और लिंग (स्थान) से हुई है। इस का अर्थ "बज्रका स्थान है।" भारत में ब्रिटिश राज के दौरान दार्जिलिंग की समशीतोष्ण जलवायु के कारण से इस जगह को पर्वतीय स्थल बनाया गया था। ब्रिटिश निवासी यहां गर्मी के मौसम में गर्मी से छुटकारा पाने के लिए आते थे। दार्जिलिंग अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर यहां की दार्जिलिंग चाय के लिए प्रसिद्ध है। दार्जिलिंग की दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे एक युनेस्को विश्व धरोहर स्थल तथा प्रसिद्ध स्थल है। यहां की चाय की खेती १८०० की मध्य से शुरु हुई थी। यहां की चाय उत्पादकों ने काली चाय और फ़र्मेन्टिंग प्रविधि का एक सम्मिश्रण तैयार किया है जो कि विश्व में सर्वोत्कृष्ट है। दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे जो कि दार्जिलिंग नगर को समथर स्थल से जोड़ता है, को १९९९ में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। यह वाष्प से संचालित यन्त्र भारत में बहुत ही कम देखने को मिलता है। दार्जिलिंग में ब्रिटिश शैली के निजी विद्यालय भी है, जो भारत और नेपाल से बहुत से विद्यार्थियों को आकर्षित करते हैं। सन १९८० की गोरखालैंड राज्य की मांग इस शहर और इस के नजदीक का कालिम्पोंग के शहर से शुरु हुई थी। अभी राज्य की यह मांग एक स्वायत्त पर्वतीय परिषद के गठन के परिणामस्वरूप कुछ कम हुई है। हाल की दिनों में यहां का वातावरण ज्यादा पर्यटकों और अव्यवस्थित शहरीकरण के कारण से कुछ बिगड़ रहा है। .

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न्यू जलपाईगुड़ी

न्यू जलपाईगुड़ी, भारत के राज्य पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी शहर में एक रेलवे स्टेशन है। यह पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में स्थित है। .

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नीलगिरि पर्वतीय रेल

नीलगिरि पर्वतीय रेल (अंग्रेजी:Nilgiri Mountain Railway; तमिल: நீலகிரி மலை ரயில்), भारत के राज्य तमिलनाडु में स्थित एक रेल प्रणाली है, जिसे 1908 में ब्रिटिश राज के दौरान बनाया गया था। शुरूआत में इसका संचालन मद्रास रेलवे द्वारा किया जाता था। इस रेलवे का परिचालन आज भी भाप इंजनों द्वारा किया जाता है। नीलगिरि पर्वतीय रेल, नवगठित सलेम मण्डल के अधिकार क्षेत्र में आता है। जुलाई 2005 में यूनेस्को ने नीलगिरि पर्वतीय रेल को दार्जिलिंग हिमालयी रेल के विश्व धरोहर स्थल के एक विस्तार के रूप में मान्यता दी थी और तब से इन्हें संयुक्त रूप से "भारत की पर्वतीय रेल" के नाम से जाना जाता है। इसे यह मान्यता मिलने के बाद इसकी आधुनिकीकरण की योजना का परित्याग कर दिया गया। पिछले कई वर्षों से कुन्नूर और उदगमंडलम के बीच के खंड पर भाप के इंजनों के स्थान पर लिए डीजल इंजनों का प्रयोग किया जा रहा है। स्थानीय लोगों और पर्यटकों ने इस खंड पर एक बार फिर से भाप इंजनों द्वारा रेलगाड़ी चलाने की मांग की है। शाहरुख खान द्वारा अभिनीत हिंदी फिल्म "दिल से" के प्रसिद्ध हिंदी गीत छैंया छैंया का फिल्मांकन इसी रेलवे की रेलगाड़ी की छत पर किया गया है। | .

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भारत की पर्वतीय रेल

कई रेलवे भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में कई जगह रेलवे व्यवस्था की गयी थी सामूहिक रूप से ये भारत की पर्वतीय रेलवे के रूप में जाना जाता है| इन रेलों में से चार अभी भी चल रही हैं एवं इन्हें युनेस्को विश्व धरोहर में शामिल किया गया है।.

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भारतीय रेल

यार्ड में खड़ी एक जनशताब्दी रेल। भारतीय रेल (आईआर) एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क तथा एकल सरकारी स्वामित्व वाला विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह १६० वर्षों से भी अधिक समय तक भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य घटक रहा है। यह विश्व का सबसे बड़ा नियोक्ता है, जिसके १३ लाख से भी अधिक कर्मचारी हैं। यह न केवल देश की मूल संरचनात्‍मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश राष्‍ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है। राष्‍ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में भारतीय रेलवे अग्रणी रहा है। अर्थव्यस्था में अंतर्देशीय परिवहन का रेल मुख्य माध्यम है। यह ऊर्जा सक्षम परिवहन मोड, जो बड़ी मात्रा में जनशक्ति के आवागमन के लिए बड़ा ही आदर्श एवं उपयुक्त है, बड़ी मात्रा में वस्तुओं को लाने ले जाने तथा लंबी दूरी की यात्रा के लिए अत्यन्त उपयुक्त है। यह देश की जीवनधारा है और इसके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए इनका महत्वपूर्ण स्थान है। सुस्थापित रेल प्रणाली देश के दूरतम स्‍थानों से लोगों को एक साथ मिलाती है और व्यापार करना, दृश्य दर्शन, तीर्थ और शिक्षा संभव बनाती है। यह जीवन स्तर सुधारती है और इस प्रकार से उद्योग और कृषि का विकासशील त्वरित करने में सहायता करता है। .

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दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे

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