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दायाँ आरोहण

सूची दायाँ आरोहण

भूमध्यीय निर्देशांक दायां आरोहण (अंग्रेज़ी:राइट असेंशन, लघुरूप RA; चिह्नα) एक खगोलीय माप होता है, जो भूमध्यीय निर्देशांक प्रणाली के दो निर्देशांकों में से एक है। दूसरा निर्देशांक झुकाव (खगोलीय) होता है। श्रेणी:खगोलशास्त्र श्रेणी:ज्योतिष के तकनीकी आयाम.

7 संबंधों: दिक्पात, भूमध्यीय निर्देशांक प्रणाली, वॉयेजर द्वितीय, खगोलीय निर्देशांक पद्धति, गांगेय केंद्र, ग्वाला तारामंडल, गोलीय खगोलशास्त्र

दिक्पात

250px खगोलशास्त्र में, दिक्पात (अंग्रेज़ी: डेक्लिनेशन, लघुरूप. dec या δ) भूमध्यीय निर्देशांक प्रणाली के दो निर्देशांकों में से एक होता है। दूसरा निर्देशांक दायां आरोहण या घंटा कोण होता है। झुकाव की तुलना अक्षांश से की जा सकती है। इसका मापन डिग्री उत्तर या दक्षिण में किया जाता है। खगोलीय भूमध्य रेखा के उत्तर के बिन्दु घनात्मक झुकाव व उसके दक्षिण वाले बिन्दु ऋणात्मक झुकाव पर होते हैं।.

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भूमध्यीय निर्देशांक प्रणाली

वृत्त्य़ निर्देशांक प्रणाली भूमध्यीय निर्देशांक प्रणाली एक बहुप्रचलित प्रणाली है, जिसके प्रयोग से खगोलीय पिंडों या बिन्दुओं का मापन किया जाता है। इसमें पृथ्वी की भूमध्य रेखा, ध्रुवओं को आगे खगोलीय वृत्त में प्रोजेक्ट कर माप किया जाता है। इसके दो निर्देशांक होते हैं.

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वॉयेजर द्वितीय

वायेजर द्वितीय एक अमरीकी मानव रहित अंतरग्रहीय शोध यान था जिसे वायेजर १ से पहले २० अगस्त १९७७ को अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा प्रक्षेपित किया गया था। यह काफी कुछ अपने पूर्व संस्करण यान वायेजर १ के समान ही था, किन्तु उससे अलग इसका यात्रा पथ कुछ धीमा है। इसे धीमा रखने का कारण था इसका पथ युरेनस और नेपचून तक पहुंचने के लिये अनुकूल बनाना। इसके पथ में जब शनि ग्रह आया, तब उसके गुरुत्वाकर्षण के कारण यह युरेनस की ओर अग्रसर हुआ था और इस कारण यह भी वायेजर १ के समान ही बृहस्पति के चन्द्रमा टाईटन का अवलोकन नहीं कर पाया था। किन्तु फिर भी यह युरेनस और नेपच्युन तक पहुंचने वाला प्रथम यान था। इसकी यात्रा में एक विशेष ग्रहीय परिस्थिति का लाभ उठाया गया था जिसमे सभी ग्रह एक सरल रेखा मे आ जाते है। यह विशेष स्थिति प्रत्येक १७६ वर्ष पश्चात ही आती है। इस कारण इसकी ऊर्जा में बड़ी बचत हुई और इसने ग्रहों के गुरुत्व का प्रयोग किया था। .

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खगोलीय निर्देशांक पद्धति

खगोलीय गोले पर एक तारे के तीन भिन्न खगोलीय निर्देशांक प्रणालियों में माप: भूमध्यीय प्रणाली (नीली), गैलेक्सीय प्रणाली (पीली) और क्रांतिवृत्तीय प्रणाली (लाल) खगोलीय निर्देशांक पद्धति (celestial coordinate system) ब्रह्माण्ड में किसी भी प्रकार की खगोलीय वस्तु (ग्रह, उपग्रह, तारा, गैलेक्सी, नीहारिका, वग़ैराह) का स्थान निर्धारित करने का एक तरीक़ा है। जहाँ तक मनुष्यों का अनुभव है पूरा ब्रह्माण्ड एक तीन आयामों (डायमेंशन) वाला दिक् (स्पेस) है। इसमें एक निर्देशांक पद्धति के ज़रिये किसी भी स्थान को अंकों के साथ बताया जा सकता है। .

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गांगेय केंद्र

गांगेय केंद्र (Galactic Center), हमारी आकाशगंगा का घूर्णी केंद्र है। यह हमारी पृथ्वी से 8.33±0.35 kpc (~27,000±1,000 प्रकाश वर्ष) की दूरी पर स्थित है।Majaess D. J., Turner D. G., Lane D. J. (2009).

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ग्वाला तारामंडल

ग्वाला या बोओटीस तारामंडल ग्वाला या बोओटीस (अंग्रेज़ी: Boötes) तारामंडल खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। यह 0° और +60° के झुकाव और 13 से 16 घंटे के दायां आरोहण पर स्थित है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें से एक है और अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। इस तारामंडल में आकाश का तीसरा सब से रोशन तारा, स्वाती (आर्कट्युरस), सम्मिलित है। पुरानी खगोलशास्त्रिय पुस्तकों में इसे अक्सर एक ग्वाले या चरवाहे के रूप में दर्शाया जाता था, जिसके हाथ में दो कुत्तों के पत्ते हैं। .

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गोलीय खगोलशास्त्र

गोलीय खगोलशास्त्र (spherical astronomy) या स्थितीय खगोलशास्त्र (positional astronomy) खगोलशास्त्र की वह शाखा है जिसमें खगोलीय वस्तुओं का किसी विशेष समय, तिथि या पृथ्वी पर स्थित स्थान पर खगोलीय गोले में स्थान अनुमानित करा जाता है। यह अध्ययन की शाखा गोलीय ज्यामिति के सिद्धांतों व विधियों और खगोलमिति की मापन-कलाओं पर निर्भर है। ऐतिहासिक दृष्टि से गोलीय खगोलशास्त्र को पूरे खगोलशास्त्र की प्राचीनतम शाखा माना जा सकता है क्योंकि धार्मिक, ज्योतिष, समयानुमान और दिक्चालन (नैविगेशन) कार्यों के लिये मानव आकाश में तारों, तारामंडलों, ग्रहों, सूर्य व चंद्रमा की स्थिति को ग़ौर से जाँचता-समझता रहा है। अकाश में खगोलीय वस्तुओं के स्थानों को गणितीय रूप से समझने के विज्ञान को खगोलमिति (astronomy) कहते हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

दाएँ आरोहण, दायां आरोहण

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