5 संबंधों: दायतत्त्व, दायभाग, रघुनन्दन भट्टाचार्य, जीमूतवाहन (राजा), जीवित्पुत्रिका व्रत।
दायतत्त्व
दयातत्त्व रघुनन्दन द्वारा रचित एक संस्कृत ग्रन्थ है। इसमें हिन्दुओं के उत्तराधिकार प्रक्रिया का विवेचन है। सम्भवतः रघुनन्दन दायभाग के रचयिता जीमूतवाहन के शिष्य थे। श्रेणी:हिन्दू विधि श्रेणी:संस्कृत ग्रन्थ.
नई!!: जीमूतवाहन और दायतत्त्व · और देखें »
दायभाग
दायभाग जीमूतवाहनकृत एक प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथ है जिसके मत का प्रचार बंगाल में है। 'दायभाग' शाब्दिक अर्थ है, पैतृक धन का विभाग अर्थात् बाप दादे या संबंधी की संपत्ति के पुत्रों, पौत्रों या संबंधियों में बाँटे जाने की व्यवस्था। बपौती या वरासत की मिलाकियत को वारिसों या हकदारों में बाँटने का कायदा कानून। .
नई!!: जीमूतवाहन और दायभाग · और देखें »
रघुनन्दन भट्टाचार्य
रघुनन्दन भट्टाचार्य (15वीं-16वीं शती) बंगाल के विधि-ग्रन्थों के रचनाकारों में प्रमुख थे। इनका जन्म नवद्बीप में हुआ था। पिता का नाम था हरिहर। बंगाल के प्रख्यात निबन्धकार। इन्होने 'स्मृतितत्व' नाम से २८ निबन्ध, तीर्थयात्राविधि आदि प्रयोगग्रन्थ आदि लिखे। बंगीय़ निबन्धाकार जीमूतवाहन (१२वीं शताब्दी) रचित बिख्यात 'दाय़भाग' नामक ग्रन्थ की टीका रचना की। स्मृतिशास्त्र में पाण्डित्य के कारण समग्र भारतबर्ष में 'स्मार्त भट्टाचार्य' नाम से प्रसिद्ध हुए। बहुत से निबन्ध और आलोचना करके तात्कालिक बंगीय़ हिन्दुसमाज के सामाजिक और धर्मसंक्रान्त बिषय में निर्देश दिया। उनकी स्मृतितत्व के टीकाकारों में अष्टादश शताब्दी के बांगाली काशीराम बाचस्पति प्रसिद्ध हैं। श्रेणी:बंगाल श्रेणी:समाज सुधारक श्रेणी:हिन्दू धर्म.
नई!!: जीमूतवाहन और रघुनन्दन भट्टाचार्य · और देखें »
जीमूतवाहन (राजा)
जीमूतवाहन एक राजा थे। उनकी कथा भविष्यपुराण में आती है। .
नई!!: जीमूतवाहन और जीमूतवाहन (राजा) · और देखें »
जीवित्पुत्रिका व्रत
'जीवित्पुत्रिका व्रत .