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जमनालाल बजाज

सूची जमनालाल बजाज

जमनालाल बजाज (४ नवम्बर १८८४ - ११ फ़रवरी १९४२) भारत के एक उद्योगपति, मानवशास्त्री एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वे महात्मा गांधी के अनुयायी थे तथा उनके बहुत करीबी व्यक्ति थे। गांधीजी ने उन्हें अपने पुत्र की तरह माना। .

9 संबंधों: बजाज समूह, भारतीय समाजसुधारक, भारतीय व्यक्तित्व, महात्मा गांधी के अनुयायियों की सूची, राममनोहर लोहिया, राजेन्द्र प्रसाद, सस्ता साहित्य मण्डल, अनुपम मिश्र, अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन

बजाज समूह

बजाज समूह भारत का प्रमुख औद्योगिक समूह है। इसकी स्थापना जमनालाल बजाज ने की थी। यह सन् १९३१ में शक्कर उत्पादक कम्पनी के रूप में आरम्भ हुआ और वर्तमान में यह २४ कम्पनियों का समूह है जिसमें से ६ कमपनियाँ शेयर बाजार में हैं। बजाज आटो लिमिटेड के अलावा मुकुन्द लिमिटेड, बजाज एलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड और बजाज हिन्दुस्तान लिमिटेड प्रमुख हैं। .

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भारतीय समाजसुधारक

भारतीय समाज सुधारक, जिन्होंने आधुनिक भारत की नींव स्थापित करने में मदद की है एक समृद्ध इतिहास के कुछ मामलों में, राजनीतिक कार्रवाई और दार्शनिक शिक्षाओं के माध्यम से दुनिया भर में अपने प्रभाव से प्रभावित किया है, यह एक साथ समाज सुधारकों जो उम्र के माध्यम से रहता है की एक विस्तृत सूची डाल करने के लिए लगभग असंभव है। नीचे उनमें से कुछ कर रहे हैं।.

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भारतीय व्यक्तित्व

यहाँ पर भारत के विभिन्न भागों एवं विभिन्न कालों में हुए प्रसिद्ध व्यक्तियों की सूची दी गयी है। .

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महात्मा गांधी के अनुयायियों की सूची

वैसे तो महात्मा गांधी के अनुयायियों एवं शिष्यों की संख्या अनगिनत है। महत्वपूर्ण नेता और राजनीतिक गतिविधियाँ गाँधीजी से प्रभावित थीं। यहाँ उनके प्रमुख अनुयायियों की सूची दी जा रही है।.

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राममनोहर लोहिया

डॉ॰ राममनोहर लोहिया डॉ॰ राममनोहर लोहिया (जन्म - मार्च २३, इ.स. १९१० - मृत्यु - १२ अक्टूबर, इ.स. १९६७) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानी, प्रखर चिन्तक तथा समाजवादी राजनेता थे। .

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राजेन्द्र प्रसाद

राजेन्द्र प्रसाद (3 दिसम्बर 1884 – 28 फरवरी 1963) भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था जिसकी परिणति २६ जनवरी १९५० को भारत के एक गणतंत्र के रूप में हुई थी। राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने स्वाधीन भारत में केन्द्रीय मन्त्री के रूप में भी कुछ समय के लिए काम किया था। पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था। .

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सस्ता साहित्य मण्डल

सस्ता साहित्य मण्डल, भारत का एक प्रमुख पुस्तक प्रकाशक संस्था है। इस संस्था की स्थापना सन् १९२५ में महात्मा गांधी की प्रेरणा से हुई जिसमें जमनालाल बजाज एवं घनश्यामदास बिड़ला की प्रमुख भूमिका थी। यह एक धर्मार्थ संस्था है जो बिना लाभ कमाए (no-profit) काम करती है। इसका मुख्य उद्देश्य कम मूल्य पर उच्चस्तरीय साहित्य का प्रकाशन करना है। मंडल ने अब तक लगभग २००० से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन किया है। आरम्भ में इसके कार्यों का केन्द्र अजमेर था किन्तु १९३४ में यह दिल्ली आ गया था। इस प्रकाशन ने जो सबसे पहली पुस्तक छापी वह गांधीजी द्वारा रचित "दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह का इतिहास" थी। मंडल द्वारा प्रकाशित पुस्तकें अनेकानेक विषयों - इतिहास, अर्थशास्त्र, नीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, महापुरुषों की जीवनियाँ आदि होती हैं। बहुत सी पुस्तकें गांधीजी एवं गांधी-साहित्य से सम्बन्धित होती हैं। इसके कई प्रकाशनों को भारत के केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकारों से पुरस्कार भी मिल चुके हैं। सस्ता साहित्य मंडल कोई साधारण प्रकाशक नहीं है। इसकी स्थापना के पीछे वही तत्व सक्रिय थे जिन्होंने आगे चलकर आज़ादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। गांधीजी के अनन्य अनुयायी और उनके पांचवें पुत्र के नाम से विख्यात सेठ जमनालाल बजाज इसके मुख्य प्रेरक थे और घनश्यामदास बिड़ला, हरिभाऊ उपाध्याय, वियोगी हरि आदि इसके सक्रिय सहयोगी थे। .

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अनुपम मिश्र

अंगूठाकार अनुपम मिश्र (१९४८–१९ दिसम्बर 2016) जाने माने लेखक, संपादक, छायाकार और गांधीवादी पर्यावरणविद् थे। पर्यावरण-संरक्षण के प्रति जनचेतना जगाने और सरकारों का ध्यानाकर्षित करने की दिशा में वह तब से काम कर रहे थे, जब देश में पर्यावरण रक्षा का कोई विभाग नहीं खुला था। आरम्भ में बिना सरकारी मदद के अनुपम मिश्र ने देश और दुनिया के पर्यावरण की जिस तल्लीनता और बारीकी से खोज-खबर ली है, वह कई सरकारों, विभागों और परियोजनाओं के लिए भी संभवतः संभव नहीं हो पाया है। उनकी कोशिश से सूखाग्रस्त अलवर में जल संरक्षण का काम शुरू हुआ जिसे दुनिया ने देखा और सराहा। सूख चुकी अरवरी नदी के पुनर्जीवन में उनकी कोशिश काबिले तारीफ रही है। इसी तरह उत्तराखण्ड और राजस्थान के लापोड़िया में परंपरागत जल स्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में उन्होंने महत्वपूर्ण काम किया है। .

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अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन

अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन, हिन्दी भाषा एवं साहित्य तथा देवनागरी का प्रचार-प्रसार को समर्पित एक प्रमुख सार्वजनिक संस्था है। इसका मुख्यालय प्रयाग (इलाहाबाद) में है जिसमें छापाखाना, पुस्तकालय, संग्रहालय एवं प्रशासनिक भवन हैं। हिंदी साहित्य सम्मेलन ने ही सर्वप्रथम हिंदी लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी रचनाओं पर पुरस्कारों आदि की योजना चलाई। उसके मंगलाप्रसाद पारितोषिक की हिंदी जगत् में पर्याप्त प्रतिष्ठा है। सम्मेलन द्वारा महिला लेखकों के प्रोत्साहन का भी कार्य हुआ। इसके लिए उसने सेकसरिया महिला पारितोषिक चलाया। सम्मेलन के द्वारा हिंदी की अनेक उच्च कोटि की पाठ्य एवं साहित्यिक पुस्तकों, पारिभाषिक शब्दकोशों एवं संदर्भग्रंथों का भी प्रकाशन हुआ है जिनकी संख्या डेढ़-दो सौ के करीब है। सम्मेलन के हिंदी संग्रहालय में हिंदी की हस्तलिखित पांडुलिपियों का भी संग्रह है। इतिहास के विद्वान् मेजर वामनदास वसु की बहुमूल्य पुस्तकों का संग्रह भी सम्मेलन के संग्रहालय में है, जिसमें पाँच हजार के करीब दुर्लभ पुस्तकें संगृहीत हैं। .

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