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चिकित्सकीय परीक्षण

सूची चिकित्सकीय परीक्षण

विल्हेल्म रोएन्टजन द्वारा लिया गया अल्बर्ट फॉन कोल्लिकर के हाथ का एक्स-रे आयुर्विज्ञान में मानव शरीर का स्वास्थ्य और उपचार मुख्यतः देखा जाता है। इसके लिये शरीर के कई परीक्षण किये जाते हैं। इन्हें चिकित्सकीय परीक्षण (Medical test) कहा जाता है। ये कई प्रकार के होते हैं.

5 संबंधों: चयापचय की अंतर्जात त्रुटि, चरक संहिता, नैदानिक परीक्षण, नैदानिक परीक्षा (शिक्षा), स्वास्थ्य सेवा

चयापचय की अंतर्जात त्रुटि

आनुवंशिक रोग जिस में चयापचय संबंधी विकार शामिल है के संक्या के भीतर, '''चयापचय की अंतर्जात त्रुटियों ''' का एक बड़ा वर्ग गिना जाता है। अधिकांश, एकल जीन दोष के कारण होते हैं, जो एंजाइम की कोड में सहायता करता है - ताकि विभिन्न पदार्थ (सब्सट्रेट) के रूपांतरण कोई दूसरे (उत्पाद) में हो जाय.

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चरक संहिता

चरक संहिता आयुर्वेद का एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है। यह संस्कृत भाषा में है। इसके उपदेशक अत्रिपुत्र पुनर्वसु, ग्रंथकर्ता अग्निवेश और प्रतिसंस्कारक चरक हैं। प्राचीन वाङ्मय के परिशीलन से ज्ञात होता है कि उन दिनों ग्रंथ या तंत्र की रचना शाखा के नाम से होती थी। जैसे कठ शाखा में कठोपनिषद् बनी। शाखाएँ या चरण उन दिनों के विद्यापीठ थे, जहाँ अनेक विषयों का अध्ययन होता था। अत: संभव है, चरकसंहिता का प्रतिसंस्कार चरक शाखा में हुआ हो। भारतीय चिकित्साविज्ञान के तीन बड़े नाम हैं - चरक, सुश्रुत और वाग्भट। चरक संहिता, सुश्रुतसंहिता तथा वाग्भट का अष्टांगसंग्रह आज भी भारतीय चिकित्सा विज्ञान (आयुर्वेद) के मानक ग्रन्थ हैं। चिकित्सा विज्ञान जब शैशवावस्था में ही था उस समय चरकसंहिता में प्रतिपादित आयुर्वेदीय सिद्धान्त अत्यन्त श्रेष्ठ तथा गंभीर थे। इसके दर्शन से अत्यन्त प्रभावित आधुनिक चिकित्साविज्ञान के आचार्य प्राध्यापक आसलर ने चरक के नाम से अमेरिका के न्यूयार्क नगर में १८९८ में 'चरक-क्लब्' संस्थापित किया जहाँ चरक का एक चित्र भी लगा है। आचार्य चरक और आयुर्वेद का इतना घनिष्ठ सम्बन्ध है कि एक का स्मरण होने पर दूसरे का अपने आप स्मरण हो जाता है। आचार्य चरक केवल आयुर्वेद के ज्ञाता ही नहीं थे परन्तु सभी शास्त्रों के ज्ञाता थे। उनका दर्शन एवं विचार सांख्य दर्शन एवं वैशेषिक दर्शन का प्रतिनिधीत्व करता है। आचार्य चरक ने शरीर को वेदना, व्याधि का आश्रय माना है, और आयुर्वेक शास्त्र को मुक्तिदाता कहा है। आरोग्यता को महान् सुख की संज्ञा दी है, कहा है कि आरोग्यता से बल, आयु, सुख, अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। आचार्य चरक, संहिता निर्माण के साथ-साथ जंगल-जंगल स्थान-स्थान घुम-घुमकर रोगी व्यक्ति की, चिकित्सा सेवा किया करते थे तथा इसी कल्याणकारी कार्य तथा विचरण क्रिया के कारण उनका नाम 'चरक' प्रसिद्ध हुआ। उनकी कृति चरक संहिता चिकित्सा जगत का प्रमाणिक प्रौढ़ और महान् सैद्धान्तिक ग्रन्थ है।;चरकसंहिता का आयुर्वेद को मौलिक योगदान चरकसंहिता का आयुर्वेद के क्षेत्र में अनेक मौलिक योगदान हैं जिनमें से मुख्य हैं-.

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नैदानिक परीक्षण

अनुसन्धान के माध्यम से विकसित नई चिकित्सा पद्धतियों के सामान्य प्रयोग से पूर्व इनके प्रभाव व कुप्रभावों का अध्ययन करने के लिये किया गया शोध नैदानिक परीक्षण (क्लिनिकल ट्रायल) कहलाता है। चिकित्सा पद्धतियों के अन्तर्गत टीका, दवा, आहार संबंधी विकल्प, आहार की खुराक, चिकित्सीय उपकरण, जैव चिकित्सा आदि आते हैं। नैदानिक परीक्षण, नई पद्धतियों की सुरक्षा व दक्षता के संबंध में बेहतर आंकड़े प्रदान करता है। प्रत्येक अध्ययन वैज्ञानिक प्रश्नों का जवाब देता है और बीमारी को रोकने के, इसके परीक्षण के लिए, निदान, या उपचार के लिए बेहतर तरीके खोजने का प्रयास करता है। क्लीनिकल ट्रायल नए उपचार की पहले से उपलब्ध उपचार के साथ तुलना भी कर सकता है। हर क्लीनिकल ट्रायल में परीक्षण करने के लिए एक नियम (कार्य योजना) होती है। योजना बताती है कि अध्ययन में क्या-क्या किया जायेगा, यह कैसे पूरा होगा, और अध्ययन का प्रत्येक भाग आवश्यक क्यों है। प्रत्येक अध्ययन में हिस्सा लेने वाले लोगों के लिए इसके अपने नियम होते हैं। कुछ अध्ययनों के लिए किसी बीमारी से ग्रस्त स्वयंसेवकों की जरुरत होती है। कुछ के लिए स्वस्थ लोगों की आवश्यकता होती है। अन्य के लिए केवल पुरुष या केवल महिलाओं की जरुरत होती है। किसी देश या क्षेत्र विशेष में नैदानिक परीक्षण के लिये स्वास्थ्य एजेंसियों तथा अन्य सक्षम एजेंसियों की अनुमति लेना आवश्यक है। ये एजेंसियाँ परीक्षण के जोखिम/लाभ अनुपात का अध्ययन करने के लिये उत्तरदायी होती हैं। चिकित्सीय उत्पाद या पद्धति के प्रकार और उसके विकास के स्तर के अनुरूप ये एजेंसियाँ प्रारंभ में स्वयंप्रस्तुत व्यक्तियों (वालंटियर) या रोगियों के छोटे-छोटे समूहों पर पायलट प्रयोग के रूप में अध्ययन की अनुमति देती हैं और आगे उत्तरोत्तर बड़े पैमाने पर तुलनात्मक अध्ययन की अनुमति देती हैं। यूएसए में संस्थागत समीक्षा बोर्ड (आई.आर.बी.) कई क्लीनिकल ट्रायलों की समीक्षा, निरीक्षण करता है और उन्हें स्वीकार करता है। यह चिकित्सकों, सांख्यिकीविदों, और समुदाय के सदस्यों की एक स्वतंत्र समिति है। इसकी निम्न भूमिकाएं हैं-.

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नैदानिक परीक्षा (शिक्षा)

व्यक्ति में किसी प्रकार की असामान्यता, अयोग्यता, अक्षमता, व्यतिक्रम अथवा व्याधि के स्वरूप की ठीक पहचान अर्थात्‌ निदान (डायग्नासिस) नैदानिक परीक्षा (Diagnostic Test) कहलाती है। यह मनोशारीरिक अव्यवस्थाओं की ज्ञात लक्षणावली के आधार पर करने के लिए विज्ञों द्वारा सुस्थिर की गई जाँच की विशिष्ट प्रणाली है। नैदानिक परीक्षाओं की अब हजारों तरह की प्रश्नावलियाँ एवं पद्धतियाँ चल पड़ी है जिनमें व्यक्ति के मनोजगत्‌ की सूक्ष्मतल विकृति की पहचान प्रायोगिक धरातल पर कर ली जाती है। ये परीक्षाएँ व्यक्तिगत रूप में भी होती हैं और समूहगत भी। आजकल समूह परीक्षाएँ (ग्रूप टेस्ट्स), शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से तथा सैनिक विभाग और कार्यालयीय कर्मचारियों की सहायता से काफी मात्रा में संपन्न की जा रही हैं। .

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स्वास्थ्य सेवा

स्वास्थ्य सेवा या हेल्थकेयर का अर्थ बीमारी की रोकथाम और उपचार करना है। स्वास्थ्य सेवा चिकित्सा, दन्त चिकित्सा, नर्सिंग और स्वास्थ्य से सम्बंधित पेशेवरों द्वारा प्रदान की जाती है। स्वास्थय सेवा तक पहुँच देशों, समूहों और व्यक्तियों के अनुसार बदलती रहती है। इसपर उस जगह की स्वास्थय नीतियों, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों का गहरा प्रभाव पडता है। हर देश में जनता को स्वास्थय लाभ पहुँचाने हेतु विभिन्न नीतियों का निर्माण किया जाता है। .

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