लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

घास

सूची घास

घास का मैदान घास घास (grass) एक एकबीजपत्री हरा पौधा है। इसके प्रत्येक गाँठ से रेखीय पत्तियाँ निकलती हुई दिखाई देती हैं। साधारणतः यह कमजोर, शाखायुक्त, रेंगनेवाला पौधा है। बाँस, मक्का तथा धान के पौधे भी घास ही हैं। .

76 संबंधों: चरना, चेस फील्ड, टर्नर फील्ड, टारगेट फील्ड, एटी एंड टी पार्क, एडोबे, एन्जिल स्टेडियम ऑफ एनाहिम, एकबीजपत्री, डिएगो गार्सिया, डोजर स्टेडियम, त्रिनेत्र गणेश, रणथम्भौर, दूब घास, नेपियर बाजरा घास, नेशनल्स पार्क, नीलगाय, नीलगिरी (यूकलिप्टस), पादप प्रवर्धन, प्राचीन मिस्र, प्रेरी, प्रोग्रेसिव फील्ड, पेटको पार्क, पोएसी, पीएनसी पार्क, फेनवे पार्क, फीया, बश स्टेडियम, बाँस, बायोम, भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी, भारतीय सेही, मर्ग, मार्लिंस पार्क, मिनट मेड पार्क, मिलर पार्क (मिल्वौकी), मिज़ूरी, मुनिया, मूंज, यांकी स्टेडियम, याक, यू.एस. सेलुलर फील्ड, रस्सी, राजस्थान के वन्य-जीव अभयारण्य, रिगली फ़ील्ड, रग्बी लीग, रैमी, सदिया, सारगैसो सागर, साइपरेसी, सिटी फील्ड, सिटीजनस बैंक पार्क, ..., स्तॅपी, सैन सिरो, सैंटियागो बर्नबू स्टेडियम, सूखी घास, सेफ़िको फ़ील्ड, हँसिया, हेसल स्टेडियम, ज्वार, घरेलू गौरैया, घास, घासभूमि, घोंसला, खींप, गाजर घास, ग्रेट अमेरिकन बॉल पार्क, ग्लोब लाइफ पार्क अर्लिंगटन, गोडावण, ओरियल पार्क एत कैमडेन यार्ड्स, ओकलैंड-अल्मिडा काउंटी कोलिज़ियम, काग़ज़, क्षुपभूमि, कूर्स फील्ड, कॉफ़मैन स्टेडियम, कोमेरिका पार्क, अफ़्रीकान्स भाषा, उड़ानपट्टी सूचकांक विस्तार (26 अधिक) »

चरना

चरना (grazing) खाने की एक विधि होती है जिसमें कोई शाकाहारी जीव घास, शैवाल (ऐल्गी) या अन्य वनस्पतियों को खाता है। कृषि में पालतु पशुओं को चराकर रासायनिक दृष्टि से वनस्पतियों को दूध, मांस व अन्य पशु-उत्पादनों में बदला जाता है। घास जैसे कई वनस्पतियों में ऊर्जा घनत्व कम होने के कारण इन्हें चरने वाले प्राणी अक्सर इन्हें बड़ी मात्रा में खाते हैं और लम्बे अरसे तक चरने की क्रिया में व्यस्त रहते हैं। .

नई!!: घास और चरना · और देखें »

चेस फील्ड

चेस फील्ड, फ़ीनिक्स नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह एरिज़ोना डाइमन्डबैक्स का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और चेस फील्ड · और देखें »

टर्नर फील्ड

टर्नर फील्ड, अटलांटा नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह अटलांटा ब्रेव्ज़ का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और टर्नर फील्ड · और देखें »

टारगेट फील्ड

टारगेट फील्ड, मिनियापोलिस शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह मिनेसोटा ट्विंस का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और टारगेट फील्ड · और देखें »

एटी एंड टी पार्क

एटी एंड टी पार्क, सैन फ्रांसिस्को नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह सैन फ्रांसिस्को जायंट्स का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और एटी एंड टी पार्क · और देखें »

एडोबे

न्यू मैक्सिको में एडोबे से बनी दीवार के लेपन का नवीनीकरण अमरीका के दक्षिण-पश्चिमी संयुक्त राज्य और उत्तरी मेक्सिको में ऐडोबे (Adobe) कच्ची ईट और उससे बने मकान को कहते हैं। उस मिट्टी को भी बहुधा ऐडोबे कहते हैं जिससे अच्छी ईटें बनती हैं। यह शब्द स्पेन के "ऐडोबार" शब्द से निकला है, जिसका अर्थ है मिट्टी का लेप या पलस्तर। ऐडोबे ईट बनाने के लिए मिट्टी, थोड़ा सा भूसा, पुआल, या सूखी घास मिलाकर सान ली जाती है और फिर पैर से कुचलकर अच्छी तरह गूँध ली जाती है। तदनंतर लकड़ी के साँचों की सहायता से ईटें बना ली जाती हैं। नाप में यह ईटे साधारण ईटों से लेकर दो मीटर तक लंबी, एक फुट तक चौड़ी और आठ इंच तक मोटी होती है। ईंटों की जोड़ाई मिट्टी के ही गारों से की जाती है और मिट्टी से ही बाहर और भीतर पलस्तर भी कर दिया जाता है। सूख जाने पर चूना कर दिया जाता है। चौड़ा छज्जा और अच्छी छत रहने पर, जो वर्षा में टपके नहीं, अमरीका और मेक्सिको में ये मकान बरसों, कभी कभी-सैकड़ों वर्ष, चलते हैं। कॉलोरेडो (अमरीका) में पृथक् ईंट बनाने की प्रथा नहीं है। वहाँ दीवार बनाने के लिए अगल बगल अस्थायी रूप से पटरे खड़े कर दिए जाते हैं और उनके बीच कड़ी सनी हुई मिट्टी कूट दी जाती है। कुछ दिन तक सूखने देकर पटरों को अधिक ऊँचाई पर बाँधते हैं और इस प्रकार तह पर तह मिट्टी डालकर दीवार बना लेते हैं। दीवारें चाहे इस प्रकार बनें, चाहे ईंटों से, पर जब उनपर बाहर से सीमेंट का पलस्तर कर दिया जाता है तो ये (ऐडोबे के) मकान बहुत टिकाऊ होते हैं। ऐडोबे की ईंट बनाने के लिए वही मिट्टी अच्छी होती है जो सूखने पर बहुत कड़ी और मजबूत हो जाती है। .

नई!!: घास और एडोबे · और देखें »

एन्जिल स्टेडियम ऑफ एनाहिम

एन्जिल स्टेडियम ऑफ एनाहिम, लॉस एंजिल्स नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह लॉस एंजिल्स एन्जिल्स ऑफ एनाहिम का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और एन्जिल स्टेडियम ऑफ एनाहिम · और देखें »

एकबीजपत्री

मोनोकॉट​ (Monocot) या एकबीजपत्री सपुष्पक पौधों का एक समूह है जिनके बीजों में एक ही बीजपत्र (कॉटिलिडन​) होता है। इनके विपरीत युडिकॉट​ (Eudicot) पौधों के बीजों में दो बीजपत्र होते हैं। फूलधारी (सपुष्पक) पौधों की यही दो मुख्य श्रेणियाँ हैं।, Linda R. Berg, pp.

नई!!: घास और एकबीजपत्री · और देखें »

डिएगो गार्सिया

डिएगो गार्सिया एक उष्णकटिबंधीय, पदचिह्न-आकार का मूंगे का प्रवालद्वीप (एटोल) है जो भूमध्य रेखा के दक्षिण में मध्य हिंद महासागर में सात डिग्री, छब्बीस मिनट दक्षिण अक्षांश (भूमध्य रेखा के दक्षिण में) पर स्थित है। यह ब्रिटिश हिंद महासागरीय क्षेत्र का हिस्सा है और इसकी अवस्थिति 72°23' पूर्व देशांतर में है। यह एटोल अफ्रीकी तट के लगभग पूर्व में और भारत के दक्षिण सिरे से दक्षिण में है (चित्र 2.3).

नई!!: घास और डिएगो गार्सिया · और देखें »

डोजर स्टेडियम

डोजर स्टेडियम, लॉस एंजिल्स नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह लॉस एंजिल्स डॉजर्स का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और डोजर स्टेडियम · और देखें »

त्रिनेत्र गणेश, रणथम्भौर

यह मंदिर भारत के राजस्थान प्रांत में सवाई माधोपुर जिले में स्थित है, जो कि विश्व धरोहर में शामिल रणथंभोर दुर्ग के भीतर बना हुआ है। अरावली और विन्ध्याचल पहाड़ियों के बीच स्थित रणथम्भौर दुर्ग में विराजे रणतभंवर के लाड़ले त्रिनेत्र गणेश के मेले की बात ही कुछ निराली है। यह मंदिर प्रकृति व आस्था का अनूठा संगम है। भारत के कोने-कोने से लाखों की तादाद में दर्शनार्थी यहाँ पर भगवान त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन हेतु आते हैं और कई मनौतियां माँगते हैं, जिन्हें भगवान त्रिनेत्र गणेश पूरी करते हैं। इस गणेश मंदिर का निर्माण महाराजा हम्मीरदेव चौहान ने करवाया था लेकिन मंदिर के अंदर भगवान गणेश की प्रतिमा स्वयंभू है। इस मंदिर में भगवान गणेश त्रिनेत्र रूप में विराजमान है जिसमें तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। पूरी दुनिया में यह एक ही मंदिर है जहाँ भगवान गणेश जी अपने पूर्ण परिवार, दो पत्नी- रिद्दि और सिद्दि एवं दो पुत्र- शुभ और लाभ, के साथ विराजमान है। भारत में चार स्वयंभू गणेश मंदिर माने जाते है, जिनमें रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी प्रथम है। इस मंदिर के अलावा सिद्दपुर गणेश मंदिर गुजरात, अवंतिका गणेश मंदिर उज्जैन एवं सिद्दपुर सिहोर मंदिर मध्यप्रदेश में स्थित है। कहाँ जाता है कि महाराजा विक्रमादित्य जिन्होंने विक्रम संवत् की गणना शुरू की प्रत्येक बुधवार उज्जैन से चलकर रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन हेतु नियमित जाते थे, उन्होंने ही उन्हें स्वप्न दर्शन दे सिद्दपुर सीहोर के गणेश जी की स्थापना करवायी थी। .

नई!!: घास और त्रिनेत्र गणेश, रणथम्भौर · और देखें »

दूब घास

जमीन पर पसरी '''दूब''' घास हरी भरी '''दूब''' घास दूब या दुर्वा (वानस्पतिक नाम: Cynodon dactylon) एक घास है जो जमीन पर पसरती है। हिन्दू संस्कारों एवं कर्मकाण्डों में इसका उपयोग किया जाता है। मारवाडी भाषा में इसे ध्रो कहा जाता हैँ। शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जो दूब को नहीं जानता होगा। हाँ यह अलग बात है कि हर क्षेत्रों में तथा भाषाओँ में यह अलग अलग नामों से जाना जाता है। हिंदी में इसे दूब, दुबडा, संस्कृत में दुर्वा, सहस्त्रवीर्य, अनंत, भार्गवी, शतपर्वा, शतवल्ली, मराठी में पाढरी दूर्वा, काली दूर्वा, गुजराती में धोलाध्रो, नीलाध्रो, अंग्रेजी में कोचग्रास, क्रिपिंग साइनोडन, बंगाली में नील दुर्वा, सादा दुर्वा आदि नामों से जाना जाता है। इसके आध्यात्मिक महत्वानुसार प्रत्येक पूजा में दूब को अनिवार्य रूप से प्रयोग में लाया जाता है। इसके औषधीय गुणों के अनुसार दूब त्रिदोष को हरने वाली एक ऐसी औषधि है जो वात कफ पित्त के समस्त विकारों को नष्ट करते हुए वात-कफ और पित्त को सम करती है। दूब सेवन के साथ यदि कपाल भाति की क्रिया का नियमित यौगिक अभ्यास किया जाये तो शरीर के भीतर के त्रिदोष को नियंत्रित कर देता है, यह दाह शामक, रक्तदोष, मूर्छा, अतिसार, अर्श, रक्त पित्त, प्रदर, गर्भस्राव, गर्भपात, यौन रोगों, मूत्रकृच्छ इत्यादि में विशेष लाभकारी है। यह कान्तिवर्धक, रक्त स्तंभक, उदर रोग, पीलिया इत्यादि में अपना चमत्कारी प्रभाव दिखाता है। श्वेत दूर्वा विशेषतः वमन, कफ, पित्त, दाह, आमातिसार, रक्त पित्त, एवं कास आदि विकारों में विशेष रूप से प्रयोजनीय है। सेवन की दृष्टि से दूब की जड़ का 2 चम्मच पेस्ट एक कप पानी में मिलाकर पीना चाहिए। .

नई!!: घास और दूब घास · और देखें »

नेपियर बाजरा घास

सी ओ-४ (co-4) या नेपियर बाजरा घास एक प्रकार की घास है जो नवीनीकृत ऊर्जा का एक सुलभ प्राकृतिक स्रोत है। छारीय मृदा को छोड़कर यह घास किसी भी मिट्टी में उग सकती है। केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिए इस घास का प्रयोग चारे के रूप में भी किया जाता है। .

नई!!: घास और नेपियर बाजरा घास · और देखें »

नेशनल्स पार्क

नेशनल्स पार्क, वॉशिंगटन डी॰ सी॰ नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह वाशिगंटन नेशनल्स का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और नेशनल्स पार्क · और देखें »

नीलगाय

नीलगाय एक बड़ा और शक्तिशाली जानवर है। कद में नर नीलगाय घोड़े जितना होता है, पर उसके शरीर की बनावट घोड़े के समान संतुलित नहीं होती। पृष्ठ भाग अग्रभाग से कम ऊंचा होने से दौड़ते समय यह अत्यंत अटपटा लगता है। अन्य मृगों की तेज चाल भी उसे प्राप्त नहीं है। इसलिए वह बाघ, तेंदुए और सोनकुत्तों का आसानी से शिकार हो जाता है, यद्यपि एक बड़े नर को मारना बाघ के लिए भी आसान नहीं होता। छौनों को लकड़बग्घे और गीदड़ उठा ले जाते हैं। परन्तु कई बार उसके रहने के खुले, शुष्क प्रदेशों में उसे किसी भी परभक्षी से डरना नहीं पड़ता क्योंकि वह बिना पानी पिए बहुत दिनों तक रह सकता है, जबकि परभक्षी जीवों को रोज पानी पीना पड़ता है। इसलिए परभक्षी ऐसे शुष्क प्रदेशों में कम ही जाते हैं। वास्तव में "नीलगाय" इस प्राणी के लिए उतना सार्थक नाम नहीं है क्योंकि मादाएं भूरे रंग की होती हैं। नीलापन वयस्क नर के रंग में पाया जाता है। वह लोहे के समान सलेटी रंग का अथवा धूसर नीले रंग का शानदार जानवर होता है। उसके आगे के पैर पिछले पैर से अधिक लंबे और बलिष्ठ होते हैं, जिससे उसकी पीठ पीछे की तरफ ढलुआं होती है। नर और मादा में गर्दन पर अयाल होता है। नरों की गर्दन पर सफेद बालों का एक लंबा और सघन गुच्छा रहता है और उसके पैरों पर घुटनों के नीचे एक सफेद पट्टी होती है। नर की नाक से पूंछ के सिरे तक की लंबाई लगभग ढाई मीटर और कंधे तक की ऊंचाई लगभग डेढ़ मीटर होती है। उसका वजन 250 किलो तक होता है। मादाएं कुछ छोटी होती हैं। केवल नरों में छोटे, नुकीले सींग होते हैं जो लगभग 20 सेंटीमीटर लंबे होते हैं। नीलगाय (मादा) नीलगाय भारत में पाई जानेवाली मृग जातियों में सबसे बड़ी है। मृग उन जंतुओं को कहा जाता है जिनमें स्थायी सींग होते हैं, यानी हिरणों के शृंगाभों के समान उनके सींग हर साल गिरकर नए सिरे से नहीं उगते। नीलगाय दिवाचर (दिन में चलने-फिरने वाला) प्राणी है। वह घास भी चरती है और झाड़ियों के पत्ते भी खाती है। मौका मिलने पर वह फसलों पर भी धावा बोलती है। उसे बेर के फल खाना बहुत पसन्द है। महुए के फूल भी बड़े चाव से खाए जाते हैं। अधिक ऊंचाई की डालियों तक पहुंचने के लिए वह अपनी पिछली टांगों पर खड़ी हो जाती है। उसकी सूंघने और देखने की शक्ति अच्छी होती है, परंतु सुनने की क्षमता कमजोर होती है। वह खुले और शुष्क प्रदेशों में रहती है जहां कम ऊंचाई की कंटीली झाड़ियां छितरी पड़ी हों। ऐसे प्रदेशों में उसे परभक्षी दूर से ही दिखाई दे जाते हैं और वह तुरंत भाग खड़ी होती है। ऊबड़-खाबड़ जमीन पर भी वह घोड़े की तरह तेजी से और बिना थके काफी दूर भाग सकती है। वह घने जंगलों में भूलकर भी नहीं जाती। सभी नर एक ही स्थान पर आकर मल त्याग करते हैं, लेकिन मादाएं ऐसा नहीं करतीं। ऐसे स्थलों पर उसके मल का ढेर इकट्ठा हो जाता है। ये ढेर खुले प्रदेशों में होते हैं, जिससे कि मल त्यागते समय यह चारों ओर आसानी से देख सके और छिपे परभक्षी का शिकार न हो जाए। .

नई!!: घास और नीलगाय · और देखें »

नीलगिरी (यूकलिप्टस)

नीलगिरी मर्टल परिवार, मर्टसिया प्रजाति के पुष्पित पेड़ों (और कुछ झाडि़यां) की एक भिन्न प्रजाति है। इस प्रजाति के सदस्य ऑस्ट्रेलिया के फूलदार वृक्षों में प्रमुख हैं। नीलगिरी की 700 से अधिक प्रजातियों में से ज्यादातर ऑस्ट्रेलिया मूल की हैं और इनमें से कुछ बहुत ही अल्प संख्या में न्यू गिनी और इंडोनेशिया के संलग्न हिस्से और सुदूर उत्तर में फिलपिंस द्वीप-समूहों में पाये जाते हैं। इसकी केवल 15 प्रजातियां ऑस्ट्रेलिया के बाहर पायी जाती हैं और केवल 9 प्रजातियां ऑस्ट्रेलिया में नहीं होतीं.

नई!!: घास और नीलगिरी (यूकलिप्टस) · और देखें »

पादप प्रवर्धन

पौधों में अन्य जीवों की भांति अपने जैसे पौधे पैदा करने की क्षमता होती है, पादप प्रवर्धन (Plant Propagation) कहते हैं। यह कार्य पौधों में अनेक प्रकार से होता है। इसे मुख्यत: तीन मौलिक भागों में विभाजित किया जा सकता है।.

नई!!: घास और पादप प्रवर्धन · और देखें »

प्राचीन मिस्र

गीज़ा के पिरामिड, प्राचीन मिस्र की सभ्यता के सबसे ज़्यादा पहचाने जाने वाले प्रतीकों में से एक हैं। प्राचीन मिस्र का मानचित्र, प्रमुख शहरों और राजवंशीय अवधि के स्थलों को दर्शाता हुआ। (करीब 3150 ईसा पूर्व से 30 ई.पू.) प्राचीन मिस्र, नील नदी के निचले हिस्से के किनारे केन्द्रित पूर्व उत्तरी अफ्रीका की एक प्राचीन सभ्यता थी, जो अब आधुनिक देश मिस्र है। यह सभ्यता 3150 ई.पू.

नई!!: घास और प्राचीन मिस्र · और देखें »

प्रेरी

अमेरिका के दक्षिण डकोटा राज्य में प्रेरी पर खड़ा एक घर अमेरिका के आइओवा राज्य में ऍफ़िजी माउंड्स राष्ट्रीय स्मारक क्षेत्र में विस्तृत प्रेरी प्रेरी (अंग्रेज़ी: prairie) पृथ्वी के समशीतोष्ण (यानि टॅम्प्रेट) क्षेत्र में स्थित विशाल घास के मैदानों को कहा जाता है। इनमें तापमान ग्रीष्मऋतु में मध्यम और शीतऋतु में ठंडा रहता है और मध्यम मात्राओं में बर्फ़-बारिश पड़ती है। यहाँ पर वनस्पति जीवन घास, फूस और छोटी झाड़ों के रूप में अधिक और पेड़ों के रूप में कम देखने को मिलता है। ऐसे घासदार मैदानों को उत्तरी अमेरिका में "प्रेरी", यूरेशिया में "स्तॅप" या "स्तॅपी" (steppe), दक्षिण अमेरिका में "पाम्पा" (pampa) और दक्षिण अफ़्रीका में "वॅल्ड" (veld) कहा जाता है। .

नई!!: घास और प्रेरी · और देखें »

प्रोग्रेसिव फील्ड

प्रोग्रेसिव फील्ड, क्लीवलैंड शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह क्लीवलैंड इंडियन का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और प्रोग्रेसिव फील्ड · और देखें »

पेटको पार्क

पेटको पार्क, सैन डिएगो नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह सैन डिएगो पैड्रेस का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और पेटको पार्क · और देखें »

पोएसी

बाँस पोएसी पौधों का एक कुल है। इस कुल के अन्तर्गत लगभग 530 वंश तथा 5200 जातियाँ मिलती हैं जिमें भारत में लगभग 830 जातियाँ उपलब्ध हैं। इसके पौधे सर्वत्र मिले हैं। परन्तु अधिकांश समशीतोष्ण प्रदेशों में तथा कुछ उष्ण प्रदेशों में पाए जाते हैं। बाँस, मक्का, गेंहूँ, जौ, बाजरा, दूब, राई, ईख, धान, ज्वार, खसखस इस कुल के कुछ सामान्य पौधें हैं। श्रेणी:वनस्पति विज्ञान.

नई!!: घास और पोएसी · और देखें »

पीएनसी पार्क

पीएनसी पार्क, पिट्सबर्ग नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह पिट्सबर्ग पाइरेट्स का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और पीएनसी पार्क · और देखें »

फेनवे पार्क

फेनवे पार्क, बोस्टन शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह बोस्टन रेड सोक्स का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और फेनवे पार्क · और देखें »

फीया

फीया या मारमोट (marmot) एक प्रकार की बड़ी गिलहरी होती है। इसकी १५ जातियाँ ज्ञात हैं जो सभी मारमोटा (marmota) जीववैज्ञानिक गण में आती हैं। कुछ जातियाँ पहाड़ी क्षेत्रों में रहती हैं, जैसे कि भारतीय उपमहाद्वीप के हिमालय, लद्दाख़ और देओसाई पठार; तिब्बत; यूरोप के ऐल्प्स पर्वत, कारपैथी पर्वत, पिरिनी पर्वत और अन्य क्षेत्र; उत्तर अमेरिका के रॉकी पर्वत, कास्केड पर्वत और अन्य क्षेत्र, इत्यादि। कुछ जातियाँ घासभूमि पसंद करती हैं और उत्तर अमेरिका की प्रेरी घासभूमि और एशिया व यूरोप की स्तेपी घासभूमि में निवास करती हैं। ध्यान दें कि उत्तर अमेरिका में मिलने वाला प्रेरी डॉग (prairie dog) देखने में इस से मिलता जुलता है लेकिन वह मारमोटा गण में शामिल नहीं और जीववैज्ञानिक दृष्टि से फीया नहीं माना जाता। .

नई!!: घास और फीया · और देखें »

बश स्टेडियम

बश स्टेडियम, सेंट लुइस नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह सेंट लुइस कार्डिनल्स का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और बश स्टेडियम · और देखें »

बाँस

बाँस, ग्रामिनीई (Gramineae) कुल की एक अत्यंत उपयोगी घास है, जो भारत के प्रत्येक क्षेत्र में पाई जाती है। बाँस एक सामूहिक शब्द है, जिसमें अनेक जातियाँ सम्मिलित हैं। मुख्य जातियाँ, बैंब्यूसा (Bambusa), डेंड्रोकेलैमस (नर बाँस) (Dendrocalamus) आदि हैं। बैंब्यूसा शब्द मराठी बैंबू का लैटिन नाम है। इसके लगभग २४ वंश भारत में पाए जाते हैं। बाँस एक सपुष्पक, आवृतबीजी, एक बीजपत्री पोएसी कुल का पादप है। इसके परिवार के अन्य महत्वपूर्ण सदस्य दूब, गेहूँ, मक्का, जौ और धान हैं। यह पृथ्वी पर सबसे तेज बढ़ने वाला काष्ठीय पौधा है। इसकी कुछ प्रजातियाँ एक दिन (२४ घंटे) में १२१ सेंटीमीटर (४७.६ इंच) तक बढ़ जाती हैं। थोड़े समय के लिए ही सही पर कभी-कभी तो इसके बढ़ने की रफ्तार १ मीटर (३९ मीटर) प्रति घंटा तक पहुँच जाती है। इसका तना, लम्बा, पर्वसन्धि युक्त, प्रायः खोखला एवं शाखान्वित होता है। तने को निचले गांठों से अपस्थानिक जड़े निकलती है। तने पर स्पष्ट पर्व एवं पर्वसन्धियाँ रहती हैं। पर्वसन्धियाँ ठोस एवं खोखली होती हैं। इस प्रकार के तने को सन्धि-स्तम्भ कहते हैं। इसकी जड़े अस्थानिक एवं रेशेदार होती है। इसकी पत्तियाँ सरल होती हैं, इनके शीर्ष भाग भाले के समान नुकीले होते हैं। पत्तियाँ वृन्त युक्त होती हैं तथा इनमें सामानान्तर विन्यास होता है। यह पौधा अपने जीवन में एक बार ही फल धारण करता है। फूल सफेद आता है। पश्चिमी एशिया एवं दक्षिण-पश्चिमी एशिया में बाँस एक महत्वपूर्ण पौधा है। इसका आर्थिक एवं सांस्कृतिक महत्व है। इससे घर तो बनाए ही जाते हैं, यह भोजन का भी स्रोत है। सौ ग्राम बाँस के बीज में ६०.३६ ग्राम कार्बोहाइड्रेट और २६५.६ किलो कैलोरी ऊर्जा रहती है। इतने अधिक कार्बोहाइड्रेट और इतनी अधिक ऊर्जा वाला कोई भी पदार्थ स्वास्थ्यवर्धक अवश्य होगा। ७० से अधिक वंशो वाले बाँस की १००० से अधिक प्रजातियाँ है। ठंडे पहाड़ी प्रदेशों से लेकर उष्ण कटिबंधों तक, संपूर्ण पूर्वी एशिया में, ५०० उत्तरी अक्षांश से लेकर उत्तरी आस्ट्रेलिया तथा पश्चिम में, भारत तथा हिमालय में, अफ्रीका के उपसहारा क्षेत्रों तथा अमेरिका में दक्षिण-पूर्व अमेरिका से लेकर अर्जेन्टीना एवं चिली में (४७० दक्षिण अक्षांश) तक बाँस के वन पाए जाते हैं। बाँस की खेती कर कोई भी व्यक्ति लखपति बन सकता है। एक बार बाँस खेत में लगा दिया जायें तो ५ साल बाद वह उपज देने लगता है। अन्य फसलों पर सूखे एवं कीट बीमारियो का प्रकोप हो सकता है। जिसके कारण किसान को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। लेकिन बाँस एक ऐसी फसल है जिस पर सूखे एवं वर्षा का अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। बाँस का पेड़ अन्य पेड़ों की अपेक्षा ३० प्रतिशत अधिक ऑक्सीजन छोड़ता और कार्बन डाईऑक्साइड खींचता है साथ ही यह पीपल के पेड़ की तरह दिन में कार्बन डाईऑक्साइड खींचता है और रात में आक्सीजन छोड़ता है। .

नई!!: घास और बाँस · और देखें »

बायोम

दुनिया के मुख्य प्रकार के बायोम बायोम (biome) या जीवोम धरती या समुद्र के किसी ऐसे बड़े क्षेत्र को बोलते हैं जिसके सभी भागों में मौसम, भूगोल और निवासी जीवों (विशेषकर पौधों और प्राणी) की समानता हो।, David Sadava, H. Craig Heller, David M. Hillis, May Berenbaum, Macmillan, 2009, ISBN 978-1-4292-1962-4,...

नई!!: घास और बायोम · और देखें »

भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी

300px भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान (Indian Grassland and Fodder Research Institute) उत्तर प्रदेश के झांसी में स्थित है। इसकी स्थापना 1962 में हुई थी। झांसी में इस संस्थान की स्थापना करने का मुख्य कारण यहाँ सभी प्रमुख घासों का पाया जाना भी था। तत्पश्चात् सन् 1966 में इसका प्रशासनिक नियंत्रण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली को सौंपा गया। संस्थान ने अपने स्थापना काल से ही चारा उत्पादन व उपयोग के विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान कर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसका प्रचार-प्रसार करने और समन्वित विकास करने में अहम् भूमिका निभायी है। इसके अतिरिक्त संस्थान में अखिल भारतीय चारा समन्वित परियोजना का संचालन भी किया जा रहा है। साथ ही संस्थान के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए देश-विदेश के सहयोग से अन्य परियोजनाएं सफलतापूर्वक संचालित की जा रहीं हैं। जलवायु तथा कृषि की क्षेत्रीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर भारत के अन्य भागों में इस संस्थान के तीन क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र स्थापित किए गए हैं जो अंबिका नगर (राजस्थान), धारवाड़ (कर्नाटक) एवं पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) में स्थित हैं। .

नई!!: घास और भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी · और देखें »

भारतीय सेही

भारतीय सेही एक कृंतक जानवर है। इसका फैलाव तुर्की, भूमध्य सागर से लेकर दक्षिण-पश्चिम तथा मध्य एशिया (अफ़गानिस्तान और तुर्कमेनिस्तान सहित) एवं दक्षिण एशिया (पाकिस्तान, भारत, नेपाल तथा श्रीलंका) और चीन तक में है। हिमालय में यह २,४०० मी.

नई!!: घास और भारतीय सेही · और देखें »

मर्ग

हिमाचल प्रदेश में खज्जियार मर्ग स्विट्ज़रलैंड में ऐल्प पर्वतों में एक मर्ग मर्ग या केदार या चारागाह ऐसे मैदान को कहते हैं जिसमें वृक्षों की बजाए घास व अन्य छोटे पौधे ही उग रहें हों। इसमें अक्सर मवेशी चराए जाते हैं।, Ricky Evans, Karen Evans, pp.

नई!!: घास और मर्ग · और देखें »

मार्लिंस पार्क

मार्लिंस पार्क, मियामी नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह मियामी मार्लिंस का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और मार्लिंस पार्क · और देखें »

मिनट मेड पार्क

मिनट मेड पार्क, ह्युस्टनक नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह ह्युस्टन एस्टर्स का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और मिनट मेड पार्क · और देखें »

मिलर पार्क (मिल्वौकी)

यांकी स्टेडियम, न्यूयॉर्क नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह न्यूयॉर्क यांकीज़ का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और मिलर पार्क (मिल्वौकी) · और देखें »

मिज़ूरी

अमेरिका के मानचित्र पर मिज़ूरी (Missouri) आयोवा, इलिनॉय, केन्टकी, टेनेसी, अर्कन्सास, ओक्लाहोमा, केन्सास और नेब्रास्का से घिरा संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य-पश्चिम क्षेत्र का एक राज्य है। मिसौरी सबसे अधिक जनसंख्या वाला 18वां राज्य है जिसकी 2009 में अनुमानित जनसंख्या 5,987,580 थी। यह 114 प्रान्तों और एक स्वतंत्र शहर से मिलकर बना है। मिसौरी की राजधानी जेफ़रसन शहर है। तीन सबसे बड़े शहरी क्षेत्र सेंट लुई, कन्सास शहर और स्प्रिंगफील्ड हैं। मिसौरी को मूल रूप से लुइसियाना खरीद के भाग के रूप में फ्रांस से अधिग्रहण किया गया था। मिसौरी राज्य क्षेत्र के भाग को 10 अगस्त 1821 में 24वें राज्य के रूप में संघ में शामिल कर लिया गया। मिसौरी में राष्ट्र के जनसांख्यिकीय, आर्थिक और राजनैतिक क्षेत्र में शहरी और ग्रामीण संस्कृति का मिश्रण देखने को मिलता है। इसे लंबे समय से एक राजनीतिक कसौटी राज्य माना जाता रहा है। 1956 और 2008 को छोड़कर, मिसौरी के U.S. राष्ट्रपति के पद के चुनाव के परिणाम ने 1904 से प्रत्येक चुनाव में संयुक्त राज्य अमेरिका के अगले राष्ट्रपति की सही-सही भविष्यवाणी की है। यह मध्य पश्चिमी और दक्षिणी दोनों संस्कृतियों से प्रभावित है और अपने इतिहास में एक सीमा राज्य के रूप में प्रदर्शित है। यह पूर्वी और पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक अवस्थांतर भी है क्योंकि सेंट लुई को अक्सर "सुदूर-पश्चिमी पूर्वी शहर" और कन्सास शहर को "सुदूर-पूर्वी पश्चिमी शहर" कहते हैं। मिसौरी के भूगोल में अत्यधिक विविधता है। राज्य का उत्तरी भाग विच्छेदित गोल मैदानों में पड़ता है जबकि दक्षिणी भाग ओज़ार्क पर्वतों (विच्छेदित पठार) में पड़ता है जिसे मिसोरी नदी दो भागों में बांटती है। मिसिसिपी और मिसौरी नदियों का संगम सेंट लुई के पास स्थित है। .

नई!!: घास और मिज़ूरी · और देखें »

मुनिया

बिन्दुकित मुनिया मुनिया एक पक्षी है जो भारत, श्रीलंका, इण्डोनेशिया, फिलिपीन्स तथा अफ्रीका का देशज है। इसका आकार गौरैया से कुछ छोटा होता है। यह छोटे छोटे झुंडों में घास के बीच खाने निकलती है। खेतों में भूमि पर गिरे बीजों को खाती है। मंद-मंद कलरव करती है। यह छोटी झाड़ियों या वृक्षों में 5-10 फुट की उँचाई पर घोसला बनाती है। इसकी चार पाँच उपजातियाँ हैं: श्वेतपृष्ठ मुनिया, श्वेतकंठ मुनिया, कृष्णसिर मुनिया, बिंदुकित (spotted) मुनिया तथा लाल मुनिया। .

नई!!: घास और मुनिया · और देखें »

मूंज

मूंज मूंज या 'सरपत' एक घास है जो १०-१५ फुट उँची होती है। इसकी पत्तियाँ पतली एवं लम्बी होती हैं जिनके किनारे छोटे-छोटे कांतें होते हैं। इसकी छप्पर बनायी जाती है। इसके फूल सफेद होते हैं। यह प्राय: नदियों के किनारे बलुई जमीन पर अधिक उगती है। इसको लोग खेतों की मेड़ पर भी लगाते हैं। .

नई!!: घास और मूंज · और देखें »

यांकी स्टेडियम

यांकी स्टेडियम, न्यूयॉर्क नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह न्यूयॉर्क यांकीज़ का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और यांकी स्टेडियम · और देखें »

याक

याक याक (वैज्ञानिक नाम: Bos Grunniens) एक पशु है जो तिब्बत के ठण्डे तथा वीरान पठार, नेपाल और भारत के उत्तरी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह काला, भूरा, सफेद या धब्बेदार रंग का होता है। इसका शरीर घने, लम्बे और खुरदरे बालों से ढँका हुआ होता है। इसे कुछ लोग तिब्बत का बैल भी कहते हैं। इसे 'चमरी' या 'चँवरी' या 'सुरागाय' भी कहते हैं। .

नई!!: घास और याक · और देखें »

यू.एस. सेलुलर फील्ड

यू.एस.

नई!!: घास और यू.एस. सेलुलर फील्ड · और देखें »

रस्सी

मछली पकड़ने में प्रयुक्त रस्सी की कुण्डली रस्सी या रज्जु, रेशों (फाइबर) को ऐंठकर या चोटी-पूरकर (ब्रेडिंग करके) बनायी जाती है जिससे इनकी शक्ति बढ़ जाती है। यांत्रिक दृष्टि से रस्सी में तनाव झेलने की शक्ति (टेंसाइल स्ट्रेंथ) तो होती है किन्तु इसकी कम्प्रेसिव स्ट्रेंथ (दबाव झेलने की शक्ति) नगण्य होती है क्योंकि यह लचीली होती है। इसका दूसरे शब्दों में अर्थ यह है कि खींचने (pulling) के लिये तो इसका प्रयोग किया जा सकता है किन्तु धकेलने (पुशिंग) के लिये नहीं। .

नई!!: घास और रस्सी · और देखें »

राजस्थान के वन्य-जीव अभयारण्य

देश का सबसे अधिक दुर्लभ पक्षी गोडावण है जो राजस्थान के बीकानेर, बाड़मेर और जैसलमेर जिले में अधिक संख्या में मिलता है राजस्थान में तीन राष्ट्रीय उद्यान, २५ वन्य जीव अभ्यारण्य एवं ३३ आखेट निषेद क्षेत्र घोषित किए जा चुके हैं। भारतीय वन्यजीव कानून १९७२ देश के सभी राज्यों में लागू है। राज्य में वन्य प्राणियों के प्राकृतिक आवास को जानने के लिए भू-संरचना के अनुसार प्रदेश को चार मुख्य भागों में बांटा जा सकता है- १ मरुस्थलीय क्षेत्र, २ पर्वतीय क्षेत्र, ३ पूर्वी तथा मैदानी क्षेत्र और ४ दक्षिणी क्षेत्र। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जो कि भरतपुर में स्थित है यह एक राष्ट्रीय उद्यान है अर्थात एक अंतर्राष्ट्रीय पार्क जिसे पक्षियों का स्वर्ग भी कहा जाता है। धार्मिक स्थलों के साथ जुड़े ओरण सदैव ही पशुओं के शरणस्थल रहे हैं केंद्र सरकार द्वारा स्थापित पशु-पक्षियों का स्थल राष्ट्रीय उद्यान व राज्य सरकार द्वारा स्थापित स्थल अभ्यारण्य कहलाता है। .

नई!!: घास और राजस्थान के वन्य-जीव अभयारण्य · और देखें »

रिगली फ़ील्ड

रिगली फ़ील्ड, शिकागो नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह शिकागो कब्स का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और रिगली फ़ील्ड · और देखें »

रग्बी लीग

रग्बी लीग फुटबॉल आम तौर पर रग्बी लीग कहा जाता है, एक पूर्ण संपर्क खेल एक आयताकार घास के मैदान पर तेरह (१३) खिलाड़ियों की दो टीमों द्वारा खेला जाता है। रग्बी फुटबॉल के दो कोड की है कि यह खिलाड़ियों को भुगतान के मुद्दे पर रग्बी फुटबॉल संघ से एक विभाजन के रूप में 1895 में इंग्लैंड में हुआ था।Tony Collins, Rugby League in Twentieth Century Britain (2006), p.3 अपने नियमों में धीरे - धीरे दर्शकों के लिए एक तेज और मनोरंजक खेल के उत्पादन के उद्देश्य के साथ बदल दिया है। यह अक्सर सबसे शारीरिक रूप से टीम के खेल की मांग की है, सबसे मुश्किल के रूप में पेश किया जाता है।इसे 100-मीटर (330 फुट) लंबे और 68-मीटर (224 फुट) चौड़े अंडाकार मैदान पर खेला जाता है, जिसमें प्रत्येक गोल रेखा पे अंग्रेजी वर्णमाला के "H" वर्णाक्षर के आकार के गोल पोस्ट होते हैं। रग्बी लीग इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फ्रांस, टोंगा में सबसे लोकप्रिय खेलों में से है और पापुआ न्यू गिनी में यह राष्ट्रीय खेल है। इस खेल में मौजूदा विश्व कप विजेता न्यूजीलैंड है। .

नई!!: घास और रग्बी लीग · और देखें »

रैमी

'''रीआ''' या 'बोमेरिया नीविया' रैमी (Rammie) रीआ, या रिहा, या चीनी घास एक प्रकार का पौधा है जो अर्टीकेसी (Urticaceae) कुल के बोमेरिया जीनस (Boehmeria Genera) के बोमेरिया निवीया (Boehmeria nivea) के नाम से ज्ञात है। इसके पत्ते नीचे की ओर हिम के समान सफेद होते हैं। पहले यह 'बोमेरिया टिनेसिसिमा' (tenacissima) कहा जाता था जो उष्ण देशों में उपजता था। इसके पत्ते पतले और नीचे ऊपर दोनों ओर हरे होते थे। इन दोनों ही रूपों के लिए भारत में रीआ (असम में रिहा) नाम प्रचलित है। बोमेरिया निवीया झाड़ीदार वर्षानुवर्षी पौधा (herbaceous perennial) होता है। इसकी लम्बाई १ मीटर से ढ़ाई मीटर तक होती है। यह पूर्वी एशिया का देशज है। इसके पत्ते आकार में दंशरोम (Nettle) के पत्तों जैसे होते हैं। पत्तों के पृष्ठ पर मृदुरोम होते हैं, जो चाँदी जैसे चमकते हैं। इसके फूल छोटे एवं हरित भूरे रंग के होते हैं। यह चीन, फारमोसा, जापान और फिलीपीन में अनेक वर्षों से उगाया जा रहा है। अब तो संसार के प्राय: समस्त उष्ण देशों में यह उगाया जाता है। अमरीका में भी इसके उगाने की चेष्टाएँ हुई हैं। बीज से, या कलम से, या जड़ों के विभाजन से पौधा उगाया जाता है। यह तीन से आठ फुट तक ऊँचा होता है। प्रति वर्ष इसकी दो से लेकर चार फसलें तक उपजती हैं। सामान्यत: प्रति एकड़ चार टन के लगभग पैदावार होती है किंतु विशेष ध्यान देने पर इसे और अधिक बढ़ाया जा सकता है। .

नई!!: घास और रैमी · और देखें »

सदिया

सदिया (असमिया: শদিয়া) भारत के असम राज्य के पूर्वोत्तरी भाग में तिनसुकिया ज़िले में अरुणाचल प्रदेश की सीमा के समीप स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है। यह सुतीया राजवंश की तीसरी राजधानी थी और इसकी स्थापना सन् १२४८ में सुतीया वंश के दूसरे राजा, रत्नध्वजपाल, ने की थी। यह सन् १५२४ तक राजधानी रही। यहाँ उस काल के कई खण्डहर मिलते हैं। .

नई!!: घास और सदिया · और देखें »

सारगैसो सागर

सारगैसो सागर सारगैसो सागर (अंग्रेजी:Sargasso Sea) उत्तरी अटलांटिक महासागर में २०° से ४०° उत्तरी अक्षांशों तथा ३५° से ७५° पश्चिमी देशान्तरों के मध्य चारों ओर प्रवाहित होने वाली जलधाराओं के मध्य स्थित शांत एवं स्थिर जल के क्षेत्र को सारगैसो सागर कहा जाता है। यह गल्फ स्ट्रीम,कनारी तथा उत्तरी विषुवतीय धाराओं के चक्र के बीच स्थित शांत जल क्षेत्र है। इसके तट पर मोटी समुद्री घास तैरती है। इस घास को पुर्तगाली भाषा में सारगैसम (Sargassum) कहते हैं,जिसके नाम पर ही इसका नाम सारगैसो सागर रखा गया। .

नई!!: घास और सारगैसो सागर · और देखें »

साइपरेसी

सोनोप्लेक्टस लैकस्ट्रिस (Schoenoplectus lacustris) साइपरेसी (Cyperaceae) घास सदृश शाक का कुल है जिसके पौधे एकबीजपत्री तथा दलदली भूमि में उगते हैं। इस कुल के पौधे मुख्यत: बहुवर्षी होते हैं। साइपरेसी कुल के ८५ वंश और लगभग ३,२०० स्पीशीज ज्ञात हैं। ताड़कुल (Palmae) तथा लिलिएसी (Liliaceae) कुल के बीजों के अंकुरण की तरह साइथरेसी कुल के बीजों का अंकुरण होता है। प्रति वर्ष की नवीन शाखा पिछली पर्वसंधी से संलग्न रहती है। प्राय: तना वायव तथा त्रिभुजी होता है और पत्तियाँ तीन पंक्तियों में रहती हैं। सूक्ष्म पुष्प स्पाइकिका (spikelet) में व्यस्थित रहते हैं। साइपीरस (Cyperus) वंश तथा कैरेक्स या नरइवंश (Carex) के फूल नग्न होते हैं। विरल दशा में ही फूल में छह शल्कवाला परिदलपुंज (perianth) रहता है। परिदलपुंज का प्रतिनिधित्व रोएँ या शूक से होता है। फल में सामान्यत: तीन और कभी-कभी दो पुंकेसर (stamen) होते हैं। स्त्री केसर (pistil) में दो या तीन अंडप होते हैं, जो मिलकर अंडाशय बनाते हैं जिसमें कई वर्तिकाएँ (style) एवं एक बीजांड (ovule) होता है। पुष्प प्राय: एकलिंगी (unisexual) होते हैं और वायु द्वारा परागण होता है। फल में एक बीज होता है तथा इसका छिलका कठोर एवं चर्म सदृश होता है। सपस (Scirpus), रिंगकॉस्पोरा (Rynchospora), साइपीरस तथा कैरेक्स इस कुल के प्रमुख वंश हैं। कैरैक्स वंश के पौधे चटाई बनाने के काम में आते हैं। .

नई!!: घास और साइपरेसी · और देखें »

सिटी फील्ड

सिटी फील्ड, न्यूयॉर्क नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह न्यूयॉर्क मेट्स का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और सिटी फील्ड · और देखें »

सिटीजनस बैंक पार्क

सिटीजनस बैंक पार्क, फिलाडेल्फिया नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह फिलाडेल्फिया फ़िलीज़ का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और सिटीजनस बैंक पार्क · और देखें »

स्तॅपी

मंगोलिया में स्तॅपी पर लगे खेमे बसंत के मौसम में रूस के इलोवलिंसकी ज़िले में स्तॅपी की घास में खिले जंगली फूल मंगोलियाई स्तॅपी में अश्वधावन स्तॅप, स्तॅपी या स्टेपी (अंग्रेज़ी: steppe, रूसी: степь) यूरेशिया के समशीतोष्ण (यानि टॅम्प्रेट) क्षेत्र में स्थित विशाल घास के मैदानों को कहा जाता है। यहाँ पर वनस्पति जीवन घास, फूस और छोटी झाड़ों के रूप में अधिक और पेड़ों के रूप में कम देखने को मिलता है। यह पूर्वी यूरोप में युक्रेन से लेकर मध्य एशिया तक फैले हुए हैं। स्तॅपी क्षेत्र का भारत और यूरेशिया के अन्य देशों के इतिहास पर बहुत गहरा प्रभाव रहा है। ऐसे घासदार मैदान दुनिया में अन्य स्थानों में भी मिलते हैं: इन्हें यूरेशिया में "स्तॅपी", उत्तरी अमेरिका में "प्रेरी" (prairie), दक्षिण अमेरिका में "पाम्पा" (pampa) और दक्षिण अफ़्रीका में "वॅल्ड" (veld) कहा जाता है। स्तॅपी में तापमान ग्रीष्मऋतु में मध्यम से गरम और शीतऋतु में ठंडा रहता है। गर्मियों में दोपहर में तापमान ४० °सेंटीग्रेड और सर्दियों में रात को तापमान -४० °सेंटीग्रेड तक जा सकता है। कुछ क्षेत्रों में दिन और रात के तापमान में भी बहुत अंतर होता है: मंगोलिया में एक ही दिन में सुबह के समय ३० °सेंटीग्रेड और रात के समय शून्य °सेंटीग्रेड तक तापमान जा सकता है। अलग-अलग स्तॅपी इलाक़ों में भिन्न मात्राओं में बर्फ़ और बारिश पड़ती है। कुछ क्षेत्र बड़े शुष्क हैं जबकि अन्य भागों में सर्दियों में भारी बर्फ़ पड़ती है। .

नई!!: घास और स्तॅपी · और देखें »

सैन सिरो

स्टेडियो गिउसेप्पे मेअज़्ज़ा, सामान्यतः सैन सिरो के रूप में जाना, मिलान, इटली में सैन सिरो जिले में स्थित एक फुटबॉल स्टेडियम है। यह एसी मिलान और इंटर मिलान दोनों का घर है। मार्च 1980 3 पर, स्टेडियम ग्यूसेप मेअज़्ज़ा के सम्मान में नामित किया गया था, दो बार के विश्व कप विजेता (1934, 1938) जो इंटरनेजियोनल के लिए खेले और संक्षेप में मिलान के लिए, 1930 के दशक और 1940 के दशक में। हालांकि एक फुटबॉल स्टेडियम, लेकिन यह स्टेडियम कभी कभी रग्बी यूनियन मैचों के लिए इस्तेमाल किया गया है। .

नई!!: घास और सैन सिरो · और देखें »

सैंटियागो बर्नबू स्टेडियम

एस्तदिओ सैंटियागो बर्नबू मैड्रिड, स्पेन में स्थित फुटबॉल स्टेडियम है। इसका उद्घाटन १४ दिसम्बर १९४७ को किया गया। यह रियल मैड्रिड के स्वामित्व में है। इसकी वर्तमान क्षमता 81.044 दर्शकों की है। रियल मैड्रिड के पूर्व अध्यक्ष सैंटियागो बर्नबू के सम्मान में नामकरण किया गया सैंटियागो बर्नबू स्टेडियम दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित फुटबॉल मैदानों में से एक है। यह चार बार अंतिम यूरोपीय कप की मेजबानी कर चुका है: 1957, 1969, 1980 और 2010 में यूईएफए चैंपियंस लीग फाइनल। 1964 यूरोपीय राष्ट्र कप और 1982 फीफा विश्व कप का फाइनल मैच भी यहीं आयोजित किया गया था। सैंटियागो बर्नबू स्टेडियम केवल कैम्प नोऊ, प्रतिद्वंद्वी बार्सिलोना के घरेलू मैदान के बाद स्पेन का दूसरा सबसे बड़ा स्टेडियम है। यह कैम्प नोऊ और वेम्बली स्टेडियम के पीछे यूरोप का तीसरा सबसे बड़ा स्टेडियम है। .

नई!!: घास और सैंटियागो बर्नबू स्टेडियम · और देखें »

सूखी घास

घास, शाकीय पौधों या शिंबी पादपों को काटने के बाद सुखाकर पशुओं के चारे के रूप में उपयोग के किये भण्डारित किया जाता है। इसे ही सूखी घास (हे / hay) कहते हैं। .

नई!!: घास और सूखी घास · और देखें »

सेफ़िको फ़ील्ड

सेफ़िको फ़ील्ड, सीऐटल नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह सीऐटल मैरीनेर्स का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और सेफ़िको फ़ील्ड · और देखें »

हँसिया

धान काटते समय एक स्त्री अपने हंसियों की धार पतली कर रही है (उत्तराखण्ड) सिर पर चारा और हाथ में हंसिया लिये घर लौटती केरल की एक स्त्री हँसिया (sickle) हाथ से पकड़कर फसल एवं घास आदि काटने के काम आने वाला कृषि उपकरण है। .

नई!!: घास और हँसिया · और देखें »

हेसल स्टेडियम

किंग बौदोउइन् स्टेडियम' (Stade Roi Baudouin, Koning Boudewijnstadion) उत्तर पश्चिम ब्रुसेल्स, बेल्जियम में एक खेल मैदान है। यह 23 अगस्त 1930 पर उद्घाटन किया गया। युवराज लियोपोल्ड उद्घाटन समारोह में भाग लिया था। स्टेडियम हेसल स्टेडियम दुर्घटना के लिए जाना जाता है, जिसमें 39 लोगों को एक फुटबॉल के दौरान मृत्यु हो गई थी। इस का कारण खराब रखरखाव स्टेडियम था जो सचमुच ढहते था, दोनों टीमों के प्रशंसकों के बीच और अचानक उपद्रवी हिंसा। .

नई!!: घास और हेसल स्टेडियम · और देखें »

ज्वार

ज्वार ज्वार के दाने ज्वार (Sorghum vulgare; संस्कृत: यवनाल, यवाकार या जूर्ण) एक प्रमुख फसल है। ज्वार कम वर्षा वाले क्षेत्र में अनाज तथा चारा दोनों के लिए बोई जाती हैं। ज्वार जानवरों का महत्वपूर्ण एवं पौष्टिक चारा हैं। भारत में यह फसल लगभग सवा चार करोड़ एकड़ भूमि में बोई जाती है। यह खरीफ की मुख्य फसलों में है। यह एक प्रकार की घास है जिसकी बाली के दाने मोटे अनाजों में गिने जाते हैं। .

नई!!: घास और ज्वार · और देखें »

घरेलू गौरैया

घरेलू गौरैया (पासर डोमेस्टिकस) एक पक्षी है जो यूरोप और एशिया में सामान्य रूप से हर जगह पाया जाता है। इसके अतिरिक्त पूरे विश्व में जहाँ-जहाँ मनुष्य गया इसने उनका अनुकरण किया और अमरीका के अधिकतर स्थानों, अफ्रीका के कुछ स्थानों, न्यूज़ीलैंड और आस्ट्रेलिया तथा अन्य नगरीय बस्तियों में अपना घर बनाया। शहरी इलाकों में गौरैया की छह तरह ही प्रजातियां पाई जाती हैं। ये हैं हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसेट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो। इनमें हाउस स्पैरो को गौरैया कहा जाता है। यह शहरों में ज्यादा पाई जाती हैं। आज यह विश्व में सबसे अधिक पाए जाने वाले पक्षियों में से है। लोग जहाँ भी घर बनाते हैं देर सबेर गौरैया के जोड़े वहाँ रहने पहुँच ही जाते हैं। .

नई!!: घास और घरेलू गौरैया · और देखें »

घास

घास का मैदान घास घास (grass) एक एकबीजपत्री हरा पौधा है। इसके प्रत्येक गाँठ से रेखीय पत्तियाँ निकलती हुई दिखाई देती हैं। साधारणतः यह कमजोर, शाखायुक्त, रेंगनेवाला पौधा है। बाँस, मक्का तथा धान के पौधे भी घास ही हैं। .

नई!!: घास और घास · और देखें »

घासभूमि

घासभूमि या विहारभूमि या चमनज़ार ऐसे विस्तृत क्षेत्र को कहते हैं जहाँ दूर-दूर तक घास और छोटे झाड़ फैले हुए हों। ऐसी जगहों पर जहाँ-तहाँ वृक्ष भी हो सकते हैं लेकिन भूमि के अधिकतर हिस्से पर घास ही बिछी हुई होती है। अंटार्कटिका को छोड़कर घासभूमियाँ हर महाद्वीप पर पाई जाती हैं और अक्सर स्थानीय नामों से जानी जाती हैं। दक्षिणी अफ़्रीका में इसे 'वॅल्ड', उप-सहारवी अफ़्रीका में 'सवाना', यूरोप व एशिया में 'स्तेपी', उत्तर अमेरिका में 'प्रेरी' और दक्षिण अमेरिका में 'पाम्पास' के नाम से जाना जाता है।, Buffy Silverman, pp.

नई!!: घास और घासभूमि · और देखें »

घोंसला

टोकरी के आकार का घोंसला घोंसला एक प्राणी विशेष तौर पर एक पक्षी का शरण स्थल है जहां पर यह अंडे देते हैं, रहते हैं और अपनी संतानो को पालते हैं। एक घोंसला आमतौर पर कार्बनिक सामग्री जैसे टहनी, घास और पत्ती; आदि से बना होता है पर, कभी कभी यह जमीन में एक गड्ढा़, पेड़ का कोटर, चट्टान या इमारत में छेद के रूप मे भी हो सकता है। मानव निर्मित धागे, प्लास्टिक, कपड़े, बाल या कागज जैसे पदार्थों का इस्तेमाल भी प्राणी घोंसला बनाने मे करते हैं। आमतौर पर प्रत्येक प्रजाति के घोंसले की एक विशिष्ट शैली होती है। घोंसलों को कई अलग अलग पर्यावासों में पाया जा सकता है। यह् मुख्यतः पक्षियों द्वारा बनाये जाते हैं पर स्तनधारी जन्तु (जैसे गिलहरी), मछली, कीट और सरीसृप भी घोंसलों का निर्माण करते हैं। .

नई!!: घास और घोंसला · और देखें »

खींप

खींप जिसका वानस्पतिक नाम (लेप्टाडेनिया पाइरोटेकनिका/Leptadenia pyrotechnica) होता है यह एक रेगिस्तानी आयुर्वेदिक अर्थात एक प्रकार की घास होती है जो विशेष रूप से राजस्थान के रेगिस्तानी हिस्सों में ही पाई जाती है इसे पंजाबी में खीप कहते हैं खींप का कूटने से में जो पानी निकलता है वो पानी अर्थात इसका रस शरीर के लिए काफी नुकसानदेह होता है इससे शरीर पर खुजली हो जाती है राजस्थान में खींप के सूखने के पश्चात झोंपड़ा बनाने में तथा झाड़ू बनाने में काफी हद तक प्रयोग किया जाता है। .

नई!!: घास और खींप · और देखें »

गाजर घास

गाजर घास गाजर घास या 'चटक चांदनी' (Parthenium hysterophorus) एक घास है जो बड़े आक्रामक तरीके से फैलती है। यह एकवर्षीय शाकीय पौधा है जो हर तरह के वातावरण में तेजी से उगकर फसलों के साथ-साथ मनुष्य और पशुओं के लिए भी गंभीर समस्या बन जाता है। इस विनाशकारी खरपतवार को समय रहते नियंत्रण में किया जाना चाहिए। गाजर घास का उपयोग अनेक प्रकार के कीटनाशक, जीवाणुनाशक और खरपतवार नाशक दवाइयों के र्निमाण में किया सकता है। इसकी लुग्दी से विभिन्न प्रकार के कागज तैयार किये जा सकते हैं। बायोगैस उत्पादन में भी इसको गोबर के साथ मिलाया जा सकता है। .

नई!!: घास और गाजर घास · और देखें »

ग्रेट अमेरिकन बॉल पार्क

ग्रेट अमेरिकन बॉल पार्क, सिनसिनाटी नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह सिनसिनाटी रेड्स का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और ग्रेट अमेरिकन बॉल पार्क · और देखें »

ग्लोब लाइफ पार्क अर्लिंगटन

ग्लोब लाइफ पार्क अर्लिंगटन, अर्लिंगटन नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह टॅक्सस रेंजर्स का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और ग्लोब लाइफ पार्क अर्लिंगटन · और देखें »

गोडावण

राजस्थान का राज्य-पक्षी: गोडावण गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड; वैज्ञानिक नाम: Ardeotis nigriceps) एक बड़े आकार का पक्षी है जो भारत के राजस्थान तथा सीमावर्ती पाकिस्तान में पाया जाता है। उड़ने वाली पक्षियों में यह सबसे अधिक वजनी पक्षियों में है। बड़े आकार के कारण यह शुतुरमुर्ग जैसा प्रतीत होता है। यह राजस्थान का राज्य पक्षी है। सोहन चिड़िया, हुकना, गुरायिन आदि इसके अन्य नाम हैं। यह पक्षी भारत और पाकिस्तान के शुष्क एवं अर्ध-शुष्क घास के मैदानों में पाया जाता है। पहले यह पक्षी भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा एवं तमिलनाडु राज्यों के घास के मैदानों में व्यापक रूप से पाया जाता था। किंतु अब यह पक्षी कम जनसंख्या के साथ राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और संभवतः मध्य प्रदेश राज्यों में पाया जाता है। IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों पर प्रकाशित होने वाली लाल डाटा पुस्तिका में इसे 'गंभीर रूप से संकटग्रस्त' श्रेणी में तथा भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 में रखा गया है। इस विशाल पक्षी को बचाने के लिए राजस्थान सरकार ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया था। इस प्रोजेक्ट का विज्ञापन "मेरी उड़ान न रोकें" जैसे मार्मिक वाक्यांश से किया गया है। भारत सरकार के वन्यजीव निवास के समन्वित विकास के तहत किये जा रहे 'प्रजाति रिकवरी कार्यक्रम (Species Recovery Programme)' के अंतर्गत चयनित 17 प्रजातियों में गोडावण भी सम्मिलित है। यह जैसलमेर के मरू उद्यान, सोरसन (बारां) व अजमेर के शोकलिया क्षेत्र में पाया जाता है। यह पक्षी अत्यंत ही शर्मिला है और सघन घास में रहना इसका स्वभाव है। यह पक्षी 'सोन चिरैया', 'सोहन चिडिया' तथा 'शर्मिला पक्षी' के उपनामों से भी प्रसिद्ध है। गोडावण का अस्तित्व वर्तमान में खतरे में है तथा इनकी बहुत कम संख्या ही बची हुई है अर्थात यह प्रजाति विलुप्ति की कगार पर है। यह सर्वाहारी पक्षी है। इसकी खाद्य आदतों में गेहूँ, ज्वार, बाजरा आदि अनाजों का भक्षण करना शामिल है किंतु इसका प्रमुख खाद्य टिड्डे आदि कीट है। यह साँप, छिपकली, बिच्छू आदि भी खाता है। यह पक्षी बेर के फल भी पसंद करता है। राजस्थान में अवस्थित राष्ट्रीय मरु उद्यान में गोडावण की घटती संख्या को बढ़ाने के लिये आगामी प्रजनन काल में सुरक्षा के समुचित प्रबंध किए गए हैं।; राष्ट्रीय मरु उद्यान (डेज़र्ट नेशनल पार्क) 3162 वर्ग किमी.

नई!!: घास और गोडावण · और देखें »

ओरियल पार्क एत कैमडेन यार्ड्स

ओरियल पार्क एत कैमडेन यार्ड्स, बाल्टीमोर शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह बाल्टीमोर ओरिओल्स का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और ओरियल पार्क एत कैमडेन यार्ड्स · और देखें »

ओकलैंड-अल्मिडा काउंटी कोलिज़ियम

ओकलैंड-अल्मिडा काउंटी कोलिज़ियम, ओकलैंड नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह ओकलैंड एथलेटिक्स का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और ओकलैंड-अल्मिडा काउंटी कोलिज़ियम · और देखें »

काग़ज़

कागज का पुलिन्दा चीन में कागज का निर्माण कागज एक पतला पदार्थ है जिस पर लिखा या प्रिन्ट किया जाता है। कागज मुख्य रूप से लिखने और छपाई के लिए प्रयुक्त होता है। यह वस्तुओं की पैकेजिंग करने के काम भी आता है। मानव सभ्यता के विकास में कागज का बहुत बड़ा योगदान है। गीले तन्तुओं (फाइबर्स्) को दबाकर एवं तत्पश्चात सुखाकर कागज बनाया जाता है। ये तन्तु प्राय: सेलुलोज की लुगदी (पल्प) होते हैं जो लकड़ी, घास, बांस, या चिथड़ों से बनाये जाते हैं। पौधों में सेल्यूलोस नामक एक कार्बोहाइड्रेट होता है। पौधों की कोशिकाओं की भित्ति सेल्यूलोज की ही बनी होतीं है। अत: सेल्यूलोस पौधों के पंजर का मुख्य पदार्थ है। सेल्यूलोस के रेशों को परस्पर जुटाकर एकसम पतली चद्दर के रूप में जो वस्तु बनाई जाती है उसे कागज कहते हैं। कोई भी पौधा या पदार्थ, जिसमें सेल्यूलोस अच्छी मात्रा में हो, कागज बनाने के लिए उपयुक्त हो सकता है। रुई लगभग शुद्ध सेल्यूलोस है, किंतु कागज बनाने में इसका उपयोग नहीं किया जाता क्योंकि यह महँगी होती है और मुख्य रूप से कपड़ा बनाने के काम में आती है। परस्पर जुटकर चद्दर के रूप में हो सकने का गुण सेल्यूलोस के रेशों में ही होता है, इस कारण कागज केवल इसी से बनाया जा सकता है। रेशम और ऊन के रेशों में इस प्रकार परस्पर जुटने का गुण न होने के कारण ये कागज बनाने के काम में नहीं आ सकते। जितना अधिक शुद्ध सेल्यूलोस होता है, कागज भी उतना ही स्वच्छ और सुंदर बनता है। कपड़ों के चिथड़े तथा कागज की रद्दी में लगभग शतप्रतिशत सेल्यूलोस होता है, अत: इनसे कागज सरलता से और अच्छा बनता है। इतिहासज्ञों का ऐसा अनुमान है कि पहला कागज कपड़ों के चिथड़ों से ही चीन में बना था। पौधों में सेल्यूलोस के साथ अन्य कई पदार्थ मिले रहते हैं, जिनमें लिग्निन और पेक्टिन पर्याप्त मात्रा में तथा खनिज लवण, वसा और रंग पदार्थ सूक्ष्म मात्राओं में रहते हैं। इन पदार्थों को जब तक पर्याप्त अंशतक निकालकर सूल्यूलोस को पृथक रूप में नहीं प्राप्त किया जाता तब तक सेल्यूलोस से अच्छा कागज नहीं बनाया जा सकता। लिग्निन का निकालना विशेष आवश्यक होता है। यदि लिग्निन की पर्याप्त मात्रा में सेल्यूलोस में विद्यमान रहती है तो सेल्यूलोस के रेशे परस्पर प्राप्त करना कठिन होता है। आरंभ में जब तक सेल्यूलोस को पौधों से शुद्ध रूप में प्राप्त करने की कोई अच्छी विधि ज्ञात नहीं हो सकी थी, कागज मुख्य रूप से फटे सूती कपड़ों से ही बनाया जाता था। चिथड़ों तथा कागज की रद्दी से यद्यपि कागज बहुत सरलता से और उत्तम कोटि का बनता है, तथापि इनकी इतनी मात्रा का मिल सकना संभव नहीं है कि कागज़ की हामरी पूरी आवश्यकता इनसे बनाए गए कागज से पूरी हो सके। आजकल कागज बनाने के लिए निम्नलिखित वस्तुओं का उपयोग मुख्य रूप से होता है: चिथड़े, कागज की रद्दी, बाँस, विभिन्न पेड़ों की लकड़ी, जैसे स्प्रूस और चीड़, तथा विविध घासें जैसे सबई और एस्पार्टो। भारत में बाँस और सबई घास का उपयोग कागज बनाने में मुख्य रूप से होता है। .

नई!!: घास और काग़ज़ · और देखें »

क्षुपभूमि

क्षुपभूमि (scrubland) किसी ऐसे भूक्षेत्र को कहा जाता है जहाँ के वनस्पतियों में क्षुपों (यानि झाड़ियों) प्रधान हो। अक्सर ऐसे इलाक़ों में घास, बूटियाँ और जड़प्रधान पौधे (जिनकी जड़ें में ऊर्जा जमा करी जाने से वह मोटी हो जाती हैं, मसलन अदरक) भी विस्तृत होते हैं। क्षुपभूमि प्राकृतिक होती है या फिर मानवीय गतिविधियों के कारण भी बन सकती है। कभी-कभी वन में आग लगने के कारण वृक्ष जल जाते हैं और कुछ वर्षों के काल के लिये यहाँ क्षुप ही फैले हुए होते हैं जिसके बाद धीरे-धीरे पेड़ों के बढ़ने से यह फिर से क्षुपभूमि से परिवर्तित होकर वन बन जाती है। अगर समय-समय पर प्राकृतिक कारणों से अग्नि का प्रकोप हो तो ऐसे स्थान स्थायी रूप से भी क्षुपभूमि बने रह सकते हैं। .

नई!!: घास और क्षुपभूमि · और देखें »

कूर्स फील्ड

कूर्स फील्ड, डॅनवर नगर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह कोलोराडो रॉकीज़ का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और कूर्स फील्ड · और देखें »

कॉफ़मैन स्टेडियम

कॉफ़मैन स्टेडियम, कैनसस सिटी शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह कैनसस सिटी रॉयल्स का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और कॉफ़मैन स्टेडियम · और देखें »

कोमेरिका पार्क

कोमेरिका पार्क, डेट्राइट शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित एक बेसबॉल स्टेडियम है। यह डेट्रायट टाइगर्स का घरेलू मैदान है। .

नई!!: घास और कोमेरिका पार्क · और देखें »

अफ़्रीकान्स भाषा

अफ़्रीकांस भाषा स्मारक अफ़्रीकांस भाषा एक दक्षिणी फ़्रांकोनीयाई भाषा है जो दक्षिण अफ़्रीका में बोली जाती है। .

नई!!: घास और अफ़्रीकान्स भाषा · और देखें »

उड़ानपट्टी

FAA विमानक्षेत्र का मानचित्र, ओ’हारे विमानक्षेत्र पर, बाएं से उड़ानपट्टी 14/32 ढाल नीचे, उड़ानपट्टी 4/22 ढाल ऊपर, एवं उड़ान पट्टी 9/27 तथा 10/28 क्षैतिज चेन्नई विमानक्षेत्र की हवाई चित्र उड़ानपट्टी (RWY या रनवे) विमानक्षेत्र में एक भूमी की पट्टी होती है, जिस पर विमान उड़ान भर (टेक ऑफ) और अवतरण (लैंडिंग) कर सकते हैं। इसके अलावा अनेकों युद्धाभ्यास भी करते हैं। रनवे मानव निर्मित भी हो सकती है और प्राकृतिक भी। मानव निर्मित रनवे की सतह प्रायः अस्फाल्ट या कांक्रीट से या दोनो के मिश्रण से बनी होती है। प्राकृतिक रनवे की सतह घास, पक्की मिट्टी इत्यादि की हो सकती है। .

नई!!: घास और उड़ानपट्टी · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

दूब

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »