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ख़्वाजा नज़ीमुद्दीन

सूची ख़्वाजा नज़ीमुद्दीन

खवजा नज़ीमुद्दीन (१९ जुलाई १८९४-२२ अक्टोबर १९६४) पाकिस्तान के दूसरे गवनर जेर्नल थे। बाद में वो पाकिस्तान के दूसरे प्रधानमंत्री भी बने। .

5 संबंधों: पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों की सूची, पाकिस्तान अधिराज्य, भारत के गवर्नर जनरलों की सूची, जोगेन्द्र नाथ मंडल, इस्कंदर मिर्ज़ा

पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों की सूची

नवाज़ शरीफ़- पाकिस्तान के प्रधानमंत्री- 5 जून 2013 से 1 अगस्त 2017 तक। वर्तमान में,1 अगस्त 2017 से शाहिद खान अब्बासी पाकिस्तान के अंतरिम प्रधानमंत्री हैं। पाकिस्तान के प्रधान मन्त्री .

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पाकिस्तान अधिराज्य

पाकिस्तानी अधिराज्य (ﻣﻤﻠﮑﺖِ ﭘﺎﮐﺴﺘﺎﻥ., मुम्लिक़ात्'ए पाकिस्तान; পাকিস্তান অধিরাজ্য, पाकिस्तान ओधिराज्जो) नवनिर्मित देश, पाकिस्तान की स्वायत्त्योपनिवेशिय अवस्था थी। इस शासनप्रणाली के तहत पाकिस्तान को भारत विभाजन के बाद, ब्रिटिश साम्राज्य का एक स्वशासित व स्वतंत्र इकाइ(अधिराज्य) के रूप मे स्थापित किया गया था। पाकिस्तानी अधिराज्य की स्थापना भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम १९४७ के तहत ब्रिटिश भारत के विभाजन के बाद तथाकथित तौर पर भारतिय उपमहाद्वीप की मुस्लिम आबादी के लिए हुआ था। एसकी कुल भूभाग मौजूदा इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान व बांग्लादेश के बराबर थी। 1956 में पाकिस्तान का पहला संविधान के लागू होने के साथ ही "पाकिस्तान अधिराज्य" की विस्थापना हो गई जब अधिराजकिय राजतांत्रिक व्यवस्था को इस्लामिक गणराज्य से बदल दिया गया। इस व्यवस्था के तहत पाकिस्तान ब्रिटिश हुक़ूमत से स्वतंत्र हो गया एवं ब्रिटिश राष्ट्रमंडल का हिस्सा होने के नाते अन्य ब्रिटिश स्वायत्त्योपनिवेशों की ही तरह, ब्रिटेन के राजा(ततकालीन जार्ज षष्ठम) को पाकिस्तान के राजा का प्रभार भी सौंप दिया गया, हालांकी, (तथ्यस्वरूप) पाकिस्तान के राजा का लग-भग सारा संवैधानिक व कार्याधिकार पाकिस्तान में उनके प्रतिनिधी पाकिस्तान के महाराज्यपाल (गवर्नर-जनरल) के अधिकार में था। ऐसी व्यवस्था सारे ब्रिटिश-स्वायत्त्योपनिवेशों में रहती है। पाकिस्तान अधिराज्य कुल 9 सालों तक, १९४७ से १९५६ तक अस्तित्व में रहा था, जिस बीच 4 महाराज्यपालों की नियुक्ती हुई थी। भारत विभाजन व स्वतंत्रता के बाद संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटिश भारत की सदस्यता भारतीय अधिराज्य को दे दी गई जबकी पाकिस्तान ने नई सदस्यता प्राप्त की। .

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भारत के गवर्नर जनरलों की सूची

भारत के गवर्नर जनरल (या, 1857 से 1947 तक, भारत के वायसराय और गवर्नर जनरल) भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश राज का प्रधान पद था। यह सूची भारत और पाकिस्तान के आजादी से पहले के सभी वायसराय और गवर्नर-जनरल, भारतीय संघ के दो गवर्नर-जनरल और पाकिस्तानी अधिराज्य के चार गवर्नर-जनरल को प्रदर्शित करती है। गवर्नर जनरल ऑफ द प्रेसीडेंसी ऑफ फोर्ट विलियम के शीर्षक के साथ इस कार्यालय को 1773 में सृजित किया गया था। 1947 में जब भारत और पाकिस्तान को आजादी मिली तब वायसराय की पदवी को हटा दिया गया, लेकिन दोनों नई रियासतों में गवर्नर-जनरल के कार्यालय को तब तक जारी रखा गया जब तक उन्होंने क्रमशः 1950 और 1956 में गणतंत्र संविधान को अपनाया.

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जोगेन्द्र नाथ मंडल

जोगेन्द्र नाथ मंडल पाकिस्तान के आधुनिक राज्य के मध्य और प्रमुख संस्थापक पिता में से एक थे, और देश के पहले कानून मंत्री और श्रमिक के रूप में सेवा करने वाले विधायक थे और यह राष्ट्रमंडल और कश्मीर मामलों के दूसरे मंत्री भी थे। एक भारतीय और बाद में पाकिस्तानी नेता जो पाकिस्तान में कानून और श्रम के पहले मंत्री थे। अनुसूचित जातियों (दलितों) के नेता के रूप में, जोगेंद्रनाथ ने मुस्लिम लीग के साथ पाकिस्तान के लिए अपनी मांग के साथ आम कारण बना दिया था, उम्मीद करते थे कि अनुसूचित जातियों को इसके लाभ मिलेगा और पाकिस्तान के पहले कैबिनेट में शामिल हो गए थे। कानून और श्रम पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमन्त्री लियाकत अली खान को अपना इस्तीफा देने के बाद पाकिस्तान के विभाजन के कुछ सालों बाद वह भारत में आकर चले गए, पाकिस्तानी प्रशासन के कथित हिंदू-विरोधी पूर्वाग्रह का हवाला देते हुए। .

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इस्कंदर मिर्ज़ा

सैयद इस्कंदर अली मिर्ज़ा, (१३ नवंबर १८९९-१३ नवंबर १९६९) पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति(१९५६-१९५८ तक) और अंतिम गवर्नर-जनरल थे। उनका गवर्नर-जनरल का कार्यकाल १९५५ से १९५६ तक था। वे मीर ज़फ़र के प्रपौत्र थे। वे पाकिस्तानी सेना में मेजर-जनरल के पद तक पहुंचे थे। पाकिस्तान की आज़ादी के बाद, वे पाकिस्तान के पहले रक्षा सचिव नियुक्त किये गए थे, जोकि एक अत्यंत महह्वपूर्ण औदा था। उनके कार्यकाल में उन्होंने बलोचिस्तान की समस्या और प्रथम भारत-पाकिस्तान युद्ध की सरपरस्ती की थी। साथ ही पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली भाषा आंदोलन से आई समस्या की भी उन्होंने निगरानी की थी। पाकिस्तान में एक इकाई व्यवस्था लागु करने में उनका महत्वपूर्ण स्थान था, और उसके लागु होने के बाद, उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री ख़्वाजा नज़ीमुद्दीन द्वारा पूर्वी पाकिस्तान का राज्यपाल भी नियुक्त किया गया था। १९५५ में वे मालिक ग़ुलाम मुहम्मद के उत्तराधिकारी के रूप में पाकिस्तान के अगले गवर्नर-जनरल नियुक्त हुए। १९५६ के संविधान के परवर्तन के बाद, उन्हें पाकिस्तान का पहला राष्ट्रपति नियुक्त किया गया। उनका राष्ट्रपतित्व अत्यंत राजनैतिक अस्थिरता का पात्र रहा, और दो वर्षों के कल में ही चार प्रधानमंत्रीयों को बदला गया। अंत्यतः उन्होंने पाकिस्तान में सैन्य शासन लागु कर दिया। इसी के साथ मिर्ज़ा ने पाकिस्तान की राजनीति में सैन्य दखलंदाज़ी का प्रारंभ किया, जब उन्होंने अपने सेना प्रमुख अयूब खान को मुख्य सैन्य शासन प्रशासक नियुक्त किया। इस सैन्य शासन के दौरान, पाकिस्तानी सेना और व्यवस्थापिका के बीच बढ़ते मुठभेड़ के कारण बिगड़े हालातों के बाद, सैन्य शासन लागु होने के 20 दिनों के बाद ही अयूब खान ने राष्ट्रपतित्व से हटा दिया और देश से निष्काषित कर दिया। देश-निष्कासन के बाद वे लंदन चले गए, जहाँ उनकी मृत्यु १९६९ को हुई। मृत्यु के बाद, उनके शव को पाकिस्तान लाने से इनकार कर दिया गया, और अन्यतः उन्हें तेहरान में दफ़नाया गया। .

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