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ख़ुर्द और कलाँ

सूची ख़ुर्द और कलाँ

ख़ुर्द और कलाँ फ़ारसी भाषा के शब्द हैं जो हिन्दी में और भारतीय उपमहाद्वीप में कई सन्दर्भों में पाए जाते हैं, विशेषकर जगहों के नामों में। "ख़ुर्द" का मतलब "छोटा" होता है और "कलाँ" का मतलब बड़ा होता है। इन नामों को मुग़लिया ज़माने से प्रयोग किया जा रहा है। छोटी आबादी वाले गांवों-कस्बों के पीछे खुर्द शब्द लगाया गया। फ़ारसी के इस शब्द का अर्थ होता है छोटा। यह खुर्द संस्कृत के क्षुद्र से ही बना है जिसमें लघु, छोटा या सूक्ष्मता का भाव है। देश भर में खुर्द धारी गांवों की तादाद हजारों में है। इसी तरह कई गांवों के साथ कलां शब्द जुड़ा मिलता है जैसे कोसी कलां , बामनियां कलां । जिस तरह खुर्द शब्द छोटे या लघु का पर्याय बना उसी तरह कलां शब्द बड़े या विशाल का पर्याय बना। कलां का प्रयोग लगभग उसी अर्थ में होता था जैसे भारत के लिए प्राचीनकाल में बृहत्तर भारत शब्द का प्रयोग होता था जिसमें बर्मा से लेकर ईरान तक का समूचा भूक्षेत्र आता था।  हालांकि किसी यात्रावृत्त में हिन्दुस्तान कलां जैसा शब्द नहीं मिलता।  ग्रेटर ब्रिटेन की बात चलती थी तो उसके उपनिवेशों का संदर्भ निहित होता था। इसी तरह कलां शब्द की अर्थवत्ता भी ग्रामीण आबादियों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। कलां मूलतः फ़ारसी  का शब्द है जिसका मतलब होता है वरिष्ठ, बड़ा, दीर्घ या विशाल। वैसे इसकी व्युत्पत्ति अज्ञात है। कुछ संदर्भों में इसे सेमेटिक भाषा परिवार का बताया जाता है और इसे ईश्वर की महानता से जोड़ा जाता है। कलां की अर्थवत्ता के आधार पर यह ठीक है मगर इसकी पुष्टि किसी सेमेटिक धातु से नहीं होती। कलां शब्द का प्रयोग सिर्फ स्थानों का रुतबा बताने के लिए ही नहीं होता था बल्कि व्यक्तियों के नाम भी होते थे जैसे मिर्जा कलां या अमीर कलां अल बुखारी जिसका मतलब बुखारा का महान अमीर होता है। जाहिर है यहां कलां शब्द का अर्थ महान है।   मुस्लिम शासनकाल में बसाहटों के नामकरण की महिमा यहीं खत्म नहीं होती। कई गांवों के नामों के साथ बुजुर्ग शब्द लगा मिलता है जैसे सोनपिपरी बुजुर्ग । जाहिर है हमनाम गांव से फर्क करने के लिए एक बसाहट को वरिष्ठ मानते हुए उसके आगे बुजुर्ग लगा दिया गया और दूसरा हुआ सोनपिपरी खुर्द । ऐसी कई ग्रामीण बस्तियां हजारों की संख्या में हैं। इसी तरह किसी गांव के विशिष्ट दर्जे को देखते हुए उसके साथ जागीर शब्द लगा दिया जाता था। इसका अर्थ यह हुआ कि सालाना राजस्व वसूली से उस गांव का हिस्सा सरकारी ख़जाने में नहीं जाएगा अथवा उसे आंशिक छूट मिलेगी। मुग़लों के दौर में प्रभावी व्यक्तियों को अथवा पुरस्कार स्वरूप सामान्य वर्ग के लोगो को भी गांव जागीर में दिये जाते थे। मगर उसी नाम के अन्य गांवों से फ़र्क करने के लिए नए बने जागीरदार उसके आगे जागीर जोड़ देते थे जैसे हिनौतियाऔर हिनौतिया जागीर । .

10 संबंधों: चनरा-खुर्द गाँव, सहकुंड (भागलपुर), चंद्र-खुर्द गाँव, सहकुंड (भागलपुर), दरीबा कलाँ, भीड़-खुर्द गाँव, सुलतानगंज (भागलपुर), मानिकपुर-खुर्द गाँव, सहकुंड (भागलपुर), रामपुर-कलान गाँव, जमालपुर (मुंगेर), लोदीपुर-कलान गाँव, सबौर (भागलपुर), शुग़नी भाषा, सरिकोली भाषा, आनंदपुर-खुर्द गाँव, सहकुंड (भागलपुर)

चनरा-खुर्द गाँव, सहकुंड (भागलपुर)

चनरा-खुर्द सहकुंड, भागलपुर, बिहार स्थित एक गाँव है। .

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चंद्र-खुर्द गाँव, सहकुंड (भागलपुर)

चंद्र-खुर्द सहकुंड, भागलपुर, बिहार स्थित एक गाँव है। .

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दरीबा कलाँ

दरीबा कलाँ दिल्ली के चाँदनी चौक के पास एक ऐतिहासिक मोहल्ला है। मुग़लों के ज़माने से ही यहाँ ज़ेवरों की दुकाने रही हैं। सोने, चांदी, हीरे और मोती के आभूषणों के लिए तो यह बाज़ार प्रसिद्ध है ही लेकिन यहाँ का इत्र भी पिछले दो सौ साल से मशहूर है। .

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भीड़-खुर्द गाँव, सुलतानगंज (भागलपुर)

भीड़-खुर्द सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार स्थित एक गाँव है। .

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मानिकपुर-खुर्द गाँव, सहकुंड (भागलपुर)

मानिकपुर-खुर्द सहकुंड, भागलपुर, बिहार स्थित एक गाँव है। .

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रामपुर-कलान गाँव, जमालपुर (मुंगेर)

रामपुर-कलान जमालपुर, मुंगेर, बिहार स्थित एक गाँव है। .

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लोदीपुर-कलान गाँव, सबौर (भागलपुर)

लोदीपुर-कलान सबौर, भागलपुर, बिहार स्थित एक गाँव है। .

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शुग़नी भाषा

शुग़नी भाषा एक पामीरी भाषा-परिवार की बोली है जो मध्य एशिया में ताजिकिस्तान के कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त और अफ़ग़ानिस्तान के बदख़्शान प्रान्त में बोली जाती है।Karamšoev, Dodchudo K. (1988-99).

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सरिकोली भाषा

शिंजियांग प्रान्त - हल्के नीले इलाक़ों में सरिकोली बोली जाती है सरिकोली भाषा, जिसे ताशक़ूरग़ानी भाषा भी कहते हैं, एक पामीरी भाषा-परिवार की बोली है जो चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग प्रान्त के ताशक़ुरग़ान​ क्षेत्र में बोली जाती है। यह इलाक़े ताजिकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान के वाख़ान​ गलियारे और पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र के पास स्थित हैं। अन्य पामीरी भाषाओं की तरह यह भी एक पूर्वी ईरानी भाषा है। इसे चीन में अक्सर 'ताजिक भाषा' कहा जाता है हालांकि यह ताजीकिस्तान व अफ़ग़ानिस्तान में बोली जाने वाली ताजिक भाषा के काफ़ी भिन्न है। यह पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान की वाख़ी भाषा में मिलती-जुलती है हालांकि इन दोनों भाषाओं के बोलने वाले आसानी से एक-दूसरे को समझ नहीं पाते।Outline of the Tajik language (塔吉克语简志/Tǎjíkèyǔ Jiǎnzhì), Gawarjon (高尔锵/Gāo Ěrqiāng), Nationalities Publishing House, Beijing, 1985 .

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आनंदपुर-खुर्द गाँव, सहकुंड (भागलपुर)

आनंदपुर-खुर्द सहकुंड, भागलपुर, बिहार स्थित एक गाँव है। .

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