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कार्य (भौतिकी)

सूची कार्य (भौतिकी)

भौतिकी में कार्य (work) होना तब माना जाता है जब किसी वस्तु पर कोई बल लगाने से वह वस्तु बल की दिशा में कुछ विस्थापित हो। दूसरे शब्दों में, कोई बल लगाने से बल की दिशा में वस्तु का विस्थापन हो तो कहते हैं कि बल ने कार्य किया। कार्य, भौतिकी की सबसे महत्वपूर्ण राशियों में से एक है। कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं। कार्य करने या कराने से वस्तुओं की ऊर्जा में परिवर्तन होता है। किसी वस्तु पर F बल लगाने पर वह वस्तु बल की दिशा में d दूरी विस्थापित हो जाय तो किया गया कार्य होगा। उदाहरण: 10 न्यूटन (F .

28 संबंधों: ऊर्जा, ऊष्मा का यांत्रिक तुल्यांक, ऊष्मागतिक चक्र, ऊष्मीय दक्षता, एन्ट्रॉपी, तरंग शक्ति, नेतृत्व, परवलयिक गति, भाप, शब्दावली विज्ञान, शिथिलता, शक्ति, शक्ति (भौतिकी), शक्ति गुणांक, सरल यंत्र, संततिनिरोध, संधारित्र, हल्क होगन, जल टरबाइन, जूल (इकाई), घूर्णन, विद्युत विभव, व्यवसाय प्रक्रिया प्रबंधन, आभासी कार्य, आशय, कार्नो चक्र, कार्य (ऊष्मागतिकी), असत्‌कार्यवाद

ऊर्जा

दीप्तिमान (प्रकाश) ऊर्जा छोड़ता हैं। भौतिकी में, ऊर्जा वस्तुओं का एक गुण है, जो अन्य वस्तुओं को स्थानांतरित किया जा सकता है या विभिन्न रूपों में रूपांतरित किया जा सकता हैं। किसी भी कार्यकर्ता के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा (Energy) कहते हैं। ऊँचाई से गिरते हुए जल में ऊर्जा है क्योंकि उससे एक पहिये को घुमाया जा सकता है जिससे बिजली पैदा की जा सकती है। ऊर्जा की सरल परिभाषा देना कठिन है। ऊर्जा वस्तु नहीं है। इसको हम देख नहीं सकते, यह कोई जगह नहीं घेरती, न इसकी कोई छाया ही पड़ती है। संक्षेप में, अन्य वस्तुओं की भाँति यह द्रव्य नहीं है, यद्यापि बहुधा द्रव्य से इसका घनिष्ठ संबंध रहता है। फिर भी इसका अस्तित्व उतना ही वास्तविक है जितना किसी अन्य वस्तु का और इस कारण कि किसी पिंड समुदाय में, जिसके ऊपर किसी बाहरी बल का प्रभाव नहीं रहता, इसकी मात्रा में कमी बेशी नहीं होती। .

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ऊष्मा का यांत्रिक तुल्यांक

ऊष्मा के यांत्रिक तुल्यांक के मापन के लिए जूल द्वारा प्रयुक्त उपकरण ऊष्मा का यांत्रिक तुल्यांक (तुल्यांक .

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ऊष्मागतिक चक्र

एक ऊष्मागतिक चक्र का P-V आरेख एक आदर्श ऊष्मागतिक चक्र का P-V आरेख ऊष्मागतिक चक्र (thermodynamic cycle) कई ऊष्मागतिक प्रक्रमों से मिलकर बनता है। प्रत्येक ऊष्मागतिक प्रक्रम में निकाय के दाब, ताप, तथा अन्य प्रावस्था चर (स्टॅट वैरिएबुल्स) बदलते हुए ऊष्मा और कार्य का विनिमय हो सकता है। इन सारे परिवर्तनों के होते हुए निकार अपनी प्रारम्भिक अवस्था (स्टेट) में आता है और यही चक्र बार-बार होता रहता है। ऊष्मा इंजन तथा ऊष्मा पम्प में तरह-तरह के ऊष्मागतिक चक्र अपनाये जाते हैं। कुछ प्रमुख ऊष्मागतिक चक्र निम्नलिखित हैं-.

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ऊष्मीय दक्षता

यांत्रिक आउटपुट सदा ही इनपुट ऊर्जा से कम होता है। ऊष्मीय ऊर्जा प्रयोग करने वाले उपकरणों (उदाहरण के लिये, अन्तर्दहन इंजन, वाष्प-टरबाईन, वाष्प-इंजन, धमन-भट्ठी, बॉयलर और रेफ्रिजिरेटर आदि) की दक्षता मापने के लिए ऊष्मीय दक्षता (थर्मल एफिसिएन्सी) का उपयोग किया जाता है। दूसरे शब्दो में कहा जा सकता है कि उपकरण में ऊर्जा का स्थानान्तरण कितनी अच्छी तरह से किया जा पा रहा है, इसकी माप उसकी दक्षता के द्वारा किया जाता है। सामान्यतः किसी भी निकाय के सन्दर्भ में, उपयोगी आउटपुट ऊर्जा और इनपुट ऊर्जा के अनुपात को ऊर्जा दक्षता कहते हैं। जब ऊष्मीय ऊर्जा की बात करते हैं तब किसी युक्ति को दी गयी ऊष्मीय ऊर्जा या उस युक्ति द्वारा खपत की गयी कुल ऊर्जा Q_ उसका इनपुट होता है जबकि वांछित आउटपुट, उस युक्ति द्वारा किया गया यांत्रिक कार्य W_, या Q_, या दोनों होते हैं। हम जानते हैं कि ऊर्जा वैसे ही नहीं मिलती, उसका कुछ न कुछ वित्तीय मूल्य होता है, अतः ऊष्मीय दक्षता की सामान्य परिभाषा निम्नलिखित है- ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार, आउटपुट ऊर्जा कभी भी इनपुट ऊर्जा से अधिक नहीं हो सकती। अतः सामान्य रूप से किसी उपकरण में ऊर्जा की खपत का अनुपात उसके द्वारा उत्पादित बल (कार्य) की तुलना में कितना है इसको इस तरह से समझा जा सकता है कि किसी अंतर्दहन इंजन में ईंधन (पेट्रोल या डीजल) जलता है तो उससे न केवल जेनरेटर चल कर बिजली बनती है बल्कि इस प्रक्रिया में इंजन चलाने के लिए इंधन को जलाया जाता है जिससे इंजन चलेन के साथ जो गर्मी पैदा होती है वह भी उसके एक उत्पाद के रूप में उत्पन्न होती है, यह गर्मी जितनी अधिक होगी उतना ही बिजली बनाने की क्षमता को कम करेगी। .

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एन्ट्रॉपी

एन्ट्रॉपी। ऊष्मागतिकी में, एन्ट्रॉपी एक भौतिक राशि है जो सीधे मापी नहीं जाती बल्कि गणना (कैल्कुलेशन) द्वारा इसका मान निकाला जाता है। इसका प्रतीक S है। किसी निकाय की कुल ऊर्जा का वह भाग जिसे उपयोग में नहीं लाया जा सकता (दूसरे शब्दों में, कार्य में नहीं बदला जा सकता), उस निकाय की एन्ट्रॉपी कहलाती है। एण्ट्रॉपी की गणितीय परिभाषा नीचे दी गयी है। जर्मनी के गणितज्ञ एवं भौतिकशास्त्री रुडॉल्फ क्लासिअस ने १८५० के दशक में एन्ट्रॉपी की संकल्पना दी और उसका यह नाम दिया। १८७७ में लुडविग बोल्ट्जमान ने एन्ट्रॉपी की प्रायिकता पर आधारित परिभाषा दी। .

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तरंग शक्ति

पेलामिस का तरंग ऊर्जा परिवर्तक पवन तरंगों (हवा के झोंकों) में ऊर्जा होती है जिसे तरंग शक्ति (Wave power) कहते हैं। इसी ऊर्जा को किसी प्रकार कार्य करने के लिये उपयोग में लाया जा सकता है या ऊर्जा के किसी दूसरे रूप में (जैसे, विद्युत में) बदला जा सकता है। जिस युक्ति की सहायता से तरंग शक्ति को कार्य या दूसरी ऊर्जा में बदला जाता है उसे 'तरंग ऊर्जा परिवर्तक' (wave energy converter (WEC)) कहते हैं। .

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नेतृत्व

नेतृत्व (leadership) की व्याख्या इस प्रकार दी गयी है "नेतृत्व एक प्रक्रिया है जिसमें कोई व्यक्ति सामाजिक प्रभाव के द्वारा अन्य लोगों की सहायता लेते हुए एक सर्वनिष्ट (कॉमन) कार्य सिद्ध करता है। एक और परिभाषा एलन कीथ गेनेंटेक ने दी जिसके अधिक अनुयायी थे "नेतृत्व वह है जो अंततः लोगों के लिए एक ऐसा मार्ग बनाना जिसमें लोग अपना योगदान दे कर कुछ असाधारण कर सकें.

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परवलयिक गति

प्रक्षेप्य गति गति का एक रूप है, जहाँ कण (जिसे प्रक्षेप्य कहा जाता है) को पृथ्वी की सतह के निकट क्षितिज से किसी कोण पर प्रक्षेपित किया (फेंका) जाता है और यह गुरुत्वाकर्षण के अधीन वक्रीय गति करता है। प्रक्षेप्य के पथ को प्रक्षेप्य वक्र कहा जाता है। प्रक्षेप्य गति केवल तभी प्राप्त होती है जब यहाँ केवल एक बल प्रक्षेप्य वक्र के आरम्भ से आरोपित होता है उसके पश्चात इसका कोई प्रभाव नहीं रहता। .

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भाप

सौ डिग्री सेंट्रिग्रेड से अधिक गरम किसी वस्तु पर जल डालने से अचानक भाप पैदा होता है। पानी की गैसीय अवस्था या जलवाष्प को भाप (steam) कहते हैं। शुष्क भाप अदृश्य होती है, परंतु जब भाप में जल की छोटी-छोटी बूँदें मिली होती हैं तब उसका रंग सफेद होता है, जैसा रेल के इंजन से निकलती भाप में स्पष्ट दिखाई देता है। जब भाप में जल की बूँदे उपस्थित होती हैं, तो इसे 'आर्द्र भाप' (wet steam) कहते हैं। यदि जल की बूँदों का सर्वथा अभाव हो तो यह 'शुष्क भाप' (dry steam) कहलाती है। .

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शब्दावली विज्ञान

शब्दावली विज्ञान (Terminology), पारिभाषिक शब्दों तथा उनके उपयोग के अध्ययन की विद्या है। पारिभाषिक शब्द (टर्म) उन शब्दों, सामासिक-शब्दों या बहु-शाब्दिक-अभिव्यक्तियों को कहते हैं जिनका उपयोग विशिष्ट सन्दर्भ में विशिष्ट अर्थ रखता है। ये 'विशिष्ट अर्थ' उन शब्दों के 'सामान्य उपयोग के अर्थ' से बहुत अलग हो सकते हैं। उदाहरण के लिये साधारण अर्थ में 'कार्य' का मतलब कोई भी काम करना -जैसे खाना खाना, हँसना, चलना, पढ़ना आदि है, किन्तु भौतिकी में बल और उस बल के कारण उसकी दिशा में हुए विस्थापन के गुणनफल को कार्य कहते हैं। शब्दावली विज्ञान वह विधा (डिसिप्लिन) है जो पारिभाषिक शब्दों के विकास तथा अन्य पहलुओं का अध्ययन करती है। किन्तु ध्यान देने योग्य है कि शब्दावली विज्ञान, कोशरचना से भिन्न है क्योंकि शब्दावली विज्ञान में अवधारणाओं तथा अवधारणाओं के समुदाय का भी अध्ययन सम्मिलित है। .

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शिथिलता

शिथिलता एक ऐसा व्यवहार है जिसे किन्हीं क्रियाओं या कार्यों को परवर्ती समय के लिए स्थगन द्वारा परिलक्ष्यित किया जाता है। मनोवैज्ञानिक प्रायः शिथिलता को किसी कार्य या फैसले के आरंभ या समाप्ति से जुड़ी चिंता के साथ मुकाबला करने की एक क्रियाविधि के रूप में उद्धृत करते हैं। मनोविज्ञान के शोधकर्ता भी शिथिलता को वर्गीकृत करने के लिए तीन मानदंडों का उपयोग करते हैं। किसी भी व्यवहार को शिथिलता के रूप में वर्गीकृत करने के लिए उसका उत्पादकविहीन, अनावश्यक तथा विलंबकारी होना अत्यंत आवश्यक है। शिथिलता के परिणामस्वरूप किसी भी व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों या वादों को पूरा नहीं कर पाने की स्थिति में तनाव, अपराध बोध, व्यक्तिगत उत्पादकता की हानि, संकट की सृष्टि और अन्य व्यक्तियों की असहमति का सामना करना पड़ सकता है। इन संयुक्त भावनाओं से शिथिलता को और अधिक प्रोत्साहन मिल सकता है। हालांकि लोगों के लिए कुछ हद तक शिथिलता दिखलाना सामान्य है, लेकिन यह उस समय एक समस्या का रूप धारण कर लेता है जब यह सामान्य क्रियाकलापों में बाधा उत्पन्न करने लगता है। दीर्घकालीन शिथिलता किसी अंतर्निहित मनोवैज्ञानिक विकार का एक संकेत हो सकता है। .

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शक्ति

भौतिकी में कार्य करने की दर को शक्ति (पावर/Power) कहते हैं। इसकी इकाई वाट होती है जो १ जूल प्रति सेकेण्ड के बराबर होती है। इसके अलावा 'शक्ति' शब्द का अन्य अर्थों में भी उपयोग होता है, जैसे 'देवी', राजनीतिक शक्ति, सैन्य शक्ति आदि। .

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शक्ति (भौतिकी)

शक्ति (भौतिकी) भौतिकी मे, शक्ति या विद्युत-शक्ति या पावर (प्रतीक: P), वह दर है जिस पर कोई कार्य किया जाता है या ऊर्जा संचारित होती है, या एक नियत समय में कितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है या उर्जा व्यय होती है। P .

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शक्ति गुणांक

एसी विद्युत शक्ति पर काम कर रहे किसी उद्भार (लोड) द्वारा लिये गये वास्तविक शक्ति (Real power) तथा आभासी शक्ति (Apparent power) के अनुपात को शक्ति गुणक या शक्ति गुणांक (Power factor) कहते हैं। शक्ति गुणांक का संख्यात्मक मान शून्य और १ के बीच में होता है। शक्ति गुणक .

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सरल यंत्र

कुछ प्रमुख सरल यंत्र भौतिकी में सरल यंत्र या सरल मशीन (simple machine) उन सभी युक्तियों को कहते हैं जिनको चलाने के लिये केवल एक ही बल का प्रयोग करना होता है। जब इस पर बल लगाया जाता है तो यांत्रिक कार्य होता है तथा एक नियत दूरी तक किसी पिण्ड का विस्थापन होता है। कोई कार्य करने के लिये (जैसे किसी पिण्ड को १ मीटर ऊपर उठाने के लिये) आवश्यक कार्य की मात्रा नियत होती है परन्तु इस कार्य के लिये आवश्यक बल की मात्रा कम की जा सकती है यदि यह अल्पतर बल अधिक दूरी तक लगाया जाय; अर्थात समान कार्य करने हेतु दो विकल्प हैं-.

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संततिनिरोध

जन्म नियंत्रण को गर्भनिरोध और प्रजनन क्षमता नियंत्रण के नाम से भी जाना है ये गर्भधारण को रोकने के लिए विधियां या उपकरण हैं। जन्म नियंत्रण की योजना, प्रावधान और उपयोग को परिवार नियोजन कहा जाता है। सुरक्षित यौन संबंध, जैसे पुरुष या महिला निरोध का उपयोग भीयौन संचरित संक्रमण को रोकने में भी मदद कर सकता है। जन्म नियंत्रण विधियों का इस्तेमाल प्राचीन काल से किया जा रहा है, लेकिन प्रभावी और सुरक्षित तरीके केवल 20 वीं शताब्दी में उपलब्ध हुए। कुछ संस्कृतियां जान-बूझकर गर्भनिरोधक का उपयोग सीमित कर देती हैं क्योंकि वे इसे नैतिक या राजनीतिक रूप से अनुपयुक्त मानती हैं। जन्म नियंत्रण की प्रभावशाली विधियां पुरूषों मेंपुरूष नसबंदी के माध्यम से नसबंदी और महिलाओं में ट्यूबल लिंगेशन, अंतर्गर्भाशयी युक्ति (आईयूडी) और प्रत्यारोपण योग्य गर्भ निरोधकहैं। -->इसे मौखिक गोलियों, पैचों, योनिक रिंग और इंजेक्शनों सहित अनेकोंहार्मोनल गर्भनिरोधकोंद्वारा इसे अपनाया जाता है। --> कम प्रभावी विधियों में बाधा जैसे कि निरोध, डायाफ्रामऔर गर्भनिरोधक स्पंज और प्रजनन जागरूकता विधियां शामिल हैं। --> बहुत कम प्रभावी विधियां स्पर्मीसाइडऔर स्खलन से पहले निकासी। --> नसबंदी के अत्यधिक प्रभावी होने पर भी यह आम तौर पर प्रतिवर्ती नहीं है; बाकी सभी तरीके प्रतिवर्ती हैं, उन्हें जल्दी से रोका जा सकता हैं। आपातकालीन जन्म नियंत्रण असुरक्षित यौन संबंधों के कुछ दिन बाद की गर्भावस्था से बचा सकता है। नए मामलों में जन्म नियंत्रण के रूप में यौन संबंध से परहेज लेकिन जब इसे गर्भनिरोध शिक्षा के बिना दिया जाता है तो यहकेवल-परहेज़ यौन शिक्षा किशोरियों में गर्भावस्थाएँ बढ़ा सकती है। किशोरोंमें गर्भावस्था में खराब नतीजों के खतरे होते हैं। --> व्यापक यौन शिक्षा और जन्म नियंत्रण विधियों का प्रयोग इस आयु समूह में अनचाही गर्भावस्थाओं को कम करता है। जबकि जन्म नियंत्रण के सभी रूपों युवा लोगों द्वारा प्रयोग किया जा सकता है, दीर्घकालीन क्रियाशील प्रतिवर्ती जन्म नियंत्रण जैसे प्रत्यारोपण, आईयूडी, या योनि रिंग्स का किशोर गर्भावस्था की दरों को कम करने में विशेष रूप से फायदा मिलता हैं। प्रसव के बाद, एक औरत जो विशेष रूप से स्तनपान नहीं करवा रही है, वह चार से छह सप्ताह के भीतर दोबारा गर्भवती हो सकती है।--> जन्म नियंत्रण की कुछ विधियों को जन्म के तुरंत बाद शुरू किया जा सकता है, जबकि अन्य के लिए छह महीनों तक की देरी जरूरी होती है।--> केवल स्तनपान करवाने वाली प्रोजैस्टिन महिलाओं में ही संयुक्त मौखिक गर्भनिरोधकों के प्रयोग को ज्यादा पसंद किया जाता हैं।--> वे सहिलाएं जिन्हे रजोनिवृत्ति हो गई है, उन्हे अंतिम मासिक धर्म से लगातार एक साल तक जन्म नियंत्रण विधियां अपनाने की सिफारिश की जाती है। विकासशील देशों में लगभग 222 मिलियन महिलाएं ऐसी हैं जो गर्भावस्था से बचना चाहती हैं लेकिन आधुनिक जन्म नियंत्रण विधि का प्रयोग नहीं कर रही हैं। विकासशील देशों में गर्भनिरोध के प्रयोग से मातृत्व मृत्यु में 40% (2008 में लगभग 270,000 लोगों को मौत से बचाया गया) की कमी आयी है और यदि गर्भनिरोध की मांग को पूरा किया जाए तो 70% तक मौतों को रोका जा सकता है। गर्भधारण के बीच लम्बी अवधि से जन्म नियंत्रण व्यस्क महिलाओं के प्रसव के परिणामों और उनके बच्चों उत्तरजीविता में सुधार करेगा। जन्म नियंत्रण के ज्यादा से ज्यादा उपयोग से विकासशील देशों में महिलाओं की आय, संपत्तियों, वजन और उनके बच्चों की स्कूली शिक्षा और स्वास्थ्य सभी में सुधार होगा। कम आश्रित बच्चों, कार्य में महिलाओं की ज्यादा भागीदारी और दुर्लभ संसाधनों की कम खपत के कारण जन्म नियंत्रण, आर्थिक विकास को बढ़ाता है। .

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संधारित्र

विभिन्न प्रकार के आधुनिक संधारित्र समान्तर प्लेट संधारित्र का एक सरल रूप संधारित्र या कैपेसिटर (Capacitor), विद्युत परिपथ में प्रयुक्त होने वाला दो सिरों वाला एक प्रमुख अवयव है। यदि दो या दो से अधिक चालकों को एक विद्युत्रोधी माध्यम द्वारा अलग करके समीप रखा जाए, तो यह व्यवस्था संधारित्र कहलाती है। इन चालकों पर बराबर तथा विपरीत आवेश होते हैं। यदि संधारित्र को एक बैटरी से जोड़ा जाए, तो इसमें से धारा का प्रवाह नहीं होगा, परंतु इसकी प्लेटों पर बराबर मात्रा में घनात्मक एवं ऋणात्मक आवेश संचय हो जाएँगे। विद्युत् संधारित्र का उपयोग विद्युत् आवेश, अथवा स्थिर वैद्युत उर्जा, का संचय करने के लिए तथा वैद्युत फिल्टर, स्नबर (शक्ति इलेक्ट्रॉनिकी) आदि में होता है। संधारित्र में धातु की दो प्लेटें होतीं हैं जिनके बीच के स्थान में कोई कुचालक डाइएलेक्ट्रिक पदार्थ (जैसे कागज, पॉलीथीन, माइका आदि) भरा होता है। संधारित्र के प्लेटों के बीच धारा का प्रवाह तभी होता है जब इसके दोनों प्लेटों के बीच का विभवान्तर समय के साथ बदले। इस कारण नियत डीसी विभवान्तर लगाने पर स्थायी अवस्था में संधारित्र में कोई धारा नहीं बहती। किन्तु संधारित्र के दोनो सिरों के बीच प्रत्यावर्ती विभवान्तर लगाने पर उसके प्लेटों पर संचित आवेश कम या अधिक होता रहता है जिसके कारण वाह्य परिपथ में धारा बहती है। संधारित्र से होकर डीसी धारा नही बह सकती। संधारित्र की धारा और उसके प्लेटों के बीच में विभवान्तर का सम्बन्ध निम्नांकित समीकरण से दिया जाता है- जहाँ: .

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हल्क होगन

टेरी ज़ीन बोलिआ (जन्म 11 अगस्त 1953), जो अपने रिंग नाम हल्क होगन द्वारा बेहतर जाने जाते हैं, एक पेशेवर पहलवान हैं, जो अभी टोटल नॉन स्टॉप ऐक्शन रेस्लिंग के साथ अनुबंधित हैं। होगन को 1980 के दशक के मध्य से 1990 के दशक के प्रारंभ तक वर्ल्ड रेस्लिंग फ़ेडरेशन (WWF-अब वर्ल्ड रेस्लिंग एन्टरटेन्मेंट) में संपूर्ण अमरीकी, श्रमजीवी समुदाय के नायक चरित्र हल्क होगन के रूप में अमरीकी मुख्यधारा में लोकप्रियता हासिल हुई और 1990 के दशक के मध्य-से-अंत तक वे केविन नैश और स्कॉट हॉल के साथ वर्ल्ड चैंपियनशिप रेस्लिंग (WCW) में "हॉलीवुड" होगन, खलनायक nWo नेता, के रूप में प्रसिद्ध थे। WCW की समाप्ति के बाद उन्होंने 2000 के दशक के प्रारंभ में अपनी दो सर्वाधिक प्रसिद्ध छवियों के तत्वों को संयोजित करके अपने वीरतापूर्ण चरित्र को दोहराते हुए WWE में एक संक्षिप्त वापसी की। बाद में 2005 में होगन को WWE के हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया और वे बारह बार विश्व हेवीवेट विजेता: छः बार WWF/E विजेता व छः बारWCW विश्व हेवीवेट विजेता और साथ ही एज के साथ पूर्व विश्व टैग टीम विजेता रहे हैं। वे 1990 और 1991 में रॉयल रम्बल के विजेता भी रहे हैं और वे लगातार दो रॉयल रम्बल जीतने वाले पहले व्यक्ति हैं। .

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जल टरबाइन

पेल्टन टरबाइन तथा उससे जुड़े विद्युत जनित्र की काट का चित्र जलचक्र या जल टरबाइन (water turbines) वे घूर्णी इंजन हैं जो बहती हुई जलराशि में निहित गतिज ऊर्जा को यांत्रिक कार्य में परिवर्तित कर देते हैं। इनका आधुनिक विकास १९वीं शताब्दी में हुआ तथा विद्युत ग्रिड के आने के पहले तक वे औद्योगिक शक्ति के लिए बहुतायत में प्रयोग की जातीं थी। वर्तमान समय में इनका उपयोग मुख्यतः बिजली पैदा करने के लिए होता है। पनचक्कियाँ विभिन्न प्रकार से बनाई जाने पर भी बड़ी ही सरल प्रकार की युक्तियाँ (devices) हैं जिनका प्रयोग प्रागैतिहासिक काल से ही शक्ति उत्पादन करने के लिए होता चला आया है। समय समय पर आवश्यकताओं तथा परिस्थितियों से प्रेरित होकर लोगों ने इनमें अनेक सुधार किए, अत: जल टरबाइन भी पनचक्की का ही विकसित रूप है। बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध से तो इनका इतना उपयोग बढ़ गया है कि इनके द्वारा लगभग सभी सभ्य देशों में जगह जगह, छोटे बड़े अनेक जल-विद्युत शक्ति-गृह बनाए जाने लगे। इस कारण सुदूर जलहीन देहातों में भी बड़े सस्ते भाव पर बिजली प्राप्त होने लगी और नाना प्रकार के उद्योग धंधों के विकास को प्रत्साहन मिला। .

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जूल (इकाई)

जूल (संकेताक्षर: J), अंतर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली के अंतर्गत ऊर्जा या कार्य की एक व्युत्पन्न इकाई है। एक जूल, एक न्यूटन बल को बल की दिशा में, एक मीटर दूरी तक लगाने में, या फिर एक एम्पियर की विद्युत धारा को एक ओम के प्रतिरोध से एक सेकण्ड तक गुजारने में व्यय हुई ऊर्जा या किये गये कार्य के बराबर होता है। इस इकाई को अंग्रेज भौतिक विज्ञानी जेम्स प्रेस्कॉट जूल के नाम पर नामित किया गया है। अन्य एस आई इकाइयों के संदर्भ में: जहां N न्यूटन, m मीटर, kg किलोग्राम, s सेकण्ड, Pa पास्कल और W वाट है। .

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घूर्णन

अक्ष पर घूर्णन करती हुई पृथ्वी घूर्णन करते हुए तीन छल्ले भौतिकी में किसी त्रिआयामी वस्तु के एक स्थान में रहते हुए (लट्टू की तरह) घूमने को घूर्णन (rotation) कहते हैं। यदि एक काल्पनिक रेखा उस वस्तु के बीच में खींची जाए जिसके इर्द-गिर्द वस्तु चक्कर खा रही है तो उस रेखा को घूर्णन अक्ष कहा जाता है। पृथ्वी अपने अक्ष पर घूर्णन करती है। .

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विद्युत विभव

किसी ईकाई धनावेश को अनन्त से किसी बिन्दु तक लाने में जितना कार्य करना पड़ता है उसे उस बिन्दु का विद्युत विभव (electric potential) कहते हैं। दूसरे शब्दों में, किसी बिन्दु पर स्थित ईकाई बिन्दुवत धनावेश में संग्रहित वैद्युत स्थितिज ऊर्जा, उस बिन्दु के विद्युत विभव के बराबर होती है। विद्युत विभव को Φ, ΦE या V के द्वारा दर्शाया जाता है। विद्युत विभव की अन्तर्राष्ट्रीय इकाई वोल्ट है। .

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व्यवसाय प्रक्रिया प्रबंधन

व्यवसाय प्रक्रिया प्रबंधन (BPM) एक ऐसा प्रबंधन दृष्टिकोण है, जिसका ध्यान ग्राहकों की ज़रूरतों और आवश्यकताओं के साथ संगठन के सभी पहलुओं के सुयोजन पर केंद्रित है। यह पूर्णतावादी प्रबंधन दृष्टिकोण है जो नवोन्मेष, लचीलापन, प्रौद्योगिकी के साथ एकीकरण के लिए प्रयास करते हुए, व्यापार में प्रभावकारिता और कार्यकुशलता को बढ़ावा देता है। व्यवसाय प्रक्रिया प्रबंधन सतत रूप से प्रक्रियाओं में सुधार का प्रयास करता है। इसलिए इसे एक "प्रक्रिया अनुकूलन प्रक्रिया" के रूप में वर्णित किया जा सकता है। यह तर्क दिया गया है कि BPM संगठनों को प्रयोजनात्मक रूप से केंद्रित, पारंपरिक पदानुक्रमित प्रबंधन दृष्टिकोण की तुलना में और अधिक कुशल और अधिक प्रभावी और परिवर्तन के लिए अधिक सक्षम बनाता है। .

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आभासी कार्य

किसी कण पर किसी बल द्वारा किसी आभासी विस्थापन की दिशा में किया गया कार्य 'आभासी कार्य अथवा कल्पित कार्य (virtual work) कहलाता है। आभासी कार्य के सिद्धान्त की सहायता से किसी यांत्रिक तन्त्र पर लगने वाले बलों एवं उनके कारण हुए विस्थापन का अध्ययन किया जाता है। आभासी कार्य का सिद्धान्त, अल्पतम क्रिया नियम (principle of least action) से व्युत्पन्न हुआ है। ऐतिहासिक रूप से आभासी कार्य तथा इससे सम्बन्धित विचरण कैलकुलस (calculus of variations) का विकास दृढ़ पिण्डों (rigid body) की गति के लिए किया गया था किन्तु इन सिद्धान्तों का प्रयोग विरूप्य पिंडों की यांत्रिकी (mechanics of deformable bodies) का अध्ययन करने के लिए भी किया जाता है। यदि किसी यांत्रिक तन्त्र के साम्य के सन्दर्भ में इस सिद्धान्त का प्रयोग करें तो कह सकते हैं कि किसी तन्त्र पर लगे सभी बलों द्वारा किए गये आभासी कार्यों का योग शून्य होता है। आभासी कार्य .

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आशय

आशय मन की वह इच्छा है जो व्यक्ति को कोई कार्य करने को प्रेरित करती है। आशय का आपराधिक विधि में बहुत महत्त्व है बिना आशय के कोई बात अपराध नहीं हो सकती है। .

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कार्नो चक्र

p-V आरेक्ख के रूप में कार्नो चक्र कार्नो चक्र (Carnot cycle) सादी कार्नो द्वारा १८२४ में प्रस्तुत किया गया एक सैद्धान्तिक ऊष्मागतिक चक्र है। यह प्रदर्शित किया जा सकता है कि किसी दी हुई ऊष्मीय ऊर्जा को कार्य में बदलने के लिये या कार्य को तापान्तर में बदलने के लिये यही ऊष्मा-चक्र सबसे अधिक दक्ष है। श्रेणी:ऊष्मा चक्र.

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कार्य (ऊष्मागतिकी)

ऊष्मागतिकी के सन्दर्भ में, किसी निकाय द्वारा अपने परिवेश (surroundings) को जितनी ऊर्जा स्थानान्तरित की जाती है, उसे उस निकाय द्वारा किया गया कार्य कहते हैं। .

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असत्‌कार्यवाद

असत्‌कार्यवाद कारणवाद का न्यायदर्शनसम्मत सिद्धांत जिसके अनुसार कार्य उत्पत्ति के पहले नहीं रहता। न्याय के अनुसार उपादान और निमित्त कारण अलग-अलग कार्य उत्पन्न करने की पूर्ण शक्ति नहीं है किंतु जब ये कारण मिलकर व्यापारशील होते हैं तब इनकी सम्मिलित शक्ति ऐसा कार्य उत्पन्न होता है जो इन कारणों से विलक्षण होता है। अत: कार्य सर्वथा नवीन होता है, उत्पत्ति के पहले इसका अस्तित्व नहीं होता। कारण केवल उत्पत्ति में सहायक होते हैं। सांख्यदर्शन इसके विपरीत कार्य को उत्पत्ति के पहले कारण में स्थित मानता है, अत: उसका सिद्धांत सत्कार्यवाद कहलाता है। न्यायदर्शन भाववादी और यथार्थवादी है। इसके अनुसार उत्पत्ति के पूर्व कार्य की स्थिति माना अनुभवविरुद्ध है। न्याय के इस सिद्धांत पर आक्षेप किया जाता है कि यदि असत्‌ कार्य उत्पन्न होता है तो शशश्रृंग जैसे असत्‌ कार्य भी उत्पन्न होने चाहिए। किंतु न्यायमंजरी में कहा गया है कि असत्कार्यवाद के अनुसार असत्‌ की उत्पत्ति नहीं मानी जाती। अपितु जो उत्पन्न हुआ है उसे उत्पत्ति के पहले असत्‌ माना जाता है। श्रेणी:भारतीय दर्शन.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

यांत्रिक कार्य, कार्य

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