7 संबंधों: नाटक, नीनासं, भारतीय, साहित्य अकादमी पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार कन्नड़, कन्नड़ भाषा, कविराज मार्ग मत्तु कन्नड जगत्तु।
नाटक
नाटक, काव्य का एक रूप है। जो रचना श्रवण द्वारा ही नहीं अपितु दृष्टि द्वारा भी दर्शकों के हृदय में रसानुभूति कराती है उसे नाटक या दृश्य-काव्य कहते हैं। नाटक में श्रव्य काव्य से अधिक रमणीयता होती है। श्रव्य काव्य होने के कारण यह लोक चेतना से अपेक्षाकृत अधिक घनिष्ठ रूप से संबद्ध है। नाट्यशास्त्र में लोक चेतना को नाटक के लेखन और मंचन की मूल प्रेरणा माना गया है। .
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नीनासं
नीनासं (कन्नड: ನೀನಾಸಂ) कर्नाटक के शिवमोग्गा जिला के सागर तालुक के हेग्गोडु गाँव में स्थित एक सांस्कृतिक संस्था है। इसका पूर्ण नाम 'नीलकण्ठेश्वर नाट्य संस्था' है। इसकी स्थापना कन्नड के प्रसिद्ध लेखक एवं नाटककार के वी सुब्बण्ण ने की थी। श्रेणी:नाट्य संस्था.
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भारतीय
भारत देश के निवासियों को भारतीय कहा जाता है। भारत को हिन्दुस्तान नाम से भी पुकारा जाता है और इसीलिये भारतीयों को हिन्दुस्तानी भी कहतें है।.
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साहित्य अकादमी पुरस्कार
साहित्य अकादमी पुरस्कार भारत में एक साहित्यिक सम्मान है, जो साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष भारत की अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल २२ भारतीय भाषाओं के अलावा ये राजस्थानी और अंग्रेज़ी भाषा; याने कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं। पहली बार ये पुरस्कार सन् 1955 में दिए गए। पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में ब़ढा कर 10,000/- रुपए कर दी गई और सन् 1988 में ब़ढा कर इसे 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए कर दी गई है। .
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साहित्य अकादमी पुरस्कार कन्नड़
साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और कन्नड़ भाषा इन में से एक भाषा हैं। .
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कन्नड़ भाषा
कन्नड़ (ಕನ್ನಡ) भारत के कर्नाटक राज्य में बोली जानेवाली भाषा तथा कर्नाटक की राजभाषा है। यह भारत की उन २२ भाषाओं में से एक है जो भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में साम्मिलित हैं। name.
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कविराज मार्ग मत्तु कन्नड जगत्तु
कविराज मार्ग मत्तु कन्नड जगत्तु कन्नड़ भाषा के विख्यात साहित्यकार के. बी. सुबण्णा द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में कन्नड़ भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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