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उषा मेहता और राममनोहर लोहिया

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

उषा मेहता और राममनोहर लोहिया के बीच अंतर

उषा मेहता vs. राममनोहर लोहिया

उषा मेहता (२५ मार्च, १९२० - ११ अगस्त, २०००) ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी और स्वतंत्रता के बाद वह गांधीवादी दर्शन के अनुरूप महिलाओं के उत्थान के लिए प्रयासरत रही। वह भारत छोड़ो आंदोलन के समय खुफिया कांग्रेस रेडियो चलाने के कारण पूरे देश में विख्यात हुईं। . डॉ॰ राममनोहर लोहिया डॉ॰ राममनोहर लोहिया (जन्म - मार्च २३, इ.स. १९१० - मृत्यु - १२ अक्टूबर, इ.स. १९६७) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानी, प्रखर चिन्तक तथा समाजवादी राजनेता थे। .

उषा मेहता और राममनोहर लोहिया के बीच समानता

उषा मेहता और राममनोहर लोहिया आम में 4 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): भारत छोड़ो आन्दोलन, महात्मा गांधी, खादी, अच्युत पटवर्धन

भारत छोड़ो आन्दोलन

बंगलुरू के बसवानगुडी में दीनबन्धु सी एफ् अन्ड्रूज का भाषण भारत छोड़ो आन्दोलन, द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ८ अगस्त १९४२ को आरम्भ किया गया था|यह एक आन्दोलन था जिसका लक्ष्य भारत से ब्रितानी साम्राज्य को समाप्त करना था। यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में शुरू किया गया था। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विश्वविख्यात काकोरी काण्ड के ठीक सत्रह साल बाद ९ अगस्त सन १९४२ को गांधीजी के आह्वान पर समूचे देश में एक साथ आरम्भ हुआ। यह भारत को तुरन्त आजाद करने के लिये अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक सविनय अवज्ञा आन्दोलन था। क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फ़ैसला लिया। 8 अगस्त 1942 की शाम को बम्बई में अखिल भारतीय काँगेस कमेटी के बम्बई सत्र में 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' का नाम दिया गया था। हालांकि गाँधी जी को फ़ौरन गिरफ़्तार कर लिया गया था लेकिन देश भर के युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फ़ोड़ की कार्रवाइयों के जरिए आंदोलन चलाते रहे। कांग्रेस में जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी सदस्य भूमिगत प्रतिरोधि गतिविधियों में सबसे ज्यादा सक्रिय थे। पश्चिम में सतारा और पूर्व में मेदिनीपुर जैसे कई जिलों में स्वतंत्र सरकार, प्रतिसरकार की स्थापना कर दी गई थी। अंग्रेजों ने आंदोलन के प्रति काफ़ी सख्त रवैया अपनाया फ़िर भी इस विद्रोह को दबाने में सरकार को साल भर से ज्यादा समय लग गया। .

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महात्मा गांधी

मोहनदास करमचन्द गांधी (२ अक्टूबर १८६९ - ३० जनवरी १९४८) भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले १९१५ में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था।। उन्हें बापू (गुजराती भाषा में બાપુ बापू यानी पिता) के नाम से भी याद किया जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने ६ जुलाई १९४४ को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष २ अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है। सबसे पहले गान्धी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना शुरू किया। १९१५ में उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अस्पृश्‍यता के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में १९३० में नमक सत्याग्रह और इसके बाद १९४२ में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रखे। .

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खादी

खादी या खद्दर भारत में हाँथ से बनने वाले वस्त्रों को कहते हैं। खादी वस्त्र सूती, रेशम, या ऊन हो सकते हैं। इनके लिये बनने वाला सूत चरखे की सहायता से बनाया जाता है। खादी वस्त्रों की विशेषता है कि ये शरीर को गर्मी में ठण्डे और सर्दी में गरम रखते हैं। भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में खादी का बहुत महत्व रहा। गांधीजी ने १९२० के दशक में गावों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये खादी के प्रचार-प्रसार पर बहुत जोर दिया था। .

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अच्युत पटवर्धन

अच्युत पटवर्धन अच्युत पटवर्धन (5 फ़रवरी 1905 - 5 अगस्त 1992) भारत के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनेता एवं अर्थशास्त्र के प्राध्यापक थे। सन् १९४२ के भारत छोड़ो आन्दोलन में उन्होने महती भूमिका अदा की। भारत की आजादी के बाद उन्होने सन् १९४७ में भारत की समाजवादी पार्टी की स्थापना की। .

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उषा मेहता और राममनोहर लोहिया के बीच तुलना

उषा मेहता 15 संबंध है और राममनोहर लोहिया 71 है। वे आम 4 में है, समानता सूचकांक 4.65% है = 4 / (15 + 71)।

संदर्भ

यह लेख उषा मेहता और राममनोहर लोहिया के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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