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हसन इब्न अली और हुसैन इब्न अली

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

हसन इब्न अली और हुसैन इब्न अली के बीच अंतर

हसन इब्न अली vs. हुसैन इब्न अली

हसन इब्न अली या अल-हसन बिन अली (अरबी: الحسن بن علي بن أﺑﻲ طالب यानि हसन, पिता का नाम अली सन् 625-671) खलीफ़ा अली अ० के बड़े बेटे थे। आप अली अ० के बाद कुछ समय के लिये खलीफ़ा रहे थे। माविया, जो कि खुद खलीफा बनना चाहता था, आप से संघर्ष करना चाहता था पर आपने इस्लाम में गृहयुद्ध (फ़ितना) छिड़ने की आशंका से ऐसा होने नहीं दिया। इमाम हसन उस समय के बहुत बड़े विद्वान थे। इमाम हसन ने उसको सन्धि करने के लिये मजबूर कर दिया। जिसके अनुसार वो सिर्फ़ इस्लामी देशों पर शासन कर सकता है, पर इस्लाम के कानूनो में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। उसका शासन केवल उसकी मौत तक ही होगा उस्को किसी को ख़लीफा बनाने का अधिकार नहीं होगा। उस्को इसलाम के सभी नियमो का पालन करना होगा। उसके मरने के बाद ख़लीफा फिर हसन अ० होगे। यदि हसन अ० कि मर्त्यु हो जाय तो इमाम हुसेन को ख़लीफा माना जायगा। इस्के अलावा भी और शर्त थी पर मविया अपने पुत्र को भी खलीफा बनाना चाहता था जो कि बहुत बड़ा अधर्मी था। ने धोके से इमाम हसन को जहर दिलवा कर शहिद करवा दीया। और अपने मरने से पहले अपने बेटे यजीद को ख़लीफा बना दिया। इस पर भी हुसेन अ.स. ने युद्ध नहीं किया बल्कि अल्लाह कि रज़ा के लिये खूँरेजी से दूर रहे। . इमाम हुसैन (अल हुसैन बिन अली बिन अबी तालिब, यानि अबी तालिब के पोते और अली के बेटे अल हुसैन, 626 AH -680 AH) अली रदियल्लाहु के दूसरे बेटे थे और इस कारण से पैग़म्बर मुहम्मद के नाती। आपका जन्म मक्का में हुआ। आपकी माता का नाम फ़ातिमा ज़हरा था | इमाम हुसैन को इस्लाम में एक शहीद का दर्ज़ा प्राप्त है। शिया मान्यता के अनुसार वे यज़ीद प्रथम के कुकर्मी शासन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए सन् 680 AH में कुफ़ा के निकट कर्बला की लड़ाई में शहीद कर दिए गए थे। उनकी शहादत के दिन को आशूरा (दसवाँ दिन) कहते हैं और इस शहादत की याद में मुहर्रम (उस महीने का नाम) मनाते हैं। .

हसन इब्न अली और हुसैन इब्न अली के बीच समानता

हसन इब्न अली और हुसैन इब्न अली आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): फ़ातिमा, मुहम्मद, अली इब्न अबी तालिब

फ़ातिमा

फ़ातिमा बिन्ते मुहम्मद (Fāṭimah bint Muḥammad) (فاطمة;; especially colloquially: जन्म c. 605 या 615Ordoni (1990) pp.42-45 – मृत्यु 28 अगस्त 632)फ़ातिमा को हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा कहा जाता है। उनकी उपाधियां ज़हरा, सिद्दीक़ा, ताहिरा, ज़ाकिरा, राज़िया, मरज़िया, मुहद्देसा व बतूल हैं। वे हज़रत मुहम्मद और खतीजा की पुत्री अली की पत्नी, हसन और हुसैन की मां थीं। अहले बैत की सदस्य थीं। "Fatimah", Encyclopaedia of Islam.

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मुहम्मद

हज़रत मुहम्मद (محمد صلی اللہ علیہ و آلہ و سلم) - "मुहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुत्तलिब" का जन्म सन ५७० ईसवी में हुआ था। इन्होंने इस्लाम धर्म का प्रवर्तन किया। ये इस्लाम के सबसे महान नबी और आख़िरी सन्देशवाहक (अरबी: नबी या रसूल, फ़ारसी: पैग़म्बर) माने जाते हैं जिन को अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रईल द्वारा क़ुरआन का सन्देश' दिया था। मुसलमान इनके लिये परम आदर भाव रखते हैं। .

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अली इब्न अबी तालिब

अली इब्ने अबी तालिब (अरबी: علی ابن ابی طالب) का जन्‍म 17 मार्च 600 (13 रजब 24 हिजरी पूर्व) मुसलमानों के तीर्थ स्थल काबा के अन्दर हुआ था। वे पैगम्बर मुहम्मद (स.) के चचाजाद भाई और दामाद थे और उनका चर्चित नाम हज़रत अली है। वे मुसलमानों के खलीफा के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने 656 से 661 तक राशिदून ख़िलाफ़त के चौथे ख़लीफ़ा के रूप में शासन किया, और शिया इस्लाम के अनुसार वे632 to 661 तक पहले इमाम थे। इसके अतिरिक्‍त उन्‍हें पहला मुस्लिम वैज्ञानिक भी माना जाता है। उन्‍होंने वैज्ञानिक जानकारियों को बहुत ही रोचक ढंग से आम आदमी तक पहुँचाया था। .

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हसन इब्न अली और हुसैन इब्न अली के बीच तुलना

हसन इब्न अली 8 संबंध है और हुसैन इब्न अली 21 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 10.34% है = 3 / (8 + 21)।

संदर्भ

यह लेख हसन इब्न अली और हुसैन इब्न अली के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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