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रानी रासमणि और रामकृष्ण परमहंस

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

रानी रासमणि और रामकृष्ण परमहंस के बीच अंतर

रानी रासमणि vs. रामकृष्ण परमहंस

रानी रासमणि, बंगाल में, नवजागरण काल की एक व्यक्तित्व थीं। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता, एवं कोलकाता के जानबाजार की जनहितैषी ज़मीन्दार के रूप में प्रसिद्ध थीं। वे दक्षिणेश्वर काली मंदिर की संस्थापिका थीं, एवं नवजागरण काल के प्रसिद्ध दार्शनिक एवं धर्मगुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस की मुख्य पृष्ठपोषिका भी हुआ करती थी। प्रचलित लोककथन के अनुसार, उन्हें एक स्वप्न में हिन्दू देवी काली ने भवतारिणी रूप में दर्शन दिया था, जिसके बाद, उन्होंने उत्तर कोलकाता में, हुगली नदी के किनारे देवी भवतारिणी के भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था। रानी रासमणि ने अपने विभिन्न जनहितैषी कार्यों के माध्यम से प्रसिद्धि अर्जित की थी। उन्होंने तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु, कलकत्ता से पूर्व पश्चिम की ओर स्थित, सुवर्णरेखा नदी से जगन्नाथ पुरी तक एक सड़क का निर्माण करवाया था। इसके अलावा, कलकत्ता के निवासियों के लिए, गङ्गास्नान की सुविधा हेतु उन्होंने केन्द्रीय और उत्तर कलकत्ता में हुगली के किनारे बाबुघट, अहेरिटोला घाट और नीमताल घाट का निर्माण करवाया था, जो आज भी कोलकाता के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण घाटों में से एक हैं। तथा उन्होंने, स्थापना के दौर में, इम्पीरियल लाइब्रेरी (वर्त्तमान भारतीय राष्ट्रीय पुस्तकालय, कोलकाता) एवं हिन्दू कॉलेज (वर्त्तमान प्रेसिडेन्सी विश्वविद्यालय, कोलकाता) वित्तीय सहायता प्रदान किया था। रानी रासमणि को अक्सर लोकसंस्कृति में सम्मानजनक रूपसे "लोकमाता" कहा जाता है। . रामकृष्ण परमहंस भारत के एक महान संत एवं विचारक थे। इन्होंने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया। उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं अतः ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया। स्वामी रामकृष्ण मानवता के पुजारी थे। साधना के फलस्वरूप वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि संसार के सभी धर्म सच्चे हैं और उनमें कोई भिन्नता नहीं। वे ईश्वर तक पहुँचने के भिन्न-भिन्न साधन मात्र हैं। .

रानी रासमणि और रामकृष्ण परमहंस के बीच समानता

रानी रासमणि और रामकृष्ण परमहंस आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): दक्षिणेश्वर काली मन्दिर, काली

दक्षिणेश्वर काली मन्दिर

दक्षिणेश्वर काली मन्दिर(দক্ষিণেশ্বর কালীবাড়ি; उच्चारण:दॊख्खिनॆश्शॉर कालिबाड़ी), उत्तर कोलकाता में, बैरकपुर में, विवेकानन्द सेतु के कोलकाता छोर के निकट, हुगली नदी के किनारे स्थित एक ऐतिहासिक हिन्दू मन्दिर है। इस मंदिर की मुख्य देवी, भवतारिणी है, जोकि मान्यतानुसार हिन्दू देवी काली का एक रूप है। यह कलकत्ता के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, और कई मायनों में, कालीघाट मन्दिर के बाद, सबसे प्रसिद्ध काली मंदिर है। इसे वर्ष १८५४ में जान बाजार की रानी रासमणि ने बनवाया था। यह मन्दिर, प्रख्यात दार्शनिक एवं धर्मगुरु, स्वामी रामकृष्ण परमहंस की कर्मभूमि रही है, जोकि बंगाली अथवा हिन्दू नवजागरण के प्रमुख सूत्रधारों में से एक, दार्शनिक, धर्मगुरु, तथा रामकृष्ण मिशन के संस्थापक, स्वामी विवेकानंद के गुरु थे। वर्ष १८५७-६८ के बीच, स्वामी रामकृष्ण इस मंदिर के प्रधान पुरोहित रहे। तत्पश्चात उन्होंने इस मन्दिर को ही अपना साधनास्थली बना लिया। कई मायनों में, इस मन्दिर की प्रतिष्ठा और ख्याति का प्रमुख कारण है, स्वामी रामकृष्ण परमहंस से इसका जुड़ाव। मंदिर के मुख्य प्रांगण के उत्तर पश्चिमी कोने में रामकृष्ण परमहंस का कक्ष आज भी उनकी ऐतिहासिक स्मृतिक के रूप में संरक्षित करके रखा गया है, जिसमें श्रद्धालु व अन्य आगन्तुक प्रवेश कर सकते हैं। .

दक्षिणेश्वर काली मन्दिर और रानी रासमणि · दक्षिणेश्वर काली मन्दिर और रामकृष्ण परमहंस · और देखें »

काली

काली हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं। यह सुन्दरी रूप वाली भगवती दुर्गा का काला और भयप्रद रूप है, जिसकी उत्पत्ति राक्षसों को मारने के लिये हुई थी। उनको ख़ासतौर पर बंगाल और असम में पूजा जाता है। काली की व्युत्पत्ति काल अथवा समय से हुई है जो सबको अपना ग्रास बना लेता है। माँ का यह रूप है जो नाश करने वाला है पर यह रूप सिर्फ उनके लिए हैं जो दानवीय प्रकृति के हैं जिनमे कोई दयाभाव नहीं है। यह रूप बुराई से अच्छाई को जीत दिलवाने वाला है अत: माँ काली अच्छे मनुष्यों की शुभेच्छु है और पूजनीय है।इनको महाकाली भी कहते हैं। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

रानी रासमणि और रामकृष्ण परमहंस के बीच तुलना

रानी रासमणि 22 संबंध है और रामकृष्ण परमहंस 18 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 5.00% है = 2 / (22 + 18)।

संदर्भ

यह लेख रानी रासमणि और रामकृष्ण परमहंस के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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