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मूँगा (जीव) और समुद्री जीवविज्ञान

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

मूँगा (जीव) और समुद्री जीवविज्ञान के बीच अंतर

मूँगा (जीव) vs. समुद्री जीवविज्ञान

मूँगा (कोरल) शब्द के कई अर्थ हैं - अन्य अर्थों के लिए मूँगा का लेख देखें मूँगे के शरीर के अन्दर का दृश्य मूँगा, जिसे कोरल और मिरजान भी कहते हैं, एक प्रकार का नन्हा समुद्री जीव है जो लाखों-करोड़ों की संख्या में एक समूह में रहते हैं। मूँगे की बहुत सी क़िस्मों में, यह जीव अपने इर्द-गिर्द एक बहुत ही सख़्त शंख बना लेते है, जिसके अन्दर वह रहता है। जब ऐसे हजारों-लाखों नन्हे और बेहद सख़्त शंख एक दुसरे से चिपक कर समूह में बनते हैं, तो उस समूह की सख़्ती और स्पर्श लगभग पत्थर जैसा होता है। समुद्र में कई स्थानों पर मूंगे की बड़े क्षेत्र पर फैली हुई शृंखलाएं बन जाती हैं, जिन्हें रीफ़ कहा जाता है। किसी भी मूंगे के समूह में हर एक मूंगे और उसके शंख को वैज्ञानिक भाषा में "पॉलिप" कहते हैं। मूँगा गरम समुद्रों में ही उगता है और अलग-अलग रंगों में मिलता है। लाल और गुलाबी रंगों के मूँगे के क़ीमती पत्थर को पत्थर की ही तरह तराश और चमका कर ज़ेवरों में इस्तेमाल किया जाता है। इनके सब से लोकप्रिय रंग को भी मूँगा (रंग) कहा जाता है। मूँगे समुद्रतल में रहने वाले एक प्रकार के कृमि हैं जो खोलड़ी की तरह का घर बनाकर एक दूसरे से लगे हुए जमते चले जाते हैं। ये कृमि अचर (न चलने वाले) जीवों में हैं। ज्यों ज्यों इनकी वंशवृद्धि होती जाती है, त्यों त्यों इनका समूहपिंड थूहर के पेड़ के आकार में बढ़ता चला जाता है। सुमात्रा और जावा के आसपास प्रशांत महासागर में समुद्र के तल में ऐसे समूहपिंड हजारों मील तक खड़े मिलते हैं। इनकी वृद्धि बहुत जल्दी जल्दी होती है। इनके समूह एक दूसरे के ऊपर पटते चले जाते हैं जिससे समुद्र की सतह पर एक खासा टापू निकल आता है। ऐसे टापू प्रशांत महासागर में बहुत से हैं जो 'प्रवालद्वीप' कहलाते हैं। मूँगे की केवल गुरिया ही नहीं बनती; छड़ी, कुरसी आदि चीजें भी बनती हैं। आभूषण के रूप में मूँगे का व्यवहार भी मोती के समान बहुत दिनों से है। मोती और मूँगे का नाम प्रायः साथ साथ लिया जाता है। रत्नपरीक्षा की पुस्तकों में मूँगे का भी वर्णन रहता है। साधारणतः मूँगे का दाना जितना ही बड़ा होता है, उतना अधिक उसका मूल्य भी होता है। कवि लोग बहुत पुराने समय से ओठों की उपमा मूँगे से देते आए हैं। . समुद्री जीवविज्ञान (Marine Biology) के अंतर्गत महासागरों, सागरों के अन्दर के एवं उनके तटों के पादप एवं प्राणियों की संरचना, जीवनवृत्त तथा उनकी प्रकृति का अध्ययन किया जाता है। ऐसे अध्ययन वैज्ञानिक तथा आर्थिक महत्व के होते हैं, जैसे खाद्य मछलियों के प्रवास (migration) का अध्ययन। समुद्री जीवविज्ञान के अध्ययन से समुद्री जीवों के जीवनवृत्त पर विभिन्न भौतिक एवं रासायनिक कारकों (जैसे ताप, दाब, प्रकाश, धारा, पादप पोषक, लवणता आदि) के विभिन्न प्रभावों को जानने में सहायता मिलती है। .

मूँगा (जीव) और समुद्री जीवविज्ञान के बीच समानता

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संदर्भ

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