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भूखी पीढ़ी और श्रीरामचरितमानस

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

भूखी पीढ़ी और श्रीरामचरितमानस के बीच अंतर

भूखी पीढ़ी vs. श्रीरामचरितमानस

भूखी पीढ़ी (Hungry generation, बांग्ला: হাংরি আন্দোলন (हंगरी आन्दोलन)) मूलतः अमेरिकी साहित्य से प्रेरित बांग्ला साहित्य में उथलपुथल मचा देनेवाला एक आन्दोलन रहा है। यह साठ के दशक मे बिहार के पटना शहर मे कवि मलय रायचौधुरी के घर पर एकत्र देबी राय, शक्ति चट्टोपाध्याय और समीर रायचौधुरी के मस्तिष्क से उजागर होकर कोलकाता शहर जा पंहुचा जहाँ उनहोंने नवम्बर १९६१ को एक मेनिफेस्टो (घोषणापत्र) के जरिये आन्दोलन की घोषणा की। बाद में आन्दोलन में योगदान देनेवाले कवि, लेखक एवं चित्रकार थे उतपलकुमार बसु, सन्दीपन चट्टोपाध्याय, बासुदेब दाशगुप्ता, सुबिमल बसाक, अनिल करनजय करुणानिधान मुखोपाध्याय्, सुबो आचारजा, विनय मजुमदार, फालगुनि राय, आलो मित्रा, प्रदीप चौधुरि और सुभाष घोष सहित तीस सदस्य। भुखी पीढी के मैनिफेस्टो गोष्ठी के सदस्यों ने साप्ताहिक बुलेटिन एवं पत्रिका के माध्यम से अपने नये नन्द्नतत्व प्रसारित किये एवं सारे भारत मे हलचल मचा दी। उन लोगों के नयेपन से कोलकाता के साहित्य प्रसाशकगण क्षुब्ध हुये। सितम्बर १९६४ को आन्दोलन के ११ सदस्यो के विरुद्ध अश्लीलता के आरोप मे मुकदमा दायर हुया। मलय रायचौधुरी के लिखे हुये कविता प्रचण्ड बैद्युतिक क्षुतार को निम्न अदालत ने अश्लील करार देक्रर एक माह का काराद्ण्ड का आदेश दिया। उच्च अदालत ने कविता को अश्लील नहीं पाया एवं मलय को बाइज्जत बरी किया। मुकदमे के कारण सारे जगत मे आन्दोलन को प्रचार मिला। भारत एवं बिश्व के प्रमुख सम्बाद तथा सहित्य पत्रिकाओं मे उनके कॄति के चर्चे हुये। वर्तमान में आन्दोलनकारीयो पर शोधकार्य हो रहे है। उनके मेनिफेस्टो आदि ढाका बांग्ला अकादेमि तथा अमरिका के विश्वविद्यालयों में सुरक्षित किये गये है। गिरफ़्तारी एवं आन्दोलन में भाग लेने वाले कवि और लेखकगण जो गिरफतार हुये थे वे लोग अपनी नौकरी से निकाले गये थे। गिरफ़्तारी के समय उन लोगों को रस्सी बांधकर, हाथों में हथकड़ी पहनाकर बीच बाजार से आदालत तक पैदल ले जाया गया था। अध्यापक उत्त्म दाश एवं डक्टर विष्णुच्र्ण दे, जिन्होंने इस आन्दोलन पर शोधकार्य किया है, उनका कहना है कि यह आन्दोलन भारत के उत्तर-उपनिवेशबादी समाज का प्रतिफलन है। आन्दोलन के कवि एवं लेखक भाषा में अनुप्रबेश किये हुये उपनिबेशिय मनन-चिन्तन को झकझोर देने में जुटे रहे। कोलकाता प्रशासन के लिये यह दुश्चिन्ता पैदा करने में कामियाब हो गया था। . गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीरामचरितमानस का आवरण श्री राम चरित मानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचित एक महाकाव्य है। इस ग्रन्थ को हिंदी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसीकृत रामायण' भी कहा जाता है। रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। उत्तर भारत में 'रामायण' के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। शरद नवरात्रि में इसके सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामायण मण्डलों द्वारा शनिवार को इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है। श्री रामचरित मानस के नायक राम हैं जिनको एक महाशक्ति के रूप में दर्शाया गया है जबकि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में श्री राम को एक मानव के रूप में दिखाया गया है। तुलसी के प्रभु राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। त्रेता युग में हुए ऐतिहासिक राम-रावण युद्ध पर आधारित और हिन्दी की ही एक लोकप्रिय भाषा अवधी में रचित रामचरितमानस को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में ४६वाँ स्थान दिया गया। .

भूखी पीढ़ी और श्रीरामचरितमानस के बीच समानता

भूखी पीढ़ी और श्रीरामचरितमानस आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): रामायण

रामायण

रामायण आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य है। इसके २४,००० श्लोक हैं। यह हिन्दू स्मृति का वह अंग हैं जिसके माध्यम से रघुवंश के राजा राम की गाथा कही गयी। इसे आदिकाव्य तथा इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि को 'आदिकवि' भी कहा जाता है। रामायण के सात अध्याय हैं जो काण्ड के नाम से जाने जाते हैं। .

भूखी पीढ़ी और रामायण · रामायण और श्रीरामचरितमानस · और देखें »

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भूखी पीढ़ी और श्रीरामचरितमानस के बीच तुलना

भूखी पीढ़ी 28 संबंध है और श्रीरामचरितमानस 35 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.59% है = 1 / (28 + 35)।

संदर्भ

यह लेख भूखी पीढ़ी और श्रीरामचरितमानस के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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