लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

भरभोलिए और होली

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

भरभोलिए और होली के बीच अंतर

भरभोलिए vs. होली

बीकानेर में भलभोलियों की दूकानभरभोलिए गाय के गोबर से बने ऐसे उपले होते हैं जिनके बीच में छेद होता है। इस छेद में मूँज की रस्सी डाल कर माला बनाई जाती है। एक माला में सात भरभोलिए होते हैं। होली में आग लगाने से पहले इस माला को भाईयों के सिर के ऊपर से सात बार घूमा कर फेंक दिया जाता है। रात को होलिका दहन के समय यह माला होलिका के साथ जला दी जाती है। इसका यह आश्य है कि होली के साथ भाईयों पर लगी बुरी नजर भी जल जाए। भारतीय जन मानस व संस्कृति में गाय के गोबर का अपना विशेष महत्व है। होली पर भी इसका महत्व देखने को मिलता है। किसी समय जब घर घर में गाय हुआ करती थी उस समय होली के दिनों में दोपहर में घर की महिलाएँ उपले और भरभोलिए बनाती थी लेकिन बदलते परिवेश ने इसमें फर्क डाला है। आज घर घर में गैस के चूल्हों ने जगह बना ली है और गाय का गोबर उपयोग में नहीं आता है। इस कारण भरभोलियों को घर में बनाना संभव नहीं हैं। लेकिन होली के अवसर पर इन्हें दूकान से ख़रीदा जा सकता है। इन भरभोलियों का राजस्थान में बहुत प्रचलन है। बीकानेर के दम्माणियों के चौक व बारहगुवाड चौक में होली के अवसर पर भरभोलियों की बिक्री परवान पर चढ़ती है। . होली (Holi) वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। यह प्रमुखता से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है। यह त्यौहार कई अन्य देशों जिनमें अल्पसंख्यक हिन्दू लोग रहते हैं वहाँ भी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। दूसरे दिन, जिसे प्रमुखतः धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन इसके अन्य नाम हैं, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं। राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है। राग अर्थात संगीत और रंग तो इसके प्रमुख अंग हैं ही पर इनको उत्कर्ष तक पहुँचाने वाली प्रकृति भी इस समय रंग-बिरंगे यौवन के साथ अपनी चरम अवस्था पर होती है। फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। होली का त्यौहार वसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है। उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है। इस दिन से फाग और धमार का गाना प्रारंभ हो जाता है। खेतों में सरसों खिल उठती है। बाग-बगीचों में फूलों की आकर्षक छटा छा जाती है। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं। खेतों में गेहूँ की बालियाँ इठलाने लगती हैं। बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति सब कुछ संकोच और रूढ़ियाँ भूलकर ढोलक-झाँझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों में डूब जाते हैं। चारों तरफ़ रंगों की फुहार फूट पड़ती है। गुझिया होली का प्रमुख पकवान है जो कि मावा (खोया) और मैदा से बनती है और मेवाओं से युक्त होती है इस दिन कांजी के बड़े खाने व खिलाने का भी रिवाज है। नए कपड़े पहन कर होली की शाम को लोग एक दूसरे के घर होली मिलने जाते है जहाँ उनका स्वागत गुझिया,नमकीन व ठंडाई से किया जाता है। होली के दिन आम्र मंजरी तथा चंदन को मिलाकर खाने का बड़ा माहात्म्य है। .

भरभोलिए और होली के बीच समानता

भरभोलिए और होली आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): २००८, ३ मार्च

२००८

२००८ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

भरभोलिए और २००८ · होली और २००८ · और देखें »

३ मार्च

3 मार्च ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 62वॉ (लीप वर्ष में 63 वॉ) दिन है। साल में अभी और 303 दिन बाकी है। .

भरभोलिए और ३ मार्च · होली और ३ मार्च · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

भरभोलिए और होली के बीच तुलना

भरभोलिए 2 संबंध है और होली 159 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 1.24% है = 2 / (2 + 159)।

संदर्भ

यह लेख भरभोलिए और होली के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »