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बटेश्वर और भदावर

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

बटेश्वर और भदावर के बीच अंतर

बटेश्वर vs. भदावर

बटेश्वर आगरा जिले में स्थित एक तहसील है। भारतवर्ष के सुप्रसिद्ध शहर आगरा जो कि संसार के सातवें आश्चर्य ताजमहल के नाम से विश्व विख्यात है, से सत्तर किलोमीटर पूर्व दिशा में बाह नामक स्थान है जो जिला आगरा की पूर्वी और आखिरी तहसील है। बाह से दस किलोमीटर उत्तर में यमुना नदी के किनारे बाबा भोले नाथ का प्रसिद्ध स्थान बटेश्वर धाम है। यहां पर हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष दूज से बहुत बड़ा मेला लगता है, और भगवान शिव के एक सौ एक मन्दिर यमुना नदी के किनारे पर यहां के तत्कालीन राजा महाराज भदावर ने बनवाये थे। बटेश्वर धाम के लिये एक कथा कही जाती है, कि राजा भदावर के और तत्कालीन राजा परमार के यहां उनकी रानियो ने गर्भ धारण किया, और दोनो राजा एक अच्छे मित्र थे, दोनो के बीच समझौता हुआ कि जिसके भी कन्या होगी, वह दूसरे के पुत्र से शादी करेगा, राजा परमार और राजा भदावर दोनो के ही कन्या पैदा हो गई, और राजा भदावर ने परमार को सूचित कर दिया कि उनके पुत्र पैदा हुआ है, उनकी झूठी बात का परमार राजा को पता नहीं था, वे अपनी कन्या को पालते रहे और राजा भदावर के पुत्र से अपनी कन्या का विवाह करने के लिये बाट जोहते रहे। जब राजा भदावर की कन्या को पता लगा कि उसके पिता ने झूठ बोलकर राजा परमार को उसकी लडकी से शादी का वचन दिया हुआ है, तो वह अपने पिता के वचन को पूरा करने के लिये भगवान शिव की आराधना यहीं बटेश्वर नामक स्थान पर करने लगी। जब राजा परमार की खबरें राजा भदावर के पास आने लगीं कि अब शादी जल्दी की जाये, उधर राजा भदावर की कन्या अपने पिता की लाज रखने के लिये तपस्या करने लगी, और उसकी विनती न सुनी जाने के कारण उसने अपने पिता की लाज को बचाने हेतु यमुना नदी में आत्महत्या के लिये छलांग लगा दी। भगवान शिव की की गई आराधना का चम्त्कार हुआ, और वह कन्या पुरुष रूप में इसी स्थान पर उत्पन हुई, राजा भदावर ने उसी कारण से इस स्थान पर एक सौ एक मन्दिरों का निर्माण करवाया, जो आज बटेश्वर नाम से प्रसिद्ध हैं। यहां पर यमुना नदी चार किलोमीटर तक उल्टी धारा के रूप में बही हैं। . भदावर 20px - भदौरियो के १९४७ से पहले का राजसी साम्राज्य का नाम है ! यह क्षेत्र भारत के उत्तर प्रदेश में जिला इटावा, आगरा, मध्य प्रदेश के भिन्ड, राजस्थान के धौलपुर तक फ़ैला हुआ है, भिण्ड, मुरैना, इटावा, ग्वालियर, दतिया, धौलपुर, आगरा, तथा जालौन तथा यमुना, चम्बल, पहूज, सिन्ध, बेतवा तथा क्वांरी के खारों में फैला क्षेत्र भदावर कहलाता है ! भदावर के राजा हिन्दू साम्राज्य के चार स्थाम्बो में से एक थे ! उनकी गिनती जयपुर, जोधपुर और बूंदी के महाराजाओं के साथ होती है ! भदावर - महाभारत काल भदावर महाभारत काल में प्राचीन भद्रावर्त राज्य था। महत कांतार (हतकांत) विंध्याटवी (अटेर) तथा विंध्यकानन (भिंड) इसके एतिहासिक साक्षी हैं। पांडव काल में भद्रावर्त राज्य एक समृद्ध गणराज्य था। यहाँ के क्षत्रिय विपुल साधन सम्पत्र थे यहाँ के राजकुमार बहुत सा रत्न धन सुवर्ण लेकर युधिष्ठर यज्ञ में उपस्थित हुए थे और उसे यज्ञ की भेंट किया। अथर्वद के गोपाल तापिनी उपनिषद में गोपाल के प्रिय दो बनों में भद्रवन का उल्लेख है जो यमुना के तट पर था। द्वेबने स्त: कृष्णवनं भद्रवनं- पुण्यानि पुष्य तमानि तेष्वेव देवा स्तिष्ठन्ति सिद्धा: सिद्धिं प्राप्ता:।। 33।।। वेदों के अनुसार- 'भदंकर्णेभि श्रृणुयाम देवा:' - देवों की वाणी "भद्रश्रव" भदावर की बोली थी। .

बटेश्वर और भदावर के बीच समानता

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बटेश्वर और भदावर के बीच तुलना

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संदर्भ

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