प्रत्याहार और प्रत्याहार (योग)
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
प्रत्याहार और प्रत्याहार (योग) के बीच अंतर
प्रत्याहार vs. प्रत्याहार (योग)
पतंजलि के अष्टांग योग के सन्दर्भ में प्रत्याहार का अलग अर्थ है। यहाँ प्रत्याहार को पाणिनीय व्याकरण के सन्दर्भ में दिया गया है। ---- प्रत्याहार का अर्थ होता है – 'संक्षिप्त कथन'। व्याकरण में प्रत्याहार विभिन्न वर्ण-समूह को अभीप्सित रूप से संक्षेप में ग्रहण करने की एक पद्धति है। जैसे, 'अण्' से अ इ उ और 'अच्' से समग्र स्वर वर्ण— अ, इ, उ, ऋ, लृ, ओ और औ, इत्यादि। अष्टाध्यायी के प्रथम अध्याय के प्रथम पाद के 71वें सूत्र ‘आदिरन्त्येन सहेता’(1-1-71) सूत्र द्वारा प्रत्याहार बनाने की विधि का पाणिनि ने निर्देश किया है। आदिरन्त्येन सहेता (1-1-71): (आदिः) आदि वर्ण (अन्त्येन इता) अन्तिम इत् वर्ण (सह) के साथ मिलकर प्रत्याहार बनाता है जो आदि वर्ण एवं इत्संज्ञक अन्तिम वर्ण के पूर्व आए हुए वर्णों का समष्टि रूप में (collectively) बोध कराता है। उदाहरण: अच् . संस्कृत व्याकरण के सन्दर्भ में प्रत्याहार का अलग अर्थ है। यहाँ पातंजल योग से सम्बन्धित प्रत्याहार की चर्चा की गयी है। ---- प्रत्याहार, पातंजल द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग का पाँचवाँ चरण है। .
प्रत्याहार और प्रत्याहार (योग) के बीच समानता
प्रत्याहार और प्रत्याहार (योग) आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या प्रत्याहार और प्रत्याहार (योग) लगती में
- यह आम प्रत्याहार और प्रत्याहार (योग) में है क्या
- प्रत्याहार और प्रत्याहार (योग) के बीच समानता
प्रत्याहार और प्रत्याहार (योग) के बीच तुलना
प्रत्याहार 8 संबंध है और प्रत्याहार (योग) 4 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (8 + 4)।
संदर्भ
यह लेख प्रत्याहार और प्रत्याहार (योग) के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: