पूर्णिमा और वट सावित्री
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पूर्णिमा और वट सावित्री के बीच अंतर
पूर्णिमा vs. वट सावित्री
पूर्णिमा पंचांग के अनुसार मास की 15वीं और शुक्लपक्ष की अंतिम तिथि है जिस दिन चंद्रमा आकाश में पूरा होता है। इस दिन का भारतीय जनजीवन में अत्यधिक महत्व हैं। हर माह की पूर्णिमा को कोई न कोई पर्व अथवा व्रत अवश्य मनाया जाता हैं। . वट सावित्री व्रत सौभाग्य को देने वाला और संतान की प्राप्ति में सहायता देने वाला व्रत माना गया है। भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक बन चुका है। इस व्रत की तिथि को लेकर भिन्न मत हैं। स्कंद पुराण तथा भविष्योत्तर पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यह व्रत करने का विधान है, वहीं निर्णयामृत आदि के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को व्रत करने की बात कही गई है। .
पूर्णिमा और वट सावित्री के बीच समानता
पूर्णिमा और वट सावित्री आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): ज्येष्ठ।
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पूर्णिमा और वट सावित्री के बीच तुलना
पूर्णिमा 25 संबंध है और वट सावित्री 8 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 3.03% है = 1 / (25 + 8)।
संदर्भ
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